राहु के साथ चंद्रमा का गोचर मीन राशि पर होने के विभिन्न फल प्राप्त होते हैं. इसका असर मीन राशि के अलावा अन्य राशियों पर भी गहराई से पड़ता है. राहु एक पाप ग्रह है चंद्रमा एक शुभ ग्रह है और मीन राशि एक कोमल आध्यात्मिक ज्ञान से संपन्न राशि है. ग्रह के साथ साथि का प्रभव मिलकर कई तरह से अपना असर दिखाने वाला होता है. राहु वैदिक ज्योतिष के लिए महत्वपूर्ण है खगोलीय दृष्टिकोण से, राहु को चंद्रमा के उत्तरी नोड के रूप में जाना जाता है, या वह बिंदु जहां चंद्रमा का उत्तर की ओर का मार्ग पृथ्वी के क्रांतिवृत्त तल को काटता है. 

मीन राशि में राहु के साथ चंद्रमा का युति गोचर सभी राशियों पर रहेगा विशेष

मेष राशि 

राहु-चंद्रमा का बारहवें भाव में होना कुछ अच्छा और कुछ खराब होगा. अच्छे के रुप में बारी संपर्क लाभ देंगे और खराब के संदर्भ में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. यह एक ऐसा समय होगा जब सेहत को लेकर विशेष रुप से मानसिक स्थिति अधिक बेचैन रह सकती है. अधिक ख़र्चे करने पड़ सकते हैं. अचानक होने वाली दुर्घटना की संभावना है. वाहन इत्यादि को लेकर संभल कर यात्रा करना अधिक अनुकूल होगा. 

वृष राशि 

राहु के साथ चंद्रमा का असर लाभ को प्रभावित करने वाला होगा. इस समय सफलता किसी भी रुप में प्राप्त हो सकती है. दूसरे लोग दृढ़ संकल्प का परीक्षण करने वाला होगा इसलिए चुनौतियों को लेकर तैयार रहें तथा नई अवधारणाओं के साथ आगे बढ़ना उचित होगा. अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर पाने में अच्छा समय होने वाला है और अपने प्रतिस्पर्धियों पर विजय प्राप्त कर पाएंगे. यदि आप नौकरी कर रहे हैं तो पदोन्नति की संभावना भी अच्छी है. भावनात्मक रुप से स्थिति कुछ कमजोर हो सकती है इसलिए प्रेम एवं रिश्तों के मामले में थोड़ा सावधानी बरतें.  

मिथुन राशि 

राहु आपकी कुंडली के दसवें भाव में गोचर करेगा जो मुख्य रूप से करियर, नाम, स्थिति, शक्ति को दर्शाता है. यह गोचर सामान्य रह सकता है. राहु आपको उन बाधाओं पर काबू पाने में मदद करेगा जो आपको अपने जीवन के करियर क्षेत्र में सफल होने से रोक रही हैं. दूसरी ओर चंद्रमा का असर बदलावों को तेजी से दिखा सकता है. जरुरी है की शांति से काम किया जाए और तनाव अधिक लेने से बचना होगा. वरिष्ठ अधिकारियों के साथ काम करना आसान नहीं होगा इसलिए जितना धैर्य रखेंगे उतना लाभ पाएंगे. 

कर्क राशि 

चंद्रमा के साथ राहु का योग कुंडली के नवम भाव में होगा. इस समय पर विदेश यात्रा के साथ कहीं धर्म यात्राओं का अवसर भी मिलेगा. उच्च शिक्षा की प्राप्ति के साथ आध्यात्मिक ज्ञान को पाने के लिए भी अनुकूल समय मिल सकता है. भाग्य और आध्यात्मिकता के लिए समय विशेष रहने वाला है और ऎसे में दूसरे धर्म के लोगों के साथ काम बनेगा. इस गोचर के दौरान कुंडली के नौवें भाव में राहु मार्ग में ऐसी रुकावटें पैदा करता है, लेकिन चंद्रमा का प्रभाव सफलता के लिए बेहद सहायक भी बन सकता है. 

सिंह राशि 

राहु के साथ चंद्रमा का आठवें भाव में गोचर होगा, यह समय अचानक लाभ या हानि, ससुराल, विरासत, दुर्घटना जैसी चीजों को दर्शाने वाला होता है. ये समय मानसिक एवं शारीरिक रुप से खुद को मजबूत बनाए रखने का होता है. इस समय कोई भी फैसला लेने से पूर्व फैसलों को टाल देना अधिक उपयुक्त होगा. चोट लगने की संभावना बहुत अधिक है, इसलिए लापरवाही न करें, खासकर वाहन चलाते समय. आवश्यक होने पर ही यात्रा करें और साहसिक गतिविधियों में शामिल होने से बचें. सेहत का ध्यान रखें तभी बेहतर परिणाम मिल सकते हैं. 

कन्या राशि 

राहु के साथ चंद्रमा का सप्तम भाव में गोचर होगा जो मुख्य रूप से जीवन साथी, व्यापार और साझेदारी पर असर डालने वाला होगा. कुंडली के सातवें भाव में इनका गोचर वैवाहिक जीवन में तनाव और विवाद भी ला सकता है. अपनों के साथ तीखी बहस या मनमुटाव में पड़ सकते हैं इसलिए इस समय संभल कर काम करने की अश्यकता होगी. इस समय जीवन के साथ साझेदारी  क्षेत्र को अत्यधिक प्रभावित होने से बचाने के लिए इस समय समझदारी ही अधिक उपयोगी होगी. 

तुला राशि 

राहु चंद्रमा का गोचर कुंडली के छठे भाव में होगा, जो मुख्य रूप से नौकरी, प्रतियोगिता, शत्रु, मुकदमेबाजी, कर्ज जैसे कारकों पर अपना असर डालने वाला होगा. राहु का प्रभाव बहुत सकारात्मक रह सकता है. शत्रुओं पर विजयी होने का समय है लेकिन सेहत के मामले में अधिक ध्यान रखने की जरुरत भी होगी.  अगर इस समय पर मुकदमेबाजी या कानूनी मामलों से गुजर रहे हैं तो परिणाम पक्ष में हो सकता है. नौकरी चाहने वालों के साथ-साथ नौकरी बदलने की तलाश कर रहे लोगों के लिए एक अच्छा समय रह सकता है. अवसर प्राप्ति का अनुकूल समय होगा. 

वृश्चिक राशि

राहु और चंद्रमा पंचम भाव में होकर गोचर करते हुए सेहत पर और मानसिक विचारधारा पर असर डाल सकते हैं. किसी भी वस्तु की बिक्री या खरीद में शामिल होने के लिए यह एक अच्छा समय नहीं है. इसके अलावा, यदि संभव हो तो नया वाहन खरीदने की किसी भी योजना को रोक देना चाहिए. यह अवधि अचानक होने वाले व्यय का संकेत देती है. घर में सामंजस्य रखने के तरीके से व्यवहार करने की आपकी क्षमता की इस दौरान परीक्षा होगी. समर्पित और वास्तविक प्रयासों से आने वाले समय में अच्छे परिणाम मिलेंगे. व्यर्थ के जोखिमों से बचना ही उचित होगा. 

धनु राशि 

राहु के साथ चंद्रमा का गोचर चतुर्थ भाव में होगा जो मुख्य रूप से प्रेम संबंधों, संपत्ति, शिक्षा और बच्चों पर अपना असर डालने वाला होगा. इस समय यह स्थिति मसिक रुप से एकाग्रता की कमी कर सकती है. छात्रों के लिए परेशानी वाला समय है इसलिए भटकाव से बचें और शांत रह कर फैसले करें. बच्चों के स्वास्थ्य का अतिरिक्त ध्यान रखने की जरुरत है. गर्भवती स्त्रियों को अपना विशेष ध्यान रखना जरुरी है. किसी के साथ भी अनावश्यक बहस से बचने के लिए उनके साथ बातचीत करते समय धैर्य से काम लेने की आवश्यकता होगी. 

मकर राशि

तीसरे भाव में राहु और चंद्रमा का प्रभाव इस दौरान भाई-बहनों के साथ संबंधों में कुछ बदलाव देने वाला हो सकता है. लोगों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करते हुए सावधान रहने की जरुरत होगी. अपने समय और ऊर्जा को रचनात्मक प्रयासों में लगाने से आपको सफलता मिलेगी. वाहन से कुछ परेशानी हो सकती है, बार-बार छोटी यात्राएं भी बढ़ सकती हैं और इस कारण बोझिल महसूस कर सकते हैं. 

कुंभ राशि 

राहु और चंद्रमा का गोचर दूसरे भाव में होने पर परिवार, बैंक बैलेंस, धन, वाणी और खाने की आदतों पर अपना असर डालने वाला होगा. दूसरे भाव में राहु और चंद्रमा का असर धन को देगा ओर उस धन को खर्च भी कर देने वाला होगा. आप कठोर तरीके से बोलेंगे जो आपके परिवार के सदस्यों के साथ आपके संबंधों में कड़वाहट बढ़ा सकता है. अच्छे रुप में यह विदेश जाने वालों को मौके देगा. खाने की गलत आदतों में शामिल होने की संभावनाअधिक है इसलिए ध्यान रखें इसका आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. खान-पान में सावधानी बरतें, गले में इंफेक्शन हो सकता है. 

मीन राशि 

राहु और चंद्रमा का प्रथम भाव में गोचर होने पर यह विशेष रुप से व्यक्तित्व और सार्वजनिक स्थिति पर अपना असर डालने वाला होगा. इस समय व्यक्तित्व और समाज के प्रति समग्र दृष्टिकोण पर बदलाव से संबंधित प्रभाव पड़ेगा. इस समय के दौरान जीवन में वास्तव में क्या चाहते हैं, इस बारे में भ्रमित होने की संभावना भी अधिक रहने वाली है. कुछ मामलों में यह दृष्टिकोण में निराशा का भी बढ़ा सकता है और व्यग्र भी बना सकता है. इसलिए जरुरी है कि समस्याओं पर ध्यान दिया जाए और शांत मन से अपनी मेहनत को किया जाए. ऎसा करने से नतीजे आपके पक्ष में होंगे.