ग्रहों में आत्मकारक रुप जैमिनी के महत्वपूर्ण सूत्र की परिभाषा है. आत्म कारक ग्रह का असर जीवन में व्यक्ति को कई तरह से असर दिखाने वाला होता है. आत्मक कारक ग्रह यदि कुंडली में शुभस्थ होगा तो उसका बेहतर परिणाम व्यक्ति को प्राप्त होता है. शुक्र के शुभ फल होने पर आत्म कारक की स्थिति काफी मजबूत होती है. लेकिन यदि आत्मकारक होकर शुक्र कमजोर होगा तो उसके बेहतर परिणाम मिल पाने में देरी का सामना करना पड़ सकता है. इन सभी बातों के बावजूद भी शुक्र का आत्मकारक होना विशेष होता है.
आत्मकारक आत्मा की इच्छा का कारक है. जन्म कुंडली में सूर्य को प्राकृतिक आत्मकारक माना जाता है. जैमिनी ज्योतिष अनुसार जन्म कुंडली में सभी ग्रहों की डिग्री होती है और ऎसे में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शनि या शुक्र में से कोई भी ग्रह जिसकी कुंडली में उच्चतम अंश हो वह ग्रह आत्मकारक कहलाता है. अगर कुंडली में शुक्र अधिकतम अंशों में होता है तो आत्मकारक बनता है. आत्मकारक शुक्र के साथ, व्यक्ति को जीवन में भौतिक सुख संपत्ति को पाने में सहायता मिल सकती है और शुक्र की शुभता होने पर वह व्यक्ति जीवन के मूलभूत तत्वों के अलावा अपने जीवन को समृद्ध रुप से जी भी सकता है.
ज्योतिष में शुक्र का क्या महत्व रहा है?
शुक्र को ज्योतिष में आनंद को प्रदान करने वाला ग्रह माना गया है. ज्योतिष के अनुसार शुक्र ग्रह बुध और शनि को अपना मित्र मानता है लेकिन यह सूर्य, चंद्र और मंगल से शत्रुता रखता है. साथ ही यह बृहस्पति के प्रति उसका तटस्थ एवं उदासीन भाव रहता है. उत्तर दिशा में शुक्र बलवान होता है और इसकी शुभता द्वारा जीवन में रोमांस, प्रेम और संतुलन की प्राप्ति होती है. यह विवाह, रिश्तों और एक व्यक्ति के जीवन में अन्य लोगों के साथ भावनात्मक बंधन से भी जुड़ा हुआ ग्रह है. इसका सौन्दर्य से गहरा संबंध है. इसलिए, यह आकर्षण ओर आनंद की अनुभूति को प्रदान करने वाला ग्रह है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र प्रत्येक राशि में एक महीने तक रहता है और साथ ही राशि चक्र को पूरा करने में इसे लगभग एक वर्ष का समय लगता है. शुक्र को तुला और वृष राशि का स्वामी माना गया है. यह कुंडली के दूसरे और सातवें भाव का स्वामी भी होता है.
शुक्र की शुभ अशुभ स्थिति
शुक्र व्यक्ति के जीवन के वैवाहिक, यौन सुख और धन पर अपना अधिकार रखता है. यह व्यक्ति के मन के भावनात्मक पक्ष को भी नियंत्रित करता है. अशुभ स्थिति में शुक्र होने वाले व्यक्ति में चतुराई, चालाकी, विद्रोही भाव दिखाई दे सकते हैं. यदि शुक्र कुंडली में शुभ स्थिति में है तो यह जीवन में विभिन्न चीजों को प्रदान करता है. शुक्र की शुभ स्थिति किसी के भी जीवन को समृद्धि और प्रेम से भर देने वाली होती है. लेकिन अगर यह अशुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. शुक्र की शुभ और अशुभ स्थिति का पता कुंडली में उसके भाव स्वामित्व एवं स्थिति के आधार पर ही होता है. यह प्यार और सुख का ग्रह है इसलिए यदि शुक्र सही स्थिति में है, तो विलासितापूर्ण जीवन की प्राप्ति कर पाने में व्यक्ति सक्षम होता है.
शुक्र के आत्मकारक होने के शुभ अशुभ प्रभाव
व्यक्ति को किसी भी प्रकार के गलत कार्यों, वासना से दूर रहना चाहिए. उसका एक अच्छा और साफ चरित्र होना चाहिए. एक आत्मकारक शुक्र कामुकता और रिश्तों से जुड़ी चीजों को गड़बड़ कर सकता है. इसके पीड़ित होने पर शुगर की समस्या भी हो सकती है. आत्मकारक शुक्र वाले लोग आमतौर पर ललित कलाओं में निपुण हो सकते हैं. उनमें कला का कौशल काफी प्रखर रुप से देखने को मिल सकता है. व्यक्ति के पास बारीक नजर होती है. व्यक्ति को सौंदर्यशास्त्र की भी बहुत अच्छी समझ होती है. आत्मकारक शुक्र का प्रभाव व्यक्ति को चीजों को सजाने एवं उन्हें सुंदर बनाने की अच्छी क्षमता भी देता है.
आत्मकारक शुक्र की विशेषताएं
आत्मकारक शुक्र वाले व्यक्ति जब भी तनाव होगा तो वह पेंटिंग, कला के किसी अन्य काम में अपना हाथ आजमाना चाहेगा. अपने आप को प्रकृति एवं कला से जोड़ने की उसकी कोशिश उसे किसी भी तरह के तनाव को दूर करने के लिए सहायक बन जाती है. व्यक्ति का झुकाव फिल्म, अभिनय, नृत्य और मनोरंजन सहित सभी प्रकार की कलाओं की ओर होता है. आत्मकारक शुक्र का प्रभाव व्यक्ति को कई बार बहुत जिद्दी भी बना सकता है. आत्मकारक शुक्र व्यक्ति को सामाजिक कार्यों और महिला संगठनों की सेवा करने की ओर प्रेरित करने वाला भी होता है. समाज में पिछड़ों की स्थिति को ऊपर उठाना इनके जीवन में शामिल होता है. अपने जीवनसाथी के प्रति इनमें सम्मान का भाव रहता है. आत्मकारक शुक्र चीजों को दूसरे नजरिए से देखने के लिए प्रोत्साहित भी करता है.
शुक्र अपनी वाणी और लेखन से अपना प्रभाव रखने वाले लोगों को लाभ पहुंचाता है. इन्हें जीवन में कई अनुभव होते हैं. मजबूत शुक्र वाले लोग स्वतंत्र विचारों वाले होते हैं और अन्य लोगों के साथ संबंध बनाए रखने से उन्हें कोई सरोकार नहीं रहता है. जीवन सुचारू रहता है अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर पाते हैं, लेकिन तभी जब वे किसी भी तरह के विवाहेतर संबंध में खुद को शामिल नहीं करते. कम्युनिकेशन स्किल बराबर रहता है बहुत आसानी से वित्तीय कार्यों, सफेदपोश अपराधों, स्टॉक एक्सचेंज निवेशों से निपट सकते हैं. आत्मकारक शुक्र बहुत अनुशासित, समय का पाबंद भी बना सकता है. एक अच्छा स्वास्थ्य भी इस के द्वारा प्राप्त होता है. शुक्र के आत्मकारक होने पर दिमाग बहुत तेज होता है और ये काफी परिपक्व बनाता है. सहज निर्णय लेने में सक्षम बनाता है.