करियर और आर्थिक लाभ का समय, वृषभ राशि के लिए राशिफल 2025

वृषभ वार्षिक राशिफल 2025

वृषभ राशि के लोगों के लिए 2025 राशिफल के अनुसार इस वर्ष अनुकूल परिणाम प्राप्त हो सकते हैं. आपका व्यावहारिक क्षेत्र में सफल होंगे. इस समय मानसिक रुप से कुछ बातें चिंता देंगे लेकिन आपका स्वभाव समस्याओं को कम करेगा. संकट के समय आपको बड़ों का मार्गदर्शन मिल पाएगा. छात्रों के लिए बेहतर समय होगा.

अपनी एजुकेशन को काफी अच्छे से पूरा कर पाएंगे. इस साल लाभ भाव का एक्टिव होना धन के आगमन का सूचक होगा. इसके अलावा, आपको अपने उद्देश्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए और उसके अनुसार गतिविधियों की योजना बनानी चाहिए. इसके अलावा, वर्ष के पहले भाग में आपको सफलता मिलेगी. साल के दूसरे भाग में परिश्रम अधिक करना होगा. कुछ मामलों में अपनी अत्यधिक चिंता के कारण सब कुछ बिगाड़ सकते हैं, इसलिए शांत रह कर कामों को करना उचित होगा. 

वृष राशिफल कैरियर और प्रोफेशन 2025

इस वर्ष राशि स्वामी साल के आरंभिक तिमाही में काम के सिलसिले में बेहतर परिणाम मिल सकते हैं. बड़ों और दोस्तों से मिलने वाला सहयोग आपके आत्मविश्वास को बढ़ाएगा. आप नए व्यवसाय शुरू करने में रुचि ले सकते हैं. इसके अलावा होटल, शिक्षा और पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग अच्छी तरह से समृद्ध होंगे. साल के दूसरे भाग में नुकसान के डर से आप कुछ व्यावसायिक गतिविधियों से पीछे हट सकते हैं. 

आपकी कड़ी मेहनत आपके वरिष्ठ का दिल जीत पाएगी. आपको अपनी बातचीत और संचार में उचित और तार्किक होना चाहिए. साल के पहले भाग में अनुकूल परिणाम और काम में विस्तार के योग होंगे. इस बीच गुप्त शत्रुओं से कुछ परेशानी हो सकती है और साल के अंतिम पड़ाव में परिश्रम भी अधिक करना होगा. इस वर्ष के मध्य में नई नौकरी या मौजूदा नए संगठनों में पदोन्नति मिलने की संभावना है. विदेश में काम की तलाश कर रहे लोगों को सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं.

2025 वृष राशिफल पैसा और वित्तीय स्थिति

अपनी आय को अधिक लाभदायक निवेशों में लगाना अधिक महत्वपूर्ण है. दूसरों को पैसा उधार देना उचित नहीं है. इस वर्ष लंबे समय से लंबित ऋण या बड़ों से विरासत मिलने की संभावना है. आपकी रचनात्मक सोच की सभी द्वारा सराहना की जाएगी. आप अचल संपत्तियों में अपने निवेश के संबंध में साहसिक निर्णय ले सकते हैं.फरवरी माह के दौरान शेयर मार्किट या सट्टे से संबंधित आय के माध्यम से लाभ और कमीशन आधारित गतिविधियों के माध्यम से पर्याप्त आय की संभावना है. इस वर्ष आप आय के नए स्रोतों की पहचान कर सकते हैं

शनि को वृषभ के लिए योगकारक माना जाता है और 2025 में शनि आपके लाभ को बढ़ा सकता है. अपने सकारात्मक गोचर में यह सबसे अनुकूल परिणाम प्रदान करता है. वृषभ राशि के लोगों को लाभ भाव शनि के गोचर से बहुत लाभ होगा. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और फार्मेसी उद्योगों से जुड़े लोगों को लाभ होने की संभावना है. वक्री शनि होने पर अनुकूल परिणामों को कुछ हद तक रोक सकता है जो कि स्वभाविक है.इस वर्ष आपको समय पर वेतन और आशाजनक मूल्यांकन मिल सकता है. 

वृषभ राशिफल 2025 प्रेम संबंध और परिवार  

इस साल परिवार और प्रेम के संबंध में अनुकूलता प्राप्त होगी. ग्रहों का गोचर विवाह की संभावना के साथ-साथ जीवनसाथी के साथ जीवन को सुखद रुप से बिताने का समय दिखाता है. रिश्तों में लगाव होगा. शुरुआती समय में करियर या रोजगार के कारण अस्थायी अलगाव हो सकता है. आर्थिक मामलों में लोगों के साथ विचारों में मतभेद हो सकता है. माता-पिता के कारण प्रेम विवाह संभव हो सकता. 

छात्रों के लिए साल के आरंभिक दौर में छठे भाव की प्रबलता ग्रह प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं में सफलता दिलाने वाली होगी. कठिन प्रतिस्पर्धा का सामना करने में सफल हो सकते हैं.  छात्रों के लिए बेहतर संभावनाएं होंगी. डिप्लोमा या अन्य अल्पकालिक प्रमाणपत्रों में सफलता मिलेगी. अपनी शिक्षा के व्यावहारिक पक्ष का ज्ञान होना बहुत महत्वपूर्ण है.

साल के आरंभ में आप परिवार के सदस्यों के साथ यात्राओं का आनंद ले सकते हैं. वर्ष के दूसरे भाग में संतान प्राप्ति की संभावना है. आपको मित्रता में सख्ती से बचना चाहिए, क्योंकि इससे आपकी व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में प्रतिष्ठा प्रभावित हो सकती है. आपको भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति होगी. जीवनसाथी कई मौकों पर आपकी राय का गलत अर्थ निकाल सकता है. इसलिए अपनी जीवन शैली में अधिक पारदर्शी होने का प्रयास करें.

वृषभ राशिफल 2025 स्वास्थ्य के लिए

वृषभ राशि के लोग स्वभाव से मजबूत और स्वस्थ होते हैं. इस साल आप स्वास्थ्य के मामले अनुकूल फल देख पाएंगे. आपको अपने करियर या व्यवसाय के लिए स्वास्थ्य की अनदेखी नहीं करनी चाहिए. इस वर्ष आपको अग्नाशयशोथ और अन्य बीमारियों से बचना चाहिए. 

जीवन शैली में बदलाव लाना सबसे महत्वपूर्ण सुझाव है. उचित आराम और प्राकृतिक भोजन का सेवन अधिक सहायक होता है. कभी भी विषाक्त भोजन का सेवन न करें जो आपके स्वास्थ्य को खराब कर सकता है. गैस्ट्राइटिस, शरीर में दर्द से संबंधित कुछ जटिलताएं हो सकती हैं. जीवनसाथी को त्वचा की समस्याओं, बेचैनी और त्रिदोष के कारण कुछ समय के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है.

वृष राशि 2025 में ज्योतिषीय उपाय 

इस साल आपके लिए आवश्यक है की शुक्र के मंत्र का जप करें. 

ॐ शुं शुक्राय नम:।

‘ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:। 

स्वास्थ्य लाभ के लिए शुक्र स्तोत्र का पाठ करना उचित है. 

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साल 2025 मेष राशि वालों के लिए रहेगा विशेष, जानें मेष वार्षिक राशिफल 2025

वार्षिक राशिफल अनुसार मेष राशि वालों के लिए ग्रहों का गोचर देगा जीवन में नए बदलाव. साल की शुरुआत रहेगी बेहद खास. कुछ अच्छे अनुभव और नई वस्तुओं की प्राप्ति का समय रहेगा बेहद खास. मेष राशि चक्र में में प्रथम स्थान पर आती है. मेष राशि के स्वामी मंगल हैं. मेष राशि के लिए सभी ग्रह अपने अपने रुप में फल दें. आइये जान लेते हैं कैसा रहेगा साल 2025 मेष राशि वालों के लिए. 

मेष राशि के लिए साल 2025 राशिफल / मेष राशि के लिए 2025 शनि साढ़ेसाती का आरंभ 

मेष राशि के लोगों के लिए 2025 का समय उत्साह के साथ नई आशाओं को पूरा करने वाला होगा. इस साल आप पर शनि का असर भी आरंभ होगा जो शनि साढ़ेसाती कहलाएगा.  व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में बहुत सी नई चीजों का आगमन होगा. ऊर्जावान प्रयासों के फलस्वरुप अपने उद्देश्यों तक पहुँचने में सफल हो सकते हैं. ज्योतिष अनुसार 2025 के अनुसार कुछ नई परिस्थितियों से निपटने के लिए समय पर काम पूरे करने का निर्देश देता है. साल के आरंभ भाग में जीवन में प्रगति मिल सकती है. एक सही दृष्टिकोण आपको सभी मामलों में बचाएगा.

2025 मेष राशिफल पैसा और वित्तीय स्थिति

2025 में सबसे बड़ा बदलाव शनि के कारण होगा. वहीं बृहस्पति और राहु जैसे ग्रहों का गोचर करेगा आपको प्रभावित. यह साल मिश्रित परिणाम दिखा रहा है. अवसर मिल सकते हैं लेकिन उनका लाभ उठाने में परिश्रम की अधिकता भी है. आर्थिक मामलों में परिवार का सहयोग मिल सकता है. कुछ कारणों से देरी आपको निराश कर सकती है. इस सल के आरंभ में राशि स्वामी मंगल के निर्बल होने से कुछ दिक्कते हैं आलस्य अधिक रहेगा लेकिन फिर भी गुरु उत्साह भरने का काम करेगा. 

जुलाई में विद्यार्थियों को अनुकूल परिणाम प्राप्त हो सकते हैं. बृहस्पति जीवन में स्थिरता लाएगा. इस प्रकार, 2025 में घर या वाहन का आपका सपना साकार होगा. वित्त या शिक्षा उद्योग से जुड़े लोगों को अच्छी सफलता मिलेगी. जीवन के सभी सुखों को प्रदान करेगा.  आर्थिक मामलों में खर्चों की अधिकता होगी लेकिन साथ ही धन का आगमन भी होता रहेगा. वित्तीय स्थिति संतोषजनक रहेगी.

मेष राशिफल कैरियर और प्रोफेशन 2025

कार्यक्षेत्र में इस साल नए मौके मिलेंगे पद प्राप्ति का समय होगा. निर्माण और होटल उद्योग में विस्तार होगा. कार्यभार के कारण वरिष्ठों के सहयोग से कई चीजों को बेहतर कर पाएंगे. साल के दूसरे भाग में कार्य स्थल पर आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि हो सकती है. आपको अपने प्रयासों में लाभ और अच्छे मौकों की प्राप्ति होगी. आप नए संबंधों का आनंद लेने में सफल होंगे जो आपके करियर के लिए सहायक होंगे. 

शनि के बारहवें भाव में गोचर से जीवन में विशेष परिवर्तन लाएगा. इसके अलावा, विदेश के काम लाभदक होंगे. व्यापार या स्वतंत्र गतिविधियों में खर्च की अधिकता रहेगी. शेयर मार्किट से लाभ होगा. बारहवें भाव में मार्च के बाद के गोचर करने से काम काज को लेकर यात्राओं का दोर बनेगा. कोई नया काम शुरू कर सकते हैं, जिसका दीर्घकालिक प्रभाव रहेगा. किसी काम में जल्दबाजी करने के बजाय जानकारी जुटाना बेहतर होगा. 

साल की दूसरी तिमाही करियर में बड़े बदलाव दे सकती है. विदेश यात्रा की सोच रहे लोगों को इस समय सफलता मिल सकती है. आय में वृद्धि या प्रतियोगिता में सफलता मिल सकती है. यह गोचर होटेल, फूड इंडस्ट्री,आईटी, फार्मेसी और नर्सिंग कामों में लगे लोगों के लिए बेहतर होगा. दूसरों को पैसे उधार देने और नई दोस्ती करने में सावधानी बरतें. 

मेष राशिफल 2025 स्वास्थ्य के लिए

यह वर्ष आपके लिए स्वास्थ्य के मामले में मिले जुले परिणाम देता है. ऐसा कहा जाता है कि लग्न के कमजोर होने और शनि के द्वादश भाव में गोचर के कारण कुछ समस्याएं हो सकती हैं. इस सिरदर्द, अत्यधिक चिंता परेशानी दे सकती है. ऐसे में उचित व्यायाम और पौष्टिक भोजन का नियमित सेवन आपको संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा. 

जीवनसाथी को पाचन संबंधी स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं, तंत्रिका संबंधी कमजोरी या छोटी-मोटी दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा, किशोरों को इस वर्ष प्रेम संबंधों या किसी अन्य अंतरंग संबंधों से बचना चाहिए.  मेष राशि के लोगों को सिरदर्द और पीठ दर्द जैसी सामान्य परेशानियाँ हो सकती हैं. काम के दौरान सही मुद्रा बनाए रखने की कोशिश करें और योग व्यायाम जैसी दैनिक क्रियाओं को शामिल रखें. 

मेष राशिफल 2025 प्रेम संबंध और परिवार  

साल के आरंभ में स्थिति अनुकूल रह सकती है. साल के आरंभ में घरेलू माहौल शांतिपूर्ण रहेगा. संतान पक्ष की ओर से सुखद स्थिति होगी. घर में नई वस्तुओं का आगम प्रसन्नता को देने वाला होगा. हालांकि राशि स्वामी के कमजोर होने के कारण कुछ रोमांस की कमी रहेगी. निजी जीवन में दबाव बना रह सकता है. जीवनसाथी को समझने और यहां तक ​​कि सामाजिक संबंधों में भी परेशानी हो सकती है. कई मौकों पर आपकी प्रतिष्ठा दांव पर लग सकती है. 

अनावश्यक विवादों से बचने के लिए आपको अपने संचार में कुछ नियंत्रित और विनम्र होना चाहिए. कुछ ईर्ष्यालु लोग आपका ध्यान भटकाने की कोशिश कर सकते हैं. वर्ष की दूसरी तिमाही में प्रेम संबंधों में नए रिश्तों का आगमन हो सकता है. सगे-संबंधियों के साथ मधुर संबंध बनाए रख पाएंगे. घरेलू जीवन आपकी संतुष्टि के अनुरूप नहीं हो सकता है और परिस्थितियाँ आपके धैर्य और दृढ़ता की माँग कर सकती हैं. 

मेष राशि 2025 में ज्योतिषीय उपाय 

मेष राशि वालों के लिए इस वर्ष शनि से संबंधित उपायों को करना उचित होगा. 

शनि के लिए प्रत्येक शनिवार के दिन सरसों के तेल का दीपक पीपल वृक्ष पर अवश्य प्रज्जवलित करें. 

हनुमान जी का पूजन करें. 

काले तिल शनिवार के दिन जल में प्रवाहित करें.  

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शनि मीन राशि गोचर 2025: मिथुन राशिफल

शनि कुंडली में अठवें और नवम भाव का स्वामी है. 2025 में, यह मिथुन राशि के लिए दसवें भाव में गोचर करेगा, कुंडली का दसवां भाव कर्म भाव भी कहा जाता है और शनि दसवें भाव का कारक ग्रह भी है. इसलिए यह समय अनुकूल रहेगा.  पूर्व में की गई कड़ी मेहनत से अच्छे परिणाम मिलेंगे. किसी नए काम की आधारशिला रखने के बारे में सोच रहे हैं, तो अब इसे शुरु करने के लिए अच्छा समय है. शनि मीन राशि में रहते हुए जब वक्री होगा तब मिथुन राशि वालों के लिए कुछ कठिन समय हो सकता है लेकिन जब पुन: मार्गी होगा तो स्थिति फिर से पक्ष में होगी. आइये जान लेते हैं शनि के मीन राशि गोचर का मिथुन राशि पर कैसा रहेगा प्रभाव. 

मिथुन राशि वाले अपने चुनौतीपूर्ण समय से कैसे आगे रहें इसके लिए व्यक्तिगत शनि गोचर रिपोर्ट के साथ समस्याओं का सही तरीके से सामना करने का उपाय पाएं: – https://astrobix.com/horoscope/saturnsadesati/

मिथुन राशि पर शनि गोचर 2025 से 2028 तक का समय 

शनि का मिथुन राशि के लिए यह एक महत्वपूर्ण गोचर है क्योंकि यह भाव लक्ष्यों की पूर्ति पर केंद्रित है. इस समय ऊर्जा के स्तर को और अधिक उत्साही स्तर पर ले जाने की आवश्यकता होगी. आर्थिक मसलों में निर्णयों के बारे में सावधान रहने की आवश्यकता भी होगी. आइये जान लेते हैं मिथुन राशि के लिए शनि का मीन राशि गोचर कैसे करेगा, स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिक स्थिति, प्रेम संबंधों इत्यादि को प्रभावित. 

शनि के मिथुन राशि पर गोचर का असर 

वैदिक ज्योतिष में शनि को अनुशासन शिक्षक और सुव्यवस्थित कार्यपालक के रूप में जाना जाता है. अब शनि मीन राशि में प्रवेश करते हुए मिथुन राशि के लिए कई तरह से परिणामों को देने वाले होंगे. शनि देव राशि चक्र का सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है, इसलिए, सभी 12 राशियों का भ्रमण करने में इसे लंबा समय लगता है और इसी कारण शनि का गोचर सबसे अधिक असर डालने वाला गोचर माना गया है.  यह शनि का मीन राशि प्रवेश 29 मार्च  2025 से शुरू होगा और लगभग ढाई साल तक जारी रहेगा. शनि मिथुन राशि वालों को कैसे प्रभावित करेगा यह इस बात पर निर्भर करेगा कि वह किस भाव में प्रवेश करता है.

शनि .की जन्म कुंडली में उग्र मिथुन राशि के लिए 10वें भाव में गोचर करने जा रहा है. यह भाव करियर, व्यवसाय की स्थिति, प्रसिद्धि और आजीविका के स्रोत का सूचक है. यह एक महत्वपूर्ण गोचर है क्योंकि यह भाव लक्ष्यों की प्राप्ति पर केंद्रित है. मिथुन राशि के जातकों के लिए, यह उनके जीवन का ऐसा समय हो सकता है जो उन्हें जीवन में धैर्य बनाए रखने और अपने पैसे खर्च करने में अनुशासन रखने के लिए कहेगा. जीवन में बेहतर स्थिति का अनुभव किया होगा, जीवन कई क्षेत्रों में परेशानी मुक्त रहा होगा. लोगों से संपर्क करने और अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के मामले में यह समय फलदायी और सकारात्मक रह सकता है. अष्टमेष का दशम में होना करियर में बदलाव को भी देगा.

मार्च 2025 से  2028 तक मिथुन राशि पर शनि के गोचर का प्रभाव

शनि गोचर के कारण जीवन का वह समय है जहाँ भीतर से थोड़ी कमी का अनुभव कर सकते हैं. उचित परिणाम प्राप्त करने के लिए धैर्य रखने के साथ साथ उत्साहपूर्वक काम करने की आवश्यकता होगी. शनि का असर जीवन में बाद में लाभकारी साबित हो सकता है और इसलिए, पीछे मुड़कर देखे बिना अपने लक्ष्य की ओर काम करना सफलता का मार्ग प्रशस्त कर सकता है.

शनि गोचर 2025 का करियर पर प्रभाव

इस अवधि के दौरान अपने काम को पूरा करने के लिए अपनी ऊर्जा के स्तर को बनाए रखना होगा. अपने काम करने के आंतरिक तरीके को बदलना और सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना होना चाहिए. यह समय काम को करने के लिए अधिकार और अतिरिक्त जिम्मेदारी का आनंद लेने का है. काम पर संतुष्टि मिल सकती है, उच्च अधिकारियों से कुछ दिशा-निर्देशों की अपेक्षा कर सकते हैं जो बेहतर काम करने में मदद करेंगे. स्मार्ट काम के नए विचार उत्पन्न करने के लिए समय है. 

व्यवसाय के मोर्चे पर चीजें तेज होंगी, और अपने प्रयास से सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने में सक्षम हो सकते हैं. अपने प्रयासों को रचनात्मक तरीके से चैनलाइज़ करने का प्रयास करेंगे, और अपनी व्यावसायिक रणनीतियों में थोड़ा फेरबदल करने के लिए नई चीजों को अपनाएंगे. कड़ी मेहनत करके और नई परियोजनाओं की योजना बनाकर आर्थिक स्थिति को बढ़ाने का प्रयास करेंगे. इस समय ईमानदार प्रयासों से सकारात्मक परिणाम मिलेंगे. व्यवसाय को स्थिर करने और अपनी मौजूदा योजनाओं और कार्यक्रमों को सफल बनाने पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है. सभी बातों एवं विकल्पों की समझ के साथ काम करना उचित होगा किसी भी चीज़ में जल्दबाजी न करना ही उचित होगा. 

शनि गोचर 2025 का आर्थिक और धन की स्थिति पर प्रभाव

शनि अचानक वित्तीय लाभ दिलाने वाला होगा लेकिन निवेश में जल्दबाजी के निर्णय लेने से बचने की सलाह दी जाती है. इमोशनल होकर वित्तीय निर्णय नहीं लेने चाहिए. शनि एक कठोर कार्यपालक है, इसलिए लाभ प्राप्त करने के लिए शायद कुछ अतिरिक्त प्रयास करने पड़ेंगे. कम वधि के लिए वित्तीय निवेश से बचना चाहिए. आर्थिक रूप से, यह एक बेहतर अवधि होने जा रही है. आर्थिक नियंत्रण अनुशासन लागू करने का भी सुझाव इस गोचर में मिलता है जो लंबे समय में फायदेमंद साबित होगा.  

शनि गोचर 2025 का प्रेम जीवन और वैवाहिक जीवन पर प्रभाव

प्रेम और वैवाहिक जीवन पर शनि का असर मिलेजुले रुप में होगा. पार्ट्नर के साथ अच्छा तालमेल बनाए रखने के लिए साझा करना, देखभाल करना और पारस्परिक व्यवहार करना महत्वपूर्ण है. इस समय आप संबंधों का आनंद लेना चाहेंगे, जो भावनात्मक, शारीरिक और आध्यात्मिक हैं सभी रुपों में होगा. साथी के मन में प्यार के बारे में रोमांटिक विचार हो सकते हैं. अपने साथी के बारे में थोड़े अधिकारपूर्ण और खुले तौर पर बात कर सकते हैं. अपने प्यार और अपने साथी के लिए भावनाओं को व्यक्त करने में व्यस्त रहें. . उनका पूरा ध्यान आकर्षित करने के लिए भी उत्सुक हो सकते हैं. जो लोग अविवाहित हैं उनके लिए विवाह का समय निश्चित होगा नए रिश्तों में बंधने का समय होगा.

शनि पारगमन 2025 का स्वास्थ्य पर प्रभाव

वर्ष 2025 के दौरान का स्वास्थ्य औसत रहेगा. त्वचा से संबंधित कुछ समस्याएँ जैसे एलर्जी, खुजली, फुंसी आदि हो सकती हैं जो परेशान करेंगी इस समय सेहत के लिहाज से चिकित्सक विशेषज्ञ से मिलना अनुकूल होगा. कार्यों को करने के लिए आवश्यक साहस और उत्साह की कमी नहीं होगी. माता-पिता को धार्मिक यात्रा पर ले जाने पर विचार कर सकते हैं.  सेहत के मामले में उचित आहार, नींद और नियमित व्यायाम बनाए रखना होगा. आठवें भाव का स्वामित्व लेते हुए सेहत पर असर देगा शनि लेकिन इसका बचव भी देगा. यह बातें स्वस्थ और फिट रहने में मदद करने वाली हैं. नियमित शारीरिक व्यायाम फिट और ठीक रखेगा.  उचित खान-पान की आदतों के साथ अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने में सफल होंगे. 

शनि का गोचर आपके लिए कैसा रहेगा अभी जानें ज्योतिषीय परामर्श द्वारा और पाएं शनि के दुष्प्रभावों से मुक्ति के सरल उपाय : https://astrobix.com/discuss/index

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शनि पहले भाव में , बना सकता है आपको विशेष

वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि ग्रह का बहुत महत्व है. शनि जन्म कुंड्ली के जिस भाव में होगा उस भाव को काफी गहरे असर डालता है. कुंडली के पहले घर में शनि उन कुछ प्रभावों को देता है जिसके कारण उसका सारा जीवन प्रभावित होता है. शनि कुंडली के पहले भाव में अगर बैठता है तो यहां उसके फल भाव, राशि स्वामी के साथ मिलकर मिलते हैं. प्रथम भाव में शनि कुछ जीवन घटनाओं में देरी के लिए जिम्मेदार होता है इसका कारण शनि का धीमा होना है. लग्न में बैठते ही शनि गति को धीमी करने वाला होता है. शनि की स्थिति कि यह बात व्यक्ति के हर पहलू पर असर डालती है.  शनि कई मायनों में लग्न को प्रभावित करता है. इस के कुछ मुख्य सूत्र शनि के निम्न प्रभावों से मिल सकते हैं :- 

  • शनि लग्न में स्थिति राशि अनुसार फल देगा. 
  • पहले भाव में शनि का अस्त फल
  • पहले भाव में शनि का वक्री फल
  • पहले भाव में शनि के उच्च और नीच का फल
  • पहले भाव में शनि का ग्रह युति फल 
  • पहले भाव में मित्र राशि में शनि का फल
  • पहले भाव में शत्रु राशि में शनि का फल 

शनि का असर तब और अलग देखने को मिलेगा जब अलग-अलग राशियों में होता है. प्रथम भाव में वक्री शनि आपको धैर्य के साथ अधिक संभावनाओं के साथ काम करने के लिए प्रेरित करेगा, जबकि प्रथम भाव में अस्त शनि आपको जीवन में संतुलन बनाए रखना सिखाएगा. मित्र ग्रहों के साथ प्रथम भाव में शनि शुभ संयोग बनाता है, यह स्थिति सकारात्मक रूप में कार्य करती है और भाग्य को बदल देने वाली होती है.  

शनि के महत्वपूर्ण ज्योतिष सूत्र 

वैदिक ज्योतिष में शनि के फलों को जानने के लिए चाहिए की समझा जाए शनि को. शनि व्यवस्था, कानून और अनुशासन का प्रतिनिधित्व करता है. शनि को कठोर कार्य देने वाला माना जाता है. शनि सभी ग्रहों में सबसे अधिक कठोर परिणाम देने वाला ग्रह है. धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना जाने वाला शनि किसी भी कार्य को पूरा करने में बहुत समय लेता है. शनि धैर्य को दर्शाता है इसका मतलब है कि सफलता में देरी होगी और लेकिन परिश्रम निष्फल नहीं होगा और सफलता प्राप्त होगी. 

शनि को एक धर्मी ग्रह माना जाता है और इसे न्याय का ग्रह माना जाता है.शनि, कड़ी मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित करता है. शनि अपने दृष्टिकोण में सख्त है और इसका बाहरी रूप कठोर है. शनि पर कर्म का एक महत्वपूर्ण प्रभाव है. अच्छे और बुरे कर्मों का शनि पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है. कर्म अनुकूल होंगे तब शनि पुरस्कृत करता है, गलत कर्म करते हैं तो कर्म का नकारात्मक प्रभाव होगा. 

शनि आपके जीवन को कैसे प्रभावित कर रहा है जानें अभी – 

पहले भाव में शनि का क्या महत्व है?

पहले भाव में शनि होता है, तो नियमों के अधीन रखता है. जन्म कुंडली में पहला भाव स्वयं, पूरे शरीर और समग्र जीवन का प्रतिनिधित्व करता है. यह भाव व्यक्ति के बाहरी व्यक्तित्व, स्वास्थ्य, स्वभाव, ताकत और कमजोरियों को भी दिखाता है. यह भाव इस बात से जुड़ा होता है कि व्यक्ति दुनिया के सामने कैसा दिखता है. जो भी ग्रह पहले भाव को प्रभावित करता है, वह व्यक्तित्व, शरीर और व्यक्ति के पूरे जीवन को प्रभावित करेगा. पहला भाव व्यक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण भाव होता है.

प्रथम भाव में शनि जातक को मेहनती, अनुशासित, जिम्मेदार और ईमानदार बनाता है. जीवन में उनके पास बेहतरीन निर्णय कौशल और सकारात्मक मानसिकता होती है. ये व्यक्ति, बचपन में, अपनी उम्र के अन्य बच्चों की तुलना में काफी परिपक्व होते हैं. जब शनि प्रथम भाव में होता है, तो शारीरिक बनावट, जैसे शरीर का प्रकार, शरीर की बनावट, व्यक्तित्व, व्यक्ति की परिपक्वता का स्तर और दूसरों के साथ उनका व्यवहार प्रभावित होता है.

सकारात्मक शनि

पहले भाव में सकारात्मक शनि माता-पिता, भाई-बहनों और दोस्तों के साथ संबंध को प्रभावित करता है. किसी भी स्थिति का विश्लेषण करने और उस पर काम करने, सही निर्णय लेने और सही काम करने के लिए तर्क और व्यावहारिक दिमाग प्रदान करेगा. यह काम को समय पर पूरा करने और किसी भी काम को अधूरा न छोड़ने के लिए दृढ़ संकल्पित भी बनाता है. मेहनती बनाएगा और कार्यक्षेत्र में सफलता का योग देगा. शनि इस भाव में कुछ भी पाने के लिए तरीकों और विधियों को सीखने की क्षमता देगा. भरोसेमंद और एक अनुशासित व्यक्ति बनाएगा.   

नकारात्मक शनि

पहले भाव में एक नकारात्मक शनि दृढ़ निर्णय लेने से रोकेगा, भ्रमित करेगा और फंसा हुआ महसूस कराएगा. मन को संदेह और भय से भर देगा. जीवन में आगे बढ़ने से डरेंगे. यह ऐसे लोगों से भी मिलवाएगा जो आपको गुमराह करेंगे. यह आपको अत्यधिक महत्वाकांक्षा और आलस्य के अधीन कर सकता है. अवसाद और मनोवैज्ञानिक बातें परेशानी देगी. अपने कार्य में असंतोष देगा  हमेशा असुरक्षित महसूस करवाएगा. शादी में देरी होगी और आपके रिश्ते में कलह होगी. कठोर, जिद्दी हो सकते हैं. 

पहले भाव में वक्री शनि

पहले भाव में वक्री शनि की स्थिति व्यक्ति को अपने दैनिक जीवन में, विशेष रूप से व्यवसाय क्षेत्र और दैनिक कार्यों में चिंतित और असुरक्षित महसूस करवा सकती है. अच्छे और बुरे निर्णयों के बीच अंतर नहीं कर पाते हैं लेकिन यह स्थिति वित्तीय विकास और अवसर भी देगी.

पहले भाव में अस्त शनि

पहले भाव में अस्त शनि की स्थिति जीवन में कई बार कोर्ट केस, पुलिस केस और कानूनी मुकदमेबाजी में फंसा सकती है. कई बार मामले बहुत गंभीर भी हो सकते हैं. यह पुरानी बीमारियों और अशुभ दोषों से भी पीड़ित कर सकता है.

शनि के पहले भाव में योग  

शनि के पहले भाव में योग शश योग. यह योग तब बनता है जब शनि केंद्र में होता है और अपनी राशि या उच्च राशि में होता है. यह आपको दूसरों पर अधिकार जमाने, संगठन का नेतृत्व करने और राजा की तरह अधिकार करने वाला बनाता है.

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प्रथम भाव में बुध ग्रह : बुद्धि और तर्क क्षमता का संगम

प्रथम भाव में बुध ग्रह : बुद्धि और तर्क की कुशलता होती है प्रगाढ़

बुध ग्रह के लिए प्रथम भाव में बुध का होना एक आदर्श स्थान हो सकता है क्योंकि पहला भाव मस्तिष्क है विचार व्य्वहार का स्थान है. ऎसे में बुध जब लग्न में होंगे तो इन चीजों से करेंगे प्रभावित. लग्न भाव और बुध का पहले भाव में होना बेहद विशेष होता है. जन्म कुंडली के प्रत्येक भाव की अपनी भूमिका होती है. अब इस स्थिति में कोई ग्रह जब किसी भाव में विराजमान होता है तो इसके कई दूरगामी प्रभाव मिलते हैं.

बुध का ज्योतिष प्रभाव और पहले भाव का महत्व
ज्योतिष अनुसार किसी जन्म कुंडली का आरंभ पहले भाव से होता है. यह पहला भाव व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, यानी कि स्वयं का, और इसे लग्न के रूप में भी जाना जाता है. इस भाव का महत्व इस तथ्य में निहित है कि स्वयं बाकी सभी चीजों के केंद्र में है. बुध की बात है, जो कि बुद्धि का ग्रह है, यह मानसिक स्थिति को दर्शाता है. इसके द्वारा हम चीजों को समझने की कोशिश करते हैं. यह ग्रह बुद्धिमत्ता और संचार के बारे में भी है. अब पहले भाव में बुध का होना एक बहुत ही संवादात्मक चरित्र की ओर ले जाता है जिसके पास तेज-तर्रार और बुद्धिमान दिमाग होगा.
बुध ग्रह के द्वारा प्रथम भाव में बुध से प्रभावित होने वाले क्षेत्र

बुध की ऐसी स्थिति वाले लोगों में कई गुण होते हैं, जिनकी बहुत मांग होती है. बुध स्वभाव से ही युवा, विचारों के क्षेत्र में सक्रिय, बौद्धिक बहस में रुचि रखने वाला और कई विषयों पर ज्ञान प्राप्त करने का शौकीन होता है. बुध के लिए ज्ञान की गहराई कभी मायने नहीं रखती, बल्कि यह अपनी पहुंच का विस्तार करने में बहुत रुचि रखता है. प्रथम भाव में बुध व्यक्ति को बहुत हंसमुख व्यक्तित्व वाला बनाता है, जब तक कि अन्य कारक इस व्यवहार को बदल न दें.मस्तिष्क का भाग बुध से प्रभावित होगा, आंखें माथा नाक गला कान सब कुछ बुध से प्रभावित होंगे.

व्यक्ति बहुत आकर्षक होते हैं और उनका व्यक्तित्व अक्सर बहुत कोमल होता है. सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत अच्छा होता है. गंभीर स्थिति को भी हल्का बना देने की अच्छी क्षमता और प्रवृत्ति होती है. दिखने में, अगर बुध कुंडली में लग्न में अच्छी स्थिति में है, तो व्यक्ति अपनी उम्र की तुलना में युवा दिखाई देते हैं. ये लोग बौद्धिक रूप से बहुत तेज होते हैं और बहुत पढ़ना पसंद करते हैं, भिन्न विषयों की खोज करना पसंद करते हैं. किसी एक काम में रुचि बनाए रखना इस ग्रह के कारण कठिन और उबाऊ हो सकता है. जल्दी खाते हैं, जल्दी बोलते हैं और जल्दी चलते भी हैं. बहुत ही दिलचस्प प्रवृत्ति के होते हैं बहुत सी चीज़ों में आनंद लेते हैं.

पहले भाव में मजबूत बुध का प्रभाव खर्चीला बना सकता है चीजों में विविधता की इच्छा रखना चाहेंगे. एक ही समय में कई चीज़ों के लिए प्यार के कारण, कई लोग यह कहने में जल्दबाजी करते हैं कि उनके कई रिश्ते भी होंगे, लेकिन आम तौर पर यह सच नहीं है और ऐसे मामलों में समझना है की बुध की प्रवृत्ति सभी के साथ मिलजुल कर रहने वाली है. गहरे स्तर पर, ऐसा बुध व्यक्ति को आत्म-विश्लेषणात्मक बनाता है. कुछ मामलों में अविश्वास की भावना हो सकती है, जिससे जटिलताएँ पैदा हो सकती हैं. किसी भी चीज में बहुत चर्चा करना पसंद करते हैं. कुछ मामलों में विचारों और धारणाओं से जुड़ जाते हैं और उनके माध्यम से अपनी छवि पेश करते हैं. विचारों का निरंतर आदान-प्रदान इन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

बुध के पहले भाव में शुभ – सकारात्मक प्रभाव
प्रथम भाव में बुध है, होने से अज्ञात के रोमांच से व्यक्ति अधिक प्रेरित दिखाई देता है. हमेशा कुछ नया और रोमांचक खोजते रहते हैं. दिलचस्प व्यक्ति होते हैं. बहुत सी बातों में रुचियों की एक विस्तृत श्रृंखला होती है और आपका दिमाग बहुत समृद्ध होता है. व्यक्ति बहुमुखी होता है और आप नई चीजों को आजमाना पसंद करते हैं.

बुध के प्रभाव से व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि समय के साथ बदलते रह सकते हैं. हमेशा आगे बढ़ते रहते हैं, काफी अनुकूलनीय और लचीले भी होते हैं. बुध संचार का प्रतीक है. और ऎसे में लग्न में बुध का असर बातूनी बनाता है, संचार कभी नहीं रुकता है और यह हमेशा बदलता रहता है. प्रथम भाव में बुध के कारण बदलव पसंद और प्रवाहमान रहते हैं.

प्रथम भाव में बुध व्यक्ति को खुद को अभिव्यक्त करने के लिए प्रवृत्त करता है. स्वाभाविक जिज्ञासा अपने दिमाग में बहुत सारी जानकारी एकत्रित करने के लिए प्रेरित कर सकती है. हमेशा सीखने के लिए तत्पर रहते हैं.

पहले भाव में बुध के अशुभ – नकारात्मक प्रभाव
बुध के कुछ नकारात्मक पक्ष भी इस भाव में देखने को मिल सकते हैं. साहसिक स्वभाव नुकसान पहुंचाता है. हमेशा कुछ नया और अलग करने की आदत स्थिरता और एकाग्रता को कमजोर बना देती है. जीवन के कुछ पहलुओं पर यह भारी पड़ सकती है. नई परियोजनाओं को शुरू करने में अच्छे हो सकते हैं लेकिन हो सकता है कि इन्हें समाप्त कर पाने में असफल हों जिसके चलते सफलता नीचे ला सकती है. जीवन में ऊंचा उठना चाहते हैं तो इस कमी पर काम करना चाहिए.

पहले भाव में बुध के प्रभाव से चर्चाओं पर हावी होने और विषय को उनकी रुचि वाली चीज़ पर ले जाने की क्षमता रखते हैं. जो सुनना चाहते हैं उसके बारे में सोचने में इतने व्यस्त रहेंगे कि दूसरों की बातों पर ध्यान ही नहीं दे पाएँगे. लहजा कठोर हो सकता है, दूसरों की बातों को ज़्यादा महत्व न देना समस्या दे सकता है. दूसरों की भावनाओं और भावनाओं के प्रति असंवेदनशील और कठोर बन सकते हैं. पहले भाव में बुध के कारण बेबाक होने की स्थिति भी परेशानी दे सकती है.

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मीन राशि में शनि : वृषभ राशि पर शनि का प्रभाव

शनि के वृष राशि पर गोचर का प्रभाव

वैदिक ज्योतिष में शनि को अनुशासन शिक्षक और सुव्यवस्थित कार्यपालक के रूप में जाना जाता है। अब समय आ गया है कि यह शक्तिशाली देवता मीन राशि में प्रवेश करे जो कि बृहस्पति की राशि है। यह लगभग 30 वर्षों तक अपना एक गोचर पूरा करने का समय भी होता है अर्थात 30 वर्ष पहले शनि मीन में रहे होंगे अब इतने वर्षों बाद फिर से इस राशि में आएं हैं. राशि चक्र में शनि सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है.

सभी 12 राशियों का भ्रमण करने में शनि को लंबा समय लगता है. यह शनि गोचर 29 मार्च 2025 से शुरू होगा और लगभग ढाई साल तक जारी रहेगा. शनि वृष राशि वालों को कैसे प्रभावित करेगा यह इस बात पर निर्भर करेगा कि वह किस भाव में प्रवेश करता है और साथ में शनि की साढ़े साती या ढैय्या में से किस का असर होगा वृष राशि वालों पर. 

शनि के मीन राशि प्रवेश से वृष राशि का लाभ भाव होगा प्रभावित 

शनि आपकी जन्म कुंडली में वृष राशि के लिए 12वें भाव में गोचर करने जा रहा है. शनि ग्रह को वैदिक ज्योतिष में अनुशासनप्रिय और स्वाभाविक रूप से पापी ग्रह भी माना जाता है. शनि लगभग ढाई साल तक मीन राशि में रहेंगे. ज्योतिष गणना अनुसार राशि चक्र के सभी राशियों का भ्रमण करने के बाद यह मीन राशि में वापस आने वाला है. यह घटना जिस भाव में प्रवेश करेगी, उसके आधार पर व्यक्तियों पर अपना स्थायी प्रभाव छोड़ेगी. मीन राशि के लिए शनि एकादश और द्वादश 

जन्म कुंडली का एकादश अर्थात ग्यारहवां भाव लाभ और खर्चों को दर्शाता है. इस बार यह आपकी जन्म कुंडली में ग्यारहवें भाव से गोचर करेगा। यह भाव सभी प्रकार के लाभों का प्रतिनिधित्व करता है. पैसा, वित्त, इच्छाओं की पूर्ति, पुरस्कार, उपलब्धियों, मान्यता, लाभ और चीजों से मिलने वाले प्रतिफल को दिखाता है.  अब जब शनि यहां इस भाव में गोचर करेगा तो 

गोचर के दौरान इन क्षेत्रों पर प्रमुख रूप से प्रभाव पड़ेगा, लक्ष्यों की प्राप्ति और बेहतर भविष्य की दिशा में काम करने के मामले में आपको शनि का सहयोग मिलेगा. यह गोचर आपको सिखाएगा कि कुछ भी स्थिर नहीं है, न तो खुशी और न ही दुख. इसलिए, आप अपनी मुस्कान को बनाए रखने और अपनी खुशी को बढ़ाने के लिए तैयार हो सकते हैं.

वृष राशि के लिए शनि के मीन राशि प्रवेश का प्रभाव 

इस समय अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित होना होगा, लक्ष्य और दृष्टिकोण बदल सकते हैं. एहसास हो गया होगा कि कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है, केवल यह दिखाने के बजाय कि आप व्यस्त हैं, आप वास्तव में अपने लक्ष्यों की ओर सावधानीपूर्वक काम कर रहे होंगे. आपके पिता के साथ संबंध थोड़े खराब हो सकते हैं, लेकिन आपने उन्हें बनाए रखना सीख लेना होगा. दीर्घकालिक करियर स्थिरता के बारे में भी चिंतित हो सकते हैं.  

शनि का गोचर लाभ भाव में काफी अच्छा माना गया है. जिसका प्रभाव अब आराम से समय बिता पाने में देखने को मिल सकता है. अपने आस-पास के सभी लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करने की आवश्यकता है. शनि इस ओर संकेत देता है मान सम्मान मिल सकता है आप उपहारों को किस तरह से स्वीकार करते हैं, इससे आपके व्यक्तित्व और चीज़ों को गहराई से समझने की भावना पर बहुत फ़र्क पड़ेगा.

वृषभ राशि करियर पर शनि गोचर प्रभाव

शनि गोचर का चरण आपके कार्यस्थल को काम करने के लिए और भी अनुकूल बनाने वाला है. आपमें ऊर्जा और उत्साह का एक नया स्तर होगा। यह आपकी तरक्की को बढ़ावा देगा. आपके वरिष्ठ आपके काम के प्रति समर्पित और संगठित दृष्टिकोण से प्रभावित होंगे. आपके मन में जो सपने थे, वे सच हो सकते हैं और आपकी कड़ी मेहनत पदोन्नति के रूप में रंग लाएगी. आपको अपने अधीन काम करने वाले लोगों की अपनी टीम भी मिल सकती है. अपने अधीनस्थों और वरिष्ठों के साथ आपके संबंध बेहतर होने की संभावना है. कार्यस्थल पर कुछ सम्मान मिल सकता है, कार्यक्षेत्र में अधिक मेहनत और ईमानदारी से काम करने के लिए आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी. 

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वृषभ राशि में शनि गोचर का व्यावसायिक जीवन पर प्रभाव

इस चरण के दौरान आपका आयात-निर्यात से संबंधित व्यवसाय बढ़ सकता है. आप अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए नए अवसरों पर विचार कर सकते हैं. यह एक ऐसी योजना हो सकती है जो आपके दिमाग में लंबे समय से चल रही हो. आपके द्वारा नियोजित व्यावसायिक लक्ष्य और लक्ष्य गोचर चरण में साकार होने लगेंगे. इसमें आपकी कड़ी मेहनत और प्रयासों की प्रमुख भूमिका होगी. शनि आपको अधिक सामाजिक और व्यावसायिक संपर्क बनाने में मदद करेगा. यह आपके व्यवसाय के विकास और विस्तार के लिए फायदेमंद होगा.

आर्थिक मामलों पर शनि गोचर का प्रभाव 

लाभ और धन के घर में होने से भाग्य में विस्तार लाएगा। यह समय वित्तीय स्थिति के लिए अनुकूल रह सकता है. पिछले निवेश इस अवधि के दौरान लाभकारी परिणाम देने की संभावना रखते हैं। यह गोचर भविष्य के लिए समझदारी से निवेश करने के लिए जोश देगा. अन्य स्रोतों से भी धन प्राप्त होने की संभावना है. काम से प्रोत्साहन या अपने व्यावसायिक प्रोजेक्ट के लिए पहले ही धन मिल सकता है. गोचर के दौरान धन प्राप्ति से कुछ संतोषजनक परिणाम देखेंगे. यात्रा की योजना भी बना सकते हैं या वह चीज़ खरीद सकते हैं जो आप लंबे समय से चाहते थे.

आप अपने व्यवहार में अधिक मिलनसार और मिलनसार होंगे. आप अपनी भावनाओं को साझा करना चाहेंगे जो प्रियजनों के साथ आपके रिश्ते को मजबूत बनाने में मदद करेगा. अपने साथी के साथ मृदुभाषी होने और अधिक देखभाल करने वाला साथी बनना अनुकूल रहेगा. वैवाहिक जीवन में, आपको शांत रहने और अनावश्यक बहस से बचने की आवश्यकता है. रिश्ते में अतिरिक्त जिम्मेदारी लेने से आपको अपने साथी के साथ बेहतर तालमेल बनाने में मदद मिलेगी. जीवनसाथी के साथ क्वालिटी टाइम बिता पाएंगे. यह समय रिश्ते की डोर को और मजबूत करेगा।  

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सूर्य ग्रह प्रथम भाव में: आत्मविश्वास और करिश्माई गुण का संकेत

जन्म कुंडली का पहला भाव जीवन का आईना कहलाता है. लग्न भाव में जब सूर्य होता है तो व्यक्ति के भीतर चमक को भर देने का काम कर देता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य ग्रह का विराजमान होना कई तरह से अपना प्रभाव दिखाता है. इसका जीवन के प्रत्येक पक्ष पर असर पड़ता है. लग्न भाव यानी पहला भाव जो व्यक्ति के गुण, स्वभाव, चेहरे, आदतों पर असर पड़ता है. जब कोई शुभ ग्रह बैठ जाता है तो वह शुभता देने में सहयोग देता है लेकिन अगर वह पाप ग्रह होगा तो कठोर असर देगा वहीं हर ग्रह अपने अपने गुण धर्म के साथ असर दिखाने वाला होता है. तो चलिये जानते हैं की सूर्य की स्थिति कैसे देती है अपना असर. 

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ज्योतिष अनुसार सूर्य महत्व

सभी नौ ग्रहों में सूर्य सबसे बड़ा ग्रह माना जाता है जो संपूर्ण प्रथ्वी को अपनी ऊर्जा प्रदान करता है.सूर्य आत्मा, पिता, धर्म, सरकारी प्रशासन, अग्नि तथा मुख्य व्यक्ति जैसे ऑफिस में बॉस और घर के बड़े व्यक्ति का कारक होता है. सूर्य ग्रह जब कुंडली के पहले भाव में विराजमान हो तब कई सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डालता है.

ज्योतिष में सूर्य ग्रह को विशेष महत्व दिया गया है. हिन्दू संस्कृति में सूर्य को देवता की उपाधि दी गई है और आराधना की जाती है. सूर्य देव धरती पर ऊर्जा का सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत भी माने जाते है. वैदिक ज्योतिष अनुसार सूर्य की स्थिति का प्रभाव लग्न में बैठ कर संपूर्ण भावों को प्रकाशित करने वाली स्थिति होती है. 

सूर्य के कारकत्व में अधिकार की भावना, अग्नि तत्व की अधिकता होने के कारण, लग्न में सूर्य के प्रभाव से व्यक्ति अहम युक्त, स्वाभिमानी होता है. क्रोध और उग्रता अधिक होती है. सूर्य हमेशा  ऊर्जावान रहता है और सूर्य का प्रभाव उसके संपर्क में आने वाले व्यक्ति को भी ऊर्जावान बनाता है, इसलिए सूर्य के प्रभाव से व्यक्ति में भी अधिक ऊर्जा होती है. सूर्य के लग्न में होने से व्यक्ति उच्च विचारों वाला और न्यायप्रिय होता है. सूर्य को ब्रह्मांड में सर्वोच्च राजा का पद प्राप्त होने के कारण व्यक्ति पर सूर्य का भी प्रभाव होता है और व्यक्ति उच्च विचारों वाला होता है.

पहले भाव में स्थित सूर्य के सकारात्मक प्रभाव

प्रथम भाव में स्थित सूर्य व्यक्तित्व में निखारे लाता है. पहले भाव पर सूर्य का प्रभाव है तो यह सूर्य की ऊर्जा और तीव्रता के प्रभाव के कारण अति उत्साही और जोश से भरपुर बनाती है.  व्यक्ति में शक्ति और अधिकार की तीव्र इच्छा हो सकती है. पहले भाव में यदि सूर्य ग्रह हो तो उन्हें एक प्रभावशाली क्षमता मिलती है. व्यक्ति में जन्मजात नेता की प्रवृत्ति के गुण होते हैं, जो एक बड़े जनसमूह का मार्गदर्शन कर सकता है.

निष्पक्ष और समानता का व्यवहार करना इनका गुण होता है. प्रथम भाव में स्थित सूर्य ग्रह के शुभ प्रभाव से जातक गतिशीलता और स्वतंत्रता प्राप्त करते हैं. पहले भाव में सूर्य ग्रह के होने से मजबूत इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प के साथ-साथ सशक्त होने की क्षमता का भी विकास होती है.  सकारात्मकता, व्यावहारिकता और आत्मविश्वास से भरपूर स्वभाव होता है. 

उत्सुक और जिज्ञासु प्रवृत्ति का गुण मिलता है. हमेशा कुछ नया सीखने की ललक बनी रहती है और यही जिज्ञासा प्रवृत्ति ही उनके ज्ञान और अनुभव में विकास लाती है. समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है. करियर में सफलता की संभावना भी अधिक होती है. 

पहले भाव में सूर्य ग्रह के नकारात्मक प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार कुंडली के पहले भाव में सूर्य अभिमानी और लोभी स्वभाव का भी बना सकता है. सत्ता और प्रभाव के लालच में अधिक प्रयास करता है. आत्मविश्वास, अति आत्मविश्वास में बदल सकता है, स्वयं को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं, और उनसे बेहतर कोई नहीं हो सकता. नेता या प्रमुख के रूप में अनुचित व्यवहार भी कर सकते हैं. जिससे दूसरों के बीच लोकप्रियता नकारात्मक असर पड़ सकता है, व्यक्ति कुछ सनकी और स्वार्थी हो सकता है.

विपरीत स्थिति में केवल अपना स्वार्थ देखता है. दूसरों के हितों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं. सूर्य की स्थिति बहुत मनमौजी स्वभाव दे सकती है. अधिक गुस्सा करने की प्रवृत्ति के कारण ये अपने आस-पास के परिवेश में सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाते है. नकारात्मक पक्ष तब अधिक देखने को मिलता जब सूर्य के साथ पाप ग्रहों का योग बन रहा है.

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कुंडली के दूसरे भाव में मंगल : मांगलिक योग या धन योग

वैदिक ज्योतिष में मंगल का दूसरे भाव में होना भाव की स्थिति के साथ साथ मंगल की अपनी अवस्था को भी प्रभावित करता है. वैदिक ज्योतिष में गणना के अनुसार जब मंगल दूसरे भाव में विराजमान होता है तो इसका प्रभाव कई संदर्भों में देखने को मिलता है. मंगल और जन्म कुंडली में मंगल की स्थिति को देखते हुए ही इसके प्रभाव के बारे में समीक्षा करनी विशेष होती है. लेकिन सामान्य रुप में जब इसकी व्याख्या की जाती है तो इसका सार्वभौमिक प्रभाव दिखाई पड़ता है जिसका वर्णन हम यहां करने वाले हैं लेकिन जब बात आएगी व्यक्तिगत जन्म कुंडली की तब व्यक्ति विशेष के अनुसार इसके प्रभावों में कुछ खास परिणाम अवश्य देखने को मिलेंगे. 

ज्योतिष अनुसार दूसरा भाव और मंगल 

जन्म कुंडली के दूसरे भाव में स्थित मंगल ग्रह, कई तरह से अपना प्रभाव देने में सक्षम होता है. सबसे पहले इस बात को समझने कि आवश्यकता होगी कि दूसरा भाव है तब इसके पश्चात मंगल के प्रभाव की समी़अ उचित होगी. शास्त्रों में, सभी नक्षत्र, राशि और नौ ग्रह जन्म कुंडली के बारह भावों से होकर गुजरते हैं. जन्म कुंडली में भाव नक्षत्र और ग्रहों की स्थिति के आधार पर, व्यक्ति के जीवन पर अनुकूल और विपरित प्रभावों का फैसला किया जा सकता है. वैदिक ज्योतिष में, जन्म कुंडली के साथ साथ वर्ग कुंडली में मौजूद ग्रह की स्थिति भी अपना विशेष फल देती है. वर्ग कुंडलियों में भी मंगल की भूमिका को देखा जाएगा जिसके पश्चात दूसरे भाव में बैठे मंगल के फल का निर्धारण संभव होता है. 

दूसरा भाव धन भाव, वाणी भाव, पणफर जैसे नामों से पुकारा जाता है. दूसरे भाव में मंगल आपको किसी भी तरह से धन और संपत्ति जमा करने की प्रवृत्ति देता है. मंगल की इस स्थिति में मंगल दोष होता है .

क्या मंगल दोष दूसरे भाव में बनता है?

मंगल दोष की परिभाषा में जन्म कुंडली के लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव और द्वादश भाव को लिया जाता है. लेकिन इसी अवधारणा में एक नया पक्ष दूसरे भाव में मंगल के मांगलिक पक्ष को कहता है. यह धारण दक्षिण भारत के आचार्यों द्वारा मान्य अधिक रही है. जिसके कारण मंगल के दूसरे भाव में होने कि स्थिति को मांगलिक पक्ष से जोड़ कर देखा जाता है. 

अपनी कुंडली में मंगल दोषकी जांज करें Manglik Analysis For Your

ज्योतिष अनुसार मंगल और दूसरे भाव में मंगल दृष्टि प्रभाव 

ज्योतिष में, मंगल को भूमि पुत्र, भौम, लोहितंग, अंगारक और क्षितिज जैसे नामों से जाना जाता है. इसके अतिरिक्त, मंगल को सेनापति का स्थान दिया गया है. वैदिक ज्योतिष में मंगल को समय और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है. इसके अलावा, मंगल ग्रह को क्षत्रिय जाति का तामसिक ग्रह भी कहा जाता है, जिसकी विशेषता लाल रंग पर इसका प्रभुत्व और शरीर में रक्त पर विशेष प्रभाव है. ज्योतिष के क्षेत्र में, मंगल ग्रह उत्साह, साहस, पराक्रम और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है. वैदिक ज्योतिष में, मंगल को कुछ अन्य ग्रहों के साथ विशेष पहलुओं और रहस्यमय असाधारण क्षमताओं का स्वामी माना जाता है. 

मंगल को अपनी स्थिति से चौथे और आठवें घर पर पूर्ण दृष्टि का अधिकार मिला है. ऎसे में मंगल दूसरे भाव में बैठ कर  पंचम भाव को देखेगा, सातवीं दृष्टि से आठवें भाव को देखेगा. आठवी दृष्टि से नवम भाव को देखेगा. मंगल को तामसिक प्रकृति का ग्रह माना जाता है. यदि जन्म कुंडली में मंगल अनुकूल स्थिति में है, तो कई सकारात्मक और शुभ परिणाम प्रदान करने के लिए जाना जाता है, लेकिन अगर अशुभ होगा तो जीवन में उथल पुथल ला देने वाला होगा. 

द्वितीय भाव में मंगल का शुभ अशुभ प्रभाव 

  • दूसरा भाव धन भाव, वाणी भाव, पणफर जैसे नामों से पुकारा जाता है. दूसरे भाव में मंगल आपको किसी भी तरह से धन और संपत्ति जमा करने की प्रवृत्ति देता है. मंगल की इस स्थिति में मंगल दोष होता है और यह पारिवारिक प्रेम पर असर डालता है और विवाह की आयु को प्रभावित करेगा. यह जीवनसाथी से अलग होने और दूसरी शादी करने का संकेत भी देता है.  रोग शास्त्र अनुसार नेत्र रोग, चोट, दांत दर्द और दुर्घटनाओं के प्रति भी अधिक संवेदनशील बना सकता है. मंगल के होने पर यह भाव संघर्षपूर्ण स्थिति का प्रतिनिधित्व कर सकता है. 
  • मंगल एक प्राकृतिक पाप ग्रह है जो मनचाहे धन की तलाश में उलझाए रख सकता है. प्रयासों के लिए उचित परिणाम नहीं मिल पाता है. आक्रामक स्वभाव और दूसरों से अत्यधिक अपेक्षाओं के कारण घरेलू जीवन में अक्सर विवाद को दे सकता है. संतान सुख में कठिनाई हो सकती है. संतान के जन्म समय में नौकरी छूट जाना है या व्यापार कमजोर हो जाने की स्थिति भी अपना असर डाल सकती है.
  • वाणी पर असर बोलने में कठिनाई के अलावा, अत्यधिक उत्साह और कठोर भाष शैली भी इसमें देखने को मिलती है. उन लोगों के साथ संगती अधिक दिखाई देती है जहां बुरे दिमाग वाले लोगों का साथ मिलता है. ध्यान भटकाव में रह सकता है. तार्किक दिमाग से अधिक जुनून की प्रवृत्ति स्थान लेती है. अच्छा आधिपत्य उद्यम, विरासत और उत्तराधिकार के माध्यम से सफलता दिला सकता है. दूसरा घर धन, प्रारंभिक शिक्षा और परिवार का घर है. शिक्षा के क्षेत्र में, दूसरे घर में स्थित मंगल का अर्थ है ब्रेक, देरी और निरंतर परिवर्तन दे सकता है.

खान पान में तीखे स्वाद वाले और उच्च कैलोरी वाले भोजन की लालसा देता है. एसिडिटी और अपच की समस्या पैदा कर सकता है. दूसरा भाव सामान्य ज्ञान और स्मृति का भाव होने के कारण आपके पेशे को आवेगपूर्ण तरीके से प्रभावित कर सकता है. मंगल माफ करना और भूलना मुश्किल बना सकता है, चालाक और जहरीला भी बना सकता है. यह स्थिति योजना बनाने में कठोर और जिद्दी भी बनाती है, प्रियजनों से उच्च अपेक्षाएं रखने वाला बना देती है. व्यक्ति चाहेगा कि दूसरे आपके अनुसार काम करें जो होना मुश्किल है जिसके चलते रिश्तों में वैमनस्य लाएगा. विपरीत लिंग के प्रति एक मजबूत आकर्षण महसूस कर सकते हैं. सामाजिक मानदंडों के खिलाफ जा सकते हैं. 

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द्वादश ज्योतिर्लिंग और बारह भाव राशियों का संबंध क्यों है विशेष

द्वादश ज्योतिर्लिंग और बारह भाव राशियों का संबंध विशेष रूप से, ज्योतिर्लिंग से जुड़ी 12 राशियाँ

ज्योतिष विज्ञान और आध्यात्मिक चेतना का समागम जीच आत्मा के विकास के लिए मूल सत्रोत है और इसी मूल स्त्रोत से जुड़े हैं ज्योतिर्लिंग. भगवान शिव के प्रति ज्योतिर्लिंग भारत और भारत के बाहर स्थापित हैं. शिवपुराण, और अन्य ग्रंथों में कहा जाता है कि जहां-जहां महादेव साक्षात प्रकट हुए, वहां-वहां 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित हुए. पुराणों में प्रत्येक ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व बताया गया है इसमें से शिवपुराण में इन ज्योतिर्लिंग का बेहद ही विशेष रुप से वर्णन मिलता है. ज्योतिर्लिंग का शाब्दिक अर्थ है प्रकाश जो भगवान शिव के दिव्य प्रकाश को दर्शाता है. भारत और भारत से बाहर 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग हैं जो भगवान शिव से संबंधित हैं. 

इन 12 ज्योतिर्लिंग का संबंध हम ज्योतिष में बारह भावों और बारह राशियों से भी विशेष माना गया है. ज्योतिष  में 12 ज्योतिर्लिंगों को जीवन के हर उस भाव से जोड़ा गया है जो जीवन के हर पक्ष को दर्शाते हैं और मोक्ष को प्रदान करते हैं. लग्न से द्वादश भाव की यात्रा ज्योतिर्लिंग के साथ संपन्न होती है. बारह ज्योतिर्लिंगों के नामों की बात करें तो वे इस प्रकार हैं 

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग , मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग , महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग , ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग , केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग , भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग , विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, रामेश्वर ज्योतिर्लिंग , घुश्मेश्वर/घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग. 

सभी 12 ज्योतिर्लिंग को कुंडली के प्रत्येक 12 भाव राशि द्वारा व्यक्त किया जाता है.  

12 ज्योतिर्लिंग और ज्योतिष 12 भाव राशि संबंध

हिंदू धर्मग्रंथों में 12 ज्योतिर्लिंग हैं जो अपने आप में विशेष महत्व रखते हैं, जिन्हें “द्वादश ज्योतिर्लिंग” के नाम से जाना जाता है. प्रत्येक ज्योतिर्लिंग एक विशेष राशि से जुड़ा हुआ है, जो इस प्रकार है, मेष राशि सोमनाथ से जुड़ी है, वृषभ राशि मल्लिकार्जुन से जुड़ी है, मिथुन राशि महाकालेश्वर से जुड़ी है, कर्क राशि ओंकारेश्वर से जुड़ी है, सिंह राशि वैद्यनाथ से जुड़ी है, कन्या राशि भीमाशंकर से जुड़ी है, तुला राशि रामेश्वर से जुड़ी है, वृश्चिक राशि नागेश्वर से जुड़ी है, धनु राशि काशी विश्वनाथ से जुड़ी है, मकर राशि त्रयंबकेश्वर से जुड़ी है, कुंभ राशि केदारनाथ से जुड़ी है और मीन राशि घुश्मेश्वर से जुड़ी है. यह भगवान शिव और सृष्टि के बीच के दिव्य संबंध को दर्शाता है. आइए प्रत्येक ज्योतिर्लिंग और उसकी संबंधित राशि के बीच के संबंध को जानें:

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग को मेष राशि और पहले भाव से जोड़ा गया है. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मेष राशि से संबंधित है. सूर्यवंशी भगवान राम ने अपने वनवास काल के दौरान इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से मेष राशि के जीवन में सुख और स्थिरता बढ़ती है.

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग जो दूसरे भाव और वृषभ राशि से जुड़ा है. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग वृषभ राशि से संबंधित है. यह गुजरात के सोमनाथ जिले में स्थित है और इसे धरती का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव के प्रतिनिधि चंद्रमा ने अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद पाने और क्षय से मुक्ति पाने के लिए इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी.  

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को तीसरे भाव मिथुन राशि से जोड़ा गया है. बुध के स्वामित्व की मिथुन राशि और तीसरा भाव नागेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ा है. गुजरात के द्वारका जिले में स्थित यह ज्योतिर्लिंग राहु का प्रतिनिधित्व करता है. मिथुन राशि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक विकास लाती है.

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को चतुर्थ भाव और कर्क राशि से जोड़ा गया है. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग कर्क राशि से संबंधित है. यह मध्य प्रदेश में स्थित है. कर्क राशि के जातकों को इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से लाभ मिलता है.

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को पंचम भाव ओर सिंह राशि से जोड़ा गया है. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग सिंह राशि से संबंधित है यह झारखंड के देवघर जिले में स्थित है. इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करके स्वास्थ्य, परिवार और राजनीतिक मुद्दों का समाधान पा सकते हैं.  

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को छठे भाव और कन्या राशि से जोड़ा गया है. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग षष्ठ भाव कन्या राशि से संबंधित है. कन्या राशि में उच्च का बुध वाणी, व्यवसाय और शिक्षा का प्रतिनिधित्व करता है. आंध्र प्रदेश में श्रीशैल पर्वत शिखर पर स्थित इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से जीवन में वाणी, व्यवसाय और शिक्षा जैसे पहलुओं से संबंधित आशीर्वाद मिल सकता है.

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को सातवें भाव और तुला राशि से जोड़ा गया है. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का संबंध सप्तम भाव तुला राशि से संबंधित है. यह ज्योतिर्लिंग पवित्र शहर उज्जैन में स्थित है और शनि का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे दंडनायक भी कहा जाता है. माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से अच्छा स्वास्थ्य मिलता है और असामयिक मृत्यु से रक्षा होती है.

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग को अष्टम भाव और वृश्चिक राशि से संबंधित माना गया है. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग आठवें भाव वृश्चिक राशि से संबंधित है. मंगल और केतु द्वारा प्रभावित वृश्चिक राशि के लोग इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करके लाभ उठा सकते हैं. यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है. ऐसा माना जाता है कि यह मंगल और केतु के बुरे प्रभावों को दूर करता है.

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को नवम भाव और धनु राशि से जोड़ा गया है. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग नौवें भाव धनु राशि से संबंधित है. धनु राशि का स्वामी ग्रह बृहस्पति जीवन का प्रतिनिधित्व करता है और केतु मोक्ष का प्रतिनिधित्व करता है. यह ज्योतिर्लिंग मोक्ष प्राप्त करने की दिशा में व्यक्तियों की आध्यात्मिक यात्रा में मदद करता है. पवित्र शहर वाराणसी में स्थित, काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग धनु राशि के जातकों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है.

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को दशम भाव और मकर राशि से जोड़ा गया है. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग दशम भाव मकर राशि से संबंधित है. मकर राशि में मंगल उच्च का होता है और इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से उन व्यक्तियों को राहत मिल सकती है जिनकी जन्म कुंडली में मंगल कमजोर स्थिति में है. यह महाराष्ट्र के पुणे में सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में स्थित है.

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग को एकादश भाव और कुंभ राशि से जोड़ा गया है. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग लाभ भाव कुंभ राशि से संबंधित है. उत्तराखंड में स्थित यह मंदिर कुंभ राशि के जातकों की इच्छाओं को पूरा करने वाला माना जाता है. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग या उसके आस-पास के शिवलिंगों का ध्यान और पूजा करने से आध्यात्मिक विकास और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग को द्वादश भाव और मीन राशि से जोड़ा गया है. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग बारहवें भाव मीन राशि से संबंधित है. मीन राशि में उच्च का शुक्र विलासिता, आराम और सांसारिक सुखों का प्रतिनिधित्व करता है. माना जाता है कि यह ज्योतिर्लिंग जीवन के इन पहलुओं से संबंधित आशीर्वाद प्रदान करता है. मोक्ष की कना की पूर्ति के लिए यह स्थान उत्तम माना गया है. 

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शनि के मीन राशि प्रवेश का मेष पर असर 2025

शनि के मीन राशि गोचर का मेष पर असर 2025

शनि देव 2025 में अपनी राशि में फिर से बदलाव करने वाले हैं. शनि का मीन राशि गोचर 29 मार्च 2025 को शुरू हो रहा है. शनि किसी भी राशि में लगभग ढाई साल तक रहता है। इसलिए, राशि चक्र के सभी 12 राशियों का दौरा करने में इसे 30 अच्छे साल लगते हैं। शनि का वर्तमान गोचर मीन राशि में है। इसलिए, यह गुरु के घर वापसी जैसा होगा.

मेष राशि पर शनि के गोचर का प्रभाव 2025 

मेष राशि के जातकों के लिए, शनि आपकी जन्म कुंडली में बारहवें भाव में गोचर कर रहा है। यह भाव व्यय, धन की हानि, दूर की यात्रा, विदेश भूमि, आध्यात्मिक और गुप्त विद्या का कारक है। इसलिए, आपकी कुंडली में ये वे प्रमुख क्षेत्र हैं जो गोचर के दौरान प्रभावित होंगे। मेष राशि के जातकों पर साढ़ेसाती का प्रभाव कभी-कभी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लेकिन आपका प्रदर्शन सफलता को आपके कदम चूमने पर मजबूर कर देगा।

अभी से पहले शनि के कुंभ राशि में गोचर के साथ, आपने अपने मित्रों को छांटना शुरू कर दिया होगा। आपने महसूस किया होगा कि कुछ लोग सिर्फ़ अपने काम के लिए संपर्क में रहते हैं। कुछ लोग सिर्फ़ अपने दिल की बात कहने के लिए आपसे संपर्क में रहते हैं। आपने अपने संबंधों को आगे बढ़ाने से पहले ऐसे इरादों की जांच करना सीख लिया होगा। इस प्रक्रिया में समय लग सकता है। आपके लिए चीज़ें सकारात्मक तरीके से बदल गई होंगी। जानें कि अब मीन राशि में शनि के आने वाले गोचर में आपके लिए क्या होने वाला है।

मेष राशि पर साढ़ेसाती के परिणाम

यह आपके लिए साढ़ेसाती का पहला चरण है, अब जीवन का यह समय आपके जीवन को एक नई दिशा देने वाला होगा. इस चरण के दौरान, आपको विदेश यात्रा या कम से कम कुछ दूर के स्थानों पर जाने के अवसर मिलेंगे। यह चरण अब तक की अवधि की तुलना में थोड़ा चुनौतीपूर्ण होगा। साहस और उत्साह समय की मांग रहेगी और इस अवधि के दौरान आपसे अधिक मेहनत करने की उम्मीद की जाएगी। हो सकता है कि अतीत की तुलना में आपके विचारों और राय को दूसरे लोग गंभीरता से न लें। ये वो समय होगा जब आप स्वयं के साथ अधिक बात करेंगे और इन संवादों के दौरान, आपको बेहतर प्रदर्शन करने के लिए खुद को प्रेरित करते रहना चाहिए। आपकी सोच में अचानक बदलाव आएंगे। आप दूसरों को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे और अधिक सहानुभूतिपूर्ण बनेंगे। अपने आगामी चरण को बेहतर बनाने के लिए दिशा-निर्देश जानने के लिए अपनी जन्म कुंडली में शनि की व्यक्तिगत साढ़े साती रिपोर्ट प्राप्त करें जिससे आप इस चरण की संभावनाओं को बेहतर तरीके से जान पाएं. 

मेष राशि पर शनि के गोचर का विभिन्न बातों पर प्रभाव

मेष राशि के लिए मीन राशि का शनि जीवन के कई क्षेत्रों को छूने वाला होगा. निजी जीवन से लेकर कर्म क्षेत्र पर इसका असर होगा. कार्यस्थल और निजी जीवन में आपके संबंधों में थोड़ी बहस और दूरियां भी आ सकती हैं.  पैसे को समझदारी से खर्च करना और स्वास्थ्य पर नज़र रखना एक बड़ी ज़रूरत होगी। यह समय है कि आप अनोखे तरीके से काम करें और अपने जीवन को  उपलब्धियों से सजाने की कोशिश करें. 

मेष राशि करियर पर शनि के गोचर का प्रभाव

कार्यस्थल पर सहकर्मी आपका सहयोग करने में विफल हो सकते हैं। वे आपके काम के बीच में आने और आपकी प्रगति में बाधा डालने की कोशिश कर सकते हैं। अपना काम शुरू करने से पहले एक निश्चित योजना के साथ आगे बढ़ना फायदेमंद होगा।आपके वरिष्ठ आपके सोचने के तरीके और कार्यशैली को समझने में विफल हो सकते हैं।

कार्यालय में अक्सर बहस होने की संभावना है इससे उनके साथ आपके रिश्ते खराब हो सकते हैं। इन बातों से खुद को बचाने के लिए जरुरी है कि मूलभूत क्षेत्रों से ध्यान न हटाएं और दृढ़ निश्चयी बने रहने का प्रयास करें। काम के प्रमुख क्षेत्रों को खोजना और अपनी कंपनी के लक्ष्यों के लिए एक अनूठा दृष्टिकोण देना सफलता का मार्ग प्रशस्त करेगा।

मेष राशि व्यावसायिक जीवन पर शनि गोचर का प्रभाव:

शनि का गोचर कारोबार में विस्तार का अवसर देगा. आपके प्रयास आयात-निर्यात से संबंधित व्यवसाय में वृद्धि के स्तर को बढ़ाएंगे। ये समय विदेशों से लाभ दिलाने का काम करेगा. अन्य क्षेत्रों से संबंधित व्यवसाय के लिए नए उत्पादों शुरु करने में कुछ देरी का अनुभव हो सकता है। इसलिए, आपको उचित योजना और धैर्य रखने की आवश्यकता है, कुछ मामलों में व्यावसायिक साझेदारों और अधीनस्थों के साथ बहस और मतभेद होने की संभावना है। अपने व्यवसाय के प्रति अधिक व्यवस्थित और व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाएं जो आपको इसे स्थिर करने में मदद करेगा।

प्रतिस्पर्धियों के साथ संबंधों में तनाव से बचने के लिए मित्रता वाली चर्चा करने और बीच का रास्ता निकालने की आवश्यकता होगी। कार्य क्षेत्र में लक्ष्यों को सही तरीके से बनाने की जरूरत होगी.  बेहतर होगा कि आप एक समय में एक काम लें और पहले उसे पूरा करने के लिए मूल बातों पर ध्यान दें। इससे आपके व्यवसाय में वांछित स्थिरता आएगी।

मेष राशि आर्थिक क्षेत्र पर शनि गोचर का प्रभाव

शनि आपके धन को खर्चों की ओर ले जा सकता है. वित्त से संबंधित कुछ समस्याएं इसके द्वादश भाव में गोचर के चलते ही अधिक होंगी. शनि मीन राशि गोचर के दौरान आपको अपने पिछले निवेशों से लाभ मिल सकता है जिसके चलते राहत भी पाएंगे. व्यर्थ के अपव्ययों से आपको सावधान रहना पड़ सकता है अनावश्यक चीज़ों पर अपने खर्चों पर कड़ी नज़र रखनी होगी. दीर्घावधि दृष्टिकोण से निवेश करने से वित्तीय स्थिति को स्थिर करने में मदद मिलेगी। वित्तीय योजना बनाना अधिक बेहतर होगा जिसके कारण धन का प्रवाह सामान्य रुप से बनाए रखने में मदद मिलेगी।

परिवार के सदस्य पैसे के मामले में कम सहयोग दे पाएँगे, परिवार के बड़े सदस्यों पर खर्च होने की संभावना है। इस गोचर के दौरान उन बातों पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया जाता है जो आपको अतिरिक्त लाभ दे सकती हैं।ज़रूरत पड़ने पर पैसे का इस्तेमाल करने में सक्षम होने के लिए आप पहले से ही बचत करना शुरू कर सकते हैं।

मेष राशि परिवार और प्रेम जीवन पर शनि गोचर  का प्रभाव

शनि का यह गोचर परिवार और प्रेम जीवन से जुड़ी कुछ ज़रूरी बातों पर असर डालता है. इस समय परिवार में सदस्यों के साथ मतभेद रह सकते हैं अथवा रिश्तों में उस तरह से प्रतिक्रिया न मिल पाए जिस तरह से आप चाहते हैं। आपका रिश्ता अकेलेपन का शिकार हो सकता है। विवाहित लोगों को अपने जीवनसाथी को गुणवत्तापूर्ण समय देने की ज़रूरत होगी। इससे उन्हें सुरक्षा का अहसास होगा।

परिवार में अपनी भूमिका को इग्नोर न होने दें स्वयं को लोगों के साथ शामिल करना अनुकूल होगा. इसके अलावा, आपको ऐसी सोच रखनी होंगी जो वास्तविकता से मेल खा सकें। इससे परिवार के साथ आपके रिश्ते बने रहेंगे। अपने रिश्तों को स्वस्थ रखने के लिए आपको उनके प्रति अत्यधिक देखभाल दिखाने की ज़रूरत है।अपनों के साथ समय बिताना, उपहार देना या अपनों के लिए छोटी-छोटी चीज़ें करते रहना जीवन में सकारात्मक रुप से काम करेगा. 

मेष राशि स्वास्थ्य पर शनि गोचर का प्रभाव

इस समय पर सेहत से जुड़ी समस्याएं धीमी गति से सामने आएंगी लेकिन लंबे समय तक रह सकती हैं ऎसे में अपने स्वास्थ्य की जाँच करनी चाहिए और यदि आवश्यक हो तो चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।गोचर के दौरान कुछ बीमारियाँ आपको परेशान कर सकती हैं। कुछ समय के लिए योग, व्यायाम, बाहर घूमने या जॉगिंग करने जैसी गतिविधियों में शामिल होना सेहत के लिए बेहतर होगा. स्वास्थ्य चिंता का विषय हो सकता है, अस्पताल में भर्ती होने से मानसिक तनाव और चिंताएँ पैदा हो सकती हैं इसलिए, स्वास्थ्य पर ध्यान देने की अभी आवश्यकता रहेगी. 

शनि के बुरे प्रभाव से बचने के उपाय

नीलांजना समाभासं रविपुत्रम यमराजन, छाया मार्तंड संभुतम, तम नमामि शनैश्चरम

“ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।”

ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥

” ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।

उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।”

“ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।”

“ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।”

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