शुक्र ग्रह को ज्योतिष में प्रेम जीवन, रोमांस, मनोरंजन, संगीत और नृत्य से जोड़ा गया है. कुंडली में शुक्र जीवन में अंतरंगता, यौन सुख और विलासितापूर्ण सुख-सुविधाओं का आंकलन करता है. यदि शुक्र एक अशुभ ग्रह से जुड़ा है या यह कमजोर है, तो शारीरिक आकर्षण की कमी हो सकती है या असफल वैवाहिक जीवन हो सकता है. इसके अलावा, शुक्र ग्रह शुभ हो तो फिर क्या कहने जीवन का आकर्षण अलग ही रुप में देखने को मिलता है.
शुक्र ग्रह की विशेषता अन्य ग्रहों से कैसे होती है प्रभावित
शुक्र का संबंध सभी ग्रहों के साथ कुछ भिन्नता लिए होता है. यदि शुक्र के साथ शनि का संबंध होना या फिर बुध के साथ संबंध होना एक सकारात्मक लक्षण को दर्शाता है यह शुभ रुप से काम करने वाला योग होता है. वहीं शत्रुता की स्थिति की बात करें तो शुक्र का सूर्य के साथ होना, चंद्रमा के साथ होना या केतु के साथ होना राहु के साथ होना नकारात्मक रुप से अपना असर दिखाता है. इसके अलावा सम रुप से शुक्र का असर बृहस्पति और मंगल के साथ बना रहता है. इस प्रकार शुक्र जब अकेला नहीं होता है और ग्रहों के साथ युति योग दृष्टि योग या अन्य प्रकार से संबंध बनाता है तब शुभ और अशुभ फल ग्रहों के प्रभाव स्वरुप व्यक्ति को प्राप्त होते हैं.
यदि शुक्र अपने मित्रों जैसे शनि या बुध के साथ स्थित है, तो यह आपको एक रोमाम्चक, उत्सुकता पूर्ण, रोमांटिक और सामंजस्यपूर्ण संबंध का आशीर्वाद दे सकता है. अपने प्रियजन के साथ-साथ अपने बच्चों के साथ भी अच्छा समय बिता सकते हैं. वहीं, अगर प्रेम के देवता अपने शत्रुओं, सूर्य या चंद्रमा के साथ हैं तो चीजें समान नहीं रह सकती हैं. आइए इसके मित्रों और शत्रुओं के ग्रहों के साथ इसके संबंध के बारे में समझने की कोशिश करें :-
शुक्र का सूर्य से प्रभावित होना
शुक्र का असर जल तत्व युक्त, भावनाओं की कोमलता से होता है. यहां जब वह अग्नि तत्व युक्त सूर्य के साथ होता है तब स्थितियां काफी विरोधाभास में दिखाई दे सकती हैं. सूर्य की कठोरता का असर प्रेम के इस ग्रह पर भी पड़ता है. सूर्य के साथ होने पर यह अपना असर जीवन में मिश्रित परिणाम से देने वाला होता है. सरल स्वभाव और आकर्षक व्यक्तित्व के धनी हो सकते हैं. लेकिन, आपके अपने क़रीबी लोगों के साथ अहम को लेकर टकराव होने की संभावना भी रहती है. इस योग में सूर्य यदि अधिक बली है तब शुक्र के फल मिलने में बाधा आती है. शुक्र की कोमलता आकर्षण प्रेम एवं लगाव जैसी चीजों की कमी का असर जीवन को प्रभावित करने वाला होता है. इन दोनों ग्रहों का साथ होना यौन संबंधों की कमी के साथ संतान प्राप्ति में परेशानी भी दे सकता है.
शुक्र का चंद्रमा से प्रभावित होना
शुक्र की भावनतमक उर्जा जब मानसिकता से मिलती है तो यह विस्तार को पाती है. चंद्रमा के साथ शुक्र का होना प्रेम ओर कोमलता को पाने में संभव होता है लेकिन इच्छाओं की अधिकता को रोक पाना मुश्किल होता है. यह दोनों ग्रह काफी शुभ ग्रहों के रुप में जाने जाते हैं दोनों की प्रवृत्ति में शीतलता का गुण भी होता है. नमी एवं जल से संबंधित होते हैं. ऎसे में व्यक्ति के भीतर इनका असर भावनाओं के उतार-चढ़ाव के रुप में भी देखने को मिलता है. सौहार्दपूर्ण माहौल को बढ़ाने में मदद करने वाला योग भी है यह. साथ ही जीवन में रोमांस और प्यार की कमी नहीं रहने देता है, लेकिन अतृप्त इच्छाओं के कारण लगातार बदलाव एवं दौड़ लगी रह सकती है. कुंडली में यह योग है उन्हें अपने शब्दों पर संयम रखने की बात को दर्शाता है क्योंकि अपनी भावनाओं पर कंट्रोल कर पाना इस युति योग में मुश्किल दिखाई देता है. व्यर्थ की इच्छाओं को छोड़ना उचित होता है अन्यथा कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है.
शुक्र का शनि से प्रभावित होना
शुक्र का संबंध जब शनि के साथ बनता है तो यहां ऊर्जाएं आपसे में टकराती हैं क्योंकि एक में नमी है तो दूसरे में शुष्कता का भाव है. यह रिश्तों में विवाह रोमांस की कमी या देरी को दर्शाने वाला हो सकता है. वैसे दोनों ग्रह एक-दूसरे के मित्र हैं, लेकिन यह युति ज्यादा मदद नहीं करती है क्योंकि गुण एवं प्रकृति में काफी भेद होता है. दोनों आपके जीवन में खुशियां और प्यार फैलाने में मदद करते हैं लेकिन इसमें वृद्धि के संकेत कम ही देता है.
शुक्र का बुध से प्रभावित होना
शुक्र का योग जब बुध के संपर्क में होता है तो यह उत्साह के साथ उतावलापन देने वाला हो सकता है. व्यक्ति अति आत्मविश्वासी और अहंकारी भी हो सकता है. बुद्धिमान और नई चीजों को बेहतर रुप से कर पाने में कुशलता प्रदान करता है. मौखिक और गैर-मौखिक संचार में सुधार देता है. लोगों के मध्य प्रसिद्धि दिलाने वाला होता है. कुछ कलात्मक गुण व्यक्ति के भीतर काफी बेहतर होते हैं.
शुक्र का गुरु से प्रभावित होना
शुक्र और बृहस्पति का एक साथ होना काफी विशेष बन जाता है क्योंकि दोनों एक समान रुप से शुभ ग्रह हैं और दोनों ही ज्ञान को प्रदान करने वाले भी हैं. इसका असर उदारता और सद्भाव का गुण व्यक्ति में प्रदान करने वाला होता है. यह व्यक्ति को बौद्धिकता के साथ नवीनता के प्रति सजग बनाता है. आरामदायक और शानदार जीवन प्रदान करता है. शुक्र-बृहस्पति की युति आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत करने के निर्देश देने वाली होती है.
शुक्र का मंगल से प्रभावित होना
शुक्र के साथ मंगल का संपर्क कुछ रोमाम्चकारी और कामुकता का असर दिखाने वाला गुण इंगित करता है. यहां भावनाएं प्रेम को लेकर अधिक व्याकुल दिखाई दे सकती हैं. प्रेमी होंगे तो भावनात्मक रुप से कामुकता में भी परिपूर्ण होंगे. यौन संबंधों का आकर्षण भी विशेष होगा. मंगल की आक्रामकता रिश्तों में भटकाव देने वाली बन जाती है इसलिए जरूरी है की रिश्ते में बहुत अधिक मांग से बचा जाए. हिंसा या शारीरिक शोषण में लिप्त होने का संकेत भी इस योग में देखने को मिल सकता है.
शुक्र का केतु से प्रभावित होना
शुक्र का केतु के साथ होना संतोषजनक नहीं रह पाता है. इसका मुख्य कारन इन दोनों ग्रहों के गुण हैं. एक प्रेम का ग्रह है तो दूसरा विरक्ति का. ऎसे में जब दोनों एक साथ होते हैं तो चीजें एक दूसरे को पीछे धकेलती दिखाई दे सकती है. व्यक्ति अपने रिश्ते के लक्ष्यों को पूरा कर पाने में बहुत अधिक सफल नहीं रह पाता है.