चन्द्र मंगल योग और महाभाग्य योग | Chandra Mangal Yoga – Mahabhagya Yoga

जन्म कुण्डली में बनने वाले कुछ योग किसी भी जातक के जीवन में एक चमत्कारिक रुप से प्रभाव देते हैं. इस तरह के योग नभस योग और अन्य महत्वपूर्ण योगों की श्रेणी में आते ही है. इन योगों में चंद्र-मंगल योग और दूसरा महाभाग्य योग है. यह दोनों ही योग जातक की कुण्डली में एक प्रकार के शुभ प्रभाव को दिखाते हैं. इन योगों में जातक को आर्थिक उन्नती मिलती है और सामाजिक रुप से भी व्यक्ति सम्मान और प्रतिष्ठा को भी पाने में सक्षम, होता है.

चन्द्र-मंगल कुण्डली में तरल धन के कारक है. तथा मंगल साहस और उत्साह भाव का प्रतिनिधित्व करते है. यह योग व्यक्ति को साहस पूर्ण कार्यो से धन प्राप्ति के अवसर प्रदान करता है. चन्द्र मंगल योग की गणना विशेष धन योगों में की जाती है.

चन्द्र मंगल योग कैसे बनता है

जन्म कुण्डली में अगर चन्द्र और मंगल किसी भी एक राशि में एक साथ हो तो यह योग बनता है. इसके साथ ही इस योग में अगर चंद्रमा और मंगल एक दूसरे को देख रहे हैं तो भी इस योग का निर्माण होता है. इस योग वाले व्यक्ति के पास बहुत सी धन -संपति होती है. परन्तु उसके अपनी माता और अन्य सगे संबन्धियों के साथ उसका व्यवहार अच्छा नहीं होता है. जब चन्द्र और मंगल पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो व्यक्ति ईमानदारी से धन कमाता है. किन्तु अगर किसी पाप ग्रह की दृष्टि हो तो व्यक्ति धन कमाने के लिए अनुचित रास्तों का प्रयोग करता है.

चन्द्र-मंगल योग फल

चन्द्र मंगल योग व्यक्ति को उच्च मनोबल में वृ्द्धि करता है. ऎसा व्यक्ति सामर्थ्यवान और शक्तिशाली होता है. व्यक्ति बुद्धिमान और एकाग्र मन वाला होता है. इसके साथ ही यह योग क्योकि धन योग है, इसलिए इस योग वाला व्यक्ति अपने पुरुषार्थ से धन अर्जित करने में सफल होता है.

इस योग के प्रभाव से व्यक्ति में क्रोध भी अधिक होता है. मंगल का संबंध चंद्रमा के साथ होने पर जातक एक प्रकार से जिद्दी भी हो सकता है. अपने साहस के कारण ही वो परेशानियों से भी बेहतर रुप से निजात पा सकता है. अपने काम को करने में दूसरों की मदद नही मिल पाती है. अपने संघर्ष से आगे बढ़ने की योग्यता जातक में होती ही है. इस योग का प्रभाव नकारात्मक रुप से जातक की माता को प्रभावित कर सकता है.

इस योग में अशुभ प्रभाव के कारण जातक को इसके विपरित परिणाम झेलने पड़ सकते हैं जैसे की व्यक्ति व्यर्थ के वाद-विवाद में फंस कर परेशान होता है. जातक गलत कामों में पड़ सकता है और शार्टकट के रास्ते अपना कर अपने लिए स्थिति खराब कर देता है. जक के परिवर के सतह रिश्ते भी खराब हो सकते हैं. स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं उसे परेशान कर सकती है. मानसिक रुप से जातक तनाव और क्रोध का शिकार होता है.

महाभाग्य योग

जन्म कुण्डली में महाभाग्य योग लग्न, चन्द्र, और सूर्य की कुछ विशेष राशियों में स्थिति और दिन व रात्रि के जन्म के समय के आधार पर पुरुष व स्त्रियों के लिए अलग अलग देखा जाता है. ज्योतिष योगों में यह अपनी तरह का विशेष योग है, जो स्त्री और पुरुषों दोनों के लिए अलग अलग नियम रखता है.

पुरुष कुण्डली महाभाग्य योग

जिन पुरुषों का जन्म लग्न, चन्द्र व सूर्य विषम राशि में हो तो महाभाग्य योग बनता है. जैसे अगर किसी पुरुष का जन्म अगर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के मध्य हुआ हो, और जन्म कुण्डली में लग्न विषम राशि का हो और सूर्य व चंद्रमा भी विषम राशि में हों तो इस योग में जन्मा जातक महाभाग्य योग को पाता है.

पुरुष की कुण्डली में महाभाग्य योग का फल

जिस पुरुष जातक की कुण्डली में इस योग का निर्माण होता है. वह जातक समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा को पाता है. सामाजिक रुप से व्यक्ति लोगों के मध्य में प्रसिद्धी भी पाता है. काम करने में कुशल होता है. जातक में कुछ क्रोध और जिद्द भी अधिक होती है. वह पराक्रम से सभी काम करने की योग्यता रखता है. उसमें किसी भी काम को करने की जल्दी भी होती है. कुछ मामलों में व्यक्ति अहंकारी भी हो सकता है.

इस योग का प्रभाव इतना शुभ होता है की अगर जातक किसी गरीब परिवार में भी जन्मा हो तो अपने भाग्य से आने वाले समय में धनवान भी बन जाता है. यह योग उसे आर्थिक मसलों में शुभता देने वाला होता है.

स्त्री कुण्डली महाभाग्य योग

महाभाग्य योग के नियम पुरुषों के लिए इस योग के जो नियम है, स्त्रियों के लिए नियम बिल्कुल विपरीत होते हैं. स्त्री की कुण्डली में यह योग तब बनता है जब लग्न, चन्द्र और सूर्य तीनों ही सम राशि में हो, तो इस स्थिति में स्त्री कुण्डली में महाभाग्य योग बनता है.

महाभाग्य योग फल

महाभाग्य योग व्यक्ति को चरित्रवान बनाता है. इस योग से युक्त व्यक्ति उदारचित, लोकप्रिय और प्रसिद्ध होता है. उसे राजकीय कार्यो में भाग लेने के अवसर प्राप्त होते है. इसके साथ ही जातक दीर्घजीवी होता है.

स्त्रियों की कुण्डली में यह योग स्त्रियों को शालीन बनाता है. ऎसी स्त्री अति सुशील, व सभ्य होती है. स्त्री को जीवन में अच्छा सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. यह योग जातिका को अपने जीवन में लक्ष्य का निर्धारण करने में मदद करता है और जातिका अपने प्रयास से एक बेहतर और सुखद जीवन को भी पा सकती है.

ग्रहों की शुभता का प्रभाव

जन्म कुण्डली में इन योगों का शुभ – अशुभ प्रभाव ग्रहों के बल उनके तथा अन्य ग्रहों के साथ ग्रह की युति, दृष्टि संबंध इत्यादि से भी प्रभावित होते हैं. कई बार ग्रहों में बल अधिक नहीं हो पाता है और उनकी युति किसी पाप ग्रह या खराब भावों में होने पर योग का फल उस रुप में नहीं मिल पाता है जितना उस से मिलना चाहिए.

ऎसे में हम कई बार देखते हैं जब व्यक्ति की कुण्डली में योग होने पर भी वो उसका लाभ नहीं मिलता है. जिसका मुख्य कारण ही ग्रहों की शुभता एवं उनके बल के प्रभाव से ही व्यक्ति को लाभ मिलता है. इसी के साथ अगर कुन्डली में कुछ अन्य शुभ योग भी मौजूद हों तो यह स्थिति और भी अधिक शुभता को पा सकती है.

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