महादशा में अन्य ग्रहों की दशाओं का आना अंतरदशा प्रत्यंतरदशा रुप में होता है. दशाओं का प्रभाव सूक्ष्म रुप में पड़ता है. हर दशा का असर अपने भव स्वामित्व ग्रह स्थिति के आधार पर ही होता है. सूर्य की महादशा का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में उत्साह और तीव्रता देने वाला होता है. जीवन के सभी क्षेत्र में व्यक्ति को कई अवसर प्राप्त होते हैं और कई तरह के विपरित कार्य मिलते हैं. सूर्य कुंडली में अपने भाव स्थिति के अनुसार फल प्रदान करता है वहीं सूर्य के अपने गुण भी इसमें काम करते हैं. इसके साथ ही मंगल की अंतरदशा जब सूर्य की महादशा में मिलती है तो वहीं यह स्थिति का काफी बदलावों को दर्शाने वाली होती है.
सूर्य और मंगल दशा का गुण प्रभाव
सूर्य और मंगल की भूमिका का साथ में होगा अग्नि तत्व से जुड़े कामों को बढ़ा देने वाला होता है. यह अनूठी ज्योतिषीय विशेषता के साथ दशाओं में अपना असर दिखाते हैं. इस योग के अलग-अलग प्रभाव हैं क्योंकि ग्रहों की प्रत्येक जोड़ी एक दूसरे के साथ अलग तरह से बातचीत करती है. दशाओं में अत्यधिक प्रेरित दिखाई दे सकते हैं और चीजों को हासिल करने के लिए आगे रहते हैं. इसके अलावा खुद को खतरे में डालकर भी इच्छाओं पर भी काम कर सकते हैं. दोनों ग्रह व्यक्ति को आवेगी और हठी बनाने वाले होते हैं. सूर्य महादशा में मंगल अंतरदशा व्यक्ति में ऊर्जा और उत्साह को भर देने में सहायक होती है. अक्सर छोटी योजना या पूर्वविवेक के साथ किसी प्रयास में सिर झुकाते हैं.
सूर्य सभी ग्रहों का राजा है. यह अपने स्वयं के प्रकाश से प्रकाशित होता है और इसलिए यह एक तारा है. हिंदू पौराणिक कथाओं में, हम इसे भगवान विष्णु कहते हैं जो ब्रह्मांड के स्वामी हैं. सूर्य शक्ति और प्राधिकरण का प्रतिनिधित्व करता है और इसलिए यह सभी सरकारी प्राधिकरणों, सत्ता के पदों, राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, संसद सदस्यों जैसे सत्ता के उच्च पदों पर आसीन लोगों और उन लोगों से संबंधित है जो सरकार साथ संबंधित होते हैं. शक्तिशाली सूर्य वाले लोग हमेशा किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करना चाहते हैं और इसलिए वे किसी और के अधीन काम करके खुश नहीं होते हैं. यदि वे व्यवसाय भी करते हैं, तो वे एकाधिकार व्यवसाय करना पसंद करते हैं. सूर्य ग्रह पृथ्वी पर जीवन के लिए महत्वपूर्ण है. मानव और पृथ्वी पर कई अन्य जीवन रूपों के लिए आवश्यक है.
सूर्य चेतना पर मंगल शक्ति पर डालता है प्रभाव
सूर्य हमारी आत्मा का भी प्रतिनिधित्व करता है और इसलिए शक्तिशाली सूर्य वाले व्यक्ति की आत्मा अच्छी होती है, वहीं मंगल शक्ति को दर्शाता है. इन दोनों का संगम व्यक्ति को उसके कार्यो को करने के लिए बेहद मजबूत बनाता है. कर्म के प्रति अनुकरणीय होते हैं और वह हमेशा दूसरों की मदद करता है. दूसरी ओर कमजोर सूर्य महादशा में मंगल अंतरदशा के कारन व्यक्ति बहुत लालची, आत्मकेंद्रित और घमंडी स्वभाव का हो सकता है और उसकी कुंडली में सूर्य की स्थिति के आधार पर उसे कई स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं. किंतु यदि मंगल की स्थिति कुछ बेहतर होगी तो उसका लाभ मिलेगा. सूर्य हमें जीवन शक्ति और प्रतिरोध और प्रतिरक्षा की शक्ति देता है. यह हमारी शारीरिक शक्ति को निर्धारित करता है. सूर्य को जीवन शक्ति और इच्छा शक्ति, बुद्धि, तेज, समृद्धि और सांसारिक मामलों में सफलता का दाता माना जाता है. यह हमारी महत्वाकांक्षाओं और प्रसिद्धि से भी जुड़ा है. सूर्य हमारी चेतना पर अधिकार रखता है.
सूर्य और मंगल दशा का कुंडली में भाव प्रभाव
सूर्य महादशा में मंगल की अंतदरशा का समय कुंडली में मौजूद इन दोनों ग्रहों की स्थिति को देख कर समझा जा सकता है. अगर कुंडली में यह दोनों ग्रह शुभ होंगे तो शुभ फल मिलेंगे. वहीं खराब होंगे तो अच्छे फल नहीं मिल पाएंगे. इसी के अनुसर एक अच्छा और दूसरा खराब है तो मिलेजुले असर मिलते हैं. इसलिए इन दोनों ग्रहों की शक्ति कुंडली में निहित इनकी शक्ति पर भी निर्भर करती है.
सूर्य हमारी मूल पहचान है, और आत्म-साक्षात्कार का प्रतिनिधित्व करता है. सूर्य एक मनोवैज्ञानिक कारक है जो हमारे कार्यों पर हावी होता है. इसका कुंडली में शुभ होना महादशा में शुभता दिलाएगा वहीं अगर शुभ मंगल अंतरदशा भी मिल रही होगी तो जीवन में सकारात्मक बदलावों को प्राप्त कर सकते हैं. सूर्य ही है जो यह तय करता है कि हम वास्तव में क्या हैं और मंगल के द्वारा अपनी इच्छाओं को पाने के लिए हमारा प्रयास होता है. हम अपने जीवन के उन क्षेत्रों में चमकते हैं जो उस घर से संबंधित होते हैं जहां सूर्य हमारी कुंडली में स्थित होता है. वहीं मंगल हमें अपने जीवन को आगे बढ़ाने का साधक बनता है.
राज्य से लाभ और सम्मान प्राप्त हो सकता है
सूर्य और मंगल की स्थिति राज्य से संबंधित प्रभाव देने वाली होती है. सूर्य में मंगल की अंतरदशा का प्रभाव व्यक्ति को अपने काम के लिए यह समय काफी आगे रखने वाला होता है. जीवन के क्षेत्र में सूर्य के साथ मंगल का प्रभाव आने पर व्यक्ति अपने आस पास की स्थिति से लाभ अर्जित करने में सक्षम होता है. इसके द्वारा व्यक्ति कार्यक्षेत्र में परिणाम देखता है. वह कई मायनों में जीवन के उन कार्यों से भी लाभ अर्जित कर पाने में सक्षम होता है जहां अन्य का जा पाना संभव नहीं होता है. व्यक्ति के लिए यह दशा उसके काम के स्त्रोत में वृद्धि करने वाली होती है.
इस समय के दौरान पद-प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है. सोना, जवाहरात और वस्त्रों की प्राप्ति होती है और धन की वृद्धि होती है. घर में शुभ आयोजन होते हैं और भाइयों का साथ भी प्राप्त होता है. कुछ मामलों में अपनों एवं दूसरों के सदस्यों का विरोध हो सकता है. शरीर में अम्लता और अन्य बीमारियों से कष्ट हो सकता है. इस दशा में शुभ प्रभाव जैसे भूमि लाभ, धन-धान्य की प्राप्ति, घर की प्राप्ति हो सकती है. यह सभी बातें इन दोनों ग्रहों की दशा के गुण धर्म एवं कुंडली में स्थिति के अनुसार प्राप्त होती हैं.