"दुर्भक्षं जायते घोरं राज्ञां दुर्ममिजं भयम् ।
बालाहानिश्च रोगेभ्यो नले ज्ञेया समन्तत: ।।"
02 अप्रैल 2022 को नव विक्रम संवत का आरंभ होगा. 2079 का नव संवत्सर “नल” नाम से पुकारा और जाना जाएगा. इस वर्ष संवत के राजा शनि होंगे और मंत्री भी गुरु ही होंगे. नल नामक संवत के प्रभाव से वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि की संभावना होगी. किसी प्रकार का दुर्भिक्ष अथवा अकाल जन्य परिस्थितियों का होना वस्तु मूल्य वृद्धि का मुख्य कारण बन सकता है. सरकार एवं राज्यों की नितियों का प्रभाव जनत अको त्रस्त कर सकता है. दोषपूर्ण कार्यों द्वारा जनता की सरकार से तनाव की स्थिति भी उत्पन्न होगी.
सम्वत राजा "शनि"
इस वर्ष संवत का शनि होगा. शनि के प्रभाव से ये समय न्याय एवं कठोरता की स्थिति को दर्शाने वला होगा. उपद्रव युद्ध दंगों की स्थिति देश को प्रभवैत करने वाली होगी. इस समय के दौरान विद्रोह की स्थितियां अधिक प्रभाव डाल सकती हैं. मौसम में अचानक से होने वाले बदलाव बिना मोसम के बारिश की स्थिति खराब हो सकती है.विभिन्न प्रकार के रोगों का प्रकोप भी इस असर डाल सकता है. अतंकी और सांप्रदायिक गतिविधियों का माहौल बनता दिखाई देगा. कुछ स्थानों से लोगों के पलायन का भी देखने को मिल सकता है.
सम्वत मंत्री "बृहस्पति(गुरु)"
इस वर्ष मंत्री बृहस्पति हैं. मंत्री की स्थिति अनुकूल होने से अनाज खाद्यानों का उत्पादन अनुकूल हो सकता है. वर्षा भी अच्छी मात्रा में हो सकती है. सरकार की ओर से कुछ लोक कल्याण के कार्यों को किया जाएगा. इस के साथ ही विकास से जुड़ी योजनाओं को सामने लाया जाएगा. प्रशासन की नीतियों का कुछ सकारात्मक प्रभाव भी जनता को आशावादी बनाएगा जिसके चलते सरकार को सहयोग मिलेगा. व्यापारियों को अच्छे लाभ मिल सकते हैं. स्वर्ण, हल्दी पीली वस्तुओं से जुड़े कारोबार में अच्छा मुनाफा हो सकता है.
सस्येश (फसलों) का स्वामी "शनि"
इस समय सस्येश शनि के होने से कृषी पर असर दिखाई देगा. परेशानी अधिक रह सकती है सरकार के कठोर नियमों और नितियों के कारण किसान और उनकी कृषि की पैदावार भी प्रभावित होगी. मौसम का प्रकोप फसलों को नष्ट या खराब करने वाला होगा. जौ, चना, मक्का से संबंधित फसलों को हानि पहुंच सकती है तथा इनके मूल्यों में भी तेजी से वृद्धि का प्रभाव दिखाई देगा. लोगों के मध्य वृथा के विवाद अधिक रहेंगे तथा कानूनी मसलों से अधिक प्रभावित रह सकते हैं.
मेघश "बुध" का प्रभाव
मेघेश यानी के वर्षा का स्वामी. इस वर्ष बुध को मेघेश का स्थान प्राप्त हो रहा है. बुध के प्रभाव से अनुकूल वर्षा की स्थिति देखने को मिल सकती है. वर्षा अच्छी हो सकती है. गेहूं, जौ, धान्य पशुओं का चारा महंगा हो सकता है. दूध तथा गुड़ इत्यादि पदार्थों की उपलब्धता अच्छी रह सकती है.
धान्येश 'शुक्र" का प्रभाव
धान्येश अर्थात अनाज और धान्य जो हैं उनके स्वामी शुक्र होंगे. शुक्र के प्रभाव से शीतकालीन फसलों का उत्पादन कुछ प्रभावित रह सकता है. प्राकृति क प्रकोपों व असामयिक बरसात के कारण फसलों के खराब होने की संभावना भी अधिक दिखाई दे सकती है. उड़द, चना, मूंग अथवअ न्य दालें, इलायची, काली मिर्च, लौंग हल्दी मसालों के भाव में वृद्धि दिखाई दे सकती है. क्चुह स्थानों पर अच्छी बरसात सही समय पर न हो पाने के कारण भी फसलों में कमी देखने को मिल सकती है. दूध, घी तथा रसों में महंगाई देखने को मिल सकती है.
रसेश "चंद्र" का प्रभाव
रसों का अधिकारी चंद्र बनेंगे. चंद्र के प्रभाव से अच्छी स्थिति दिखाई देगी. भौतिक सुख और रुप आकर्षण के प्रति रुझान अधिक रह सकते हैं. विलासितामय जीवन को व्यतीत करने का सुख मिलेगा. लोग अपने मनोभावों को प्रकट करना चाहेंगे. दिखावा और बनावटीपन भी देखने को मिल सकता है. ईख, गुड़ तेल, रसदार पदार्थों की अच्छी पैदावार अच्छी रह सकती है. लोगों में धन-धान्य ऎश्वर्य की प्राप्ति का उपभोग हो सकता है.
नीरसेश "शनि" का प्रभाव
नीरसेश अर्थात ठोस धातुओं का स्वामी. इनका स्वामी "शनि" है. शनि के प्रभाव से धातुओं में स्तील, लौह से निर्मित कलपुर्जे, कोयला, काले वर्ण की वस्तुओं में तेजी दिखाई देती है. पैतृोल, डीजल, तेल, फरनैस आयल, औद्योगिकी मशीनरी इत्यादि वस्तुएं, काले ऊनी वस्त्र, गर्म मसाले इत्यादि वस्तुओं के भाव विशेष तेजी देखने को मिल सकती है.
फलेश "मंगल" का प्रभाव
फलेश अर्थात फलों का स्वामी. फलेश मंगल के प्रभाव से वृक्ष, फल फूलों, वनस्पतियों, औषधियों की पैदावार कम रह सकती है. कई प्रकार के रोग भी फसलों पर पड़ सकता है. जनता किलिष्ट कारणों से परेशान रह सकती है. प्रशासकों में संघर्ष तनाव और युद्ध का भय भी व्याप्त रह सकता है.
धनेश "शनि" का प्रभाव
धनेश अर्थात धन का स्वामी राज्य के कोश का स्वामी. धनेश शनि के होने से यह समय आर्थिक क्षेत्र में थोड़ा परेशानी दे सकता है. इस समय पर कारोबार में आर्थिक स्थिति कमजोर दिखाई देगी. व्यापारी वर्ग को क्रय विक्रय करते समय में सावधानी बना कर रखें. विद्वान, शिक्षित तथा ब्राह्मण लोग दुष्ट लोगों के व्यवहार एवं आलोचना के कारण व्यथित हो सकते हैं.
दुर्गेश ‘बुध” का प्रभाव
दुर्गेश अर्थात सेना का स्वामी. बुध के दुर्गेश होने से जनता जो समय एवं विषम प्रकार की स्थिति को प्रभवैत कर सकती है. इस समय पर अच्छी-बुरी दोनों प्रकार की परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है. सामान्य भौतिक सुखों का उपभोग करेंगे. साधन संपन्न लोगों एवं व्यापारी वर्ग को सामाजिक तथा सरकारी तंत्र की ओर से किसी प्रकार का भय न होगा. सीमा पर तनाव की स्थिति अधिक परेशान रह सकती है.