कार्नेलियन । रात-रतुवा । रोडोनाइट । Substitute of Red Coral | Carnelian | Rhodonite Stone | Substitute of Moonga | Stone of Love

कार्नेलियन उपरत्न को हिन्दी में “रात-रतुवा” कहा जाता है(Carnelion stone is called Rat-Ratua in Hindi). रात-रतुवा को रोडोनाइट के नाम से भी जाना है. इस उपरत्न को मूँगा रत्न के स्थान पर धारण किया जा सकता है. लाल रंग के कारण यह रत्न बहुत ही लोकप्रिय है. प्राचीन समय में संगमरमर को चमकाने को चमकाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता था.

जिन व्यक्तियों को अत्यधिक क्रोध आता था उनके क्रोध को शांत करने के लिए इस उपरत्न का उपयोग किया जाता था. यह उपरत्न दूधिया सफेद और हल्के पीले रंग में प्राप्त होता है. दूधिया रंग का यह उपरत्न केवल भारत में ही मिलता है. इसके अतिरिक्त यह उपरत्न लाल रंग से लेकर संतरी रंग में मिलता है.

लाल रंग के रत्न में हल्की धारियाँ होती है. यह धारियाँ रोशनी में दिखाई देती हैं.  इस उपरत्न की कुछ किस्मों में धब्बे दिखाई देते हैं. इस उपरत्न को धारण करने से व्यक्ति में ऊर्जा तथा पराक्रम का संचार होता है. इसे चिकित्सा पद्दति के रुप में उपयोग में लाया जाता है. इस उपरत्न को “विश्वास तथा अभियान” का पत्थर माना गया है. इस उपरत्न का मूलतत्व “अग्नि” है. कार्नेलियन उपरत्न शरीर के दूसरे चक्र(Sacral) को प्रभावित करता है और इस चक्र को बली बनाता है.

कार्नेलियन के गुण | Qualities Of Carnelian

यह उपरत्न अपने अनेक गुणों के कारण लोकप्रिय है. इस उपरत्न को धारण करने से व्यक्ति की आवाज सुरीली होती है(Wearing this stone makes the voice melodious). इसलिए यह उपरत्न गायन के क्षेत्र से जुडे़ व्यक्तियों के लिए लाभकारी माना गया है. जो व्यक्ति गायन क्षेत्र से जुडे़ नहीं है, उनके लिए भी यह लाभदायक है क्योंकि इसे धारण करने से व्यक्ति की आवाज में मिठास बढ़ती है. वाणी नम्र होती है.

जिन व्यक्तियों को प्यार में धोखा मिला हो अथवा जो अपने मनचाहे प्यार को पाना चाहता है, उनके लिए यह उपरत्न अत्यधिक लाभकारी है. हर प्रकार के तनाव से जातक को मुक्त रखता है. धारणकर्त्ता का अंदरुनी विकास करता है, उसका आत्मबल बढा़ता है. यह उपरत्न व्यक्ति विशेष में दृढ़ इच्छाशक्ति का विकास करता है.

जातक को अत्यधिक क्रोध से बचाता है(Carnelion reduces anger). जातक के भावनात्मक विकास के साथ जातक को हर स्थिति में संयम रखना भी सिखाता है. यह बुरे विचारों तथा बुरी नजर से रक्षा करता है. जातक को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने में मदद करता है. व्यक्ति को उसके लक्ष्यों को पाने में सहायता करता है. साथ ही व्यक्ति को कर्त्तव्यों तथा उत्तरदायित्वों के प्रति जागरुक रखता है. निर्णय क्षमता का विकास करता है. कर्मक्षेत्र में मददगार साबित होता है.

जो व्यक्ति कला से जुडे़ हैं, उनके ऊपर उठने में सहायक होता है. जातक के हर प्रकार के दु:ख दर्द को दूर करता है. जातक की सहनशक्ति में वृद्धि करता है. जो व्यक्ति दूसरों के मन-मस्तिष्क को अपनी मंत्र शक्ति से पढ़ लेते हैं, उनसे यह उपरत्न बचाव करता है.

कार्नेलियन के चिकित्सीय गुण | Healing Ability Of Carnelian

इस उपरत्न में चिकित्सीय गुणों की भरमार है. जो व्यक्ति बार-बार बुखार से पीड़ित रहते हैं उन्हें इसके धारण करने से लाभ मिलता है(Carnelion relieves the person from fever). जिन व्यक्तियों के शारीरिक घाव देर से भरते हों उन्हें इस उपरत्न को धारण करना चाहिए. इसे धारण करने से शरीर के घाव जल्दी भरते हैं और शरीर से खून कम बहता है. रक्त संबंधी अन्य विकारों में यह उपरत्न सहायक होता है. यह जातक के अंदर शारीरिक शक्ति का भी पूर्ण रुप से विकास करता है.

जिन व्यक्तियों में प्रजनन क्षमता की कमी है, उन्हें कार्नेलियन उपरत्न को धारण करने से लाभ की प्राप्ति हो सकती है, व्यक्ति की नपुंसकता में कमी करता है और शारीरिक संबंधों को सुचारु रुप से चलाने में सहायता करता है. यौन शक्ति का विकास करता है. यह उपरत्न भूख ना लगने की बीमारी को कम करता है. यह एलर्जी से बचाव करता है. जीवन में लिए जाने वाले महत्वपूरर्ण निर्णयों को लेने तथा महत्वपूर्ण निर्णय देने के लिए यह उपरत्न जातक को प्रेरित करता है.

कौन धारण करे | Who Should Wear | Should I Wear Carnelian Sub-Gemstone

जिन व्यक्तियों की कुण्डली में मंगल ग्रह शुभ भावों का स्वामी होकर अशुभ भावों से संबंध बना रहा है, उन्हें कार्नेलियन उपरत्न धारण करना चाहिए.

कौन धारण नहीं करे | Who Should Not Wear Carnelian

नीलम, पन्ना, हीरा रत्न अथवा इन रत्नों के उपरत्न धारण करने वाले व्यक्तियों को कार्नेलियन उपरत्न धारण नहीं करना चाहिए.

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9th भाव-भाग्य भाव क्या है | Bhagya Bhava Meaning | Navam House in Horoscope | 9th House in Indian Astrology

नवम भाव धर्म का भाव है.  इस भाव से सौभाग्य देखा जाता है. इसके अतिरिक्त नवम भाव पिता, पुत्र का भाव भी है. व्यक्ति की धार्मिक आस्था इसी भाव से देखी जाती है. किसी भी व्यक्ति का ईष्टदेव कौन सा होना चाहिए, इसकी व्याख्या नवम भाव ही करता है. नवम भाव व्यक्ति के देवी-देवताओं का भाव है. 

यह भाव विदेशी यात्राओं, विदेशों में प्रसिद्धि, उच्च बौद्धिक ज्ञान, आक्स्मिक समृ्द्धि, पिता से विरासत में धन-सम्पति, नैतिक सिद्धान्त, सदगुण, दान, समृ्द्ध, भलाई, भाग्य, पति का सौभाग्य,  एक स्त्री की कुण्डली में सन्तान, विश्वास, कानूनी, परोपकारी और धार्मिक व्यवसाय, उपदेशक, अध्यापक, आत्मत्याग, तीर्थयात्रायें, शोध, अविष्कार, खोज, अन्वेषण, विधि अनुसार, ध्यान साधना, आत्मज्ञान, दूरदृ्ष्टि, नैतिक गुण आदि का भाव है. 

नवम भाव का कारक ग्रह कौन सा है. । What are the Karaka things of 9th Bhava 

नवम भाव का कारक ग्रह सूर्य है. नवम भाव से सूर्य पिता के कारकतत्व प्रकट करता है. गुरु भी इस भाव का कारक ग्रह है. नवम भाव से गुरु व्यक्ति कि धार्मिक आस्था को प्रकट करता है. 

नवम भाव से स्थूल रुप में क्या देखा जाता है. । What does the House of Bhagya Bhava Explain    

नवम भाव से स्थूल रुप में पिता और पिता से सम्बन्धित विषयों का विश्लेषण किया जाता है. 

नवम भाव से सूक्ष्म रुप में किस विषय का विचार किया जाता है. | What does the House of Bhagya Bhava accurately explains

नवम भाव व्यक्ति का सौभाग्य प्रकट करता है. 

नवम भाव से शरीर के कौन से अंगों का निरिक्षण किया जाता है. | 9th House is the Karak House of which body parts.  

नवम भाव से उदर का बायां भाग, बायां गाल, बायां घुटना, जाघें, जंघा संम्बन्धित रक्त वाहिनियां, द्रेष्कोणों के अनुसार- बायां गाल, उदर का बायां भाग और कान का बाहरी भाग, बायां बाधकस्थान.  

नवम भाव क्या है. | What is the 9th Bhava 

नवम भाव धर्मस्थान भाव है, यह पितृभाव, तपस्थान, स्थिर राशियों के लिए बाधकस्थान है. 

नवमेश व अन्य भावेश परिवर्तन योग में किस प्रकार के फल देते है. | 9th Lord Privartan Yoga Results  

नवमेश और दशमेश परिवर्तन योग में होने पर एक उत्तम श्रेणी का राजयोग बनता है. यह योग व्यक्ति को यश-कीर्ति देता है. उसकी धन-सम्पति में बढोतरी होती है. व्यक्ति सभी प्रकार की सुख -समृ्द्धि प्राप्त करने में सफल रहता है. यह योग व्यक्ति की आर्थिक स्थिति भी सुदृ्ढ करता है. और उसे सफलता दिलाने में सहयोगी रहता है.  

नवमेश व एकादशेश परिवर्तन योग बनाते है, तो यह एक श्रेष्ठ धनयोग बनता है. ऎसा व्यक्ति अच्छे कुल से सम्बन्ध रखता है. वह सम्मानित व्यक्ति होता है. आध्यात्मिक क्षेत्र में उसे सफलता मिलती है. 

जब नवमेश और द्वादशेश परिवर्तन योग बना रहे हो, तो व्यक्ति को विदेश में व्यापारिक कार्यो में सफलता मिलती है. व्यक्ति लम्बी और लाभदायक यात्रायें करता है. व्यक्ति विदेश में स्थायी निवास करता है. और आध्यात्मिक प्रवृति का होता है. ऎसा व्यक्ति अत्यधिक धार्मिक आस्था का होता है.  

जिस व्यक्ति की कुण्डली में पांचवें भाव से सूर्य दृ्ष्टि संबन्ध बना रहा हों, तो व्यक्ति भगवान शिव का भक्त हो सकता है. यदि सूर्य नवें भाव में एक मित्र की राशि में हो तो व्यक्ति धार्मिक कार्य करने और तीर्थयात्राओं पर जाने की और प्रवृ्त होता है. 

जब कुण्डली में बुध, गुरु और दशमेश बली होता है, तो व्यक्ति अच्छे कार्य करता है. उसे धार्मिक पुस्तकों में रुचि होती है. 

जिस व्यक्ति की कुण्डली में पांचवें भाव में मंगल बैठा हों, उस व्यक्ति को भगवान कार्तिकेय और भैरव की उपासना करनी चाहिए. 

अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में नवम भाव में बुध स्थित हों, तो व्यक्ति भगवान का सफल भक्त होता है.  

नवम भाव में शुक्र होने पर व्यक्ति अपने गुरु को प्राप्त करने में सफल होता है.  

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वृषभ राशि क्या है. | Taurus Sign Meaning | Taurus – An Introduction | Who is the Lord of the Taurus sign

राशिचक्र 12 राशियों से मिलकर बना है, इस चक्र में 360 अंश होते है. तथा 360 अंशों को 12 भागों में बराबर बांटने पर 12 राशियों का निर्माण होता है. सभी व्यक्तियों का जीवन 12 राशियों, 9 ग्रह और 27 नक्षत्रों से प्रभावित रहता है. 12 राशियों से परिचय करने की श्रेणी में आईये हम वृषभ राशि को जानने का प्रयास करते है. 

वृषभ राशि का स्वामी कौन है. | Who is the Lord of the Taurus sign

वृषभ राशि का स्वामी शुक्र है. 

वृषभ राशि का चिन्ह क्या है.| What is the Symbol of the Taurus Sign .

वृषभ राशि का चिन्ह बैल है.

वृषभ राशि के लिए कौन से ग्रह शुभ रहते है. | Which planets are considered auspicious for the Taurus sign

वृषभ राशि के लिए सूर्य और शनि शुभ ग्रह है. 

वृषभ राशि के लिए अशुभ ग्रह कौन से है. | Which Planets are inauspicious for the Taurus sign  

वृषभ राशि के लिए चन्द्रमा, मंगल, गुरु अशुभ ग्रह होते है. 

वृ्षभ राशि के लिए सम फल देने वाले ग्रह कौन से है.| Which are Neutral planets for the Taurus sign

वृषभ राशि के व्यक्तियों के लिए बुध सम फल देने वाले ग्रह है.

वृषभ राशि के लिए मारक ग्रह कौन से है. | Which  are the Marak planets for the Taurus sign 

वृषभ राशि के लिए गुरु, शुक्र, चन्द्र व मंगल मारक ग्रह होते है.

वृ्षभ राशि के लिए बाधक स्थान कौन सा है. | Which is the Badhak Bhava for the Taurus sign  

वृ्षभ राशि के लिए नवम भाव बाधक स्थान होता है.

वृ्षभ राशि के लिए बाधकेश कौन सा ग्रह होता है. | Which planet is Badhkesh for the Taurus sign

वृ्षभ राशि के लिए शनि बाधक भाव के स्वामी है. 

वृ्षभ राशि के लिए योगकारक ग्रह कौन सा है. | Which planet is YogaKaraka for the Taurus sign

वृ्षभ राशि के लिए शनि योगकारक ग्रह है. 

वृ्षभ राशि में कौन सा ग्रह उच्च राशि प्राप्त करता है.| Which Planet of the Taurus sign, is placed in exalted position 

वृ्षभ राशि में चन्द्र वृ्षभ राशि में उच्च के होते है. 

वृ्षभ राशि के व्यक्तियों के लिए कौन सा इत्र शुभ रहता है.| Which fragrance is auspicious for the Taurus sign

शिलारस वृ्षभ राशि के लिए भाग्यशाली इत्र होता है. 

वृ्षभ राशि की भाग्यशाली संख्या कौन सी है.| Which are the Lucky numbers for the Taurus sign 

वृ्षभ राशि के लिए 2, 8, 7, 9 संख्या भाग्यशाली संख्या है. 

वृ्षभ राशि के लिए कौन से दिन भाग्यशाली रहते है. | Which are the lucky days for the Taurus people  

वृ्षभ राशि के लिए शुक्रवार, बुधवार, शनिवार, सोमवार का दिन शुभ रहता है. 

वृ्षभ राशि के लिए भाग्यशाली रत्न कौन सा है. | Which is the lucky stone for the Taurus people  

वृ्षभ राशि के लिए हीरा, नीलम, पन्ना शुभ रत्न है. 

वृ्षभ राशि के लिए कौन सा रंग शुभ रहता है. । What are the lucky colours for the Taurus sign  

वृ्षभ राशि के लिए गुलाबी, हरा, नीला, सफेद शुभ रहता है. व वृ्षभ राशि वालों को लाल रंग का त्याग करना चाहिए. 

वृ्षभ राशि के व्यक्तियों को किस दिन का उपवास रखना चाहिए. । On which day should the Taurus people fast  

वृ्षभ राशि के व्यक्तियों को शुक्रवार के व्रत करना शुभ रहता है. 

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सोमवार के दिन क्या कार्य करना शुभ है? | Auspiciousness of Monday in Daily Life

वर्तमान समय में दैनिक जीवन के सभी कार्यों को शुभ मुहूर्त निकाल कर करना संभव नहीं है. अगर कोई व्यक्ति ऎसा प्रयास करता भी है तो मुहूर्त समय की शुद्धि में कमी रहेगी. या फिर व्यक्ति के कार्य विल्मबित होते रहेगें. ऎसे में ज्योतिष व्यक्ति के जीवन का सहयोगी न होकर, उसके लिये बाधक हो जायेगा. परन्तु फिर भी जहां तक संभव हो, व्यक्ति को कार्यो में अधिक से अधिक शुद्धि का ध्यान रख कर अपने कार्यो के लिये मुहुर्त समय का निर्धारण करना चाहिए. 

कई बार कार्य से जुडे मुहूर्त समय की जानकारी के अभाव में  अशुभ समय में कार्य आरम्भ कर लिया जाता है. जिसके लिये व्यक्ति को बाद में अफसोस होता है. 

सोमवार के दिन यात्रा करने के लिये शुभ दिशाएं | Favorable Directions for Traveling on Monday

सोमवार के दिन पश्चिम दिशा की यात्राएं करना शुभ रहता है. इसके अतिरिक्त दक्षिण दिशा व उतर- पश्चिम दिशा के कार्य भी इस दिन पूरे किये जा सकते है. उतर- पश्चिम दिशा को वायव्य दिशा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन इसके अतिरिक्त अन्य दिशाओं की यात्राएं करने से व्यक्ति को संबन्धित कार्य सिद्धि में बाधाएं आती है. कई बार कार्य पूरा भी नहीं हो पाता है. यात्रा से संबन्धित लक्ष्य की प्राप्ति तथा यात्रा की अवधि में किसी प्रकार की अशुभ घटना से बचने के लिये जहां तक हो सके सोमवार के दिन बताइ गई दिशाओं में ही यात्राएं करनी चाहिए. 

यात्रा में त्याज्य शूल ( दिशाशूल) | prohibited Directions For Traveling on Monday

सोमवार के दिन जिन दिशाओं में यात्रा करने से बचना चाहिए. उनमें पूर्व, उतर, आग्नेय ( दक्षिण- पूर्व) दिशाएं. सोमवार के दिन इन दिशाओं में यात्रा नहीं करनी चाहिए. यात्रा के विषय में यह मान्यता है कि दिशाशूल समय में जो व्यक्ति यात्रा करता है उसे, यात्रा में स्वास्थ्य संबन्धी कमी का भय रहता है. तथा इसके अतिरिक्त यात्रा में शत्रु से भी कष्ट प्राप्त होने की संभावना रहती है. इस दिन यात्रा करने से यात्रा के सुख- आनन्द की कमी होती है. तथा श्रम व धन का भी अपव्यय होने की संभावनाएं बनती है. 

सोमवार के दिन विधा आरम्भ के विषय | Commencement of Education on Monday

सोमवार के दिन लेखन कार्य आरम्भ किया जा सकता है. शास्त्रों का लेखन कार्य शुरु करने के लिये इस दिन का प्रयोग किया जा सकता है. मेडिकल क्षेत्रों में भी इस दिन प्रवेश लिया जा सकता है. इसके अतिरिक्त शिक्षा आरम्भ करने के लिये भी सोमवार के दिन का मुहूर्त लिया जा सकता है. सोमवार के दिन अन्य किये जाने वाले कार्यो में सौदर्य प्रसाधन विषय को सिखने का कार्य भी इस दिन शुरु करना शुभ रहता है. इसके अतिरिक्त सोमवार के दिन औषधि निर्माण की शिक्षा व योजना संबन्धिंत शिक्षा आरम्भ करने के लिये यह दिन अनुकुल रहता है.  

सोमवार के दिन व्यापार संबन्धी कार्य | Professional Tasks on Monday

इन दिन किये जाने वाले व्यापारिक कार्यो की श्रंखला में कृ्षि कार्य लाभ प्राप्त कर सकता है. गाय, भैंस आदि के क्रय- विक्रय के लिये भी यह दिन शुभ रहता है. वर्तमान समय में गाय, भैंस आदि का व्यापार शाहरों में करना संभन नहीं है. इसलिये शहरों में इसे गाय, भैंस के स्थान पर वाहनों के क्रय – विक्रय से समझना चाहिए. इसके अलावा दुध तथा दुध से बने उत्पादों का व्यापारिक कार्य आरम्भ करने के लिये भी सोमवार का दिन शुभ रहता है. इसलिये इस दिन डेयरी कार्य आरम्भ किया जा सकता है.  

सोमवार का दिन क्योकि मेडिकल कार्यो के अनुकुल होता है. इसलिये इस दिन औषधि की दुकान या व्यापार कार्य शुरु किया जा सकता है. इसके अलावा सोडा आदि तरल पदार्थों के क्रय-विक्रय व्यापार कार्य आरम्भ किया जा सकता है. सोमवार के दिन शंख तथा जल से प्राप्त वस्तुओं का व्यापारिक कार्य शुरु करना मुहूर्त के अनुसार शुभ रहता है. 

इसके अतिरिक्त सौंदर्य प्रंसाधन, सुगन्धित वस्तुओं (इत्र आदि) के लिये भी यह दिन शुभ रहता है. इसके अलावा वस्तुओं का क्रय – विक्रय के कार्य आरम्भ करने के लिये सोमवार का दिन उतम रहता है. व्यापार संबन्धी विदेश में कोई पत्राचार कार्य करने के लिये सोमवार का दिन का चयन करना चाहिए. 

 ऊपर बताये गये कार्यो का मुहूर्त समय विशेष रुप से तभी लेना चाहिए. जब कोई अन्य शुभ मुहूर्त न हों, तथा व्यक्ति के पास समय की कमी हों. अगर संभव हो तो वार के अतिरिक्त मुहूर्त समय में अन्य शुद्धियों का भी ध्यान रखना चाहिए. 

सोमवार के दिन किये जाने वाले अन्य शुभ / अशुभ मुहूर्त | Other Auspicious and Inauspicious Tasks on Monday

सोमवार के दिन नये वस्त्र धारण करना मध्यम स्तर का शुभ रहता है. नये आभूषण पहनने के लिये सोमवार का दिन शुभ रहता है. इसलिये इस दिन पहली बार आभूषण धारण करने से गहनों में वृ्द्धि होने की संभावनाएं रहती है. इसके अतिरिक्त तेल लगाने के लिये यह दिन शुभ रहता है. हजामत कार्य के लिये भी यह दिन अनुकुल रहता है. नये जूते पहनने हों, तो इस दिन का प्रयोग किया जा सकता है. इसके अलावा मुकद्धमा दाखिल करने के लिये यह दिन शुभ नहीं रहता है. इसलिये कोर्ट कचहारी के लिये इस दिन का चयन नहीं करना चाहिए.  

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कनकदण्ड-इष्टबल-कीर्ति-चामर-कुलश्रेष्ठ-भाग्य योग कैसे बनता है | How is Formed Kanak Danda Yoga | What is Eshtha Bal Yoga | How is Formed Kirti Yoga | How is Formed Kirti Yoga

कनकदण्ड योग उस समय बनता है, जब सातों ग्रह मीन, मेष, वृ्षभ, और तुला राशियों में होते है. यह योग व्यक्ति को श्रेष्ठ धर्मपरायण बनाता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति को यश की प्राप्ति होती है. जिस भी क्षेत्र में होता है, उसमें विरोधमुक्त होता है.  

इष्टबल योग क्या है. | What is Eshtha Bal Yoga 

जब पहले, चौथे या दसवें भाव में पंचमेश और नवमेश के साथ लग्नेश हों तो इष्टबल योग बनता है. यह योग व्यक्ति को अपने कार्यक्षेत्र में उच्च स्थान प्राप्त करने में सहयोग करता है. 

कीर्ति योग कैसे बनता है. | How is Formed Kirti Yoga 

लग्न या चन्द्रमा से केन्द्र में शुभ ग्रह हों, तो कीर्ति योग बनता है. कीर्ति योग व्यक्ति को जीवन भर समृ्द्धि और नाम दिलाता है. 

चामर योग कैसे बनता है. |  How is Formed Kirti Yoga 

केन्द्र में उच्च का चन्द्रमा गुरु से दृ्ष्ट हो या पहले, सातवें, नवें या दसवें भाव में दो शुभ ग्रह हों, तो चामर योग बनता है. इस योग से युक्त व्यक्ति उच्च स्तर के व्यक्तियों से आदर प्राप्त होता है. व्यक्ति श्रेष्ठ ज्ञानी होता है. उसे व्यवसायिक प्रतिष्ठा प्राप्त होती है. आयु के पक्ष से भी यह योग शुभ योगों की श्रेणी में आता है. शिक्षा के क्षेत्र में उसे मान-सम्मान प्राप्त होता है. 

कुलश्रेष्ठ योग कैसे होता है. | How is Kulshreshta Yoga Formed 

जब कुण्डली में शुक्र और शनि स्वराशियों में हों, तो कुलश्रेष्ठ योग बनता है. इस योग की शुभता से व्यक्ति आज्ञाकरी और निष्ठावान पुत्र प्राप्त करने में सफल होता है.  

भाग्य योग फल | Bhagya Yoga Reruslt 

भाग्य योग होने पर नवमेश ग्यारवें भाव में, गुरु के साथ हों, तब भाग्य योग बनता है. भाग्य योग से युक्त व्यक्ति धनवान होता है. उसे जीवन के कार्यो में भाग्य का सहयोग प्राप्त होता है. आय और लाभ के पक्ष से भी यह योग शुभ योगों की श्रेणी में आता है.  

बन्धन योग कैसे बनता है. | How is Bandhan yoga Formed 

जब कुण्डली में लग्नेश अस्त हों, और सूर्य नीच राशि का हों, तो बन्धन योग बनता है. यह योग स्वास्थय के पक्ष से शुभ योग नहीं है. जिस व्यक्ति की कुण्डली में बन्धन योग होता है. उसे किसी कारण वश कारावास में जीवन बीताना पडता है. 

मीराती योग फल | Mirati Yoga Result 

मिराती योग में तृ्तीयेश एक त्रिक भाव में या अशुभ ग्रहों की युति या दृ्ष्टि में हों, तो मिराती योग बनता है. इस योग का व्यक्ति शत्रुओं से पराजित होता है. उसे जीवन में भाईयों का सहयोग कम प्राप्त होता है. साथ ही यह योग व्यक्ति के साहस में कमी करता है. इस योग का व्यक्ति शक्तिहीन होता है. ऎसा व्यक्ति शीघ्र उतेजित होना पडता है. 

तथा योग के अनुकुल न होने के कारण व्यक्ति में अनुचित कार्य करने की प्रवृ्ति हो सकती है.  

मूक योग फल | Mook Yoga Result 

जब कुण्डली में द्वितीयेश की आठवें भाव में गुरु से युति हो रही होती है. उस समय मूक योग बनता है. यह योग अपने नाम के अनुसार फल देता है. यह योग व्यक्ति को बोलने में दोष देता है. ऎसा व्यक्ति बातचीत करते समय हकलाने का आदि हो सकता है.

नृ्पत योग क्या है. | What is the Narpat Yoga 

नृपत योग में दो ग्रह नीच होकर एक-दूसरे से केन्द्र में होते है. उदाहरण के लिए शनि मेष में और मंगल कर्क 

राशि में हों तो यह योग बनता है. इस योग का व्यक्ति सफलता प्राप्त करने के लिए अनुचित तरीकों को प्राप्त करता है.   

दुर्गेश योग किस प्रकार बनता है | How is Formed Durgesh Yoga 

दुर्गेश योग में राहू क नवांशेश उच्च का होकर पांचवें या नवें भाव में, नवमेश सातवें भाव में और मंगल बली हों.  यह योग व्यक्ति को भू-सम्पितयों का स्वामी बनाता है. पुरुषार्थ से सफलता प्राप्ति के पक्ष से यह शुभ योग है. 

शिव योग फल |  Shiv Yoga Result 

जब कुण्डलीमें पंचमेश नवें भाव में या दशमेश पांचवें भाव में और नवमेश दसवें भाव में होता है, तो शिव योग बनता है. शिव योग से युक्ति व्यक्ति महत्वपूर्ण कार्यो में लगा रहता है. उसे सत्ता संभालने के अवसर प्राप्त हो सकते है. साथ ही वह प्रभत्वशाली पद प्राप्त करने में सफल होता है.  

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सावन के माह का महत्व । Sawan Month | Importance of Sawan Month | Why Shiva Puja is Done

हिन्दू कैलेण्डर के बारह मासों में से सावन का महीना अपनी विशेष पहचान रखता है. इस माह में चारों ओर हरियाली छाई रहती है. ऎसा लगता है मानों प्रकृति में एक नई जान आ गई है. वेदों में मानव तथा प्रकृति का बडा़ ही गहरा संबंध बताया गया है. वेदों में लिखी बातों का अर्थ है कि बारिश में ब्राह्मण वेद पाठ तथा धर्म ग्रंथों का अध्ययन करते हैं. इन मंत्रों को पढ़ने से व्यक्ति को सुख तथा शांति मिलती है. सावन में बारिश होती है. इस बारिश में अनेक प्रकार के जीव-जंतु बाहर निकलकर आते हैं. यह सभी जन्तु विभिन्न प्रकार की आवाजें निकालते हैं. उस समय वातावरण ऎसा लगता है कि जैसे किसी ने अपना मौन व्रत तोड़कर अभी बोलना आरम्भ किया हो. 

जीव-जन्तुओं की भाषा का वर्णन इस प्रकार किया गया है कि जिस प्रकार बारिश होने पर जीव-जन्तु बोलने लगते हैं उसी प्रकार व्यक्ति को सावन के महीने से शुरु होने वाले चौमासों(चार मास) में ईश्वर की भक्ति के लिए धर्म ग्रंथों का पाठ सुनना चाहिए. धर्मिक दृष्टि से समस्त प्रकृति ही शिव का रुप है. इस कारण प्रकृति की पूजा के रुप में इस माह में शिव की पूजा विशेष रुप से की जाती है. सावन के महीने में वर्षा अत्यधिक होती है. इस माह में चारों ओर जल की मात्रा अधिक होने से शिव का जलाभिषेक किया जाता है. 

शिव पूजन क्यों किया जाता है | Why Shiv Pujan is Done

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से विष निकला था. इस विष को पीने के लिए शिव भगवान आगे आए और उन्होंने विषपान कर लिया. जिस माह में शिवजी ने विष पिया था वह सावन का माह था. विष पीने के बाद शिवजी के तन में ताप बढ़ गया. सभी देवी – देवताओं और शिव के भक्तों ने उनको शीतलता प्रदान की लेकिन शिवजी भगवान को शीतलता नहीं मिली. शीतलता पाने के लिए भोलेनाथ ने चन्द्रमा को अपने सिर पर धारण किया. इससे उन्हें शीतलता मिल गई. 

ऎसी मान्यता भी है कि शिवजी के विषपान से उत्पन्न ताप को शीतलता प्रदान करने के लिए मेघराज इन्द्र ने भी बहुत वर्षा की थी. इससे भगवान शिव को बहुत शांति मिली. इसी घटना के बाद सावन का महीना भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए मनाया जाता है. सारा सावन, विशेष रुप से सोमवार को, भगवान शिव को जल अर्पित किया जाता है. महाशिवरात्रि के बाद पूरे वर्ष में यह दूसरा अवसर होता है जब भग्वान शिव की पूजा बडे़ ही धूमधाम से मनाई जाती है.  

सावन माह की विशेषता | Speciality of Shravan Month

हिन्दु धर्म के अनुसार सावन के पूरे माह में भगवान शंकर का पूजन किया जाता है. इस माह को भोलेनाथ का माह माना जाता है. भगवान शिव का माह मानने के पीछे एक पौराणिक कथा है. इस कथा के अनुसार देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से अपने शरीर का त्याग कर दिया था. अपने शरीर का त्याग करने से पूर्व देवी ने महादेव को हर जन्म में पति के रुप में पाने का प्रण किया था. 

अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमालय और रानी मैना के घर में जन्म लिया. इस जन्म में देवी पार्वती ने युवावस्था में सावन के माह में निराहार रहकर कठोर व्रत किया. यह व्रत उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किए. भगवान शिव पार्वती से प्रसन्न हुए और बाद में यह व्रत सावन के माह में विशेष रुप से रखे जाने लगे.  

हमारी भाग्य रिपोर्ट की सहायता से आप अपने भाग्य का विश्लेषण स्वयं करें. जानिए आपका भाग्य कैसा है : भाग्य रिपोर्ट 

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बव करण फल

चन्द्रमा की एक कला तिथि कहलाती है. एक तिथि से दो नक्षत्र बनते है. इस प्रकार कृ्ष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों पक्षों की तिथियां मिलाकर 30 तिथियां बनती है. चरण एक तिथि में दो होते है. इस हिसाब से करण कुल 60 होने चाहिए. पर करण 60 न होकर केवल 11 ही है. इसमें भी प्रारम्भ के 7 करण चर प्रकृति के हैं, और बाकी के चार स्थिर है. वे एक चन्द्र माह में एक-एक बार आते है. व्यक्ति का जन्म जिस राशि, लग्न, नक्षत्र में होता है, उनके गुण-विशेषताएं व्यक्ति के स्वभाव को प्रभावित करते है. आईये बव करण में जन्म लेने वाला व्यक्ति का स्वभाव कैसा हो सकता है. यह जानने का प्रयास करते हैं.

बव करण- व्यक्ति स्वभाव

इस करण में जन्म लेने वाले व्यक्ति जीवन में अपने कार्यों के लिए समाज में सराहा जाता है. वह अपने गुरुओं और अपने बडों का आदर करने वाला होता है. ऎसा व्यक्ति स्वभाव से खुशमिजाज प्रकृति का होता है. वह आशावादी स्वभाव का होता है. तथा उसकी सोच विस्तृत होती है. इसके अतिरिक्त वह धार्मिक आस्था युक्त होता है. शिक्षा क्षेत्र में वह अपनी योग्यता के लिए सम्मान प्राप्त करता है.

शुभ प्रकृति के कार्यो को करने में सदैव अग्रणी भूमिका निभाता है. तथा दूसरों को सहयोग या दान-धर्म में उसकी स्वभाविक रुचि होती है. उदारवादी होने के कारण दूसरों के दु:ख बांटने का प्रयास करता है. बव करण में जन्म लेने वाला व्यक्ति स्थिर विचारों का होता है.

बव करण कब आता है

बव करण एक गतिशील करण है. यह चलायमान रहता है. तिथि में ये करण बार-बार आता है. यह एक सौम्य करण माना गया है. अस्थिर करण होने पूर्णिमा और अमावस की तिथियों को छोड़ कर बाकी तिथियों की गणना के अनुरुप आता रहता है.

बव करण-चरसंज्ञक है

बव करण चरसंज्ञक है. शेष अन्य चरसंज्ञक करणों में बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज और विष्टि है. बाकी के बचे हुए चार करण शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न ध्रुव करण कहलाते है.

बव करण में क्या काम करें

बव करण को शुभ करण की श्रेणी में रखा गया है. इस करण में सगाई, विवाह, गृह निर्माण, गृह प्रवेश इत्यादि शुभ एवं मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं. यह करण किसी काम के शुरु करने या किसी यात्रा को करने के लिए लिया जा सकता है. बव करण में व्यक्ति परिक्षा इत्यादि में सफल हो सकता है. साथ ही किसी प्रकार के अधूरे बचे हुए कामों को पूरा करने का मौका भी मिलता है. इस समय पर व्यक्ति अपनी जीत के लिए बहुत अधिक प्रयासशील रहता है. व्यक्ति साहस और मेहनत से भरे कामों को कर सकने में भी सक्षम होता है.

बव करण का मुहूर्त में महत्व

मुहूर्त निकालने के लिए बव करण को उपयोग में लिया जाता है. इस करण के दौरान व्यक्ति सकारात्मक कार्य, सफलता प्राप्ति के काम, शुभत अपाने के काम, नौकरी में ज्वाइनिंग का काम जैसे बहुत से काम किए जा सकते हैं. इस समय किसी के साथ मित्रता एवं किसी प्रकार के संधि प्रस्तावों पर भी काम शुरु किया जा सकता है.

बव करण फल

बव करण बालवस्था की स्थिति को प्राप्त करने वाला करण है. इस करण का प्रतीक सिंह है, इस प्रकार इस करण के प्रभाव स्वरुप जातक पराक्रम से युक्त काम करने की कोशिश करता है. इसकी अवस्था बालावस्था है और इसी कारण इसमें ऊर्जा भी अधिक रहती है. यह जातक को मिलनसार, स्वाभिमानी बनाता है. चंचलता भी अधिक रहती है . इसमें किए गए कामों में व्यवधान नही आते हैं और काम पूरा भी होता है. बव करण के प्रभाव से स्वास्थ्य सुख की पूर्ति होती है. विरोधियों और संकटों से लड़ने के लिए सदैव साहस का परिचय देने में सक्षम है.

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लग्न में स्थित राशि का व्यवसाय पर प्रभाव । Effect of Sign Present in Ascendant । Movable Sign | Fixed Sign | Dual Sign

अनेक विद्वानों के मतानुसार लग्न की राशि के अनुसार व्यक्ति का व्यवसाय होता है. लग्न में जो राशि आती है और लग्न में स्थित ग्रहों के गुणधर्म के अनुसार व्यक्ति की आजीविका होती है. कई विद्वानों का मानना है कि व्यवसाय के विश्लेषण में जो महत्व नवम, दशम तथा एकादश भाव का है वही महत्व लग्न भाव का भी है.

विषम राशि यदि लग्न में हैं तब व्यक्ति साहस तथा पराक्रम के बल पर सफलता पाता है. ऎसे जातक में नेतृत्व, अधिकार तथा आदेश देने की प्रवृति होती है.यह जातक इसी प्रकार के व्यवसाय में सफलता हासिल करते हैं.

सम राशि लग्न में आती है तब जातक धीर तथा गंभीर होता है. वह सहिष्णु होता है. ऎसा व्यक्ति अनुगामी या सहायक के रुप मे काम करना अधिक पसन्द करता है. यह सेवाकार्य करना पसन्द करते हैं. यह कर्त्तव्य पालन को अधिक महत्व देते हैं. अनुशासन में रहकर कार्य करते हैं.

चर राशि | Movable Sign 

यदि लग्न में चर राशि होती है तो जातक घूमने-फिरने वाले कार्य अधिक करता है. वह पर्यटन, भ्रमण अथवा फेरी लगाने के कामों से अपनी आजीविका चलाता है. व्यक्ति किसी परिवहन सेवा से भी जुड़ सकता है. वह परिवहन सेवा से जुड़कर बहुत अधिक यात्राएँ करत है. जातक कोई भी कार्य करें बिना भ्रमण के उसका कार्य पूरा नहीं होगा. 

स्थिर राशि। Fixed Sign

यदि लग्न में स्थिर राशि है तब जातक एक ही स्थान पर टिककर कार्य करता है. वह अपने कार्य में एकाग्रचित्त रहता है. व्यक्ति को एकान्त की आवश्यकता नहीं पड़ती है. वह पूरी निष्ठा से तन्मय होकर काम करता है. जो भी कार्य करता है वह स्थिर रहते हैं. उसे स्थिर कार्य करना पसन्द होता है.

द्वि-स्वभाव राशि | Dual Sign

लग्न में द्वि-स्वभाव राशि है तो व्यक्ति के आजीविका के साधन कभी स्थिर होते हैं तो कभी चर होते हैं. जातक का मन स्थिर नहीं रहता है. उसे कभी भ्रमण करना अच्छा लगता है तो कभी टिककर कार्य करना पसन्द होता है.

उपरोक्त राशियों के अतिरिक्त अन्य राशियों के अनुसार भी व्यक्ति अपने व्यवसाय को अपनाता है.

अग्नि तत्व राशि। Fiery Sign 

लग्न में यदि अग्नि तत्व राशि होती है जातक को यह पराक्रम. परिश्रम तथा संघर्ष से भरे कार्य कराती हैं. व्यक्ति उत्साह, उमंग, साहस, तथा वीरता से आगे बढ़ने में विश्वास करता है. वह अपने बल पर जीवन में आजीविका प्राप्त करता है.

भूमि तत्व राशि | Earth Sign

यह राशियाँ वैश्य वर्ण की राशियाँ होती हैं. व्यक्ति अपने कार्य सोच-विचारकर योजनाबद्ध तरीके से करता है. यह अपने लाभ तथा हानि वाले कार्यों में सजग रहते है. यह यथार्थवादी होते है. परिस्थितियों के अनुकूल काम करते है. यह बेकार की काल्पनिक उडा़नों से दूर ही रहते है. बुद्धि को भ्रामक बनाने वाले काम नहीं करते है. यह धरातल पर रहकर कार्य करते है. यह ऎसे कार्यों से जीविकापार्जन करते हैं जिनमें अति उत्साह की आवश्यकता नहीं होती है. 

वायु तत्व राशि | Airy Sign

यदि वायु तत्व राशि लग्न में, होती है तब व्यक्ति कला से संबंधित कार्यों से आजीविका प्राप्त करता है. उसे ऎसे कार्यों में रुचि होती है जिनमें कल्पना की ऊदा़न भी शामिल होती है. जातक काल्पनिकता से जुडे़ कार्य करता है. अपनी बुद्धि का प्रयोग अधिक करता है. व्यक्ति को ऎसे कार्यों में अधिक सफलता मिलती है जिनमें कल्पना की आवश्यकता हो, साहित्य तथा बुद्धि परक कार्य हों.

जल तत्व राशि | Watery Sign

यह राशि लग्न में होने पर जातक संवेदना तथा भावुकता से संबंधित विषयों से आजीविका प्राप्त करता है. पठन – पाठन, दार्शनिकता तथा आध्यात्मिकता से जुडे़ कार्यों को अपनाता है. रहस्य तथा अध्यत्म से जुडे़ गूढ़ विषयों में व्यक्ति की रुचि होती है.

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शनि क्या है । The Saturn in Astrology । Know Your Planets- Saturn | Satrun and Choice of Profession

शनि ग्रह को समझने के लिए सबसे पहले शनि की कारक वस्तुओं को जानना आवश्यक है. शनि ज्योतिष में आयु का कारक ग्रह है. इसके प्रभाव से प्राकृ्तिक आपदायें, मृ्त्यु, बुढापें, रोग, निर्धनता,पाप, भय, गोपनीयता, कारावास, नौकरी, विज्ञान नियम, तेल-खनिज, कामगार, मजदूर सेवक, सेवाभाव, दासता, कृ्षि, त्याग, उंचाई से गिरना,  अपमान, अकाल, ऋण, कठोर परिश्रम, अनाज के काले दानें, लकडी, विष, टांगें, राख, अपंगता, आत्मत्याग, बाजू, ड्कैती, रोग, अवरोध, लकडी, ऊन, यम अछूत, लंगडेपन, इस्पात, कार्यो में देरी लाना. 

शनि के मित्र ग्रह कौन से है. | Which are the friendly planets of the Saturn.  

बुध व शुक्र शनि के मित्र ग्रह है.  

शनि के शत्रु ग्रह कौन से है. |  Which are the enemy planets of the Saturn.

सूर्य,चन्द्र तथा मंगल शनि के शत्रु ग्रह है.  

शनि के साथ कौन से ग्रह सम संबन्ध रखते है. |  Which planet forms neutral relation with the Saturn.  

शनि के साथ गुरु सम संबन्ध रखता है.  

शनि को कौन सी राशियों का स्वामित्व प्राप्त है. | Saturn is Which sign Lord.  

शनि को मकर व कुम्भ राशियों का स्वामित्व प्राप्त है.  

शनि की मूलत्रिकोण राशि कौन सी है. | Which is the Mooltrikona sign of the Saturn.  

शनि की मूलत्रिकोण राशि कुम्भ है. इस राशि में शनि 1अंश से 20 अंश के मध्य अपनी मूलत्रिकोण राशि में होते है.  

शनि किस राशि में उच्च के होते है. | Which is the exalted sign of the Saturn.  

शनि तुला राशि में 20 अंश पर उच्च राशिस्थ होते है.  

शनि की नीच राशि कौन सी है. | Which is the debiliated sign of the Saturn.  

शनि की नीच राशि मेष है. मेष राशि में शनि 20 अंश पर होने पर अपनी नीच राशि में होते है.  

शनि ग्रह किस लिंग के कारक है. | Saturn comes under which gender category 

शनि ग्रह को स्त्री प्रधान, और नपुंसक ग्रह कहा गया है. 

शनि ग्रह की दिशा कौन सी है. | Which Direction  represent the Saturn.  

शनि ग्रह पश्चिम दिशा का प्रतिनिधित्व करते है.  

शनि ग्रह का भाग्य रत्न कौन सा है. | Which gem must be hold for the Saturn.  

शनि ग्रह का भाग्य रत्न नीलम, कटैला है. 

शनि ग्रह का शुभ रंग कौन सा है. |  What is the colour of the Saturn.  

स्धनि ग्रह का रंग भूरा, नेवी, ब्लू रंग् कालापन लिए हुए होता है.  

शनि ग्रह की शुभ अंक कौन से है. | What is the Number of the Venus.  

शनि ग्रह के लिए 8, 17, 26 अंक का प्रयोग करना शुभ रहता है.  

शनि ग्रह के लिए किस देव का पूजन करना चाहिए. | Which god should be worshipped for the Saturn.  

शनि ग्रह के लिए ब्रह्मा, शिव का पूजन करना चाहिए.  

शनि देव का बीज मंत्र कौन सा है. | Which is the beej  mantra of the Saturn.  

शनि देव का बीज मंत्र इस प्रकार है.  

ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैं नम: ( एक संकल्प समय में 23000 बार)

शनि का वैदिक मंत्र कौन सा है. | Which is the Vedic mantra of the Saturn. 

शनि ग्रह का वैदिक मंत्र इस प्रकार है. 

नीलाजंन समाभासं रवि पुत्रम यजाग्रजम।

छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शज्नैश्वरम।।

शनि की दान योग्य वस्तुएं कौन सी है. | What should be given in Charity for the Saturn.  

शनि के लिए लोहा, काली कीलें, काला कपडा, काले फूल, मां की दाल, काली उडद की दाल, कस्तूरी, काली गाय. इनमें से किसी एक वस्तु का दान शनिवार को दोपहर को करना शुभ रहता है.  

शनि का रुप-रंग कैसा है. |  What is the form of Saturn affected people.

शनि देव लम्बे पतले शरीर वालें, रंग में पीलापन लिए होता है. लम्बे और मुडे हुए नाखून, बडे बडे दांत, वाररोग, आलसी,रुखे उलझे बाल वाले है. 

शनि देव शरीर में कौन से अंगों का प्रतिनिधित्व करते है. | Saturn represents which organs of the body 

शनि देव वायु तत्व रोग, पित्त प्रधान, गर्दन, हड्डियां, दान्त, प्रदूषण के कारण होने वाले रोग, मानसिक विक्षेप,  पेट के रोग, चोट, आघात, अंगहीन, कैन्सर, लकवा, गठिया, बहरापन,लम्बी अवधि के रोग देता है. 

शनि कौन सी वस्तुओं का प्रतिनिधित्व करता है. | What is the specific Karaka of the Saturn. 

शनि को देरी, अवरोध, कष्ट, विपत्ति, लोकतन्त्र, मोक्ष का कारक माना गया है.  

शनि के विशिष्ठ गुण क्या है. | What is the specific Quality of the Saturn. 

शनि तर्क, दर्शन, आत्मत्याग, नपुंसक ग्रह, कृ्पण, विनाशकारी शक्तियां, ठण्डा बर्फीला ग्रह, रहस्यमय, रुखा. आदि गुण देता है.  

शनि के कार्यक्षेत्र कौन से है. |  Saturn and Choice of Profession

शनि आजीविका भाव का स्वामी होने पर व्यक्ति से सेवा कार्य कराता है. इस योग का व्यक्ति कठोर परिश्रम करने वाला, नौकरी पसन्द, सरकारी नौकरी प्राप्त, दिमागी और शारीरिक कार्य करने में कुशल, लोहा और इस्पात, ईंट, शीशे टायल कारखाना, जूते-चप्पल, लकडी या पत्थर का काम, बढई, तेल का काम, राजगीर, दण्ड देने से संबन्धित उपकरण,  सभी प्रकार के उत्तरदायित्व वाली नौकरियां, गहन अध्ययन, और गहरे अध्ययन,  मकान निर्माण, सर्वेक्षण, ठेकेदारी, खान खोदने वाले, धोखेबाज, भिखारी, जल्लाद, तपस्वी, काला जादू, छाता, सेवक, चालक, कुली, निर्माता.  

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शुक्र क्या है । The Venus in Astrology । Know Your Planets- Venus | Venus and Choice of Profession

शुक्र पत्नी का प्रतिनिधित्व करता है. वह विवाह का कारक ग्रह है, ज्योतिष में शुक्र से वाहन, काम सुख, आभूषण, भौतिक सुख सुविधाओं का कारक ग्रह है. शुक्र से आराम पसन्द होने की प्रकृ्ति, प्रेम संबन्ध, इत्र, सुगन्ध, अच्छे वस्त्र, सुन्दरता, सजावट, नृ्त्य, संगीत, गाना बजाना, काले बाल, विलासिता, व्यभिचार, शराब, नशीले पदारथ, कलात्मक गुण, आदि गुण देखे जाते है. 

शुक्र के मित्र ग्रह कौन से है. | Which are the friendly planets of the Venus.  

शनि व बुध शुक्र के मित्र ग्रह है. 

शुक्र के शत्रु ग्रह कौन से है. | Which are the enemy planets of the Venus.  

शुक्र  ग्रह के शत्रुओं में सूर्य व चन्द्रमा है. 

शुक्र के साथ सम सम्बन्ध कौन से ग्रह रखते है. | Which planet forms neutral relation with the Venus.  

शुक्र के साथ गुरु व मंगल सम सम्बन्ध रखते है. 

शुक्र को कौन सी राशियों का स्वामित्व प्राप्त है. । Venus is Which sign Lord. 

शुक्र वृ्षभ व तुला राशि के स्वामी है.  

शुक्र की मूलत्रिकोण राशि कौन सी है. | Which is the Mooltrikona sign of the Venus. 

शुक्र तुला राशि में 0 अंश से 15 अंश के मध्य होने पर मूलत्रिकोण राशिस्थ होता है. 

शुक्र की उच्च राशि कौन सी है. | Which is the exalted sign of the Venus.

शुक्र मीन राशि में 27अंश पर होने पर उच्च राशि अंशों पर होता है. 

शुक्र की नीच राशि कौन सी है. | Which is the debiliated sign of the Venus. 

शुक्र कन्या राशि में 27अंश पर होने पर नीच राशि में होता है.  

शुक्र ग्रह किस लिंग का प्रतिनिधित्व करता है. | Venus comes under which gender category 

शुक्र को स्त्री प्रधान ग्रह कहा गया है. 

शुक्र ग्रह की दिशा कौन सी है. | Which Direction  represent the Venus. 

शुक्र ग्रह की दक्षिण-पूर्व दिशा है.

शुक्र का भाग्य रत्न कौन सा है.| Which gem must be hold for the Venus. 

शुक्र का भाग्य रत्न हीरा है. इसका उपरत्न सफेद जरकिन है. 

शुक्र का शुभ रंग कौन सा है. | What is the colour of the Venus.  

शुक्र का शुभ रंग गुलाबी, क्रीम है.

शुक्र के अधिदेवता कौन से है. | Which god should be worshipped for the Venus. 

शुक्र के लिए शचि, इन्द्राणी, लक्ष्मी है.  

शुक्र का बीच मंत्र कौन सा है. | Which is the beej  mantra of the Venus.

शुक्र का बीच मंत्र इस प्रकार है. 

ऊँ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राये नम: 

एक संकल्प समय में 6000 बार)

शुक्र का वैदिक मंत्र कौन सा है. | Which is the Vedic mantra of the Venus. 

शुक्र का वैदिक मंत्र इस प्रकार है. 

हिमकुन्द मृ्णालाभं दैत्यानां परमं गुरुम।

सर्व शास्त्र प्रवक्तारं भर्गव प्रणामाम्यहम ।।

शुक्र के लिए कौन सी वस्तुओं का दान किया जाता है. | What should be given in Charity for the Venus. 

शुक्र के लिए घी, कपूर, दही, चांदी, चावल, चीनी, सफेद वस्त्र और फूल या गाय.  इन वस्तुओं का दन शुक्रवार को सूर्यास्त के समय दान करना चाहिए.  

शुक्र ग्रह का क्या रंग-रुप कहा गया है. | What is the form of Venus affected people.

शुक्र ग्रह को सुन्दर शरीर वाला, बडी आंखे दिखने में आकर्षक, घुंघराले बाल, काव्यात्मक, कफमय कम खाने वाला, छोटी कद-काठी, दिखने में युवा बताया गया है.  

शुक्र का शरीर में कौन से अंगो का प्रतिनिधित्व करता है. | Venus represents which organs of the body

शुक्र शरीर में वायु, कफ. आंखें, जननागं पेशाब, वीर्य का प्रतिनिधित्व करता है.

शुक्र कौन से रोग दे सकता है. | When the Venus is at weaker position , what diseases can affect a person.

शुक्र के कमजोर होने पर व्यक्ति को रति संबन्धित रोग, मधुमेह, पेशाब की थैली, गुरदे में पथरी, मोतियाबिन्द, बेहोशी, के दौरे, जननांग संबन्धित परेशानियां, सूजन, शरीर में यंत्रणात्मक दर्द, श्वेत प्रदर, मूत्र सम्बन्धित रोग, चेहरे, आंखों और गुप्तागों से संबन्धित रोग, खसरा, स्त्रियों में माहवारी और उससे संबन्धित रोग.  

शुक्र की कारक वस्तुएं कौन सी है. | What is the specific Karaka of the Venus.

शुक्र इन्द्रिय सुख, उत्तेजना, जीव आदि का कारक ग्रह है.  

शुक्र के विशिष्ट गुण कौन से है. | What is the specific Quality of the Venus. 

शुक्र व्यक्ति में काव्यात्मक प्रकृ्ति देता है, वह भौतिक सुख-सुविधाओं का कारक ग्रह है. चमक-दमक का प्रतिनिधित्व शुक्र करता है. शुक्र से वीर्य, खेल, कला और संस्कृ्ति देखी जाती है.  

शुक्र के व्यवसाय और कार्यक्षेत्र कौन से है. | Venus and Choice of Profession

शुक्र आजीविका भाव में बली अवस्था में हो, दशमेश हो, या फिर दशमेश के साथ उच्च राशि का स्थित हो, तो व्यक्ति में कलाकार बनने के गुण होते है. वह नाटककार और संगीतज्ञ होता है. उसकी रुचि सिनेमा के क्षेत्र में काम करने की हो सकती है.  शुक्र से प्रभावित व्यक्ति कवि, चित्रकार, वस्त्र विक्रेता,वस्त्र उद्योग, कपडे बनाने वाला, इत्र, वाहन विक्रेता, वाहन बनाने वाले, व्यापारिक संस्थान, आभूषण विक्रेता, भवन बनाने वाले इंजिनियर, दुग्धशाला, नौसेना, रेलवे, आबकारी, यातायात, बुनकर, आयकर, सम्पति कर आदि का कार्य करता है. 

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