सूर्य के आत्मकारक होने पर प्रतिष्ठा के साथ मिलती हैं राजनीतिक सफलता

आत्मकारक ग्रह जीवन में इच्छाओं के साथ आकांक्षा को दर्शाता है. यह ग्रह मुख्य ग्रह है जिसके माध्यम से कुंडली के अन्य ग्रहों के बल का आंकलन किया जाता है. यदि आत्मकारक कमजोर या पीड़ित है, तो जीवन में गलत निर्णय अधिक हो सकते हैं. व्यक्ति अपने साथ साथ दूसरों के लिए भी परेशानियां उत्पन्न कर सकता है. इस प्रकार, आत्मकारक ग्रह की उच्चतम अभिव्यक्ति को समझना और उसके अनुसार नियमों का पालन करना ही जीवन को बेहतर रुप से जीने का एकमात्र तरीका भी हो सकता है. 

यदि कुंडली में सूर्य आत्मकारक होकर मजबूत है, तो यह कुंडली के अन्य कारकों को अच्छे परिणाम देने में मदद करता है. यह कमजोर ग्रहों के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने में मदद करता है. लेकिन अगर सूर्य आत्मकारक ग्रह होकर कमजोर है, तो शुभ होकर भी सबसे अच्छा परिणाम देने में सक्षम नहीं हो पाता है.

ज्योतिष में आत्मकारक हमारे भीतर आत्मा को परिभाषित करता है. इसकी बाहरी अभिव्यक्ति आध्यात्मिक से अलग होती है, जिसका मतलब यह है कि हम आसानी से इच्छाओं की प्रकृति के जाल में फंस सकते हैं और सोच सकते हैं कि आत्मा केवल सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति ही चाहती है. यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति सच्ची आत्मा के अनावरण की प्रक्रिया का हिस्सा है. आत्मा ही हमारी इच्छा के चक्र को नियंत्रित कर रही होती है. भौतिक इच्छाओं की पूर्ति अधिक से अधिक के लिए एक बढ़ती हुई भूख पैदा कर सकती है. नतीजतन, ये इच्छाएं कभी पूरी नहीं होतीं, लेकिन सूर्य के आत्मकारक होने पर इन को नियंत्रित भी किया जा सकता है. किंतु इस के पिछे बहुत से अन्य तथ्य भी काम करने वाले होते हैं. 

सूर्य का दो रुपों में आत्मकारक होना 

आत्मकारक दो प्रकार के होते हैं – प्राकृतिक आत्मकारक और जैमिनी  आत्मकारक. यदि आत्मकारक द्वारा किए जाने वाले कार्य के पक्ष में हो तो कार्य सिद्ध होता है. यदि आत्मकारक की गतिविधि को स्वीकार नहीं करता है तो सिद्धि कठिन है. सभी जन्म कुंडली में सूर्य को प्राकृतिक आत्मकारक माना जाता है. सभी जन्म कुंडली में प्राकृतिक आत्मकारक सूर्य है. सूर्य हमारे व्यक्तित्व के केंद्र को प्रभावित करता है; इसे आत्मकारक के नाम से जाना जाता है. मानव शरीर पर सूर्य का पूर्ण प्रभाव होता है. इसलिए जब कुंडली में अन्य रुप से भी यह आत्मकारक बन जाता है तो इसका असर दोगुने रुप में हमें प्राप्त होता है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, सूर्य की पहचान ब्रह्मांड की आत्मा के साथ-साथ व्यक्ति की आत्मा से की जाती है. इस प्रकार आत्मकारक, कारक कर्ता, जोड़तोड़ करने वाला और निर्देशक भी है. आत्मकारक कुंडली में सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है. यह आत्मकारक से ही संभव होता है जिससे इष्ट देवता के बारे में जाना जाता है.  

आत्मकारक सूर्य के प्रभावों के बारे में सामान्य सिद्धांत 

आत्मकारक के रूप में सूर्य दर्शाता है कि व्यक्ति को अपने अहंकार पर काबू पाना सीखना होता है क्योंकि सूर्य की स्थिति व्यक्ति के भीतर अहम की भावना में वृद्धि करती है. इसलिए जब सूर्य आत्मकारक बनता है तो व्यक्ति को एक विनम्र और समझदार व्यक्ति बनने की भी आवश्यकता होती है. आत्मकारक सूर्य व्यक्ति की सफलता, प्रसिद्धि और शक्ति को पूरा करने की इच्छा को इंगित करता है. इसलिए, ये सब तभी प्राप्त हो सकते हैं जब व्यक्ति अहंकार को त्याग देता है और विनम्रता बनाए रखता है.

ज्योतिष में आत्मकारक आत्मा के संघर्ष को दर्शाता है, लेकिन सही रास्ता भी दिखाता है. यह हमें जीवन के अनुभवों को समझने में मदद करता है. ये अनुभव शिक्षाएं आमतौर पर आत्मकारक दशाओं और भुक्तियों के दौरान ही अधिक प्राप्त होती है. भौतिकवादी लक्ष्यों की पहचान आवश्यक है और हमें इन आवश्यकताओं को कम करके नहीं आंकना चाहिए. पृथ्वी पर एक आत्मा का जन्म दर्शाता है कि आत्मा को उच्च स्व को समझने के लिए तैयार होने से पहले पूरा करने के लिए एक सांसारिक मिशन है. ज्योतिष में आत्मकारक आपको आत्मा के भौतिक लक्ष्यों और आध्यात्मिक लक्ष्यों दोनों को दिखाएगा. इन लक्ष्यों को पूरी तरह समझना मुश्किल है. हालाँकि, हम एक हद तक प्रबुद्ध हो सकते हैं.

सूर्य आत्मकारक : लाभ और नकारात्मक प्रभाव 

यदि सूर्य जन्म कुंडली में उच्चतम डिग्री पर मौजूद होता है तो इस कारण सूर्य कुंडली में आत्मकारक, या आत्मा सूचक बन जाता है. लेकिन, यह स्थिति जैमिनी के स्तर पर विशेष रुप से अपना असर दिखाने वाली होती है. क्योंकि अधिकतम डिग्री में कोई ग्रह यदि 27 से अधिक दिखाई देगा आत्मकारक के रूप में हो सकता है ऎसे में ग्रह की ये स्थिति दो भावों के साथ साथ दो राशियों का असर भी दिखाने वाली होगी. उज्ज्वल पक्ष के रुप में आत्मकारक का असर विशेष बन जाता है लेकिन जीवन देने वाले सूर्य का क्या अर्थ रखता है. सूर्य आत्मा का सूचक है, यह सूर्य के लिए एक प्राकृतिक स्थिति है. सूर्य सभी के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रह है. 

सूर्य इच्छाशक्ति और रोशनी से भरा है, और आत्मकारक के रूप में यह एक व्यक्ति को सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए प्रेरित करता है. सूर्य एक श्रेष्ठ ग्रह है, और दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत होने के साथ-साथ जीवन के मूल अर्थ का अनुसरण करना चाहता है. प्रत्येक दिन सूर्य उगता है और पृथ्वी पर सभी सृष्टि के साथ अपनी गर्मी और प्रकाश उत्पन्न करता है. सूर्य का ये गुण भी उसे एक उदार और रचनात्मक ग्रह बनाता है एक क्षत्रिय ग्रह के रूप में, सूर्य आत्मा लोगों में नेतृत्व करने, अपने आदर्शों को बढ़ावा देने और अपने से कमजोर लोगों की रक्षा करने की एक सहज इच्छा प्रदान करता है.  बहादुरी, नेतृत्व, दुनिया में अपनी रचनात्मक शक्ति का उपयोग करना और अपने धर्म का पालन करना जीवन की मूलभूत बातों में देखा जाता है. 

सूर्य के द्वारा अधिकार, अहंकार और शक्ति को सीखने की बात प्रमुख होती है. सूर्य की गरिमा और स्थिति यह बताती है कि हम शक्ति का उपयोग कैसे करते हैं. फिर चाहे आप इसका उचित उपयोग करते हैं या इसका दुरुपयोग करते हैं. जरुरी है कि हम अधिकार को कैसे संभालते हैं. सूर्य आपके पिता का प्रतिनिधित्व करता है, आपके अपने पिता के साथ अतिरिक्त घनिष्ठ संबंध हो सकते हैं, पिता के साथ संबंधों के बारे में सबक सीखने की जरूरत है, या आपके पिता आपके रास्ते में आपकी मदद कर सकते हैं. यदि सूर्य आत्मिक ग्रह है, तो इसकी शक्ति जीवन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. 

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