चंद्रमा के साथ गुरु का होना एक अनुकूल स्थिति का निर्देश देने वाला सिद्धांत है. यह दोनों ग्रह बेहद शुभ माने जाते हैं. चंद्रमा एक शीतल प्रधान ग्रह है वहीं गुरु शुभता प्रदान करने वाला ग्रह है. इन दोनों के मध्य भी आपसी संबंधों का रुप मित्र स्वरुप होता है. यह दोनों ग्रह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ते चले जाते हैं. चंद्रमा जहां हमारी भावनाओं को दिखाता है वहीं बृहस्पति हमारे ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है.
आईये जानते हैं कि चंद्रमा और बृहस्पति का एक साथ किसी भाव में होना किसी तरह के प्रभाव देने वाला हो सकता है :-
कुंडली के प्रथम भाव में चंद्रमा और गुरु की युति
जब पहले भाव में चंद्रमा और गुरु साथ होते हैं तब यह एक कोमल और अड़िग व्यकित्व को दर्शाने वाला होता है. प्रथम भाव में चंद्रमा और गुरु का होना व्यक्ति की अभिव्यक्ति में उदारता के साथ साथ ज्ञान के उच्च स्तर को दर्शाने वाला होता है. व्यक्ति को यह योग एक प्रमुख व्यक्तित्व को प्रदान करने वाला था. व्यक्ति अपने काम में अग्रीण होता है. परिवार में सर्वोप्रमुख बनकर उभरता है. अपनी योग्यता के द्वारा वह जीवन में उच्च पदों को पाने में भी सक्षम होता है.
कुंडली के दूसरे भाव में चंद्रमा और गुरु योग
द्वितीय भाव में चंद्रमा और गुरु का योग काफी अच्छे असर दिखाता है. व्यक्ति अपने जीवन के आरंभिक दौर का अच्छा समय देखता है. व्यक्ति उच्च कुल में जन्म लेता है, वाणी का प्रभाव काफी महत्वपूर्ण होता है. यह स्थिति व्यक्ति को बेहतरीन वक्ता बनाने वाली होती है. धन की कभी कमी नहीं होती है, ऐसे व्यक्ति की बात ध्यान से सुनी जाती है. लोगों को बदल देने वाला और मार्गदर्शक बनता है. व्यक्ति कथा वाचक और बड़े-बड़े लोगों के साथ उठता बैठता है.
कुंडली के तीसरे भाव में चंद्रमा और गुरु योग
तीसरे भाव में चंद्रमा और गुरु का योग व्यक्ति को उच्च पद दिलाने में भी सहायक होता है. व्यक्ति अपनी मेहनत और अपनी प्रतिभा को पाने में सफल होता है. भाई-बहनों का सुख भी प्राप्त होता है. उच्च पद की प्राप्ति हो सकती है. शक्तिशाली और सम्मानित स्थान प्राप्त होता है. नाम और यश की प्राप्ति होती है. व्यक्ति अपने जीवन में काफी व्यस्तता भी पाता है, व्यक्ति अपने दम पर नाम कमाता है. सामाजिक प्रतिष्ठा को पाता है.
कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा और गुरु योग
चतुर्थ भाव में चंद्रमा और बृहस्पति का प्रभाव व्यक्ति को माता से अत्यधिक प्यार और लाभ दिलाने वाला होता है. भूमि व वाहन का सुख मिलता है. परिवार का प्रेम और सहयोग भी इस के द्वारा प्राप्त होता है. जीवन के कुछ अनुभव काफी अग्रीण भूमिका निभाने वाले होते हैं. स्त्री पक्ष के सहयोग से व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ता है, चल अचल संपत्ति का प्रबल लाभ मिलता है,
कुंडली के पंचम भाव में चंद्रमा और गुरु योग
पंचम भाव में चंद्रमा और गुरु का योग व्यक्ति को ज्ञान और धन देता है, व्यक्ति बुद्धिमान होता है, इस दौरान व्यक्ति एक अच्छा स्कूल शिक्षक या वैज्ञानिक हो सकता है, व्यक्ति उच्चकोटि का लेखक भी बन सकता है, व्यक्ति को पूर्ण संतान का सुख प्राप्त होता है तथा संतान के उच्च पद पर होने के योग भी बनते हैं, व्यक्ति अपनी बुद्धि, विवेक और विद्या के बल पर जीवन में नाम कमाता है,
कुंडली के छठे भाव में चंद्रमा और गुरु योग
छठे भाव में चंद्रमा और गुरु का योग थोड़ा कमजोर परिणाम देने वाला होता है. छठे भाव में गुरु शत्रु हो जाता है, शत्रु दबे रहते हैं साथ ही चंद्रमा मन और माता के लिए अच्छा नहीं होता है. यह स्थिति व्यक्ति को मानसिक रुप से बेचैन बना सकती है. उच्च पद प्राप्ति में कमी होती है. स्वास्थ्य खराब रहता है, यह भाव काफी कठोर स्थान होता है इस कारण यह दो कोमल ग्रह अपनी शक्तियों एवं गुणों को भरपूर रुप से दिखा नहीं पाते हैं. इसमें शुभ ग्रह बृहस्पति और चंद्रमा की स्थिति बहुत अच्छी नहीं रह पाती है.
कुंडली के सातवें भाव में चंद्रमा और गुरु योग
सप्तम भाव में चंद्रमा और गुरु का योग व्यक्ति को एक अच्छा जीवनसाथी देने में सहायक बनता है. वैवाहिक जीवन में साथी उच्च पद पर आसीन होता है. विवाह का सुख अनुकूल रहता है, जीवन साथी उच्च विचार वाला होता है. व्यक्ति को समाज में विशेष मान-सम्मान मिलता है. सामाजिक रुप से उच्च पद प्राप्ति एवं मान सम्मान भी प्राप्त होता है. वैवाहिक जीवन में भी प्रबल सुख मिलता है,
कुंडली के आठवें भाव में चंद्रमा और गुरु योग
अष्टम भाव में चंद्रमा और गुरु का योग व्यक्ति को गुप्त विद्याओं की ओर ले जाने वाला होता है. इसमें बड़े-बड़े तांत्रिक और साधु-संतों का व्यक्ति को सहयोग मिल सकता है. व्यक्ति की सोच आध्यात्मिक होती है. इस दौरान यह व्यक्ति को अप्रत्याशित धन प्रदान करता है और छिपे हुए धन की ओर भी इशारा करता है. जीवन में परेशानियां भी आती रहती हैं विशेष रुप से स्वास्थ्य को लेकर थोड़ा अधिक सजग रहना होता है और मानसिक रुप से मजबूती चाहिए होती है.
कुंडली के नवें भाव में चंद्रमा और गुरु योग
वम भाव में चंद्रमा और गुरु का योग व्यक्ति को कर्म से अधिक भाग्य का सुख प्रदान करता है. गुरु और चंद्रमा इस भाग्य स्थान में धार्मिक गुणों को प्रदान करने वाले होते हैं. व्यक्ति भाग्यशाली होता है और आध्यात्मिक रुप से भी उसका रुझान अधिक रह सकता है. व्यक्ति धार्मिक होता है और समाज में अच्छा काम करता है, समाज के लिए परोपकारी कार्य करने से इन्हें जीवन में मान-सम्मान और धन की प्राप्ति होती है.
कुंडली के दसवें भाव में चंद्रमा और गुरु योग
दशम भाव में चंद्रमा और गुरु का योग व्यक्ति को उच्च पद प्रदान करने में सहायक होता है. व्यक्ति भाग्य से अधिक कर्म को महत्व देता है, उसे समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है, दशम भाव व्यवसाय का भी भाव है, व्यक्ति अपने करियर में ऊंचाइयों तक पहुंचता है,
कुंडली के ग्यारहवें भाव में चंद्रमा और गुरु योग
एकादश भाव में चंद्रमा और गुरु का योग व्यक्ति को आय के एक से अधिक स्रोत देता है, व्यक्ति को कई तरह से आय प्राप्त होती है, यह कम मेहनत में अधिक धन प्राप्ति का संकेत है, ऐसा व्यक्ति घर बैठे धन अर्जन करता है, व्यक्ति को एक से अधिक माध्यमों से धन प्राप्ति की संभावना बनती है. ब्याज पर धन देकर धन कमा सकते हैं और
कुंडली के बारहवें भाव में चंद्रमा और गुरु योग
एकादश भाव में चंद्रमा और गुरु का योग व्यक्ति को कमजोर प्रभाव देने वाला होता है. है, जो व्यक्ति घर से दूर धार्मिक कार्यों पर धन खर्च करता है वह सफलता का सूचक होता है, इस दौरान व्यक्ति जन्म स्थान से दूर रहकर ही तरक्की हासिल कर सकता है, धर्म और कर्म के कार्यों में व्यक्ति का नेतृत्व करता है,