विष्कुम्भ योग : ज्योतिष में विष्कुम्भ योग का प्रभाव

ज्योतिष में बनने वाले सत्ताईस योगों में से एक योग है विष्कुंभ योग, विष्कुम्भ योग एक ऐसा दुर्लभ और शक्तिशाली योग है, जो ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह योग तब उत्पन्न होता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में कुछ विशेष ग्रहों की स्थिति बनती है.

इस योग को सूर्य चंद्रमा और नक्षत्र गणना के आधार पर प्राप्त किया जाता है. इसके कारण जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएं और कठिनाइयाँ उत्पन्न हो सकती हैं. इस योग को समझने के लिए हमें पहले कुंडली और ग्रहों के प्रभाव को समझना होगा, क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की स्थिति व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती है.

विष्कुम्भ योग का अर्थ

‘विष्कुम्भ’ शब्द दो भागों से मिलकर बना है ‘विष’ और ‘कुम्भ’. ‘विष’ का अर्थ है ‘जहर’ और ‘कुम्भ’ का अर्थ है ‘घड़ा’. इस तरह से, विष्कुम्भ योग का अर्थ है, एक ऐसा घड़ा जिसमें विष या जहर भरा हो, जो किसी व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक प्रभाव डालता है. हालांकि, यह योग व्यक्ति के जीवन में संकट, मुश्किलें और परेशानियां ला सकता है, लेकिन अगर इसे सही तरीके से समझा जाए और सही उपाय किए जाएं, तो इसके प्रभावों को कम किया जा सकता है.

विष्कुम्भ योग तब बनता है जब कुंडली के विशेष स्थानों में ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है, जिससे व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक, या आर्थिक परेशानियां होती हैं. यह योग तब उत्पन्न हो सकता है जब कोई व्यक्ति की कुंडली में सूर्य, चंद्र, मंगल, शनि या अन्य ग्रहों के योग से विषकुम्भ योग का निर्माण हो जाता है. विशेष रूप से शनि और मंगल की स्थिति इस योग को उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इस योग का असर जीवन के विभिन्न पहलुओं पर हो सकता है, जैसे पारिवारिक जीवन, व्यवसाय, स्वास्थ्य आदि.

जन्म कुंडली में विष्कुंभ योग 

वैदिक ज्योतिष में कहा गया है कि व्यक्ति की कुंडली के द्वारा उसके व्यक्तित्व लक्षणों और उसके जीवन में घटने वाली स्थितियों को विशेष तरीके से समझा जा सकता है.इसी तरह से 27 नित्य योग हैं जिनमें से पहला योग कुंडली में विष्कुंभ योग है. कुंडली में सूर्य और चंद्रमा की स्थिति के अनुसार नित्य योग का पता लगाया जाता है. किसी भी कुंडली में विभिन्न योगों को समझने के लिए सूर्य और चंद्रमा दो सबसे महत्वपूर्ण ग्रह हैं 

किसी भी व्यक्ति की कुंडली में इस योग की उपस्थिति मिलेजुले असर को देने वाली है. इस योग का स्वामी ग्रह शनि है जो व्यक्ति के लिए अनुशासन नियम और परिश्रम को देता है. ऎसे व्यक्ति का व्यक्तित्व काफी मजबूत होता है और इस प्रकार, व्यक्ति की सफलता पर इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है. आइए किसी व्यक्ति के जीवन में विष्कुंभ योग की उपस्थिति के लाभों को समझते हैं. 

कुंडली में विष्कुंभ योग वाले व्यक्ति में जीवन में सफल होने के लिए आवश्यक सभी बेहतरीन गुण और व्यक्तित्व लक्षण होते हैं. यह योग जातक को बहुत दयालु और मददगार बनाता है. विष्कुंभ योग व्यक्ति को समाज में बहुत सम्माननीय बनाता है. विष्कुंभ योग का अर्थ विष्कुंभ योग के प्रभाव कुंडली में विष्कुंभ योग के प्रभाव व्यक्ति के जीवन में बहुत मजबूत होते हैं. 

व्यक्ति के पास मजबूत चरित्र के साथ-साथ सुंदर विशेषताएं होती हैं जो उसे किसी भी चुनौती से उबरने में मदद करती हैं. जब दूसरों की समस्याओं से निपटने की बात आती है तो वे बहुत निष्पक्ष और निष्पक्ष होते हैं. आप देखेंगे कि विष्कुंभ योग वाले जातक ज्ञानी और बौद्धिक होते हैं. यह दर्शाता है कि वे आम तौर पर अपने करियर में सर्वोच्च स्थान रखते हैं. 

बहुत केंद्रित और लक्ष्य-उन्मुख लोग होते हैं और आप देखेंगे कि इस गुण के कारण, उनके लिए सफलता प्राप्त करना आसान हो जाता है. जातक बहुत मेहनती और साहसी होते हैं, वे जोखिम लेने और जीवन में आगे बढ़ने में संकोच नहीं करते हैं. 

विष्कुम्भ योग के प्रभाव

विष्कुम्भ योग के प्रभाव व्यक्ति के जीवन में बहुत ही नकारात्मक होते हैं. इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, 

इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या हो सकती हैं. यह व्यक्ति को चिड़चिड़ापन, थकान, तनाव, और अन्य मानसिक परेशानियों का सामना करवा सकता है.

विष्कुम्भ योग व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को भी प्रभावित कर सकता है. इसके प्रभाव से अचानक आर्थिक संकट उत्पन्न हो सकते हैं, जिससे व्यक्ति की आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है.

इस योग के कारण व्यक्ति के पारिवारिक जीवन में भी तनाव और समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं. रिश्तों में दरारें, गलतफहमियाँ और कुटुंब के साथ मतभेद हो सकते हैं.

व्यक्ति को अपने कार्यक्षेत्र में भी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. यह योग काम में विफलता, प्रमोशन में अड़चन, या वित्तीय नुकसान का कारण बन सकता है.

विष्कुम्भ योग शांति उपाय

चूंकि विष्कुम्भ योग के प्रभाव नकारात्मक होते हैं, इसलिए इससे बचने और इसके प्रभावों को कम करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं:

ग्रहों का शांति उपाय: अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में विष्कुम्भ योग हो, तो उसे अपने ग्रहों के शांति उपाय करने चाहिए. इसके लिए वह मंत्रों का जाप कर सकते हैं, जैसे ‘ऊँ सूर्याय नमः’, ‘ऊँ शं शनैश्चराय नमः’, आदि. इसके अतिरिक्त, उन ग्रहों से संबंधित रत्न पहनना भी लाभकारी हो सकता है.

मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए ध्यान और योग का अभ्यास करना चाहिए. इससे तनाव कम होता है और व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है, जो विष्कुम्भ योग के प्रभावों से लड़ने में मदद कर सकती है.

किसी भी तरह का दान, जैसे गरीबों को भोजन देना, बुजुर्गों की सेवा करना या धर्म के कार्यों में सहायता करना, इस योग के नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकता है.

विष्कुम्भ योग में शनि ग्रह का बड़ा प्रभाव होता है. इसलिए शनि देव की पूजा और शनिवार के दिन उपवासी रहकर शनि के मंत्रों का जाप करने से भी लाभ हो सकता है.

ईमानदारी और सच्चाई से काम करने से विष्कुम्भ योग के प्रभाव को कम किया जा सकता है. अगर व्यक्ति सच्चाई और नैतिकता से जीवन जीता है, तो ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव कम हो सकता है.

This entry was posted in astrology yogas, blog, horoscope, jyotish, muhurat, nakshatra, panchang, planets, transit, vedic astrology and tagged , , , . Bookmark the permalink.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *