वैदिक ज्योतिष में मंगल का दूसरे भाव में होना भाव की स्थिति के साथ साथ मंगल की अपनी अवस्था को भी प्रभावित करता है. वैदिक ज्योतिष में गणना के अनुसार जब मंगल दूसरे भाव में विराजमान होता है तो इसका प्रभाव कई संदर्भों में देखने को मिलता है. मंगल और जन्म कुंडली में मंगल की स्थिति को देखते हुए ही इसके प्रभाव के बारे में समीक्षा करनी विशेष होती है. लेकिन सामान्य रुप में जब इसकी व्याख्या की जाती है तो इसका सार्वभौमिक प्रभाव दिखाई पड़ता है जिसका वर्णन हम यहां करने वाले हैं लेकिन जब बात आएगी व्यक्तिगत जन्म कुंडली की तब व्यक्ति विशेष के अनुसार इसके प्रभावों में कुछ खास परिणाम अवश्य देखने को मिलेंगे.
ज्योतिष अनुसार दूसरा भाव और मंगल
जन्म कुंडली के दूसरे भाव में स्थित मंगल ग्रह, कई तरह से अपना प्रभाव देने में सक्षम होता है. सबसे पहले इस बात को समझने कि आवश्यकता होगी कि दूसरा भाव है तब इसके पश्चात मंगल के प्रभाव की समी़अ उचित होगी. शास्त्रों में, सभी नक्षत्र, राशि और नौ ग्रह जन्म कुंडली के बारह भावों से होकर गुजरते हैं. जन्म कुंडली में भाव नक्षत्र और ग्रहों की स्थिति के आधार पर, व्यक्ति के जीवन पर अनुकूल और विपरित प्रभावों का फैसला किया जा सकता है. वैदिक ज्योतिष में, जन्म कुंडली के साथ साथ वर्ग कुंडली में मौजूद ग्रह की स्थिति भी अपना विशेष फल देती है. वर्ग कुंडलियों में भी मंगल की भूमिका को देखा जाएगा जिसके पश्चात दूसरे भाव में बैठे मंगल के फल का निर्धारण संभव होता है.
दूसरा भाव धन भाव, वाणी भाव, पणफर जैसे नामों से पुकारा जाता है. दूसरे भाव में मंगल आपको किसी भी तरह से धन और संपत्ति जमा करने की प्रवृत्ति देता है. मंगल की इस स्थिति में मंगल दोष होता है .
क्या मंगल दोष दूसरे भाव में बनता है?
मंगल दोष की परिभाषा में जन्म कुंडली के लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव और द्वादश भाव को लिया जाता है. लेकिन इसी अवधारणा में एक नया पक्ष दूसरे भाव में मंगल के मांगलिक पक्ष को कहता है. यह धारण दक्षिण भारत के आचार्यों द्वारा मान्य अधिक रही है. जिसके कारण मंगल के दूसरे भाव में होने कि स्थिति को मांगलिक पक्ष से जोड़ कर देखा जाता है.
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ज्योतिष अनुसार मंगल और दूसरे भाव में मंगल दृष्टि प्रभाव
ज्योतिष में, मंगल को भूमि पुत्र, भौम, लोहितंग, अंगारक और क्षितिज जैसे नामों से जाना जाता है. इसके अतिरिक्त, मंगल को सेनापति का स्थान दिया गया है. वैदिक ज्योतिष में मंगल को समय और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है. इसके अलावा, मंगल ग्रह को क्षत्रिय जाति का तामसिक ग्रह भी कहा जाता है, जिसकी विशेषता लाल रंग पर इसका प्रभुत्व और शरीर में रक्त पर विशेष प्रभाव है. ज्योतिष के क्षेत्र में, मंगल ग्रह उत्साह, साहस, पराक्रम और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है. वैदिक ज्योतिष में, मंगल को कुछ अन्य ग्रहों के साथ विशेष पहलुओं और रहस्यमय असाधारण क्षमताओं का स्वामी माना जाता है.
मंगल को अपनी स्थिति से चौथे और आठवें घर पर पूर्ण दृष्टि का अधिकार मिला है. ऎसे में मंगल दूसरे भाव में बैठ कर पंचम भाव को देखेगा, सातवीं दृष्टि से आठवें भाव को देखेगा. आठवी दृष्टि से नवम भाव को देखेगा. मंगल को तामसिक प्रकृति का ग्रह माना जाता है. यदि जन्म कुंडली में मंगल अनुकूल स्थिति में है, तो कई सकारात्मक और शुभ परिणाम प्रदान करने के लिए जाना जाता है, लेकिन अगर अशुभ होगा तो जीवन में उथल पुथल ला देने वाला होगा.
द्वितीय भाव में मंगल का शुभ अशुभ प्रभाव
- दूसरा भाव धन भाव, वाणी भाव, पणफर जैसे नामों से पुकारा जाता है. दूसरे भाव में मंगल आपको किसी भी तरह से धन और संपत्ति जमा करने की प्रवृत्ति देता है. मंगल की इस स्थिति में मंगल दोष होता है और यह पारिवारिक प्रेम पर असर डालता है और विवाह की आयु को प्रभावित करेगा. यह जीवनसाथी से अलग होने और दूसरी शादी करने का संकेत भी देता है. रोग शास्त्र अनुसार नेत्र रोग, चोट, दांत दर्द और दुर्घटनाओं के प्रति भी अधिक संवेदनशील बना सकता है. मंगल के होने पर यह भाव संघर्षपूर्ण स्थिति का प्रतिनिधित्व कर सकता है.
- मंगल एक प्राकृतिक पाप ग्रह है जो मनचाहे धन की तलाश में उलझाए रख सकता है. प्रयासों के लिए उचित परिणाम नहीं मिल पाता है. आक्रामक स्वभाव और दूसरों से अत्यधिक अपेक्षाओं के कारण घरेलू जीवन में अक्सर विवाद को दे सकता है. संतान सुख में कठिनाई हो सकती है. संतान के जन्म समय में नौकरी छूट जाना है या व्यापार कमजोर हो जाने की स्थिति भी अपना असर डाल सकती है.
- वाणी पर असर बोलने में कठिनाई के अलावा, अत्यधिक उत्साह और कठोर भाष शैली भी इसमें देखने को मिलती है. उन लोगों के साथ संगती अधिक दिखाई देती है जहां बुरे दिमाग वाले लोगों का साथ मिलता है. ध्यान भटकाव में रह सकता है. तार्किक दिमाग से अधिक जुनून की प्रवृत्ति स्थान लेती है. अच्छा आधिपत्य उद्यम, विरासत और उत्तराधिकार के माध्यम से सफलता दिला सकता है. दूसरा घर धन, प्रारंभिक शिक्षा और परिवार का घर है. शिक्षा के क्षेत्र में, दूसरे घर में स्थित मंगल का अर्थ है ब्रेक, देरी और निरंतर परिवर्तन दे सकता है.
खान पान में तीखे स्वाद वाले और उच्च कैलोरी वाले भोजन की लालसा देता है. एसिडिटी और अपच की समस्या पैदा कर सकता है. दूसरा भाव सामान्य ज्ञान और स्मृति का भाव होने के कारण आपके पेशे को आवेगपूर्ण तरीके से प्रभावित कर सकता है. मंगल माफ करना और भूलना मुश्किल बना सकता है, चालाक और जहरीला भी बना सकता है. यह स्थिति योजना बनाने में कठोर और जिद्दी भी बनाती है, प्रियजनों से उच्च अपेक्षाएं रखने वाला बना देती है. व्यक्ति चाहेगा कि दूसरे आपके अनुसार काम करें जो होना मुश्किल है जिसके चलते रिश्तों में वैमनस्य लाएगा. विपरीत लिंग के प्रति एक मजबूत आकर्षण महसूस कर सकते हैं. सामाजिक मानदंडों के खिलाफ जा सकते हैं.