ताजिक शास्त्र में लग्न का आपकी कुंडली पर असर

वर्ष कुंडली को हर वर्ष के लिए देखा जाता है. वर्षफल कुंडली में प्रत्येक वर्ष का भविष्यफल देखा जाता है. वर्ष फल कुंडली को ताजिक शास्त्र में उपयोग किया जाता है. वर्ष कुंडली अनुसार इस समय पर भविष्यफल कथन करने से काफी सटीक भविष्यवाणी करता है. किसी व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को निर्धारित करने के लिए वर्षा कुंडली या वार्षिक राशिफल को देख कर स्थिति का विश्लेषण किया जाता है. इस प्रकार की कुंडली का ज्योतिष के क्षेत्र में काफी महत्व रहा है. वर्ष कुंडली को देखने ओर उसके अध्ययन के दौरान जन्म कुंडली की दशा और योगों के निर्माण को ध्यान में रखा जाता है. 

वर्ष कुंडली के द्वारा सूक्षम विचार से फलकथन करना काफी अच्छे परिणाम दिखाता है. वर्ष की कुंडली में जिस लग्न का निर्माण होता है उसी के द्वारा आगे की बातों को देखा जाता है. भाव का विश्लेषण करके हम उस साल मिलने वाले फलों को देख पाते हैं. इन भविष्यवाणियों में कार्यक्षेत्र, संबंध, रोग, धन लाभ एवं जीवन में होने वाले बदलावों को समझ पाना आसान होता है. वर्ष की शुरुआत में लग्न बनने वाला भाव उस विशिष्ट अवधि के दौरान व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाने के लिए विशेष रुप से जिम्मेदार होता है.

पहला भाव 

यदि किसी व्यक्ति का लग्न किसी विशेष वर्ष में वर्ष कुंडली का लग्न हो जाता है तो उसे “द्विवर्ष लग्न” कहा जाता है, कुछ लोग इसे “पुनर्जन्म वर्ष कुंडली” के रूप में भी परिभाषित किया जाता है.  इस लग्न को व्यक्ति के लिए ज्यादा शुभ नहीं माना जाता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से यह वर्ष कुछ कमजोर स्थिति को दिखा सकता है. व्यक्ति को अपने जीवन के कई पहलूओं में बहुत उतार-चढ़ाव से गुजर सकता है. करियर और व्यवसाय क्षेत्र में बाधाओं और अटकाव की स्थिति परेशान कर सकती है. 

इस समय पर व्यक्ति अधिक परेशानी का अनुभव कर सकता है. इस समय पर व्यक्ति को कुछ चीजौं पर ध्यान रखते हुए आगे बढ़ना आवश्यक होता है. इस वर्ष कोई नया कार्य प्रारंभ नहीं करना चाहिए. जो लोग सेवा काम में लगे होते हैं उन्हें नौकरी बदलने के बारे में सोचने से बचना चाहिए. व्यवसाय में कई बदलाव आप कर सकते हैं. व्यक्ति लगातार बाधाओं के कारण काफी मानसिक तनाव से गुजर सकता है. इस समय के दौरान धैर्य एवं शांति के साथ आगे बढ़ना ही उपयुक्त होता है.

दूसरा भाव 

वर्ष कुंडली में लग्न के रूप में अगर जन्म कुंडली का दूसर अभाव उदय होता है तो यह मिलेजुले फलों को दर्शाता है. द्वितीय भाव में अच्छे और बुरे दोनों ही प्रकार के असर देखने पड़ते हैं.  व्यक्ति संपत्ति से कुछ लाभ प्राप्त कर सकता है या आय के नए स्रोत से वित्तीय लाभ प्राप्त कर सकते हैं. धन और वित्त के मामले में यह एक अनुकूल वर्ष बना हुआ है. दुर्घटनाओं और अप्रत्याशित घटनाओं की बड़ी संभावनाओं का समय होता है. इस समय के दौरान परिवार और धन को लेकर अधिक परिणाम प्रभावित करते हैं. नए सदस्यों का आगमन हो सकता है. कुछ सामान्य स्वास्थ्य बीमारियों और कुछ मानसिक चिंताओं से भी प्रभावित होना पड़ सकता है.

तीसरा भाव 

जिस वर्ष तृतीय भाव वर्ष कुंडली का लग्न होता है. इस समय के दौरान व्यक्ति का परिश्रम अधिक रहता है. परिश्रम के द्वारा ही काम की प्राप्ति होती है. इस वर्ष कुंडली के दौरान व्यक्ति को चीजों के लिए अधिक भागदौड़ करनी पड़ सकती है. काम में व्यक्ति को शक्ति का अनुभव होता है वृद्धि का अनुभव मिलता है. भाई बंधुओं के साथ रिश्ते प्रभावित होंगे. अपनों को प्रसिद्धि और धन की प्राप्ति होती है. व्यक्ति स्वयं भी ऐसे कार्य करता है जिससे समाज में उसकी स्थिति मजबूती को पाती है. इस समय पर जन संपर्क भी बढ़ता है. मान सम्मान प्राप्ति भी इस समय पर होती है. 

चौथा भाव 

जन्म कुण्डली के चतुर्थ भाव का वर्ष कुण्डली में लग्न रुप से उदित होना अनुकूल माना गया है. इस समय पर व्यक्ति को जीवन में सुख की प्राप्ति होती है. इस समय पर कुछ नया वाहन या अन्य प्रकार के सामान खरीद सकते हैं. भौतिक सुविधाओं की खरीदारी अधिक कर सकते हैं. इस समय धन खर्च भी बना रह सकता है. आराम और खुशी बनी रह सकती है. इस समय के दौन आमदनी का ज्यादातर हिस्सा घर की साज-सज्जा पर खर्च हो जाता है. धन प्रसिद्धि, मान्यता और सम्मान के मामले में यह समय अनुकूल रहता है.

पंचम भाव

कुंडली का पंचम भाव वर्ष फल कुंडली के लिए अनुकूल कहा जाता है. जन्म कुंडली का पंचम भाव जब वर्ष कुंडली का लग्न बनता है उस वर्ष व्यक्ति को काफी  बेहतर परिणाम मिल सकते हैं. व्यक्ति जीवन के हर पहलू में सुखद परिणाम प्राप्त कर सकता है. इस समय पर प्रेम संबंधों, शिक्षा एवं संतान से जुड़े मसले मुख्य होते हैं. अपने जीवन में शिक्षा एवं संबंधों के मामले में बेहतर लाभ प्राप्त कर सकते हैं. कार्य अच्छे स्तर की सफलता के साथ पूरे होते हैं. परीक्षा में सफलता मिलती है. इस समय के दौरान काम में किए गए प्रयासों के अनुसार ही सफलता भी मिलती है. 

छठा भाव 

जन्म कुंडली का छठा भाव अगर वर्षफल कुंडली के लग्न के रूप में आता है तो समय मिश्रित रहता है. इस समय के दौरान चिंताएं अधिक बनी रह सकती हैं. कानूनी मामलों में ये समय तनाव दे सकता है. इस अवधि में व्यक्ति को काफी शत्रुता का सामना करना पड़ सकता है. काम पर बहुत प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है. व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और काम में बाधाओं का भी सामना करना पड़ सकता है. धन की हानि, शत्रुओं से परेशानी, घर में विवाद जैसी दिक्कतें अधिक बनी रह सकती हैं. 

सातवां भाव 

जन्म कुण्डली का सप्तम भाव जब वर्ष कुण्डली का लग्न बनता है तब यह स्थिति जीवन के संबंधों को अधिक प्रभावित करने वाली होती है. इस समय पर विवाह, संतान, साझेदारी के काम आदि मसलों पर शुभ कार्य सिद्ध होते हैं. जो लोग अविवाहित हैं उनके इस साल विवाह बंधन में बंधने की प्रबल संभावना भी दिखाई दे सकती है. व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है और वह अपने काम के लिए सम्मान  प्राप्त करता है.

आठवां भाव 

जन्म कुंडली का अष्टम भाव वर्ष कुण्डली में लग्न होने पर व्यक्ति को एक वर्ष में बहुत सारी समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है. उसके जीवन में कई अप्रत्याशित घटनाएं घट सकती हैं. स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ सकती हैं. व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में काफी असफलताओं का सामना करना पड़ता है. इस वर्ष मान-सम्मान में कमी के भी संकेत मिल सकते हैं.

नौवां भाव 

जिस वर्ष जन्म कुंडली का नवम भाव वर्ष कुंडली का लग्न बनता है, तो इसे “भाग्योदय वर्ष” यानि भाग्य का वर्ष भी कहा जाता है. व्यक्ति को व्यापार और कार्यक्षेत्र में अपार सफलता मिलती है. वह विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत करता है. उसके द्वारा किए गए सभी कार्य सफलतापूर्वक पूरे होते हैं. व्यक्ति विभिन्न आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधियों में भाग लेता है.

दसवां भाव 

जब जन्म कुंडली का दशम भाव वर्ष कुंडली का लग्न हो जाता है, तो वर्ष को सफलता का वर्ष कहा जाता है. इस वर्ष के दौरान व्यक्ति को सरकारी सेवाओं में भाग लेने का अवसर मिलता है. यदि व्यक्ति सरकारी सेवाओं के लिए कार्य करने में सक्षम नहीं है तो उसे अपने वर्तमान कार्यस्थल पर ही सफलता, प्रसिद्धि और मान्यता प्राप्त होती है.

ग्यारहवां भाव 

जन्म कुण्डली का एकादश भाव जब वर्ष कुण्डली का लग्न हो जाता है तो इस वर्ष व्यवसायी व्यक्तिों को अपने कार्यक्षेत्र में अपार सफलता प्राप्त होती है. नौकरी के अवसर मिलते हैं. इस साल की शुरुआत के साथ व्यक्ति की ज्यादातर चिंताएं दूर हो जाती हैं. सभी प्रकार के ऋण समाप्त होने के अच्छे मौके बनते हैं.

बारहवां भाव 

जन्म कुण्डली का बारहवाँ भाव जब वर्ष कुण्डली का लग्न हो जाता है तो व्यक्ति को बहुत अधिक खर्चों का सामना करना पड़ता है. उसकी इच्छाएं बढ़ जाती हैं, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स भी उत्पन्न हो सकते हैं.  कर्ज लेने या दूसरे से पैसे उधार लेने की जरूरत महसूस होती है. मानसिक और आर्थिक तनाव का सामना करना पड़ता है.

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कुंडली अस्त ग्रह कैसे और कब देता है अपना प्रभाव

ज्योतिष में ग्रहों की अस्त स्थिति काफी महत्वपूर्ण रह सकती है. सूर्य का प्रभाव ही ग्रहों को अस्त करने के लिए महत्वपूर्ण कारक बनता है. सूर्य के समीप आकर सभी ग्रहों का असर कमजोर हो जाता है. सुर्य के कारण ही ग्रह अस्त होते हैं ज्योतिष में ग्रहों की डिग्री जब एक निश्चित बिंदु पर आकर सूर्य की के समीप आती है तो ग्रहों के अस्त होने की स्थिति आरंभ होने लगती है. ग्रहों में सूर्य का ही प्रकाश सबसे अधिक तीव्र है इस कारन से सूर्य के समीप जाकर सभी ग्रह इसके समीप जाते ही अस्त होने लगते हैं. 

ग्रह कितनी डिग्री पर अस्त होते हैं 

सूर्य से अस्त होने वाले ग्रहों की डिग्री का अंतर अलग अलग होता है हर ग्रह अपनी अपनी निश्चित समय सीमा पर आकर अस्त हो जाता है. सूर्य से अस्त होने वाले सभी ग्रहों की डिग्री इस प्रकार रहती है. 

चंद्रमा जब सूर्य के समी आने लगता है और जब सूर्य देव की डिग्री अर्थात अंशों से 12 डिग्री या इससे ज्यादा समीप आ जाता है तो चंद्र अस्त होने की स्थिति में चला जाता है. 

मंगल ग्रह की स्थित जब सूर्य की डिग्री से 17 डिग्री या उससे अधिक करीब आने लगता है तो यह स्थिति सूर्य से मंगल की स्थिति अस्त होने लगती है. 

बुध ग्रह की स्थिति जब सूर्य से 13 डिग्री या उससे अधिक करीब आने लगता है तो यह स्थिति सूर्य से बुध की स्थिति अस्त होने लगती है. कुछ ज्योतिष आचार्यों अनुसार यह स्थिति 14 डिग्री का अंतर में होने पर भी बुध को अस्त होने की स्थिति का निर्धारण करती है. बुध के वक्रत्व होने पर यह सीमा 12 डिग्री के करीब के अंतर के चलते अस्त होने का समय दर्शाती है. 

बृहस्पति ग्रह की स्थित जब सूर्य की डिग्री से 11 डिग्री या उससे अधिक करीब आने लगता है तो यह स्थिति सूर्य से बृहस्पति की स्थिति अस्त होने लगती है. 

शुक्र ग्रह की स्थित जब सूर्य की डिग्री से 10 डिग्री या उससे अधिक करीब आने लगता है तो यह स्थिति सूर्य से शुक्र की स्थिति अस्त होने लगती है. शुक्र ग्रह के वक्री होने पर इस डिग्री में अंतर देखने को मिलता है तब शुक्र 8 या उससे कम डिग्री पर आकर सूर्य से अस्त होने लगता है. 

शनि की स्थिति जब सूर्य की डिग्री से 15 डिग्री के अधिक समीप पहुंच जाती है तब शनि अस्त होने की स्थिति हो जाता है.

राहु और केतु छाया ग्रह माने गए हैं, इसलिए वे कभी भी अस्त की स्थिति में प्रवेश नहीं करते हैं. बल्कि सूर्य का इनके समीप होना ग्रहण की स्थिति को उत्पन्न करने वाला होता है.

कुंडली में ग्रह के अस्त होने का फल कैसे मिलता है ? 

कुंडली का विश्लेषण करते समय किसी ग्रह के उच्च, नीच, वक्री या अस्त होने की स्थिति का मूल्यांकन किया जाना जरूरी होता है. इन बातों पर ध्यान देकर ही ग्रह के फल को समझ पाना संभव होता है. साथ ही कुंडली को सही रुप से परिभाषित किया जा सकता है.

जब कोई ग्रह अस्त होता है तो उसका प्रभाव और महत्व कम हो जाता है और वह सूर्य की स्थिति के अनुसार फल देने लगता है. ग्रह जीवन के किसी विशेष गुण या पहलू का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए जब वह अस्त होता तो उसे मजबूत करने की भी आवश्यकता पड़ सकती है. 

कोई ग्रह कब होता है अस्त ? 

इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक ग्रह जो अस्त हो जाता है, वह अपनी कुछ शक्ति खो देता है, कुंडली में ग्रह का बल कितना कम हुआ है यह एक कुंडली में कई कारकों पर निर्भर करता है, और यह केवल सिर्फ अस्त होना के आधार पर तय नहीं होता है. लेकिन इसके बावजूद अस्त का असर ग्रह को प्रभावित जरूर करता है. ग्रह जब सूर्य के करीब यात्रा करता है तोकोई ग्रह सूर्य के जितना करीब जाता है, उतना ही अधिक अस्त होता जाता है.

अस्त ग्रह का शुभ प्रभाव 

जब कुंडली में कोई शुभ ग्रह अगर सूर्य की शुभ स्थिति के चलते अस्त हो जाता है, तो एक ही समय में दो कार्य होंगे पहला ग्रह का अस्त होना और दूसरा शुभ प्रभाव से अस्त होना. जिसके द्वारा दो शुभ ग्रह एक ही घर में होकर एक-दूसरे को बल प्रदान करेंगे और कई तरह से एक-दूसरे के पूरक भी बन सकते हैं. इसलिए इस ग्रह का अस्त होना इस मामले में अधिक परेशानी नहीं देगा. 

अस्त ग्रह का अशुभ प्रभाव 

कुंडली में जब कोई शुभ ग्रह अशुभ सूर्य द्वारा अस्त हो जाता है, तो परेशानी बढ़ सकती है क्योंकि इस मामले में शुभ ग्रह का अस्त होना और अशुभ सूर्य का प्रभाव अधिक होना सकारात्मक ग्रह को प्रभावित करता है. सूर्य ऐसे में नकारात्मक फल देने वाला होगा. 

एक कुंडली में मिथुन राशि में सूर्य और बुध की युति से बुध का अस्त होने का प्रभाव देखने को मिल सकता है, और कुंडली में सूर्य और बुध दोनों के शुभ होने के कारण बुध आदित्य योग भी बन सकता है. वहीं दूसरी ओर एक अलग कुंडली में, सूर्य और बुध के समान योग से पितृ दोष का निर्माण भी हो सकता है, क्योंकि इस मामले में अगर बुध पाप प्रभाव वाला हो बुध सूर्य को पीड़ित कर सकता है. मिथुन राशि में स्थित सूर्य और बुध का एक साथ होना एक ओर संभावन अको दिखा सकता है अगर यहां सूर्य ही खराब स्थिति में हो तब खराब सुर्य का प्रभाव शुभ बुध की प्रबलता को कमजोर करके खराब फलों को दे सकता है. ऎसे में किसी ग्रह के अस्त होने की स्थिति को अनेक प्रकार से देख कर ही उसकी उचित रुप से व्याख्या की जा सकती है और उसके फलों को समझा जा सकता है. 

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बालारिष्ट योग और संतान पर उसका प्रभाव

ज्योतिष में कई तरह के शुभ एवं अशुभ योगों का वर्णन प्राप्त होता है. इन योगों के प्रभाव स्वरुप किसी व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के फलों की प्राप्ति होती है. एक विशेष योग बालारिष्ट भी ज्योतिष शास्त्र में अत्यंत महत्वपूर्ण योग रहा है. इस योग का प्रभाव विशेष रुप से बच्चे की कुंडली को देखते समय ध्यान में रखा जाता है.

बालारिष्ट जो संतान के स्वास्थ्य एवं उनके जीवन पर पड़ने वाले फलों को दिखाता है. यह योग पूर्वजन्म के कर्मों का प्रभाव भी दर्शाता है. इस योग के फलस्वरुप किसी बच्चे को कैसे अनुभव प्राप्त होंगे उसकी आयु पर ग्रहों का प्रभाव किस प्रकार का होगा. उसका स्वास्थ्य कैसे प्रभावित हो सकता है इन सभी बातों को जानने एवं समझने के लिए बच्चे की कुंडली में विशेष रुप से इस योग को देखते हैं. 

जन्म समय संतान की कुंडली 

संतान जन्म एवं संतान के भाग्य की स्थिति कई योगों पर निर्भर करती है. किसी बच्चे की कुंडली में माता-पिता का सुख शुभदायक होता है तो कइसी बच्चे को जन्म समय ही माता-पिता से दूरी का दंश झेलना पड़ सकता है. इसी प्रकार से संतान जन्म के बाद परिवार में स्थिति ओर माता-पिता अथवा स्वयं बच्चे पर इस स्थिति का असर किस प्रकार का होगा ये बातें उस बच्चे की जन्म कुंडली को देख कर स्पष्ट रुप से जानी जा सकती है. इसी प्रकार बच्चे का जन्म कुटुम्ब पर कैसा असर डाल सकता है इन बातों को समझने के लिए हमें इन रिष्ट एवं अरिष्ट योग की अवधारणा को  देखर फलित कर पाना संभव होता है. 

ज्योतिष ग्रंथों में किसी बच्चे की कुंडली देखने हेतु नियमों का निर्धारण भी किया गया है. माना जाता है की संतान के जन्म के कुछ वर्ष संतान अपने माता-पिता के कर्मों को भोगता है. इस के अतिरिक्त बच्चे के जन्म के आरंभिक 3 साल काफी महत्वपूर्ण हो सकते हैं क्योंकि रोग या अन्य प्रकार के खराब प्रभाव इसी समय पर प्रभावित करते हैं 

“जिवेत्क्वापि विभंगरिष्टज-शिशूरिष्टम् विनामीयतेऽथाधोब्दः शिशुदुस्तरोऽपि च परौ कार्यैषु नो पत्रिका।।”

आचार्य वैद्यनाथ के अनुसार – जन्म के पहले चार साल माता के कर्म और उसके बाद चार साल पिता के कर्म बच्चे पर असर डालते हैं और इसके बाद बच्चा अपने कर्मों को भोगता है. 

“आद्ये चतुष्के जननी कृताद्यैः मध्ये तु पित्रार्जितपापसंचयैः बालस्तदन्यासु चतुःशरत्सु स्वकीय दौषैः समुपैतिनाशये।। “

बालारिष्ट कब ओर कैसे डालता है असर ? 

बालारिष्ट का प्रभाव चंद्रमा की स्थिति द्वारा समझा जाता है. जन्म कुंडली में चंद्रमा की स्थिति बहुत अधिक असर डालने वाली होती है. बच्चे की कुंड्ली में चंद्रमा की शुभ एवं मजबूत स्थिति परेशानियों से बचाने वाली होती है. दूसरी ओर चंद्रमा का कमजोर पाप प्रभाव में होना अरिष्ट की स्थिति को दिखाता है. चंद्रमा की पीड़ा बच्चे की स्थिति को भी गंभीर बना सकती है. इसी के साथ लग्न सूर्य और अन्य योग भी यहां अपना असर डालते हैं. 

बालारिष्ट को समझने के ज्योतिष सूत्र 

चंद्रमा की दशा

जन्म के समय चंद्रमा का सबसे ज्यादा महत्व होता है. चंद्रमा ही माता का प्रतिनिधित्व करता है. अत: चन्द्रमा की स्थिति से अरिष्ट को संतान या उसकी माता का कष्ट होता है. कुंडली में चंद्रमा जहां भी होगा और जिस भी प्रकार के ग्रह के साथ होगा या किसी भी तरह से उसका असर कुंडली में घटित होगा वही फल बच्चे को भी मिलेगा. बच्चे की मन की स्थिति बच्चे की आंतरिक प्रणाली चंद्रमा के द्वारा ही देखने को मिल सकती है. 

लग्न और लग्न स्वामी

जन्म कुंडली मे लग्न का महत्व बहुत अधिक होता है. यदि लग्न और लग्न के स्वामी बलवान हैं तो वे कष्ट सह सकते हैं, लेकिन यदि वे कमजोर हैं तो वे इसके आगे झुक जाते हैं. लग्न देह होती है संपूर्ण शरीर होता है. जब ग्रहों के योग के साथ इसका योग प्रभावित होता है तो ये फल देता है.लग्न अगर कमजोर हुआ तो चीजें जरुर अपना असर डालने वाली होंगी लग्न का स्वामी भी अगर कमजोर होगा तो स्थिति अधिक चिंता को दिखाएगी.

अष्टम भाव और अष्टमेश का असर

आठवां घर आयु का और मृत्यु का घर है इसलिए इसे आयु और सेहत के दृष्टिकोण से देखा जाता है. आठवां घर लग्न , चंद्र या सूर्य से किसी प्रकार का संबंध बनाते हुए खराब हो रहा है तो स्थिति चिंता को दिखाती है.  अष्टम भाव पर पाप का प्रभाव दीर्घायु को कम करता है, लेकिन अष्टम भाव में स्थित शनि दीर्घायु को बढ़ावा देता है, बशर्ते वह वक्री न हो या फिर पाप प्रभावित न हो. 

अरिष्ट की स्थिति वर्ग कुंडलियों में 

अगर संतान जन्म समय बिमार हो या अन्य प्रकार के कष्ट घटित होते हैं तो ये समय अरिष्ट का निर्माण करता है. अरिष्ट को बच्चे की कुंडली में देखा जाता है, तो उस बच्चे नवमांश (डी 9 चार्ट), द्रेक्कन, द्वादशांश कुंडली त्रिशांश कुंडली को भी देखना जरुरी होता है. कुंडली में बनते वक्त यह योग अगर अन्य वर्ग कुंडलियों में नही दिखाई देता है तो स्थिति संतोषजन होती है ओर बचाव भी प्राप्त होता है. वर्ग कुंडली में सुधार होता है तो यह अरिष्ट के खतरे को कम करता है, लेकिन अगर अरिष्ट का प्रभाव  को बार-बार वर्गाओं में देखा जाता है तो चिंता का कारण है बन सकता है. 

बालारिष्ट कब डालता है अपना असर 

बालारिष्ट का प्रभाव तब अपना असर डालने वाला होता है जब लग्न, लग्न स्वामी या चंद्रमा को दशा-अंतर्दशा समय और गोचर के अनुसार पाप प्रभाव मिल रहा हो हो. अरिष्ट सामान्य रूप से छठे आठवें या बारहवें भाव या उनके स्वामी की दशा में अपना असर दिखाने वाली होती है. यदि दशा और गोचर में लग्न या चंद्रमा कमजोर न हो तो अरिष्ट प्रभाव नहीं डालता है. इसी तरह यदि नवांश कुंडली में स्थिति में सुधार होता है तो अरिष्ट अपना असर नहीं डालता है, यदि अरिष्ट भंग मजबूत है और जातक का दशा क्रम अनुकूल है, तो अरिष्ट असर डालने में कमजोर ही रहता है. कुंडली में यदि अरिष्ट की स्थ्ति बहुत मजबूत है और अरिष्टभंग कमजोर है, और दशा क्रम और गोचर प्रतिकूल हैं तो अरिष्ट से बचाव कमजोर होता है ओर उस स्थिति में इसका तनाव जेलना पड़ता है. इस स्थिति में ग्रह जाप, दान एवं अन्य कार्यों को करने से सकारात्मक लाभ प्राप्त होते हैं. 

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64 (चौसठवां) नवांश कब होता है कष्टदायक और देता है पीड़ा का संकेत

ज्योतिष शास्त्र में जीवन के हर क्षण और घटनाक्रम को समझा जा सकता है. इसमें मौजूद गणनाओं का उपयोग करके जीवन में होने वाली घटनाओं को जान पाना संभव होता है. इन सूक्ष्म गणनाओं में एक गणना आयु और दुर्घटना को लेकर है जिसे जानने के लिए किसी व्यक्ति के लग्न कुंडली के 64वें नवांश को देख कर जाना जा सकता है. 64 वें नवांश को देख कर व्यक्ति के जीवन में आने वाली दुर्घटनाओं मृत्यु तुल्य कष्ट की संभावनाओं को काफी सटीकता के साथ समझ पाना संभव होता है. 

कुंडली में यह नवांश किसी व्यक्ति के जीवन में आने वाली मुश्किलों, कष्टों, चिंताओं परेशानियों बाधाओं जैसी अनेकों प्रकार की स्थिति को समझने के लिए देखा जाता है. इसी के साथ कुछ अन्य कारक भी असर डालते हैं. इन सभी चीजों को एक एक करके समझते हुए स्थिति को काफी स्पष्ट रुप से समझने में मद मिलती है.   

64 (चौसठवां) नवांश पाप ग्रह प्रभाव 

ज्योतिष शास्त्र में कुछ ग्रह शुभ एवं कुछ ग्रह अशुभ या पाप, क्रुर ग्रह के नाम से जाने जाते हैं. सभी ग्रहौं के अपने फल होते हैं. इनमें से ग्रहों की प्रकृति शुभ एवं अशुभ रुप से उल्लेखित की जाती है. जहां शनि मंगल राहु केतु ग्रह पाप ग्रहों की श्रेणी में आते हैं वहीं गुरु शुक्र बुध चंद्र शुभ ग्रह और सूर्य क्रूर ग्रह की श्रेणी में स्थान पाता है सूर्य को शुभ क्रूर कहा जा सकता है.

इन ग्रहों में स्वभाविक रुप से जब पाप ग्रह 64 नवांश से संब्म्ध बनाते हैं तो व्यक्ति के लिए कष्ट का संकेत देते हैं. लेकिन इसके विपरित कुछ तथ्य इस तरह भी देखे जा सकते हैं की शुभ ग्रह भी यहां होने पर पप प्रभाव दे सकता है. ऎसा इस कारण से होता है की जब कोई शुभ ग्रह कुंडली में खराब भाव का स्वामी बनता है तो वह अपने स्वामित्व के अधार पर फल जरुर देता है. इस कारण से कहा जा सकता है की शुभ ग्रह भी जब कुंडली में खराब घरों के सेवामी बनते हैं तो अपने शुभत्व में कमी कर देते हैं ओर जब ये ग्रह इस चौसठवें नवांश से जुड़ते हैं तो स्थिति चिंता को दिखाती ही है. 

ग्रहों का प्रभाव 

शनि का प्रभाव लम्बी बिमारियों का संकेत, स्नायु तंत्र की समस्या, पक्षाघात की संभावना, गैस्ट्रिक समस्याएं दे सकता है. 

मंगल का प्रभाव यदि इस पर आता है तो जलने कटने चोट लगने खून बहने या रक्त के विकार जैसी घटनाओं की चिंता अधिक होती है. इस के अलावा यह दुर्घटना को भी दिखाता है. 

राहु केतु – राहु केतु का असर विषैले पदार्थों के कारण रोग और कष्ट दे सकता है, दिमागी भ्रम अस्थिरता चिंताएं लगातार बनी होती हैं. मन भटकाव के कारण बेचैन रहता है. कैंसर जैसे रोग भी इसके कारण असर डाल सकते हैं. 

इन ग्रहों का एक दूसरे के साथ अगर योग बन रहा हो 64वें नवांश में तब स्थिति अधिक चिंता को बढ़ा सकती है. प्रकृति से मिलने वाले कष्ट भी इसमें शामिल हो जाते हैं आपदाएं कष्ट देने का कारण बन सकती हैं. अपनो का अलगाव दूरी विच्छे मानसिक कष्ट को मृत्यु तुल्य कष्ट के समान बना देता है. 

इसी के साथ शुभ ग्रह जब पाप प्रभाव में आते हैं तो उनके द्वारा भी इसी तरह की संभावनाएं जन्म ले सकती हैं. शरीर के रोग मसिक रोग आपसी संबंधों का कष्ट परेशानी ओर वियोग को दिखा सकता है. 

64वें नवांश से मिलने वाले फल और प्रभाव 

चौसठवें नवांश कुंडली से स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाया जा सकता है. 

64वें नवांश से जीवन में होने वाली दुर्घटनाओं का  पता लगाया जा सकता है. 

64वें नवांश से जीवन में होने वाली सभी प्रकार की मानसिक चिंताओं के बारे में जाना जा सकता है.  

64 वें नवांश से जीवन में आने वाली किसी भी प्रकार की आपदाओं को जाना जा सकता है. 

64वें नवांश से जीवन में होने वाले रोग व्याधियों को जाना जा सकता है. 

64वें नवांश से मृत्यु तुल्य कष्ट को जान सकते हैं 

64वें नवांश से जीवन में कब कष्ट और बुरा समय आ सकता है इस स्थिति का पता लगाया जा सकता है. 

64 नवांश का स्वामी होता है काफी महत्वपूर्ण 

 64 नवांश भाव का अधिपति ही इस नवांश का स्वामी होता है. ज्योतिष में वर्ग कुंडलियों का विशेष स्थान है. वर्ग कुंडली किसी भाव को समझने का सूक्ष्म रुप होता है. इस तरह से हर भाव की अच्छे बुरी स्थिति को बेहतर तरीके से जाना जा सकता है. कुंडली का आठवां भाव इस नवांश से संबंधित माना गया है. 

कुंडली में चंद्रमा जितने अंश डिग्री का होता है उसके आधार पर इसे जाना जाता है. चंद्र की डिग्री को आठवें घर में रख कर गणना को समझा जाता है. अगर नवांश कुंडली की बत करें तो नवांश वर्ग कुंडली में चंद्रमा जिस भी घर में बैठा होता है उस घर से गिनते हुए चार घर आगे गिनने होते हैं और गिनती में जो भी चौथा घर पड़ता है वहीं 64वें नवांश का स्वामी बनता है. इसी के साथ अगर नवांश कुंडली के हर घर से चौसठवां नवांश देखना है तो इसके लिए उक्त भाव से आगे चौथा भाव गिनने पर यह स्थिति मिलती है. 64 वां नवांश कुंडली के आठवें घर का भाव मध्य भी कहा जाता है. 

चौसठवें नवांश का स्वामी यदि कोई पाप ग्रह होता है तो स्थिति कमजोर होती है. शनि राहु केतु या मंगल का असर चिंता कष्ट को दे सकता है. इसके द्वारा मानसिक तनाव दुर्घटना, घाटा आकस्मिक परेशानियां अपना असर डाल सकती हैं. अगर ये ग्रह कुंडली में खराब स्थान के स्वामी बनते हैं तो स्थिति अधिक असर डाल सकती है.

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सावन 2025 का हर सोमवार होता है बेहद खास, बनते हैं अनेक शुभ योग

2025 में सावन माह का आरंभ 11 जुलाई से होगा. श्रावण माह का समय 11 जुलाई को कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से शुरु होगा. सावन के पहले दिन ही अशून्यशयन व्रत भी होगा जो भगवान शिव हेतु रखा जाता है. सावन के कृष्ण पक्ष में दो सोमवार व्रत होंगे.

इसके पश्चात 28 अगस्त को सावन शुक्ल पक्ष का आरंभ होगा.

सावन माह के दौरान सोमवार होंगे विशेष प्रत्येक सोमवार के दिन कुछ विशेष योग भी निर्मित होंगे. सावन का पूरा महीना पवित्र होता है, व्रत और पूजा के लिए श्रावण सोमवार का विशेष महत्व है. सावन सोमवार व्रत के तरीके अलग-अलग व्यक्ति और उनके स्वास्थ्य और परिस्थितियों के अनुसार भिन्न हो सकते हैं किंतु इनके फलों की शुभता सभी को समान रुप से प्राप्त होती है.

श्रावण सोमवार बनने वाले दुर्लभ योग 

प्रथम श्रावण सोमवार व्रत  (14 जुलाई 2025) 

सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई 2025 के दिन मनाया जाएगा. सावन के पहले सोमवार के दिन को अग्रीण सोमवार भी कहा जाता है. इस दिन को विशेष रुप से मनाए जाने का विधान है क्योंकि इसी दिन से सावन के सोमवार व्रत का आरंभ होता है. सावन माह के पहले सोमवार के दिन में ग्रहों का योग शुभ फल प्रदान करने वाला होगा.

द्वि ग्रह योग 

दो ग्रह होंगे सूर्य और गुरु मिथुन राशि में होंगे. यह एक दुर्लभ स्थिति होगी जो विशेष फल प्रदान करने वाली होती है.

श्रावण प्रतिपदा 

11 जुलाई के श्रावण सोमवार के दिन प्रतिपदा का समय होगा. सोमवार के दिन का समय शिव पूजन के लिए विशेष माना जाता है. ऎसे में श्रावण माह के सोमवार व्रत में प्रतिपदा योग होने से दुर्लभ योग बनेगा जिसका प्रभाव कई गुणा फलों को देने वाला होगा

सावन के पहले सोमवार के दिन व्रत एवं पूजा का लाभ परिवार की सुख वृद्धि के लिए होगा. इस दिन किए जाने वाला प्रत्येक शुद्ध सात्विक कार्य कुटुम्ब वृद्धि का योग प्रदान करेगा. घर-परिवार में आर्थिक संपन्नता भी आएगी. संतान सुख की प्राप्ति होगी तथा किसी भी प्रकार के पाप प्रभाव दूर होंगे.

सर्वाथ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग 

सर्वाथ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बनने से पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त होगा. भगवान शिव के समक्ष की गई आराधना व्रत उपासना द्वारा मनोरथ पूरे होंगे. इस समय पर किए जाने वाले कार्य भी शुभ गति से आगे बढ़ सकेंगे. घर परिवार में कलह कलेश की शांति होगी. रिश्तों में चली आ रही दूरी समाप्त होगी.

द्वितीय श्रावण सोमवार व्रत (21 जुलाई 2025) 

सावन का दूसरा सोमवार 21 जुलाई को पड़ रहा है. पंचांग के अनुसार इस दिन एकादशी व्रत का विशेष संयोग भी बन रहा है. इसलिए सावन का दूसरा सोमवार शिव भक्तों के लिए खास रहने वाला है.  इसके अलावा सावन के दूसरे सोमवार को द्वितीय श्रावण सोमवार व्रत, रोहिणी व्रत, कामिका एकादशी, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग का विशेष योग भी बन रहा है.

सावन के दूसरे सोमवार स्वग्रही योग और बली चंद्रमा

सावन के दूसरे सोमवार के दिन शनि, मंगल, बृहस्पति ओर चंद्रमा की स्थिति होगी खास. इस समय पर भगवान शिव का अभिषेक बहुत ही उत्तम होगा. यह योग सुबह ही व्याप्त होगा अत: प्रात:काल समय पर किया गया अभिषेक जीवन में कार्यक्षेत्र और काम काज में शुभता प्रदान करने वाला होगा.

इस समय के दौरान माता का सुख एवं प्रेम और भी प्रगाढ़ होगा. माता को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से मुक्ति मिलेगी. मानसिक दुर्बलता दूर होगी. उन्मांद एवं मानसिक रोग शांत होंगे.

एकादशी व्रत

इस सोमवार के दिन एकादशी व्रत का समय होगा जो शिव पार्वती पूजन के लिए उत्तम होगा. इस समय पर किया गया शिव गौरी पूजन विवाह की समस्याओं को दूर करने में सहायक होगा. दांपत्य जीवन में आ रही परेशानियां समाप्त होंगी.

तृतीय श्रावण सोमवार व्रत (28 जुलाई 2025) (शुक्ल पक्ष)

इस बार सावन का तीसरा सोमवार 28 जुलाई को पड़ रहा है. साथ ही इस दिन शुक्ल चतुर्थी पड़ने के कारण शुभ संयोग बन रहा है. ऐसे में इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ भगवान गणेश की पूजा भी शुभ साबित होगी. इस दिन रवि योग का संयोग बन रहा है. सावन के तीसरे सोमवार को  गणपति की पूजा की जाएगी.

सावन के तीसरे सोमवार का दिन शुक्ल पक्ष का होगा. सावन का शुक्ल पक्ष का सोमवार विशेष माना गया है क्योंकि चंद्र इस समय पक्ष बली अवस्था में होता है और इसी समय पर शिव पुराण ग्रंथ, अन्य धार्मिक पुस्तकों को पढ़ने की शुरुआत या भगवान शिव के लिए रखे जाने वाला कोई भी व्रत आज के दिन से आरंभ करने का विधान होता है. इसके अलावा कोई अन्य धार्मिक गतिविधि के लिए शुक्ल पक्ष को विशेष रुप से उपयोग में लाया जाता है.

चतुर्थ श्रावण सोमवार व्रत (04 अगस्त 2025) शुक्ल पक्ष 

सावन के चौथे सोमवार के दिन सप्तमी का व्रत भी होगा. इस सोमवार के दिन का समय सावन में मनाई जाने वाली सप्तमी होने से ये समय अत्यंत शुभदायक होगा. श्री विष्णु और शिव पूजन के लिए ये अत्यंत शुभदायक होगा. इस शुभ दिन रवियोग भी बनेगा जिसका प्रभाव पूजा के फलों में सकारात्मक रुप से वृद्धिदायक होगा.

श्रावण सोमवार के दिन पर व्रत और पूजा करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है. भक्तों को पवित्र जल, फूल, फल, चंदन, पंचामृत और रुद्राभिषेक का जप करना चाहिए. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जलाभिषेक किया जाता है. भक्तों को जल और कच्चा दूध चढ़ाना चाहिए, इसे पीतल के बर्तन में डालकर भगवान शिव को अर्पित करना चाहिए.

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राहु की ग्रह युति कब बनती है ग्रहण और कब देती है शुभ फल

राहु – सूर्य
राहु और सूर्य का संबंध कुण्डली में ग्रहण योग का निर्माण करता है. इसके प्रभाव स्वरुप पिता एवं संतान के मध्य वैचारिक मतभेद की स्थिति रह सकती है. संतान की जन्म कुण्डली में यह योग होने पर पिता के व्यवसाय और मान सम्मान में कमी देखने को मिल सकती है. सुख में कम आती है, क्रोध अधिक रहता है, स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं. कार्य क्षेत्र में भी सरकार की ओर से अनुकूलता में कमी आती है.

यह संबंध जिस भाव में भी बनता है उसके फलों में कमी करने वाला होता है. राजनीति के क्षेत्र में आप काम कर सकते हैं. इस स्थिति का प्रभाव स्वरूप स्वास्थ्य पर भी असर देखने को मिलता है, मानसिक रुप से चिंताएं अधिक रहती है. हृदयएवं हडियों से संबंधित रोग परेशान कर सकते हैं. अहम का भाव उभर सकता है. जल्दबाजी के कारण स्वयं को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

राहु – चंद्र
राहु का चंद्रमा के साथ संबंध ग्रहण योग का निर्माण करता है. चंद्रमा का राहु के साथ संबंध मानसिक रुप से अस्थिरता और शंका की स्थिति देने वाला होता है. व्यक्ति में दूसरों पर दोषारोपण करने की प्रवृत्ति भी बहुत अधिक होती है. माता का सुख भी प्रभावित होता है. माता को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से परेशान होना पड़ सकता है. मान सम्मान से संबंधित उचित व्यवहार नहीं मिल पाता है. व्यक्तिगत सफलता, सम्मान की प्राप्ति में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है. संतान से संबंधी कष्ट भी झेलने पड़ सकते हैं. व्यक्ति रहस्यमयी विद्याओं में रूचि रखता है, शोध कार्यों में अच्छी सफलता पा सकता है.व्यक्ति में भावनात्मक कमजोरी देखी जा सकती है, व्यवहार में लापरवाही झलक सकती है. किसी भी चीज को याद करने की प्रवृति भी प्रभावित होती है.

राहु – मंगल
मंगल और राहु का संबंध जातक में क्रोध और घमंड की स्थिति दे सकता है. व्यक्ति में क्रोध बहुत होता है, सहनशक्ति की कमी होती है. व्यक्ति में चालबाजियों की स्थिति अधिक होती है. वह किसी भी प्रकार के षडयंत्र में फंस भी सकता है. व्यक्ति विवाद में बहुत जल्दी फंस सकता है. दोनों ग्रहों का स्वरुप शत्रु षड्यंत्र, झगड़े, विवाद, शत्रु एवं साहस, पराक्रम को दर्शाते हैं. यह मंगल और राहु की स्थिति अंगारक योग का निर्माण करती है. राहु और मंगल का संबंध जातक का व्यक्तित्व दुःसाहसिक कार्यों को करने में अग्रीण रहता है.

राहु – बुध
राहु और बुध का संबंध जड़त्व योग का निर्माण करता है. राहु और बुध का संबंध बौधिक भ्रम देने वाला होता है. राहु भ्रम है और बुध बुद्धि को दर्शाता है ऐसे में दोनों का संजोग स्वभाविक है की बुद्धि को प्रभावित करता है और सोच समझने की प्रक्रिया भी इससे प्रभावित होती है. व्यक्ति उचित तथ्यों के प्रति उपेक्षित भाव रख सकता है. यह योग संबंध चातुर्य और कूटनीति भी देने वाला होता है.

राहु – गुरु
राहु के साथ गुरु का संबंध गुरु चंडाल बनाता है. राहु के साथ गुरु का संबंध होने पर व्यक्ति में चंडाल धार्मिक आस्था में कमी हो सकती है. व्यक्ति धर्म से विमुख सा रह सकता है या धर्म को लेकर इसकी अपनी सोच होती है. व्यक्ति सच्चाई और न्याय को ऊपर उठाने की कोशिश करने वाला होता है. लेकिन व्यक्तिगत जीवन में इसके विपरीत व्यवहार करने वाला हो सकता है.

राहु – शनि
राहु – शनि की युति का संबंध नन्दी योग एवं शापित योग का निर्माण होता है. इन दोनों ही योगों के मिश्रित प्रभाव स्वरूप जातक का जीवन प्रभावित रहता है. इस योग का संबंध जिस भी भाव में होता है उस भाव से संबंधित फलों में कमी की स्थिति झेलनी पड़ सकती है. व्यक्ति में क्रोध ओर चिडचिडाहट हो सकती है. वह जल्दी ही दूसरों से घुल-मिल नहीं मिल पाता है. इस योग के फलस्वरूप जातक को सुख, वैभव एवं समृद्धि भी प्राप्त होती है. लेकिन मानसिक रुप से उसमें विरक्ति की स्थिति भी झलकती है. राहु और शनि का संबंध, एक अलग सोच समझ का विकास करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला होता है.

राहु – शुक्र
राहु और शुक्र का संबंध योग व्यक्ति को चमक-धमक के पीछे भागने वाला बना सकता है. व्यक्ति में अधिक पाने की चाह होती है वह भौतिक साधनों से संपन्न रहने की इच्छा रखता है. जातक में क्रोध की अधिकता हो सकती है. वाद विवाद में फंस सकता है. दूसरों के द्वारा फँसाया भी जा सकता है. व्यक्ति के स्वभाव में कटुता और अडियल रुख भी देखने को मिल सकता है. अपने स्वभाव के कारण नुकसान भी उठाने पड़ते सकते हैं.

राहु शांति उपाय

जातक को महामृत्यंजय का पाठ करना चाहिए.
शिवलिंग पर जलाभिषेक करना चाहिए.
चांदी धारण करें
गरीब एवं अस्मर्थ व्यक्ति की सेवा करें.
माता के साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार करें तथा भाई बंधुओं से समानता और स्नेह की भावना रखें.
हनुमान जी की अराधना करें

राहु मंत्र
ऊँ कयानश्चित्र आभुवदूतीसदा वृध: सखा । कयाशश्चिष्ठया वृता ।

  राहु कवच स्त्रोत 

अस्य श्रीराहुकवचस्तोत्रमंत्रस्य चंद्रमा ऋषिः ।

अनुष्टुप छन्दः । रां बीजं I नमः शक्तिः ।
स्वाहा कीलकम्। राहुप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ।।

प्रणमामि सदा राहुं शूर्पाकारं किरीटिन् ।।
सैन्हिकेयं करालास्यं लोकानाम भयप्रदम् ।। १।।

निलांबरः शिरः पातु ललाटं लोकवन्दितः।
चक्षुषी पातु मे राहुः श्रोत्रे त्वर्धशरीरवान् ।। २ ।।

नासिकां मे धूम्रवर्णः शूलपाणिर्मुखं मम।
जिव्हां मे सिंहिकासूनुः कंठं मे कठिनांघ्रीकः ।। ३ ।।

भुजङ्गेशो भुजौ पातु निलमाल्याम्बरः करौ ।
पातु वक्षःस्थलं मंत्री पातु कुक्षिं विधुंतुदः ।।४ ।।

कटिं मे विकटः पातु ऊरु मे सुरपूजितः ।
स्वर्भानुर्जानुनी पातु जंघे मे पातु जाड्यहा ।।५ ।।

गुल्फ़ौ ग्रहपतिः पातु पादौ मे भीषणाकृतिः ।
सर्वाणि अंगानि मे पातु निलश्चंदनभूषण: ।।६ ।।

राहोरिदं कवचमृद्धिदवस्तुदं यो।
भक्ता पठत्यनुदिनं नियतः शुचिः सन् ।

प्राप्नोति कीर्तिमतुलां श्रियमृद्धिमायु
रारोग्यमात्मविजयं च हि तत्प्रसादात् ।।७ ।।
।।इति श्रीमहाभारते धृतराष्ट्रसंजयसंवादे द्रोणपर्वणि राहुकवचं संपूर्णं ।।

कवच पाठ के लाभ

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सूर्य राशि से जाने अपने परफेक्ट लव पार्टनर के बारे में

ज्योतिष के सिद्धांत अनुसार राशियों के द्वारा किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व को समझने में बहुत से विशेष बातों का आसानी से पता चल सकता है. अगर आपको अपने भावी साथी से केवल उनकी जन्म तिथि की जानकारी ही मिल पाती है तब आप उनके चंद्र ओर सूर्य राशि के द्बाता उन्हें समझ सकते हैं. ज्योतिष में चंद्रमा मन है और सूर्य आत्मा है. कुंडली में इन दोनों का विशेष स्थान होता है. आप अपने साथी की राशि से उसे समझने में काफी सफल हो सकते हैं. ज्योतिष के अनुसार, एक सूर्य मूल व्यक्तित्व को दर्शाता है. सूर्य राशि यह प्रकट करने में मदद करती है कि कोई व्यक्ति आस पास के माहौल के साथ कैसे संपर्क साधता है और यह भी बताता है कि वे पारस्परिक गतिविधियों को कैसे निभा सकता है. इससे यह भी पता चलता है कि हमारी ताकत और कमजोरियां क्या हो सकती हैं और हम अपने रिश्ते को कैसे संभाल सकते हैं.

सभी सूर्य राशि के अलग-अलग गुण होते हैं. मेष, मिथुन राशि के व्यक्तियों को काफी रोमांटिक कहा जाता है. कन्या और मकर राशि के व्यक्ति अधिक व्यावहारिक होते और कुछ रोमांटिक लग सकते हैं. कर्क और तुला राशि के व्यक्ति अपने रिश्तों में सुरक्षा तलाशने का प्रयास करते हैं. सिंह और वृश्चिक राशि के व्यक्ति नए रिश्तों की तलाश में जुनून के साथ आगे बढ़ते हैं. जब रिश्ते मजबूती की बात आती है तो वृषभ और कुंभ राशि के लोग इसमें काम करने के लिए अधिक इच्छुक होते हैं. धनु और मीन राशि के लोग अगग ही स्वतंत्र रुहानी रिश्ते की मांग रखते हैं.

प्रत्येक राशि में रिश्तों को संभालने का एक विशिष्ट तरीका होता है और इसलिए, यह समझने के लिए कि कौन सी राशि आपके साथ अधिक अनुकूल होगी और आपकी प्रेम से संबंधित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कैसे काम कर सकती है. प्रत्येक राशि के दृष्टिकोण में भिन्नताओं को महसूस करना ओर उसे समझना जरुरी होता है. यहां एक लिस्ट है जो आपको आपकी सूर्य राशि के अनुसार आपके लिए एक पर्फेक्ट प्रेम को पहचानने में मदद कर सकती है.

सूर्य राशि मेष (21 मार्च – 19 अप्रैल)
मेष राशि वाले अपने आवेगी स्वभाव के लिए जाने जाते हैं. मेष राशि के लिए जब प्यार की बात आती है तो उत्साह और जोश भरपुर दिखाई दे सकता है. ये अपने अंतर्ज्ञान पर आगे बढ़ते हैं. अक्सर, प्रत्यक्ष रूप से सामने आते हैं और मन की बात को रुचि के साथ अपने प्रेमी के साथ तुरंत व्यक्त करने की क्षमता रखते हैं. मेष की जल्दबाजी का गुण दोनों तरह से काम कर सकता है. जब ये आसानी से प्यार में पड़ जाते हैं, लेकिन साथी जल्दी से अपनी भावनाओं को अगर नहीं दिखाता तो रिश्ते से हटने में भी देर नहीं लगाना चाहेंगे और आगे बढ़ने की प्रवृत्ति रखते हैं. अस्वीकृति इनको कुछ दिनों के लिए चुभ सकती है लेकिन ये जल्द से अपने जीवन को पुन: जीवंत रखते हुए आगे बढ़ सकते हैं. मेष राशि रोमांच और पूर्ण संतुष्टि से प्यार करते हैं. किसी चीज को पाने के लिए कड़ी मेहनत करने से पीछे नहीं रहते हैं. जब लोग इनकी तारीफ करते हैं तो इसे सुनने और इसे प्यार करने की आवश्यकता होती है. आत्मविश्वास और सम्मान दो ऐसे गुण हैं जो इन्हे आकर्षित करते हैं. मेष राशि वालों को डेट करने की इच्छा रखने वाले को अपने मन की बात खुलकर कहने में सक्षम होना चाहिए और साथ ही इनकी ढेर सारी तारीफ इन्हें बहुत अच्छी लग सकती है.

वृष राशि (20 अप्रैल – 20 मई)
वृषभ राशि अपने जिद्दी स्वभाव ओर स्थिरता के लिए जानी जाती है. कोई भी जब इनके साथ डेट करना चाहता है, तो बस यह जान लें कि वे चीजों में दृढ़ता ओर स्थिरता की मांग करना चाहते हैं. वृष राशि शारीरिक स्नेह को पसंद करती है. वृष एक ऐसा साथी चाहते हैं जो प्यार और देखभाल का एहसास भरपुर रुप से करवा पाए. कुछ अच्छे उपहार और ढेर सारा रोमांस इनके दिल को चुराने का सबसे आसान तरीका है. ये लोग विशेष व्यवहार करना पसंद करते हैं, और जब किसी की सराहना करते हैं जो वास्तव में ऐसा करते हैं. ये एक कामुक राशि है जिसके कारण यह जल्द से दूसरों को आकर्षित कर पाने में सफल भी होते हैं जब ये किसी को चाहते हैं तो रिश्ते में मजबूती को पाना चाहते हैं. इन्हें प्रतिबद्धताओं का कोई भय नहीं है. एक वृष राशि के रूप में, यह अपने भौतिकवादी विचारों के बावजूद एक अच्छा संबंध चाहते हैं. जो इन्हें सुखदायक स्थिति देने में सक्षम होता है. वृष तुरंत उन लोगों की ओर आकर्षित होते हैं जो इन्हें प्रेम देने में आगे रहते हैं. ये कभी-कभार अपने अकेले पन का आनंद ले सकते हैं, लेकिन अपने महत्वपूर्ण पलों को दूसरे के साथ बिताने का आनंद लेना भी इन्हें बहुत पसंद होता है.रिश्तों में ईमानदारी और वफादारी इनके लिए दो महत्वपूर्ण स्तंभ हैं.

मिथुन राशि (21 मई – 20 जून)
मिथुन वह राशि है जिसे अन्य सभी राशियों में सबसे प्रेम से बात करने वाला कहा जाता है. यह ह्म्समुख ओर चुलबुले होते हैं. यह कहीं भी एक प्रमुख संचारक बन सकते हैं. आसानी से और जल्दी से परिस्थितियों के अनुकूल हो सकते हैं. कठिन परिस्थितियों में बोलने के लिए आगे रह सकते हैं. एक विशेषता जो आपके दोस्तों द्वारा सबसे ज्यादा पसंद की जाती है. आप उन लोगों की ओर सबसे अधिक आकर्षित होते हैं जिनका व्यक्तित्व आपके जैसा ही होता है. कोई भी जो अपनी बातचीत को पकड़ सकता है और मजाकिया हो सकता है वह मिथुन के साथ मजबूत संब्म्ध बना सकता है. एक बार पार्टनर बनने के बाद आप बार-बार अपने रिश्ते में कुछ नई चीजों को शामिल करना पसंद करेंगे अपने प्यार का इजहार करना चाहेंगे. रिश्ते में स्थिरता से अधिक मस्ती ओर हर बार कुछ नवीनता की खोज इनके लिए विशेष होती है नहीं तो रिश्ते के बोरिंग लगने लगते ही आगे बढ़ सकते हैं.

कर्क राशि (21 जून – 22 जुलाई)
कर्क राशि भावनात्मक रूप से परिपक्व होते हैं और अत्यधिक सहानुभूतिपूर्ण लगाव एवं देखभाल करने वाले होते हैं. ये एक अविश्वसनीय साथी बन सकते हैं. इनका आदर्श साथी वह है जो इनकी बात ध्यान से सुनता है और इनको पूरी तरह समझता है. यह घर का आराम पसंद करते हैं, अपने साथी से भी ऐसा ही करने की अपेक्षा रखते हैं. इनका एक अच्छा शानदार गुण यह है कि ये उन लोगों की देखभाल करना पसंद करते हैं जिन्हें प्यार करते हैं. अपने साथी के प्रति पुर्ण समर्पण का भाव रखते हैं. अगर साथी को इनको वैसे ही स्वीकार करने में सक्षम हो जैसे ये हैं तो रिश्ता बहुत ही शुभता को पाता है और इनको बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.

सिंह राशि (23 जुलाई – 22 अगस्त)
सिंह राशि के रूप में, सिंह साहसी और जीवंत व्यक्तित्व वाले होते हैं जो ध्यान आकर्षित करना पसंद करते हैं. सिंह राशि का करिश्माई और आत्मविश्वासी स्वभाव सभी को इनकी ओर खिंच लाने में सक्षम होता है. अपने चाहने वालों को आसानी से छोड़ते नहीं है. बहुत जल्दी घुलना मिलना नहीं चाहें लेकिन जब रिश्ते में आते हैं तो रिश्ते में पूरी निष्ठा को दिखाते हैं. शायद ही कभी कोई सिंह डेटिंग का मौका अपने पास से जाने देता है. यह उपेक्षा से बहुत घृणा करते हैं और इसलिए, एक ऐसे साथी की तलाश करते हैं जो इनसे प्यार करे और इनका सम्मान करे जैसा ये उन्हें करेंगे. ये ऎसा साथी चाहेंगे जो इनके साथ मजबूती के साथ खड़ा हो सके.

कन्या राशि (23 अगस्त – 22 सितंबर)
कन्या राशि के जातक ऐसे गुणों से संपन्न होते हैं जो उन्हें सबसे अच्छे जोड़ीदारों में से एक बनाते हैं. किसी के भी पास अपने को ढाल सकते हैं. अपने शांत स्वभाव के कारण, अपने रिश्तों में बेकार की मांगें नहीं करते हैं. तार्किक तर्क इनको बिना किसी बड़े तर्क के किसी भी विवाद को निपटाने की कुशलता देता है. इनका सहज स्वभाव अपने साथी की जरूरतों के प्रति संवेदनशील बनाने वाला होता है. इन्हें किसी ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता होती है जो इनको ईमानदारी से प्यार दे पाए. कोई ऐसा व्यक्ति जो इनको बिना किसी छिपे हुए एजेंडा के प्यार करे. बिना शर्त प्यार इनकी आवश्यकता है क्योंकि खुद की आलोचना करने में ज्यादा आगे रह सकते हैं और ऎसे में साथी को लगातार इनको आश्वस्त करने की जरूरत है कि वे उन्हें वैसे ही पसंद करते हैं जैसे ये हैं.

तुला राशि (23 सितंबर – 22 अक्टूबर)
तुला राशि के रूप में, ये रोमांस ओर जोश से भरे होते हैं. इनके बहुत सारे दोस्त और कई प्रेमी हो सकते हैं. प्यार में होना और अपने प्रिय के साथ रिश्ते में रहने के विचार से बहुत लगाव रखते हैं. प्रेम इनकी कमजोरी है. प्यार के लिए ये सदैव काफी भावनात्मक रहते हैं. रिश्तों के प्रति लगाव एवं स्नेह इनके भीतर बहुत होता है. खुशी-खुशी लोगों के साथ जुड़ कर एक दूसरे को जानने का मौका देते हैं. फिर भी, प्यार में बहुत जल्दी से पड़ जाते हैं, जो अक्सर तेजी से बदलते रिश्तों की ओर ले जाता है. आपका आदर्श साथी वह है जो आपको रिश्ते में भारी पड़े बिना आपसे प्यार करता है.

वृश्चिक राशि का रिश्ता (23 अक्टूबर – 21 नवंबर)
वृश्चिक राशि काफी मजबूत, रहस्मय, अपने में समाई हुई सी होती है. ये उस प्रकार के व्यक्ति नहीं हैं जिसका कोई लाभ उठा सके. इनके पास दूर से ही व्यक्ति का पता लगाने की क्षमता अच्छी होती है और इसलिए ये उन्हें कभी भी अपने पास नहीं आने देंगे जो इनके साथ कोई चालबाजी करना चाहेंगे. एक अच्छे संवाद करने वाले होने के नाते नए लोगों से मिलने और रिश्ते में समस्याओं के होने पर उन्हें सुलझाने में बेहतर रुप से काबिल होते हैं. अपने पार्टनर के साथ गहरे संबंध के साथ-साथ अपने रिश्तों में सच्चाई और विश्वास को मुख्य स्थान देते हैं एक आशावादी साथी चाहते हैं जो इनके साथ सब कुछ बांटने ओर शेयर करने के लिए तैयार हो.

धनु राशि (22 नवंबर – 21 दिसंबर)
धनु राशि उन्मुक्त एवं स्वच्छंद रहते हुए आगे बढ़ने वाली राशि है. साहस और निड़रता इनके गुण हैं. इनको अपने रिश्ते में स्वतंत्रता और स्थान की आवश्यकता होती है. सहजता और स्वतंत्रता दो ऐसी चीजें हैं जिन्हें ये अपने जीवन में सबसे अधिक महत्व देते हैं. इसलिए ये उन रिश्तों पर समय बर्बाद करना पसंद नहीं करते हैं जो इन पर हवै होना चाहेंगे और इनको प्रसन्न नहीं करते हैं. इन सीमाएं इनके लिए महत्वपूर्ण हैं और जब वे दूसरे के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं तो अपने साथी की ओर से भी ऎसा सम्मान चाहेंगे. इनके लिए घर बसाना या कमिटमेंट करना आसान नहीं होता है. ये एक ऐसे साथी की कामना करते हैं जो इनको उड़ने के लिए पंख फैलाने की अनुमति देने के लिए तैयार हो और इन्हें एक स्थान पर सीमित न रखे. इनका आदर्श साथी वह होगा जो रोमांच से उतना ही प्यार करता है जितना कि य करते हैं. कोई ऐसा व्यक्ति जो इन्हें फंसाने या बांधने की कोशिश करता है उनसे ये दूरी ही पसंद करते हैं.

मकर राशि (22 दिसंबर – 19 जनवरी)
मकर राशि होने का मतलब है कि रिश्तों में काफी उच्च अभिलाषी ओर नियमों का एक मजबूत मापदंड. इनके साथी को यह दिखाने में सक्षम होना चाहिए कि जो ये चाहते हैं उसे दिखा पाएं. हैं. आकर्षक व्यवहार या उपहार इनको आसानी से प्रभावित नहीं कर सकते हैं. मकर राशि खुलकर अपनी जरूरतों को बताना पसंद करते हैं. ऎसे में अपने साथी से भी यही मांगते हैं. पारंपरिक संबंध आपके लिए बहुत आवश्यक है. इन्हें टाइम पास रिश्ता निभाना पसंद नहीं होता है. ये अपने आस-पास के लोगों के साथ सहज होने पर उनके लिए सबसे अधिक करीबी हो जाते हैं, इनका आदर्श साथी वह होगा जो इनको जीवन में मौज-मस्ती करने के लिए प्रेरित कर सकए क्योंकि रोमांस और रोमांच में कुछ धीमे हो सकते हैं.

कुंभ (20 जनवरी – 18 फरवरी)
अधिकांश कुंभ राशि वाले अपनी गंभीर भावनाओं को प्रकट करने में काफी सतर्क रहते हैं. इनके रहस्यमय और मनोरम दोनो होने की संभावना है, जो बहुत से लोगों का ध्यान इनकी ओर आकर्षित करता है. लोग यह जानना चाहते हैं कि इनके गूढ़ व्यक्तित्व के पीछे क्या है. ये एक बेहतर समस्या समाधानकर्ता भी हैं, ऎसे में अच्छे समाधान तक पहुंचने में दूसरों की मदद कर सकते हैं. साथी की जरूरतों को पूरा करने में भी उत्साही होते हैं. रोमांस इनमें होता है ओर स्वतंत्र विचारधारा भी रखते हैं. ये एक ऐसा रिश्ता चाहते हैं जहां साथी इनको अपनी भावनाओं को शेयर करने के लिए प्रोत्साहित करने वाला हो. अपनी भावनाओं से कुछ कमजोर होते हैं ऎसे में उस साथी की तलाश में होते हैं जो इनकी भावनात्मता को समझ सके. इसलिए, एक साथी जो इनको उस अत्यधिक नियंत्रण से मुक्त करता है और इनको अपनी आंतरिक भावनाओं के संपर्क में लाता है, वह इनके लिए आदर्श साथी होता है

मीन (फरवरी 19 -मार्च 20)
मीन राशि का स्वरुप प्रेम, करुणा और विनम्रता का होता है. यह अत्यंत ही शुभ राशियों में स्थान पाती है. इसके गुणों का प्रभाव भी इनके प्रेम को प्रकट करता है. अपने सतही के प्रति लगाव एवं प्रेम इनमें सदा बना रहता है. अपना समर्पण देने में ये आगे रहते हैं तो ऎसे में वैसा ही भाव अपने साथी से भी चाहते हैं. अपने साथी के प्रति इनका सहानुभूतिपूर्ण स्वभाव लगाव और आकर्षण को बढ़ाने वाला होता है. अपने साथी को खुश रखने के लिए बहुत कुछ करने के की चाह रखते हैं. हमेशा सही होने की आवश्यकता महसूस हो सकती है. ये इस बात की परवाह करते हैं कि नैतिक रूप से क्या सही हो सकता है. ‘क्षमा करना” वह बात जिसके कारण ये अपने रिश्ते में प्रमुख स्थान पाते हैं. आपके साथी को भरपूर प्यार और ध्यान देते हैं. इन्हें अपने प्रेम से एक सहारे और मजबूत साथ की आवश्यकता अधिक होती है.

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मीन राशि के लिए जुलाई 2023 का राशिफल

मीन राशि के लिए जुलाई माह में ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहेगी. राशि स्वामी बृहस्पति का मीन राशि गोचर होगा इसके पश्चात 28 जुलाई को बृहस्पति मीन राशि में वक्री होकर गोचर करेंगे. मंगल का गोचर मेष राशि में होगा. माह आरंभ में सूर्य का गोचर मिथुन में होगा उसके पश्चात माह मध्य 16 जुलाई से कर्क में राशि में गोचरस्थ आरंभ होगा. बुध वृष राशि में गोचरस्थ होंगे 2 जुलाई को बुध वृष से निकल कर मिथुन में होंगे 16 जुलाई को कर्क में जाकर गोचरस्थ होंगे. शुक्र माह आरंभ में वृषभ में होंगे इसके बाद 13 जुलाई को मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे. शनि वक्री अवस्था में कुंभ राशि में रहेंगे माह आरंभ में इसके बाद 12 जुलाई को वक्री अवस्था में ही मकर में प्रवेश कर जाएंगे.

इस माह के दोरान आपको अपने पुराने निवेश पर ध्यान देना होगा क्योंकि उसके द्वारा आरंभिक समय पर कुछ लाभ मिल सकता है. इस समय पर आपको अपनी अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कुछ धन अचानक से किसी से लेना पड़ सकता है. माह के दूसरे भाग से आपके लिए बदलाव वाला होगा ऎसे में कुछ चिंताएं अधिक होंगी. मानसिक रुप आप अपनी स्थिति से असंतुष्ट भी होंगे.

मीन राशि के लिए जुलाई 2023 में करियर और व्यवसाय
कार्यक्षेत्र की स्थिति अस्त व्यस्त अधिक रह सकती है. सहकर्मियों के साथ आपकी स्थिति भी प्रभावित होगी. इस समय कार्यालय की राजनीति से खुद को दूर रखें. अपने काम पर ध्यान देने की कोशिश करें क्योंकि इस समय अन्य चीजों पर आपका ध्यान अधिक भटक सकता है जिसके चलते काम से ध्यान हटने के कारण परेशानियों की अधिकता बनी रह सकती है.

कारोबार में आप को अपने नए कार्य को इस समय शामिल नहीं करना चाहिए या हो सके तो 12 जुलाई से पुर्व ही बदलाव कर लेने बेहतर होंगे. सफलता प्राप्ति के लिए सरकारी क्षेत्र में आपको काफी कोशिशों के बाद ही सफलता मिल सकती है.

मीन राशि के लिए जुलाई 2023 में शिक्षा
शिक्षा के क्षेत्र में आप अभी कुछ अधिक भागदौड़ में रहने वाले हैं. अपने दोस्तों के साथ किसी एक्टिविटी में भी शामिल हो सकते हैं. पढ़ाई के लिए कहीं दूरस्थ स्थानों से कोर्स इत्यादि करने का मन भी बना सकते हैं. आपको इस ओर से कुछ सकारात्मक रुख भी दिखाई देगा. छात्र शिक्षा को लेकर कुछ सुस्ती भी दिखा सकते हैं. परिवार की ओर से भी पूरा ध्यान न मिल पाने के कारण भी बच्चे अपनी ओर से अधिक प्रयास करें. माह के दूसरे भाग में छात्रों को अपने एडमिशन से संबंधित कामों के लिए बहुत अधिक व्यस्तता झेलनी होगी.

मीन राशि के लिए जुलाई 2023 में स्वास्थ्य
सेहत के मामले में आपको ध्यान बनाए रखने की जरुरत होगी. स्वास्थ्य की समस्याएं परेशानी दे सकती हैं. इस समय पर शुगर से प्रभावित लोगों को अपना अधिक ध्यान रखने की जरुरत होगी. राशि स्वामी पर शनि का प्रभाव मानसिक तनाव सिर दर्द एवं नर्वस सिस्टम से जुड़ी समयाओं से प्रभावित कर सकता है.

मीन राशि के लिए जुलाई 2023 में परिवार
परिवार में आरंभिक समय कुछ स्थिरता वाला होगा लेकिन दूसरे सप्ताह से आपके कार्यों में अचानक से बदलाव होगा. शनि की दृष्टि के चलते कुछ चिंताएं बढ़ सकती हैं. इस समय पर गुप्त शत्रुओं से भी सावधान रहने की अश्यकता होगी. परिवार में रिश्तों का तानाबाना आपके लिए उलझनों वाला होगा जिसे सुलजाने के लिए धैर्य ओर शांति के साथ आगे बढ़ना ही उचित होगा. आप नए रिश्तों की ओर अधिक झुकाव रखेंगे. आपका ध्यान व्यर्थ की बातों पर अधिक लग सकता है. आप रिश्तों को वो अहमियत न दे पाएं जो देने की आवश्यकता है. मित्रों की ओर से आपको सहयोग और सकारात्मक विचार मिलेंगे. पर आप अभी दूसरों से सहमत न हों ओर किसी कारण से एक दूसरे के मध्य विवाद की स्थिति भी परेशान करने वाली होगी. पर धीरे धीरे ही सही रिश्तों में पुन: प्रेम और घनिष्टता का आगमन होगा.

मीन राशि के लिए जुलाई 2023 में उपाय
नियमित रुप से प्रात:काल सूर्य को अर्घ्य देना शुभ सकारात्मक ऊर्जा को प्रदान करेगा.
विष्णु स्त्रोत का पाठ नियमित रूप से किया करें.

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कुंभ राशि के लिए जुलाई 2023 का राशिफल

कुंभ राशि के लिए जुलाई माह में ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहेगी. राशि स्वामी शनि का वक्री अवस्था में ही गोचर कुंभ राशि में होगा और 12 जुलाई को शनि वक्री अवस्था में मकर राशि में प्रवेश करेंगे तथा वहीं गोचरस्थ रहेंगे. माह आरं भ में सूर्य का गोचर मिथुन में होगा उसके पश्चात माह मध्य 16 जुलाई से कर्क में राशि में गोचरस्थ आरंभ होगा. बुध वृष राशि में गोचरस्थ होंगे 2 जुलाई को बुध वृष से निकल कर मिथुन में होंगे 16 जुलाई को कर्क में जाकर गोचरस्थ होंगे. शुक्र माह आरंभ में वृषभ में होंगे इसके बाद 13 जुलाई को मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे. गुरु ग्रह मीन राशि में गोचर करेंगे 28 जुलाई को मीन में वक्री होकर गोचर करेंगे. मंगल का गोचर पूरे माह मेष राशि में होगा.

इस माह आपके लिए आर्थिक पक्ष अधिक मजबूत न रहे. माह के आरंभिक समय पर आपको ख़र्चों की अधिकता परेशान करेगी, किसी न किसी के चलते धन खर्च बना रहेगा. कभी स्वास्थ्य तो कभी घरेलू वस्तुओं को लेकर आप परेशान रहेंगे. इस माह आप घर से दूर रह सकते हैं या अपने काम के चलते आपको कुछ समय के लिए ट्रैवल पर रहना पड़ सकता है.

कुंभ राशि के लिए जुलाई 2023 में करियर और व्यवसाय
कार्य क्षेत्र में अपनी सोच और नीतियों को अभी सभी के सामने रखने के लिए उचित समय नहीं है. आपके द्वारा किया गया बेहतर काम भी इस समय दूसरों की नजरों पर खराब ही होगा. ऐसे में शांत रहें और अपनी तेजी को अभी नियंत्रित रखते हुए ही काम करें. आपके अधिकारियों की ओर से बेहतर रिस्पांस न मिल पाए. आप अपने काम को करते रहें क्योंकि समय आपके पक्ष में नहीं है. काम के क्षेत्र में आप बाहरी स्तर से लाभ पाएंगे. लंबी दूरी की यात्राओं में भी व्यस्त होंगे. पर कहीं न कहीं काम में परेशानी तो साथ रहने वाली ही है. आपका क्रोध और व्यग्रता दूसरों के लिए मौका होगी आपको परास्त करने के लिए. आपको काफी मेहनत करनी होगी क्योंकि विरोधियों का पक्ष अधिक मजबूत दिखाई देता है.

कुंभ राशि के लिए जुलाई 2023 में शिक्षा
शिक्षा के क्षेत्र में आप अभी कुछ अधिक न कर पाएं. आप पढ़ाई के लिए कहीं दूरस्थ स्थानों से कोर्स इत्यादि करने का मन भी बना सकते हैं. आपको इस ओर से कुछ सकारात्मक रुख भी दिखाई देगा. छात्र शिक्षा को लेकर कुछ सुस्ती भी दिखा सकते हैं. परिवार की ओर से भी पूरा ध्यान न मिल पाने के कारण भी बच्चे अपनी ओर से अधिक प्रयास करें. माह के दूसरे भाग में छात्रों को अपने एडमिशन से संबंधित कामों के लिए बहुत अधिक व्यस्तता झेलनी होगी.

कुंभ राशि के लिए जुलाई 2023 में स्वास्थ्य
सेहत के मामले में समय कुछ अधिक बेहतर नहीं है. आपको चाहिए की लापरवाही न बरतें कोई भी स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होने पर डाक्टर से संपर्क करें. वाद विवाद में स्वयं को न उलझाएं क्योंकि ये सीधे आपकी सेहत पर भी असर डाल सकता है. घर के सदस्यों की सेहत में अचानक से कमी के चलते आपको अपने आवश्यक कामों को टालना भी पड़ सकता है. माता -पिता की सेहत के प्रति ध्यान बनाए रखें. स्वभाव में क्रोध व उत्तेजना की स्थिति हो सकती है. पेट ओर आंखों का ख्याल रखें धूप व धूल के कारण आँखों पर बढ़ सकती है.

कुंभ राशि के लिए जुलाई 2023 में परिवार
घरेलू स्तर पर आपके संबंध उचित न रह पाएं. लड़ाई-झगड़ों की परिस्थितियां किसी न किसी रुप में माहौल को अशांत करती रहने वाली ही होंगी. वाहन इत्यादि का भी संभल कर उपयोग करें दुर्घटना या किसी प्रकार की दिक्कतें परेशान कर सकती हैं. आपका कठोर व्यवहार रिश्तों में निरसता ला सकता है, इस दौरान दांपत्य जीवन में एक दूसरे के प्रति आप अधिक असंवेदनशील या जिद्दी हो सकते हैं. ऐसे में घर के बड़े बुजुर्गों का सहयोग तो होगा लेकिन आप उनकी बातों को अधिक महत्व न देना चाहें. स्वयं को जितना शांत रखेंगे उतना ही आप स्वयं बहुत से मसलों को सुलझा सकने में समर्थ हो सकते हैं. अपने स्वभाव में थोड़ी नम्रता रखें. भाई बहनों के साथ आप कुछ अधिक सख़्ती कर सकते हैं जो संबंधों के लिए उचित नहीं होगा. सामाजिक स्तर पर आप मेल-जोल के मौके पाएंगे. कुछ नए लोगों के साथ भ्रमण के मौके भी प्राप्त होंगे.

कुंभ राशि के लिए जुलाई 2023 में उपाय
इस समय पर शनि के वक्रत्व से बचने हेतु नियमित रुप से श्री विष्णु सहस्त्र पाठ का जाप करना शुभ होगा. शनिवार के दिन शनिदेव के निमित्त सरसों के तेल का दीपक जलाने से नकारात्मक तत्वों से मुक्ति प्राप्त होगी.

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मकर राशि के लिए जुलाई 2023 का राशिफल

मकर राशि के लिए जुलाई माह में ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहेगी. राशि स्वामी शनि का वक्री अवस्था में ही गोचर कुंभ राशि में होगा और 12 जुलाई को शनि वक्री अवस्था में मकर राशि में प्रवेश करेंगे तथा वहीं गोचरस्थ रहेंगे. माह आरं भ में सूर्य का गोचर मिथुन में होगा उसके पश्चात माह मध्य 16 जुलाई से कर्क में राशि में गोचरस्थ आरंभ होगा. बुध वृष राशि में गोचरस्थ होंगे 2 जुलाई को बुध वृष से निकल कर मिथुन में होंगे 16 जुलाई को कर्क में जाकर गोचरस्थ होंगे. शुक्र माह आरंभ में वृषभ में होंगे इसके बाद 13 जुलाई को मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे. गुरु ग्रह मीन राशि में गोचर करेंगे 28 जुलाई को मीन में वक्री होकर गोचर करेंगे. मंगल का गोचर पूरे माह मेष राशि में होगा.

शनि की दृष्टि माह आरंभ में मंगल-राहु पर होने के कारण मानसिक चिंताएं अभी बनी रहने वाली हैं. व्यर्थ की बातों को लेकर तनाव भी अधिक रह सकता है. शनि के बदलाव से कुछ आर्थिक लाभ की स्थिति भी बनी रह सकती है. शनि का वक्री गोचर होना आपके प्रयास को बढ़ाने वाला होगा. मेहनत के कारण आप काम से जी चुरा सकते हैं, ऎसे में देरी भी देखने को मिल सकती है. 

मकर राशि के लिए जुलाई 2023 में करियर और व्यवसाय 

कामकाज में आप की स्थिति कई मामलों में कुछ विरोधाभास की स्थिति भी उभर सकती है. आप के लिए काम की स्थिति अधिक मेहनत का समय भी दिखा रही है. अपने सहकर्मियों के साथ मिलकर आप के काम में उलझन भी अधिक देखने को मिल सकती है. इस एक काम को करने में बार-बार अधिक प्रयास करने की आवश्यकता पड़ सकती है. 

कारोबार में कुछ नई चीजों को जोड़ सकते हैं. इस समय लेन-देन से संबंधित गतिविधियों में पारदर्शिता को बनाए रखने की आवश्यकता होगी. इस समय पर पुराने माल को निकाल पाना भी मुश्किल होगा. मुनाफा अधिक न होना इस समय परेशानी देने वाला हो सकता है. अपनी मेहनत में कमी से बचें और साथ ही हो सके तो अभी के समय अपने कारोबार में आपको सजग रहने की जरुरत होगी. 

मकर राशि के लिए जुलाई 2023 में शिक्षा

शिक्षा के लिहाज से ये समय आपकी प्रतियोगिताओं में कड़े संघर्ष को बढ़ाने वाला होगा. छात्र पढ़ाई में काफी दबाव महसूस कर सकते हैं. एजुकेशन फेयर इत्यादि में आप शामिल हो सकते हैं. कुछ नए कोर्स में प्रवेश लेने की जल्दबाजी से बचना चाहिए. इस समय छात्र राजनीति में पड़ने से बचें. व्यर्थ के विवाद आपके सामने उभर सकते हैं. इस समय आपको अपने शिक्षकों से सुझाव लेना आपके लिए बेहतर होगा. 

मकर राशि के लिए जुलाई 2023 में स्वास्थ्य 

सेहत के लिहाज से आपको अभी के समय अपनी सेहत पर ध्यान बना रखना होगा. आलस्य का प्रभाव भी आप पर अधिक बना रह सकता है. कुछ मानसिक चिंताएं भी अधिक रह सकती है जिसके कारण सिर दर्द और आंखों से संबंधित रोग परेशानी दे सकते हैं. जीवन साथी की सेहत को लेकर भी अचानक से चिकित्सक के पास जाना पड़ सकता है. 

मकर राशि के लिए जुलाई 2023 में परिवार 

परिवार के साथ आप इस समय कुछ अधिक व्यस्त रहने वाले हैं.  इस अवधि के दौरान, आप अपने परिवार से दूर विवाहेत्तर संबंधों का आनंद ले सकेंगे. प्रेम संबंधों के कारण आप अपनी प्रतिष्ठा खराब कर सकते हैं. इसलिए किसी भी रुप में इन चीजों के प्रति बहुत अधिक सोच से बचें. पिता की ओर से सहयोग मिलने में कुछ कमी रहेगी, वे आपकी बातों को समझना न चाहें या आपके विचार उनसे अलग रह सकते हैं. भाई-बहनों के साथ अनबन हो सकती है. इससे आपको ही नुकसान होगा इसलिए हो सके तो गुस्से और ईर्ष्या पर काबू रखें. आपके पिता का स्वास्थ्य खराब हो सकता है, पिता के स्वास्थ्य का उचित ध्यान रखने कि आवश्यकता है

मकर राशि के लिए जुलाई 2023 में उपाय 

 भगवान शिव जी का पूजन करें. गरीब बच्चों को खाने के लिए मीठी वस्तुओं का दान करें. 

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