चन्द्रमा ज्योतिष में । The Moon in Astrology । Know Your Planets-Moon | Which is the Vedic mantra of the Moon

चन्द्रमा ग्रहों में मां का प्रतिनिधित्व करता है. इसे शरीर में दिल का स्थान दिया गया है. इसके साथ ही चन्द्र व्यक्ति की भावनाओं पर नियन्त्रण रखता है. वह जल तत्व ग्रह है. सभी तरल पदार्थ चन्द्र के प्रभाव क्षेत्र में आती है. इसके अतिरिक्त चन्द्र बाग-बगीचे,  नमक, समुद्री औषधी, परिवर्तन, विदेश यात्रा, दूध, मान आदि को ज्योतिष शास्त्र में चन्द्र से देखा जा सकता है. आईये ज्योतिष के क्षेत्र में चन्द्रमा क्या है, जानने का प्रयास करते है. 

चन्द्रमा के मित्र ग्रह कौन से है. | Which are the friendly planets of the Moon

चन्द्रमा के मित्र ग्रह सूर्य और बुध है. 

चन्द्रमा के शत्रु ग्रह कौन से है.| Which are the enemy planets of the Moon

चन्द्रमा किसी ग्रह से शत्रु संबन्ध नहीं रखता है. 

चन्द्रमा से सम् संबन्ध रखने वाले ग्रह कौन से है. | Which planet forms neutral relation with the Moon

चन्द्रमा मंगल, गुरु, शुक्र व शनि से सम संबन्ध रखते है. 

चन्द्र किस राशि का स्वामी है. | Moon is Which sign Lord 

चन्द्र कर्क राशि का स्वामी है. 

चन्द्र किस राशि में उच्च स्थान प्राप्त करते है. | Which is the exalted sign of the Moon

चन्द्र वृ्षभ राशि में उच्च स्थान प्राप्त करता है.  

चन्द्र की नीच राशि कौन सी है. | Which is the debiliated sign of the Moon

चन्द्र वृ्श्चिक राशि में होने पर नीच राशि में होते है.  

चन्द्र ग्रह की कौन सी दिशाओं का प्रतिनिधित्व करता है. | Which way represent the Moon

चन्द्र ग्रह उत्तर-पश्चिम दिशाओं का प्रतिनिधित्व करता है. 

चन्द्र का भाग्य रत्न कौन सा है. | Which gem must be hold for the Moon

चन्द्र का भाग्य रत्न मोती है. 

चन्द्र का शुभ रंग कौन सा है. | What is the colour of the Moon

चन्द्र ग्रह का रंग श्वेत, चांदी माना गया है. 

चन्द्र का शुभ अंक कौन सा है. | Which are the lucky numbers of the Moon

चन्द्र का शुभ अंक 2, 11,  20 है.  

चन्द्र ग्रह के लिए किस देव की पूजा की जाती है. | Which god should be worshipped for the Moon

चन्द ग्रह के लिए दुर्गा, पार्वती और देवी गौरी की उपासना करनी चाहिए. 

चन्द्र ग्रह का बीज मंत्र कौन सा है. | Which is the beej  mantra of the Moon

चन्द्र ग्रह का बीज मंत्र ” ऊँ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमासे नम: (संकल्प संख्या 11000) 

चन्द्र ग्रह का वैदिक मंत्र कौन सा है. | Which is the Vedic mantra of the Moon

चन्द्र ग्रह का वैदिक मंत्र इस प्रकार है.

” ऊँ दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम ।

भाशिनं भवतया भाम्भार्मुकुट्भुशणम।। “

चन्द्र दान उपाय कौन से है. | What should be given in Charity for the Moon

चन्द्र की दान योग्य वस्तुएं चावल, दूध, चांदी, मोती, दही, मिश्री, श्वेत वस्त्र, श्वेत फूल या चन्दन. इन वस्तुओं का दान सोमवार के दिन सायंकाल में करना चाहिए. 

चन्द्र राशि के व्यक्ति का व्यक्तित्व कैसा होता है. | What is the Features of Moon person 

चन्द्र राशि लग्न भाव में हो या चन्द्र जन्म राशि हो, अथवा चन्द्र लग्न भाव में बली अवस्था में हो, तो व्यक्ति को कफ रोग शीघ्र प्रभावित करते है, शरीर की गोलाकार प्रकृ्ति का होता है. मन प्रसन्न कर देने वाली आंखे, विनोदी, अतिकामुक, अस्थिर विचारधारा.  

चन्द्र शरीर के कौन से अंगों का प्रतिनिधित्व करता है. | Moon represents which organs of the body

चन्द्र शरीर में बाईं आंख, गाल, मांस, रक्त बलगम, वायु, स्त्री में दाईं आंख, पेट, भोजन नली, गर्भाशय, अण्डाशय, मूत्राशय. 

चन्द्र से कारण कौन से रोग हो सकते है. | When the Moon is at weaker position , what diseases can affect a person.

चन्द्र कुण्डली में कमजोर या पिडित हो, तो व्यक्ति को ह्रदय रोग, फेफडे, दमा, अतिसार, दस्त गुर्दा, बहुमूत्र, पीलिया, गर्भाशय के रोग, माहवारी में अनियमितता, चर्म रोग, रक्त की कमी, नाडी मण्डल, निद्रा, खुजली, रक्त दूषित होना, फफोले, ज्वर, तपेदिक, अपच, बलगम, जुकाम, सूजन, जल से भय, गले की समस्याएं, उदर-पीडा, फेफडों में सूजन, क्षयरोग.  

चन्द्र की कारक वस्तुएं क्या है. | What is the Moon Karaka 

चन्द्र व्यक्ति की सोच, दिल, मन का प्रतिनिधित्व करता है.  

चन्द्र के विशिष्ट गुण कौन से है. | Which is the Moon factor items.

चन्द्र प्रभावित व्यक्ति बार-बार विचार बदलने वाला होता है. 

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शिक्षा और ज्योतिष | Education and Astrology | Education Astrology

आधुनिक समय में सभी अपनी शिक्षा का स्तर उच्च रखने की चाह रखते हैं. अभिभावक भी अपने बच्चो की शिक्षा को लेकर चिन्तित रहते हैं. प्राचीन समय में ब्राह्मण का कार्य शिक्षा प्रदान करना था. विद्यार्थीगण आश्रम में रहकर शिक्षा ग्रहण करते थे. लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे शिक्षा के क्षेत्र में काफी बदलाव आया है. (clubdeportestolima.com.co) वर्तमान समय में तो विद्या का स्वरुप बहुत बदल गया है. आज अच्छी आजीविका पाने के लिए अच्छी शिक्षा ग्रहण करना आवश्यक समझा जाता है. जबकि विद्यार्थियों को उनकी क्षमतानुसार तथा उनकी मानसिकता के अनुसार शिक्षा प्राप्त करानी चाहिए. जो आगे चलकर उनके आजीविका प्राप्ति में सहायक सिद्ध हो सके.

आधुनिक समय में बच्चा शिक्षा कुछ पाता है और आगे चलकर व्यवसाय कुछ होता है. ज्योतिष के आधार पर बच्चे की शिक्षा के क्षेत्र में सहायता की जा सकती है. शिक्षा का आंकलन करने के लिए शिक्षा से जुडे़ भावों का आंकलन करना आवश्यक है. कुण्डली के दूसरे, चतुर्थ तथा पंचम भाव से शिक्षा का प्रत्यक्ष रुप में संबंध होता है. आइए इन भावों का विस्तार से अध्ययन करें.

द्वित्तीय भाव | Second House

इस भाव को कुटुम्ब भाव भी कहते हैं. बच्चा पांच वर्ष तक के सभी संस्कार अपने कुटुम्ब से पाता है. पांच वर्ष तक जो संस्कार बच्चे के पड़ जाते हैं, वही बाकी जीवन की आधारशिला बनते हैं. इसलिए दूसरे भाव से परिवार से मिली शिक्षा अथवा संस्कारों का पता चलता है. इसी भाव से पारीवारिक वातावरण के बारे में भी पता चलता है. बच्चे की प्रारम्भिक शिक्षा के बारे में इस भाव की मुख्य भूमिका है. जिन्हें बचपन में औपचारिक रुप से शिक्षा नहीं मिल पाती है, वह भी जीवन में सफलता इसी भाव से पाते हैं. इस प्रकार बच्चे की एकदम से आरंभिक शिक्षा का स्तर तथा संस्कार दूसरे भाव से देखे जाते हैं.

चतुर्थ भाव | Fourth House

चौथा भाव कुण्डली का सुख भाव भी कहलाता है. आरम्भिक शिक्षा के बाद स्कूल की पढा़ई का स्तर इस भाव से देखा जाता है. इस भाव के आधार पर ज्योतिषी भी बच्चे की शिक्षा का स्तर बताने में सक्षम होता है. वह बच्चे का मार्गदर्शन, विषय चुनने में कर सकता है. चतुर्थ भाव से उस शिक्षा की नींव का आरम्भ माना जाता है, जिस पर भविष्य की आजीविका टिकी होती है. अक्षर के ज्ञान से लेकर स्कूल तक की शिक्षा का आंकलन इस भाव से किया जाता है.

पंचम भाव | Fifth House

पंचम भाव को शिक्षा में सबसे महत्वपूर्ण भाव माना गया है. इस भाव से मिलने वाली शिक्षा आजीविका में सहयोगी होती है. वह शिक्षा जो नौकरी करने या व्यवसाय करने के लिए उपयोगी मानी जाती है, उसका विश्लेषण पंचम भाव से किया जाता है. आजीविका के विषय में सही विषयों के चुनाव में यह भाव महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

शिक्षा प्रदान करने वाले ग्रह | Planets Helpful in Imparting Education

बुध ग्रह को बुद्धि का कारक ग्रह माना गया है. गुरु ग्रह को ज्ञान का कारक ग्रह माना गया है. बच्चे की कुण्डली में बुध तथा गुरु दोनों अच्छी स्थिति में है तब शिक्षा का स्तर भी अच्छा होगा. इन दोनों ग्रहों का संबंध केन्द्र या त्रिकोण भाव से है तब भी शिक्षा क स्तर अच्छा होगा.

वर्ग कुण्डलियों से शिक्षा का आंकलन | Category of Horoscope in Assessment of Education

अभी तक शिक्षा से जुडे़ भाव तथा ग्रहों के विषयों में जानकारी प्राप्त की गई है. लेकिन इन भावों के स्वामी और शिक्षा से जुडे़ ग्रहों की वर्ग कुण्डलियों में स्थिति कैसी है? इसका अध्ययन करना भी बहुत आवश्यक होता है. कई बार जन्म कुण्डली में सारी स्थिति बहुत अच्छी होती है, लेकिन फिर भी शिक्षा का स्तर बहुत अच्छा नहीं होता है. क्योंकि वर्ग कुण्डलियों में संबंधित भाव तथा ग्रह कमजोर अवस्था में स्थित होते हैं.

शिक्षा के लिए नवाँश कुण्डली तथा चतुर्विंशांश कुण्डली का उपयोग अवश्य करना चाहिए. जन्म कुण्डली के पंचमेश की स्थिति इन वर्ग कुण्डलियों में देखनी चाहिए. चतुर्विशांश कुण्डली को डी – 24 तथा सिद्धांश भी कहा जाता है.

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पेटालाईट उपरत्न | Petalite Gemstone Meaning | Petalite – Stone Of The Angels | Petalite – Metaphysical, Healing Ability

यह एक उत्तम तथा दुर्लभ उपरत्न है. यह उपरत्न संग्रहकर्त्ताओं में अधिक लोकप्रिय है. उनके लिए यह विशेष रुप से तराशा जाता है. यह उपरत्न अन्य कई उपरत्नों से मिलता – जुलता उपरत्न है. इससे कई अन्य रत्नों का भ्रम उत्पन्न होता है. रंगहीन अवस्था में यह उपरत्न जर्कन, डायमण्ड आदि का भ्रम पैदा करता है. यह एक अत्यंत नाजुक उपरत्न है. यह एक बहुत ही खूबसूरत रत्न है. पेटालाईट का यह नाम ग्रीक शब्द पेटालॉन से लिया गया है जिसका अर्थ पेड़ का पत्ता है. जिस प्रकार पेड़ के पत्ते की एक-एक संरचना उभरकर दिखाई देती है ठीक उसी प्रकार पेटालाईट की संरचना भी पत्ते के समान स्पष्ट नजर आती हैं.

इस उपरत्न की सर्वप्रथम खोज 18वीं सदी में स्वीडन में हुई थी. इस उपरत्न को एंजल अर्थात देवदूत के समान माना जाता है इसलिए एंजल या देवदूत के रुप में भी जाना जाता है. इसे “Angel Stone”  अथवा “Stone of the Angels” कहा जाता है क्योंकि यह देवदूत जैसी क्रियाओं को बढा़वा देता है. यह उपरत्न व्यक्ति विशेष को विश्व के सभी क्षेत्रों से संबंधित संचार माध्यमों में सहायता प्रदान करता है अर्थात धारक दिव्य क्षेत्र से जुडे़ सभी विषयों पर संवाद करने में सक्षम होता है.

स्कॉलेसाइट(Scolecite), लेपिडोलाइट(Lepidolite), टेक्टाइट(Tektite), तुरमलीन(Tourmaline), मॉर्गेनाइट(Morganite) तथा रोज क्वार्ट्ज(Rose Quartz ) उपरत्न पेटालाइट के अनुकूल होते हैं. इन उपरत्नों को पेटालाइट के साथ धारण किया जा सकता है.    

पेटालाईट के आध्यात्मिक गुण | Petalite – Metaphysical Properties

यह उपरत्न धारक की दूरदृष्टि में वृद्धि करता है. यह धारक को गहन शांति तथा खुशी प्रदान करता है. ध्यान के समय इस उपरत्न को आज्ञा चक्र के पास रखना चाहिए. इससे धारक को विश्रान्ति मिलती है. आंतरिक अन्वेषण के लिए मन को शांत रखता है. यह एक संतुलित ऊर्जा का संचार करता है. जो व्यक्ति स्वभाव से चपल होते हैं और जिनके विचार भी कुछ बिखरे तथा असंयोजित होते हैं, वह इस अदभुत उपरत्न को धारण कर सकते हैं. यह विचारों में स्थिरता प्रदान करता है. यह धारक के प्रभामण्डल को निर्मलता प्रदान करता है. यह धारक को उसकी आध्यात्मिक क्षमताओं से परे ले जाता है. धारक आध्यात्मिकता के दौरान जिन-जिन बातों का अनुभव
करता है उन्हें बताने में सक्षम रहता है.

यह उपरत्न भावनात्मक आघातों को भरने में सहायक होता है. यह धारक को सुरक्षा प्रदान करता है तथा उसे संतुलित रखता है. धारक स्वयं के व्यक्तित्व को पहचानता है और् अपने प्रति प्रेम को जागृत करता है. यह उपरत्न धारक को एक लय में बाँधकर रखता है और उसकी चेतना को उच्च स्तर पर बढा़वा देता है. यह उपरत्न जातक को गहराई से आध्यात्मिकता के साथ जोड़ने में सहायक होता है. इस उपरत्न को अन्तर्दृष्टि में वृद्धि का उपरत्न माना गया है. यह अन्तर्दृष्टि को खोलकर मानसिक क्षमता का विकास करता है और जातक के भीतर “टेलीपैथी” का भी विकास करता है. इस उपरत्न का एक छोटा सा टुकडा़ भी अम्रत के समान कार्य करता है.

विशेषज्ञ कई लोगों को इस उपरत्न को पहनने की सलाह देते हैं विशेषकर तब, जब वह अपने ग्राहक अथवा मरीजों से बातचीत करते हैं. यह उच्च मानसिक क्षमता को संचालित करता है. इस उपरत्न के उपयोग से शीतल तथा संतुलित ऊर्जा का बहाव होता है जो जातक को ध्यान के दौरान जागरुक रखती है. कई जातक इस उपरत्न का उपयोग सू़क्ष्म आध्यात्मिक ज्ञान को बढा़ने तथा सुरक्षा प्रदान करने के लिए करते हैं. जादू का खेल दिखाने वाले के मध्य इस उपरत्न का उपयोग अधिक किया जाता है.

इस उपरत्न के उपयोग से धारक दिव्य शक्तियों के साथ जुड़ता है और साथ ही साथ यह उपरत्न धारक को अपनी पुरानी सभ्यता तथा संस्कृति से भी जोड़कर रखता है. भावनात्मक रुप से जातक का मार्गदर्शन करता है. अन्तरात्मा को परमात्मा से जोड़ने में मदद करता है. धारक की आत्मा को विश्व की भलाई के लिए प्रेरित करता है. यह फरिश्तों के साथ धारक का संबंध स्थापित कराने में मदद करता है. यह उपरत्न आत्मजागृति का बेहतर तथा अदभुत उपरत्न है.

यह शरीर के चक्रों को संतुलित रखने में सहायक होता है. यह विशुद्ध चक्र तथा सहस्रार चक्र को नियंत्रित रखता है. धारक की संचार क्षमता का विकास करता है. इन चक्रों में यदि लम्बे समय से रुकावट आ रही हो तो यह उन रुकावटों को दूर करने में सहायक होता है. यह उपरत्न शक्तिशाली है और धारक के चारों ओर की ऊर्जा को सकारात्मक रुप में रखता है. यह उसके चारों ओर के वातावरण को शुद्ध रखता है. यह उपरत्न धारक को नकारात्मक कर्मों से मुक्त रखने में सहायक होता है. यह धारक के अस्तित्व को उसकी ही नजरों में स्पष्ट करता है. धारक का परिचय वास्तविकता से कराता है.

पेटालाईट के चिकित्सीय गुण | Healing Ability Of Petalite

ऎसा माना जाता है कि यह उपरत्न धारक को शांत तथा तनावमुक्त रखता है. यह तनाव से होने वाली बीमारियों को आसानी से दूर करने में सहायक होता है. यह अत्यधिक चिन्ताओं से जातक को दूर ही रखता है. यह उपरत्न कैंसर जैसी भयंकर बीमारियों को होने से रोकता है. एड्स की भी रोकथाम करता है. यह घावों को भरने में सहायक होता है. हड्डियों का विकास करता है. यह अवसादरुपी भावनाओं को धारक में पनपने नहीं देता और शांत रखने में सहायक होता है.

यह उपरत्न अन्त:स्त्रावी ग्रंथियों को सुचारु रुप से संचालित करता है. यह शरीर की कोशिकाओं को नियंत्रित रखता है. आंखों से संबंधित विकारों को ठीक करता है. फेफड़ों से जुडी़ समस्याओं को हल करता है. माँस-पेशियों की ऎंठन अथवा अकड़न को होने से रोकता है. आंतों से संबंधित परेशानियों को दूर करता है. यह जोड़ों को लचीला बनाता है.

पेटालाईट के रंग | Color Of Petalite

यह उपरत्न कई रंगों में पाया जाता है. यह जिस भी रंग में पाया जाता है वह हल्के रंग होते हैं. यह रंगहीन तथा पारदर्शी अवस्था में पाया जाता है. हल्के गुलाबी रंग में यह उपरत्न पाया जाता है. यह ग्रे, लाल तथा सफेद के मिश्रण में पाया जाता है. यह उपरत्न हरे तथा सफेद के मिश्रण में भी पाया जाता है. पीलेपन की आभा लिए भी यह उपरत्न पाया जाता है. यह वायुतत्व उपरत्न है.

कहाँ पाया जाता है | Where Is Petalite Found

यह उपरत्न कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरीका, ब्राजील, स्वीडन, नामीबिया, अफगानिस्तान, जिम्बाब्वे, बर्मा, आस्ट्रेलिया, रुस, मोजाम्बिक, इटली आदि देशों में पाया जाता है.

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लग्न पर साढे़साती का प्रभाव | Effects of Sadhesati on Lagna | Sadhesati and Murti Nirnay

पराशर ऋषि ने कारकाध्याय में त्रिकोण तथा केन्द्र स्वामियों को शुभ माना है. लग्न को केन्द्र तथा त्रिकोण का स्वामी होने से अधिक शुभफल प्रदान करने वाला माना गया है. जिन जातकों की कुण्डली में चन्द्रमा तथा शनि किसी भी एक त्रिकोण भाव के स्वामी होते हैं यह दोनों ग्रह विशेष रुप से शुभ फल देते हैं और शनि की साढे़साती उन व्यक्तियों के लिए अधिक खराब नहीं होती है. इन दोनों ग्रहों में से किसी एक ग्रह के लग्नेश या त्रिकोणेश होने से भी साढे़साती का प्रभाव कम ही पड़ता है. इनकी दशाओं में इन ग्रहों का गोचर भी कष्टकारी नहीं होता है.

* मेष लग्न में चन्द्रमा तथा शनि लग्न या त्रिकोण भाव के स्वामी नहीं है. इसलिए साढे़साती कष्टकारी रह सकती है. 

* वृष लग्न में शनि एक त्रिकोण भाव का स्वामी है. शनि नवमेश है. अत: शनि की साढे़साती कष्टकारी नहीं होगी.

* मिथुन लग्न में शनि त्रिकोण भाव अर्थात नवम भाव का स्वामी है. 

* कर्क लग्न में शनि त्रिकोणेश नहीं है लेकिन चन्द्रमा लग्नेश है. 

* सिंह लग्न में शनि तथा चन्द्रमा त्रिकोण भाव के स्वामी नहीं हैं. 

* कन्या लग्न में शनि एक त्रिकोण भाव का स्वामी है. 

* तुला लग्न में शनि त्रिकोण भाव का स्वामी है. 

* वृश्चिक लग्न में चन्द्रमा त्रिकोण भाव का स्वामी है. 

* धनु लग्न में शनि या चन्द्रमा किसी भी त्रिकोण भाव के स्वामी नहीं है. 

* मकर लग्न में शनि लग्न भाव के स्वामी है. 

* कुम्भ लग्न में शनि लग्न भाव के स्वामी हैं. 

* मीन लग्न में चन्द्रमा त्रिकोण भाव का स्वामी है. 

उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर मेष, सिंह तथा धनु राशियों में शनि तथा चन्द्रमा किसी भी त्रिकोण भाव के स्वामी नहीं हैं. अन्य सभी लग्नों में शनि या चन्द्रम अकिसी ना किसी त्रिकोण भाव के स्वामी हैं. वृष तथा तुला लग्न के लिए शनि विशेष लाभदायक हैं. यदि कुण्डली में बुरी दशा चल रही है और साढे़साती का प्रभाव भी चल रहा है तब व्यक्ति के लिए साढे़साती हानिकारक होती है. यदि कुण्डली में चन्द्रमा बहुत ही बली अवस्था में स्थित है तब शनि की साढे़साती बुरे प्रभाव नहीं देती है. 

साढेसाती तथा मूर्ति निर्णय 

मूर्ति निर्णय का अर्थ है कि जब कोई ग्रह नई राशि में प्रवेश करता है तब उस समय गोचर के चन्द्रमा की स्थिति का जायजा जन्म कुण्डली में स्थित चन्द्रमा की स्थिति से लगाया जाता है. मूर्ति निर्णय करने के लिए जब शनि अथवा किसी अन्य ग्रह का राशि परिवर्तन हो रहा हो तब उस समय के चन्द्रमा को भी देखा जाता है कि वह किस राशि में स्थित है. फिर जन्म कालीन चन्द्रमा से गोचर के चन्द्रमा की स्थिति का पता लगाया जाता है कि वह किस भाव में आ रहा है. इसके आधार पर मृ्ति निर्णय किया जाता है. 

मूर्ति निर्णय

* जन्मकालीन चन्द्रमा से गोचर का चन्द्रमा यदि 1,6 या 11 भाव में आ रहा है तब साढे़साती श्रेष्ठ फल देने वाली होती है. यह स्वर्ण मूर्ति कहलाती है. 

* जन्मकालीन चन्द्रमा से गोचर का चन्द्रमा यदि 2,5 या 9वें भाव में आ रहा है तब यह रजत मूर्ति कहलाती है और साढे़साती उत्तम फल देने वाली होती है. 

* जन्मकालीन चन्द्रमा से गोचर का चन्द्रमा 3,7 या 10 वें भाव में आता है तब यह ताम्र मूर्ति कहलाती है और यह मध्यम फल देने वाली होती है. 

* जन्मकालीन चन्द्रमा से गोचर का चन्द्रमा 4,8 या 12 वें भाव में आ रहा है तब यह लौह मूर्ति कहलाती है और यह निकृष्ट फल प्रदान करने वाली होती है. ह्म

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कैरोआइट उपरत्न । Charoite Gemstone | Charoite – Meaning | Properties Of Charoite

कैरोआइट उपरत्न की खोज सर्वप्रथम 1947 में रुस में मुरुन की पहाड़ियों में यकुतिया में हुई थी लेकिन इससे भी पहले इस उपरत्न के बारे में 1940 में भी जाना जाता था. तब यह उपरत्न उत्तर से 325 मील दूर् बाइकल झील के किनारे पर पाया गया था. स्थानीय लोग इसे बकाइन पेड़ के उपरत्न के बारे में जानते थे. इस उपरत्न बारे में अधिक जानकारी 1978 से प्राप्त हुई थी.

यह दुर्लभ उपरत्न है. इस उपरत्न की खोज सबसे पहले “कारा नदी” के किनारे हुई थी. इसलिए इसका नाम कैरोआइट रखा गया है. कैरोआइट की चमक रेशम जैसी दिखाई देती है. यह उपरत्न कई रंगों में उपलब्ध होता है. इसका रंग चमकदार लैवण्डर अर्थात हल्का जामुनी होता है. यह गहरे बैंगनी रंग में भी पाया जाता है. कई बार यह उपरत्न पीले और हरे रंग की आभा लिए हुए भी पाया जाता है.

कैरोआइट उपरत्न के गुण | Properties Of Charoite Gemstone

यह उपरत्न कई गुणों की खान है. इसे धारण करने से व्यक्ति के विचार और कार्यों में दूरदर्शिता आती है. यह विवाहित जीवन में सामंजस्य बिठाने में मददगार सिद्ध होता है और दोनों के मध्य शुद्धता तथा आकर्षण को बनाए रखता है. धारणकर्त्ता के मूड को अच्छा तथा हँसमुख बनाए रखने में सहायक होता है. साथ ही यह उपरत्न दिमाग और तर्क करने की क्षमता में स्पष्टता बढा़ता है. इसे धारण करने से व्यक्ति में दार्शनिक विचार अधिक आते हैं. वह हर वस्तु को और हर बात को विज्ञान तथा दार्शनिकता के नजरिए से देखता है.

यह उपरत्न शारीरिक तथा भावनात्मक रुप से व्यक्ति की चिकित्सा करता है. यह उसे ऊर्जा प्रदान करता है. यह व्यक्ति की आत्माभिव्यक्ति के लिए उपयुक्त उपरत्न है. यह उपरत्न जातक को बदलाव के लिए प्रेरित करता है. डर पर काबू पाने के लिए यह एक अनुकूल रत्न है. यह अन्तरात्मा की आवाज में वृद्धि करता है. आग्रह और मजबूरियों पर विजय पाने में सहायक है. यह व्यक्ति के लिए आध्यात्मिक द्वार खोलने में मदद करता है. यह उपरत्न व्यक्ति के सहस्रार चक्र को नियंत्रित करता है. जब शरीर थक जाता है तब यह उपरत्न उसे ऊपर उठाता है और उसमें ऊर्जा का संचार करता है. यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखता है और व्यक्ति के औरा को साफ तथा स्पष्ट रखता है.

कैरोआइट के चिकित्सीय गुण | Healing Abilities Of Charoite

इस उपरत्न को धारण करने से व्यक्ति का रक्तचाप नियंत्रित रहता है. जिन्हें अनिद्रा की परेशानी रहती है उनके लिए यह उपरत्न अनुकूल है. जिन लोगों को नशीले पदार्थों का सेवन करने से लीवर की समस्या का सामना करना पड़ता है उनके लिए यह उपरत्न असाधारण रुप से काम करता है. जीगर से संबंधित परेशानियों को दूर करने के लिए भी इस उपरत्न का उपयोग करना शुभ है. कई व्यक्ति भावनात्मक रुप से कमजोर होते हैं और उन्हें छोटी सी बात भी ठेस पहुँचा देती है. ऎसे लोगों के लिए यह उपरत्न बहुत ही उपयोगी साबित होता है.

कहाँ पाया जाता है | Where Is Charoite Found

यह उपरत्न पूरे विश्व में केवल रुस में पाया जाता है. यह रुस में कैरा नदी के पास पाया जाता है. यह पूर्वी साइबेरिया के केन्द्र में स्थित है.

कौन धारण करे | Who Should Wear Charoite

इस उपरत्न को सभी व्यक्ति धारण कर सकते हैं. विशेषकर वह जिनमें बिना कारण डर समाया रहता है. इस उपरत्न को अमेथिस्ट के साथ धारण करने से यह और अधिक शक्तिशाली हो बन जाता है.

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प्रवासी के घर वापसी के योग | Yoga of Migrant Person to Return Home

खोये व्यक्ति के संबंध बहुत से सवाल प्रश्नकर्त्ता द्वारा पूछे जाते हैं. इन प्रश्नों का बारी-बारी से तथा समझदारी से उत्तर देना चाहिए. प्रश्न कुण्डली में खोये व्यक्ति के घर वापिस आने के लिए बहुत से योग दिए होते हैं. आइए उन योगों का अध्ययन करें. 

घर वापसी के योग |Yoga of Return Home

(1) प्रश्न कुण्डली में लग्नेश तथा चन्द्रमा केन्द्र से अन्य भाव में स्थित हों और केन्द्रस्थ ग्रह से ईशराफ कर रहें हों तो प्रवासी घर के लिए चल पडा़ है. 

(2) प्रश्न कुण्डली में लग्न, तृत्तीय तथा अष्टम भाव में सभी ग्रह हों तो प्रवासी घर के लिए चल दिया है. 

(3) प्रश्न कुण्डली में सप्तम भाव में बली चन्द्रमा स्थित हो तब प्रवासी घर के लिए चल दिया है. 

(4) प्रश्न कुण्डली में लग्नेश, 2,3,8 या 9 वें भाव में स्थित हो तो प्रवासी घर के लिए चल दिया है. 

(5) प्रश्न कुण्डली में चर लग्न हो और उस पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो प्रवासी घर वापिस चल पडा़ है. 

(6) यदि आठवें भाव में चन्द्रमा स्थित हो और केन्द्र में शुभ ग्रह स्थित हैं तो प्रवासी लाभ सहित वापिस आएगा. 

(7) यदि आठवें भाव में चन्द्रमा स्थित है केन्द्र में पाप ग्रह है तो सभी कुछ लुटाकर वापिस आएगा. 

(8) यदि लग्न में चन्द्रमा स्थित हो और उसका लग्नेश से इत्थशाल हो तो प्रवासी वापिस आ जाएगा. 

(9) यदि बारहवें भाव में चन्द्रमा हो और लग्नेश से इत्थशाल हो तो भी प्रवासी अथवा खोया व्यक्ति घर वापिस आ जाएगा.     

(10) प्रश्न के समय चन्द्रमा कहीं भी अच्छी हालत में स्थित हो तो प्रवासी घर आ जाएगा. 

(11) यदि सारे ग्रह 1,2,3 भावों में स्थित हैं तो खोया व्यक्ति वापिस आ जाएगा. 

(12) यदि 1,2,3 में केवल शुभ ग्रह हैं तो खोया व्यक्ति वापिस आ जाएगा. 

(13) यदि बृहस्पति तथा शुक्र एक साथ 1,2 या 3 भाव में स्थित हैं तो खोया व्यक्ति वापिस आ जाएगा. 

(14) यदि 11वें भाव में सूर्य, बुध तथा शुक्र स्थित हो तो प्रवासी वापिस आ जाएगा. 

(15) यदि त्रिकोण भाव में बुध तथा शुक्र स्थित है तो प्रवासी वापिस आ आएगा. 

(16) द्वि-स्वभाव लग्न है और सभी ग्रह पणफर भावों में स्थित है खोया व्यक्ति अथवा प्रवासी वापिस आ जाएगा. 

(17) यदि लग्नेश लग्न में बैठे ग्रह से इत्थशाल करता है तो भी प्रवासी वापिस आ जाएगा. 

(18) यदि लग्नेश 2 या 8 भाव में बैठा है और दशमेश या दशम भाव में स्थित ग्रह से इत्थशाल कर रहा हो तो भी वापसी के योग बनते हैं. 

(19) यदि लग्नेश वक्री होकर चन्द्रमा को देखे तो भी वापसी के योग बनते हैं. 

घर वापिस ना आने के योग | |Yoga of No Return Home

(1) प्रश्न कुण्डली में चर लग्न हो और लग्न का स्वामी लग्न को देख रहा हो या चर लग्न शुभ ग्रहों से दृष्ट हो. 

(2) प्रश्न कुण्डली में स्थिर लग्न अथवा द्वि-स्वभाव लग्न हो और वह अपने स्वामी ग्रह या शुभ ग्रह से दृष्ट अथवा युत हो. 

(3) यदि प्रश्न कुण्डली में चतुर्थ तथा दशम भाव में शुभ ग्रह स्थित हैं तो प्रवासी अथवा खोया व्यक्ति वापिस आने की इच्छा नहीं रखता है.  

(4) चन्द्रमा यदि शुभ कर्त्तरी में है तो प्रवासी दोस्तों से घिरा है और आने की इच्छा नहीं रखता है. 

(5) चन्द्रमा यदि पाप कर्त्तरी में है तो शत्रुओं से घिरा है और वापिस आने में बाधा है. 

(6) यदि बारहवें भाव में सूर्य, बुध तथा शुक्र हैं तो वापिस नहीं आएगा. 

(7) यदि लग्नेश 1,2,3,11 या 12 वें भाव में स्थित है और केन्द्र में पाप स्थित है तो प्रवासी वापिस नहीं आएगा. 

(8) यदि लग्नेश दूसरे अथवा आठवें भाव में बैठकर चतुर्थ या सप्तम भाव में बैठे ग्रह से इत्थशाल करे तो प्रवासी वापिस नहीं आएगा. 

विदेश गए व्यक्ति के योग | The sum of the individual foreign

प्रश्नकर्त्ता के कई प्रश्न विदेश गए व्यक्ति के सन्दर्भ में होते हैं कि वह कब तक वापिस आएगा. आएगा या कभी नहीं आएगा. वह विदेश में कैसा होगा आदि कई प्रकार के प्रश्न होते हैं. सर्वप्रथम आपको विदेश गए व्यक्ति के वापिस आने के योग बता रहें हैं कि वह कब तक लौटेगा. 

(1) प्रश्न कुण्डली के लग्न में स्थित शुभ ग्रह जिस समय कुण्डली के तृतीय भाव में पहुंचता है उस समय प्रवासी घर लौटता है. 

(2) प्रश्न कुण्डली में सर्वाधिक बली ग्रह लग्न से जितने भाव दूर होगा उस संख्या को 12 से गुणा करें. भाग करने पर जो गुणनफल आता है उतने दिनों में प्रवासी घर आता है. माना गुरु कुण्डली का सर्वाधिक बली ग्रह है और लग्न से छठे भाव में स्थित है. लग्न से छठे भाव तक छ: संख्या आती है. अब छ: को 12 से गुणा करेंगें. गुणा करने पर गुणनफल 72 आता है. इसका अर्थ है कि प्रवासी विदेश से 72 दिनों बाद वापिस आएगा. 

(3) प्रश्न कुण्डली में सप्तमेश जिस समय लग्न में पहुंचता है या लग्नेश से इत्थशाल करता है, उस समय प्रवासी घर वापिस आता है. 

(4) प्रश्न कुण्डली के चतुर्थ भाव में चर राशि में बुध, गुरु और शुक्र हों तो प्रवासी शीघ्र घर आता है. 

(5) प्रश्न चण्डेश्वर के अनुसार प्रश्न कुण्डली में यदि चन्द्रमा सर्वाधिक बली ग्रह है तो कुछ दिनों में प्रवासी वापिस आ जाएगा. यदि सूर्य बलवान है तो उतने माह में प्रवासी घर आएगा. यदि गुरु बली है तो उतने वर्षों में प्रवासी घर आएगा. यदि मंगल बली है तो 8 माह में वापिस आता है. बुध बली है तो 1 माह में वापिस आता है. शुक्र बली है तो 1 वर्ष में आता है. राहु अथवा केतु के बली होने पर 6 माह में प्रवासी घर लौटकर आता है. 

उपरोक्त प्रश्नों के अतिरिक्त प्रश्नकर्त्ता के प्रश्न प्रवासी की सेहत अथवा कष्ट को लेकर भी होते हैं. आइए विदेश गए व्यक्ति के कष्ट में रहने के योगों का आंकलन करें. 

अपने जीवनसाथी से अपने गुणों का मिलान करने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक करें : Marriage Analysis

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विवाद प्रश्न के सामान्य नियम | The General Rules of Conflict Question

विवाद प्रश्न में लग्न से प्रश्नकर्त्ता को देखा जाएगा या प्रश्न पूछने वाला जिस व्यक्ति का समर्थन कर रहा हो उसका विश्लेषण लग्न से किया जाएगा. आधुनिक समय में विवाद के प्रश्न भी काफी पूछे जाते हैं. इसमें घरेलू विवाद, व्यवसायिक विवाद तथा अन्य क्षेत्रों से जुडे़ सभी प्रकार के विवाद आते हैं. विवाद प्रश्न में लग्न से पृच्छक तथा सप्तम भाव से विरोधी का विश्लेषण किया जाता है. विवाद प्रश्न में पाप ग्रह का लग्न या सप्तम में स्थित होना उस पक्ष को जीत हासिल करा सकता है. आइए विवाद के प्रश्न से संबंधित सामान्य नियमों का आंकलन करें. 

* लग्न अथवा सप्तम भाव में से जिस भाव में पाप ग्रह स्थित होगें वह पक्ष जीत जाएगा. यदि दोनों ही भावों में पाप ग्रह स्थित है तो दोनों पक्षों के मध्य हिंसा तथा मार-पीट हो सकती है. प्रश्न के समय एक बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि राहु को पाप ग्रह माना गया है, केतु को पाप ग्रह नहीं माना गया है.  

* यदि विवाद प्रश्न के लग्न में शुभ ग्रह स्थित हो तब प्रश्नकर्त्ता दब जाएगा. यदि लग्न में पाप ग्रह तथा शुभ ग्रह की लग्न पर दृष्टि होगी तब प्रश्नकर्त्ता जीत जाएगा. विवाद प्रश्न में शुभ ग्रह की लग्न पर दृष्टि अच्छी मानी गई है. यदि यही स्थिति सप्तम भाव पर लागू हो रही हो तब विरोधी पक्ष की जीत होगी. लग्न पर पाप दृष्टि हो तो विरोधी पक्ष जीतेगा. 

* विवाद प्रश्न में लग्नेश तथा सप्तमेश में जो बली है उस पक्ष की जीत होगी. प्रश्न के समय यदि चन्द्र या लग्न या दोनों ही बली हैं तो पृच्छक की जीत होगी. 

* विवाद प्रश्न में जिस भाव से संबंधित प्रश्न है यदि वह भाव बली है तो प्रश्नकर्त्ता की जीत होगी. 

* यदि लग्न से 3,6,11 भावों में पाप ग्रह है तो पूछने वाला लम्बी लडा़ई के लिए भी तैयार है. 

* यदि सप्तम भाव से 3,6,11 भाव में पाप ग्रह है तो विरोधी जीत जाएगा. 

* यदि 12वें भाव में पाप ग्रह हैं तो वह विवाद से संबंधित अनावश्यक खर्चा कराएंगें. 

* प्रश्न के समय यदि 8वें भाव का स्वामी दूसरे भाव में स्थित है तब विरोधी का धन पृच्छक के पास आ जाएगा. आठवाँ भाव सप्तम से दूसरा भाव है. आठवें भाव से विरोधी का धन देखा जाता है. 

* सप्तमेश यदि लग्न में स्थित है तो विरोधी पृच्छक के पास समझौते के लिए आएगा. 

* लग्नेश सप्तम भाव में स्थित हो तो प्रश्नकर्त्ता विरोधी के पास जाएगा. 

* द्वित्तीय भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तो पूछनेवाले का धन विरोधी के पास जाता है. 

* द्वित्तीय भाव बली और शुभ दृष्ट है तो भी पृच्छक को फायदा होता है. 

* अष्टम भाव बली और शुभ दृष्ट है तो विरोधी को लाभ होगा. 

* प्रश्न के समय लग्नेश तथा सप्तमेश में राशि परिवर्तन होगा तो दोनों पक्ष समझौता कर सकते हैं. 

* प्रश्न के समय कोर्ट-केस के बारे में यह तय करना है कि यह कितने समय और चलेगा तो लग्न के अंशों को देखा जाएगा कि कितने नवाँश बीत चुके हैं. जितने नवाँश बीत चुके होगें उतने वर्ष केस के भी बीत चुके होगें और जितने नवाँश बचे होगें उतने वर्ष अथवा माह अथवा दिन अभी विवाद और चलेगा. 

अपनी प्रश्न कुण्डली स्वयं जाँचने के लिए आप हमारी साईट पर क्लिक करें : प्रश्न कुण्डली
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सिंह राशि क्या है । Leo Sign Meaning | Leo – An Introduction | What are the lucky colours for Leo.

सिंह राशि के व्यक्ति तेजयुक्त, सक्रिय और दुसरों पर शीघ्र प्रभाव डालने वाले होते है. इस राशि के व्यक्तियों में उच्च अभिलाषा, गर्मजोशी और सर्जनात्मकता पाई जाती है. अपनी उर्जा शक्ति का सही उपयोग करने वाले होते है. सिंह राशि जिस व्यक्ति की हो वह साहसी और खुले दिमाग वाला होता है. आईये सिंह राशि से परिचय करते है. 

सिंह राशि का स्वामी कौन है. | Who is the Lord of  Leo

सिंह राशि पर सूर्य ग्रह का स्वामित्व है. 

सिंह राशि का निशान क्या है. | What is the Symbol of Leo Sign . 

सिंह राशि का निशान सिंह है. 

सिंह राशि के लिए कौन से ग्रह शुभ फल देते है.| Which planets are considered auspicious for Leo

सिंह राशि के लिए सूर्य, मंगल, गुरु शुभ फल देते है.

सिंह राशि के लिए कौन से ग्रह अशुभ फल देते है. | Which Planets are inauspicious for Leo 

सिंह राशि के लिए बुध, शुक्र, शनि अशुभ फल देने वाले ग्रह है. 

सिंह राशि के लिए सम फल देने वाले कौन से ग्रह है.| Which are Neutral planets for Leo.

सिंह राशि के लिए चन्द्रमा शुभ फल देने वाला ग्रह है. 

सिंह राशि के लिए कौन सा ग्रह मारक ग्रह है.| Which  are the Marak planets for Leo

सिंह राशि के लिए बुध, शनि मारक ग्रह होते है.

सिंह राशि के लिए कौन सा भाव बाधक भाव होता है.| Which is the Badhak Bhava for Leo. (thedentalspa)

सिंह राशि के लिए नवम भाव बाधक भाव है. 

सिंह राशि के लिए बाधक भाव का स्वामी कौन सा ग्रह है.| Which planet is Badhkesh for Leo 

सिंह राशि के लिए मंगल बाधकेश होते है. 

सिंह राशि के लिए योगकारक ग्रह कौन से है.| Which planet is YogaKaraka for Leo

सिंह राशि के लिए मंगल, गुरु योगकारक ग्रह है.

सिंह राशि में कौन सा ग्रह उच्च का होता है.| Which Planet of Leo, is placed in exalted position 

सिंह राशि में कोई ग्रह उच्च का नहीं होता है.

सिंह राशि किस ग्रह कि नीच राशि है.| Leo  is which planet’s Debilitated Sign

सिंह राशि किसी ग्रह की नीच राशि है.

सिंह राशि में चन्द्रमा कितने अंशो पर होने पर सर्वाधिक शुभ फल देता है. | At which Degree Moon is auspicious for the Leo  Sign. 

सिंह राशि में चन्द्रमा 19 अंश का होने पर शुभ फल देता है.

सिंह राशि में चन्द्रमा किस अंश पर अशुभ फल देता है. | At which degree Moon is inauspicious for the Leo Sign.

सिंह राशि में चन्द्रमा 21 अंश और 24 अंश पर अशुभ फल देता है. 

सिंह राशि के व्यक्तियों के लिए कौन सा इत्र शुभ होता है.| Which fragrance is auspicious for Leo

सिंह राशि के लिए आलीबनम इत्र शुभ रहता है.

सिंह राशि के लिए शुभ अंक कौन से है.| Which are the Lucky numbers for Leo Sign. 

सिंह राशि के लिए शुभ अंक 1, 4, 5, 9 है.

सिंह राशि के लिए शुभ वार कौन सा है. | Which are the lucky days for  Leo Sign.

सिंह राशि के लिए रविवार, मंगलवार, बुधवार शुभ दिन होते है.

सिंह राशि के लिए शुभ रत्न कौन सा है.| Which is the lucky stone for Leo .

सिंह राशि के लिए माणिक्य आदि रत्न शुभ रहते है. 

सिंह राशि के लिए शुभ रंग कौन सा है.| What are the lucky colours for Leo.

सिंह राशि के लिए लाल, नारंगी, हरा रंह शुभ है.

सिंह राशि के व्यक्तियों को किस दिन का उपवास करना चाहिए. | On which day Leo People should fast .

सिंह राशि के लिए सोमवार के दिन का व्रत करना शुभ रहता है.

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11th भाव-आय भाव क्या है. | Labha Bhava Meaning | Ekadasha House in Horoscope | 11th House in Indian Astrology

11th भाव-आय भाव क्या है. | Labha Bhava Meaning | Ekadasha House in Horoscope | 11th House in Indian Astrology

एकाद्श भाव लाभभाव है. इस भाव को उपचय भाव और त्रिषडाय भाव भी कहा जाता है. चर राशि के व्यक्तियों के लिए यह स्थान बाधक स्थान होता है. एकादश भाव को धन भाव, ज्ञान भाव के नाम से भी जाता है. इस भाव से बडे भाई या बहन, धन-सम्पति, पति की उन्नति, माता की दीर्घायु, ससुर से लाभ, धन का बहाव, अपने से बडी आयु के मित्र, आशायें, इच्छायें, आकांक्षायें, योजनाओं में सफलता, लाभ, चुनाव, मुकदमेबाजी, सट्टेबाजी से लाभ, अस्पताल से छुट्टी, कान, व्यापार, समाज, समुदाय, बिमारी से ठिक होना, दुर्दशा से मुक्ति, अभिलाषायें, इच्छायें और उनकी पूर्ति, विवाह, रोग और चोट का भाव. 

एकादश भाव का कारक ग्रह कौन सा है.  | What are the Karaka things of 11th Bhava   

एकादश भाव का कारक ग्रह गुरु है. इस भाव से गुरु व्यक्ति के लाभ और बडे भाई के कारकतत्व प्रकट करता है.  

एकादश भाव से स्थूल रुप में किस विषय का विश्लेषण किया जाता है.  |  What does the House of Income  Explain.  

एकादश भाव से व्यक्ति के लाभ देखे जाते है. 

एकादश भाव से सूक्ष्म रुप में किस विषय का विश्लेषण किया जाता है | What does the House of Income accurately explains.

एकादश भाव से व्यक्ति के द्वारा अधिग्रहित वस्तुओं का विश्लेषण किया जाता है. 

एकादश भाव कौन से संबन्धों का प्रतिनिधित्व करता है. | 11th House represents which  relationships. 

 एकदश भाव से व्यक्ति के चाचा, बडे भाई-बहन, मित्र, जीजा, चौथा बच्चा, दादी, दामाद, चचेरा दादा आदि का विश्लेषण किया जाता है.  

एकादश भाव शरीर के कौन से अंगों को प्रकृ्ट करता है. | 11th House is the Karak House of which body parts. 

एकादश भाव से पैर, घुटना, बायां पांच, बायां हाथ आदि सम्बन्धित विषय देखे जाते है. द्रेष्कोण पद्वति के अनुसार इस भाव से बायां कान, बायीं भुजा आदि का विचार किया जाता है.  

किस राशि के लिए लाभ भाव बाधक भाव है. | For which sign income house is Badhaka bhava. 

चर राशियों के लिए लाभ स्थान बाधक स्थान होता है.  

एकादशेश और अन्य भावेश परिवर्तन योग किस प्रकार के फल देते है.  

एकादशेश और द्वादशेश जब परिवर्तन योग में शामिल हों, तो व्यक्ति को ऋण लेकर कार्य पूरे करने पडते है. उसकी आय और व्यय दोनों समान हो सकते है.

स्थिर और द्विस्वभाव राशि के व्यक्तियों के लिए इस भाव में सभी ग्रह शुभ फल देते है.  

एकादश भाव में बैठे नवमेश ओर दशमेश व्यक्ति को नियमित आय देते है.  

एकादश भाव में बैठे नवमेश, दशमेश और एकादशेश माता-पिता से, व्यवसाय से लाभ देते है, और व्यक्ति को मित्रों कि सहायता करने वाला बनाता है. 

11वें भाव का स्वामी जिस भाव में स्थित हों, वह भाव भी शुभ फलदायक होता है.  

जब कुण्डली में अष्टमेश व एकादशेश दोनों की दशा चल रही हों, तो व्यक्ति को उसके ऋणों से मुक्ति मिलती है. 

गोचर में सभी ग्रह चन्द्र से एकादश भाव में शुभ फल देते है. 

ग्यारहवें भाव से संबन्धित ग्रहों की दशा में भौतिक समृ्द्धि प्राप्त होती है.  परन्तु इस दशा में व्यक्ति के आध्यात्मिक सुखों में कमी होती है.

एकादश भाव में बैठा एकाद्शेश व्यक्ति को दिन – प्रतिदिन उन्नति देता है. यह व्यक्ति को एकादश भाव से जुडे सभी विषयों की प्राप्ति के अवसर देता है. 

एकादशेश की दशा स्वास्थय के पक्ष से अनुकुल नहीं है. लेकिन अर्थ व्यवस्था एक लिए शुभ है.  

धनु लग्न एक लिए ग्यारहवेम भाव में बैठा शनि शुभ होता है.  

एकादश भाव में तुला राशि का मंगल व्यक्ति को विनोदी स्वभाव देता है. यह योग व्यक्ति को जीवन के मध्य भाग में को आघात देता है. 

एकादश भाव में सूर्य, चन्द्रमा की युति के साथ एक व्यक्ति को उच्च पद प्राप्ति में सहयोग देती है.  

एकदश भाव में शनि ग्रह आयु में वृ्द्धि करने में सहयोग करता है. 

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चोरी का सामान कहाँ है | Place Where Stolen Goods are Kept

प्रश्न कुण्डली के द्वारा इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि चोरी किया सामान कहाँ हैं. शहर में ही है या शहर से दूर चला गया है अथवा घर के आस-पास ही है.

* मेष लग्न यदि प्रश्न कुण्डली में उदय होता हो तो चोरी का सामान भूमि के नीचे होता है. 

* प्रश्न कुण्डली में वृष लग्न उदय होता हो तो गऊशाला में चोरी का सामान छिपाया जाता है. वर्तमान समय में चौपाया वाहनों में भी चोरी का सामान छिपाया जा सकता है. 

* प्रश्न कुण्डली में मिथुन लग्न हो तो नृत्य-संगीत अथवा मनोरंजन के स्थानों पर चोरी का सामान छिपाया जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में कर्क राशि हो तो चोरी का सामान जल के निकट छिपाया जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में सिंह राशि हो तो किसी जंगल अथवा सुनसान स्थान पर चोरी का सामान छिपाया जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में कन्या राशि हो तो रसोई घर में अथवा शयनकक्ष में चोरी का सामान छिपाया जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में तुला राशि हो तो दुकान अथवा किसी गोदाम में चोरी का सामान छिपाया जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में वृश्चिक राशि हो तो चोरी का सामान किसी बर्तन में रखकर जमीन में दबाकर छिपा दिया जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली में धनु लग्न हो तो जंगल में अथवा ऊँचाई वाली जगह पर चोरी का सामान छिपाया जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में मकर लग्न हो तो किसी तालाब अथवा पानी के पास वाले स्थान पर चोरी का सामान छिपाया जाता है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में कुम्भ लग्न हो तो चोरी का सामान हो तो घडे़ जैसी वस्तु में चोरी का सामान छिपाया जाता है अथवा ऎसी जगह पर छिपाया जा सकता है जहाँ से ऊपर का स्थान तंग हो और नीचे का स्थान चौडा़ हो. प्याऊ आदि जगह पर भी सामान छिपाया जा सकता है. 

* प्रश्न कुण्डली के लग्न में मीन राशि हो तो चोरी का सामान तालाब या जलीय स्थान, मंदिर अथवा किसी अन्य पवित्र जगह पर छिपाया जा सकता है. 

उपरोक्त विश्लेषण के अतिरिक्त कुण्डली के अन्य योग भी हैं जिनसे चोरी के सामान का पता चलता है कि वह कहाँ छिपाया गया होगा. कुण्डली में चतुर्थ भाव में स्थित ग्रह से चोरी की वस्तु का पता चलता है कि वह कहाँ छिपाई गई होगी. 

चतुर्थ भाव में ग्रहों का फल कथन | Prediction of Planets in Fourth House

* चन्द्रमा यदि चतुर्थ भाव में हो तो चोरी का सामान नहाने के स्थान या जलाशय के निकट या वर्तमान समय में पानी की टंकी के पास होता है. 

* सूर्य यदि चतुर्थ भाव में हो तो चोरी का सामान शयनकक्ष में होता है. 

* प्रश्न कुण्डली में मंगल चतुर्थ भाव में हो तो चोरी का सामान पशुओं के रहने के स्थान पर अथवा कारीगरों के रहने की जगह पर या अग्नि संबंधित स्थानों पर होता है. 

* प्रश्न कुण्डली में चतुर्थ भाव में बुध स्थित हो तो चोरी का सामान बैठक(drawing Room) या विद्यालय या पुस्तकालय में होता है. 

* प्रश्न कुण्डली में चतुर्थ भाव में गुरु स्थित हो तो चोरी का सामान धार्मिक स्थानों पर होता है. 

* प्रश्न कुण्डली में चतुर्थ भाव में शुक्र स्थित हो तो चोरी का सामान मनोरंजन के स्थानों पर होता है या उन स्थानों पर होता है जहाँ स्त्रियों का प्रभाव अधिक हो. 

* प्रश्न कुण्डली में शनि चतुर्थ भाव में स्थित हो तो चोरी का सामान किसी अन्धेरे स्थान में गडा़ होता है. 

* प्रश्न कुण्डली में चतुर्थ भाव में राहु हो तो किसी खण्डहर हुए स्थान पर सामान होता है या किसी पेड़ के नीचे भी सामान हो सकता है. 

* प्रश्न कुण्डली में केतु चतुर्थ भाव में हो तो सामान किसी चांडाल, कसाई या मलाहों के पास होता है. 

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