वेशि योग- सूर्यादि योग | Vesi Yoga-Suryadi Yoga | Vesi Yoga Result | How is Vesi Yoga Formed | Vosi Yoga | Ubhayachari Yoga

सभी ग्रहों में सूर्य को विशेष स्थान दिया गया है, सूर्य को ग्रहों में राजा कहा गया है. वह पिता और आत्मा के कारक ग्रह है. सूर्य से ग्रहों कि विशेष स्थिति होने पर सूर्यादि योग बनते है. सूर्य से बनने वाले एक विशेष योग है. जिसे वेशी या वेशि योग के नाम से जाना जाता है.  

वेसी योग कैसे बनता है | How is Vesi Yoga Formed 

चन्द्रमा को छोडकर कुण्डली में जब सूर्य से दूसरे स्थान में कोई ग्रह हो तो इससे वेसी योग बनता है. वेसी योग वाला व्यक्ति देखने में सुन्दर, सुयोग्य, गुणवान, साहसी, प्रसन्नचित्त तथा समृ्द्धशाली होता है. 

मंगल वेशी योग | Mars Vesi Yoga 

मंगल से वेशी योग बन रहा हो तो व्यक्ति लडाई में प्रधान, उत्तम वाहन प्राप्त करने वाला, तकनीकी जानकार होता है. 

बुध वेशी योग | Mercury Vesi Yoga 

बुध वेशी योग से युक्त व्यक्ति प्रियभाषी, सुन्दर शरीर, दूसरे को मूर्ख बनाने वाला. 

गुरु वेशी योग | Jupiter Vesi Yoga 

गुरु से वेशी योग बन रहा हो तो व्यक्ति धैर्यवान, सत्यवादी, बुद्धिमान, रण में शूर-वीर होता है. 

शुक्र वेशी योग | Venus Vesi Yoga

शुक्र से वेशी योग बनने पर व्यक्ति गुणवान, विख्यात, सौम्य और शूरवीर होता है. 

शनि वेशी योग | Saturn Vesi Yoga 

जिस व्यक्ति की कुण्डली में शनि से वेशी योग बन रहा हो तो व्यक्ति व्यापार-कला में निपुण होता है. उसकी बुद्धि व्यवसायिक कार्यो में लगती है.  इसके अतिरिक्त वह दूसरों का धन प्राप्त करने का प्रयास करता है. 

सूर्यादि योगों में मुख्य रुप से वेशी योग, वोशी योग व उभयचारी योग बनते है. ये तीनों योग सूर्य के आस-पास के दोनों भावों में चन्द्र के अतिरिक्त अन्य कोई ग्रह होने पर बनते है. सूर्यादि योगों में विशेष बात यह है, कि इन योगो  में चन्द्र ग्रह की स्थिति को योग निर्माण में शामिल नहीं किया जाता है. 

वोशी योग कैसे बनता है | How is Vosi Yoga Formed 

जब कुण्डली में चन्द्र के सूर्य से बारहवें स्थान या पिछले स्थान में कोई ग्रह हो तो इससे वोसी योग बनता है. इस भाव में किसी अन्य ग्रह के साथ चन्द्र भी स्थित हो तो योग भंग हो जाता है.  वोशी योग शुभ योग है. इसलिए इस योग से प्राप्त होने वाले फल भी शुभ होते है.  

वोशी योग फल | Vosi Yoga Result 

जिस व्यक्ति की कुण्डली में वोशी योग होता है. वह व्यक्ति अति धनवान होता है. साथ ही वह लोकप्रियता प्राप्त करता है. वोशी योग युक्त व्यक्ति स्थिर वाक्य वाला होता है. बडा परिश्रमी होता है. गणित विषय का जानकार होता है. 

गुरु वोशी योग फल | Jupiter Voshi Yoga Result 

गुरु वोशी योग बडा निश्चयी होता है. उसे अनेक वस्तु संचय करने का शौक होता है. 

बुध वोशी योग फल | Mercury Voshi Yoga Result 

बुध वोशी योग बन रहा हो तो व्यक्ति दुसरों की आलोचना प्राप्त करने वाला होता है. यह योग व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में कमी कर सकता है. (Stairsupplies) स्वभाव से कोमल, विनयी होता है. 

मंगल वोशी योग फल | Mars Vosi Yoga Fruits

मंगल से वोशी योग होने पर व्यक्ति परोपकारी होता है. 

शुक्र वोशी योग फल | Venus Voshi Yoga Result 

शुक्र से वोशी योग का व्यक्ति डरपोक और कामी हो सकता है. 

शनि वोशी योग फल | Saturn Vosi Yoga Result 

ऎसा योग विपरीत लिंग में अत्यधिक रुचि लेने वाला होता है. आयु से बडा दिखने वाला होता है. तथा उसे लोगों की घ्रणा का सामना करना पडता है. 

उभयचारी योग

उभयचारी योग सूर्यादि योगों में से एक योग है. यह योग शुभ योग है. सूर्यादि योगों की यह विशेषता है, कि इन योगों राहू-केतु और चन्द्र ग्रह को शामिल नहीं किया जाता है. यहां तक की अगर उभयचारी योग बनते समय चन्द्र भी योग बनाने वाले ग्रहों के साथ युति कर रहा हो तो, यह योग भंग हो जाता है.  

उभयचारी योग कैसे बनता है | How is Ubhayachari Yoga Formed

जब कुण्डली में चन्द्रमा को छोडकर सूर्य से द्वितीय भाव और बारहवें स्थान में अथवा सूर्य के दोनों और कोई ग्रह हो तो उभयचारी योग बनता है. यह एक सुन्दर और शुभ योग है. इस योग वाला व्यक्ति रुपवान, धनी, मधुरभाषी, विद्वान, अच्छा वक्ता और लोकप्रिय होता है. 

इसके अतिरिक्त इस योग का व्यक्ति सहनशील होता है. वह दूसरों के अपराधों को क्षमा करने वाला होता है. स्थिर बुद्धि होता है. स्वयं प्रसन्न रहने का प्रयास करता है. व दूसरों को भी प्रसन्न रखता है.  

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विशाखा नक्षत्र विशेषताएं | Vishakha Nakshatra Characterstics | Vishakha Nakshatra Business

ज्योतिष शास्त्र मे नक्षत्रों की गणना का विधान आदिकाल से चला आ रहा है. नक्षत्र का प्रभाव व्यक्ति के जन्म से ही शुरू हो जाता है, और उस व्यक्ति के आचार -विचार को निर्धारित करता है.  नक्षत्र के फलस्वरूप ही व्यक्ति के गुण एवं दोष निर्धारित होते हैं. नक्षत्रों की श्रेणी मे विशाखा नक्षत्र का विशेष महत्व है विशाखा नक्षत्र जो नक्षत्र मंडल में सौलहवां स्थान प्राप्त करता है. इस नक्षत्र का स्वामी बृहस्पति को माना जाता है.

विशाखा नक्षत्र का स्वरूप | Vishakha Nakshatra Recognition. 

विशाखा नक्षत्र को त्रिपाद नक्षत्र भी कहा जाता है क्योंकि इसके तीनों चरण तुला राशि में होते ही होते हैं और अंतिम चरण वृश्चिक राशी में पड़ता है. यह सुनहरे रंग का ग्रह है जो दिखने में मन को मोहित करने वाला होता है. विशाखा नक्षत्र तुला राशि में 20 अंश से लेकर वृश्चिक राशि में 3 अंश 20 कला तक रहता है. विशाखा नक्षत्र के व्यक्ति व्यवसाय करने में सक्षम होते हैं और बार-बार व्यवसाय बदलना इनकी प्रकृति मे शामिल होता है.

विशाखा नक्षत्र स्वभाव  | Vishakha Nakshatra Behavior 

विशाखा नक्षत्र में उत्पन्न होने वाले व्यक्ति सदाचारी दूसरों का आदर करने वाले तथा न्यायप्रिय होते हैं. इनमें धर्म के प्रति विशेष रूचि देखी जा सकती है यह लोग धर्म-कर्म को  मानने वाले होते हैं. विशाखा नक्षत्र के व्यक्ति मधुर वाचक तथा अपनी मीठी वाणी से सभी का मन मोह लेते हैं. यह लोग कटुता पूर्वक नहीं बोलते हैं. बृहस्पति के प्रभाव से इन लोगों में ज्ञान प्राप्ति के लिए उत्सुकता बनी रहती है तथा शिक्षा की दृष्टि से  स्थिति अच्छी रहती है जिससे उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त करते हैं.

विशाखा नक्षत्र के व्यक्ति बहुत ही महत्वाकांक्षी होते हैं. तथा महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए यह लोग भरपूर मेहनत भी करते हैं. जिसके फलस्वरूप इन्हें सफलता मिलती है. ये शारीरिक श्रम करने में पीछे रहते हैं जबकि बुद्धि का  अधिक उपयोग करते हैं परंतु जब किसी वस्तु को पाने की बात आती है तो यह पूर्ण रूप से परिश्रम  करते हैं.

विशाखा नक्षत्र व्यवसाय | Vishakha Nakshatra: Business

विशाखा नक्षत्र में जन्में व्यक्ति नौकरी प्राप्ति के लिए भरपूर प्रयास करते हैं. और अपनी योग्यता के आधार पर अच्छे प्रशासनिक पदों को प्राप्त करते हैं. इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति व्यवसाय करना भी पसंद करते हैं साथ ही साथ किसी न किसी रूप में सरकार से भी सम्बन्ध बनाये रखते हैं.

यह लोग श्रमिक उधोग, रेडियो व दूरदर्शन कलाकार, फैशन मॉडल उधोग, सक्रिय अधिकारी वर्ग में कार्यरत होते हैं. इसके अतिरिक्त यह न्यायप्रिय लेकिन कट्टर भी होते हैं तथा धार्मिक कट्टरपंथी वर्ग, आंदोलन करने वाले या प्रदर्शन कार्य करने वाले, सैनिक वर्ग, आलोचक, पुलिस अधिकारी, सुरक्षा गार्ड, विवादों का निपटारा करने वाले होते हैं.

विशाखा नक्षत्र पारिवारिक स्थिति | Vishakha Nakshatra Family Condition

विशाखा नक्षत्र में जन्में व्यक्ति पारिवारिक एवं समाजिक तौर पर मिलनसार, मितभाषी और मददगार होते हैं. यह संयुक्त परिवार मे रहना पसंद करते हैं तथा अपनी पारिवारिक ज़िम्मेदारी का निर्वाह करने वाले होते हैं तथा परिवार के प्रति प्रेम और समर्पण का भाव रखने वाले होते हैं. सामाजिक दृष्टि से दूसरों की सेवा मे तत्पर रहने वाले बहुत ही मिलनसार व्यक्ति होते हैं. तथा सभी से प्रेम और आदर से मिलते हैं इनका सामाजिक दायरा विस्तृत होता है  अगर किसी को इनकी जरूरत होती है तो मदद करने में ये पीछे नहीं रहते हैं.

विशाखा नक्षत्र आर्थिक स्थिति | Vishakha Nakshatra Financial Condition

विशाखा नक्षत्र मे जन्मे व्यक्ति धनवान और शक्तिशाली होते हैं. यह भाषण देने में कुशल होते हैं और सदैव दूसरों को हितकारी सलाह देते हैं. विशाखा नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति का व्यक्तित्व प्रभावित करने वाला होता है इनसे लोग जल्द ही आकर्षित होते हैं यह मन से दयावान एवं विशाल हृदय वाले होते हैं.

इन लोगों में नैतिकता, संस्कार और अच्छे गुणों का संगम होता है. इन सब के मिलाप की वज़ह से ही यह लोग आर्थिक रूप से रूप से भाग्यशाली कहे जाते हैं. यह लोग धन संग्रह करने मे विश्वास रखते हैं जिसके कारण काफी धन संचय करते हैं. अपनी इस आदत की वजह से भी इन्हें जीवन में कभी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता और यदि कभी धन की कमी होती भी है तो वह अस्थायी ही होती है.

विशाखा नक्षत्र स्वामी गुरु | Vishakha Nakshatra Lord : Jupiter

विशाखा नक्षत्र के देवता बृहस्पति को माना जाता है. और विकंकत के पेड को विशाखा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है. तथा इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति को बृहस्पति एवं विकंकत वृक्ष की पूजा करनी चाहिए और यदि संभव हो सके तो अपने घर के खाली हिस्से में विकंकत के पेड को लगाकर नियमित रुप से उसकी पूजा करें.

अगर आपना जन्म नक्षत्र और अपनी जन्म कुण्डली जानना चाहते है, तो आप astrobix.com की कुण्डली वैदिक रिपोर्ट प्राप्त कर सकते है. इसमें जन्म लग्न, जन्म नक्षत्र, जन्म कुण्डली और ग्रह अंशो सहित है : आपकी कुण्डली: वैदिक रिपोर्ट

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ऋषि पुत्र- ज्योतिष का इतिहास | Rishi Putra – History of Astrology | Rishi Putra Shakun Shastra| Aryabhatt Astrology Explanation

ऋषि गर्ग के पुत्र ऋषिपुत्र कहलायें. अपने पिता के समान ये ज्योतिष के विद्वान थे. इनके विषय में मिले ज्योतिष अवशेषों से यह ज्ञात होता है, कि इन्हें ज्योतिष पर कई शास्त्र लिखें, जिसमें से आज एक शास्त्र उपलब्ध है. इनके द्वारा लिखी गई एक ज्योतिष संहिता भी उल्लेख है. ऋषिपुत्र ज्योतिषी वराहमिहिर से बाद के काल के ज्योतिषी है. 

वराहमिहिर के समकालीन | Varahamihira Samkalin

इनके द्वारा लिखी गई रचनाओं में वराहमिहिर के ज्योतिष सिद्धान्तों का प्रभाव स्पष्ट रुप से देखा जा सकता है. इन्होने जो भी रचनाएं लिखी, उन सभी में वराहमिहीर के सूत्र स्पष्ट रुप से देखा जा सकता है. ऋषिपुत्र ने शकुन शास्त्र की रचना की है. 

ऋशिपुत्र ने पृ्थ्वी पर प्रकट होने वाली छायाओं का वर्णन किया है. इसके अतिरिक्त इनके द्वारा लिखे गये शकुन शास्त्र में आकाश में दिखाई देने वाले व विभिन्न प्रकार के शब्द-श्रवण के आधार पर भी ज्योतिष करने के सिद्धान्त इस शास्त्र में दिए गये है. 

ऋषिपुत्र शकुन शास्त्री | Rishi Putra Shakun Shastra

वर्षात्पात, देवोत्पात, रजोत्पात, उल्कोत्पात, गन्धर्वोत्पात इत्यादि अनेक उत्पातों द्वारा शुभ अशुभ का विश्लेषण इनके शास्त्र में किया गया है. 

आर्यभट्ट प्रथम

ज्योतिष का वर्तमान में उपलब्ध इतिहास आर्यभट्ट प्रथम के द्वारा लिखे गए शास्त्र से मिलता है. आर्यभट्ट ज्योतिषी ने अपने समय से पूर्व के सभी ज्योतिषियों का वर्णन  विस्तार से किया था. उस समय के द्वारा लिखे गये, सभी शास्त्रों के नाम उनके सिद्धान्तों की रुपरेखा सहित, इन्होने अपने शास्त्र में बताएं.  

आर्यभट्ट का जन्म 467 ईं में माना जाता है.  इनके द्वारा लिखे गये शास्त्र का नाम आर्यभट्टीय नाम से है.  इसमें सूर्य, और तारों के स्थिर होने तथा पृथ्वी की गति के कारण दिन-रात का जन्म होने के विषय में कहा गया है.  इनके शास्त्र में पृ्थ्वी की कुल धूरी 4967 बताई गई है. इसके अतिरिक्त इन्होने सूर्य और चन्द्र ग्रहनों की वैज्ञानिक कारणों की व्याख्या भी आर्यभट्टीय शास्त्र में की गई है.  

आर्यभट्टी शास्त्र विशेषता | Aryabhatti Astrology Importance

इसने द्वारा लिखे गये शास्त में संख्याओं के स्थान पर क, ख, ग, का प्रयोग किया गया है. कुछ शास्त्रियों का यह मानना है, कि उनके द्वारा लिखे गए ये हिन्दी वर्ण ग्रीक के शास्त्रियों से लिए गये थें. इसके साथ ही आर्यभट्ट गणित शास्त्री भी रहें, इन्होने वर्ग, वर्गमूळ, घन, घनमूल आदि निकालना और इनके प्रयोग का सुन्दर वर्णन किया है. 

आर्यभट्टी शास्त्र व्याख्या | Aryabhatt Astrology Explanation 

इस ग्रन्थ में कुल 60 अध्याय है. तथा इनके द्वारा लिखे गये शास्त्र में कुल 9 हजार श्लोक है.  इतने बडे ग्रन्थ में इन्होने रहन-सहन, चर्चा, चाल और व्यक्ति की सहज स्वभाव के आधार पर ज्योतिष करने के नियम बताये है. (elcapitalino) शरीर के अंगों के आधार पर फलादेश किया गया है.

शारीरिक अंगों के आधार पर प्रश्न कर्ता के प्रश्नों का समाधान बताने में आर्यभट्ट कुशल थे. अपनी समस्या को लेकर आये प्रश्नकर्ता की समस्या का समाधान उसके द्वारा छूए गये अंग के आधार पर किया जाता है. वर्तमान में प्रयोग होने वाला शकुन शास्त्र इसी से प्रभावित है. 

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कैल्सीडोनी उपरत्न । Chalcedony Gemstone | Chalcedony Meaning – Calcedony

इस उपरत्न की बनावट तन्तुमय होती है. यह सूक्ष्म मणिभ श्रेणी के स्फटिक कहे जाते हैं. यह उपरत्न छोटे मणिभ कणों के संघटित होने से बनता है. यह छिद्रयुक्त पूर्ण पत्थर है. अत: इसकी रंगाई बडी़ सरलता से हो जाती है. वर्तमान समय में इस उपरत्न का उपयोग गहनों में और मूर्त्तिकला में किया जाता है. प्राचीन समय में इस उपरत्न का उपयोग लोगों द्वारा तावीज बनाने में किया जाता था. इस उपरत्न में मोम जैसी आभा मौजूद होती है.

यह उपरत्न सामान्यतया दूधिया भूरे रंग का होता है. यह उपरत्न अन्य रंगों मे भी पाया जाता है जो कि बहुत ही दुर्लभ हैं. नीले रंग, हरे रंग तथा संतरी रंग के कैल्सीडोनी बहुत ही दुर्लभता से पाये जाते हैं. यह उपरत्न अधिकतर पारभासक होते हैं. कदाचित ही ऎसा होता है कि यह पारदर्शी हों. इस उपरत्न को खरीदते समय इसकी पहचान होना आवश्यक है क्योंकि इस उपरत्न में एजेट के समान कुछ धब्बे भी पाए जाते हैं. अन्य खनिजों के साथ मिलकर यह कुछ और उपरत्न बन जाता है. जैसे सुलेमानी, तामडा़, ओनेक्स, कहवा तथा गोमेद आदि.

इसलिए इस उपरत्न की पहचान होना अति आवश्यक है. अमेरिकन इंडियन इस उपरत्न को एक पवित्र पत्थर के रुप में उपयोग में लाते हैं ताकि आपसी भाईचारा, सदभावना बनी रहे और लोगों के मध्य एक-दूसरे के लिए उदारता उत्पन्न होती रहे.

कैल्सीडोनी के आध्यात्मिक गुण | Metaphysical Properties Of Chalcedony

यह उपरत्न व्यक्ति को टैलीपैथिक रुप में सहायता करता है. यह नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करता है और उसे जातक के अंदर से पूरी तरह से खतम कर देता है. यह मस्तिष्क, शरीर तथा आत्मा को एकसार करने में सहायता करता है. लोगों के मध्य वैचारिक मतभेद को समाप्त करके उनमें उदारता की भावना पैदा करता है. कई व्यक्तियों का मानना है कि इस उपरत्न को धारण करने से तनाव दूर होता है., मानसिक बीमारियों से राहत मिलती है. मानसिक उन्माद तथा अकारण भय से जातक को मुक्ति मिलती है. जो जल्द ही अप्रसन्न हो जाते हैं उन्हें यह उपरत्न धारण करने से लाभ मिलता है.

यह मित्रता की भावना में बढ़ोतरी करता है. व्यक्ति में दया की भावना का विकास होता है. भावनाएँ नियंत्रित रहती है. सहनशक्ति में वृद्धि होती है. व्यक्ति में धैर्य बढ़ता है. ऎसा विश्वास किया जाता है कि यह उपरत्न ममत्व की भावना में भी वृद्धि करता है. वर्तमान समय में सभी व्यक्ति एक अव्यवस्थित ऊर्जा क्षेत्र में रहते हैं और चारों ओर इलेक्ट्रोनिक वातावरण विद्यमान है. वर्तमान समय में इन इलेक्ट्रिक उपकरणों के बिना मानव जीवन एकदम अधूरा है. इन मशीनी उपकरणों से निकलने वाली ऊर्जा से बचाव के लिए रत्नों का सहारा लिया जाता है. कैल्सीडोनी उपरत्न से मानव जीवन के कई क्षेत्रों में राहत मिलती है.

कैल्सीडोनी के चिकित्सीय गुण | Healing Properties Of Chalcedony Gemstone

इस उपरत्न को धारण करने से व्यक्ति की भावनाएँ तथा विचार शुद्ध होते हैं. शुद्ध करने के लिए इसे शक्तिशाली माना गया है. यह खुले घावों को जल्द ठीक करता है. माताएँ इसका उपयोग दूध में वृद्धि के लिए कर सकती हैं. ममता में बढो़तरी होती है. यह शारीरिक शक्ति में भी वृद्धि करता है. व्यक्ति को ऊर्जा प्रदान करता है. यह बुढा़पे के कारण होने वाले बुरे प्रभावों में भी कमी करता है और बुढा़पा भी देर से आता है. वृद्ध व्यक्ति के मनोभ्रंश में कमी करता है.

यह उपरत्न आँखों से संबंधित परेशानियों से मुक्ति दिलाता है. गॉल-ब्लैडर को सुचारु रुप से नियंत्रित करता है. हड्डियों की परेशानी से निजात दिलाता है. तिल्ली अर्थात स्पलीन(Spleen) की गतिविधियों को नियंत्रण में रखता है. रक्त प्रवाह को सही रुप से चलाने में सहायता करता है. शरीर के परिसंचरण तंत्र को सुचारू रुप से चलाने में मदद करता है. धारणकर्त्ता में शत्रुता की भावना का अंत करता है. उसके चिड़चिडे़पन में कमी करता है. यह व्यक्ति की उदासी को भी दूर करने में मदद करता है.

कहाँ पाया जाता है | Where is Chalcedony Found

वर्तमान समय में कैल्सीडोनी उपरत्न मैडागास्कर, ब्राजील, अमेरिका, चीन, आस्ट्रिया, मेक्सिको, इंगलैण्ड, रुस, आइसलैण्ड, टर्की, चेक रिपब्लिक तथा भारत में पाया जाता है. 

कौन धारण करे | Who Should Wear Chalcedony

इस उपरत्न को आवश्यकतानुसार कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है.

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दोषारोपण तथा स्थानांतरण | Blames in Job and Transfer

कई बार नौकरी में कुछ प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ता है. ऎसी स्थिति में प्रश्नकर्त्ता के ऊपर मान-सम्मान को लेकर ठेस पहुंचाने का कार्य हो सकता है. कई बार दोषारोपण के कारण अथव अन्य कई कारणों से स्थानांतरण की परिस्थिति भी उत्पन्न हो जाती है. आइए उन ग्रह स्थितियों को प्रश्न कुण्डली में समझें जिनके कारण जातक को विपरीत स्थितियों का सामना करना पड़ता है. 

दोषारोपण | Blames

* कुण्डली में प्रश्न के समय यदि अष्टमेश तथा दशमेश का संबंध बन रहा हो तब प्रश्नकर्त्ता के ऊपर दोष लगता है. जहाँ भी दोष लगेगा उसमें अष्टम भाव अवश्य शामिल होता है. 

* प्रश्न के समय चतुर्थ भाव पीड़ित है तो तो भी प्रश्नकर्त्ता के ऊपर दोष लग सकता है. 

* गोचर के ग्रहों की स्थिति के आधार पर भी दोष का पता लग सकता है. जैसे यदि किसी विशेष ग्रह ने किसी विशेष तरीके से राशि परिवर्तन किया हो. 

* दशमेश या लग्नेश का अपनी उच्च राशि के स्वामी से इत्थशाल हो तो यह तरक्की तथा ओहदा बढा़ने वाला योग होता है. यदि यही इत्थशाल नीच राशि से होगा तब यह खराब होगा तथा तरक्की भी नहीं होगी. यश में कमी आएगी. (grossmancapraroplasticsurgery.com)  

* अष्टम भाव नौकरी में रुके हुए धन(Arears) का भी है. यदि अष्टम भाव का संबंध द्वित्तीय भाव से है तब रुका हुआ धन मिल जाएगा.  

स्थानांतरण | Transfer

नौकरी में किसी भी प्रकार का स्थानांतरण तीसरे तथा नवम भाव से देखा जाता है. स्थानांतरण अथवा तबादले को लेकर कई प्रकार के प्रश्न होते हैं. 

* यदि प्रश्न के समय यदि चर लग्न तथ चर नवाँश है तो अच्छा परिवर्तन होगा. प्रश्नकर्त्ता स्थानांतरण से प्रसन्न रहेगा. 

* यदि प्रश्न के समय चन्द्र तथा सप्तम भाव पर कर्त्तरी हो तो परिवर्तन अथवा स्थानांतरण नहीं होगा. यदि पाप कर्त्तरी है तो मनोनुकूल स्थानांतरण रुक जाएगा. 

* प्रश्न के समय चन्द्र तथा सप्तम भाव पर शुभ कर्त्तरी है तो स्थानांतरण नहीं चाहता है और न ही होगा. 

* लग्न का यदि तृत्तीय भाव या नवम भाव से संबंध बने तो तबादला जल्दी होगा. चर राशि में यह संबंध बने तो स्थानांतरण जल्दी होगा. 

* द्वादश भाव अथवा द्वादशेश का नवम भाव अथवा नवमेश से संबंध बने तो विदेश में भाग्योदय होगा. दशम भाव तथा द्वादश भाव का संबंध बने तो कर्म के द्वारा विदेश में भाग्योदय होगा. 

* प्रश्न के समय लग्न तथा दशम भावों का संबंध तीसरे तथा नवम भाव से है तो स्थानांतरण हो जाएगा. लग्न तथा दशम भाव का संबंध चर राशि से है तब भी स्थानांतरण होगा. लग्न में वक्री ग्रह के स्थित होने से भी स्थान परिवर्तन होगा. 

* प्रश्न कुण्डली में दशमेश का 6,8 या 12वें भाव में जाना खराब माना जाता है. दशमेश यदि छठे भाव में जाता है तो दोषारोपण के साथ तबादला हो सकता है. यदि दशमेश अष्टम भाव में जाता है तब जहाँ तबादला होगा वहाँ पर जातक परेशान रहेगा. बाधाओं तथा रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है. यदि दशमेश 12वें भाव में स्थित होता है तब कहीं बहुत दूर तबादला हो जाता है. 

अपनी प्रश्न कुण्डली स्वयं जाँचने के लिए आप हमारी साईट पर क्लिक करें : प्रश्न कुण्डली

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अष्टम भाव भाव क्या है, जानिए इसके रहस्य

ज्योतिष में जन्म कुण्डली का अष्टम भाव, आयु भाव है. इस भाव को त्रिक भाव, पणफर भाव और बाधक भाव के नाम से जाना जाता है. इस भाव से जिन विषयों का विचार किया जाता है. उन विषयों में व्यक्ति को मिलने वाला अपमान, पदच्युति, शोक, ऋण, और मृत्यु इसके कारण है. इसके अतिरिक्त शुभ रुप में यह रिसर्च के लिए अच्छा स्थान है, शोध कार्यों, उच्च शिक्षा इसी से देखी जाती है. इस भाव से व्यक्ति के जीवन में आने वाली रुकावटें देखी जाती हैं. आयु भाव होने के कारण इस भाव से व्यक्ति के दीर्घायु और अल्पायु का विचार भी किया जाता है.

व्यक्ति अपने जीवन में जो उपहार देता है, उन सभी की व्याख्या यह भाव करता है. इस भाव से व्यक्ति के द्वारा कमाई, गुप्त धन-सम्पति, जीवनवृत्ति, पराजय, मूत्र सम्बधित परेशानियां, सरकारी दण्ड, भय, गुप्त खजाना, धन की वर्षा, जैसे बीमा, लाटरी, दहेज, पैतृक सम्पति, पाप, विदेश यात्रा, रहस्यवाद, पति के सगे-सम्बन्धी, स्त्रियों के लिए मांगल्यस्थान, दुर्घटनाएं, देरी खिन्नता, निराशा, हानि, रुकावटें, तीव्र, मानसिक चिन्ता, दुष्टता, गूढ विज्ञान, किसी जीव को मारना, भटकना, साझेदारों और भाईयों को परेशानियां, गुप्त सम्बन्ध, रहस्य का भाव, चोट, धन उधार देना.

अष्टम भाव का कारक ग्रह कौन सा है

अष्टम भाव का कारक ग्रह शनि है. शनि के लिए अष्टम भाव की स्थिति उत्तम बताई गई है. ज्योतिष अनुसार आठवें भाव में यदि शनि स्थिति हो तो जातक को लम्बी आयु देने में सहायक बनता है. आयु के लिए इस भाव से शनि का विचार किया जाता है. इसी कारण से शनि का इस स्थान पर शुभ होना अपवाद स्वरुप भी देखा जाता है.

अष्टम भाव से स्थूल रुप में किस विषय का विचार किया जाता है

अष्टम भाव से मुख्य रुप में मृत्युमृत्यु का विचार किया जाता है. यह एक ऎसा स्थान है जिसकी को सीमा नहीं है. यह एक अनंतहीन स्थान है. ऎसे में कोई भी ग्रह इस स्थान पर आकर अपनी शक्तियों को अनुकूल फल देने में असफल भी होता है. यह रहस्य का स्थान है इस कारण किसी भी नतीजे पर पहुंचना आसान नहीं होता है.

अष्टम भाव सूक्ष्म रुप में क्या दर्शाता है

अष्टम भाव से जीवन के क्षेत्र की बाधाएं देखी जाती है. यह उलझावों को दर्शाता है. जीवन में भ्रम बना रहता है. एक स्पष्ट रुप हमे दिखाई नहीं दे पाता है. जन्म कुण्डली में जब किसी शुभ भाव का संबंध आठवें भाव से होता है तो शुभता में कमी आ जाती है. संतान भाव हो या विवाह भाव या फिर नौकरी भाव अगर जब इनका संबंध आठवें भाव से बनेगा तो ऎसी स्थिति में जातक के जीवन की यह सभी चीजें देरी और व्यवधानों से प्रभावित अवश्य होंगी.

अष्टम भाव अचानक आने वाली घटनाओं को दिखाता है. इसके साथ ही अष्टमेश जिस भाव से संबंध बनाए उस भाव के फल अचानक ही जीवन में आएंगे.

अष्टम भाव से कौन से संबन्धों का विश्लेषण किया जाता है

अष्टम भाव से गोद लिए बच्चे (दत्तक संतान ) का विचार किया जाता है. इस भाव से गुप्त प्रेम संबंधों के विषय में भी जानकारी मिलती है. किसी भी प्रकार के छुपे हुए रिश्तों की जानकारी भी हमे इस भाव से मिलती है. यह स्थान जातक को गूढ़ विधाओं एवं साधु संगत को भी दिखाता है.

अष्टम भाव से शरीर के कौन से अंगों का निरिक्षण किया जाता है.

अष्टम भाव से बाह्रा जननेद्रियां, वीर्य वाहिनियां देखी जाती है. द्रेष्कोण नियम के अनुसार इस भाव से बायां जबडा, बायां फेफडा, पैर की बायीं नली का विचार किया जाता है. इस भाव से गुप्त रोगों के विषय में भी जानकारी मिलती है. यौन संबंधी रोग भी इस भाव से देखे जाते हैं.

अष्टमेश अन्य ग्रहों के स्वामियों कौन से परिवर्तन योग बना सकता है.

अष्टमेश व नवमेश का परिवर्तन योग बन रहा हो, तो व्यक्ति पिता की पैतृक संपति प्राप्त करता है. यह योग व्यक्ति के पिता के स्वास्थय के पक्ष से अनुकुल नहीं है. इस योग के कारण व्यक्ति के पिता के स्वास्थय में कमी का सामना करना पड सकता है.

अष्टमेश व दशमेश आपस में परिवर्तन योग बना रहा हों, तो व्यक्ति व्यापार/ व्यवसाय में विध्न, साझेदार द्वारा धोखा प्राप्त कर सकता है. वह व्यवसाय में उचित और अनुचित्त तरीके प्रयोग कर सकता है.

अष्टमेश व एकादशेश परिवर्तन योग बनायें तो व्यक्ति का सौभाग्य पिडी़त होता है. उसे जीवन में उत्तार-चढाव का सामना करना पडता है. इसके अतिरिक्त इस व्यक्ति के बडे भाई-बहनों और मित्रों से प्रसन्नता के संबन्ध बने रहते है. व्यक्ति को पैतृक सम्पति मिलती है.

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जर्कन | Zircon | Substitute of Diamond – Shoud I Wear Zircon Sub-Stone

यह हीरे का उपरत्न है. जर्कन को हिन्दी में तुरसावा कहते हैं. अंग्रेजी में हायसिंथ और जेसिन्थ कहते हैं. जर्कन उपरत्न अपने आप में एक महत्वपूर्ण रत्न है. इसका बहुत ही पुराना ऎतिहासिक महत्व भी है. इसका उपयोग हजारों वर्षों से किया जा रहा है. इसका उपयोग हीरे के प्रतिरुप में किया जाता है. यह उपरत्न कई रंगों में उपलब्ध है. जैसे पीला, जामुनी, भूरा, सफेद, नीला, लाल, हरा, संतरी, रंगहीन आदि. सबसे अधिक इसे सफेद अथवा रंगहीन क्रिस्टल के रुप में इस्तेमाल किया जाता है. रंगहीन जर्कन देखने में हीरे का प्रतिरुप दिखाई देता है.

यह एक तेजस्वी उपरत्न है. हीरे के सभी गुण इसमें पाए जाते हैं. यह इतना अधिक चमकीला होता है कि देखने वाले इसे हीरा ही समझते हैं. इसमें अनेक गुण मौजूद हैं. जिन्हें अनिद्रा, चर्मरोग, बवासीर, जलोदर, चर्मरोग आदि की बीमारी है वह व्यक्ति जर्कन को पहन सकते हैं. इसके अतिरिक्त भौतिक सुख सुविधाओं के लिए भी इस उपरत्न को धारण किया जाता है. मान-सम्मान की प्राप्ति होती है.

कौन धारण करे | Who Should Wear Zircon? – Should I Wear Zircon Sub-Stone?

जिन व्यक्तियों की कुण्डली में शुक्र शुभ भावों का स्वामी है और अशुभ भावों में स्थित है अथवा कुण्डली में शुक्र शुभ ग्रह होकर पीड़ित अवस्था में है वह व्यक्ति जर्कन धारण कर सकते हैं.

कौन धारण नहीं करे | Who Should Not Wear Zircon?

माणिक्य, मोती तथा पुखराज रत्नों अथवा इनके उपरत्नों को धारण करने वाले व्यक्तियों को जर्कन उपरत्न धारण नहीं करना चाहिए.

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आर्द्रा नक्षत्र | Ardra Nakshatra | Ardra Nakshatra Characteristics | Ardra Nakshatra Meaning

27 नक्षत्रों की श्रृंखला में आर्द्रा नक्षत्र का स्थान छठा है. आर्द्रा से पहले मृगशिरा नक्षत्र आता है और इसके बाद में पुनर्वसु नक्षत्र आता है. आर्द्रा नक्षत्र का स्वामी ग्रह राहु है. यह नक्षत्र मिथुन राशि में आता है. यह नक्षत्र एक ही तारे से बना है. इस नक्षत्र की गणना सर्वाधिक चमकीले बीस तारों में होती है. इस नक्षत्र का रंग लाल होता है. प्राचीन मान्यता के अनुसार इस लाल रंग के तारे में संहारकर्त्ता शिव का वास है.

आर्द्रा नक्षत्र की पहचान | Identification of Ardra Nakshatra

आर्द्रा नक्षत्र मिथुन राशि में 6 अंश 40 कला से 20 अंश तक रहता है. जून माह के तीसरे सप्ताह में प्रात:काल में आर्द्रा नक्षत्र का उदय होता है. फरवरी माह में रात्रि 9 बजे से 11 बजे के बीच यह नक्षत्र शिरोबिन्दु पर होता है. निरायन सूर्य 21 जून को आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करता है. यह कई तारों का समूह ना होकर केवल एक तारा है. यह आकाश में मणि के समान दिखता है. इसका आकार हीरे अथवा वज्र के रुप में भी समझा जा सकता है. कई विद्वान इसे चमकता हीरा तो कई इसे आँसू की बूंद समझते हैं.

आर्द्रा का अर्थ | Meaning Ardra

आर्द्रा का अर्थ होता है – नमी. भीषण गर्मी के बाद नमी के कारण बादल बरसने का समय, सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश से आरम्भ होता है. सूर्य का इस नक्षत्र पर गोचर ग्रीष्म ऋतु की समाप्ति तथा वर्षा ऋतु का आगमन दर्शाता है. वर्षा से चारों ओर हरियली छाती है. खेतों में भरपूर फसल होती है. इससे समाज में खुशहाली रहती है. कुछ विद्वानो ने आर्द्रा नक्षत्र का संबंध पसीने और आँसू की बूंद से जोडा़ है. उनके विचार से जून में ग्रीष्म ऋतु उग्र तथा प्रचण्ड होती है. एक ओर पसीना टपकता है तो दूसरी ओर अन्न व जल का अभाव साधारणजन को रुला देता है.

वास्तव में सभी प्रकार की नमी, ठण्डक तथा गीलापन आर्द्रता कहलाता है. जो बीत गया, उसे भूल जाओ. नए का स्वागत करो. यही संदेश आर्द्रा नक्षत्र में छिपा है. दृढ़ता, धैर्य, सहिष्णुता तथा सतत प्रयास का महत्व आर्द्रा नक्षत्र ही सिखाता है. किसी – किसी ग्रंथ में आर्द्रा नक्षत्र को “मनुष्य का सिर” भी कहा गया है

आर्द्रा नक्षत्र जातक की विशेषताएं | Characteristics of Ardra Nakshatra

आर्द्रा नक्षत्र के जातक का स्वभाव चंचल होता है. वह हँसमुख, अभिमानी तथा विनोदी स्वभाव का होता है. यह दु:ख पाने वाला भी होता है. यह बुरे विचारों वाले तथा व्यसनी भी होते है. आर्द्रा नक्षत्र वाले जातक को राहु की स्थिति अनुसार भी फल मिलता है. यह सदा स्वयं को सही मानते हैं. इनमें आक्रामकता अधिक होती है. स्त्री के प्रति दोयम दर्जे का व्यवहार रखते हैं. यह अन्य लोगों की अनुशासनहीनता देखकर चिन्तामग्न रहते हैं. दूसरों की चिन्ता में परेशान रहते हैं. इनका स्वर कड़क तथा विद्रोही होता है. इन्हें अत्यधिक क्रोध आता है.

नारद के मतानुसार आर्द्रा नक्षत्र के जातक क्रय-विक्रय में निपुण होते हैं. लेकिन अन्य कई मतानुसार यह व्यापार में अनाडी़ सिद्ध होते हैं. यह मंत्र-अनुष्ठान में विशेष कुशल होते हैं. इनमें काम वासना भी प्रबल होती है. इन जातको में एक राह पकड़कर चलने का अदम्य साहस होता है. इस नक्षत्र के जातको में अहसानो को भूलने की आदत होती है. यह व्यक्ति के चरित्र के आधार पर ही उसका मूल्याँकन करते हैं. जरा सी कमी मिलते ही यह दुखी होकर पीछे हट जाते हैं.

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रेवती नक्षत्र विशेषताएं | Revati Nakshatra Importanc | Revati Charan Result | How to Find Revati Nakshatra

रेवती नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से सबसे अंत में आता है.  यह नक्षत्र छोटे छोटे 32 नक्षत्रों से मिलकर बना है. ये 32 नक्षत्र या तारे मिलकर एक मृदंग की आकृति बनाते है.  आकाश में यही मृ्दंग की आकृ्ति रेवती नक्षत्र कहलाती है.  उत्तरा भाद्रपद के दोनों तारों से दक्षिण दिशा में जाने पर तारों की एक लम्बी कतार है. (simonsezit.com) यहीं कतार मिलकर मृ्दंग रुप में रेवती नक्षत्र है.  इस नक्षत्र के दक्षिण में अश्विन नक्षत्र है. आकाश मण्डल का यह नक्षत्र अंतिम नक्षत्र है. 

यह राशि मीन राशि में आती है. तथा इस नक्षत्र के स्वामी बुध है.  मीन राशि में होने के कारण इस नक्षत्र के व्यक्ति पर गुरु का प्रभाव और स्वामित्व के आधार पर बुध का प्रभाव आता है. गुरु और बुध दोनों मित्र संबन्ध नहीं रखते है. इसलिए बुध महादशा के फल देखने के लिए इस नक्षत्र में जन्में व्यक्ति की कुण्डली में गुरु और बुध की तात्कालिक स्थिति देखी जाती है.  

रेवती नक्षत्र व्यक्तित्व | Revati Nakshatra Personality

रेवती नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति विद्या का अभिलाषी होता है. वह अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करना चाहता है. ऎसे व्यक्ति लम्बे समय तक टिक कर एक कार्य को नहीं कर सकते है. किसी भी कार्य को अधिक समय तक करते रहने पर उसकी एकाग्रता भंग हो जाती है. और वह कुछ और काम करना चाहता है. इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति को स्वास्थय संबन्धी परेशानियां भी बनी रह सकती है.  

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाला व्यक्ति सुन्दर, और सुरुचिपूर्ण होता है. कभी कभी उसके कारण घर-परिवार में कलह का वातावरण उत्पन्न हो सकता है. लोगों से इनके छोटी बातों में मतभेद हो सकते है. इसी कारण इस नक्षत्र में जन्में व्यक्ति के अपने आस-पास के लोगों से संबन्ध मधुर नहीं रहते है. 

अपनी योग्यता पर इनके स्वभाव में अहंम भाव होता है. बेवजह गर्व करने की आदत इनके सम्मान में कमी का कारण बनती है. इसके अतिरिक्त इन्हें व विपरीत लिंग में भी अत्यधिक रुचि हो सकती है. 

कई बार ये अपनी बुद्धि का समय पर उपयोग करने मे असफल होते है. जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए इन्हें अत्यधिक परिश्रम करना पडता है. अनेक बार इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति गलत स्थान पर अपनी योग्यता को व्यर्थ कर रहे होते है. 

इस नक्षत्र के व्यक्तियों को अपने व्ययों पर नियन्त्रण रखना चाहिए. ऎसे व्यक्ति घूमने-फिरने के शौकिन होते है. वृ्द्धावस्था में ये अपनी संपति प्राप्त करने में सफल होते है. 

रेवती चरण फल | Revati Charan Result

जिस व्यक्ति का जन्म रेवती नक्षत्र के प्रथम चरण में हुआ हो, ऎसे व्यक्ति को अपनी एकाग्रता बनाकर रखने के उपाय करने चाहिए.  एकाग्रता वृ्द्धि के लिए चन्द्र के उपाय करने लाभकारी रहते है. अपने प्रयास को बनाये रख व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करने में सफल होता है. 

रेवती के दूसरे चरण में जन्म लेने वाले व्यक्ति को अपने परिवार और समाज में यथोचित सम्मान और स्नेह नहीं मिल पाता है.  जीवन में कई बार उसे तिरस्कार का सामना करना पड सकता है. 

रेवती नक्षत्र के तीसरे चरण में जन्म लेने वाला व्यक्ति अपने प्रतियोगियों पर भारी पडता है. अपने शत्रुओं को परास्त करने में उसे सफलता प्राप्त होती है.

इस नक्षत्र के चौथे चरण में अगर किसी का जन्म हुआ हो तो व्यक्ति कलह का कारण बनता है. 

अगर आपना जन्म नक्षत्र और अपनी जन्म कुण्डली जानना चाहते है, तो आप astrobix.com की कुण्डली वैदिक रिपोर्ट प्राप्त कर सकते है. इसमें जन्म लग्न, जन्म नक्षत्र, जन्म कुण्डली और ग्रह अंशो सहित है : आपकी कुण्डली: वैदिक रिपोर्ट

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बेनीटोइट उपरत्न । Benitoite Gemstone – Properties Of Benitoite

इस उपरत्न की खोज 1906 में हुई है. यह अत्यंत ही दुर्लभ उपरत्न है. यह उपरत्न सारे विश्व में केवल सैन बेनिटो में बेनिटो नदी के किनारे, कैलीफोर्निया में पाया गया था. इसलिए इसका नाम बेनीटोइट पड़ गया. वर्तमान समय में इस उपरत्न की वन खान बन्द हो गई है. जब इस उपरत्न को सर्वप्रथम देखा गया था तो इसे देखते ही सभी को नीलम रत्न का आभास हुआ लेकिन इसे कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी में टैस्ट के लिए भेजा गया और अत्यंत परिश्रम के पश्चात यह देखा गया कि यह एक नया उपरत्न है.

यह छोटे-छोटे क्रिस्टल में उपलब्ध था. 1 कैरेट में इस उपरत्न का मिलना बहुत ही दुर्लभ बात थी.  यह उपरत्न नीले और जामुनी रंगों में पाया जाता है. गुलाबी रंग में भी यह उपरत्न पाया जाता है लेकिन वह बहुत अधिक दुर्लभ होता है. यह उपरत्न एक साथ दो रंगों की आभा रखता है. यह अधिकतर नीलम जैसी आभा और जामुनी रंग की आभा में भी उपलब्ध होता है. लेकिन इस उपरत्न को जब एक विशेष कोण से देखा जाता है तब यह रंगहीन और कई बार यह गुलाबी तथा संतरी रंग की चमक लिए दिखाई देता है. यह उपरत्न जिस भी रंग में पाया जाता है उसी में यह राजसी लगता है. यह पिरामिड की आकृति में पाया जाता है. कई बार यह नीले रंग में होता है तो ऊपर की ओर से सफेद दिखाई देता है जैसे सफेद रंग की बर्फ़ से यह ढ़का हुआ हो. वर्तमान समय में कुछ उपरत्न लुप्त हो गए हैं.

बेनीटोइट के गुण | Properties Of Benitoite Gemstone

यह एक अदभुत तथा चमत्कारिक उपरत्न है. किसी बात का उच्च स्तर पर संचार करने के लिए यह अनुकूल माना गया है अर्थात इस उपरत्न को धारण करने से व्यक्ति के संचार माध्यम की गुणवत्ता में वृद्धि होती है. यह उपरत्न धारणकर्त्ता का संपर्क अलौकिक प्राणियों के साथ सुविधाजनक तरीके से जोड़ता है. मानव मन को एक-दूसरे से जोड़ने में सहायता करता है. एक-दूसरे को टेलीपैथिक सम्पर्क के द्वारा भी जोड़ने में अहम भूमिका निभाता है.

इस उपरत्न को धारण करने से व्यक्ति सूक्ष्म लोक के साथ संबंध स्थापित कर सकता है. यह सूक्ष्म लोक से संबंध जोड़ने में सहायता करता है. मानव शक्तियों की ऊर्जा का पूरा विकास करता है. यह उपरत्न धारणकर्त्ता को खुशियाँ तथा जीवन में रोशनी प्रदान करता है. यह शारीरिक,भावनात्मक तथा बौद्धिक रुप से गहराई तक मानव मन को खूबसूरत बनाता है. जीवन में उच्च मूल्यों को स्थान देता है. धारणकर्त्ता को सकारात्मक वातावरण के साथ लयबद्ध तरीके से रहने में वृद्धि करता है.

कौन धारण करे | Who Should Wear Benitoite

इस उपरत्न को कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है.

अगर आप अपने लिये शुभ-अशुभ रत्नों के बारे में पूरी जानकारी चाहते हैं तो आप astrobix.com की रत्न रिपोर्ट बनवायें. इसमें आपके कैरियर, आर्थिक मामले, परिवार, भाग्य, संतान आदि के लिये शुभ रत्न पहनने कि विधि व अन्य जानकारी भी साथ में दी गई है : आपके लिये शुभ रत्न – astrobix.com

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