जन्म कुण्डली में सप्तम भाव से विवाह का विश्लेषण किया जाता है. विवाह कब होगा, कैसा होगा आदि सभी बाते सप्तम भाव, सप्तमेश तथा इनसे संबंध बनाने वाले ग्रहों के आधार पर देखी जाती हैं. सबसे पहले तो सप्तम से संबंधित दशा आने पर विवाह की संभावना बनती हैं. दशा के साथ जब शनि और गुरु का अनुकूल गोचर भी सप्तम भाव से हो रहा है तब विवाह होने की संभावना बली होती हैं. इसके साथ ही इन्हीं सब बातों की पुष्टि नवांश कुण्डली में भी की जाती है.
जन्म कुण्डली और नवांश कुण्डली में विवाह संबंधी बातों का आंकलन उपरोक्त नियमों के आधार पर किया जाता है. विवाह होने की और अधिक पुष्टि के लिए ज्योतिषीय ग्रंथों में विवाह सहम का जिक्र भी किया गया है. विवाह सहम का उपयोग विवाह की क्वालिटी देखने और विवाह का समय जानने के लिए किया जाता है.
विवाह सहम की गणना | Analysis of Vivah Saham
विवाह सहम की गणना के लिए जन्म कुण्डली के लग्नेश और सप्तमेश के भोगांश को आपस में जोड़ा जाता है. दोनों के भोगांश राशि, कला और विकला तक जोड़े जाते हैं. इसे एक उदाहरण से समझते हैं. एक कन्या लग्न की कुण्डली में लग्नेश बुध होता है और सप्तमेश गुरु होता है. माना लग्नेश बुध का भोगांश 3 राशि पार, 3 अंश(डिग्री) और उन्नीस कला (मिनट) का है. सप्तमेश गुरु का भोगांश 4 राशि पार, 19 कला और 16 विकला का है. दोनों के भोगांश जोड़ने पर 7 राशि पार, 22 अंश और 35 कला आता है. इसका अर्थ यह हुआ कि विवाह सहम तीसरे भाव अर्थात वृश्चिक राशि में बना है. जैसे नवांश कुण्डली की गणना करते हैं ठीक वैसे ही विवाह सहम के नवांश को भी देखेगें कि वह नवांश में किस राशि तथा भाव में गया है और किन ग्रहों के प्रभाव में है.
उपरोक्त उदाहरण में विवाह सहम वृश्चिक राशि में बना है. उदाहरण कुण्डली के नवांश का लग्न कुंभ है और विवाह सहम को अगर नवांश में ले जाये तब यह मकर नवांश में जाएगा. अब हम विवाह सहम की गणना जन्म कुण्डली और नवांश कुण्डली दोनों में ही करेगें. दोनों ही कुण्डलियों में विवाह सहम जिस भाव में बना है उसके स्वामी को देखेगें कि कुण्दली में उसकी क्या स्थिति है. वह शुभ स्थिति में है या अशुभ स्थिति में है. किन ग्रहों के साथ संबंध बन रहे हैं.
विवाह होने में विवाह सहम की भूमिका | Importance of Vivah Saham in Marriage
जिस तरह से सप्तम भाव का विश्लेषण विवाह के लिए किया जाता है ठीक उसी तरह से विवाह सहम का विश्लेषण भी विवाह के लिए किया जाता है. विवाह सहम का स्वामी, विवाह सहम में बैठे ग्रह और विवाह सहम से संबंध रखने वाले ग्रह आदि सभी बातों का आंकलन किया जाता है. जब विवाह सहम से संबंध रखने वाले ग्रह की दशा/अन्तर्दशा आती है तब विवाह होने की संभावना बन जाती है.
विवाह सहम में गोचर की अत्यधिक भूमिका मानी जाती है. माना जाता है कि जिस भाव में विवाह सहम बन रहा है यदि उस भाव से गोचर का गुरु गुजर रहा हो तब विवाह होने की संभावना बढ़ जाती है अथवा विवाह सहम के स्वामी ग्रह से जब गोचर का गुरु गुजरे तब भी विवाह होने की संभावना बढ़ जाती है. नवांश कुण्डली में जिस भाव में यह सहम बन रहा है उस भाव के स्वामी की दशा में विवाह हो सकता है. उस भाव में बैठे ग्रह या उस भाव से संबंध बनाने वाले ग्रह की दशा में विवाह हो सकता है.
विवाह सहम पर अशुभ प्रभाव | Inauspicious Effects of Vivah Saham
जन्म कुण्डली के जिस भाव में यह सहम बन रहा है उस भाव पर यदि पाप ग्रहों का प्रभाव है तब विवाह में परेशानी हो सकती है. उस भाव का स्वामी पीड़ित है तब भी विवाह में अड़चने या विवाह सुख में कमी हो सकती है. नवांश कुण्डली में यदि इस सहम पर पीड़ा है तब भी विवाह में अड़चने या विवाह होने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है.