कुंडली के दूसरे भाव में मंगल : मांगलिक योग या धन योग

वैदिक ज्योतिष में मंगल का दूसरे भाव में होना भाव की स्थिति के साथ साथ मंगल की अपनी अवस्था को भी प्रभावित करता है. वैदिक ज्योतिष में गणना के अनुसार जब मंगल दूसरे भाव में विराजमान होता है तो इसका प्रभाव कई संदर्भों में देखने को मिलता है. मंगल और जन्म कुंडली में मंगल की स्थिति को देखते हुए ही इसके प्रभाव के बारे में समीक्षा करनी विशेष होती है. लेकिन सामान्य रुप में जब इसकी व्याख्या की जाती है तो इसका सार्वभौमिक प्रभाव दिखाई पड़ता है जिसका वर्णन हम यहां करने वाले हैं लेकिन जब बात आएगी व्यक्तिगत जन्म कुंडली की तब व्यक्ति विशेष के अनुसार इसके प्रभावों में कुछ खास परिणाम अवश्य देखने को मिलेंगे. 

ज्योतिष अनुसार दूसरा भाव और मंगल 

जन्म कुंडली के दूसरे भाव में स्थित मंगल ग्रह, कई तरह से अपना प्रभाव देने में सक्षम होता है. सबसे पहले इस बात को समझने कि आवश्यकता होगी कि दूसरा भाव है तब इसके पश्चात मंगल के प्रभाव की समी़अ उचित होगी. शास्त्रों में, सभी नक्षत्र, राशि और नौ ग्रह जन्म कुंडली के बारह भावों से होकर गुजरते हैं. जन्म कुंडली में भाव नक्षत्र और ग्रहों की स्थिति के आधार पर, व्यक्ति के जीवन पर अनुकूल और विपरित प्रभावों का फैसला किया जा सकता है. वैदिक ज्योतिष में, जन्म कुंडली के साथ साथ वर्ग कुंडली में मौजूद ग्रह की स्थिति भी अपना विशेष फल देती है. वर्ग कुंडलियों में भी मंगल की भूमिका को देखा जाएगा जिसके पश्चात दूसरे भाव में बैठे मंगल के फल का निर्धारण संभव होता है. 

दूसरा भाव धन भाव, वाणी भाव, पणफर जैसे नामों से पुकारा जाता है. दूसरे भाव में मंगल आपको किसी भी तरह से धन और संपत्ति जमा करने की प्रवृत्ति देता है. मंगल की इस स्थिति में मंगल दोष होता है .

क्या मंगल दोष दूसरे भाव में बनता है?

मंगल दोष की परिभाषा में जन्म कुंडली के लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव और द्वादश भाव को लिया जाता है. लेकिन इसी अवधारणा में एक नया पक्ष दूसरे भाव में मंगल के मांगलिक पक्ष को कहता है. यह धारण दक्षिण भारत के आचार्यों द्वारा मान्य अधिक रही है. जिसके कारण मंगल के दूसरे भाव में होने कि स्थिति को मांगलिक पक्ष से जोड़ कर देखा जाता है. 

अपनी कुंडली में मंगल दोषकी जांज करें Manglik Analysis For Your

ज्योतिष अनुसार मंगल और दूसरे भाव में मंगल दृष्टि प्रभाव 

ज्योतिष में, मंगल को भूमि पुत्र, भौम, लोहितंग, अंगारक और क्षितिज जैसे नामों से जाना जाता है. इसके अतिरिक्त, मंगल को सेनापति का स्थान दिया गया है. वैदिक ज्योतिष में मंगल को समय और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है. इसके अलावा, मंगल ग्रह को क्षत्रिय जाति का तामसिक ग्रह भी कहा जाता है, जिसकी विशेषता लाल रंग पर इसका प्रभुत्व और शरीर में रक्त पर विशेष प्रभाव है. ज्योतिष के क्षेत्र में, मंगल ग्रह उत्साह, साहस, पराक्रम और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है. वैदिक ज्योतिष में, मंगल को कुछ अन्य ग्रहों के साथ विशेष पहलुओं और रहस्यमय असाधारण क्षमताओं का स्वामी माना जाता है. 

मंगल को अपनी स्थिति से चौथे और आठवें घर पर पूर्ण दृष्टि का अधिकार मिला है. ऎसे में मंगल दूसरे भाव में बैठ कर  पंचम भाव को देखेगा, सातवीं दृष्टि से आठवें भाव को देखेगा. आठवी दृष्टि से नवम भाव को देखेगा. मंगल को तामसिक प्रकृति का ग्रह माना जाता है. यदि जन्म कुंडली में मंगल अनुकूल स्थिति में है, तो कई सकारात्मक और शुभ परिणाम प्रदान करने के लिए जाना जाता है, लेकिन अगर अशुभ होगा तो जीवन में उथल पुथल ला देने वाला होगा. 

द्वितीय भाव में मंगल का शुभ अशुभ प्रभाव 

  • दूसरा भाव धन भाव, वाणी भाव, पणफर जैसे नामों से पुकारा जाता है. दूसरे भाव में मंगल आपको किसी भी तरह से धन और संपत्ति जमा करने की प्रवृत्ति देता है. मंगल की इस स्थिति में मंगल दोष होता है और यह पारिवारिक प्रेम पर असर डालता है और विवाह की आयु को प्रभावित करेगा. यह जीवनसाथी से अलग होने और दूसरी शादी करने का संकेत भी देता है.  रोग शास्त्र अनुसार नेत्र रोग, चोट, दांत दर्द और दुर्घटनाओं के प्रति भी अधिक संवेदनशील बना सकता है. मंगल के होने पर यह भाव संघर्षपूर्ण स्थिति का प्रतिनिधित्व कर सकता है. 
  • मंगल एक प्राकृतिक पाप ग्रह है जो मनचाहे धन की तलाश में उलझाए रख सकता है. प्रयासों के लिए उचित परिणाम नहीं मिल पाता है. आक्रामक स्वभाव और दूसरों से अत्यधिक अपेक्षाओं के कारण घरेलू जीवन में अक्सर विवाद को दे सकता है. संतान सुख में कठिनाई हो सकती है. संतान के जन्म समय में नौकरी छूट जाना है या व्यापार कमजोर हो जाने की स्थिति भी अपना असर डाल सकती है.
  • वाणी पर असर बोलने में कठिनाई के अलावा, अत्यधिक उत्साह और कठोर भाष शैली भी इसमें देखने को मिलती है. उन लोगों के साथ संगती अधिक दिखाई देती है जहां बुरे दिमाग वाले लोगों का साथ मिलता है. ध्यान भटकाव में रह सकता है. तार्किक दिमाग से अधिक जुनून की प्रवृत्ति स्थान लेती है. अच्छा आधिपत्य उद्यम, विरासत और उत्तराधिकार के माध्यम से सफलता दिला सकता है. दूसरा घर धन, प्रारंभिक शिक्षा और परिवार का घर है. शिक्षा के क्षेत्र में, दूसरे घर में स्थित मंगल का अर्थ है ब्रेक, देरी और निरंतर परिवर्तन दे सकता है.

खान पान में तीखे स्वाद वाले और उच्च कैलोरी वाले भोजन की लालसा देता है. एसिडिटी और अपच की समस्या पैदा कर सकता है. दूसरा भाव सामान्य ज्ञान और स्मृति का भाव होने के कारण आपके पेशे को आवेगपूर्ण तरीके से प्रभावित कर सकता है. मंगल माफ करना और भूलना मुश्किल बना सकता है, चालाक और जहरीला भी बना सकता है. यह स्थिति योजना बनाने में कठोर और जिद्दी भी बनाती है, प्रियजनों से उच्च अपेक्षाएं रखने वाला बना देती है. व्यक्ति चाहेगा कि दूसरे आपके अनुसार काम करें जो होना मुश्किल है जिसके चलते रिश्तों में वैमनस्य लाएगा. विपरीत लिंग के प्रति एक मजबूत आकर्षण महसूस कर सकते हैं. सामाजिक मानदंडों के खिलाफ जा सकते हैं. 

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द्वादश ज्योतिर्लिंग और बारह भाव राशियों का संबंध क्यों है विशेष

द्वादश ज्योतिर्लिंग और बारह भाव राशियों का संबंध विशेष रूप से, ज्योतिर्लिंग से जुड़ी 12 राशियाँ

ज्योतिष विज्ञान और आध्यात्मिक चेतना का समागम जीच आत्मा के विकास के लिए मूल सत्रोत है और इसी मूल स्त्रोत से जुड़े हैं ज्योतिर्लिंग. भगवान शिव के प्रति ज्योतिर्लिंग भारत और भारत के बाहर स्थापित हैं. शिवपुराण, और अन्य ग्रंथों में कहा जाता है कि जहां-जहां महादेव साक्षात प्रकट हुए, वहां-वहां 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित हुए. पुराणों में प्रत्येक ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व बताया गया है इसमें से शिवपुराण में इन ज्योतिर्लिंग का बेहद ही विशेष रुप से वर्णन मिलता है. ज्योतिर्लिंग का शाब्दिक अर्थ है प्रकाश जो भगवान शिव के दिव्य प्रकाश को दर्शाता है. भारत और भारत से बाहर 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग हैं जो भगवान शिव से संबंधित हैं. 

इन 12 ज्योतिर्लिंग का संबंध हम ज्योतिष में बारह भावों और बारह राशियों से भी विशेष माना गया है. ज्योतिष  में 12 ज्योतिर्लिंगों को जीवन के हर उस भाव से जोड़ा गया है जो जीवन के हर पक्ष को दर्शाते हैं और मोक्ष को प्रदान करते हैं. लग्न से द्वादश भाव की यात्रा ज्योतिर्लिंग के साथ संपन्न होती है. बारह ज्योतिर्लिंगों के नामों की बात करें तो वे इस प्रकार हैं 

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग , मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग , महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग , ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग , केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग , भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग , विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, रामेश्वर ज्योतिर्लिंग , घुश्मेश्वर/घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग. 

सभी 12 ज्योतिर्लिंग को कुंडली के प्रत्येक 12 भाव राशि द्वारा व्यक्त किया जाता है.  

12 ज्योतिर्लिंग और ज्योतिष 12 भाव राशि संबंध

हिंदू धर्मग्रंथों में 12 ज्योतिर्लिंग हैं जो अपने आप में विशेष महत्व रखते हैं, जिन्हें “द्वादश ज्योतिर्लिंग” के नाम से जाना जाता है. प्रत्येक ज्योतिर्लिंग एक विशेष राशि से जुड़ा हुआ है, जो इस प्रकार है, मेष राशि सोमनाथ से जुड़ी है, वृषभ राशि मल्लिकार्जुन से जुड़ी है, मिथुन राशि महाकालेश्वर से जुड़ी है, कर्क राशि ओंकारेश्वर से जुड़ी है, सिंह राशि वैद्यनाथ से जुड़ी है, कन्या राशि भीमाशंकर से जुड़ी है, तुला राशि रामेश्वर से जुड़ी है, वृश्चिक राशि नागेश्वर से जुड़ी है, धनु राशि काशी विश्वनाथ से जुड़ी है, मकर राशि त्रयंबकेश्वर से जुड़ी है, कुंभ राशि केदारनाथ से जुड़ी है और मीन राशि घुश्मेश्वर से जुड़ी है. यह भगवान शिव और सृष्टि के बीच के दिव्य संबंध को दर्शाता है. आइए प्रत्येक ज्योतिर्लिंग और उसकी संबंधित राशि के बीच के संबंध को जानें:

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग को मेष राशि और पहले भाव से जोड़ा गया है. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मेष राशि से संबंधित है. सूर्यवंशी भगवान राम ने अपने वनवास काल के दौरान इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से मेष राशि के जीवन में सुख और स्थिरता बढ़ती है.

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग जो दूसरे भाव और वृषभ राशि से जुड़ा है. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग वृषभ राशि से संबंधित है. यह गुजरात के सोमनाथ जिले में स्थित है और इसे धरती का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव के प्रतिनिधि चंद्रमा ने अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद पाने और क्षय से मुक्ति पाने के लिए इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी.  

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को तीसरे भाव मिथुन राशि से जोड़ा गया है. बुध के स्वामित्व की मिथुन राशि और तीसरा भाव नागेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ा है. गुजरात के द्वारका जिले में स्थित यह ज्योतिर्लिंग राहु का प्रतिनिधित्व करता है. मिथुन राशि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक विकास लाती है.

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को चतुर्थ भाव और कर्क राशि से जोड़ा गया है. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग कर्क राशि से संबंधित है. यह मध्य प्रदेश में स्थित है. कर्क राशि के जातकों को इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से लाभ मिलता है.

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को पंचम भाव ओर सिंह राशि से जोड़ा गया है. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग सिंह राशि से संबंधित है यह झारखंड के देवघर जिले में स्थित है. इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करके स्वास्थ्य, परिवार और राजनीतिक मुद्दों का समाधान पा सकते हैं.  

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को छठे भाव और कन्या राशि से जोड़ा गया है. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग षष्ठ भाव कन्या राशि से संबंधित है. कन्या राशि में उच्च का बुध वाणी, व्यवसाय और शिक्षा का प्रतिनिधित्व करता है. आंध्र प्रदेश में श्रीशैल पर्वत शिखर पर स्थित इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से जीवन में वाणी, व्यवसाय और शिक्षा जैसे पहलुओं से संबंधित आशीर्वाद मिल सकता है.

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को सातवें भाव और तुला राशि से जोड़ा गया है. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का संबंध सप्तम भाव तुला राशि से संबंधित है. यह ज्योतिर्लिंग पवित्र शहर उज्जैन में स्थित है और शनि का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे दंडनायक भी कहा जाता है. माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से अच्छा स्वास्थ्य मिलता है और असामयिक मृत्यु से रक्षा होती है.

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग को अष्टम भाव और वृश्चिक राशि से संबंधित माना गया है. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग आठवें भाव वृश्चिक राशि से संबंधित है. मंगल और केतु द्वारा प्रभावित वृश्चिक राशि के लोग इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करके लाभ उठा सकते हैं. यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है. ऐसा माना जाता है कि यह मंगल और केतु के बुरे प्रभावों को दूर करता है.

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को नवम भाव और धनु राशि से जोड़ा गया है. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग नौवें भाव धनु राशि से संबंधित है. धनु राशि का स्वामी ग्रह बृहस्पति जीवन का प्रतिनिधित्व करता है और केतु मोक्ष का प्रतिनिधित्व करता है. यह ज्योतिर्लिंग मोक्ष प्राप्त करने की दिशा में व्यक्तियों की आध्यात्मिक यात्रा में मदद करता है. पवित्र शहर वाराणसी में स्थित, काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग धनु राशि के जातकों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है.

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को दशम भाव और मकर राशि से जोड़ा गया है. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग दशम भाव मकर राशि से संबंधित है. मकर राशि में मंगल उच्च का होता है और इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से उन व्यक्तियों को राहत मिल सकती है जिनकी जन्म कुंडली में मंगल कमजोर स्थिति में है. यह महाराष्ट्र के पुणे में सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में स्थित है.

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग को एकादश भाव और कुंभ राशि से जोड़ा गया है. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग लाभ भाव कुंभ राशि से संबंधित है. उत्तराखंड में स्थित यह मंदिर कुंभ राशि के जातकों की इच्छाओं को पूरा करने वाला माना जाता है. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग या उसके आस-पास के शिवलिंगों का ध्यान और पूजा करने से आध्यात्मिक विकास और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग को द्वादश भाव और मीन राशि से जोड़ा गया है. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग बारहवें भाव मीन राशि से संबंधित है. मीन राशि में उच्च का शुक्र विलासिता, आराम और सांसारिक सुखों का प्रतिनिधित्व करता है. माना जाता है कि यह ज्योतिर्लिंग जीवन के इन पहलुओं से संबंधित आशीर्वाद प्रदान करता है. मोक्ष की कना की पूर्ति के लिए यह स्थान उत्तम माना गया है. 

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शनि के मीन राशि प्रवेश का मेष पर असर 2025

शनि के मीन राशि गोचर का मेष पर असर 2025

शनि देव 2025 में अपनी राशि में फिर से बदलाव करने वाले हैं. शनि का मीन राशि गोचर 29 मार्च 2025 को शुरू हो रहा है. शनि किसी भी राशि में लगभग ढाई साल तक रहता है। इसलिए, राशि चक्र के सभी 12 राशियों का दौरा करने में इसे 30 अच्छे साल लगते हैं। शनि का वर्तमान गोचर मीन राशि में है। इसलिए, यह गुरु के घर वापसी जैसा होगा.

मेष राशि पर शनि के गोचर का प्रभाव 2025 

मेष राशि के जातकों के लिए, शनि आपकी जन्म कुंडली में बारहवें भाव में गोचर कर रहा है। यह भाव व्यय, धन की हानि, दूर की यात्रा, विदेश भूमि, आध्यात्मिक और गुप्त विद्या का कारक है। इसलिए, आपकी कुंडली में ये वे प्रमुख क्षेत्र हैं जो गोचर के दौरान प्रभावित होंगे। मेष राशि के जातकों पर साढ़ेसाती का प्रभाव कभी-कभी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लेकिन आपका प्रदर्शन सफलता को आपके कदम चूमने पर मजबूर कर देगा।

अभी से पहले शनि के कुंभ राशि में गोचर के साथ, आपने अपने मित्रों को छांटना शुरू कर दिया होगा। आपने महसूस किया होगा कि कुछ लोग सिर्फ़ अपने काम के लिए संपर्क में रहते हैं। कुछ लोग सिर्फ़ अपने दिल की बात कहने के लिए आपसे संपर्क में रहते हैं। आपने अपने संबंधों को आगे बढ़ाने से पहले ऐसे इरादों की जांच करना सीख लिया होगा। इस प्रक्रिया में समय लग सकता है। आपके लिए चीज़ें सकारात्मक तरीके से बदल गई होंगी। जानें कि अब मीन राशि में शनि के आने वाले गोचर में आपके लिए क्या होने वाला है।

मेष राशि पर साढ़ेसाती के परिणाम

यह आपके लिए साढ़ेसाती का पहला चरण है, अब जीवन का यह समय आपके जीवन को एक नई दिशा देने वाला होगा. इस चरण के दौरान, आपको विदेश यात्रा या कम से कम कुछ दूर के स्थानों पर जाने के अवसर मिलेंगे। यह चरण अब तक की अवधि की तुलना में थोड़ा चुनौतीपूर्ण होगा। साहस और उत्साह समय की मांग रहेगी और इस अवधि के दौरान आपसे अधिक मेहनत करने की उम्मीद की जाएगी। हो सकता है कि अतीत की तुलना में आपके विचारों और राय को दूसरे लोग गंभीरता से न लें। ये वो समय होगा जब आप स्वयं के साथ अधिक बात करेंगे और इन संवादों के दौरान, आपको बेहतर प्रदर्शन करने के लिए खुद को प्रेरित करते रहना चाहिए। आपकी सोच में अचानक बदलाव आएंगे। आप दूसरों को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे और अधिक सहानुभूतिपूर्ण बनेंगे। अपने आगामी चरण को बेहतर बनाने के लिए दिशा-निर्देश जानने के लिए अपनी जन्म कुंडली में शनि की व्यक्तिगत साढ़े साती रिपोर्ट प्राप्त करें जिससे आप इस चरण की संभावनाओं को बेहतर तरीके से जान पाएं. 

मेष राशि पर शनि के गोचर का विभिन्न बातों पर प्रभाव

मेष राशि के लिए मीन राशि का शनि जीवन के कई क्षेत्रों को छूने वाला होगा. निजी जीवन से लेकर कर्म क्षेत्र पर इसका असर होगा. कार्यस्थल और निजी जीवन में आपके संबंधों में थोड़ी बहस और दूरियां भी आ सकती हैं.  पैसे को समझदारी से खर्च करना और स्वास्थ्य पर नज़र रखना एक बड़ी ज़रूरत होगी। यह समय है कि आप अनोखे तरीके से काम करें और अपने जीवन को  उपलब्धियों से सजाने की कोशिश करें. 

मेष राशि करियर पर शनि के गोचर का प्रभाव

कार्यस्थल पर सहकर्मी आपका सहयोग करने में विफल हो सकते हैं। वे आपके काम के बीच में आने और आपकी प्रगति में बाधा डालने की कोशिश कर सकते हैं। अपना काम शुरू करने से पहले एक निश्चित योजना के साथ आगे बढ़ना फायदेमंद होगा।आपके वरिष्ठ आपके सोचने के तरीके और कार्यशैली को समझने में विफल हो सकते हैं।

कार्यालय में अक्सर बहस होने की संभावना है इससे उनके साथ आपके रिश्ते खराब हो सकते हैं। इन बातों से खुद को बचाने के लिए जरुरी है कि मूलभूत क्षेत्रों से ध्यान न हटाएं और दृढ़ निश्चयी बने रहने का प्रयास करें। काम के प्रमुख क्षेत्रों को खोजना और अपनी कंपनी के लक्ष्यों के लिए एक अनूठा दृष्टिकोण देना सफलता का मार्ग प्रशस्त करेगा।

मेष राशि व्यावसायिक जीवन पर शनि गोचर का प्रभाव:

शनि का गोचर कारोबार में विस्तार का अवसर देगा. आपके प्रयास आयात-निर्यात से संबंधित व्यवसाय में वृद्धि के स्तर को बढ़ाएंगे। ये समय विदेशों से लाभ दिलाने का काम करेगा. अन्य क्षेत्रों से संबंधित व्यवसाय के लिए नए उत्पादों शुरु करने में कुछ देरी का अनुभव हो सकता है। इसलिए, आपको उचित योजना और धैर्य रखने की आवश्यकता है, कुछ मामलों में व्यावसायिक साझेदारों और अधीनस्थों के साथ बहस और मतभेद होने की संभावना है। अपने व्यवसाय के प्रति अधिक व्यवस्थित और व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाएं जो आपको इसे स्थिर करने में मदद करेगा।

प्रतिस्पर्धियों के साथ संबंधों में तनाव से बचने के लिए मित्रता वाली चर्चा करने और बीच का रास्ता निकालने की आवश्यकता होगी। कार्य क्षेत्र में लक्ष्यों को सही तरीके से बनाने की जरूरत होगी.  बेहतर होगा कि आप एक समय में एक काम लें और पहले उसे पूरा करने के लिए मूल बातों पर ध्यान दें। इससे आपके व्यवसाय में वांछित स्थिरता आएगी।

मेष राशि आर्थिक क्षेत्र पर शनि गोचर का प्रभाव

शनि आपके धन को खर्चों की ओर ले जा सकता है. वित्त से संबंधित कुछ समस्याएं इसके द्वादश भाव में गोचर के चलते ही अधिक होंगी. शनि मीन राशि गोचर के दौरान आपको अपने पिछले निवेशों से लाभ मिल सकता है जिसके चलते राहत भी पाएंगे. व्यर्थ के अपव्ययों से आपको सावधान रहना पड़ सकता है अनावश्यक चीज़ों पर अपने खर्चों पर कड़ी नज़र रखनी होगी. दीर्घावधि दृष्टिकोण से निवेश करने से वित्तीय स्थिति को स्थिर करने में मदद मिलेगी। वित्तीय योजना बनाना अधिक बेहतर होगा जिसके कारण धन का प्रवाह सामान्य रुप से बनाए रखने में मदद मिलेगी।

परिवार के सदस्य पैसे के मामले में कम सहयोग दे पाएँगे, परिवार के बड़े सदस्यों पर खर्च होने की संभावना है। इस गोचर के दौरान उन बातों पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया जाता है जो आपको अतिरिक्त लाभ दे सकती हैं।ज़रूरत पड़ने पर पैसे का इस्तेमाल करने में सक्षम होने के लिए आप पहले से ही बचत करना शुरू कर सकते हैं।

मेष राशि परिवार और प्रेम जीवन पर शनि गोचर  का प्रभाव

शनि का यह गोचर परिवार और प्रेम जीवन से जुड़ी कुछ ज़रूरी बातों पर असर डालता है. इस समय परिवार में सदस्यों के साथ मतभेद रह सकते हैं अथवा रिश्तों में उस तरह से प्रतिक्रिया न मिल पाए जिस तरह से आप चाहते हैं। आपका रिश्ता अकेलेपन का शिकार हो सकता है। विवाहित लोगों को अपने जीवनसाथी को गुणवत्तापूर्ण समय देने की ज़रूरत होगी। इससे उन्हें सुरक्षा का अहसास होगा।

परिवार में अपनी भूमिका को इग्नोर न होने दें स्वयं को लोगों के साथ शामिल करना अनुकूल होगा. इसके अलावा, आपको ऐसी सोच रखनी होंगी जो वास्तविकता से मेल खा सकें। इससे परिवार के साथ आपके रिश्ते बने रहेंगे। अपने रिश्तों को स्वस्थ रखने के लिए आपको उनके प्रति अत्यधिक देखभाल दिखाने की ज़रूरत है।अपनों के साथ समय बिताना, उपहार देना या अपनों के लिए छोटी-छोटी चीज़ें करते रहना जीवन में सकारात्मक रुप से काम करेगा. 

मेष राशि स्वास्थ्य पर शनि गोचर का प्रभाव

इस समय पर सेहत से जुड़ी समस्याएं धीमी गति से सामने आएंगी लेकिन लंबे समय तक रह सकती हैं ऎसे में अपने स्वास्थ्य की जाँच करनी चाहिए और यदि आवश्यक हो तो चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।गोचर के दौरान कुछ बीमारियाँ आपको परेशान कर सकती हैं। कुछ समय के लिए योग, व्यायाम, बाहर घूमने या जॉगिंग करने जैसी गतिविधियों में शामिल होना सेहत के लिए बेहतर होगा. स्वास्थ्य चिंता का विषय हो सकता है, अस्पताल में भर्ती होने से मानसिक तनाव और चिंताएँ पैदा हो सकती हैं इसलिए, स्वास्थ्य पर ध्यान देने की अभी आवश्यकता रहेगी. 

शनि के बुरे प्रभाव से बचने के उपाय

नीलांजना समाभासं रविपुत्रम यमराजन, छाया मार्तंड संभुतम, तम नमामि शनैश्चरम

“ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।”

ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥

” ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।

उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।”

“ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।”

“ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।”

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ज्योतिष में सम सप्तक योग क्या है?

ज्योतिष के क्षेत्र में, कई तरह के योग काम करते हैं. इनका असर मानव जीवन पर गहराई से पड़ता है. इसका असर ही समझ को आकार देती हैं. ऐसी ही एक अवधारणा दिलचस्प ‘सम सप्तम योग’ है, जो ग्रहों का एक शक्तिशाली संरेखण है जो किसी व्यक्ति के भाग्य और जीवन की घटनाओं पर गहरा प्रभाव डाल सकता है. सम सप्तम योग एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय योग है जो जीवन के अनेक क्षेत्रों पर अपना असर डालने वाला होता है. यह सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव दोनों ही दिखा सकता है. किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में मौजूद विशिष्ट ग्रह योगों के निर्माण पर इसका फल निर्भर करता है. इस योग के प्रभाव को समझने से निर्णय लेने और अधिक जागरूकता के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद मिल सकती है.

सम सप्तम योग एक ज्योतिषीय योग है जो तब घटित होता है जब दो ग्रह आमने सामने होते हैं. दो ग्रहों का एक दूसरे से समस्पतक होना ही योग बना है उदाहरण के लिए  मेष राशि में सूर्य हो और तुला राशि में शनि बैठा हो तब यह स्थिति इस योग को बनाने वाली होती है. इस में दोनों ग्रह एक दूसरे से 7वें भाव में होते हैं. ऐसा माना जाता है कि यह योग वैदिक ज्योतिष में काफी महत्व रखता है और यह किसी व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करता है, खासकर रिश्तों और साझेदारी के मामलों में तथा जीवन में घटने वाली घटनाओं में इसका योगदान काफी होता है. 

समसप्तक योग का जीवन पर शुभ अशुभ प्रभाव  

सम सप्तम योग से प्रभावित प्राथमिक क्षेत्रों में से एक रिश्ते हैं. यह योग व्यक्तियों के अपने सहयोगियों, जीवनसाथी और करीबी सहयोगियों के साथ बातचीत करने के तरीके को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है इसके अलावा व्यक्तित्व की रुपरेखा भी इसमें अपना असर डालती है. इस योग के तहत पैदा हुए लोग अपने रिश्तों में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभावों का अनुभव कर सकते हैं, जो इसमें शामिल विशिष्ट ग्रहों और उनके भीतर मौजूद गुणों पर निर्भर करता है. जब शुभ ग्रह सम सप्तम योग बनाते हैं, तो यह व्यक्तियों को शुभ और संतुष्टिदायक रिश्ते प्रदान कर सकता है. अच्छे लाभ दिला सकता है. इस योग के द्वारा ऐसे लोगों में अच्छा संचार कौशल देखने को मिलता है. अच्छी गहरी समझ और साझेदारी में व्यक्ति की पकड़ काफी अच्छी होती है.

व्यक्ति की लोगों के साथ सामंजस्य बनाए रखने की स्वाभाविक क्षमता हो सकती है. रिश्ते निभाने में देखभाल करने वाले होते हैं. सहयोगी साझेदारों को आकर्षित करने की संभावना भी अच्छी दिखाते हैं. एक संतुष्ट और समृद्ध जीवन जी सकते हैं. दूसरी ओर, सम सप्तम योग बनाने वाले अशुभ ग्रह रिश्तों में चुनौती और संघर्ष ला सकते हैं. इस योग के प्रभाव में आने वाले व्यक्तियों को गलतफहमी, भावनात्मक अशांति और स्थायी साझेदारी बनाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है. इसका सटीक प्रभाव किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में मौजूद विशिष्ट ग्रह योग एवं संबंधों पर निर्भर करता है. 

रिश्तों के अलावा, सम सप्तम योग किसी व्यक्ति के करियर और सफलता को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. सातवें भाव में ग्रहों की स्थिति आपसी साझेदारी और सहयोग को प्रभावित कर सकती है, जिससे अनुकूल और चुनौतीपूर्ण दोनों परिणाम प्राप्त होंगे. जब जन्म कुंडली में शुभ ग्रह इस योग का निर्माण करते हैं, तो यह व्यक्तियों को मजबूत व्यावसायिक कौशल और सफल साझेदारी बनाने की क्षमता का सुख दे सकता है. ये व्यक्ति ऐसे करियर में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं जिनमें टीम वर्क और सहयोग की आवश्यकता होती है, जिससे उनके करियर या पारिवारिक जीवन में महत्वपूर्ण चीजें प्राप्त होती हैं. यदि अशुभ ग्रह सम सप्तम योग पर हावी हो जाते हैं, तो यह करियर के विकास और साझेदारी में बाधा पैदा कर सकता है.  जन्म कुंडली में ऐसी स्थिति का अनुभव करने पर चुनौतियों से बचने के लिए व्यावसायिक समझौते और सहयोग करते समय सावधानी बरतनी चाहिए.

 ग्रहों की इस योग में भूमिका 

सभी ग्रहों के द्वारा यह योग निर्मित हो सकता है. एक से अधिक ग्रहों में भी इस योग का निर्माण हो सकता है. इस योग में जब पाप ग्रह शामिल होंगे तो स्वाभाविक रुप से कष्ट को देने वाले होंगे. जब यहां शुभ ग्रह शामिल होंगे तो वह अनुकूल परिणाम देने वाले होंगे. इसके अलावा ग्रहों की शुभता एवं अशुभता की स्थिति जन्म कुंडली में बने ग्रहों के भाव योग पर भी निर्भर करती है. यदि पाप ग्रह अच्छे भाव का स्वामी होकर समसप्तक योग में शामिल होगा तो अपने अनुकूल परिणामों से प्रभावित जरुर करेगा. 

गोचर में यह योग बनता रहता है. जब गोचर में इसका असर दिखता है तो वह तात्कालिक स्थिति के अनुसार हम पर पड़ता है. ग्रहों का भ्रमण काल जब इस योग को बनाता है तो उसके अनुसार इसके फलों की प्राप्ति होती है. जीवन में आने वाले शुभ योगों या खराब घटनाओं हेतु गोचर में बनने वाला यह योग जल्द अपना असर दिखाता है. 

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मुहूर्त अनुसार खरीदें प्रॉपर्टी जीवन भर मिलेगा सुख

संपत्ति ख़रीदना एक बड़ा निर्णय होता है. एक घर को बनाने के लिए व्यक्ति अपनी ओर से बड़े प्रयास करता है.  इसमें से कुछ के लिए यह सपना पूरा करने में जीवन लग जाता है या कभी-कभी जीवन भर की बचत भी शामिल हो सकती है. पर जब हम घर लेते हैं तो इस बात को यदि समझ लिया जाए की जिस समय हम वो काम कर रहे हैं वह उपयुक्त रहेगा तब यह चीज हमारे लिए वरदान की तरह सिद्ध होती है. इसमें ज्योतिष का ज्ञान बहुत काम आता है. अपनी जीवन भर की गाढ़ी कमाई को बड़े जोखिम में डालना समझदारी है. जो संपत्ति खरीद रहे हैं वह आपके लिए सौभाग्य लाएगी या दुर्भाग्य. इसके लिए ज्योतिष की समझ काफी उपयुक्त हो सकती है. ज्योतिष में मौजुद मुहूर्त शास्त्र एवं ग्रहों की स्थिति व्यक्ति को बता सकती है कि हम जो निर्णय ले रहे हैं वह सही है या नहीं. 

संपत्ति की खरिदारी से पूर्व ग्रह नक्षत्रों की जानकारी 

जब व्यक्ति कोई संपत्ति खरीदने की योजना बना रहे होते हैं तो समय की शुभता जानना महत्वपूर्ण होता है. कभी-कभी, सब कुछ सही हो सकता है लेकिन ख़राब समय आपके मुनाफ़े को भारी घाटे में बदल सकता है. संपत्ति खरीदने के लिए शुभ तारीखें और समय पता होना चाहिए ताकि आपके छोटे निवेश से भी आपको बड़ा धन लाभ हो. संपत्ति खरीदने के पीछे का कारण व्यक्तिगत उपयोग या बिक्री और खरीद हो सकता है. किसी भी मामले में, शुभ मुहूर्त मायने रखेगा क्योंकि शुभ समय के दौरान खरीदी गई कोई भी संपत्ति निवासियों या खरीदार के लिए समृद्धि लाती है.

संपत्ति खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त क्यों देखना चाहिए

हिंदू परंपराओं में, सभी मांगलिक कार्यों या शुभ घटनाओं के घटित होने में समय का महत्वपूर्ण स्थान रहता है. चाहे, वह लंबी यात्रा पर जा रहा हो, कोई नया उद्यम शुरू कर रहा हो, घर में प्रवेश कर रहा हो, शादी पर विचार कर रहा हो या कुछ और.

हम आम तौर पर शुभ मुहूर्त पूछने के लिए मंदिर में पंडित जी या पुजारी के पास जाते हैं. जब संपत्ति खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त देखने की बात आती है, तो किसी ज्योतिषी के पास जाना चाहिए जो हिंदू पंचांग के साथ-साथ खरीदार की जन्म कुंडली का भी संदर्भ लेता है.

एक शुभ मुहूर्त लगभग सभी के लिए शुभ होता है, लेकिन व्यावहारिक रूप से ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि हर व्यक्ति अलग-अलग जन्म कुंडली के साथ पैदा होता है. जन्म कुंडली यह तय करती है कि कोई विशेष शुभ मुहूर्त वास्तव में जातक के लिए शुभ है या नहीं. किसी जातक के लिए शुभ मुहूर्त निकालते समय जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति बहुत मायने रखती है.

इसके अलावा, जिस संपत्ति या भूमि को कोई खरीदने का इरादा रखता है उसका वास्तु भी जातक की जन्म कुंडली के अनुरूप होना चाहिए. इससे खरीदार के लिए संपत्ति की शुभता और बढ़ जाती है. हम सभी की कुंडली में चंद्रमा अलग-अलग राशियों और नक्षत्रों में होता है, यहीं पर स्थिति को ध्यान देने की जरूरत अधिक होती है. शुभता को पाने के लिए चंद्रमा को समझना बहुत जरूरी होता है.

यदि किसी ज्योतिषीय मार्गदर्शन के बिना खरीदारी के लिए शुरुआती कार्यवाही की है तब भी उस समय में अगर राशि का भुगतान करने के लिए कम शुभ मुहूर्त के अनुसार संपत्ति का पंजीकरण कराना बहुत उचित होता है.  यदि संपत्ति का पंजीकरण पहले ही हो चुका है तो भी नए घर में प्रवेश के लिए ज्योतिष द्वारा सुझाए गए सबसे अच्छे दिन पर विचार करना चाहिए. चीजें कितनी भी अलग हों लेकिन उन्हें ज्योतीष की सहायता से काफी हद तक सकारात्मका की ओर मोड़ा जा सकता है. 

संपत्ति खरीदते समय मुहूर्त विचार लाभ 

जब कोई संपत्ति खरीदने का फैसला किया जाता है, तो ज्योतिष अनुसर मुहूर्त शास्त्र का विचार बेहद जरूर होता है. मुहूर्त के लिए कई बातों पर विचार करना पड़ता है. इनमें से कुछ इस प्रकार हैं जैसे तिथि को देखना, वार कौन सा है, नक्षत्र कौन सा है, करण कौन सा है ओर कौन कौन से शुभ या अशुभ योग उस मुहूर्त में मिल रहे हैं. अच्छा मुहूर्त निकालने के लिए इन चीजों को प्रथम दृष्टि से देख अजाता है. इसके साथ ही जिस व्यक्ति के नाम पर संपत्ति ली जा रही है उनके ग्रह नक्षत्रों की स्थिति दशा इत्यादि को देखते हुए काम किया जाता है. मुहूर्त में उपरोक्त सभी बातों पर विचार करना पड़ता है. उपरोक्त सभी श्रेणियों पर विचार करने पर एक उपयुक्त दिन व्यक्ति को अच्छे परिणाम प्रदान करता है. व्यक्ति की ग्रह स्थिति से मुहूर्त का मिलान करना महत्वपूर्ण कार्य होता है.जिस नक्षत्र में हमारा चंद्रमा स्थित होता है उसे जन्म नक्षत्र कहा जाता है और यह किसी व्यक्ति के लिए दिन की शुभता की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. 

मुहूर्त शास्त्र में गणना के आधार पर यदि चंद्रमा विपत, प्रत्यरी और बाधक तारा या नक्षत्र में गोचर कर रहा हो तो व्यक्ति को उस दिन कोई संपत्ति नहीं खरीदनी चाहिए या कोई अन्य शुभ कार्य नहीं करना चाहिए.

इनके अलावा भी कुछ अन्य बिंदु भी हैं जिन पर ध्यान देते हुए अच्छा और फलदायी समय अवधि पर विचार किया जाता है. इस के अनुसार व्यक्ति के लिए संपत्ति खरीदने के समय गोचर में लग्न स्वामी की स्थिति को देखना जरुरी होता है. सभी ग्रहों का गोचर, विशेष रूप से चतुर्थ और एकादशेश, क्योंकि ये दोनों संपत्ति और उससे लाभ के घर हैं इस बात पर ध्यान देने की जरुरत होती है. 

समय मुहूर्त लग्न की स्थिति की जांच करनी होती है. संपत्ति खरीदते समय गोचर में कारक मंगल और शनि का मजबूत होना जरूरी है यदि आज की कुंडली में इनमें से अधिकांश मजबूत स्थिति में हैं तो व्यक्ति को संपत्ति से बड़ा लाभ होने वाला है.

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जानिए अपने लग्न से क्या होगा आपका करियर

ज्योतिष में, लग्न की स्थिति व्यक्ति के लिए बेहद महत्व रखती है. लग्न का असर जीवन के सूक्ष्म से सूक्ष्म कार्य पर भी अपना विशेष असर डालता है. लग्न आपके सेहत, आपके विचारों आपकी काम करने की इच्छा, आप क्या सोच रहे हैं कैसे आगे बढ़ना चाहेंगे इन सभी पर लग्न की विशेष भूमिका देखने को मिलती है. यह व्यक्ति के लिए उदय होने की स्थिति है अत: जीवन में होने वाले  हर बदलाव का यह मुख्य कारक बन जाता है. किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली का सबसे महत्वपूर्ण भाव होता है. यह उस राशि को अभिव्यक्त करता है जो किसी व्यक्ति के जन्म के ठीक समय पूर्वी क्षितिज पर उदित हो रही होती है. कोई व्यक्ति खुद को दुनिया के सामने कैसे खड़ा कर सकता है. अपने आस पास की चीजों को कैसे देखता है इत्यादि बातों के अलावा काम काज की स्थिति के लिए भी यह विशेष घटक होता है. 

नौकरी या कारोबार में लग्न की भूमिका को कैसे जानें 

नौकरी या कारोबार आप क्या करना चाहेंगे, किस में आपको बड़ी सफलता मिल सकती है इस बात को हम लग्न के द्वारा भी जान सकते हैं. अपने काम के क्षेत्र में आपकी प्रतिभा कैसी रहने वाली है. कैसे बातचीत कर पाने का हुनर होगा और किस प्रकार स्थिति को डील कर पात करता है, इसे समझने के लिए लग्न एक आवश्यक कारक की भांति काम करता है. किसी व्यक्ति के लग्न की गणना करने के लिए, सटीक तिथि, समय और जन्म स्थान की आवश्यकता होती है. यह निर्धारित कर सकते हैं कि जन्म के समय कौन सा चिन्ह आ रहा था. लग्न जन्म कुंडली में यह भाव राशि एवं ग्रहों की स्थिति के साथ, किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व, व्यवहार और उपस्थिति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

करियर ज्योतिष में, लग्न किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लग्न को व्यक्तित्व माना जाता है जो कोई व्यक्ति दुनिया के सामने प्रस्तुत करता है, उसका बाहरी व्यवहार और वह दूसरों को कैसा दिखता है. यह किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व को समझने और वे अपने आस-पास की दुनिया के साथ कैसे बातचीत करते हैं, यह समझने का एक अनिवार्य पक्ष है. कैरियर के संबंध में, लग्न उन व्यवसायों या कार्य की स्थिति के प्रकारों के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है. किसी व्यक्ति की प्रवृत्तियों और जीवन के प्रति दृष्टिकोण के अनुकूल हो सकते हैं. किसी के करियर पथ को निर्धारित नहीं करता है. यह मार्गदर्शन और संभावित स्थितियों को प्रदान कर सकता है. व्यक्तिगत पसंद, प्रयास और परिस्थितियाँ भी कैरियर के परिणामों को बहुत अधिक प्रभावित करती हैं.

आपका लग्न आपके करियर को कैसे प्रभावित कर सकता है, इसको जानने के लिए सूर्य, चंद्रमा अन्य ग्रहों के साथ कुंडली में बनने वाले योगों एवं अन्य ज्योतिषीय कारकों की स्थिति को जानने की कोशिश करनी चाहिए. यह व्यापक विश्लेषण आपकी ताकत, कमजोरियों और संभावित करियर झुकाव की प्रवृति को देखाता है.

मेष लग्न 

मेष लग्न का व्यक्ति व्यवसाय के रुप में रोमांच को लेकर उत्साहित होता है. विभिन्न क्षेत्रों में जैसे रोमांच, उत्साह, ईंधन, पेट्रोलियम, प्रोपर्टी संबंधित उद्योगों से जुड़ाव को दिखाता है. इनमें से किसी भी क्षेत्र में जुड़ने की इच्छा व्यक्ति को अनुकूल परिणाम दे सकती है. इसके अतिरिक्त, रसायन, कोयला, सीमेंट, सेना से जुड़े व्यवसाय में सफलता मिल सकती है. मेष राशि उन प्रमुख राशियों में से एक है, जो अपने काम में सदैव आगे रहने को तत्पर रहती है. इस लग्न का असर व्यक्ति को विभिन्न स्थानों से लाभ पाने की उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं. वे यात्रा और पर्यटन उद्योगों में भीीआगे बढ़ सकता है. 

वृषभ लग्न 

वृषभ लग्न में जन्मा व्यक्ति विभिन्न कलात्मक गतिविधियों में शामिल हो सकता है. नृत्य, गायन, अभिनय, ड्राइंग, पेंटिंग, फाइन आर्ट जैसी ललित कलाओं के माध्यम से व्यक्ति काम में उन्मुख हो सकता है. आजीविका के लिए यह स्थिति महंगी वस्तुओं, सुगंधित उत्पादों, रत्नों, इंटीरियर, डिजाइन, वस्त्र उद्योग से संबंधित करियर में सफलता को दिला सकता है. वृषभ लग्न के व्यक्ति को खाद्य उत्पादों से जुड़े व्यवसायों के माध्यम से भी अच्छी आय पाने में सफलता मिल सकती है. 

मिथुन लग्न 

मिथुन लग्न एक ऎसा लग्न जिसे हरफनमोला भी कहा जा सकता है. यह हर गतिविधि में शामिल दिखाई दे सकते हैं. इस लग्न से प्रभावित व्यक्ति विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने की क्षमता रख सकता है. इसके अलावा लेखन, शिक्षण, रचनात्मक कलात्मक पक्ष से जुड़े काम में भी इनकी भूमिका बेहद मजबूत दिखाई दे सकती है. कई तरह के व्यवसायों के लिए उपयुक्त होता है इनका लग्न. इस लग्न के लोग अपने जीवन में साहित्यिक गतिविधियों से जुड़ पाते हैं. इसके अतिरिक्त, रचनात्मकता के लिए उनकी अंतर्निहित जिज्ञासा इनके भीतर उत्कृष्ट होती है. कारोबार को अपनी संचार क्षमता से चला पाते हैं. 

कर्क लग्न 

कर्क लग्न के अनुसार व्यक्ति के करियर का क्षेत्र उसकी मानसिकता के साथ अधिक जुड़ाव रखता है. इस लग्न के अनुसार व्यक्ति नर्सिंग, फूड, पानी से संबंधित काम, वस्त्र उद्योग, दवा संस्थान, कला के क्षेत्र में अधिक बेहतर प्रदर्शन कर पाता है. उसके द्वारा किया जाने वाले व्यवसायों में वस्त्र उद्योग, फैशन , जल उद्योग, मछली उत्पादन, दूध और दूध उत्पादों की बिक्री, कृषि से जुड़े काम, ललित कला जैसे क्षेत्रों में दक्षता का होना. रचनात्मकता और सौंदर्य उत्पाद कर्क राशि से निकटता से जुड़े हुए होते हैं, और चंद्रमा स्त्रीत्व का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए इस लग्न के प्रभाव द्वारा रचनात्मक पहलुओं को पूरा करते हुए सौंदर्य उत्पादों से संबंधित व्यवसायों में लाभ कमा सकता है.

सिंह राशि 

सिंह लग्न के अनुसार लीडरशिप से जुड़े सभी कार्य बेस्ट रह सकते हैं. इसके अलावा, सेना, शक्ति प्रदर्शन,  प्रकृति से जुड़े काम, विशेष रूप से जंगलों, पहाड़ों और कृषि उत्पादों के कार्य, ता है. घास, लकड़ी, कपास, जड़ी-बूटियाँ, फल, कपड़े, कागज और अन्य प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित व्यवसायों में अच्छा करने के अवसर इन्हें मिल सकते हैं. सिंह लग्न में व्यक्ति अपने करिश्मा और नेतृत्व क्षमताओं को प्रदर्शित करते हुए एक अभिनेता या व्यवसाय प्रबंधक के रूप में उत्कृष्टता स्थान पाता है. साहस और न्याय के गुणों का होना इन्हें कानून विभाग, सैन्य सुरक्षा, गार्ड या वकील के रूप में भी आगे बढ़ने के मौके देता है. इसके अलावा चिकित्सा में भी इन्हें अच्छे परिणाम मिल सकते हैं. 

कन्या लग्न 

कन्या लग्न का प्रभाव व्यक्ति को संचार से जुड़े काम और देखभाल सुरक्षा के कामों की ओर ले जाने वाला होता है. एजेंट, शिक्षक, मनोवैज्ञानिक बनना या लेखांकन और बैंकिंग से संबंधित कार्यों में अच्छा कर सकते हैं. इनके व्यक्ति एक महान और बौद्धिक आचरण वाला होता है. धैर्य और परिश्रम उनके कर्तव्यों के प्रति उनके दृष्टिकोण को परिभाषित करते हैं, जिससे उनके काम में गलतियों की संभावना कम हो जाती है. कार्य क्षेत्र में नियुक्ति करने वाले के रुप में ये लोग काम कर सकते हैं. सावधानीपूर्वक और सक्रिय कर्मचारी के रुप में आगे बढ़ने वाले होते हैं. इन लोगों में विवेकपूर्ण व्यवसायी होने का अच्छा हुनर होता है. कई मामलों में कोषाध्यक्ष के रूप में करियर को आगे ले जाने की इनकी क्षमता अच्छी होती है. 

तुला लग्न 

तुला लग्न के होने के कारण करियर के क्षेत्र में जज, वकील या सलाहकार के रूप में अच्छा काम कर सकते हैं. शुक्र का प्रभाव और तुला राशि की प्रवृत्ति इन्हें एक सफल उद्यमी भी बनाती है.  इन लोगों को फैशन, सौंदर्य प्रसाधन, आयात-निर्यात और लक्जरी उत्पादों से संबंधित व्यवसायों में उत्कृष्टता प्राप्त हो सकती है. इन कार्यों में ये लोग अच्छा प्रदर्शन करने में कुशलता प्राप्त कर सकते हैं. संगीत, नाटक, फोटोग्राफी, पेंटिंग और सौंदर्य प्रसाधन जैसे क्षेत्र इनके लिए अच्छा स्थान होते हैं. 

वृश्चिक लग्न 

वृश्चिक लग्न में आपको करियर के क्षेत्र में कई तरह के काम मिल सकते हैं. इंजीनियरिंग, सशस्त्र बल, पुलिस, विज्ञान या राजनीति में सफलता मिल सकती है. करियर को लेकर ये लोग अनुसंधानों में अच्छा कर सकते हैं. संगीत, नृत्य या गणित जैसे विषयों में अच्छा काम मिल सकता है. आत्मविश्वास और दूसरों की सेवा करने की प्रवृत्ति भी इनके काम को प्रभावित करने वाली होती है. ये लोग ऎसे काम जिनमें साहस की क्षमता देखने को मिलती है उस पर काफी अच्छा प्रयास कर सकते हैं. डॉक्टर या सर्जन बनने की भी इनमें अच्छी योग्यता होती है. पानी से संबंधित अन्य क्षेत्रों में अवसर मिल सकते हैं.  इसके अतिरिक्त, इस लग्न वालों के लिए भूमि से संबंधित कामों में भी अच्छे अवसर होते हैं. 

धनु लग्न 

धनु लग्न वालों के लिए ऎसे कार्य अच्छे रहते हैं जो ज्ञान का विस्तार करते हों या फिर एकाग्रता से संबंध रखते हैं. इन लोगों के लिए अध्यात्म से संबंधित सभी काम बेहतर होते हैं. इन चीजों में लोगों के समक्ष गुरु की भूमिका में भी संस्थान को चला सकते हैं. शिक्षा या विज्ञान में ये लोग अच्छा कर सकते हैं. दयालु, परोपकारी प्रवृति को होने के कारण इसी एन जी ओ के काम में भी इनकी भूमिका बेहतर हो सकती है. कला और ज्ञान में गहरी रुचि रखते हैं. धर्म, शिक्षा या विज्ञान का मार्ग अक्सर प्रसिद्धि और समृद्धि की ओर ले जाता है. बृहस्पति इस लग्न का स्वामी होता है और उसके प्रभाव से ही ये लोग धार्मिक गतिविधियों में शामिल रहते हैं. धनु लग्न व्यक्ति को एक अच्छा परामर्शदाता, उपदेशक और वित्तीय प्रबंधन, साहित्य और दर्शन से संबंधित क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्रदान कर सकता है.

मकर लग्न 

मकर लग्न वालों में व्यावहारिकता, कड़ी मेहनत करने का अच्छा जुनून दिखाई देता है. धैर्य इनके भीतर धीरे धीरे आगे ले जाने का काम करता है. चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को सफलतापूर्वक कर लेने में बेहतर होते हैं. इस लग्न वालों के लिए कृषि, उत्पादन, खनिज और भूमि से संबंधित व्यवसायों में कम करने के अच्छे मौके मिल सकते हैं. यह कार्य क्षेत्र में बेहतर सफलता को दिलाने के लिए सहायक होता है. कुछ मामलों में इनके अपने करियर में अगर अवसाद या निराशा की भावनाओं का अनुभव हो तब स्थिति इनके लिए परेशानी का सबब हो सकती है. ये लोग शेयर मार्किट, एलआईसी से जुड़े काम में भी अच्छा कर पाने में सक्षम होते हैं. 

कुंभ राशि

कुम्भ लग्न के लोगों के लिए बौद्धिक प्रवृत्ति वाले काम बेहतरीन हो सकते हैं. कुंभ राशि के स्वामी शनि का प्रभाव इंजीनियरिंग, पुरातन वस्तुओं के कार्य, आयात निर्यात, सेवा विभाग, मजदूर वर्ग से जुड़ने वाले काम, संपत्ति एवं लेखन में पहचान दिलाने में सहायक बनते हैं.  इसके अलावा शनि व्यक्ति को मशीनरी से संबंधित व्यवसाय में भी अच्छी प्लेसमेंट दे सकता है. यह लोग अपनी खोजी प्रवृती एवं उन्मुक्त व्यवहार के चलते विद्वान और दार्शनिक के रूप में उत्कृष्ट हो सकते हैं और इंजीनियरिंग और प्रबंधन के क्षेत्र में अच्छा काम कर सकते हैं. 

मीन राशि

मीन लग्न के पर बृहस्पति का असर होता है. इस लग्न के लोगों में कोमलता एवं भावनात्मक गुण भी अधिक होता है. ऎसे में यह लोग समाज कल्याण से जुड़े कामों में करियर को अपना सकते हैं. परिवहन, स्वास्थ्य सेवा और आतिथ्य उद्योग से संबंधित करियर में भी काम कर सकते हैं. सिनेमा, मनोरंजन, अभिनय, मॉडलिंग और कॉस्मेटिक उत्पादों में व्यवसाय कर सकते हैं. बृहस्पति का प्रभाव इन्हें शिक्षक, प्रोफेसर, लेखक, पत्रकार और आयात-निर्यात व्यवसायों में करियर के अवसर देता है. 

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कुंडली के ये ग्रह बन सकते हैं कर्ज का कारक

जीवन में धन की स्थिति को लेकर हर कोई किसी न किसी रुप में प्रयासरत देखा जा सकता है. आर्थिक प्रगति की इच्छा सभी के भीतर मौजूद रहती है. लेकिन हर कोई एक जैसी स्थिति को नहीं पाता है. कहीं धन की कमी इतनी बनी रहती है कि व्यक्ति कर्ज लेने के लिए मजबूत रहता है. वहीं को यदि कर्ज लेता भी है तो उसे चुका लेने में सक्षम होता है. पर कुछ मामलों में कर्ज से मुक्त हो पाना असंभव सा रहता है. कई बार तो यह स्थिति पीढ़ियों पर भी अपना असर डने वाली होती है. 

बहुत से लोग जन्म कुंडली के विभिन्न भावों में सकारात्मक ग्रहों को पाकर सुख महसूस करते हैं. वहीं कुछ लोग नकारात्मक ग्रहों को के कारण निराशा को पाते हैं  होने लगते हैं.  इसके अलावा पूर्व जन्मों के कार्य भी आपके आने वाले कार्यों का परिणाम होते हैं. कुंडली में पिछले जीवन के कर्मों से धन लाभ के संकेत मिल सकते हैं. नकारात्मक ग्रह वर्तमान जीवन में कष्ट देते हैं लेकिन सुधार का अवसर देते हैं, जो पहले नहीं कर पाए थे. जन्म कुंडली के दूसरे, नौवें, दसवें और ग्यारहवें  भाव में कुछ अच्छे ग्रहों का योग वित्तीय लाभ देता है. इसलिए सबसे पहले ग्रह और भाव पर ध्यान देना जरुरी है साथ ही धन हानि से जुड़े योगों पर नजर बनाकर रखनी भी जरुरी है. 

कुंडली में कर्ज धन हानि से संबंधित भाव ग्रह 

जन्म कुंडली में दूसरा भाव, ग्यारहवां भाव और इसके स्वामी धन की स्थिति के मुख्य वाहक बनते हैं. चंद्रमा और बृहस्पति जो धन का कारक होता इन पर अष्टमेश का नकारात्मक प्रभाव गरीबी, अचानक वित्तीय असफलताओं, दिवालियापन, कमाई में रुकावट, आय में बाधा, मुकदमेबाजी, दुर्घटना आदि के माध्यम से वित्तीय समस्याएं दे सकता है. 

दूसरे भाव, ग्यारहवें भाव और इनके स्वामी. इसके अलावा चंद्रमा और बृहस्पति पर छठे भाव के स्वामी स्वामी का नकारात्मक प्रभाव होने से विवादों, बीमारियों, चोटों, दुश्मनों के माध्यम से कर्ज एवं वित्तीय समस्याएं जीवन पर असर डालने वाली होती हैं. चोरी, आग, धोखाधड़ी, मुकदमेबाजी आदि के माध्यम से व्यक्ति को आर्थिक नुकसान हो सकता है. .

छठा भाव पीड़ित होने के कारण व्यक्ति को भारी कर्ज देने वाला हो सकता है. व्यक्ति अनेक प्रकार के बिलों पर भुगतान के चलते बड़ी धनराशि खर्च कर सकता है. 

दूसरे भाव ग्यारहवें भाव, दूसरे भाव के स्वामी या एकादश भाव के स्वामी पर बारहवें भाव का या इसके स्वामी का असर, इसके अलावा चंद्रमा और बृहस्पति पर बारहवें भाव के स्वामी का नकारात्मक प्रभाव भारी वित्तीय नुकसान, अत्यधिक व्यय, पैसे बचाने में असमर्थता या अस्पताल में भर्ती होने और कारावास के माध्यम से वित्तीय समस्याएं दे सकता है.

जन्म कुंडली में ग्रह हमारे जीवन के बारे में छोटी से छोटी जानकारी का संकेत देते हैं. हम जिस ग्रहों की स्थिति के साथ पैदा हुए हैं, जिसे ज्योतिष में योग कहा जाता है, वह जीवन में हमारी संपत्ति, रिश्ते, आशीर्वाद और दुखों का प्रभाव हमें बताते हैं. इससे बनने वाले ज्योतिषीय योग हमारे जीवन में शुभ या अशुभ का वादा करते हैं.  यदि धन योग अच्छा है तो उस स्थिति में जीवन में कितना धन और संपत्ति प्राप्त होगी इसका एक बेहतर परिणाम गणना द्वारा सामने लाया जा सकता है. 

ग्रहों का योग व्यक्ति के कर्मों के परिणामों को फलित करने के लिए भी होता है. इसी के द्वारा अच्छे या बुरे योग भी बनते हैं. जन्म कुंडली में धन देखने के लिए सबसे पहले कुंडली में धन योग का होना आवश्यक है. हर कोई धन योग के साथ पैदा नहीं होता है, लेकिन जिसके पास भी है, वह निश्चित रूप से जीवन में अपार धन अर्जित करेगा. ज्योतिष ग्रंथों में बताए अनुसार धन के विशिष्ट घर होते हैं. ये मुख्य रूप से जन्म कुंडली के दूसरे और ग्यारहवें भाव से देखे जाते हैं. यह भाव निश्चित रूप से धन के आगमन को दर्शाते हैं, लेकिन धन हानि के लिए इन भावों का सूक्ष्म अध्ययन ही हमारे लिए काफी सटीक बन पाता है. यदि धन का का योग खर्च में अधिक हो तो ऎसे में  हानि, निवेश में घाटा, चोरी आदि के संदर्भ में धन की स्थिति को कमजोर करने वाले भावों को जान लेना जरुरी होता है. 

कौन से ग्रह देते हैं धन हानि

कर्ज या धन हानि का कारण कुछ विशेष ग्रहों की स्थिति के कारण पड़ता है. 

राहु धोखाधड़ी, लालच, वासना, अतिभोग और सट्टेबाजी की प्रवृत्ति के माध्यम से वित्तीय समस्याएं दे सकता है. खराब राहु के कारण व्यक्ति को अकस्मात होने वाले जीवन के सबसे बुरे दुखों का सामना करना पड़ जाता है. यह स्थिति उस काम में अधिक होती है जो जोखिम भरे निवेशों से जुड़े होती है. राहु का प्रकोप चाहे वे एक समय के सबसे बड़े शेयर बाजार में दिखाई देता है, तथाकथित आध्यात्मिक गुरु, बड़े नौकरशाह और राजनेता कोई भी इसके प्रकोप से बचा नहीं है.

केतु एक अभौतिकवादी ग्रह है, इसलिए यह धन या आय के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकता है.

शनि गरीबी, बीमारी, कमाई में बाधा और गलत दिशा में प्रयास या गलत कर्म के माध्यम से वित्तीय नुकसान दे सकता है.

 कौन सा भाव कर्ज को दर्शाता है 

कर्ज को दर्शाने वाले भाव वही होते हैं जो धन की प्राप्ति में बाधा बनते हैं यह धन भाव और लाभ भाव के कमजोर होने के कारण भी हो सकता है. धन भाव का छठे भाव या बारहवें भाव के साथ संबंध होना भी आर्थिक स्थिति को कमजोर कर देने वाला होता है. कुंडली का दूसरा भाव व्यक्ति की आर्थिक स्थिति और धन संचय करने की क्षमता को दर्शाता है. जीवन में कितना धन संचय करेंगे यह जन्म कुंडली के दूसरे भाव से पता चलता है. यह भी एक अर्थ त्रिकोण भाव है दूसरा, छठा भाव, दसवां भाव अर्थ त्रिकोण भाव होते हैं. इस प्रकार, यदि किसी कुंडली में द्वितीय भाव, द्वितीयेश और कारक बृहस्पति मजबूत स्थिति में हों तो यह भाव जातक को आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है.

एकादश भाव व्यक्ति की आय का मुख्य भाव होता है. जन्म कुंडली में ग्यारहवां भाव जीवन में लाभ या लाभ के विभिन्न स्रोतों को दर्शाता है. यह मनोकामना पूर्ति का भाव स्थान होता है. ऎसे में इस भाव का शुभ होना सभी इच्छाओं को पूरा कर सकता है. जन्म कुंडली में नौवें घर को लक्ष्मी स्थान या देवी लक्ष्मी का स्थान कहा जाता है. ज्योतिष में पंचम और नवम भाव को लक्ष्मी स्थान कहा जाता है. नौवें घर को भाग्य का भाव भी कहा जाता है क्योंकि यह जीवन में भाग्य के बारे में जानकारी देता है. जीवन में धन संचय और आर्थिक समृद्धि में भाग्य अहम भूमिका निभाता है. इस प्रकार, यदि नवम भाव, नवमेश और कारक बृहस्पति मजबूत स्थिति में हैं, तो वे जीवन में लाभ और समृद्धि प्रदान कर सकता है. 

दशम भाव हमारे कर्म और कार्यक्षेत्र के बारे में जानकारी देता है. कौन सा कार्य हमें धन लाभ या धन लाभ देगा? यह भाव इस जानकारी को इंगित करता है. इसके अलावा नवम भाव हमारी कड़ी मेहनत और उससे मिली पहचान को भी दर्शाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्यक्ति को प्राप्त उच्च पद, सम्मान, मान्यता और प्रसिद्धि के लिए नवम भाव देखा जाता है. इस प्रकार, यह भाव किसी के जीवन में वित्तीय लाभ निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. अब इन सभी भावों के द्वारा व्यक्ति के कर्ज की स्थिति का भी बोध होता है. 

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शुक्र का शुभ या अशुभ प्रभाव कैसे करता है आपको प्रभावित

कुंडली में मौजूद आपके लिए शुभ है या अशुभ इस बात को जानने के लिए जरुरी है की, इसके द्वारा मिलने वाले प्रभावों को समझ लिया जाए. शुक्र के कारक तत्वों की प्राप्ति जीवन में किस रुप में होती है उसके द्वारा इस बात को जान पाना संभव है की शुक्र की स्थिति हमारी कुंडली में अच्छे है या फिर परेशानी का कारण बन रही है. वैदिक ज्योतिष में शुक्र का असर सुखों की अनुभूति देने वाला होता है. वैवाहिक और यौन जीवन का सुख मिलना इसके शुभ होने का संकेत होता है, जीवनसाथी के साथ संबंध और उनकी उपस्थिति, व्यवहार, महिलाओं के साथ संबंध, बेटियों, भोजन और पेय पदार्थों का स्वाद, आराम, जीवन शैली, ग्लैमर जैसी चीजों पर शुक्र का ही प्रभाव सबसे अधिक दिखाई देता है. 

शुक्र का ज्योतिष प्रभाव 

शुक्र प्रत्येक राशि में लगभग एक माह तक रहता है.  एक राशि चक्र को पूरा करने में लगभग एक वर्ष लगाता है. शुक्र अपने गति में वक्री एवं मार्गी भी होता है. अस्त एवं उदय भी होता है इसी प्रकार कई तरह से वह अपनी स्थिति में बदलाव को दिखाता है. सामान्य तौर पर, शुक्र और वृष के लिए यह अत्यंत शुभ होता है क्योंकि यह इसकी राशियां होती हैं. इसके अलावा मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ राशियों पर भी इसका असर अनुकूल परिणाम देने वाला माना गया है. इसके अलग अन्य राशियों में इसकी स्थिति कुछ कमजोर असर दिखाने वाली हो सकती है.

कुंडली में शुक्र ग्रह के शुभ और अशुभ 

कुंडली में यदि शुक्र शुभ हो तो उसके असर का प्रभाव आपएक जीवन को पूर्ण रुप से बदल सकता है. जीवन में व्यक्ति सुखों को पाने में सक्षम होता है. शुक्र के शुभ फलों की स्थिति तब प्राप्त होती है जब कुंडली में शुक्र एक अच्छी स्थिति में होता है. शुक्र का स्वराशिगत होकर शुभ भाव स्थानों में होना. शुभ ग्रहों के द्वारा इस पर दृष्टि या प्रभाव हो, वर्ग कुंडली में शुक्र की स्थिति शुभ हो तब शुक्र से मिलने वाले कारक तत्वों बेहतरीन रुप से जीवन में शुभता का संचार करने वाले होते हैं. 

शुक्र के कारक तत्वों में मुख्य बात विलासितापूर्ण जीवनशैली का होना है. जब शुक्र शुभ हो तो व्यक्ति को ऎसा जीवन आसानी से प्राप्त होता है. वह धनवान लोगों की श्रेणी में होता है. उसके पास हर प्रकार की वैभवशाली चीजें होती हैं और उन्हें भोगने की उसकी प्रवृत्ति भी अत्यंत शुभ होती है.  टेलीविजन सितारे, कलाकार, मॉडल, फैशन डिजाइनर, बुद्धिजीवी जो अपने भाषण या लेखन से समाज को प्रभावित करते हैं, करिश्माई राजनेता, शुक्र ग्रह के शुभ प्रभाव से ही होते हैं. इन लोगों एवं इनसे जुड़े लोगों की कुंडली शुक्र की स्थिति ही इस जगह इन्हें ले जाती है. 

शुक्र भी ज्ञान को देने वाल ग्रह है, इसका असर व्यक्ति को ऎसी चीजों में रुझान देता है जो बदलाव और नवीनता को अपनाने के लिए आगे रखे. व्यक्ति का दिमाग तेज़ होता है और वे सामान्य से अधिक तेज़ सोच सकते हैं. परिपक्व निर्णय, सहजता का गुण इनमें शुक्र की शुभता के द्वारा ही प्राप्त होता है. 

स्वाद की यदि अनुभूति देखें तो यह शुक्र के शुभ होने पर ही मिल सकती है. एक शुभ शुक्र का असर व्यक्ति को सबसे अच्छे स्वाद की प्राप्ति कराने वाला होता है. व्यक्ति खान पान का शौकिन होगा और उसमें भी उसे सबसे अच्छी चीजों की ही प्राप्ति होती है. जीवन में हर चीज़ का स्वाद चखने वाला होता है लेकिन किसी भी चीज़ की लत उसे प्रभावित नहीं करती है. शुक्र अगर पीड़ित होगा तब ही वह व्यक्ति को लत से प्रभावित करने वाला होता है. अन्यथा शुक्र शुक्र अनुभव देगा लेकिन उनके पीछे भागने की ललक से बचाता है. 

शुक्र की शुभता का असर व्यक्ति को अपने अनुसार जीने की क्षमता प्रदान करता है. कुछ लोग अपने कार्य में स्वयं को लेकर ही जवाबदेही करना पसंद करते हैं.चीजों को खोजने को लेकर उत्साह होता है,  प्राचीन आभूषण, आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स चीजों को एकत्र करना पसंद करते हैं. उन्हें छोटी-छोटी बातों की परवाह नहीं होती जैसे शादियों में शामिल होना, दोस्तों और रिश्तेदारों को उनके जन्मदिन पर बधाई देना, सालगिरह याद करना आदि.

चीजों उनके लिए बहुत अधिक महत्व न रखें. दूसरों के अनुसार ढल पाना मुश्किल होता है. अपनी छाप हर ओर छोड़ते चले जाते हैं. जीवनसाथी और बच्चे उन्हें न तो समझ सकते हैं और न ही नियंत्रित कर सकते हैं. वह खुद के मालिक होते हैं तथा अपनी शर्तों पर जीवन जीना पसंद करते हैं. 

कुछ ही ग्लैमरस बाबा या गुरु बनेंगे जिनके पास कोई आध्यात्मिक शक्ति नहीं है लेकिन वे अपने भाषणों से लाखों लोगों को आश्वस्त कर सकते हैं. जब तक वे विवाहेतर संबंधों में नहीं पड़ेंगे, उनकी जीवनशैली और व्यावसायिक सफलता अच्छी रहेगी. इनमें नैतिक मूल्यों, ईमानदारी आदि की कमी हो सकती है, फिर भी स्थिति आने पर वे नैतिकता के लिए आदर्श भी सिद्ध होते हैं. 

कुंडली में शुक्र ग्रह के अशुभ प्रभाव

कुंडली में अशुभ शुक्र की स्थिति तब निर्मित होती है जब वह कुंडली में कमजोर होता है. इस स्थिति के कई कारण हो सकते हैं. शुक्र कुंडली में नीच स्थिति में होने पर खराब फल दे सकता है. शुक्र का पाप ग्रहों के साथ युति या दृष्टि संयोग, शुक्र का खरब भाव स्थानों पर बैठना एवं वर्ग कुंडली में शुक्र की खराब स्थिति ही शुक्र के अशुभ फलों को प्रदान करने वाली होती है. 

शुक्र जब कुंडली में खराब होता है तो इसके घातक प्रभाव जीवन पर पड़ सकते हैं. इसके द्वारा व्यक्ति अपने जीवन में सुखों की कमी सबसे अधिक परेशान करने वाली हो सकती है. 

शुक्र के कुंडली में यदि कन्या राशि में होता है तो इसके कारण शुक्र के नीच फल व्यक्ति को प्राप्त होते हैं शुक्र का राहु केतु जैसे पाप ग्रहों के साथ होना अपराध जगत और गंभीर रोगों का असर देने वाला हो सकता है. 

व्यक्ति को अपने जीवन में चाहे आरामदायक वस्तुएं प्राप्त हों लेकिन उनका उपभोग करना उसके लिए मुश्किल होता है. वह अपने आस पास की चीजों को पाने में असमर्थ हो सकता है. किसी बड़े घटनाक्रम में वह अचानक सारी से पैतृक संपत्ति खो सकता है. दीवालिया होने जैसी घटना शुक्र के अशुभ फल का कारण बनती है. 

शुक्र का कमजोर होना व्यक्ति को रचनात्मक क्षेत्र में अच्छी सफलता नहीं दिलवा पाता है. व्यक्ति खेल, साहित्य या किसी रचनात्मक क्षेत्र में कौशल हासिल कर लेता है लेकिन यह लंबे समय तक उपयोगी नहीं होता है. संघर्ष की स्थिति जीवन में बनी रहती है. 

व्यक्ति नौकरी में तो अच्छा कर पाता है लेकिन जब बात आती है बिजनेस कि तो उस स्थिति में वह कामयाबी के लिए तरस सकता है. व्यक्ति को दूसरों का सहयोग नहीं मिल पाता है. 

शुक्र का कमजोर होना व्यक्ति के भावनात्मक पक्ष को भी कई बार कमजोर कर देने वाला होता है. आलस्य, अनुशासन की कमी, व्यसनों की ओर झुकाव व्यक्ति में बना रहता है. अशुभ शुक्र व्यक्ति को गंभीर लत के परिणामों से प्रभावित कर सकता है. किसी चीज को शौक किया होगा लेकिन उसे छोड़ पाना उसके लिए संभव नहीं हो पाता है. 

 शुक्र का अशुभ होना व्यक्ति को यौन संक्रमण जैसे रोगों से जल्द प्रभावित करता है. कैंसर, शुगर, संक्रमण से होने वाले रोग, एडस जैसी बीमारी भी शुक्र के अशुभ होने के कारण हो सकती है. 

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कुंडली मे शनि के कमज़ोर होने झेलनी पड़ सकती है ये परेशानियां

ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह की स्थिति अत्यंत ही विशिष्ट मानी गई है. शनि हमारे जीवन के अधिकांश भाग पर अपने असर दिखाता है. अन्य सभी ग्रहों से अधिक शनि का प्रभाव हम सभी के जीवन पर अधिक पड़ता है. शनि की दशा हो या उसकी साढ़ेसाती, गोचर की स्थिति सभी कुछ जब भी जिस भी समय व्यक्ति को प्रभावित करती हैं तभी इनका असर हम पर अधिक पड़ता है. 

शनि एक धीमी गति का ग्रह है और महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. यह किसी व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है, और इसकी ताकत या कमजोरी के गंभीर परिणाम हो सकते हैं. जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में शनि कमजोर होता है, तो यह चुनौतियां और अवसर दोनों पैदा कर सकता है. कमजोर शनि के अर्थों को समझने के लिए इसकी कुंडली में स्थिति को समझना जरुरी और साथ में अन्य अर्थों का पता लगाने की जरुरत होती है. जब कोई ग्रह अपना असर नहीं दे पाता है तो इसके पीछे कई सारी बातें काम कर सकती है. जब शनि कम प्रभाव डालता है तो जीवन में कई तरह के परिणामों की उम्मीद कर सकता है.

राशि चक्र का कर्म गुरु है शनि 

शनि ग्रह को राशि चक्र में कर्म का प्रधान माना जाता है.  इस कारण से इस ग्रह को एक टास्क मास्टर के रुप में भी नाम दिया जाता है. शनि एक ऎसा ग्रह है जो जीवन में होने वाले बदलावों के केन्द्र में रहता है.इसके कारण ही अनुशासन, जिम्मेदारी और जीवन के अच्छे बुरे अनुभवों को व्यक्ति करीब से जान पाता है. ज्योतिष में, शनि कर्म प्रभाव का प्रतिनिधित्व करता है, जो किसी के पिछले कार्यों के परिणामों को दर्शाता है. यह पूर्व और वर्तमान जन्मों की कर्म अवधारणा का केन्द्र है. जब शनि मजबूत होता है, तो यह धैर्य, दृढ़ता और लचीलेपन के साथ चुनौतियों का सामना करने की क्षमता जैसे गुण प्रदान करता है. कमजोर शनि जीवन के विभिन्न पहलुओं में बाधाएं उत्पन्न कर सकता है. यह जीवन में उन चीजों की कमी को मुख्य रुप से सामने ला देता है जो जीवन के आगे बढ़ने के लिए बेहद जरुरी रही होगी. व्यक्ति लापरवाही के कारण ही अपने अच्छे मौकों को गवां देता है और फिर पश्चाताप के अलावा उसके पास कुछ नहीं होता है. 

करियर और व्यावसायिक जीवन में चुनौतियाँ

कमजोर शनि करियर और व्यापार के जीवन में कठिनाइयों का कारण बन सकता है. व्यक्तियों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में बाधाओं का अनुभव हो सकता है और अपने काम में किए जाने वाले प्रयासों में असफलताओं का सामना करना पड़ सकता है. यह किसी की कड़ी मेहनत और कौशल के लिए मान्यता और सराहना की कमी भी पैदा कर सकता है. ऐसे व्यक्तियों को कॉर्पोरेट सीढ़ी पर चढ़ना चुनौतीपूर्ण लग सकता है और करियर में उन्नति में देरी का अनुभव हो सकता है.

नौकरी में नीच का शनि आसानी से स्थिरता नहीं देता है. यहां कार्य क्षेत्र में कई तरह के व्यवधान तो होते ही हैं साथ ही कुछ गलत कार्यों का असर भी कर्म क्षेत्र को प्रभावित करने वाला होता है. जमाखौरी, काम में लापरवाही, नौकरों के साथ विवाद, व्यर्थ की हानि जैसी बातें व्यक्ति को परेशान कर सकती है. नौकरी में व्यक्ति अपने अधिकारियों के साथ बेहतर ताल मेल को पाने में कमजोर होता है. वह अपने आस पास के लोगों की राजनीति से भी जल्द ही प्रभावित होता है. 

आर्थिक स्थिति को लेकर संघर्ष रहता है

शनि के कमजोर होने पर वित्तीय स्थिरता एक गंभीर चिंता का विषय हो सकती है. धन की बचत कर पाना उसे लेकर अधिक लाभ पाना जैसी बातें परेशानी अधिक दे सकती हैं. वित्त प्रबंधन के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ सकता है. धन का संयोजन कर पाना कठिन ही रहता है. व्यक्तियों को अप्रत्याशित खर्च या वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. कई बार निवेश से अनुकूल परिणाम नहीं मिल पाते हैं. इसके अलावा गलत रुप से निवेश की स्थिति भी चिंता को बढ़ा देने वाली होती है. वित्तीय असुरक्षा की भावना व्याप्त हो सकती है इसके अलावा जीवन में दूसरों से कर्ज लेने की स्थिति भी व्यक्ति पर असर डालने वाली होती है.

सेवा भाव की कमी 

शनि जब कमजोर होता है तो व्यक्ति को कार्यों में लापरवक़ह बना सकता है. अपनी जिम्मेदारियों को लेकर वह अनभिज्ञ रह सकता है. वह दूसरों को अपने काम दे सकता है. सेवा भाव जैसे काम वह आसानी से नहीं कर पाता है. उसके भीतर अहम की भावना भी अधिक रह सकती है. कार्यों से छुटकारा पाने की प्रवृत्ति में उसमें हो सकती है.

रिश्तों और परिवार पर प्रभाव

कमजोर शनि व्यक्तिगत संबंधों और पारिवारिक सुख की कमी को भी दिखा सकता है. यह आपसी रिश्तों में अविश्वास को पैदा कर सकता है. गर्मजोशी की कमी रह सकती है. अपनों की उपेक्षा उसके लिए परेशानी का सबब देने वाली होती है. व्यक्तियों को परिवार के सदस्यों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे बार-बार झगड़े और गलतफहमियां पैदा हो सकती हैं. भावनात्मक अलगाव की भावना हो सकती है, जिससे सार्थक संबंध बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है.

स्वास्थ्य विकार और लंबे समय के रोग का असर

जन्म कुंडली में शनि के कमजोर होने पर स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं परेशानी देती हैं. स्नायु तंत्र से जुड़ी समस्या अधिक रह सकती है. इसके कारण वात की समस्या भी शरिर को लम्बे समय तक प्रभावित करने वाली होती है. शनि का नीच का प्रभाव व्यक्ति को ऎसे रोग देता है जो लम्बे समय तक प्रभाव डालते हैं. एक प्रकार से लाइलाज बिमारियां इस के कारण अधिक प्रभावित दिखाई दे सकती हैं. व्यक्ति पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति संवेदनशील हो सकता है. मानसिक रुप से चिंता उसे छोड़ नहीं पाती है. ठीक होने में देरी का अनुभव कर सकते हैं. ऐसे व्यक्तियों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपनी भलाई पर अतिरिक्त ध्यान दें और संभावित स्वास्थ्य समस्याओं को कम करने के लिए स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं.

शनि का प्रभाव मनोवैज्ञानिक क्षेत्र तक भी फैला हुआ है. जब शनि कमजोर होता है, तो व्यक्ति को आत्म-संदेह, चिंता और अवसाद की भावना का अनुभव हो सकता है. व्यक्ति को तनाव से निपटने में कठिनाई हो सकती है.  आत्मविश्वास की कमी हो सकती है. इन चुनौतीपूर्ण भावनाओं से निपटने के लिए परामर्श या सहायता लेना फायदेमंद हो सकता है.

शनि जब भी कमजोर हो तो कई तरह की परेशानी जीवन में असर डालती है. नीच के शनि की दशा भी खराब फल देती है. शनि को अनुकूल बनाने के लिए जरुरी है कि उसके लिए उपायों को अवश्य किया जाए. शनि मंत्रों का जाप करना सबसे उत्तम उपायों में से एक काम होता है. 

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