जन्म कुंडली का पहला भाव जीवन का आईना कहलाता है. लग्न भाव में जब सूर्य होता है तो व्यक्ति के भीतर चमक को भर देने का काम कर देता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य ग्रह का विराजमान होना कई तरह से अपना प्रभाव दिखाता है. इसका जीवन के प्रत्येक पक्ष पर असर पड़ता है. लग्न भाव यानी पहला भाव जो व्यक्ति के गुण, स्वभाव, चेहरे, आदतों पर असर पड़ता है. जब कोई शुभ ग्रह बैठ जाता है तो वह शुभता देने में सहयोग देता है लेकिन अगर वह पाप ग्रह होगा तो कठोर असर देगा वहीं हर ग्रह अपने अपने गुण धर्म के साथ असर दिखाने वाला होता है. तो चलिये जानते हैं की सूर्य की स्थिति कैसे देती है अपना असर.
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ज्योतिष अनुसार सूर्य महत्व
सभी नौ ग्रहों में सूर्य सबसे बड़ा ग्रह माना जाता है जो संपूर्ण प्रथ्वी को अपनी ऊर्जा प्रदान करता है.सूर्य आत्मा, पिता, धर्म, सरकारी प्रशासन, अग्नि तथा मुख्य व्यक्ति जैसे ऑफिस में बॉस और घर के बड़े व्यक्ति का कारक होता है. सूर्य ग्रह जब कुंडली के पहले भाव में विराजमान हो तब कई सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डालता है.
ज्योतिष में सूर्य ग्रह को विशेष महत्व दिया गया है. हिन्दू संस्कृति में सूर्य को देवता की उपाधि दी गई है और आराधना की जाती है. सूर्य देव धरती पर ऊर्जा का सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत भी माने जाते है. वैदिक ज्योतिष अनुसार सूर्य की स्थिति का प्रभाव लग्न में बैठ कर संपूर्ण भावों को प्रकाशित करने वाली स्थिति होती है.
सूर्य के कारकत्व में अधिकार की भावना, अग्नि तत्व की अधिकता होने के कारण, लग्न में सूर्य के प्रभाव से व्यक्ति अहम युक्त, स्वाभिमानी होता है. क्रोध और उग्रता अधिक होती है. सूर्य हमेशा ऊर्जावान रहता है और सूर्य का प्रभाव उसके संपर्क में आने वाले व्यक्ति को भी ऊर्जावान बनाता है, इसलिए सूर्य के प्रभाव से व्यक्ति में भी अधिक ऊर्जा होती है. सूर्य के लग्न में होने से व्यक्ति उच्च विचारों वाला और न्यायप्रिय होता है. सूर्य को ब्रह्मांड में सर्वोच्च राजा का पद प्राप्त होने के कारण व्यक्ति पर सूर्य का भी प्रभाव होता है और व्यक्ति उच्च विचारों वाला होता है.
पहले भाव में स्थित सूर्य के सकारात्मक प्रभाव
प्रथम भाव में स्थित सूर्य व्यक्तित्व में निखारे लाता है. पहले भाव पर सूर्य का प्रभाव है तो यह सूर्य की ऊर्जा और तीव्रता के प्रभाव के कारण अति उत्साही और जोश से भरपुर बनाती है. व्यक्ति में शक्ति और अधिकार की तीव्र इच्छा हो सकती है. पहले भाव में यदि सूर्य ग्रह हो तो उन्हें एक प्रभावशाली क्षमता मिलती है. व्यक्ति में जन्मजात नेता की प्रवृत्ति के गुण होते हैं, जो एक बड़े जनसमूह का मार्गदर्शन कर सकता है.
निष्पक्ष और समानता का व्यवहार करना इनका गुण होता है. प्रथम भाव में स्थित सूर्य ग्रह के शुभ प्रभाव से जातक गतिशीलता और स्वतंत्रता प्राप्त करते हैं. पहले भाव में सूर्य ग्रह के होने से मजबूत इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प के साथ-साथ सशक्त होने की क्षमता का भी विकास होती है. सकारात्मकता, व्यावहारिकता और आत्मविश्वास से भरपूर स्वभाव होता है.
उत्सुक और जिज्ञासु प्रवृत्ति का गुण मिलता है. हमेशा कुछ नया सीखने की ललक बनी रहती है और यही जिज्ञासा प्रवृत्ति ही उनके ज्ञान और अनुभव में विकास लाती है. समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है. करियर में सफलता की संभावना भी अधिक होती है.
पहले भाव में सूर्य ग्रह के नकारात्मक प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार कुंडली के पहले भाव में सूर्य अभिमानी और लोभी स्वभाव का भी बना सकता है. सत्ता और प्रभाव के लालच में अधिक प्रयास करता है. आत्मविश्वास, अति आत्मविश्वास में बदल सकता है, स्वयं को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं, और उनसे बेहतर कोई नहीं हो सकता. नेता या प्रमुख के रूप में अनुचित व्यवहार भी कर सकते हैं. जिससे दूसरों के बीच लोकप्रियता नकारात्मक असर पड़ सकता है, व्यक्ति कुछ सनकी और स्वार्थी हो सकता है.
विपरीत स्थिति में केवल अपना स्वार्थ देखता है. दूसरों के हितों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं. सूर्य की स्थिति बहुत मनमौजी स्वभाव दे सकती है. अधिक गुस्सा करने की प्रवृत्ति के कारण ये अपने आस-पास के परिवेश में सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाते है. नकारात्मक पक्ष तब अधिक देखने को मिलता जब सूर्य के साथ पाप ग्रहों का योग बन रहा है.