गुरु का किसी भी राशि में होना उस राशि के साथ मिलकर गुण तत्वों को देने वाली स्थिति होति है. मिथुन राशि में जब बृहस्पति होता है तो ये समय बुद्धि और ज्ञान के क्षेत्र में वृद्धि का संकेत देता है. इसके पिछे का मुख्य कारण ये हैं कि गुरु ज्ञान है और मिथुन राशि बुध के स्वामित्व वाली राशि है जो बुद्ध का कारक बन जाती है. इसी कारण से मिथुन राशि में गुरु का होना बड़े खास समय का उदाहरण बन जाता है.
मिथुन राशि में बुध का गोचर समय क्यों लेता है बारह वर्ष
मिथुन राशि में बुध एक वर्ष का समय लेता है ओर जब इसमें आता है तो बारह वर्ष के बाद ही आ पाता है क्योंकि किसी भी राशि में गुरु का गोचर 1 वर्ष लगभग का समय लेता है. मिथुन राशि में बृहस्पति मिथुन राशि में बृहस्पति शुभता देता है. विकास होने के साथ सफलता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण बन जाता है. इस कारन से मिथुन राशि में जन्म समय के दौरान गुरु का होना या फिर ह्गोचर के दौरान मिथुन राशि में जाना दोनों ही बातें अपने अपने नियम अनुसार विशेष असर दिखाने वाली होती हैं.
मिथुन राशि में गोचर जन्म कुंडली प्रभाव
जन्म कुंडली में यदि मिथुन राशि में बृहस्पति मौजुद हे तो इसे प्रभाव व्यक्ति के जीवन को कई तरह से प्रभावित कर्ने वाले होते हैं. बातचीत से जुड़े कारकों, संचार के गुणों और संसाधनों पर इसकी अच्छी पकड़ देखने को मिलती है. किसी भी काम को करने में आगे रहने के साथ साथ प्रतिबद्धता के महत्व को भी दिखाता है. व्यक्ति का व्यावहारिक और व्यापक दृष्टिकोण होता है.
थुन राशि में बृहस्पति मिथुन राशि में बृहस्पति की विशेषताओं में जानकारी, ज्ञान का संग्रह करने के साथ साथ ज्ञान को साझा करने के लिए भी उत्साह देता है. इसमें दूसरों की मदद करना शामिल होता है.
मिथुन राशि की तीसरी राशि में बृहस्पति की उपस्थिति वाक्पटु बना सकती है. अच्छे तर्क देने वाली होती है. बहस करने की क्षमता देती है. मिथुन राशि में बृहस्पति और बुध का संयुक्त प्रभाव व्यक्ति को धन के अच्छे प्रबंधन का ज्ञान प्रदान करता है. सफल करियर का मार्ग मिल पाता है.
मिथुन राशि में बृहस्पति संचार कौशल को बढ़ाता है, जिससे इन बातों को समझने में मदद मिलती है कि कब और कैसे प्रभावी ढंग से बात करना उपयोगी होगा. व्यक्ति अपनी टीम, समुदाय या किसी समूह का प्रतिनिधित्व करने में भी आगे रह सकता है.
इसके अलावा, बृहस्पति और मिथुन राशि की गतिशील ऊर्जा जीवन में निरंतर परिवर्तनों के लिए अनुकूलनशीलता को बढ़ावा देती है, जिससे समय के साथ बेहतर प्रदर्शन होता है. मिथुन राशि में बृहस्पति गलत सूचनाओं को चुनौती देने और हाशिए पर पड़े और वंचित व्यक्तियों के कल्याण की वकालत करने की क्षमता देता है.
मिथुन राशि में बृहस्पति का विभिन्न तरह से असर
मिथुन राशि में बृहस्पति अपनी किसी न किसी अवस्था में होता है. इसमें या तो मार्गी हो सकता है या वक्री या फिर अस्त स्थिति. जन्म कुंडली में तो यह एक स्थिति को ही पाता है लेकिन गोचर में इसकी अवस्था समय समय अनुसार बदलती है और सभी को प्रभावित करती है. आइये जान लेते हैं मिथुन में बृहस्पति की विभिन्न अवस्थाओं का फल :
मिथुन राशि में बृहस्पति का वक्री प्रभाव
मिथुन राशि में बृहस्पति के वक्री होने से स्थिति अनुकूल नहीम रह पाती है. यहां बृहस्पति को वक्रता के कारण परिपक्वता और समझ की प्राप्ति में देरी का प्रभाव व्यक्ति को झेलना पड़ सकता है. चीजों में यह स्पष्टता की कमी और बुनियादी शिक्षा में भी कुछ दिक्कत दे सकता है. व्यक्ति को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में बाधाओं का सामना भी करना पड़ सकता है. इसके कारण बातचीत करने या फिर, संचार में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. दूसरों के साथ अपने विचार व्यक्त करने में कमी आती है. बृहस्पति की वक्री गति के कारण समय पर सही मदद मिलने में देरी होती है.
मिथुन में बृहस्पति का वक्री प्रभाव बातचीत में कठोरता को देता है. विचारों का टकराव हो सकता है. आर्थिक मामलों में अच्छे से अमल नहीं हो पाता है. प्रबंधन से जुड़े कार्यों को करने में बाधा उत्पन्न हो सकती है. बच्चों के साथ अचानक असहमति का अनुभव हो सकता है. पारिवारिक संबंध प्रभावित हो सकते हैं. वक्री प्रभाव धर्म और शास्त्रों के बारे में गहन ज्ञान और रुचि प्राप्त करने के लिए अच्छा होता है.
मिथुन में बृहस्पति का अस्त होना
बृहस्पति के मिथुन राशि में अस्त होने पर कई चीजों में धीमापन आने लगता है. आत्मनिरीक्षण करने और जीवन में किसी भी चुनौती का समाधान निकाल पाना विलंब को दिखाता है. अपनी सच्चाई बोलने की क्षमता भी व्यक्ति में सही से नहीं रह पाती है आत्मविश्वास कमजोर होता है. मिथुन राशि में बृहस्पति के अस्त होने से संबंधों में आक्रामकता और विचारों का टकरावअधिक देखने को मिलता है. बृहस्पति के अस्त होने से योजनाओं को पूरा करने में देरी हो सकती है. धन संचय में देरी हो सकती है. स्वास्थ्य में मोटापे की समया प्रभाव डालने वालि होती है. रिश्तों के मामले में व्यर्थ की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.
मिथुन राशि में बृहस्पति का भाव प्रभाव
बृहस्पति मिथुन राशि में प्रथम भाव में : बृहस्पति मिथुन राशि में प्रथम भाव में समाज में अच्छी स्थिति, प्रसिद्धि और पहचान बनाने में मदद करता है. उच्च शिक्षा में सफलता दिलाता है. वरिष्ठों, बुजुर्गों और अपने साथी के साथ सहयोग देता है. लेकिन वक्री होने पर भाग्य का साथ पाने में देरी कर सकता है. आपको अपने जीवन साथी के साथ अपनी भावनाओं को व्यक्त करने और वरिष्ठों और पिता के साथ संबंध बनाने में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है.
मिथुन राशि में दूसरे भाव में बृहस्पति : आप परिवार के मजबूत सहयोग देता है. आर्थिक लाभ देता है. बैंकिंग या पारिवारिक व्यवसाय में भागीदारी से लाभ के लिए शुभ संकेत देता है. परिवार के सदस्यों, ससुराल वालों और कार्यालय के सहकर्मियों के साथ अच्छे संबंध देता है लेकिन वक्री होने पर ये प्रभाव बदल जाते हैं विवाद बढ़ सकते हैं.
मिथुन राशि में बृहस्पति तीसरे भाव में : बृहस्पति की स्थिति काम के सिलसिले में या शिक्षा के लिए आपको विदेश यात्रा के अवसर दे सकती है. सफलता, भाई-बहनों और पड़ोसियों से सहयोग मिल सकता है. लेकिन वक्री होने पर ये प्रभाव बदल जाते हैं.
मिथुन राशि में बृहस्पति चौथे भाव में : मिथुन राशि के लिए गुरु का इस भाव में प्रभाव परिवार को सुख समृद्धि देने वाला होता है. लेकिन अगर यहां बृहस्पति वक्री होने पर ये प्रभाव बदल जाते हैं विवाद बढ़ सकते हैं.
मिथुन राशि में बृहस्पति पंचम भाव में : यह शैक्षणिक ज्ञान की प्राप्ति को बढ़ावा देता है. रिश्तों को बेहतर बनाता है. शिक्षा, करियर या व्यावसायिक प्रयासों के लिए विदेशी संबंध हो सकते हैं. कार्यस्थल पर आपको वरिष्ठों और बुजुर्गों से समर्थन प्राप्त होता है. लेकिन वक्री बृहस्पति इन गुण धर्म में विपरित अवस्था देने वाला बन सकता है.
बृहस्पति मिथुन राशि में छठे भाव में : मिथुन राशि में बृहस्पति आपको एक अच्छा सलाहकार बनने में मदद करेगा और आपको तार्किक उत्तर देने की क्षमता देगा लेकिन वक्री होने पर व्यर्थ के विवाद दे सकता है.
बृहस्पति मिथुन राशि में सातवें भाव में : रिश्तों में आपको अच्छी पकड़ देता है. एक अच्छा वक्ता बनाता है. कार्यस्थल पर लोगों से मार्गदर्शन और समर्थन मिलता है. वक्री होने पर स्थिति में बदलाव दिखाई देता है.
बृहस्पति मिथुन राशि में आठवें भाव में : मिथुन राशि में आठवें बृहस्पति के होने से पैतृक संपत्ति का लाभ मिलता है. अचानक धन प्राप्ति के योग लाता है. लेकिन वक्री होने से बुरी आदतों को जन्म दे सकता है जिससे आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
बृहस्पति मिथुन राशि में नवम भाव में : इस भाव में धार्मिक सुख एवं स्थिरता देता है. जीवनसाथी से वित्तीय लाभ दिलाता है. पिता और बॉस से समर्थन मिलता है.
बृहस्पति मिथुन राशि में दशम भाव में : करियर में आगे बढ़ने में मदद मिलती है. नाम प्रसिद्धि का योग अच्छा होता है. बिना किसी चुनौती के अपनी बात आगे रखने की क्षमता मिलती है.
बृहस्पति मिथुन राशि में एकादश भाव में : लाभ में वृद्धि होती है. अच्छे मौके जीवन में आते हैं. समाज में सफलता के योग बनते हैं.
बृहस्पति मिथुन राशि में द्वादश भाव में : विदेश योग बनते हैं. बाहरी क्षेत्र से लाभ के मौके मिलते हैं. वक्री होने से कार्यस्थल पर सहकर्मियों के साथ अहंकार का टकराव होगा, जिससे समय पर काम पूरा करने में चुनौतियां आएंगी