दूसरे भाव में चंद्रमा : धनवान योग कुंडली के दूसरे भाव में चंद्र

दूसरे भाव में चंद्रमा : धनवान योग कुंडली के दूसरे भाव में चंद्र

चंद्रमा की शुभता हर भाव को विशेष बनाती है. चंद्रमा का प्रभाव कुंडली में वो स्थान रखता है जिसके द्वारा कुंडली को बल मिलता है. कुंडली में दूसरे भाव का चंद्रमा धन के साथ साथ मान प्रतिष्ठा देने में भी सहायक बनता है. चंद्रमा जन्म कुंडली के दूसरे भाव में बैठ कर अपने गुण और कार्क तत्वों को विस्तार देने वाला होता है. लेकिन अगर चंद्र की स्थिति कमजोर है तो इसका असर कारक तत्वों में कमी को दिखाता है. तो चलिये जान लेते हैं सामान्य रुप में कैसे चंद्रमा अपने शुभ या कमजोर असर दिखाता है कुंडली में और कब इसका विशेष परिणाम हमें मिलता है. 

कुंडली के दूसरे भाव में चंद्रमा का सामान्य प्रभाव 

चंद्र देव का द्वितीय भाव में होना अच्छे या खराब परिणाम तब देता है जब चंद्रमा की स्थिति विशेष रुप से प्रभावित होती है. सामान्य रुप में चंद्रमा मृदुभाषी, सुंदर, मौज-मस्ती करने वाला, सहनशील, शांत और भाग्यशाली बनाता है. उदार, रचनात्मक, अविश्वसनीय रूप से धनी, उत्साही और विदेशी नागरिक हो सकता है. व्यक्ति चंद्रमा की तरह प्रकाशित होता है,  दार्शनिकों द्वारा सम्मानित किया जाता है. शारीरिक संतुष्टि को पाता है. बड़ा परिवार, खुशहाल बच्चे और कई मित्र हो सकते हैं. 

व्यक्ति समृद्ध होता है. विपरीत लिंग से अच्छा लाभ पाने में सक्षम होता है. बहुत सी चीजें उगाने का शौक जिसमें बागवानी का शौक होता है. वह सार्वजनिक कार्यों में योगदान देगा और उसमें समृद्ध होगा. विदेश प्रवास अच्छा होता है. आम समाजों के साथ उसके संबंध मददगार होते हैं. दूसरे भाव में स्थित चंद्रमा विपरीत लिंग के वैवाहिक व्यक्तियों से लाभ और व्यय का प्रतीक है. कुशल और परिचित होता है कई चीजों में. ज्योतिष अनुसार चंद्रमा शक्तिशाली और शुभ ग्रह है, इसलिए समृद्धि और खुशी देने में सहायक बनता है.

चंद्रमा अगर कुछ कमजोर पक्ष में दिखाई देता है तब स्थिति अनुकूल नहीं बन पाती है. व्यक्ति विपरीत लिंग की संगति की सराहना कर सकता है और अपने परिवार के प्रति कम सम्मान रख सकता है. व्यक्ति अपनी बहन या बेटी के कारण धन खो सकता है. व्यक्ति दुखी और पागल हो सकता है. वकीलों को लाभ मिलता है. ग्रह की स्थिति अपराधियों के लिए आशाजनक है. जिस प्रकार चंद्रमा घटता और बढ़ता है, उसी प्रकार चंद्रमा से प्रभावित जातक का भाग्य बढ़ता है और उसके पास अलग-अलग धन होता है. आय की स्थिति भी समुद्री तूफान की तरह बदलती रहती है. व्यक्ति संकोची हो सकता है. व्यक्ति दुखी, प्रदूषित और मूर्ख हो सकता है. पेट में जलन महसूस हो सकती है. पैतृक आय नष्ट हो सकती है. अधिक आय प्राप्त करने में बाधाएं आ सकती हैं. कम जटिलताओं के साथ धन की वृद्धि होती है. 

चंद्रमा दूसरे भाव में शुभ कब होता है

. ज्योतिष के अनुसार, नौ ग्रहों की विशिष्ट स्थिति के कारण प्रत्येक जन्म कुंडली अद्वितीय होती है, जो हमारे स्वभाव और भविष्य को निर्धारित करती है. जब ग्रह इन घरों में स्थित होते हैं, तो वे हमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से प्रभावित करते हैं. जब कुंडली के दूसरे भाव में चंद्रमा स्थित होता है, तो कई परिणाम देखने को मिलते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है. इसके अलावा, जब कुंडली के दूसरे भाव में चंद्रमा स्थित होता है, जो ‘धन’ का प्रतिनिधित्व करता है, तो यह व्यक्ति की वित्तीय स्थिति को प्रभावित करता है. ज्योतिष में, जन्म कुंडली में बारह भाव होते हैं, और प्रत्येक भाव का हमारे जीवन में अलग-अलग असर और भूमिका होती है. यदि सभी की जन्म कुंडली में नौ ग्रहों की स्थिति एक जैसी होती, तो हमारा स्वभाव भी एक जैसा होता इसलिए, जन्म कुंडली के दूसरे भाव में चंद्रमा के कुछ सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों पर चर्चा करने का प्रयास किया है. 

दूसरे भाव में चंद्रमा का शुभ फल 

वैदिक ज्योतिष में द्वितीय भाव को धन और भौतिक संपत्ति का कारक माना जाता है. यह भाव व्यक्ति की भौतिक और बढ़ती हुई समृद्धि को दर्शाता है. ज्योतिषियों ने जन्म कुंडली में द्वितीय भाव को धन का भाव कहा है, जो व्यक्ति की जन्म कुंडली में भौतिक सुख-सुविधाओं और सांसारिक स्थितियों के विभिन्न असर दिखाता है. जन्म कुंडली के द्वितीय भाव में चंद्रमा स्थित है, तो व्यक्ति मधुरभाषी, सुंदर और शांतिप्रिय स्वभाव का होता है. इस भाव में चंद्रमा का होना अत्यंत लाभकारी और शुभ होता है. ऐसे व्यक्ति काफी धन और संपत्ति अर्जित करते हैं. चंद्रमा के प्रभाव से ऐसे व्यक्ति बेहतरीन गायक या कवि बन सकते हैं. इन क्षेत्रों में उनकी रुचि भी हो सकती है. जन्म कुंडली का दूसरा भाव धन और संपत्ति से जुड़ा होता है, इसलिए इस भाव में चंद्रमा होने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. चंद्रमा के पाप प्रभाव में होने के कारण इसमें कुछ उतार-चढ़ाव का भी अनुभव हो सकता है.

जन्म कुंडली के दूसरे भाव में चंद्रमा के साथ-साथ अन्य ग्रहों की स्थिति भी विभिन्न प्रभाव डालती है. यदि चंद्रमा किसी पाप ग्रह से प्रभावित है, तो आपको आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.इसके साथ ही यदि चंद्रमा किसी शुभ ग्रह के साथ है; तो यह आपकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में सहायक सिद्ध होगा.

दूसरे भाव में चंद्रमा का नकारात्मक पक्ष 

व्यक्ति भावनाओं में अधिक बहने वाला होता है. कला के कामों जैसी कुछ चीज़ों से जुड़ सकता है और इसके बारे में भावुक हो सकता है. आर्थिक स्थिति में अप व्यय भी प्रभाव डाल सकता है. बहुत महंगा सामान खरीद सकते हैं जो कम व्यावहारिक हो सकता है. परिवार को खुश और संतुष्ट रखने के लिए बहुत मेहनत करते हुए स्वास्थ्य को कमजोर कर लेते हैं. अपनी असुरक्षा के कारण तनाव होता है और अपनी जिम्मेदारियों के बीच सही संतुलन बनाने की आवश्यकता होती है.  

This entry was posted in blog, horoscope, jyotish, planets and tagged , , , , . Bookmark the permalink.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *