आर्थिक संकट जब कर्ज के रुप में आता है तो बहुत बड़ी समस्या होता है. जीवन में होने वाले घाटे और कर्ज के लिए कुंडली के कुछ भाव और ग्रह विशेष रुप से जिम्मेदार होते हैं. कर्ज की स्थिति किसी भी रुप में बन सकती है. तंगी के पीछे कोई भी कारण हो सकता है. कुछ लोगों को यह जन्म से ही होता है तो कुछ के साथ यह एक खास समय पर होने वाली गंभीर घटना भी होती है. 

कुंडली में कर्ज के योगों से मुक्ति के लिए ज्योतिष परामर्श : - https://astrobix.com/discuss/index

जीवन में आर्थिक स्थिति को लेकर हर कोई किसी न किसी तरह से प्रयास करता नजर आता है. आर्थिक उन्नति की चाहत हर किसी के अंदर मौजूद होती है. लेकिन हर किसी को एक जैसी स्थिति महसूस नहीं होती. कहीं न कहीं पैसों की कमी इतनी ज्यादा रहती है कि व्यक्ति कर्ज लेने पर मजबूर हो जाता है. 

वहीं दूसरी ओर अगर वह कर्ज लेता है तो भी वह उसे चुकाने में सक्षम होता है. लेकिन कुछ मामलों में कर्ज से छुटकारा पाना नामुमकिन होता है. कभी-कभी यह स्थिति पीढ़ियों पर भी अपना प्रभाव छोड़ने वाली होती है.

कुंडली में पाप ग्रहों का प्रभाव देता है कर्ज की परेशानी 

बहुत से लोग जन्म कुंडली के पाप ग्रहों के प्रभाव से कर्ज को पाते हैं. वहीं शुभ ग्रहों के द्वारा सकारात्मक सुख पाते हैं कर्ज से मुक्ति मिलती है. मंगल, शनि, राहु केतु जैसे नकारात्मक ग्रहों के कारण निराशा हाथ लगती है. इसके अलावा कुंडली में बनने वाले योग भी आपके भविष्य का परिणाम होते हैं. 

कुंडली में शुभ योग धन लाभ के संकेत देते हैं 

नकारात्मक ग्रह वर्तमान जीवन में समस्या देते हैं लेकिन सुधार के अवसर भी देते हैं जो पहले नहीं हो सका. कुंडली के दूसरे, नौवें, दसवें और ग्यारहवें घर में कुछ अच्छे ग्रहों की युति आर्थिक लाभ देती है. सबसे पहले ग्रह और भाव पर ध्यान देना जरूरी है, साथ ही धन हानि संबंधी योगों पर भी नजर रखना जरूरी है. कुंडली में बनने वाले धन लक्ष्मी योग से व्यक्ति को आर्थिक उन्नति भी मिलती है.

कुंडली में कर्ज के भाव और उनका फल 

जिस घर पर कर्ज का पता चलता है, वह घर धन प्राप्ति में बाधा बनता है. धन भाव का छठे भाव या बारहवें भाव से संबंध भी आर्थिक स्थिति को कमजोर करता है. कुंडली का दूसरा भाव व्यक्ति की आर्थिक स्थिति और धन संचय करने की क्षमता को दर्शाता है. इससे पता चलता है कि जीवन में कितना धन एकत्रित होगा. 

लग्न कुंडली का वह स्थान है जो व्यक्ति की योग्यता से धन अर्जन को दर्शाता है. इसके अलावा धन और लाभ की स्थिति भी धन को दर्शाती है. इस प्रकार यदि किसी कुंडली में द्वितीय भाव, द्वितीयेश और कारक बृहस्पति मजबूत स्थिति में हों तो यह भाव जातक को आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है. लेकिन यदि यह भाव कमजोर हो तो स्वाभाविक रूप से व्यक्ति को आर्थिक हानि का सामना करना पड़ता है.

कर्ज का भाव और उससे मुक्ति के उपाय

कुंडली में छठा भाव कर्ज की स्थिति के लिए विशेष रुप से जिम्मेदार होता है. इस भाव को ऋण का स्थान भी कहा जाता है. 

यह कर्ज व्यक्ति पर किसी भी रुप में हो सकता है. कई बार यह ऋण पैतृक रुप से दिखाई देता है तो कई बार इस कर्ज की मुक्ति भी संभव हो सकती है. 

कर्ज किस रुप में हमें प्राप्त होता है उसके लिए जरूरी है की यह देखा जाए कि इस भाव से किन ग्रहों का संबंध बनता है और इस भाव का स्वामी किन किन स्थानों को प्रभावित कर रहा होता है. 

कुंडली में मौजूद ऋण का स्थान व्यक्ति के कर्ज की स्थिति को किस रुप में समाप्त कर पाएगा या नहीं यह बात हमें कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति के द्वारा एवं अन्य प्रकार के योगों से देखने को मिलती है. 

कुंडली में मौजूद द्वादश भाव की स्थिति भी कर्ज के प्रभाव को दिखाती है. जीवन में मौजूद कई तरह के असर इस भाव के द्वारा संचालित होते हैं. यदि कुंडली में कर्ज की स्थिति को देखना समझना है तो उसके लिए इन भाव स्थानों का विश्लेषण करना भी बेहद जरूरी होता है. 

कर्ज से मुक्ति के उपायों के लिए मंगल के ऋणमोचन स्त्रोत का जाप उत्तम माना गया है.