रोडोक्रोसाईट उपरत्न | Rhodochrosite Gemstone Meaning | Rhodochrosite – Metaphysical, Healing Properties

यह उपरत्न वैसे तो कई विभिन्न क्षेत्रों में पाया जाता है परन्तु गहनों के रुप में या सजावटी तौर से उपयोग में लाया जाने वाले शुद्ध रुप में इसकी आपूर्त्ति कम ही है. यह उपरत्न अपने विभिन्न प्रकार के रंगों  तथा अदभुत गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है. इस उपरत्न का गुलाबी रंग लोगों को अपनी ओर आकर्षित किए बिना नहीं रह पाता है. यह उपरत्न खानों से कैल्साईट(calcite) तथा सिडेराईट(siderite) के साथ पाया जाता है. इस उपरत्न में बैण्ड भी बने होते हैं. अकसर यह उपरत्न स्टैलेक्टाईट्स(stalactites) रुप में भी पाया जाता है. यह छोटे मणिभ(Crystals) आकारों में भी उपलब्ध होता है. 

रोडोक्रोसाईट का यह नाम ग्रीक शब्द से उत्पन्न हुआ है. जिसका अर्थ गुलाबी रंग है या गुलाब जैसे रंग वाला है. इसलिए इसे “रोज उपरत्न” भी कहा जाता है. ग्रीक में Rhodon का अर्थ गुलाब है. Chroma का अर्थ रंग है. रोडोक्रोसाइट का गुलाबी रंग इसमें मौजूद मैंगनीज के कारण होता है. “इन्का” लोगों का मानना है कि रोडोक्रोसाईट उपरत्न, उनके पूर्व समय के राजा और रानियों के खून से बना उपरत्न है. (elcapitalino.mx)

यह उपरत्न अनाहत चक्र तथा मनीपूरक चक्रों को नियंत्रित करता है. इस उपरत्न का अग्नि तथा वायु तत्व है.

रंग | Color Of Rhodochrosite Gemstone

यह उपरत्न मुख्य रुप से गुलाबी रंग में पाया जाता है. इसके अतिरिक्त यह उपरत्न सफेद रंग में भी पाया जाता है. बैन्ड में पाया जाने वाला यह उपरत्न पारभासी से अपारदर्शी होता है और गुलाबी, सफेद, ग्रे तथा भूरे रंग में पाया जाता है. इसके अतिरिक्त लाल, गुलाबी, नारंगी रंग में यह पारभासी रुप में पाया जाता है. कई बार यह ग्रे रंग में पीलेपन की आभा लिए हुए भी मिलता है.

रोडोक्रोसाईट के आध्यात्मिक गुण | Metaphysical Properties Of Rhodochrosite

यह उपरत्न गुणों की खान है. यह ऊर्जा का अच्छा सुचालक है. गुलाबी रंग का यह उपरत्न दिल से संबंधित परेशानियों से राहत दिलाता है. मन में प्यार और करुणा के भावों को जागृत करता है. रचनात्मक गतिविधियों को बढा़कर जातक को लाभ प्रदान करता है. अन्तर्दृष्टि में वृद्धि करता है. कहा जाता है कि धारणकर्त्ता के शरीर, आत्मा तथा भावनाओं का एक-दूसरे से सीधा सम्पर्क हो जाता है. इस उपरत्न में उत्साह बढा़ने की शक्ति है और यह जातक को शांत भी रखता है. विद्वानों का मानना है कि इस उपरत्न को धारण करने से खोये प्यार की पुन: प्राप्ति हो जाती है.

रोडोक्रोसाईट खनिज संतुलन तथा प्यार का प्रतीक माना जाता है. यह व्यक्ति के खोये आत्म-विश्वास को जगाने का काम करता है. शरीर की क्रियाओं तथा आत्मा को नियंत्रित करता है. यह ब्रह्माण्ड की सबसे शक्तिशाली ऊर्जा का उत्सर्जन करता है, जो प्यार की शक्ति के रुप में फैली है. यह उपरत्न व्यक्ति को व्यवहारिकता के नजदीक लाता है. जातक को समाज के कर्त्तव्यों के प्रति अवगत तथा सचेत कराता है. व्यक्ति अपने बारे में ना सोचकर सभी के बारे में एक समान सोच रखता है. नई-नई जानकारियाँ जातक को प्राप्त कराने में मदद करता है.

यह उपरत्न अहसास दिलाता है कि व्यक्ति की जिम्मेवारियाँ बोझ नहीं है अपितु इन जिम्मेवारियों को निभाने में भी एक प्रकार का मजा तथा खुशी मिलती है. यह उपरत्न धारणकर्त्ता के भीतर ऊर्जा का विकास करता है. प्यार तथा रिश्तों को बनाए रखने के लिए उत्कृष्ट उपरत्न है. जीवन में और अधिक जुनून तथा इच्छाओं की वृद्धि करता है. यह उपरत्न आत्म चिकित्सा के लिए उपयुक्त उपरत्न है. यह मजबूत तथा प्रमाणिक आत्म खुलासे का समर्थन करता है. यह उपरत्न धारणकर्त्ता को दर्द तथा दमित यादों से उबरने में मदद करता है. उन्हें नये जीवन में प्रवेश के लिए प्रेरित करता है.

यह उपरत्न अकेलेपन को दूर करता है. जातक को किसी प्रकार की हानि नहीं होने देता. डर से छुटकारा दिलाता है. असुरक्षा की भावना को समाप्त करता है. धारणकर्त्ता के ऊपर शोषण तथा अत्याचार होने से रोकता है. व्यक्ति में क्षमा की भावना का विकास करता है. विश्वास संबंधित मुद्दों को हल करने में सहायक होता है. आत्म प्यार तथा आध्यात्मिकता में वृद्धि करता है. जीने की इच्छा को जातक में जगाकर रखता है. जातक को उसके उद्देश्यों से भटकने नहीं देता.

व्यक्ति के अस्तित्व को स्वीकारने तथा प्रेम भावनाओं को जागरुक करता है. संबंधों में शिथिलता नहीं आने देता. व्यक्ति में जीवन से जुडी़ समस्याओं को संभालने तथा उनसे जूझने की क्षमता का विकास करता है. जातक के व्यक्तिगत आत्म-विश्वास को बढा़ने में मदद करता है. यह उपरत्न व्यक्ति को ध्यान लगाने में सहायता करता है. इस उपरत्न को यदि गले में धारण किया जाए तो इसकी सकारात्मक ऊर्जा सीधा व्यक्ति के मस्तिष्क में जाएगी.  

रोडोक्रोसाइट के चिकित्सीय गुण | Healing Ability Of Rhodochrosite Crystals

यह उपरत्न शरीर के परिसंचरण तंत्र को सुचारु रुप से काम करने के लिए उत्तेजित करता है. रक्तचाप को नियंत्रित रखता है. गुर्दे संबंधी परेशानियों से बचाव करता है. प्रजनन अंगों को विकारों से दूर रखता है. पेट के विकारों को होने से रोकता है. धारणकर्त्ता को बुरे व्यसनों से दूर रखता है. आहार क्रिया को नियंत्रित रखता है. अस्थमा की रोकथाम करता है. रक्त, लीवर तथा कैंसर से बचाव करने में सहायक होता है.

यह उपरत्न दिल की धड़कनों को नियंत्रित करता है. रक्तचाप को नियंत्रित करता है. यह माइग्रेन संबंधी बीमारियों से निजात दिलाता है. त्वचा रोगों को होने से रोकता है. थायराइड को असंतुलित होने से रोकता है. आँतों संबंधी समस्याओं को बढ़ने नहीं देता. परिसंचरण तंत्र को शुद्ध रखता है. आँखों से जुडी़ परेशानियों का निदान करता है. अग्नाश्य, गुर्दे तथा स्पलीन को ऊर्जा प्रदान करता है. जोड़ों के दर्द से मुक्ति प्रदान करता है. बन्द नाक खोलने में सहायक होता है.

रोडोक्रोसाइट के मुख्य स्त्रोत | Sources Of Rhodochrosite

यह उपरत्न विश्व के कई भागों में पाया जाता है. जिनमें से मुख्य देश कुछ ही हैं. वह देश हैं : अर्जेन्टीना, पेरु, कोलोरैडो, मोनटाना, अमेरीका, क्यूबेक, कनाडा, रोमानिया, हंगरी, दक्षिण अमेरीका, चिली, मेक्सिको, स्पेन, फ्राँस, रुस, जर्मनी, इटली, नामीबिया. सबसे अधिक मात्रा में यह उपरत्न अर्जेन्टीना में सैन लुइस में पाया जाता है.

कौन धारण करे | Who Should Wear Rhodochrosite

इस उपरत्न को व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं के अनुसार धारण कर सकता है. जिन्हें जो समस्या या विकार हैं उनके अनुसार इसे पहना जा सकता है.

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वशिष्ठ सिद्धान्त- सिद्धान्त ज्योतिष – ज्योतिष इतिहास | Vashishtha Siddhanta ( Siddhanta Jyotish ) History of Astrology | Romaka Siddhanta

भारत में ज्योतिष का प्रारम्भ कब से हुआ, यह कहना अति कठिन है. इसे प्रारम्भ करने वाले शास्त्री कौन से है. उनका उल्लेख स्पष्ट रुप से मिलता है. उनमें सूर्य, पितामह, व्यास, वशिष्ठ, अत्रि, पराशर, कश्यप, नारद, गर्ग, मरीचि, मनु, अंगिरा, लोमेश, पौलिश,च्यवन, यवन, भृ्ग, शौनक, भारद्वाज प्रमुख है. 

इन सभी शास्त्रियों के द्वारा लिखे गए, शास्त्र पूर्ण रुप में उपलब्ध नहीं है. जो प्रमाण है, भी वे भी खण्डित भागों में है. 

वशिष्ठ सिद्वान्त वर्णन | Vashishtha Siddhanta Description

वशिष्ठ सिद्धान्त शास्त्र सौर मण्डल में सूर्य और चन्द्रमा की गति का विवरण दिया गया है.   वशिष्ठ सिद्धान्त में मंगल, बुध, गुरु, शनि की गतियों को वर्णय किया गया है. यह शास्त्र यह बताने में भी समर्थ है कि इससे पूर्व व्यतीत हो चुके वर्षों में ग्रहों की गतियां क्या रही थी. तथा इन ग्रहों ने पिछले युगों में किस प्रकार भ्रमण किया है. 

वशिष्ठ सिद्धान्त शास्त्र महत्व | Vashishtha Siddhanta Importance

वशिष्ठ सिद्वान्त का पच्चसिद्वान्तिका में संक्षिप्त वर्णन किया गया है. इस सिद्वान्त शास्त्र में ग्रहों की गति के अलावा राशियों का उल्लेख भी किया गया है. यह सिद्वान्त शास्त्र पितामह सिद्धान्त के समान होने पर भी उससे कई स्तर में शुद्ध सिद्धान्त शास्त्र है. पितामह सिद्वान्त की तरह विशिष्ठ सिद्वान्त में भी माना गया है, कि जब दिन बढता है, तो प्रतिदिन बराबर वृ्द्धि होती है. 

वशिष्ठ सिद्वान्त अन्य शास्त्रों से तुलना | Comparison of Vashishta Siddhanta with other Scriptures

इसके अलावा वशिष्ठ सिद्धान्त लग्न का भी वर्णन करता है. जिससे पता चलता है, कि सूर्य का कौन सा भाग पूर्वी क्षितिज में उदित हुआ है. लेकिन उस समय के शास्त्रियों को सूर्य व चन्द्र की मध्य व स्पष्ट गतियों का अन्तर का ज्ञान नहीं था. वर्तमान में प्रयोग में लाने जाने वाले वशिष्ठ सिद्धान्त का वराहमिहीर के समय में उपलब्ध वशिष्ठ सिद्वान्त से कोई सम्बन्ध नहीं है. 

यह माना जाता है, कि वशिष्ठ सिद्वान्त, पितामह सिद्धान्त से अधिक विकसित था. किन्तु यह सूर्य सिद्वान्त से कम स्तर का था. 

रोमक सिद्वान्त

प्राचीन काल में ज्योतिष अपने सर्वोत्तम स्तर पर था. मध्य काल में इस विद्या के शास्त्रों को न संभाल पाने के कारण उस समय के सही प्रमाण हमारे पास आज पूर्ण रुप से उपलब्ध नहीं है. उस समय के के शास्त्री ग्रहों कि गति, कालों आकलन आदि करना बखूबी जानते थे. 

उस समय के गणित नियमों को सिद्धान्तों का नाम दिया गया. सिद्धान्त ज्योतिष में अनेका आचार्यों ने अनेक ग्रन्थ लिखें. इन्हीं में से कुछ शास्त्र सूर्य सिद्धान्त, पराशर सिद्धान्त, वशिष्ठ सिद्वान्त आदि है. इसी में से एक रोमक सिद्धान्त पर आज हम प्रकाश डालेंगें.    

रोमक सिद्धान्त क्या है. | What is Romaka Siddhanta 

यह प्राचीन् काल का गणितीय सिद्धान्त शास्त्र है. यह शास्त्र यमन ज्योतिष के नियमों पर आधारित है. यमन ज्योतिष मुख्यत: यूनान, मिश्र आदि देशों में विशेष रुप से प्रचलित था. 

रोमक सिद्धान्त शास्त्र में क्या है. | Romaka Siddhanta Scripture

रोमक सिद्वान्त में सूर्य व चन्द्र के बारे में आंकडे दिए गये है. इसके अतिरिक्त यह शास्त्र अधिक मास, क्षय मास, तिथि और क्षय तिथि का विस्तार से वर्णन् किया गया है. 

बेबीलोन के निवासी ग्रहों में पांच ग्रह देवताओं का पूजन करते थें. ये पांच ग्रह बुध, शुक्र, मंगल, गुरु  व शनि ग्रह थे. इन्हीं सभी ग्रहों की पूजा का वर्णन रोमक सिद्धान्त में भी मिलता है.  

रोमक सिद्धान्त लोमश सिद्धान्त का ही अपभ्रन्श रुप है, प्राचीन शास्त्रों में रोग देश के नागरिको के लिए रोमक शब्द प्रयुक्त किया गया है.  यह शास्त्र ज्योतिष की गणना से जुडे प्रमुख सिद्धान्त शास्त्रों में से एक है. इस सिद्धान्त का जन्म रोमण से होने के कारण इसे रोमक सिद्धान्त का नाम  दिया गया.  

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तिथियों में किए जाने वाले कार्य | Activities Related to Tithis | Meaning of Tithis

तिथियों के बिना कोई भी मुहुर्त नहीं होता है. ज्योतिष में तिथियों का एक महत्वपूर्ण स्थान है. अलग-अलग तिथियों के अनुसार विभिन्न कार्य किए जाते हैं. सभी कार्यों का मुहुर्त तिथियों के अनुसार बाँटा गया है. 

कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि | Pratipada Tithi Of Krishna Paksha

इस तिथि में गृह निर्माण, गृह प्रवेश, सीमन्तोनयन संस्कार, चौलकर्म, वास्तुकर्म, विवाह, यात्रा, प्रतिष्ठा, शान्तिक तथा पौष्टिक कार्य आदि सभी मंगल कार्य किए जाते हैं. कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा में चन्द्रमा को बली माना गया है. 

शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा में चन्द्रमा को निर्बल माना गया है. इसलिए शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा में विवाह, यात्रा, व्रत, प्रतिष्ठा, सीमन्त, चूडा़कर्म, वास्तुकर्म तथा गृहप्रवेश आदि कार्य नहीं करने चाहिए. 

दोनों पक्षों की द्वित्तीया | Dwitiya Tithi of Both Pakshas

विवाह मुहूर्त, यात्रा करना, आभूषण खरीदना, जिह्वा संबंधी कार्यों में, संगीत विद्या के लिए, शिलान्यास, देश अथवा राज्य संबंधी कार्य, कोश संबंधी कार्य, वास्तुकर्म, उपनयन आदि कार्य करना शुभ माना गया है. इस तिथि में तेल लगाना वर्जित है. 

तृतीया तिथि | Tritiya Tithi

सगीत विद्या, शिल्पकला अथवा शिल्प संबंधी अन्य कार्यों में, सीमन्तोनयन, चूडा़कर्म, अन्नप्राशन, गृह प्रवेश, विवाह, यात्रा, राज-संबंधी कार्य, उपनयन आदि शुभ कार्य इस तिथि में सम्पन्न किए जा सकते हैं. 

चतुर्थी तिथि | Chaturthi Tithi

सभी प्रकार के बिजली के कार्य, शत्रुओं का हटाने का कार्य, अग्नि संबंधी कार्य, शस्त्रों का प्रयोग करना आदि के लिए यह तिथि अच्छी मानी गई है. क्रूर प्रवृति के कार्यों के लिए यह तिथि अच्छी मानी गई है. 

पंचमी तिथि | Panchami Tithi 

इस तिथि में कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है. सभी प्रवृतियों के लिए यह तिथि उपयुक्त मानी गई है. इस तिथि में किसी को ऋण देना वर्जित माना गया है. यदि किसी को ऋण दे दिया तो नुकसान होगा, ऋण वापिस नहीं मिलेगा. इस तिथि में द्वितीया तथा तृतीया तिथि में बताए गए सभी कार्य किए जा सकते हैं. 

षष्ठी तिथि | Shashti Tithi

युद्ध में उपयोग में लाए जाने वाले शिल्प कार्यों का आरम्भ, वास्तुकर्म, गृहारम्भ, नवीन वस्त्र पहनने जैसे शुभ कार्य इस तिथि में किए जा सकते हैं. इस तिथि में तैलाभ्यंग, अभ्यंग, पितृकर्म, दातुन, आवागमन, काष्ठकर्म आदि कार्य वर्जित हैं. 

सप्तमी तिथि  | Saptami Tithi 

विवाह मुहुर्त, संगीत संबंधी कार्य, आभूषणों का निर्माण और नवीन आभूषणों को धारण किया जा सकता है. यात्रा, वधु-प्रवेश, गृह-प्रवेश, राज्य संबंधी कार्य, वास्तुकर्म, चूडा़कर्म, अन्नप्राशन, उपनयन संस्कार, आदि सभी शुभ कार्य किए जा सकते हैं. इसके अतिरिक्त द्वितीया, तृतीया तथ पंचमी तिथि में बताए गए कार्य भी किए जा सकते हैं. 

अष्टमी तिथि | Ashtami Tithi

इस तिथि में लेखन कार्य, युद्ध में उपयोग आने वाले कार्य, वास्तुकार्य, शिल्प संबंधी कार्य, रत्नों से संबंधित कार्य, आमोद-प्रमोद से जुडे़ कार्य, अस्त्र-शस्त्र धारण करने वाले कार्यों का आरम्भ इस तिथि में किया जा सकता है. इस तिथि में मांस सेवन नहीं करना चाहिए. 

नवमी तिथि | Navami Tithi

शिकार करने का आरम्भ करना, झगडा़ करना, जुआ खेलना, शस्त्र निर्माण करना, मद्यपान तथा निर्माण कार्य तथा सभी प्रकार के क्रूर कर्म इस तिथि में किए जाते हैं. चतुर्थी तिथि में किए जाने वाले कार्य भी इस तिथि में किए जा सकते हैं. 

दशमी तिथि | Dasami Tithi

इस तिथि में राजकार्य अर्थात वर्तमान समय में सरकार से संबंधी कार्यों का आरम्भ किया जा सकता है. हाथी, घोड़ों से संबंधित कार्य, विवाह, संगीत, वस्त्र, आभूषण, यात्रा आदि इस तिथि में की जा सकती है. गृह-प्रवेश, वधु-प्रवेश, शिल्प, अन्न प्राशन, चूडा़कर्म, उपनयन संस्कार आदि कार्य इस तिथि में किए जा सकते हैं. इस तिथि में द्वित्तीया, तृतीया, पंचमी तथा सप्तमी को किए जाने वाले कार्य किए जा सकते हैं. 

एकादशी तिथि | Ekadashi Tithi

इस तिथि में व्रत, सभी प्रकार के धार्मिक कार्य, देवताओं का उत्सव, सभी प्रकार के उद्यापन, वास्तुकर्म, युद्ध से जुडे़ कर्म, शिल्प, यज्ञोपवीत, गृह आरम्भ करना, यात्रा संबंधी शुभ कार्य किए जा सकते हैं. 

द्वादशी तिथि | Dwadashi Tithi

इस तिथि में विवाह, गाडी़, मार्ग में होने वाले कार्य, पोषण तथा अन्य शुभ कर्म किए जा सकते हैं. इस तिथि में तैलमर्दन, नए घर का निर्माण करना तथा नए घर में प्रवेश तथा यात्रा का त्याग करना चाहिए. 

शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि | Trayodashi Tithi of Shukla Paksha

संग्राम से जुडे़ कार्य, सेना के उपयोगी अस्त्र-शस्त्र, ध्वज, पताका के निर्माण संबंधी कार्य, राज-संबंधी कार्य, वास्तु कार्य, संगीत विद्या से जुडे़ काम इस दिन किए जा सकते हैं. इस दिन सभी तरह के मंगल कार्य किए जा सकते हैं. इस दिन यात्रा, गृह प्रवेश, नवीन वस्त्राभूषण तथा यज्ञोपवीत जैसे शुभ कार्यों का त्याग करना चाहिए. द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी तथा द्वादशी के दिन किए जाने वाले कार्य इस तिथि में किए जा सकते हैं. 

चतुर्दशी तिथि | Chaturdashi Tithi

इस तिथि में सभी प्रकार के क्रूर तथा उग्र कर्म किए जा सकते हैं. शस्त्र आदि का प्रयोग किया जा सकता है. इस तिथि में यात्रा करना वर्जित है. चतुर्थी तिथि में किए जाने वाले कार्य किए जा सकते हैं. 

पूर्णमासी | Purnima Tithi

इस तिथि में शिल्प, आभूषणों से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं. संग्राम, विवाह, यज्ञ, जलाशय, यात्रा, शांति तथा पोषण करने वाले सभी मंगल कार्य किए जा सकते हैं. 

अमावस्या | Amavasya 

इस तिथि में पितृकर्म मुख्य रुप से किए जाते हैं. महादान तथा उग्र कर्म किए जा सकते हैं. इस तिथि में शुभ कर्म तथा स्त्री का संग नहीं करना चाहिए. 

तिथियों का अर्थ – Meaning of Tithis

* प्रतिपदा तिथि को “वृद्धिप्रद” मान गया है. 

* द्वितीया तिथि को “मंगलप्रद” माना गया है. 

* तृतीया तिथि को “बालप्रद” माना गया है. यह बल में वृद्धि करती है. 

* चतुर्थी तिथि को “खल” कहा गया है. इसे अशुभ माना गया है. 

* पंचमी तिथि को “लक्ष्मीप्रद” कहा गया है. यह धन-धान्य देने वाली तिथि है. 

* षष्ठी तिथि को “यशप्रद” माना गया है. यह व्यक्ति को यश देने वाली होती है. 

* सप्तमी तिथि को “मित्र” माना गया है. 

* अष्टमी तिथि को “द्वंद्व” नाम दिया गया है. यह मतभेद पैदा करती है. 

* नवमी तिथि को “उग्र” कहा गया है. इसे आक्रामक स्वभाव वाली माना गया है. 

* दशमी तिथि को “सौम्य” तिथि कहा गया है. 

* एकादशी तिथि को “आनन्दप्रद” कहा गया है. 

* द्वादशी तिथि को “यशप्रद” कहा गया है. 

* त्रयोदशी तिथि को “जयाप्रद” कहा गया है. यह तिथि जीत दिलाती है. 

* चतुर्दशी तिथि को “उग्र” कहा गया है. 

* पूर्णिमा तिथि को “सौम्य” कहा गया है. 

* अमावस्या तिथि को “पूर्वजों” के लिए महत्वपूर्ण माना गया है. इसे पितृ तिथि भी कह सकते हैं.  

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वृश्चिक राशि क्या है | Scorpio Sign Meaning | Scorpio – An Introduction । Who is the Lord of the Scorpio sign

ज्योतिष शास्त्रों में वृ्श्चिक राशि को रहस्यमयी राशि कहा गया है. इस राशि में जन्म लेने वाले व्यक्ति स्वभाव से रहस्यमयी प्रकृ्ति के होते है. इस राशि के व्यक्ति गहरी भावनाओं से युक्त होते है. वृ्श्च्चिक राशि के व्यक्तियों में कल्पनाशीलता पाई जाती है. वे विवेकशिल होते है. साथ ही इनमें दृ्ढनिश्चय का भाव पाया जाता है. वृ्श्च़िक राशि के व्यक्तियों की यह विशेष खूबी है, कि इस राशि के व्यक्ति तोल-मोल कर बोलने की प्रवृ्ति पाई जाती है. आईये वृ्श्चिक राशि को विस्तार में समझने का प्रयास करते है. 

वृ्श्चिक राशि का स्वामी कौन है.| Who is the Lord of the Scorpio sign

वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है. 

वृ्श्चिक राशि का चिन्ह क्या है. | What is the Symbol of the Scorpio Sign .

वृ्श्चिक राशि का चिन्ह बिच्छू है. 

वृ्श्चिक राशि के लिए शुभ ग्रह कौन से है. | Which planets are considered auspicious for the Scorpio sign

वृ्श्चिक राशि के लिए शुभ ग्रह सूर्य, चन्द्रमा, गुरु शुभ ग्रह है. 

वृ्श्चिक राशि के लिए अशुभ ग्रह कौन से है. | Which Planets are inauspicious for the Scorpio sign

वृ्श्चिक राशि के लिए बुध, शुक्र अशुभ ग्रह है. 

वृ्श्चिक राशि के लिए सम फल देने वाला ग्रह कौन सा है. | Which are Neutral planets for the Scorpio sign

वृ्श्चिक राशि के लिए मंगल और शनि सम फल देने वाले ग्रह है. 

वृ्श्चिक राशि के लिए मारक ग्रह कौन सा है.| Which  are the Marak planets for the Scorpio sign

वृ्श्चिक राशि के लिए बुध, शुक्र मारक ग्रह होते है. 

वृ्श्चिक राशि के लिए बाधक भाव कौन सा है.| Which is the Badhak Bhava for the Scorpio sign

वृ्श्चिक राशि के लिए नवम भाव बाधक भाव कहलाता है. 

वृ्श्चिक राशि के लिए बाधक भाव का स्वामी कौन सा ग्रह है. | Which planet is Badhkesh for the Scorpio sign

वृश्चिक राशि के लिए चन्द्र बाधकेश होते है. 

वृ्श्चिक राशि के लिए कौन सा ग्रह योगकारक होता है. | Which planet is YogaKaraka for the Scorpio sign

वृ्श्चिक राशि के लिए सूर्य, चन्द्रमा योगकारक ग्रहों में आते है. 

वृ्श्चिक राशि में कौन सा ग्रह उच्च का होता है. | Which Planet of the Scorpio sign, is placed in exalted position

वृ्श्चिक राशि केतु ग्रह की उच्च राशि है. 

वृ्श्चिक राशि में कौन सा ग्रह नीच राशि का होता है. | Which planet is debilitated in Scorpio sign

वृ्श्चिक राशि में चन्द्रमा नीच राशि का होता है. 

वृ्श्चिक राशि में चन्द्र किन अंशों पर शुभ फल देते है. | At what degree does Moon give auspicious results in Scorpio sign

वृ्श्चिक राशि में चन्द्र 11 अंश पर शुभ फल देते है. 

वृ्श्चिक रशि में चन्द्र कौन से अंशों पर होने पर अशुभ फल देता है.| At what degree does Moon give inauspicious results in Scorpio sign

वृ्श्चिक राशि में चन्द्र 14 अंश और 23 अंश पर होने पर अशुभ फल देता है. 

वृ्श्चिक राशि के लिए कौन सा इत्र शुभ रहता है. | Which fragrance is auspicious for the Scorpio sign

वृ्श्चिक राशि के व्यक्तियों के लिए सैमेस, बेनज्वाइन इत्र उपयोग करना शुभ रहता है. 

वृ्श्चिक राशि के लिए कौन से अंक शुभ है. | Which are the Lucky numbers for the Scorpio sign

वृ्श्चिक राशि के लिए 3, 9, 4 अंश शुभ होते है. 

वृ्श्चिक राशि के लिए कौन सा दिन शुभ रहता है. | Which are the lucky days for the Scorpio people

वृ्श्चिक राशि के लिए रविवार, सोमवार, मंगलवार, शुक्रवार, वीरवार शुभ वार है. 

वृ्श्चिक राशि के लिए कौन सा रत्न शुभ रहता है.| Which is the lucky stone for the Scorpio people

वृ्श्चिक राशि के लिए पीला पुखराज, मूंगा धारण करना शुभ रहता है. 

वृ्श्चिक राशि के लिए शुभ रंग कौन से है. | What are the lucky colours for the Scorpio sign

वृ्श्चिक राशि के लिए पीला, लाल, नारंगी, क्रीम रंग शुभ होता है. इस राशि के व्यक्तियों को नीले, हरे, सफेद रंग का अधिक प्रयोग करने से बचना चाहिए. 

वृ्श्चिक राशि के व्यक्तियों को किस दिन का उपवास करना चाहिए. | On which day should the Scorpio people fast

वृ्श्चिक राशि के व्यक्ति मंगलवार का व्रत कर सकते है. 

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आश्चिन मास – 12 चन्द्र मास | Ashwin Month -12 Moon Month । Hindu Calendar Paush Month

आश्चिन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से माता के नवरात्रे शुरु होते है. इन नौ दिनों में माता का पूजन और उपवास करने पर भक्तों को विशेष पुन्य की प्राप्ति होती है.  इस माह के शुरु होने के साथ ही पितृ पक्ष भी प्रारम्भ होता है. पितृ्पक्ष अवधि 15 दिनों की होती है. इस अवधि में अपने पूर्वजों और पित्तरों की आत्मा की शान्ति के कार्य किए जाते है. इस अवधि में अन्य सभी शुभ कार्य करने वर्जित होते है. 

आश्चिन मास विशेष पर्व | Ashwin Month Main Festival

यह माह अपना धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार का मह्त्व रखता है. दिवंगत पित्तरों की शान्ति का तर्पण अवधि समाप्त होते है. माता दुर्गा के नौ दिनों की दुर्गा पूजा प्रारम्भ हो जाती है. दशहरा और रामनवमी भी इस माह के मुख्य आकर्षण होते है.  जागरण और माता का पूजन मंदिरों में देखा जा सकता है. 

आश्चिन मास में जन्म लेने वाला व्यक्ति कैसा होता है | What is the Personality of a Person born in Ashwin Month

आश्चिन मास में जन्म लेने वाले व्यक्ति सुन्दर व्यक्तित्व का स्वामी होता है. उसे भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है. काव्य में उसकी विशेष रुचि होती है. पवित्र विचार और शुद्ध भावनाओं से युक्त होता है. धन की उसे जीवन में कोई कमी नहीं होती है. परन्तु वह काम वासना विषयों में आसक्त होता है. (game3rb.com)  

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मिथुन राशि क्या है । Gemini Sign Meaning | Gemini – An Introduction | Who is the Lord of Gemini

मिथुन राशि के व्यक्तियों में बौद्धिक योग्यता सामान्य से अधिक होती है.  सभी व्यक्ति अपनी जन्म राशि की विशेषताओं के अनुरुप व्यवहार करते है. जिन व्यक्तियों की जन्म राशि मिथुन है, वे स्वभाव से विनोदी, और आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी होते है. आईए मिथुन राशि से परिचय करने के साथ साथ मिथुन राशि को समझने का प्रयास करते है.

मिथुन राशि का स्वामी कौन है. । Who is the Lord of  Gemini. 

मिथुन राशि का स्वामी बुध ग्रह है.

मिथुन राशि का चिन्ह क्या है. । What is the Symbol of Gemini Sign .

मिथुन राशि का चिन्ह एक स्त्री और एक पुरुष है. 

मिथुन राशि के लिए शुभ ग्रह कौन से है. । Which planets are considered auspicious for Gemini.

मिथुन राशि के लिए शुभ ग्रह शुक्र है. 

मिथुन राशि के लिए कौन से ग्रह अशुभ फल देते है. । Which Planets are inauspicious for Gemini .

मिथुन राशि के लिए सूर्य, मंगल, गुरु, शनि अशुभ फल देते है. 

मिथुन राशि के लिए सम फल देने वाले कौन से ग्रह है. । Which are Neutral planets for Gemini. 

मिथुन राशि के लिए चन्द्रमा व बुध सम फल देने वाले ग्रह है. 

मिथुन राशि के लिए मारक ग्रह कौन से है. । Which  are the Marak planets for Gemini

मिथुन राशि के लिए मंगल व गुरु मारक ग्रह होते है. 

मिथुन राशि के लिए बाधक स्थान कौन से है.। Which is the Badhak Bhava for Gemini.

मिथुन राशि के लिए सप्तम भाव बाधक स्थान है. 

मिथुन राशि के लिए बाधकाधिपति कौन सा ग्रह होता है. | Jupiter is the planet of Badhakesh  for Gemini..

मिथु राशि के लिए गुरु बाधकेश ग्रह होते है. 

मिथुन राशि के लिए योगकारक ग्रह कौन सा है. | Which planet is YogaKaraka for Gemini

मिथुन राशि के लिए शुक्र व बुध योगकारक ग्रह है. 

मिथुन राशि में कौन सा ग्रह उच्च का होता है. | Which Planet of Gemini, is placed in exalted position  

मिथुन राशि में कोई भी ग्रह उच्च स्थान प्राप्त नहीं करता है. 

मिथुन राशि किस ग्रह की नीच राशि है. | Gemini  is which planet’s Debilitated Sign

मिथुन राशि किसी भी ग्रह की नीच राशि नहीं है.

 

>मिथुन राशि में चन्द्रमा किस अंश पर सबसे शुभ फल देता है. | At which Degree Moon is auspicious for the Gemini  Sign.

मिथुन राशि में चन्द्रमा जब 18 अंश पर होता है, तो सर्वाधिक शुभ फल देता है.

मिथुन राशि में चन्द्रमा कितने अंशो पर शुभ फल नहीं दे पाता है.| At which degree Moon is inauspicious for the Gemini Sign. 

मिथुन राशि में चन्द्रमा 13 अंश और 22 अंश पर होने पर अशुभ फल देता है.

मिथुन राशि के लिए कौन सा इत्र शुभ होता है.| Which fragrance is auspicious for Gemini

मिथुन राशि के लिए खस, वाँर्मवुड इत्र शुभ फल देने वाले ग्रह होते है.

मिथुन राशि के लिए भाग्यशाली संख्या कौन सी है.| Which are the Lucky numbers for Gemini Sign.

मिथुन राशि के लिए 7, 3, 5, 6 अंक शुभ होते है.

 

मिथुन राशि के लिए कौन से दिन शुभ रहते है.। Which are the Lucky days or Gemini Sign

मिथुन राशि के लिए भाग्यशाली दिन सोमवार, वीरवार, शुक्रवार, बुधवार है. | Monday , Wednesday, Thursday, Friday are the Lucky days for Gemini People.  

मिथुन राशि के लिए शुभ रत्न कौन से है.| Which is the lucky stone for Gemini .

मिथुन राशि के लिए टरक्वाइस, पन्ना शुभ रत्न है. 

मिथुन राशि के लिए कौन सा रंग शुभ है. | What are the lucky colours for Gemini.

मिथुन राशि के लिए पीला रंग शुभ है.

मिथुन राशि को किस दिन का उपवास करना चाहिए. | On which day Gemini People should fast .

मिथुन राशि के व्यक्तियों को पूर्णमासी के व्रत नियम का पालन करना चाहिए. 

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कार्नेलियन । रात-रतुवा । रोडोनाइट । Substitute of Red Coral | Carnelian | Rhodonite Stone | Substitute of Moonga | Stone of Love

कार्नेलियन उपरत्न को हिन्दी में “रात-रतुवा” कहा जाता है(Carnelion stone is called Rat-Ratua in Hindi). रात-रतुवा को रोडोनाइट के नाम से भी जाना है. इस उपरत्न को मूँगा रत्न के स्थान पर धारण किया जा सकता है. लाल रंग के कारण यह रत्न बहुत ही लोकप्रिय है. प्राचीन समय में संगमरमर को चमकाने को चमकाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता था.

जिन व्यक्तियों को अत्यधिक क्रोध आता था उनके क्रोध को शांत करने के लिए इस उपरत्न का उपयोग किया जाता था. यह उपरत्न दूधिया सफेद और हल्के पीले रंग में प्राप्त होता है. दूधिया रंग का यह उपरत्न केवल भारत में ही मिलता है. इसके अतिरिक्त यह उपरत्न लाल रंग से लेकर संतरी रंग में मिलता है.

लाल रंग के रत्न में हल्की धारियाँ होती है. यह धारियाँ रोशनी में दिखाई देती हैं.  इस उपरत्न की कुछ किस्मों में धब्बे दिखाई देते हैं. इस उपरत्न को धारण करने से व्यक्ति में ऊर्जा तथा पराक्रम का संचार होता है. इसे चिकित्सा पद्दति के रुप में उपयोग में लाया जाता है. इस उपरत्न को “विश्वास तथा अभियान” का पत्थर माना गया है. इस उपरत्न का मूलतत्व “अग्नि” है. कार्नेलियन उपरत्न शरीर के दूसरे चक्र(Sacral) को प्रभावित करता है और इस चक्र को बली बनाता है.

कार्नेलियन के गुण | Qualities Of Carnelian

यह उपरत्न अपने अनेक गुणों के कारण लोकप्रिय है. इस उपरत्न को धारण करने से व्यक्ति की आवाज सुरीली होती है(Wearing this stone makes the voice melodious). इसलिए यह उपरत्न गायन के क्षेत्र से जुडे़ व्यक्तियों के लिए लाभकारी माना गया है. जो व्यक्ति गायन क्षेत्र से जुडे़ नहीं है, उनके लिए भी यह लाभदायक है क्योंकि इसे धारण करने से व्यक्ति की आवाज में मिठास बढ़ती है. वाणी नम्र होती है.

जिन व्यक्तियों को प्यार में धोखा मिला हो अथवा जो अपने मनचाहे प्यार को पाना चाहता है, उनके लिए यह उपरत्न अत्यधिक लाभकारी है. हर प्रकार के तनाव से जातक को मुक्त रखता है. धारणकर्त्ता का अंदरुनी विकास करता है, उसका आत्मबल बढा़ता है. यह उपरत्न व्यक्ति विशेष में दृढ़ इच्छाशक्ति का विकास करता है.

जातक को अत्यधिक क्रोध से बचाता है(Carnelion reduces anger). जातक के भावनात्मक विकास के साथ जातक को हर स्थिति में संयम रखना भी सिखाता है. यह बुरे विचारों तथा बुरी नजर से रक्षा करता है. जातक को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने में मदद करता है. व्यक्ति को उसके लक्ष्यों को पाने में सहायता करता है. साथ ही व्यक्ति को कर्त्तव्यों तथा उत्तरदायित्वों के प्रति जागरुक रखता है. निर्णय क्षमता का विकास करता है. कर्मक्षेत्र में मददगार साबित होता है.

जो व्यक्ति कला से जुडे़ हैं, उनके ऊपर उठने में सहायक होता है. जातक के हर प्रकार के दु:ख दर्द को दूर करता है. जातक की सहनशक्ति में वृद्धि करता है. जो व्यक्ति दूसरों के मन-मस्तिष्क को अपनी मंत्र शक्ति से पढ़ लेते हैं, उनसे यह उपरत्न बचाव करता है.

कार्नेलियन के चिकित्सीय गुण | Healing Ability Of Carnelian

इस उपरत्न में चिकित्सीय गुणों की भरमार है. जो व्यक्ति बार-बार बुखार से पीड़ित रहते हैं उन्हें इसके धारण करने से लाभ मिलता है(Carnelion relieves the person from fever). जिन व्यक्तियों के शारीरिक घाव देर से भरते हों उन्हें इस उपरत्न को धारण करना चाहिए. इसे धारण करने से शरीर के घाव जल्दी भरते हैं और शरीर से खून कम बहता है. रक्त संबंधी अन्य विकारों में यह उपरत्न सहायक होता है. यह जातक के अंदर शारीरिक शक्ति का भी पूर्ण रुप से विकास करता है.

जिन व्यक्तियों में प्रजनन क्षमता की कमी है, उन्हें कार्नेलियन उपरत्न को धारण करने से लाभ की प्राप्ति हो सकती है, व्यक्ति की नपुंसकता में कमी करता है और शारीरिक संबंधों को सुचारु रुप से चलाने में सहायता करता है. यौन शक्ति का विकास करता है. यह उपरत्न भूख ना लगने की बीमारी को कम करता है. यह एलर्जी से बचाव करता है. जीवन में लिए जाने वाले महत्वपूरर्ण निर्णयों को लेने तथा महत्वपूर्ण निर्णय देने के लिए यह उपरत्न जातक को प्रेरित करता है.

कौन धारण करे | Who Should Wear | Should I Wear Carnelian Sub-Gemstone

जिन व्यक्तियों की कुण्डली में मंगल ग्रह शुभ भावों का स्वामी होकर अशुभ भावों से संबंध बना रहा है, उन्हें कार्नेलियन उपरत्न धारण करना चाहिए.

कौन धारण नहीं करे | Who Should Not Wear Carnelian

नीलम, पन्ना, हीरा रत्न अथवा इन रत्नों के उपरत्न धारण करने वाले व्यक्तियों को कार्नेलियन उपरत्न धारण नहीं करना चाहिए.

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9th भाव-भाग्य भाव क्या है | Bhagya Bhava Meaning | Navam House in Horoscope | 9th House in Indian Astrology

नवम भाव धर्म का भाव है.  इस भाव से सौभाग्य देखा जाता है. इसके अतिरिक्त नवम भाव पिता, पुत्र का भाव भी है. व्यक्ति की धार्मिक आस्था इसी भाव से देखी जाती है. किसी भी व्यक्ति का ईष्टदेव कौन सा होना चाहिए, इसकी व्याख्या नवम भाव ही करता है. नवम भाव व्यक्ति के देवी-देवताओं का भाव है. 

यह भाव विदेशी यात्राओं, विदेशों में प्रसिद्धि, उच्च बौद्धिक ज्ञान, आक्स्मिक समृ्द्धि, पिता से विरासत में धन-सम्पति, नैतिक सिद्धान्त, सदगुण, दान, समृ्द्ध, भलाई, भाग्य, पति का सौभाग्य,  एक स्त्री की कुण्डली में सन्तान, विश्वास, कानूनी, परोपकारी और धार्मिक व्यवसाय, उपदेशक, अध्यापक, आत्मत्याग, तीर्थयात्रायें, शोध, अविष्कार, खोज, अन्वेषण, विधि अनुसार, ध्यान साधना, आत्मज्ञान, दूरदृ्ष्टि, नैतिक गुण आदि का भाव है. 

नवम भाव का कारक ग्रह कौन सा है. । What are the Karaka things of 9th Bhava 

नवम भाव का कारक ग्रह सूर्य है. नवम भाव से सूर्य पिता के कारकतत्व प्रकट करता है. गुरु भी इस भाव का कारक ग्रह है. नवम भाव से गुरु व्यक्ति कि धार्मिक आस्था को प्रकट करता है. 

नवम भाव से स्थूल रुप में क्या देखा जाता है. । What does the House of Bhagya Bhava Explain    

नवम भाव से स्थूल रुप में पिता और पिता से सम्बन्धित विषयों का विश्लेषण किया जाता है. 

नवम भाव से सूक्ष्म रुप में किस विषय का विचार किया जाता है. | What does the House of Bhagya Bhava accurately explains

नवम भाव व्यक्ति का सौभाग्य प्रकट करता है. 

नवम भाव से शरीर के कौन से अंगों का निरिक्षण किया जाता है. | 9th House is the Karak House of which body parts.  

नवम भाव से उदर का बायां भाग, बायां गाल, बायां घुटना, जाघें, जंघा संम्बन्धित रक्त वाहिनियां, द्रेष्कोणों के अनुसार- बायां गाल, उदर का बायां भाग और कान का बाहरी भाग, बायां बाधकस्थान.  

नवम भाव क्या है. | What is the 9th Bhava 

नवम भाव धर्मस्थान भाव है, यह पितृभाव, तपस्थान, स्थिर राशियों के लिए बाधकस्थान है. 

नवमेश व अन्य भावेश परिवर्तन योग में किस प्रकार के फल देते है. | 9th Lord Privartan Yoga Results  

नवमेश और दशमेश परिवर्तन योग में होने पर एक उत्तम श्रेणी का राजयोग बनता है. यह योग व्यक्ति को यश-कीर्ति देता है. उसकी धन-सम्पति में बढोतरी होती है. व्यक्ति सभी प्रकार की सुख -समृ्द्धि प्राप्त करने में सफल रहता है. यह योग व्यक्ति की आर्थिक स्थिति भी सुदृ्ढ करता है. और उसे सफलता दिलाने में सहयोगी रहता है.  

नवमेश व एकादशेश परिवर्तन योग बनाते है, तो यह एक श्रेष्ठ धनयोग बनता है. ऎसा व्यक्ति अच्छे कुल से सम्बन्ध रखता है. वह सम्मानित व्यक्ति होता है. आध्यात्मिक क्षेत्र में उसे सफलता मिलती है. 

जब नवमेश और द्वादशेश परिवर्तन योग बना रहे हो, तो व्यक्ति को विदेश में व्यापारिक कार्यो में सफलता मिलती है. व्यक्ति लम्बी और लाभदायक यात्रायें करता है. व्यक्ति विदेश में स्थायी निवास करता है. और आध्यात्मिक प्रवृति का होता है. ऎसा व्यक्ति अत्यधिक धार्मिक आस्था का होता है.  

जिस व्यक्ति की कुण्डली में पांचवें भाव से सूर्य दृ्ष्टि संबन्ध बना रहा हों, तो व्यक्ति भगवान शिव का भक्त हो सकता है. यदि सूर्य नवें भाव में एक मित्र की राशि में हो तो व्यक्ति धार्मिक कार्य करने और तीर्थयात्राओं पर जाने की और प्रवृ्त होता है. 

जब कुण्डली में बुध, गुरु और दशमेश बली होता है, तो व्यक्ति अच्छे कार्य करता है. उसे धार्मिक पुस्तकों में रुचि होती है. 

जिस व्यक्ति की कुण्डली में पांचवें भाव में मंगल बैठा हों, उस व्यक्ति को भगवान कार्तिकेय और भैरव की उपासना करनी चाहिए. 

अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में नवम भाव में बुध स्थित हों, तो व्यक्ति भगवान का सफल भक्त होता है.  

नवम भाव में शुक्र होने पर व्यक्ति अपने गुरु को प्राप्त करने में सफल होता है.  

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वृषभ राशि क्या है. | Taurus Sign Meaning | Taurus – An Introduction | Who is the Lord of the Taurus sign

राशिचक्र 12 राशियों से मिलकर बना है, इस चक्र में 360 अंश होते है. तथा 360 अंशों को 12 भागों में बराबर बांटने पर 12 राशियों का निर्माण होता है. सभी व्यक्तियों का जीवन 12 राशियों, 9 ग्रह और 27 नक्षत्रों से प्रभावित रहता है. 12 राशियों से परिचय करने की श्रेणी में आईये हम वृषभ राशि को जानने का प्रयास करते है. 

वृषभ राशि का स्वामी कौन है. | Who is the Lord of the Taurus sign

वृषभ राशि का स्वामी शुक्र है. 

वृषभ राशि का चिन्ह क्या है.| What is the Symbol of the Taurus Sign .

वृषभ राशि का चिन्ह बैल है.

वृषभ राशि के लिए कौन से ग्रह शुभ रहते है. | Which planets are considered auspicious for the Taurus sign

वृषभ राशि के लिए सूर्य और शनि शुभ ग्रह है. 

वृषभ राशि के लिए अशुभ ग्रह कौन से है. | Which Planets are inauspicious for the Taurus sign  

वृषभ राशि के लिए चन्द्रमा, मंगल, गुरु अशुभ ग्रह होते है. 

वृ्षभ राशि के लिए सम फल देने वाले ग्रह कौन से है.| Which are Neutral planets for the Taurus sign

वृषभ राशि के व्यक्तियों के लिए बुध सम फल देने वाले ग्रह है.

वृषभ राशि के लिए मारक ग्रह कौन से है. | Which  are the Marak planets for the Taurus sign 

वृषभ राशि के लिए गुरु, शुक्र, चन्द्र व मंगल मारक ग्रह होते है.

वृ्षभ राशि के लिए बाधक स्थान कौन सा है. | Which is the Badhak Bhava for the Taurus sign  

वृ्षभ राशि के लिए नवम भाव बाधक स्थान होता है.

वृ्षभ राशि के लिए बाधकेश कौन सा ग्रह होता है. | Which planet is Badhkesh for the Taurus sign

वृ्षभ राशि के लिए शनि बाधक भाव के स्वामी है. 

वृ्षभ राशि के लिए योगकारक ग्रह कौन सा है. | Which planet is YogaKaraka for the Taurus sign

वृ्षभ राशि के लिए शनि योगकारक ग्रह है. 

वृ्षभ राशि में कौन सा ग्रह उच्च राशि प्राप्त करता है.| Which Planet of the Taurus sign, is placed in exalted position 

वृ्षभ राशि में चन्द्र वृ्षभ राशि में उच्च के होते है. 

वृ्षभ राशि के व्यक्तियों के लिए कौन सा इत्र शुभ रहता है.| Which fragrance is auspicious for the Taurus sign

शिलारस वृ्षभ राशि के लिए भाग्यशाली इत्र होता है. 

वृ्षभ राशि की भाग्यशाली संख्या कौन सी है.| Which are the Lucky numbers for the Taurus sign 

वृ्षभ राशि के लिए 2, 8, 7, 9 संख्या भाग्यशाली संख्या है. 

वृ्षभ राशि के लिए कौन से दिन भाग्यशाली रहते है. | Which are the lucky days for the Taurus people  

वृ्षभ राशि के लिए शुक्रवार, बुधवार, शनिवार, सोमवार का दिन शुभ रहता है. 

वृ्षभ राशि के लिए भाग्यशाली रत्न कौन सा है. | Which is the lucky stone for the Taurus people  

वृ्षभ राशि के लिए हीरा, नीलम, पन्ना शुभ रत्न है. 

वृ्षभ राशि के लिए कौन सा रंग शुभ रहता है. । What are the lucky colours for the Taurus sign  

वृ्षभ राशि के लिए गुलाबी, हरा, नीला, सफेद शुभ रहता है. व वृ्षभ राशि वालों को लाल रंग का त्याग करना चाहिए. 

वृ्षभ राशि के व्यक्तियों को किस दिन का उपवास रखना चाहिए. । On which day should the Taurus people fast  

वृ्षभ राशि के व्यक्तियों को शुक्रवार के व्रत करना शुभ रहता है. 

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सोमवार के दिन क्या कार्य करना शुभ है? | Auspiciousness of Monday in Daily Life

वर्तमान समय में दैनिक जीवन के सभी कार्यों को शुभ मुहूर्त निकाल कर करना संभव नहीं है. अगर कोई व्यक्ति ऎसा प्रयास करता भी है तो मुहूर्त समय की शुद्धि में कमी रहेगी. या फिर व्यक्ति के कार्य विल्मबित होते रहेगें. ऎसे में ज्योतिष व्यक्ति के जीवन का सहयोगी न होकर, उसके लिये बाधक हो जायेगा. परन्तु फिर भी जहां तक संभव हो, व्यक्ति को कार्यो में अधिक से अधिक शुद्धि का ध्यान रख कर अपने कार्यो के लिये मुहुर्त समय का निर्धारण करना चाहिए. 

कई बार कार्य से जुडे मुहूर्त समय की जानकारी के अभाव में  अशुभ समय में कार्य आरम्भ कर लिया जाता है. जिसके लिये व्यक्ति को बाद में अफसोस होता है. 

सोमवार के दिन यात्रा करने के लिये शुभ दिशाएं | Favorable Directions for Traveling on Monday

सोमवार के दिन पश्चिम दिशा की यात्राएं करना शुभ रहता है. इसके अतिरिक्त दक्षिण दिशा व उतर- पश्चिम दिशा के कार्य भी इस दिन पूरे किये जा सकते है. उतर- पश्चिम दिशा को वायव्य दिशा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन इसके अतिरिक्त अन्य दिशाओं की यात्राएं करने से व्यक्ति को संबन्धित कार्य सिद्धि में बाधाएं आती है. कई बार कार्य पूरा भी नहीं हो पाता है. यात्रा से संबन्धित लक्ष्य की प्राप्ति तथा यात्रा की अवधि में किसी प्रकार की अशुभ घटना से बचने के लिये जहां तक हो सके सोमवार के दिन बताइ गई दिशाओं में ही यात्राएं करनी चाहिए. 

यात्रा में त्याज्य शूल ( दिशाशूल) | prohibited Directions For Traveling on Monday

सोमवार के दिन जिन दिशाओं में यात्रा करने से बचना चाहिए. उनमें पूर्व, उतर, आग्नेय ( दक्षिण- पूर्व) दिशाएं. सोमवार के दिन इन दिशाओं में यात्रा नहीं करनी चाहिए. यात्रा के विषय में यह मान्यता है कि दिशाशूल समय में जो व्यक्ति यात्रा करता है उसे, यात्रा में स्वास्थ्य संबन्धी कमी का भय रहता है. तथा इसके अतिरिक्त यात्रा में शत्रु से भी कष्ट प्राप्त होने की संभावना रहती है. इस दिन यात्रा करने से यात्रा के सुख- आनन्द की कमी होती है. तथा श्रम व धन का भी अपव्यय होने की संभावनाएं बनती है. 

सोमवार के दिन विधा आरम्भ के विषय | Commencement of Education on Monday

सोमवार के दिन लेखन कार्य आरम्भ किया जा सकता है. शास्त्रों का लेखन कार्य शुरु करने के लिये इस दिन का प्रयोग किया जा सकता है. मेडिकल क्षेत्रों में भी इस दिन प्रवेश लिया जा सकता है. इसके अतिरिक्त शिक्षा आरम्भ करने के लिये भी सोमवार के दिन का मुहूर्त लिया जा सकता है. सोमवार के दिन अन्य किये जाने वाले कार्यो में सौदर्य प्रसाधन विषय को सिखने का कार्य भी इस दिन शुरु करना शुभ रहता है. इसके अतिरिक्त सोमवार के दिन औषधि निर्माण की शिक्षा व योजना संबन्धिंत शिक्षा आरम्भ करने के लिये यह दिन अनुकुल रहता है.  

सोमवार के दिन व्यापार संबन्धी कार्य | Professional Tasks on Monday

इन दिन किये जाने वाले व्यापारिक कार्यो की श्रंखला में कृ्षि कार्य लाभ प्राप्त कर सकता है. गाय, भैंस आदि के क्रय- विक्रय के लिये भी यह दिन शुभ रहता है. वर्तमान समय में गाय, भैंस आदि का व्यापार शाहरों में करना संभन नहीं है. इसलिये शहरों में इसे गाय, भैंस के स्थान पर वाहनों के क्रय – विक्रय से समझना चाहिए. इसके अलावा दुध तथा दुध से बने उत्पादों का व्यापारिक कार्य आरम्भ करने के लिये भी सोमवार का दिन शुभ रहता है. इसलिये इस दिन डेयरी कार्य आरम्भ किया जा सकता है.  

सोमवार का दिन क्योकि मेडिकल कार्यो के अनुकुल होता है. इसलिये इस दिन औषधि की दुकान या व्यापार कार्य शुरु किया जा सकता है. इसके अलावा सोडा आदि तरल पदार्थों के क्रय-विक्रय व्यापार कार्य आरम्भ किया जा सकता है. सोमवार के दिन शंख तथा जल से प्राप्त वस्तुओं का व्यापारिक कार्य शुरु करना मुहूर्त के अनुसार शुभ रहता है. 

इसके अतिरिक्त सौंदर्य प्रंसाधन, सुगन्धित वस्तुओं (इत्र आदि) के लिये भी यह दिन शुभ रहता है. इसके अलावा वस्तुओं का क्रय – विक्रय के कार्य आरम्भ करने के लिये सोमवार का दिन उतम रहता है. व्यापार संबन्धी विदेश में कोई पत्राचार कार्य करने के लिये सोमवार का दिन का चयन करना चाहिए. 

 ऊपर बताये गये कार्यो का मुहूर्त समय विशेष रुप से तभी लेना चाहिए. जब कोई अन्य शुभ मुहूर्त न हों, तथा व्यक्ति के पास समय की कमी हों. अगर संभव हो तो वार के अतिरिक्त मुहूर्त समय में अन्य शुद्धियों का भी ध्यान रखना चाहिए. 

सोमवार के दिन किये जाने वाले अन्य शुभ / अशुभ मुहूर्त | Other Auspicious and Inauspicious Tasks on Monday

सोमवार के दिन नये वस्त्र धारण करना मध्यम स्तर का शुभ रहता है. नये आभूषण पहनने के लिये सोमवार का दिन शुभ रहता है. इसलिये इस दिन पहली बार आभूषण धारण करने से गहनों में वृ्द्धि होने की संभावनाएं रहती है. इसके अतिरिक्त तेल लगाने के लिये यह दिन शुभ रहता है. हजामत कार्य के लिये भी यह दिन अनुकुल रहता है. नये जूते पहनने हों, तो इस दिन का प्रयोग किया जा सकता है. इसके अलावा मुकद्धमा दाखिल करने के लिये यह दिन शुभ नहीं रहता है. इसलिये कोर्ट कचहारी के लिये इस दिन का चयन नहीं करना चाहिए.  

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