विभिन्न भावों में ग्रह स्थिति के परिणाम पराशरी सिद्धांतों पर आधारित यह परिणाम वर्ष कुण्डली में भी उपयोगी होते हैं. ग्रह अपने विभिन्न भावों में अपने कारकतत्व राशि आधिपत्य व अपनी स्थिति के अनुसार फल देता है. ग्रहों द्वारा लग्न, पंचम और नवम भाव के स्वामी होना सदैव शुभता से युक्त माना जाता है. इसके विपरित छठे, आठवें और बारहवें भाव के स्वामी अशुभ फल दायक माने गए हैं.

पराशर जी के अनुसार ग्रहों द्वारा एकादश भाव का आधिपत्य भी अभुभ परिणामदायक माना है. इस प्रकार विभिन्न लग्नों की कुण्डलियों में ग्रह विभिन्न परिणामदायक हैं. यह समझना आवश्यक है कि कुण्डली के बलिष्ठ होने के लिए नैसर्गिक शुभ ग्रह गुरू, बुध, शुक्र तथा शुक्ल पक्ष का चंद्रमा केन्द्र या त्रिकोण में स्थित होने चाहिएं और अशुभ ग्रह सूर्य, मंगल, शनि, राहु-केतु तृतीय, अष्टम अथवा एकादश भावों में स्थित होने चाहिएं.

सभी ग्रह चाहें वह शुभ हों अथवा अशुभ, सदा ही शुभ परिणामदायक होंगे यदि वह उच्चता युक्त या स्वराशि में स्थित हों. यही सिद्धांत राजयोग कारक ग्रहों पर भी लागू होता है.

प्रथम भाव में विभिन्न ग्रह | Planets in First House


सूर्य ग्रह | Sun Planet

बलिष्ठ होने पर  नैतिकता पूर्ण, इच्छा शक्ति युक्त, सत्ताप्रेमी, अच्छा स्वास्थ्य, चिंतामणि जी के अनुसार शुभ स्थित से युक्त होने पर भाग्य में सफलता, सम्मान, राजा से सम्मान, पिता का स्नेह तथा सफलता का सूचक होता है.

चंद्र ग्रह | Moon Planet

चंद्रमा कुण्डली में बलिष्ठ होने पर प्रेम से युक्त होता है, मन से सुखद व माता का सुख पाता है.  मानसिक स्थिति व उच्च मनोबल की प्राप्ती होती है. चित्त की प्रसन्नता, यात्रा के प्रति उत्सुक होता है, सुख शंति, धन संपत्ति पाता है. कमजोर व क्षीण होने पर मन में अस्थिरता रहती है, अविश्वासी होता है, चंचल होता है. व्यक्ति घुमक्कड़ व उद्देश्यहीन जीवन यापन जीता है.

मंगल ग्रह | Mars Planet

मंगल के मजबूत होने पर मंगल साहस, वीरता, शौर्य, शक्ति देता है. शत्रु पर विजय, भूमि, अचल संपत्ति दिलाता है. कमजोर होने पर स्वास्थ्य सुख में कमी करता है, जानवरों द्वारा काटना, दुर्घटना, जलना, घाव या शल्य क्रिया, आपरेशन, उच्च रक्तचाप, गर्भपात इत्यादि का कारण बन सकता है.

बुध ग्रह | Venus Planet

बुध ग्रह बलिष्ठ होने पर बुद्धि चातुर्य, वाणी, मनोविनोद देता है. गणित, लेखन, तर्क-वितर्क, मुद्रण, ज्योतिष विज्ञान, नृत्य एवं नाटक में योग्यता देता है. कमजोर होने पर बुध गला, नाक, कान, हकलाना, बोलने में कष्ट, मानसिक असंतोष देता है. त्वचा संबंधि रोग, राहु युक्त होने पर भ्रामक बनाता है.

गुरू ग्रह | Jupiter Planet

बलिष्ठ होने पर बृहस्पति जी ज्ञान, विद्वता, शिक्षा में उच्चता देते हैं. धार्मिक कार्यों, श्रेष्ठजनों का साथ, भक्ति, प्राचीन साहित्य, धन संपत्ति, मान सम्मान मिलता है. व्यक्ति धर्मार्थ संस्थाओं में कार्यरत होता है कानूनी क्षेत्र, जज, न्यायाल्य, वकील, लेखापरीक्षक, सम्पादक, प्राचार्य, शिक्षाविद, अध्यापन का कार्य कर सकता है. ज्योतिषी, वेदो और शास्त्रों में निपुण होता है. कुण्डली में गुरू के क्षीण होने पर आंडबर से युक्त, फिजूलखर्च करने वाला और खाने का शौकीन होता है.  शरीर में मोटापा हो सकता है, मधुमेह, चिरकालीन बीमारियां हो सकती हैं.

शुक्र ग्रह | Venus Planet

बलिष्ठ होने पर शुक्र ग्रह वैवाहिक संबंधों, पत्नि, इन्द्रिय भोग विलास, यौन विषय, सभी प्रकार की सुख स्म्पत्ति, आभूषणों, सुंदरता, सुगंधित वस्तुओं को प्रदान करता है. सुन्दर शरीर, बडी आंखे व दिखने में आकर्षक, घुंघराले बाल, काव्यात्मक होता है. कमजोर निर्बल होने पर विलासिता, व्यभिचार, शराब, नशीले पदार्थों, से युक्त होता है.

शनि ग्रह | Saturn Planet

बलिष्ठ होने पर लंबा जीवन, खुशहाली, संपत्ति-जायदाद से युक्त होता है. क्षीण होने पर शनि ग्रह मृत्यु, दुख, दरिद्रता, अनादर, निर्धनता देता है.