पुष्कर नवांश एक शुभ नवांश है जो जन्म कुंडली में आशाजनक ऊर्जा लाता है. बृहस्पति एक लाभकारी ग्रह है और सौभाग्य, ज्ञान और ज्ञान का कारक है. पुष्कर नवांश और बृहस्पति के योग के अलावा अन्य ग्रहों की स्थिति का योगदान इस नवांश के फलों के रुप में मिलता. यह समग्र व्यक्तित्व को बढ़ाने में भी सहायक हो सकता है. पुष्कर नवांश की स्थिति का प्रभाव अच्छे फलों को देने में सहायक होता है. यह पोषण और ऊर्जा को प्रदान करने वाला होता है.यह नवांश विशेष ऊर्जा है जो पोषण करती है. पुष्कर शब्द का उपयोग शुभता के लिए भी होता है.  

पुष्कर नवांश कथा और बृहस्पति का संबंध 

पुष्कर ज्योतिष में एक बहुत ही पवित्र शब्द है इस से संबंधितत कुछ कथा भी ज्योतिष में प्राप्त होती है. जिस्के अनुसार पुष्कर एक ब्राह्मण था उसने बहुत तपस्या की और उसे वरदान मिला कि वह हमेशा शिव के साथ रहेगा. शिव ने इस ब्राह्मण के लिए एक महान स्थान नियमित किया जो जल के रूप में था. बृहस्पति, जो देवों के गुरु हैं, जल चाहते थे क्योंकि मानव जाति को जल की जरूरत थी, लेकिन पुष्कर देव गुरु के साथ नहीं जाना चाहता था. ब्रह्मा ने पुष्कर के लिए एक सीमित समय के लिए बृहस्पति के साथ रहने की शर्त रखी. पुष्कर पहले बारह दिनों में बृहस्पति के साथ रहेगा जब बृहस्पति एक राशि में प्रवेश करता है और अंतिम बारह दिनों में जब वह इसे छोड़ देता है. बीच की अवधि के बाकी दिनों में, पुष्कर दोपहर में दो मुहूर्त की अवधि के लिए बृहस्पति के साथ रहेगा. एक मुहूर्त 48 मिनट का होता है, तब पुष्कर ब्रह्मा और ब्रहस्पति दोनों के साथ हो सकता है.

बृहस्पति एक राशि में एक वर्ष तक रहता है और सभी राशियों की यात्रा पूरी करने में उसे बारह वर्ष लगते हैं. बृहस्पति सहित पुष्कर जब किसी राशि में प्रवेश करता है तो उसे आदिपुष्कर कहते हैं और जब बृहस्पति राशि को छोड़ते हैं तो उस पुष्कर को अंत्य पुष्कर कहते हैं. बाकी दिनों में पुष्कर 2 मुहूर्त बृहस्पति के पास रहता है और इस समय में जब लोग स्नान करते हैं तो उन्हें आशीर्वाद मिलता है और उनके पाप धुल जाते हैं. यह हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार है  पुष्कर का अर्थ है जो कुछ पोषण करता है. यह ज्योतिष में एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है पुष्कर शब्द का अर्थ है पोषण करने वाली ऊर्जा. यह बृहस्पति के साथ पुष्कर का संबंध रहा है किंतु इसे अतिरिक्त शुक्र, बुध भी इसके साथ विशेष रुप से संबंध बनाते हैं. 

पुष्कर नवांश और इसका प्रभाव 

पुष्कर नवांश ग्रह वह ग्रह है जिसकी स्थिति कुंडली में सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है. अस्त ग्रह को छोड़कर पुष्कर नवांश में ग्रह बहुत शुभ फल देने में सक्षम होता है.  ग्रह जब शुभ स्थिति में होता है तो बहुत अच्छा होता है, चाहे वह योगकारक हो, कारक ग्रह हो या कुंडली में कोई अन्य स्थिति में हो. पुष्कर नवमांश ग्रह की सबसे अच्छी विशेषताओं में से एक यह है कि यह पीड़ित है, जब यह शत्रु राशि में है, जब यह नीच राशि में है. यह तब भी शुभ फल देने में सहायक बनता है. यदि पुष्कर नवांश में बैठा ग्रह बलवान हो गया है या कोई राजयोग, शुभ योग बना रहा है तो काफी बेहतरीन परिणाम देने में सहायक माना गया है. 

कुंडली में पुष्कर नवांश में एक या एक से अधिक ग्रह एक साथ होते हैं. पुष्कर नवांश में जितने अधिक ग्रह होंगे, कुंडली उतनी ही अधिक बलशाली होगी. अब ऐसी स्थिति आती है कि कोई ग्रह पुष्कर नवांश में है, लेकिन उस ग्रह की स्थिति सही नहीं है, जैसे मकर लग्न में सूर्य अष्टम भाव में उच्च का होकर चतुर्थ भाव केंद्र में उच्च का होकर पुष्कर नवांश में होता है, तो यहां सूर्य कुछ दुखद स्थितियों के साथ भी शुभ फल देने में भी सहायक बनेगा. पहले इसके खराब फल मिलेंगे लेकिन बाद में शुभ फल भी प्राप्त हो सकेंगे. अष्टमेश होकर चतुर्थ भाव के केंद्र में विराजमान पुष्कर नवांश में बैठे ग्रह किस भाव के स्वामी के साथ क्या योग बना रहे हैं, यह स्थिति भी जिस भाव का स्वामी बैठा हो उसके लिए सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है. पुष्कर नवांश ग्रह के साथ बैठा हो जैसे पुष्कर नवांश नवांश में हो और पुष्कर सप्तमेश के साथ सप्तम भाव में बैठा हो तो इसका शुभ प्रभाव वैवाहिक जीवन पर भी अच्छा रह सकता है. ऐसी स्थिति में शुभ ग्रह बृहस्पति, शुक्र, बुध, चंद्र, तो स्थिति बेहतर मानी जाती है.

कोई ग्रह राशियों के अनुसार पुष्कर नवमांश में विराजमान है. इसमें अग्नि तत्व जिसमें मेष, सिंह, धनु, पृथ्वी तत्व शामिल है, इसके अलावा वृष, कन्या, मकर पथ्वी तत्व शामिल हैं, इसी प्रकार कर्क, वृश्चिक, मीन कुम्भ, जल तत्व की राशियां भी हैं.कोई भी ग्रह जब अग्नि तत्व राशि मेष सिंह धनु राशि में 20 अंश से 23 अंश 20 अंश का होगा तो नवांश कुण्डली में वह ग्रह तुला राशि का होगा, ऐसे एक ग्रह पुष्कर नवांश में होगा.

इसी प्रकार जब कोई ग्रह पृथ्वी तत्व राशि वृष कन्या मकर में 6 डिग्री 40 डिग्री से 10 डिग्री के बीच होगा तो ऐसा ग्रह नवमांश कुंडली में वृष राशि में होगा जो पुष्कर नवांश में होगा.जब कोई ग्रह अंदर होगा वायु तत्व राशि मिथुन तुला कुम्भ 16 अंश 40 अंश यदि 20 अंश से 20 अंश हो तो ऐसा ग्रह नवमांश कुण्डली में मीन राशि में होगा अर्थात पुष्कर नवांश में होगा. अब जब कोई ग्रह 0 अंश से 0 अंश में होगा 3 डिग्री 20 डिग्री जल तत्व कर्क, वृश्चिक, मीन राशि में हो तो ऐसा ग्रह नवमांश कुंडली में कर्क राशि में होगा और ये जल तत्व राशि में 6 डिग्री 40 कला और 10 डिग्री के बीच में हो तो ऐसा ग्रह होगा नवमांश कुंडली में कन्या राशि का होगा, जो पुष्कर नवांश में होगा. इस प्रकार जब कोई ग्रह पुष्कर नवांश पर एक निश्चित डिग्री और एक निश्चित डिग्री के बीच होता है. वे आते हैं.

पुष्कर नवांश का योगकारी प्रभाव

पुष्कर नवांश ग्रह कोई भी राजयोग, धनयोग, विपरीत राजयोग या अन्य कोई शुभ योग बनाते हैं तो उनकी स्थिति काफी बेहतर हो जाती है. प्रबल योगकारक होने के कारण यह सफलता, उन्नति, उत्तम जीवन स्तर प्रदान करता है. अब शुक्र पुष्कर नवांश में होगा ऐसी स्थिति में शुक्र की दशा और सदा अनुकूल फल देने में सहायक होगी.  यदि ऐसे में शुक्र किसी अन्य प्रकार से राजयोग बनाता है या धन योग बनाता है, शुभता में वृद्धि का कारण बनता है. मकर लग्न में शुक्र की प्रधानता शुभ है, अभी शुक्र पुष्कर नवांश में बैठा है तो उसके फल बहुत अच्छे मिलेंगे, यदि शुक्र अन्य ग्रहों के साथ बैठकर कोई राजयोग बनाता है तो उसके शुभ फल कई गुना बढ़ जाते हैं. नीच राशि में हो, शत्रु राशि में हो या पाप ग्रहों के प्रभाव में हो या कमजोर दिख रहा हो तो भी यह फल देगा.