Category Archives: vedic astrology

दर्श फाल्गुन अमावस्या: ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में एक दर्श अमावस्या होती है. दर्श अमावस्या का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह चंद्रमा के अदृश्य होने का दिन होता है, जब सूर्य और चंद्रमा एक-दूसरे के समीप होते … Continue reading

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तीसरे भाव में शुक्र: प्रभाव और विशेषताएं

तीसरे भाव में बैठा शुक्र प्रभावशाली बातों से जोड़ सकता है. व्यक्ति की बोलचल उसकी बात करने की क्षमता दूसरों पर जबरदस्त तरीके से असर डालने वाली होती है. शुक्र, प्रेम, सौंदर्य और शांति का ग्रह, हमारे व्यक्तित्व और रिश्तों … Continue reading

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आयुष्मान योग और इसका ज्योतिष में प्रभाव

आयुष्मान योग भारतीय ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण योग माना जाता है. यह योग किसी व्यक्ति के जीवन में दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक होता है. यह विशेष रूप से तब बनता है जब कुंडली में किसी विशिष्ट ग्रह … Continue reading

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विष्कुम्भ योग : ज्योतिष में विष्कुम्भ योग का प्रभाव

ज्योतिष में बनने वाले सत्ताईस योगों में से एक योग है विष्कुंभ योग, विष्कुम्भ योग एक ऐसा दुर्लभ और शक्तिशाली योग है, जो ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह योग तब उत्पन्न होता है जब किसी व्यक्ति की … Continue reading

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आनंदादि योग जानें इसके शुभ-अशुभ प्रभाव

आनन्दादि योग का उल्लेख भारतीय ज्योतिष शास्त्र में विशेष रूप से किया जाता है.  ज्योतिष में, योग का मतलब होता है विभिन्न नक्षत्र, योग तिथि वार इत्यादि की स्थितियों और उनके आपसी संबंधों के माध्यम से उत्पन्न होने वाली विशेष … Continue reading

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चंद्रमा मंगल युति : ज्योतिष का एक खास योग जो बदल सकता है आपका भविष्य

चंद्रमा-मंगल युति एक सामान्य ज्योतिष के उन खास युति योगों में से एक है जो आर्थिक स्थिति को बेहतर बनने वाले और व्यक्ति को काफी आत्मविश्वास से भर देता है. मंगल ग्रह क्रोध, साहस और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है. … Continue reading

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कर्क राशि में वक्री मंगल : मंगल कर्क राशि में वक्री सभी 12 राशियों पर इसका प्रभाव

वक्री मंगल कर्क राशि में नव ग्रहों में मंगल को जोश और साहस का ग्रह माना जाता है. मंगल जब भी गोचर में बदलाव करता है उसका असर सभी पर होता है. जब मंगल कर्क राशि में वक्री होता है … Continue reading

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क्या होता है केन्द्राधिपति दोष ?

ज्योतिष में अनेकों योगों का उल्लेख मिलता है जिनके आधार पर कुंडली की शुभता या निर्बलता को समझ पाना संभव होता है. इन्हीं में से एक योग है केन्द्राधिपति दोष. यह यह ऎसा दोष है जब शुभ ग्रह गुरु, शुक्र, … Continue reading

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कर्क लग्न के लिए बाधक शुक्र और बाधकेश प्रभाव

कर्क लग्न के लिए बाधक शुक्र और बाधकेश प्रभाव  कर्क लग्न के लिए बाधक शुक्र बनता है. शुक्र कर्क लग्न के लिए बाधकेश होता है. शुक्र एक अनुकूल शुभ ग्रह होने पर भी कर्क लग्न के लिए बाधक का काम … Continue reading

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मिथुन लग्न के लिए बाधक ग्रह और बाधकेश प्रभाव

मिथुन लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति के लिए सातवां भाव बाधक बनता है. मिथुन लग्न के लिए सातवें भाव का स्वामी बाधकेश हो जाता है. गुरु का प्रभाव अनुकूल होने पर भी बाधक के कारण वह अपना संपूर्ण प्रभाव … Continue reading

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