चंद्रमा तेजी से बदलती प्रकृति का ग्रह है ओर इसका जीवन पर बहुत खास असर दिखाई देता है. चंद्रमा के साथ अन्य ग्रहों की युति इस तथ्य की ओर ले जाती है कि चंद्रमा व्यावहारिक रूप से कैसा अपना असर दालेगा इसके विपरित चंद्रमा यदि अकेले होगा तो इसका असर भिन्न होगा. कुंडली में चन्द्रमा पर पड़ने वाला अन्य ग्रहों एवं राशियों का प्रभाव महत्वपूर्ण होता है. चंद्रमा एक शुभ ग्रह है लेकिन इसकी प्रकृति तब कुछ बदल सकती है जब यह अपनी कमजोर स्थिति में होता है. जन्म कुंडली में चंद्रमा अक्सर पीड़ित या कमजोर हो सकता है.  जब कोई व्यक्ति पूर्णिमा  पूर्णिमा के करीब के दिनों में पैदा होता है. इसका अर्थ है कि व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा अधिक सामंजस्यपूर्ण और पूर्ण होगा लेकिन इसके विपरित चीजें उसे कुछ बदलाव देने वाली होती हैं. 

चंद्रमा मानस-कारक और मातृ-कारक है. किसी व्यक्ति के मन के सोचने का तरीका, भावुकता का सूचक भी चंद्रमा ही होता है, कुंडली में चंद्रमा कई कारणों से पीड़ित हो सकता है. मंगल, शनि और राहु-केतु के साथ इसकी पीड़ा रहती है. इसके अलावा भाव में इसकी स्थिति छठे भाव, आठवें भाव या बारहवें भाव में होने पर भी चंद्रमा कमजोर होता है. पाप ग्रहों के साथ चंद्रमा का संबंध भी चंद्रमा के स्वभाव को नष्ट कर देगा. निर्बल पीड़ा युक्त चंद्रमा जीवन को बर्बाद कर सकता है, यदि अगर हम इसके साथ काम करना नहीं सीखते हैं, इस तरह से अपनी समस्याओं का एहसास नहीं करते हैं, और स्थिति में सुधार करना शुरू नहीं करते हैं तो स्थिति अनियंत्रित ही रहेगी.  चंद्रमा के साथ कुंडली संबंधी समस्याएं हमारे जीवन के कई क्षेत्रों में परिलक्षित होती हैं. कुंडली में कमजोर या पीड़ित चंद्रमा अक्सर कई लोगों में होता है.  सामान्य तौर पर, प्रत्येक व्यक्ति के लिए, चंद्रमा का पीड़ित होना भय को दिखाता है, नियमित रूप से घबराहट और तनाव, गहरे अवसाद और लंबे समय तक उदासी को दिखाने वाला होता है. ऎसे में पीड़ित चंद्रमा की स्थिति कुडली के हर भाव पर अपना असर अलग रुप में दिखाने वाली होगी. 

प्रथम भाव में चंद्रमा के निर्बल होने का प्रभाव 

पहले भाव चंद्रमा यदि पिड़ा में होगा तो व्यक्ति अपने स्वतंत्र अतित्व को पहचान नहीं पाता है.व्यक्ति अधिक भावुक, संवेदनशील भी होगा लेकिन उसके स्वभाव की कठोरत उसे आंतरिक स्वरुप को देखने से रोक सकती है. अपनी इच्छाएं भावनाएं केंद्र में आ सकती हैं.अपने आप को लेकर कई तरह के भ्रम भी रह सकते हैं. चंद्रमा के पीड़ित होने पर उन्हें उसके साथ बहुत समस्याएं हो सकती हैं. स्त्री पक्ष के साथ सुख का कमी रह सकती है.  बहुत कल्पनाशील हो सकता है.स्वभाव में नकारात्मकता भी अधिक रह सकती है.  स्वभाव में बदलाव हो सकता है लेकिन चीजें काफी जिद और बेचैनी के साथ दिखाई दे सकती हैं. 

द्वितीय भाव में चंद्रमा के निर्बल होने का प्रभाव 

द्वितीय भाव में चंद्रमा का पिड़ा में होना वित्त, परिवार, खान-पान, वाणी को प्रभावित करने वाला होगा. परिवार से दूरी की संभावना अधिक रह सकती है. परिवार सबसे अहम पहलू रुप काम करता है. भावनात्मक रूप से व्यक्ति फैसले नहीं ले पाता है.  अपने परिवार से अधिक जुड़े होते हैं. अंतर्मुखी हो सकते हैं जिसके कारण मन में . दूसरा घर शिक्षा के बारे में भी बताता है ऎसे में चंद्रमा का निर्बल होना आरंभिक शिक्षा के लिए परेशानी भी दे सकता है. आराम की कमी रह सकती है, जीवन में माता का प्रभाव प्रबल रह सकता है लेकिन यह सुख की कमी को दर्शाता है.  धन के मामले में उतार-चढ़ाव रहेगा. लॉटरी जैसा अचानक और अप्रत्याशित धन के कारण परेशानी घाटा अधिक रह सकता है. गुप्त विद्याओं में रुचि हो सकती है. 

तीसरे घर में चंद्रमा के निर्बल होने का प्रभाव 

तीसरा भाव साहस, प्रयास, छोटी यात्रा, संचार आदि के बारे में होता है. अब चंद्रमा का प्रभाव लोगों के लिए इन चीजों को प्रभावित कर देने वाला होगा. बहुत आसानी से दोस्त बना लेंगे लेकिन रिश्ते लम्बे नहीं चल पाते हैं. राशि चक्र का तीसरा भाव मिथुन है, यह एक साथ कई काम करने के बारे में है. बहु-प्रतिभाशाली लोग होंगे लेकिन उन्हें यात्रा में परेशानी अधिक कर सकती है. यहां विचार बहुत स्वतंत्र रूप से प्रवाहित होते हैं ऎसे में विवाद भी अधिक रह सकता है. अपनों के सुख में कमी रहेगी भाई बहनों के साथ मतभेद या दूरी का अनुभव रह सकता है. बहुत भावुक होंगे और भौतिक संपत्ति की इच्छा रखेंगे जो नकारात्मक पक्ष को दर्शा सकता है.

चतुर्थ भाव में चंद्रमा के निर्बल होने का प्रभाव 

चौथा घर खुशी, घर के आराम, संपत्ति, मां आदि से संबंधित हो सकता है. निर्बल चंद्रमा के कारण इन चीजों का अभाव हो सकता है. किसी भी चीज में स्थिर नहीं रह पाते हैं. मन सदैव गतिमान रहता है और ऎसे में एकाग्रता की कमी होगी. एक साथ कई काम करना चाहेंगे लेकिन पूर्ण काम कर पाना मुश्किल होगा. इनका दिमाग कई बातों में डगमगाता है. करियर में भी इनके लिए सेटल होना मुश्किल होता है. अपने घर से दूर जाकर निवास करना पड़ सकता है. भावनात्मक रुप से दबाव अधिक रह सकता है. 

चंद्रमा का पंचम में निर्बल होने का प्रभाव 

निर्बल चंद्रमा का प्रभाव जीवन भर की कमजोर स्मृति का असर डाल सकता है. बचपन की एक दुखद याद सदैव जीवन पर असर डालती है. प्रेम में दुख या विच्छोह को झेलना पड़ सकता है.  असंतुलित भावनाएं और मानसिकता में एकाग्रता की कमी बनी रह सकती है. बार-बार अपना घर बदल सकते हैं या वे बहुत अधिक बदलाव में शामिल रह सकते हैं. काम काज में अस्थिरता रह सकती है. भावनाओं से अस्थिर रह सकते हैं. प्रेम की कमी का अनुभव हो सकता है. पेट एवं कफ संबंधित विकार अधिक रह सकते हैं. 

छठे भाव में चंद्रमा के निर्बल होने का प्रभाव 

छठा भाव सेवा, संघर्ष, रोग, ऋण, शत्रु आदि से संबंधित होता है ऎसे में यहां चंद्रमा अच्छे परिणाम नहीं दे पाता है. मन स्वयं संघर्ष से उलझा रहता है. स्वभाव में उतेजना अधिक रह सकती है.  चीजों को लेकर बहुत उत्साहित रह सकता है. भावनात्मक रूप से अशांत हो सकते हैं. उन्हें बहुत सी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. मानसिक स्थिति बहुत उतार-चढ़ाव वाली रह सकती है. माता के सुख की कमी रह सकती है जीवन में दूसरों के साथ विवादों का सामना करना पड़ सकता है. 

सप्तम भाव में चंद्रमा के निर्बल होने का प्रभाव 

यहां निर्बल चंद्रमा रिश्तों के लिए परेशानी दे सकता है. संघर्षों के साथ अपना जीवन व्यतीत करना पड़ सकता है. जीवन साथी के साथ परेशानी अधिक रहती है. एक से अधिक रिश्ते उलझाते हैं. अपनों का सहयोग कम मिल सकता है. बाहरी संपर्क की इच्छा अधिक रह सकती है. अपनों से दूर रहना पड़ सकता है.  दूसरों के प्रति बहुत सहानुभूतिपूर्ण होता है. दिखावे की स्थिति के चलते मानसिक अस्थिरता का प्रभाव पड़ता है. 

चंद्रमा आठवें भाव में चंद्रमा के निर्बल होने का प्रभाव

यह चंद्रमा के लिए सबसे खराब भाव हो सकता है, यहां मन और भावनाएं बहुत संवेदनशील और अस्थिर हो जाती हैं. विचार सदैव लगे रहते हैं जिसके कारण बुद्धि दबाव में हो सकती है, वे बहुत गुप्त हो सकते हैं, दूसरों पर भरोसा नहीं कर सकते हैं  किसी भी चीज से संतुष्ट नहीं हो पाते हैं. संतुष्टि का भाव कमजोर रह सकता है. यहां जीवन में रिश्तों के कारण सुख की कमी रह सकती है. प्रेम संबंधों की कमी परेशानी रह सकती है. गलत कार्यों में अधिक ध्यान आकर्षित रहता है. 

नवम भाव में चंद्रमा के निर्बल होने का प्रभाव

आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए स्थान अच्छा है लेकिन चंद्रमा के निर्बल होने के कारण स्थिति कमजोर हो जाती है. अपनों से कुछ अनबन भी हो सकती है. माता गुप्त स्वभाव की हो सकती है या उनके जीवन में बहुत संघर्ष और संघर्ष होंगे. उनके विचारों को समझना मुश्किल हो सकता है. रहस्यवाद, मनोगत विज्ञान की ओर ध्यान अधिक आकर्षित होगा. जीवन में यात्राएं अधिक रह सकती है. 

दशम भाव में चंद्रमा के निर्बल होने का प्रभाव

दशम भाव में निर्बल चंद्रमा का असर काम के लिए परेशानी देने वाला होगा. अस्थिर कार्यशैली होगी. लोगों के साथ संवाद करने की तीव्र लालसा भी अधिक रह सकती है. भौतिक सफलता प्राप्त होगी. सहकर्मियों से भावनात्मक रूप से जुड़े रहना परेशानी दे सकता है. कार्यक्षेत्र में इनके लिए मित्र बनाना आसान नहीं होता है. कार्यालय की राजनीति का भी सामना करना पड़ सकता है. चंद्रमा कमजोर होगा तो करियर में काफी उतार-चढ़ाव देने वाला होता है. एक स्थिर करियर की कमी जीवन को बर्बाद कर सकती है. 

एकादश भाव में चंद्रमा के निर्बल होने का प्रभाव

चंद्रमा के कारकत्व से संबंधित व्यवसाय से जुड़ने का मौका मिलेगा. समाज में उतार-चढ़ाव अधिक रह सकते हैं इच्छाएं अधिक रहती हैं जिनकी पूर्ति कर पाना मुश्किल लग सकता है. बड़े भाई या बहनों से भावनात्मक रूप से जुड़े हो सकते हैं लेकिन उनकी ओर से परेशानी रह सकती है. भाइयों की तुलना में अधिक बहनें होती हैं. बहुत भावुक और इच्छुक होते हैं भौतिक संपत्ति, प्रेम, सेक्स आदि के लिए तीव्र इच्छा भी रहती है. विपरीत लिंग के लिए बहुत आकर्षक लगते हैं और कभी-कभी स्वार्थी भी हो सकते हैं.

चंद्रमा के बारहवें भाव में निर्बल होने का प्रभाव
यहां चंद्रमा का निर्बल होना भावनाओं, संवेदनशीलता को खो देने जैसा होता है. व्यक्ति स्वभाव से कठोर लगता है. अलग-थलग महसूस कर सकता है. स्वार्थी हो सकता है. मानसिक रुप से असुरक्षा की भावना भी अधिक रह सकती है. चंद्रमा पर शुभ ग्रह की दृष्टि लाभदायी रहेगी. नहीं तो उनके लिए संतुलन बनाना मुश्किल होता है. अनिद्रा की शिकायत अधिक रह सकती है. संबंधों में अलगाव और असंतोष प्रकट होता है.