मीन राशि में वक्री बुध का प्रभाव और सभी राशियों पर इसका असर

वक्री बुध मीन राशि में

बुध का मीन राशि में वक्री होना ज्ञान ओर बुद्धि के वक्रत्व को दर्शाता है। बुध ग्रह जब भी मीन राशि में वक्री होता है तो यह घटना ज्योतिष के लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि बुध ग्रह को विचारों, तर्क, शिक्षा, व्यापार और यात्रा से जोड़ा जाता है. जब बुध वक्री होता है, तो इसका प्रभाव दुनिया भर पर पड़ता है, और यह हर राशि पर अलग-अलग प्रभाव डालता है. इस लेख में हम मीन राशि में बुध के वक्री होने के प्रभाव को समझेंगे और साथ ही सभी राशियों पर इसके असर का विस्तार से वर्णन करेंगे.

बुध वक्री क्या होता है?

जब कोई ग्रह वक्री होता है, तो इसका मतलब है कि वह ग्रह अपनी सामान्य गति से विपरीत दिशा में गति करता हुआ दिखाई देता है. हालांकि, यह एक भ्रम होता है, लेकिन इसके बावजूद वक्री ग्रहों का प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण होता है. बुध जब वक्री होता है, तो यह आमतौर पर संचार में रुकावटें, गलतफहमियां, यात्रा में परेशानियां और पुराने मुद्दों का पुनरुत्थान करता है.

मीन राशि में बुध का वक्री होना विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है जो अपनी भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने में कठिनाई महसूस करते हैं. मीन राशि खुद एक जल तत्व की राशि है, जो भावनाओं और संवेदनाओं से जुड़ी होती है. ऐसे में बुध का वक्री होना संचार, विचार, और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकता है.

मीन राशि में वक्री बुध का प्रभाव सभी राशियों पर

बुध वक्री होने का प्रभाव सभी राशियों पर अलग-अलग तरीके से पड़ता है. यह समय संचार, वित्तीय निर्णय, और रिश्तों में सावधानी बरतने का होता है. इस दौरान हमें अपनी योजनाओं में लचीलापन और धैर्य बनाए रखना चाहिए. साथ ही, यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बुध वक्री का समय पुराने मुद्दों को हल करने और पुरानी गलतियों से सीखने का होता है.

मेष राशि

मेष राशि के लिए बुध का वक्री प्रभाव उनके कामकाजी जीवन और करियर पर पड़ सकता है. कार्यस्थल पर गलतफहमियां उत्पन्न हो सकती हैं, और निर्णय लेने में असमंजस पैदा हो सकता है. साथ ही, किसी पुराने परियोजना या काम को फिर से शुरू करने का समय आ सकता है. मेष राशि वालों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी योजनाओं में धैर्य बनाए रखें और संचार में स्पष्टता बनाए रखें.

वृष राशि

वृष राशि के व्यक्ति को इस दौरान शिक्षा, यात्रा और लघुकालिक यात्राओं में परेशानियां हो सकती हैं. पुराने कागजी कार्य और दस्तावेज़ों में कुछ गलतियां या रुकावटें आ सकती हैं. यह समय पुराने रिश्तों को फिर से देखने और कुछ मुद्दों को हल करने का हो सकता है. वृष राशि वालों को अपनी योजनाओं में पुनः विचार करने की आवश्यकता हो सकती है.

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के व्यक्ति के लिए बुध का वक्री होना बहुत प्रभावी होता है क्योंकि बुध उनके स्वामी ग्रह के रूप में कार्य करता है. इस दौरान मिथुन व्यक्ति को अपने आर्थिक मामलों में सावधानी बरतनी चाहिए. पुराने वित्तीय मुद्दे फिर से उभर सकते हैं. यह समय अपने खर्चों पर नियंत्रण रखने और वित्तीय दस्तावेज़ों को पुनः जांचने का है. रिश्तों में भी कुछ गलतफहमियां उत्पन्न हो सकती हैं.

कर्क राशि 

कर्क राशि के व्यक्ति के लिए बुध वक्री होने का प्रभाव उनके व्यक्तिगत जीवन और रिश्तों पर अधिक हो सकता है. इस समय पुराने रिश्तों को फिर से नवीनीकरण करने का अवसर मिल सकता है, लेकिन यह समय स्पष्टता की आवश्यकता है. किसी पुराने मित्र या साथी से मुलाकात हो सकती है, और कुछ गहरे मुद्दों को सुलझाने का मौका मिल सकता है. हालांकि, नए रिश्तों के लिए यह समय अनुकूल नहीं है.

सिंह राशि 

सिंह राशि के लिए बुध का वक्री होना कार्य और स्वास्थ्य संबंधित मामलों पर असर डाल सकता है. कार्यस्थल पर परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ सकता है. खासकर यदि आपने अपनी सेहत के प्रति लापरवाही बरती है तो इस समय ध्यान देने की आवश्यकता है. सिंह राशि वालों को सलाह दी जाती है कि वे समय-समय पर अपनी कार्यप्रणाली और जीवनशैली की समीक्षा करें.

कन्या राशि 

कन्या राशि के लिए यह समय व्यक्तिगत और रचनात्मक परियोजनाओं में सुधार करने का हो सकता है. वे पुराने शौक या रचनात्मक कार्यों में फिर से रुचि ले सकते हैं. पर, अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में कठिनाई हो सकती है, और संचार में भ्रम हो सकता है. पुराने दोस्तों या रिश्तेदारों से मिलकर अपने पुराने मुद्दों को हल करने का अवसर मिल सकता है.

तुला राशि

तुला राशि के व्यक्ति के लिए बुध वक्री होने का प्रभाव उनके घर-परिवार और घरेलू जीवन पर पड़ सकता है. घर में किसी पुराने विवाद को सुलझाने का समय आ सकता है, लेकिन यह समय नए घर या संपत्ति से संबंधित निर्णय लेने के लिए अनुकूल नहीं है. परिवार के सदस्यों के साथ संचार में सावधानी बरतें और पुराने रिश्तों को सुधारने की कोशिश करें.

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के लिए बुध का वक्री होना उनके संपर्कों और संचार नेटवर्क पर असर डाल सकता है. यह समय पुराने संपर्कों से जुड़ने का हो सकता है, लेकिन यह समय नई जानकारी या निर्णय लेने के लिए उपयुक्त नहीं है. यात्रा के दौरान भी कोई रुकावट या समस्या आ सकती है, इसलिए सावधानी बरतें. अपने विचारों को स्पष्ट और संयमित तरीके से व्यक्त करने की कोशिश करें.

धनु राशि 

धनु राशि के व्यक्ति को बुध के वक्री होने के कारण अपने वित्तीय मामलों में सतर्क रहना चाहिए. कोई पुरानी वित्तीय समस्या या निवेश फिर से उभर सकता है. यह समय अपने खर्चों पर ध्यान देने और किसी पुराने वित्तीय दस्तावेज़ को फिर से देखने का है. किसी भी वित्तीय निर्णय को स्थगित करने की सलाह दी जाती है.

मकर राशि

मकर राशि के व्यक्ति के लिए बुध का वक्री होना उनके व्यक्तिगत विकास और जीवन के उद्देश्य पर प्रभाव डाल सकता है. यह समय आत्म-विश्लेषण और अपनी पहचान को फिर से समझने का हो सकता है. मकर व्यक्ति को अपनी लंबी अवधि की योजनाओं में पुनः विचार करना चाहिए. रिश्तों में भी भ्रम उत्पन्न हो सकता है, इसलिए अपनी भावनाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने की कोशिश करें.

कुंभ राशि 

कुंभ राशि के व्यक्ति के लिए बुध का वक्री होने का प्रभाव उनके मानसिक स्थिति और आध्यात्मिक जीवन पर हो सकता है. इस दौरान उन्हें पुराने मानसिक या भावनात्मक मुद्दों को हल करने का अवसर मिल सकता है. यह समय ध्यान और विश्राम की आवश्यकता है. कुंभ व्यक्ति को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी नई परियोजना में संलिप्त होने से पहले पुनः विचार करें और अपनी मानसिक स्थिति को संतुलित रखें.

मीन राशि

मीन राशि के व्यक्ति के लिए बुध का वक्री होना उनके व्यक्तित्व और आत्म-प्रस्तुति पर असर डाल सकता है. यह समय आत्म-संवाद और आत्मनिरीक्षण का है. मीन व्यक्ति को अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने में कठिनाई हो सकती है. पुराने रिश्तों या व्यक्तिगत मामलों को हल करने का अवसर मिल सकता है, लेकिन नए संबंधों या निर्णयों को स्थगित करना बेहतर होगा.

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सूर्य अष्टम भाव में : आठवें भाव में सूर्य क्या खो देता है अपना बल

वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य एक बहुत ही प्रभाशाली ग्रह है और दूसरी ओर कुंडली का आठवां भाव सभी प्रभाव को कम देने वाला भाव है. अब इस स्थिति में आठवें भव में जब सूर्य बैठ जाता है तो क्या संभावनाएं ला सकता है इस बारे में सही से समझने के लिए इन दोनों की स्थिति अर्थात भाव और ग्रह की स्थिति को समझ लेना बहुत जरुरी होता है. अगर जन्म कुंडली के आठवें भाव में सूर्य ग्रह की स्थिति शुभ परिणाम देती है, तो ऐसे व्यक्ति को अपनी आयु के बाइसवें वर्ष से सरकार से सहयोग मिल सकता है. लेकिन इसके अपने कुछ नकारात्मक प्रभाव भी होते हैं जिन्हें जान लेना जरुरी है.

इस भाव में सूर्य ग्रह व्यक्ति को सत्यवादी, गुणी और राजा जैसा व्यक्तित्व वाला बनाता है. ऐसे व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता. इस भाव में सूर्य के होने के अर्थ का पता लगाते हुए इसके ज्योतिषीय महत्व को समझ पाएंगे और यह किसी व्यक्ति के भाग्य को कैसे आकार देता है. सूर्य इस भाव वाले लोगों के लिए करियर, रिश्तों, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक विकास से संबंधित महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि पर भी कैसे असर डालता है इस पर भी ध्यान देना जरुरी होता है तो चलिये जान लेते हैं सूर्य के आठवें भाव में स्थिति कैसे डालती है आप पर अपना असर. 

अष्टम भाव क्या है

ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि, दीर्घायु और अप्रत्याशित घटनाओं को देने वाला होता है. अष्टम भाव किसी भी व्यक्ति के जीवन के कुछ खास महत्वपूर्ण पहलू पर अपना असर डालता है. ज्योतिष में, इन पहलुओं से संबंधित विकास को निर्धारित करने वाले भाव को कुंडली का आठवां भाव कहा जाता है. आठवां भाव अक्सर ज्योतिष के सबसे रहस्यमय और गहन क्षेत्रों में से एक माना जाता है. यह बदलाव, मृत्यु, पुनर्जन्म और विरासत और अन्य लोगों के पैसे से संबंधित मामलों को नियंत्रित करता है. आठवां भाव गुप्त विज्ञान, मानसिक क्षमताओं और छिपे हुए ज्ञान में भी बदलता है. यह अवचेतन मन से गहराई से जुड़ा हुआ है और जीवन के उन अंधेरे पक्ष का प्रतिनिधित्व करता है जिनका हमें आध्यात्मिक रूप से बढ़ने के लिए सामना करना चाहिए.

वैदिक ज्योतिष में, कुंडली का आठवां भाव मृत्यु, दीर्घायु और अचानक होने वाली घटनाओं के बारे में जानकारी देता है. यह प्राकृतिक, शांतिपूर्ण, पानी या आग, दुर्घटना, आत्महत्या या किसी प्रकार की पुरानी बीमारी के कारण हो सकता है. शास्त्रों के अनुसार, जब सूर्य ग्रह इस भाव में होता है, तो जीवन अवधि आमतौर पर छोटी होती है. लेकिन फिर भी, कुछ सरल निवारक उपायों के माध्यम से स्थिति को बदला जा सकता है. इस भाव में सूर्य का होना यह दर्शाता है कि व्यक्ति महत्वपूर्ण जीवन बदलावों से प्रभावित हो सकता है. यह स्थिति जीवन के गहरे रहस्यों को समझने और अपने भावनात्मक और आर्थिक संसाधनों को पाने की इच्छा को भी दर्शाती है.

सूर्य का प्रभाव 

आठवें भाव में सूर्य के प्रभाव को जानने से पहले, ज्योतिष में सूर्य की भूमिका को समझना आवश्यक है. सूर्य का असर व्यक्ति के अस्तित्व पर असर डालता है, अहंकार और हमारी पहचान का प्रतिनिधित्व करता है. यह व्यक्ति की जीवन शक्ति, जीवन शक्ति और उद्देश्य की भावना को नियंत्रित करता है. सूर्य व्यक्ति के जीवन में पिता या पैतृक व्यक्ति से जुड़ा होता है और यह दर्शाता है कि व्यक्ति अपनी इच्छा और अधिकार को कैसे व्यक्त करता है. तो अब सूर्य आठवें भाव में बैठा सूर्य जीवन के अनेक पहलुओं पर एक अलग ही प्रभाव डालता है.

अष्टम भाव में सूर्य का शुभ प्रभाव

कुंडली के आठवें भाव में सूर्य की उपस्थिति के कारण, ऐसे लोग किसी भी अचानक और कठिन परिस्थितियों पर तुरंत प्रतिक्रिया करने वाले होते हैं. ऐसे लोग किसी भी स्थिति को बहुत प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में सक्षम होते हैं. इसके अलावा, ऐसे जातकों में सही समय पर सही बात कहने की बेहतरीन क्षमता होती है और यह जीवन की अनिश्चितताओं और अप्रत्याशित घटनाओं में एक कुशल और अच्छे प्रबंधक होने के गुण को दर्शाता है. यही कारण है कि ऐसे लोग अपने जीवन में आने वाली गतिविधियों को अच्छी तरह से प्रबंधित करके हमेशा मानसिक रूप से समृद्ध और स्वतंत्र महसूस करते हैं. व्यक्ति अपने आस पास की स्थिति के प्रति काफी जागरुक भी होता है. आसानी से किसी से मिलते नहीं हैं लेकिन जब जुड़ाव होता है तो समर्पण का भाव भी रखते हैं.

अष्टम भाव में सूर्य का नकारात्मक प्रभाव

कुंडली के आठवें भाव में सूर्य से प्रभावित लोग वास्तव में भावुक नहीं होते हैं या अपनी भावनाओं को आसानी से व्यक्त नहीं करते हैं. ऐसे लोग अपने भीतर कई भावनाओं को दबाते हैं, उन्हें दूसरों के सामने व्यक्त नहीं करते हैं और आसानी से किसी पर भरोसा नहीं करते हैं. पहले ये किसी भी व्यक्ति को परखते हैं और फिर अगर वे उसे उन कसौटियों पर उपयुक्त पाते हैं और अगर वे उसे दिल से पसंद करते हैं, तभी वे उसे अपना करीबी दोस्त मानते हैं और अपने जीवन में शामिल करते हैं.

अष्टम भाव स्वास्थ्य और रहस्य 

इस सूर्य स्थान वाले लोगों में गुप्तविद्या, रहस्यवाद और आध्यात्मिक उपचार की ओर स्वाभाविक झुकाव होता है. वे ज्योतिष, टैरो और गूढ़ ज्ञान के अन्य रूपों की ओर आकर्षित होते हैं. यह रुचि उन्हें ब्रह्मांड की अदृश्य शक्तियों से जुड़ने में मदद करती है और जीवन की जटिलताओं के बारे में उनकी समझ को बढ़ाती है. आठवां भाव शरीर के छिपे हुए पहलुओं, जैसे प्रजनन प्रणाली और यौन स्वास्थ्य को नियंत्रित करता है. 

इस भाव में सूर्य का असर स्वास्थ्य के मामले में दिक्कतें दे सकता है, हेल्थ से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, खासकर अगर सूर्य पीड़ित हो. ऎसे में व्यक्ति को अपने भावनात्मक स्वास्थ्य के प्रति भी सचेत रहना चाहिए, क्योंकि दबी हुई भावनाएं शारीरिक बीमारियों के रूप में प्रकट हो सकती हैं. नियमित आध्यात्मिक अभ्यास, ध्यान संतुलन बनाए रखने में मदद कर सकता है.

अष्टम भाव में सूर्य का वैवाहिक जीवन और प्रेम संबंधों पर प्रभाव

अष्टम भाव में सूर्य की शुभ युति जातक के वैवाहिक जीवन को सुख, समृद्धि और आर्थिक उन्नति प्रदान करती है और जातक के करियर में भी मदद करती है. इन लोगों को अपने वैवाहिक जीवन में ससुराल पक्ष से अच्छा धन मिलने की संभावना रहती है. हालांकि, जीवन में सामंजस्य होने पर भी कुछ परिस्थितियों में कलह या संघर्ष हो सकता है.

जन्म कुंडली के आठवें भाव में सूर्य का होना परिवर्तन, गहन आत्म-जागरूकता और व्यक्ति के जीवन, मृत्यु और रहस्यवाद के मामलों से जुड़ाव का एक शक्तिशाली संकेतक है. इस भाव को अक्सर परिवर्तन का भाव कहा जाता है, यह साझा संसाधनों, विरासत, छिपे हुए ज्ञान और भावनात्मक पुनर्जन्म जैसे क्षेत्रों को नियंत्रित करता है. यहां सूर्य की उपस्थिति जातक के जीवन में अद्वितीय गुण और चुनौतियां लाती है, जो उनके व्यक्तित्व, करियर, रिश्तों और व्यक्तिगत विकास को प्रभावित करती है.

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मेष राशि के लिए शनि साढे़साती प्रभाव

मेष राशि के लिए शनि साढे़साती प्रभाव 

शनि को राशि चक्र का एक चक्कर पूरा करने में लगभग तीस वर्ष लगते हैं. यह प्रत्येक राशि में लगभग ढ़ाई 2.5 वर्ष तक रहता है. शनि को एक ऐसा ग्रह माना जाता है जो अशुभ स्थिति में होने पर लोगों के लिए दुख और मुश्किलें लाता है. साढ़ेसाती 7.5 वर्ष की अवधि होती है, जिसके दौरान शनि विशेष रूप से अशुभ होता है और व्यक्ति के जीवन में लगातार समस्याएं उत्पन्न करता है. साढ़ेसाती तब शुरू होती है जब शनि व्यक्ति की जन्म राशि से बारहवीं राशि में प्रवेश करता है और तब समाप्त होती है जब शनि व्यक्ति की जन्म राशि से दूसरी राशि से बाहर निकलता है. इन तीन राशियों को पार करने में इसे लगभग साढ़ेसात वर्ष लगते हैं इसलिए इसे साढ़ेसाती कहा जाता है.

हर व्यक्ति साढ़ेसाती से गुजरता है, ज़्यादातर लोगों के लिए यह कम से कम दो या तीन बार होता है. ऐसा कहा जाता है कि जब तक साढ़ेसाती रहती है, तब तक आपको थोड़ी शांति मिलती है. लेकिन यह मत सोचिए कि सिर्फ़ इसलिए कि आप साढ़ेसाती में हैं, आपका जीवन नष्ट हो जाएगा. ऐसा नहीं है बहुत से लोग साढ़ेसाती के दौरान भी सफल होते रहते हैं. बहुत कुछ आपकी कुंडली की समग्र शुभता, अन्य ग्रहों की स्थिति और आपके अपने प्रयासों पर निर्भर करता है. आप शनि की साढ़ेसाती के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए उपाय भी कर सकते हैं.

मेष राशि के लिए साढ़ेसाती

मेष राशि मंगल द्वारा प्रभावित होती है. मेष राशि पर शनि की साढ़ेसाती के असर कई तरह से देखने को मिलते हैं. शनि अनुशासन है जबकि मंगल आवेग है. शनि सीमाएं हैं जबकि मंगल बेलगाम कार्य है. शनि बुढ़ापा है जबकि मंगल युवावस्था है. शनि विलंब है जबकि मंगल सहजता है. शनि आत्म-नियंत्रण है जबकि मंगल आक्रामकता है. मंगल एक ऐसा बच्चा है जिसे शनि माता-पिता के रूप में वश में करना चाहेगा. इन दोनों ग्रहों का महत्व एक दूसरे से इतना अलग है कि अब तक आप अनुमान लगा चुके होंगे कि इन दोनों के बीच किस तरह का रिश्ता है.

वैदिक ज्योतिष में, आप कह सकते हैं कि मंगल और शनि शत्रु हैं क्योंकि शनि की हवा मंगल की आग को और बढ़ाती है, इसलिए यह योग ठीक से काम नहीं करता है. मेष राशि वालों के लिए साढ़ेसाती आमतौर पर जीवन में एक मांगलिक अवधि होती है. विभिन्न राशियों में शनि की स्थिति के आधार पर समझना महत्वपूर्ण है ताकि यह पाता किया जा सके कि साढ़ेसाती मेष राशि के व्यक्ति के जीवन में क्या परिणाम लाएगी.

मेष राशि के लिए शनि साढ़ेसाती का पहला चरण 

जब शनि मेष राशि से बारहवें भाव में प्रवेश करेगा, तो वह मीन राशि में प्रवेश करेगा, जो मेष राशि से ठीक पहले की राशि है, जो पहले चरण की शुरुआत को दिखाने वाली होती है. मेष राशि वालों के लिए साढ़ेसाती का यह चरण औसत रहता है क्योंकि मीन राशि का स्वामी बृहस्पति शनि के प्रति सामान्य या कहें तटस्थ होते हैं. इसलिए इस चरण के दौरान बहुत यात्रा करनी पड़ सकती है, जिससे कई बार शारीरिक कष्ट हो सकता है. इस ढाई साल के चरण के दौरान आपको कभी-कभी स्वास्थ्य के कारण भी परेशानी हो सकती है. यह चरण आम तौर पर स्वास्थ्य समस्याओं के रुप में सामने आ सकता है.

मेष राशि के लिए शनि साढ़ेसाती का दूसरा चरण 

मेष राशि के लिए शनि साढ़ेसाती का दूसरा चरण मुख्य पड़ाव होताहै क्योंकि इस समय शनि चंद्र राशि में होता है और मेष राशि चंद्र राशि है, जो मंगल के स्वामित्व की राशि और और मंगल का शनि के साथ शत्रु संबंध होता है. जब शनि मेष राशि में गोचर करता है, जो दूसरे चरण की शुरुआत को दर्शाता है, तो यह बहुत अधिक मानसिक तनाव और चिंता का कारण बनता है. इस साढ़े साती अवधि के दौरान व्यक्ति जल्दी गुस्सा हो जाता है. 

इस चरण के दौरान आत्मविश्वास में कमी और अवसाद प्रमुख हो जाता है. साथ ही, इनकम के स्रोत से जुड़ी कुछ समस्याएं भी महसूस हो सकती हैं. ईर्ष्या जैसी भावनाएं भी व्यक्ति के मन में घर कर जाती हैं. यह विवाहित जीवन में तनाव और भारी गड़बड़ी का कारण बनता है. इस अवधि के दौरान सभी प्रकार के अलगाव, संकट या तलाक हो सकते हैं, जो चरण के साथ-साथ व्यक्ति के पिछले कर्मों पर निर्भर करता है.

यह एक ऐसा समय होता है जब मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. दूसरे चरण या ‘चरम’ चरण से गुजरने वाला व्यक्ति काफी हद तक परेशान महसूस कर सकता है और अवसाद और खुद को नुकसान पहुंचाने के नकारात्मक विचार न केवल मन में आ सकते हैं बल्कि उन्हें अंजाम भी दिया जा सकता है.  

मेष राशि के लिए साढ़े साती के दूसरे चरण के दौरान व्यावसायिक साझेदारी भी प्रतिकूल रहती है. शनि अब जन्म के चंद्रमा के साथ है, इसलिए यह चरण स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और घरेलू समस्याओं को भी जन्म देता है. न केवल वरिष्ठों बल्कि अधीनस्थों के हाथों भी अपमान सहना पड़ सकता है. शनि और चंद्रमा की युति व्यक्ति के जीवन में ‘विष योग’ या विषैले पहलू बनाती है जो स्थिति को और बढ़ा देती है और जीवन के हर पहलू को सहन करना कठिन बना देती है. यह सबसे कठिन चरण है और लोगों के पास अपनी दीर्घकालिक दृष्टि खोए बिना इससे निपटने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. 

मेष राशि के लिए शनि साढ़ेसाती का तीसरा चरण  

मेष राशि के लिए शनि साढ़ेसाती का तीसरा चरण अंतिम चरण होता है जो कठिन है, लेकिन देखा जाए तो पहले से ही सबसे बुरे दौर से गुज़रने के बाद, व्यक्ति इन बातों के लिए सहनशील भी बन जाता है क्योंकि वह अपने पिछले सबक अच्छी तरह से सीख लेता है. शनि मेष राशि के बाद वृषभ राशि में प्रवेश करता है, जो शुक्र की राशि है. यह शनि के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखता है. शुक्र की ऊर्जा यहां एक शांत प्रभाव के रूप में काम करती है. 

यह व्यक्ति को बहुत मेहनती बनाता है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस चरण के दौरान कुछ मानसिक तनाव बना रहेगा, और व्यक्ति को सफलता के लिए भी आवश्यकता से अधिक मेहनत करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. इस दौरान आपके करीबी परिवार के सदस्यों के साथ कुछ गलतफहमियां भी बनी रह सकती हैं. इस चरण के दौरान अपने खर्चों में कटौती करने की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन अचानक लाभ भी हो सकता है जो कुछ राहत दे सकता है.

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बारहवें भाव में केतु: केतु का व्यय भाव में होना और राशि प्रभाव

वैदिक ज्योतिष में, जन्म कुंडली में केतु की स्थिति महत्वपूर्ण अर्थ रखती है, खासकर जब यह बातहवें भाव में स्थित हो. बारहवां भाव, व्यय का स्थान होता है, यह अवचेतन, आध्यात्मिकता और छिपे हुए क्षेत्रों के साथ अपने संबंध के लिए जाना जाता है. अब केतु के यहां होने पर इन गुणों के साथ दिलचस्प तरीके से संबंध बनता है. वैदिक ज्योतिष में केतु एक छाया ग्रह है, जो वैराग्य, आध्यात्मिक विकास और मुक्ति का प्रतीक है. यह अपने सामने बैठे हुए राहु के विपरीत, जो भौतिक इच्छाओं और सांसारिक गतिविधियों से जुड़ा है, केतु अक्सर त्याग और उच्च सत्य की खोज की भावना का प्रतिनिधित्व करता है. दूसरी ओर, बारहवां भाव अवचेतन मन, सपनों और जीवन के छिपे हुए पहलुओं को नियंत्रित करता है. यह एकांत, विदेशी भूमि और आध्यात्मिक क्षेत्रों से भी जुड़ा हुआ है.

जब केतु बारहवें भाव में होता है, तो यह सपनों और जीवन को गहराई से प्रभावित कर सकता है. इस भाव में केतु के कारण अक्सर तीव्र, कठोर, और कभी-कभी अवास्तविक सपने आते हैं. आप खुद को ऐसे सपनों का अनुभव करते हुए पा सकते हैं जो प्रतीकात्मकता और भावना से भरपूर होते हैं. ये सपने आपके अवचेतन मन में अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकते हैं और कभी-कभी छिपे हुए डर, इच्छाओं या अनसुलझे मुद्दों को प्रकट कर सकते हैं.

आध्यात्मिक और रहस्यमय अनुभव

बारहवां यह स्थान आध्यात्मिक या रहस्यमय क्षेत्रों से आपके जुड़ाव को भी बढ़ा सकता है. केतु के यहां होने पर व्यक्ति ऎसे सपने देख सकते हैं जो दूसरी दुनिया से जुड़े हुए लगते हैं या जो दिव्य मार्गदर्शन को दर्शाते हैं. ये सपने गहराई से परिवर्तनकारी हो सकते हैं और आध्यात्मिक सत्य या पिछले जीवन के अनुभवों की झलकियां प्रदान कर सकते हैं. बारहवें भाव में केतु वाले व्यक्ति भविष्यसूचक सपने देख सकते हैं या अपने सपनों के माध्यम से सहज ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं. ये सपने कभी-कभी चेतावनी के रूप में काम कर सकते हैं या जागने वाले जीवन में महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं. आपके सपनों में दिखाई देने वाले आवर्ती विषयों या प्रतीकों पर ध्यान देना आवश्यक है.

केतु व्यक्ति के मन के गहरे आयामों का पता लगाने और अपने सपनों की परिवर्तनकारी क्षमता को अपनाने के लिए आमंत्रित करता है. सपनों के माध्यम से दिए गए संदेशों को स्वीकार करने और समझने से, व्यक्ति अपनी आध्यात्मिक यात्रा और व्यक्तिगत विकास में गहन अंतर्दृष्टि प्राप्त कर सकते हैं. केतु आंतरिक दुनिया की खोज करने और जीवन के छिपे हुए पहलुओं को समझने के लिए एक शक्तिशाली उत्प्रेरक हो सकता है. इस के माध्यम से जीवन में अपने मार्ग के बारे में गहरी सच्चाइयों को उजागर कर पाते हैं.

केतु का प्रत्येक राशि पर विशेष प्रभाव होता है, और यह प्रभाव जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में बदलाव ला सकता है. यहां सभी राशियों पर केतु के प्रभाव को समझा जा सकता है:

मेष राशि में केतु 

केतु का प्रभाव मेष राशि पर मानसिक तनाव और भ्रम उत्पन्न कर सकता है. जीवन में अचानक बदलाव हो सकते हैं. यह आत्म-विश्वास को बढ़ा सकता है, लेकिन असमंजस भी पैदा कर सकता है.

वृष राशि में केतु

केतु का प्रभाव वृष राशि वालों को अपनी वित्तीय स्थिति में उतार-चढ़ाव का सामना करवा सकता है. परिवार और घर में समस्याएं बढ़ सकती हैं. यह ध्यान और मानसिक शांति की ओर प्रेरित करता है.

मिथुन राशि में केतु

मिथुन राशि में केतु का प्रभाव यात्रा और शिक्षा के क्षेत्र में लाभकारी हो सकता है. हालांकि, कभी-कभी यह भ्रम और आत्म-विश्वास में कमी ला सकता है. मानसिक शांति की तलाश बढ़ सकती है.

कर्क राशि में केतु

कर्क राशि पर केतु का प्रभाव घरेलू जीवन में असंतुलन और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है. यह कभी-कभी अकेलापन और भावनात्मक संकट भी उत्पन्न कर सकता है.

सिंह राशि में केतु

सिंह राशि पर केतु का प्रभाव आत्म-निरीक्षण और आत्म-संयम की ओर प्रेरित कर सकता है. यह मानसिक और भावनात्मक उतार-चढ़ाव ला सकता है, लेकिन यह करियर में महत्वपूर्ण बदलाव का भी संकेत दे सकता है.

कन्या राशि में केतु

कन्या राशि में केतु का प्रभाव दूसरों के साथ संबंधों में सुधार ला सकता है. यह स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को भी जन्म दे सकता है और मानसिक तनाव को बढ़ा सकता है.

तुला राशि में केतु

केतु का तुला राशि पर प्रभाव रिश्तों में संघर्ष और संचार में रुकावट पैदा कर सकता है. यह व्यक्ति को अपनी इच्छाओं और जरूरतों का पुनः मूल्यांकन करने के लिए प्रेरित कर सकता है.

वृश्चिक राशि में केतु

वृश्चिक राशि में केतु का प्रभाव घर और परिवार के मामलों में चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकता है. यह गहरी आत्म-निर्भरता और मानसिक शांति की ओर आकर्षित करता है. व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि हो सकती है.

धनु राशि में केतु

धनु राशि में केतु का प्रभाव मानसिक स्तर पर भ्रम और अनिश्चितता पैदा कर सकता है. यात्रा और शिक्षा के क्षेत्र में लाभ मिल सकता है, लेकिन यह मानसिक रूप से थकावट भी उत्पन्न कर सकता है.

मकर राशि में केतु

मकर राशि पर केतु का प्रभाव कार्यस्थल और पेशेवर जीवन में तनाव बढ़ा सकता है. यह व्यक्ति को आत्म-निरीक्षण और जीवन के उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करता है.

कुम्भ राशि में केतु

कुम्भ राशि में केतु का प्रभाव आध्यात्मिकता और आत्म-जागरूकता में वृद्धि कर सकता है. हालांकि, यह परिवार और रिश्तों में परेशानियाँ भी उत्पन्न कर सकता है.

मीन राशि में केतु

मीन राशि में केतु का प्रभाव मानसिक शांति, आध्यात्मिक उत्थान और आंतरिक संघर्षों का कारण बन सकता है. यह व्यक्ति को अपने जीवन में बदलाव के लिए तैयार कर सकता है और आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा दे सकता है.

केतु का प्रभाव हर व्यक्ति के जीवन में अलग-अलग होता है और यह किसी अन्य ग्रह के साथ होने वाले संबंधों पर भी निर्भर करता है. इस कारण, व्यक्तिगत कुंडली का अध्ययन कर केतु के प्रभाव को समझना अधिक उपयुक्त होता है.

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वर्गोत्तम नवांश और उसका सभी भावों पर प्रभाव

वर्गोत्तम नवमांश  ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण स्थिति मानी जाती है. इसे विशेष रूप से व्यक्ति की जन्मकुंडली में नवमांश कुंडली में देखा जाता है. यह व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अपना असर डालता है. वर्गोत्तम नवमांश वह नवमांश होता है, जो व्यक्ति की जन्म कुंडली के लिए शुभ फल प्रदान करता है. यह मुख्य रूप से व्यक्ति के जीवन में सफलता, समृद्धि, और आनंद का संकेत देता है. इसका तात्पर्य है कि व्यक्ति को ग्रह के सकारात्मक परिणाम मिलते हैं 

वर्गोत्तम नवमांश कैसे बनता है?

वर्गोत्तम नवमांश तब बनता है जब जन्म लग्न कुंडली में बैठा ग्रह जिस राशि में बैठा हुआ है वहीं राशि में वह नवमांश में भी विराजमान है तो ये स्थिति वर्गोत्तम नवांश कहलाती है. कुंडली में ग्रहों का मेल-जोल सही प्रकार से हो और नवमांश में शुभ ग्रह जैसे गुरु या शुक्र हों, तो यह नवमांश वर्गोत्तम अधिक बेहतर असर दिखाता है.  ग्रहों का शुभ स्थान और भाग्य के पक्ष में होना भी महत्वपूर्ण है. यदि नवमांश शुभ ग्रहों द्वारा प्रभावित हो, तो यह जीवन में सकारात्मक फल प्रदान करता है. वर्गोत्तम नवमांश एक शुभ और लाभकारी स्थान होता है, जो जीवन को समृद्ध और सुखमय बनाने में मदद करता है.

वर्गोत्तम नवमांश का लाभ 

वर्गोत्तम  नवमांश व्यक्ति के धन, संपत्ति, और समृद्धि को बढ़ाता है. जब यह नवमांश दूसरे और दसवें भाव में होता है, तो यह अच्छे आय स्रोत और करियर में सफलता का संकेत देता है. नवमांश का वर्गोत्तम होना व्यक्ति के धर्म, उच्च शिक्षा, और आध्यात्मिक उन्नति के प्रति सकारात्मक संकेत देता है. वर्गोत्तम नवांश स्वास्थ्य और शारीरिक स्थिति को प्रभावित करता है.

वर्गोत्तम नवमांश का प्रभाव जीवन के विभिन्न पहलुओं पर देखा जा सकता है, यह व्यक्ति को आत्मविश्वास, उच्च मानसिकता और आत्मिक शांति प्रदान करता है, यह शुभ अवसर, सामाजिक सम्मान और अच्छे रिश्तों का संकेत देता है, यह व्यक्ति को कठिनाइयों, मुकदमों और शत्रुओं से मुक्ति दिलाने में मदद करता है.

वर्गोत्तम नवमांश का महत्व विभिन्न भावों पर प्रभाव 

वर्गोत्तम ग्रह का कुंडली के सभी भावों पर प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण होता है. वर्गोत्तम ग्रह वह ग्रह होता है जो किसी विशेष कुंडली में बहुत प्रभावशाली, बलवान और शुभ माने जाते हैं. आइये जान लेते हैं सभी भावों पर वर्गोत्तम ग्रह का प्रभाव.

पहला भाव और वर्गोत्तम ग्रह

पहला भाव या लग्न का कुंडली में महत्वपूर्ण स्थान होता है, क्योंकि यह व्यक्ति की शारीरिक स्थिति, आंतरिक व्यक्तित्व और मानसिकता को दर्शाता है. जब वर्गोत्तम ग्रह पहले भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति को आत्मविश्वास, जीवन शक्ति, और आंतरिक प्रेरणा देता है. ऐसे व्यक्ति स्वाभाविक रूप से आकर्षक और दूसरों द्वारा प्रिय होते हैं. उनके स्वास्थ्य और शारीरिक संरचना में भी सुधार होता है.

दूसरा भाव और वर्गोत्तम ग्रह

दूसरे भाव में वर्गोत्तम ग्रह का प्रभाव व्यक्ति के परिवार, धन और बोलचाल की आदतों पर पड़ता है. यह व्यक्ति को अच्छे भाषाशैली और समृद्ध परिवार का आशीर्वाद देता है. ऐसे व्यक्तियों को वाणी के जरिए लाभ होने की संभावना होती है. उनके पारिवारिक जीवन में शांति और सुख रहता है, और वे आर्थिक रूप से भी संपन्न रहते हैं.

तीसरा भाव और वर्गोत्तम ग्रह

तीसरे भाव का संबंध भाई-बहन, साहस, और संचार से होता है. जब वर्गोत्तम ग्रह तीसरे भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति को अपने भाई-बहनों के साथ अच्छे संबंध देता है. इसके साथ ही यह संचार कौशल और साहस में भी वृद्धि करता है. ऐसे व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों का सामना करने का साहस होता है और वे अपने विचारों को प्रभावी ढंग से व्यक्त कर सकते हैं.

चौथा भाव और वर्गोत्तम ग्रह

चौथे भाव का संबंध माता, गृह, और मानसिक शांति से है. जब वर्गोत्तम ग्रह चौथे भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति को एक सुखमय घर और मानसिक शांति का आशीर्वाद देता है. ऐसे व्यक्ति अपनी माताजी से विशेष प्रेम और सम्मान पाते हैं और उनके घर में सुख-शांति बनी रहती है. इनका परिवार और घर हमेशा सुखमय और शांतिपूर्ण होता है.

पांचवां भाव और वर्गोत्तम ग्रह

पाँचवे भाव का संबंध संतान, रचनात्मकता, और शिक्षा से होता है. जब वर्गोत्तम ग्रह पाँचवे भाव में होता है, तो यह व्यक्ति को संतान सुख प्रदान करता है. साथ ही, यह व्यक्ति की शिक्षा और बौद्धिक क्षमताओं में वृद्धि करता है. ऐसे व्यक्तियों के लिए रचनात्मक गतिविधियाँ, कला, और संगीत में रुचि होती है. वे अपनी संतान को अच्छे संस्कार और शिक्षा देने में सक्षम होते हैं.

छठा भाव और वर्गोत्तम ग्रह

छठे भाव का संबंध शत्रु, रोग और कार्यस्थल से है. जब वर्गोत्तम ग्रह छठे भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति को शत्रुओं से बचाने और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति प्रदान करने में मदद करता है. यह व्यक्ति कार्यस्थल पर अपनी मेहनत और प्रयासों से सफलता प्राप्त करता है. स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में भी राहत मिलती है, और शत्रुओं के खिलाफ विजय प्राप्त होती है.

सातवां भाव और वर्गोत्तम ग्रह

सातवे भाव का संबंध जीवनसाथी और साझेदारी से है. जब वर्गोत्तम ग्रह सातवें भाव में होता है, तो यह व्यक्ति को अच्छा जीवनसाथी और सफलता प्राप्त करने के लिए अच्छे साझीदार प्रदान करता है. रिश्तों में सामंजस्य बना रहता है, और जीवनसाथी के साथ प्रेम और सम्मान का संबंध बना रहता है. साझेदारी में लाभ प्राप्त होता है, और व्यवसाय में भी सफलता मिलती है.

आठवां भाव और वर्गोत्तम ग्रह

आठवे भाव का संबंध मृत्यु, रहस्य और परिवर्तन से होता है. जब वर्गोत्तम ग्रह आठवें भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति को जीवन में बड़े बदलावों और रहस्यों का सामना करने की शक्ति देता है. ऐसे व्यक्ति जीवन के कठिन क्षणों में भी आसानी से उभरने में सक्षम होते हैं. यह ग्रह व्यक्ति को गहरे मानसिक और आध्यात्मिक ज्ञान की ओर मार्गदर्शन करता है.

नवां भाव और वर्गोत्तम ग्रह

नवां भाव व्यक्ति के भाग्य, धर्म और उच्च शिक्षा से संबंधित होता है. जब वर्गोत्तम ग्रह नवें भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति को अच्छे भाग्य और उच्च शिक्षा का आशीर्वाद देता है. व्यक्ति को धार्मिक विचारों की ओर आकर्षित करता है और जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए अच्छे अवसर प्रदान करता है. इसके अलावा, ऐसे व्यक्ति का ध्यान उच्च विचारों और सिद्धांतों पर केंद्रित रहता है.

दसवां भाव और वर्गोत्तम ग्रह

दसवां भाव का संबंध व्यक्ति के कैरियर और समाज में स्थिति से है. जब वर्गोत्तम ग्रह दसवें भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति को कैरियर में सफलता, उच्च पद और सामाजिक सम्मान दिलाने में मदद करता है. ऐसे व्यक्ति समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं और उनके कार्यों में सम्मान मिलता है.

ग्यारहवां भाव और वर्गोत्तम ग्रह

ग्यारहवे भाव का संबंध लाभ, दोस्ती और इच्छाओं से है. जब वर्गोत्तम ग्रह ग्यारहवें भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अच्छे अवसर प्रदान करता है. ऐसे व्यक्ति के दोस्त और सहयोगी बहुत सहायक होते हैं, और वे अपने जीवन में इच्छा पूर्ति के लिए मजबूत आधार तैयार करते हैं.

बारहवां भाव और वर्गोत्तम ग्रह

बारहवे भाव का संबंध आध्यात्मिकता, खर्च और निहित ज्ञान से है. जब वर्गोत्तम ग्रह बारहवें भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति को आत्मज्ञान, ध्यान और ध्यान साधना में रुचि पैदा करता है. ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में आध्यात्मिक दृष्टिकोण से प्रगति करते हैं और धन खर्च की सही दिशा की ओर अग्रसर होते हैं.

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बुध का नवांश कुंडली में असर और प्रभाव

बुध को भारतीय ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है. यह ग्रह बुद्धि, संवाद, शिक्षा, व्यापार, तकनीकी कौशल, लेखन, गणना और सोचने की क्षमता से संबंधित होता है. नवांश कुंडली में बुध का प्रभाव हमारे मानसिक कार्यों, सोचने की प्रक्रिया और व्यावसायिक गतिविधियों पर गहरा असर डालता है. नवांश कुंडली में बुध का स्थान और स्थिति सभी 12 भावों में अलग-अलग प्रभाव डालती है. 

नवांश कुंडली में बुध का स्थान और स्थिति व्यक्ति के जीवन में विविध रूपों में प्रभाव डालती है. चाहे वह बुद्धिमत्ता, संवाद, शिक्षा या व्यावसायिक सफलता हो, बुध का असर सभी पहलुओं में देखा जा सकता है. यह ग्रह मानसिक दृष्टिकोण, तर्क और व्यावहारिक निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है, जिससे व्यक्ति का जीवन अधिक समृद्ध और संतुलित बनता है.

आइए, जानते हैं बुध के प्रभाव को नवांश कुंडली के सभी 12 भावों पर विस्तार से.

पहला भाव 

नवांश कुंडली के पहले भाव में बुध का असर व्यक्ति की शारीरिक बनावट, स्वास्थ्य और व्यक्तित्व पर होता है. जब बुध पहले भाव में स्थित होता है, तो व्यक्ति का मस्तिष्क तेज और चतुर होता है. यह ग्रह व्यक्ति को आत्मविश्वास, मजबूत विचार और अच्छे स्वास्थ्य का संकेत देता है. बुध के प्रभाव से व्यक्ति की सोच स्पष्ट और कंट्रोल में होती है. यह प्रभाव व्यक्ति को सामाजिक स्थिति में सुधार करने की क्षमता भी देता है.

दूसरा भाव 

नवांश कुंडली के दूसरे भाव में बुध का प्रभाव व्यक्ति की वाणी, परिवार के रिश्ते और आर्थिक स्थिति पर होता है. जब बुध दूसरे भाव में होता है, तो यह व्यक्ति को अच्छा वक्ता और संवादक बना सकता है. यह ग्रह व्यक्ति को अच्छे तरीके से संवाद करने की क्षमता देता है, जिससे वह लोगों के साथ बेहतर रिश्ते बना सकता है. धन और संपत्ति की बात करें तो बुध का प्रभाव आम तौर पर आर्थिक मामलों में समझदारी और चतुराई से निर्णय लेने में सहायक होता है.

तीसरा भाव 

नवांश कुंडली के तीसरे भाव में बुध का प्रभाव व्यक्ति की यात्रा करने की प्रवृत्ति, भाई-बहन के साथ संबंध और साहस पर होता है. बुध यहां व्यक्ति को मानसिक रूप से सक्रिय और इच्छाशक्ति से भरपूर बनाता है. व्यक्ति को अपनी सोच को वास्तविकता में बदलने के लिए प्रेरित करता है. भाई-बहन के साथ अच्छे संबंध और परिवार में समझदारी का विकास करता है. यात्रा के दौरान बुध का प्रभाव व्यक्ति को सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है.

चौथा भाव 

नवांश कुंडली के चौथे भाव में बुध का असर व्यक्ति के घर, माता-पिता और मानसिक शांति पर होता है. यहां बुध घर और परिवार के मामलों में समझदारी और सटीकता से निर्णय लेने में मदद करता है. यह ग्रह व्यक्ति को घर में शांति, सुख और मानसिक संतुलन बनाए रखने की क्षमता प्रदान करता है. माता के साथ अच्छे संबंध और घरेलू मामलों में सामंजस्य बनाए रखने के लिए बुध का प्रभाव सहायक होता है.

पांचवां भाव  

नवांश कुंडली के पंचम भाव में बुध का प्रभाव बच्चों, शिक्षा और प्रेम संबंधों पर होता है. यहां बुध व्यक्ति को अच्छा छात्र और शिक्षाविद बनाने की क्षमता प्रदान करता है. जब बुध इस भाव में मजबूत स्थिति में होता है, तो व्यक्ति का बुद्धिमत्ता और सृजनात्मकता ऊँचा होता है. यह ग्रह प्रेम और रोमांस में भी व्यक्ति को आकर्षण और संवाद में सहज बनाता है. इसके अतिरिक्त, यह बच्चों के लिए अच्छा अभिभावक और सलाहकार बनाने में मदद करता है.

छठा भाव  

नवांश कुंडली के छठे भाव में बुध का प्रभाव व्यक्ति के स्वास्थ्य, शत्रु और कामकाजी जीवन पर होता है. यह ग्रह व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाए रखने की क्षमता देता है. शत्रुओं से निपटने के लिए बुध का प्रभाव मानसिक रणनीति और योजना बनाने में सहायक होता है. कामकाजी जीवन में बुध की स्थिति व्यक्ति को उचित और सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करती है, जिससे कार्यस्थल पर सफलता मिलती है.

सातवां भाव 

नवांश कुंडली के सातवें भाव में बुध का प्रभाव व्यक्ति के दाम्पत्य जीवन और साझेदारी पर होता है. जब बुध इस भाव में अच्छा होता है, तो व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में सामंजस्य और संवाद मजबूत होता है. साझेदारियों में भी बुध का प्रभाव व्यक्ति को व्यावसायिक रूप से लाभकारी निर्णय लेने में सहायक होता है. यह ग्रह प्रेम और साझेदारी में भी समझदारी और बौद्धिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है.

आठवां भाव  

नवांश कुंडली के आठवें भाव में बुध का असर व्यक्ति की मानसिकता, जीवन के गहरे रहस्यों और परिवर्तन पर होता है. यहां बुध व्यक्ति को गहरी सोच और विश्लेषण की शक्ति प्रदान करता है, जिससे वह जीवन के गहरे पहलुओं को समझने में सक्षम होता है. यह ग्रह व्यक्ति को जीवन के संकटों और बदलावों का सामना करने में मानसिक रूप से मजबूत बनाता है.

नौवां भाव 

नवांश कुंडली के नौवे भाव में बुध का प्रभाव व्यक्ति की धर्म, शिक्षा और यात्रा पर होता है. यह ग्रह व्यक्ति को उच्च शिक्षा, ज्ञान और धार्मिक विचारों की ओर प्रेरित करता है. बुध यहां व्यक्ति को यात्रा करने और नये अनुभव प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है. यह ग्रह व्यक्ति के धार्मिक जीवन को भी उन्नत करता है और उसे विचारशील और आध्यात्मिक बनाता है.

दसवां भाव 

नवांश कुंडली के दसवें भाव में बुध का असर व्यक्ति के करियर, समाज में प्रतिष्ठा और कार्यक्षेत्र पर होता है. बुध इस भाव में व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता, निर्णय क्षमता और नेतृत्व क्षमता प्रदान करता है. यह ग्रह व्यक्ति को अपने कार्यों में श्रेष्ठता प्राप्त करने के लिए मानसिक रूप से सक्षम बनाता है. बुध का प्रभाव व्यक्ति को समाज में सम्मान और उच्च स्थिति प्राप्त करने में भी सहायक होता है.

ग्यारहवां भाव 

नवांश कुंडली के ग्यारहवें भाव में बुध का प्रभाव व्यक्ति की आकांक्षाओं, लाभ और मित्रों पर होता है. यह ग्रह व्यक्ति को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए समझदारी से योजना बनाने और अपने मित्रों से अच्छे संबंध बनाए रखने में मदद करता है. बुध यहां व्यक्ति को नए विचारों और अवसरों के प्रति सजग करता है, जिससे वह अपने जीवन में अधिक लाभ प्राप्त कर सकता है.

बारहवां भाव 

नवांश कुंडली के बारहवें भाव में बुध का असर व्यक्ति के मानसिक शांति, रहस्यों और गहरे सोचने की प्रक्रिया पर होता है. यहां बुध व्यक्ति को आत्मनिरीक्षण और मानसिक विश्राम की ओर प्रेरित करता है. यह ग्रह व्यक्ति को अपने अंतर्मन के साथ जुड़ने और जीवन के गहरे पहलुओं को समझने की दिशा में मदद करता है. बुध का प्रभाव इस भाव में व्यक्ति को दुनिया से बाहर जाकर आत्मसुधार करने की प्रेरणा देता है.

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नवांश कुंडली के 12 भावों में मंगल की स्थिति

वैदिक ज्योतिष नवांश कुंडली मंगल के बल को दर्शाती है. मंगल को नेतृत्व, शक्ति, महत्वाकांक्षा, दृढ़ संकल्प और शारीरिक कौशल जैसे गुणों से जोड़ा जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह किसी व्यक्ति की नई पहल करने, चुनौतियों का सामना करने और बाधाओं को दूर करने की क्षमता को प्रभावित करता है. ज्योतिष में, नवांश कुंडली में अलग-अलग भाव हैं, जिनमें से प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है, मंगल का प्रत्येक भाव में व्यक्ति के व्यक्तित्व के अलग-अलग पहलू पर असर पड़ता है, जो जन्म कुंडली में स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं.

नवांश कुंडली में पहले भाव में मंगल
नवांश कुंडली के अनुसार मंगल की स्थिति अपने गहरे प्रभाव डालती है. मंगल शक्तिशाली होता है, ऊर्जावान, आत्म-केंद्रित, सक्रिय और जीतने की प्रवृत्ति वाला होता है. नवांश में मंगल का बल होने पर क्रियाशील, शारीरिक रूप से स्वस्थ, साहसी और मजबूत बनाता है. सैनिकों और खिलाड़ियों के लिए मंगल एक आदर्श स्थिति है. कुंडली में मंगल की स्थिति के आधार पर व्यक्ति आक्रामक और चिड़चिड़ा हो सकता है. अपने मार्ग के प्रति स्पष्ट होते हैं और एक बार जब व्यक्ति कुछ हासिल करने का फैसला कर लेते हैं तो उसे रोक नहीं पाते.

नवांश कुंडली में दूसरे भाव में मंगल
नवांश कुंडली मंगल की यह स्थिति व्यक्ति को बहुत अच्छा वक्ता बनाती है. यह वाणी का भाव है, व्यक्ति को अभिव्यंजक होना चाहिए और किसी भी विषय पर बोल सकता है. अपनी वाणी और जीतने के रवैये से लोगों को आकर्षित करते हैं, ये लोग महत्वाकांक्षी और मेहनती होते हैं. यह स्थिति व्यक्ति को आक्रामक भी बनाती है और कठोर और अपमानजनक भाषा का उपयोग कर सकते हैं. उद्योग, शेयर बाजार, लॉटरी और निव्यक्तिश के माध्यम से कमाते हैं.

नवांश कुंडली में तीसरे भाव में मंगल
नवांश कुंडली में यह साहस का भाव है और मंगल की सबसे अच्छी स्थिति है. व्यक्ति आत्मविश्वास और ऊर्जा से भरपूर होगा. व्यक्ति उचित सोच और कार्रवाई के साथ किसी भी स्थिति या परिस्थितियों का प्रबंधन करने में सक्षम होंगे. व्यक्ति स्पष्ट रूप से बोल सकते हैं और खुद को व्यक्त कर सकते हैं और दूसरों के साथ ज्ञान साझा कर सकते हैं. मंगल की यह स्थिति व्यक्तिों को साहसिक बनाती है जो उनके लिए खतरनाक हो सकता है.

नवांश कुंडली में चौथे भाव में मंगल
नवांश कुंडली में मंगल की स्थिति व्यक्ति के सुख को प्रभावित करती है. विवाह और सुख से संबंधित समस्या हो सकती, व्यक्ति अपनी मातृभूमि से दूर रहेगा और उसकी अपनी मां के साथ खराब संबंध होंगे. यदि मंगल अच्छी स्थिति में है, तो व्यक्ति धन, संपत्ति से लाभ का अनुभव करेगा और एक आरामदायक और शानदार जीवन शैली का आनंद लेगा. मंगल यहां भावनात्मक रूप से प्रभावित करता है, और उसका मन बेचैन हो सकता है.

नवांश कुंडली में पांचवें भाव में मंगल
नवांश कुंडली में मंगल की यह स्थिति दर्शाती है कि व्यक्ति खिलाड़ी स्वभाव का होगा. वह बहुत ऊर्जावान, आत्मविश्वास से भरा, सक्रिय और जोश से भरा होगा. वह जीवन में जोखिम उठाएगा और अगर भाव पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है तो समृद्धि प्राप्त करने के लिए अनैतिक तरीकों का उपयोग कर सकता है. व्यक्ति को छोटी-मोटी दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ेगा, शेयर और जुए में पैसा खोना पड़ सकता है.

नवांश कुंडली में छठे भाव में मंगल
नवांश कुंडली में मंगल की यह स्थिति व्यक्ति को उनके काम में बहुत ऊर्जा और प्रयास देती है. व्यक्ति दुश्मनों को हरा सकते हैं और योग्यता और कड़ी मेहनत से कमा सकते हैं. व्यक्ति अपने काम के प्रति ईमानदार, केंद्रित और दृढ़ निश्चयी होंगे और दूसरों को प्रेरित करेंगे. अदालती मामलों को भी ये स्थान दर्शाता है जिन्हें आसानी से जीता जा सकता है. अगर मंगल मजबूत है तो लोग दुनिया पर राज करते हैं, यह सेना, पुलिस और चिकित्सा के लिए एक अच्छा स्थान है.

नवांश कुंडली में सप्तम भाव में मंगल
नवांश कुंडली में ये भाव घर विवाह, जीवनसाथी, साझेदारी और पदोन्नति से जुड़ा है. मंगल साहस, ऊर्जा, आक्रामकता और शक्ति का ग्रह है, मंगल की स्थिति रिश्ते में मतभेद या बहस दे सकती है. व्यक्ति स्वतंत्र होगा और उसमें लड़ने की भावना प्रबल होगी तथा उसका स्वभाव हावी होने वाला होगा, जो उसे व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा का सामना करने में मदद करता है. सुंदर जीवनसाथी या रचनात्मकता से संबंधित व्यवसाय को दर्शाता है. पीड़ित मंगल व्यवसायिक साझेदारों के साथ संबंधों में गड़बड़ी दे सकता है.

नवांश कुंडली में आठवें भाव में मंगल
नवांश कुंडली में यह भाव दीर्घायु, ससुराल, गोपनीयता, भय, परिवर्तन और गुप्त विज्ञान से संबंधित है. इस भाव में मंगल की स्थिति तब तक अच्छी नहीं मानी जाती जब तक कि वह अपनी उच्च राशि या अपनी राशि में न हो. यह भाव दैनिक जीवन में व्यक्ति द्वारा सामना किए जाने वाले संघर्ष और उसे संभालने के साहस से भी जुड़ा है. व्यक्ति गुप्त स्वभाव का हो सकता है. व्यक्ति में एक मजबूत अंतर्ज्ञान शक्ति हो सकती है जो उन्हें लोगों को आसानी से परखने और समझने में मदद करती है. व्यक्ति को छोटी-मोटी दुर्घटनाएँ या चोट लग सकती हैं.

नवांश कुंडली में नवम भाव में मंगल
नवांश कुंडली में ये स्थान उच्च शिक्षा, आध्यात्मिकता, तीर्थयात्रा और लंबी यात्राओं से संबंधित है. यह भाग्य और सौभाग्य का भाव भी है. मंगल का यहां स्थित होना व्यक्ति को निडर बना सकता है, उसकी राय मजबूत हो सकती है और उसे दूसरों के मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं होती है. वह स्वभाव से अधीर और हावी हो सकता है इसलिए दूसरों से उसका अनुसरण करने की अपेक्षा करता है. व्यक्ति यात्रा और साहसिक यात्राओं का शौकीन होगा. वह खेल और अन्य पाठ्येतर गतिविधियों में रुचि ले सकता है.

नवांश कुंडली में दसवें भाव में मंगल
नवांश कुंडली में मंगल अगर सही स्थिति में हो तो इस भाव से संबंधित सकारात्मक परिणाम देता है. मंगल की शक्ति या ऊर्जा व्यक्ति को उसके कर्म के माध्यम से बढ़ने और सामाजिक स्थिति प्राप्त करने में मदद करती है. व्यक्ति को अपने प्रयासों, कड़ी मेहनत, ईमानदारी और निडरता के माध्यम से सफलता प्राप्त करने में मदद करता है. वह काम के प्रति जुनूनी हो सकता है और कार्यस्थल पर दूसरों पर दबाव डाल सकता है, जिसकी उसके सहकर्मियों द्वारा सराहना नहीं की जा सकती है.

नवांश कुंडली में ग्यारहवें भाव में मंगल
नवांश कुंडली में इस भाव में मंगल की स्थिति व्यक्ति को जीवन में सफलता और प्रगति प्रदान करेगी. व्यक्ति के पास आय, लोकप्रियता और इच्छाओं की पूर्ति के विभिन्न स्रोत होंगे. एक मजबूत धन योग बनाता है यदि अच्छी स्थिति में हो तो व्यक्ति लॉटरी, अचानक धन या लाभ के माध्यम से कमा सकता है. वह भौतिकवादी होगा और दोस्तों पर बहुत खर्च करेगा. व्यक्ति अपने दुश्मनों को हरा सकता है और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए चरम स्तर तक जा सकता है.

नवांश कुंडली में बारहवें भाव में मंगल
नवांश कुंडली में यह जीवन से जुड़ी चीज़ों को देने और छोड़ने तथा मोक्ष या मुक्ति की ओर बढ़ने का भाव है. यह मंगल के लिए एक खराब स्थिति है क्योंकि यह क्रोध, ईर्ष्या और आक्रामकता पैदा करता है. यह स्थिति मांगलिक दोष का कारण बनती है जो विवाहित जीवन के लिए अच्छा नहीं है और जीवनसाथी के साथ मनमुटाव और असहमति का कारण बन सकती है. लेकिन मंगल अनुकूल स्थिति में है तो व्यक्ति अक्सर विदेश यात्रा करेगा या विकास के लिए किसी विदेशी भूमि में बस सकता है.

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नवांश कुंडली में सूर्य : नवांश के बारह भावों में सूर्य की स्थिति और प्रभाव

ज्योतिष में सूर्य पिता का प्रतीक है, जिसे अक्सर ग्रहों के राजा के रूप में दर्शाया जाता है. वैदिक ज्योतिष में इसे प्रमुख स्थान दिया गया है. यह व्यक्ति की पहचान और चेतना का मूल है. सूर्य को अक्सर आत्मकारक कहा जाता है, जिसका अर्थ है आत्मा का कारक. वैदिक ज्योतिष में, जिस प्रकार लग्न कुंडली में सूर्य की अहम भूमिका होती है उसी प्रकार नवांश कुंडली में भी सूर्य की स्थिति को देखना और समझना जरुरी है. 

नवांश में ग्रह कुंडली के किसी भी भाव में हो सकते हैं. ग्रह किस तरह के परिणाम देगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसका स्वभाव, स्थिति और उस भाव से उसका संबंध है या वह भाव जीवन के किस पक्ष से संबंधित है. यह तो सभी जानते हैं कि कुछ ग्रह शुभ होते हैं यानी वे जिस भी भाव में होंगे, उस भाव के कारक तत्व को बढ़ा देंगे और कुछ अशुभ ग्रह उस भाव के कारक तत्व को बिगाड़ देंगे. इसलिए सबसे पहले यह देखें कि कौन सा ग्रह अलग-अलग भावों पर क्या प्रभाव दिखाता है. सूर्य किसी का जीवन को दिशा देने और मूल्य निर्धारित करने में एक महत्वपूर्ण योगदान है. इसकी स्थिति और प्रभाव व्यक्ति के काम, महत्वाकांक्षाओं और सफलता के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं. आइए हम जानते हैं कि नवांश कुंडली के सभी भावों में सूर्य की स्थिति कैसे प्रभाव डल सकती है.

नवांश के पहले भाव में सूर्य

नवांश के पहले भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति के बाल कम होंगे. स्वभाव में उग्रता होगी. शरीर लम्बा होगा. अहंकार की भावना अधिक होगी, साहस होगा. आंखों में कोई न कोई रोग अवश्य हो सकता है.  सूर्य विवाह में शारीरिक कष्ट नहीं देता, परंतु व्यक्ति सदैव आर्थिक रूप से परेशान रहता है.

नवांश के द्वितीय भाव में सूर्य

नवांश के द्वितीय भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति ज्ञान, विनम्रता तथा धन में हीन होता है तथा उसकी वाणी में दोष, हकलाना या अन्य दोष होते हैं, व्यक्ति अपशब्द या कटु वाणी का प्रयोग करता है, यदि इस स्थान का सूर्य मंगल या शनि से प्रभावित हो तो दृष्टि मंद हो जाती है. परिवार में कोई न कोई समस्या बनी रहती है.

नवांश के तीसरे भाव में सूर्य

नवांश के तीसरे भाव में सूर्य हो तो कुछ अच्छे परिणाम देता है. मनुष्य बलवान, वीर, धनवान और उदार होता है. लेकिन अपने सगे-संबंधियों से शत्रुता रखता है.

नवांश के चौथे भाव में सूर्य

नवांश के चौथे भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति सुखहीन, मित्रों से रहित और भूमि से रहित होता है. व्यक्ति को या तो पैतृक संपत्ति नहीं मिलती या मिलती भी है तो उसे खर्च कर देता है और सरकारी नौकरी करनी पड़ती है. यदि इस भाव में सूर्य पर अशुभ प्रभाव हो तो हृदय रोग भी होता है.

नवांश के पांचवें भाव में सूर्य

नवांश के पांचवें भाव में सूर्य हो तो इस भाव का सूर्य मनुष्य को सुख, धन, दीर्घायु और नींद से रहित बनाता है. इस भाव में सूर्य प्रायः ज्येष्ठ पुत्र को नष्ट कर देता है. यदि सूर्य अपनी राशि या उच्च राशि में हो तो व्यक्ति बुद्धिमान और पर्यटन का शौकीन होता है. 

नवांश के छठे भाव में सूर्य

नवांश के छठे भाव में सूर्य हो तो स्थिति स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं होती. गले के रोग, पथरी, हृदय रोग, पीठ और कमर के रोग होते हैं. स्वास्थ्य संबंधी विकार होते हैं. चोट लगने का भी भय रहता है. यहाँ शुभ फल के रुप में रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है.

नवांश के सातवें भाव में सूर्य

नवांश के सातवें भाव में सूर्य हो तो विश्वासघाती बनता है. व्यर्थ भटकता है और अपमानित होता है. पत्नी से सुख नहीं मिलता. सूर्य शरीर में कोई न कोई विकार उत्पन्न करता है. अक्सर पति-पत्नी में अलगाव होता है. मुकदमों में विजय मिलती है.

नवांश के आठवें भाव में सूर्य

नवांश के आठवें भाव में सूर्य हो तो सूर्य नेत्र रोग उत्पन्न करता है. इसका कारण यह है कि सूर्य की दृष्टि नेत्र के दूसरे भाव पर होती है. सूर्य हो तो संतान से संबंधित दुख होता है. सूर्य पाप पीड़ित हो तो दुर्घटना या अचानक मृत्यु होती है. पिता-पुत्र के बीच संबंध खराब होते हैं.

नवांश के नवम भाव में सूर्य

नवांश के नवम भाव में सूर्य हो तो सूर्य जो पिता का कारक है, इस भाव में पिता के लिए हानिकारक होता है. यदि सूर्य इस स्थान पर कमजोर हो तो शुभ फल प्राप्त नहीं होते हैं. नवम भाव में सूर्य या तो भाइयों के लिए हानिकारक होता है या भाइयों से संबंध अच्छे नहीं होते हैं. व्यक्ति धार्मिक, ज्ञानी, तार्किक और अच्छा वक्ता होता है.  

नवांश के दसवें भाव में सूर्य 

नवांश के दसवें भाव में सूर्य हो तो इस स्थान पर सूर्य दिग्बली होता है. यह सूर्य के लिए सबसे अच्छा स्थान माना जाता है. यदि वह किसी अशुभ ग्रह से पीड़ित न हो. व्यक्ति सुखी और बलवान होता है. संतान, वाहन सुख, यश और राजा से सम्मान प्राप्त करता है. कोमल हृदय, गुणवान, सुखी, स्वाभिमानी और नृत्य संगीत में रुचि रखने वाला होता है. व्यक्ति उच्च पद प्राप्त करता है. इस स्थान का सूर्य आकाश के मध्य बिंदु पर होता है और पूर्ण दिग्बली माना जाता है.  

नवांश के ग्यारहवें भाव में सूर्य 

नवांश के ग्यारहवें भाव में सूर्य हो तो ज्योतिष में ऐसी मान्यता है कि ग्यारहवें भाव में सभी ग्रह शुभ फल देते हैं, इस भाव का सूर्य व्यक्ति को धनवान, दीर्घायु, सुखी, अनेक लोगों पर शासन करने वाला, धन संचय करने वाला, यशस्वी और राजा से धन प्राप्ति कराने वाला बनाता है. कर्म करने वाला व्यक्ति यह फल भोगता है. उसके पक्के और विश्वसनीय मित्र होते हैं. संतान सुख में बाधा आती है.

नवांश के बारहवें भाव में सूर्य

नवांश के बारहवें भाव में सूर्य हो तो पिता से शत्रुता, धन की कमी, नेत्र रोग, क्षीण शरीर, क्षुद्र, पिता से प्रेम न करना, विपरीत मन, स्त्री से परस्त्रीगामी, इस प्रकार के फल बताए गए हैं, लेकिन इस स्थान पर यदि सूर्य उच्च का हो या अपनी राशि में हो तो वह भी व्यक्ति को शुभ फल देता है.

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विजया एकादशी का राशि अनुसार उपाय और महत्व

विजया एकादशी हिन्दू धर्म में विशेष रूप से महत्व रखने वाला व्रत है, जो हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। यह एकादशी विशेष रूप से विजय, सफलता और समृद्धि के लिए जानी जाती है। विजया एकादशी का पालन करने से व्यक्ति की सभी दुखों और कष्टों से मुक्ति होती है और उसे जीवन में सफलता प्राप्त होती है। इस दिन व्रत रखने और विधिपूर्वक पूजा करने से सभी राशियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

विजया एकादशी का महत्व

विजया एकादशी का विशेष महत्व है क्योंकि यह दिन पापों से मुक्ति पाने और ईश्वर की कृपा प्राप्त करने का सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। विजया का अर्थ होता है ‘विजय’ यानी सफलता, और एकादशी का अर्थ होता है ’11वां दिन’। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली कठिनाइयों का नाश होता है और जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।

हिंदू धर्म के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है, क्योंकि उन्हें ‘भगवान की रक्षा करने वाले’ के रूप में पूजा जाता है। इस दिन उपवास और भक्ति से व्यक्ति की समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है और उसका जीवन सुखमय होता है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए होता है जो किसी प्रकार की कठिनाई या विफलता से जूझ रहे होते हैं। यह दिन विजय प्राप्त करने के अवसर को देता है, चाहे वह शारीरिक, मानसिक या आर्थ‍िक दृष्टिकोण से हो।

राशि अनुसार विजया एकादशी के उपाय

विजया एकादशी का व्रत राशी के अनुसार विभिन्न उपायों के साथ किया जा सकता है। हर राशी के व्यक्ति के जीवन में अलग-अलग तरह की समस्याएँ और कष्ट होते हैं, जिनके निवारण के लिए उन्हें विशिष्ट उपायों की आवश्यकता होती है। आइए जानें कि प्रत्येक राशि के लिए विजया एकादशी पर कौन से विशेष उपाय किए जा सकते हैं।

1. मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए विजया एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करना बेहद लाभकारी होता है। इस दिन विशेष रूप से ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें। इसके अलावा, इस दिन व्रत रखने से नौकरी या व्यवसाय में सफलता मिलती है। यदि किसी प्रकार की शत्रुता या विवाद हो, तो इसे समाप्त करने के लिए घर के मुख्य द्वार पर हल्दी का तिलक करें।

2. वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों को इस दिन विशेष रूप से आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है। उन्हें ‘ॐ श्रीविष्णवे नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन केले के पेड़ की पूजा करके 11 केले व्रत के बाद दान करना चाहिए। इससे व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है और उसके व्यापार में लाभ होता है।

3. मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों को विजया एकादशी पर विशेष रूप से मानसिक शांति की आवश्यकता होती है। इस दिन उन्हें भगवान विष्णु के साथ साथ मां लक्ष्मी की पूजा भी करनी चाहिए। ‘ॐ श्रीं महालक्ष्मै नमः’ मंत्र का जाप करें और इस दिन ताजे फल दान करें। इससे मानसिक तनाव कम होता है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

4. कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए विजया एकादशी पर विशेष रूप से व्रत रखने से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। उन्हें इस दिन जल में तुलसी के पत्ते डालकर भगवान विष्णु का अभिषेक करना चाहिए। इसके अलावा, इस दिन सफेद वस्त्र पहनने से धन की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही व्रत के दौरान दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है।

5. सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए विजया एकादशी पर विशेष रूप से अपनी आत्म-सम्मान और प्रतिष्ठा को बढ़ाने के उपाय किए जा सकते हैं। इस दिन उन्हें ‘ॐ महाशक्तिमायाः’ का जाप करना चाहिए। इस दिन घर के आंगन में दीप जलाकर पूजा करनी चाहिए और ताम्बे के बर्तन में जल भरकर दान करें। यह उपाय उन्हें सामाजिक प्रतिष्ठा और सम्मान दिलाने में सहायक होता है।

6. कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों के लिए विजया एकादशी पर व्रत रखना विशेष लाभकारी होता है। इस दिन विशेष रूप से व्रत के दौरान नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, इस दिन गंगाजल का छिड़काव करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और पारिवारिक रिश्तों में मधुरता आती है।

7. तुला राशि

तुला राशि के जातकों को इस दिन विष्णु भगवान की पूजा के साथ-साथ कुछ विशेष उपाय करने चाहिए। इस दिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का 108 बार जाप करना चाहिए। इसके अलावा, इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक लगाना और पीपल के पत्ते चढ़ाना लाभकारी होता है। इससे घर में समृद्धि आती है और रिश्तों में सामंजस्य बना रहता है।

8. वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए विजया एकादशी पर विशेष रूप से पुराने कर्जों से मुक्ति पाने के उपाय किए जा सकते हैं। इस दिन ‘ॐ श्री विष्णु देवाय नमः’ मंत्र का जाप करें और घर के प्रत्येक कोने में दीपक लगाएं। इसके अलावा, इस दिन गरीबों को भोजन कराना और वस्त्र दान करना अत्यंत लाभकारी होता है। इससे आर्थिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

9. धनु राशि

धनु राशि के जातकों के लिए विजया एकादशी पर विशेष रूप से यात्रा करने के लिए यह एक शुभ समय होता है। इस दिन ‘ॐ श्री कृष्णाय नमः’ का जाप करें और घर के बाहर आस्था के प्रतीक के रूप में तुलसी के पत्ते रखें। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है और विदेश यात्रा के रास्ते खुलते हैं।

10. मकर राशि

मकर राशि के जातकों को विजया एकादशी पर विशेष रूप से ध्यान और साधना करनी चाहिए। इस दिन उन्हें ‘ॐ श्री लक्ष्मी नारायणाय नमः’ का जाप करना चाहिए और मन्दिर में दीपक जलाना चाहिए। साथ ही, इस दिन किसी गरीब को वस्त्र दान करना शुभ होता है। इससे मानसिक शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

11. कुम्भ राशि

कुम्भ राशि के जातकों के लिए विजया एकादशी पर विशेष रूप से आध्यात्मिक उन्नति का समय होता है। इस दिन ‘ॐ गणेशाय नमः’ का जाप करें और गणेश जी की पूजा करें। साथ ही, इस दिन घर के हर स्थान पर स्वच्छता बनाए रखें और किसी जरूरतमंद को जल दान करें।

12. मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लिए विजया एकादशी पर विशेष रूप से मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास बढ़ाने के उपाय किए जा सकते हैं। इस दिन ‘ॐ श्री विष्णु देवाय नमः’ का जाप करें और एक पुराने वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं। इस दिन श्रीफल का दान भी बहुत शुभ माना जाता है।

विजया एकादशी न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राशी अनुसार किए गए उपायों से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का भी एक अच्छा अवसर है। प्रत्येक राशी के जातकों को अपनी स्थिति और जरूरत के हिसाब से विशेष उपाय करने चाहिए, जिससे उनका जीवन अधिक सुखमय और सफल हो। इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा करके जीवन में सफलता, समृद्धि और सुख-शांति प्राप्त की जा सकती है।

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पार्टनर की कुंडली में शुक्र खोलेगा लव के अनसुलझे रहस्य

ज्योतिष में लव इमोशन के लिए शुक्र मुख्य ग्रह मान अगया है. शुक्र के बिना किसी के जीवन में प्रेम का अंकुर जन्म नहीं ले सकता है. शुक्र अगर अच्छा है तो फिर प्यार की कमी नहीं होगी लेकिन अगर शुक्र कमजोर है तो फिर जीवन भर अपने प्रेम के लिए संघर्ष बना रह सकता है. ऎसे में अगर अपने पार्टनर के बारे में आप कुछ जानना चते हैं ओर उनली लव ड्राइव कैसी होगी तो इन सभी बातों में शुक्र मदद करने वाला ग्रह है. कुंडली में शुक्र के प्रेम से जुड़े रहस्य कुंडली में शुक्र की स्थिति के आधार पर आपके साथी आपको कैसे प्रभावित करने की कोशिश करेंगे इन सब बातों की जानकारी शुक्र की राशि की स्थिति से पता चलती है. 

अपने पार्ट्नर की चंद्र राशि को समझ लेना हमेशा मददगार होता है, लेकिन यह भ्रामक भी हो सकता है. कभी-कभी हमारी शुक्र राशि हमारी सूर्य राशि के समान होती है, और जिस तरह से हम दिल के मामलों में खुद को व्यक्त करते हैं, वह काफी हद तक पूर्वानुमानित होता है. जब हमारा शुक्र और सूर्य अलग-अलग राशियों में होते हैं, तो हम दूसरों को और खुद को भी ऐसे व्यवहार से आश्चर्यचकित कर सकते हैं जो हमेशा हमारे चरित्र के बाकी हिस्सों से मेल नहीं खाता. उदाहरण के लिए, एक सामान्य रूप से सहमा व्यक्ति भी प्रेम में निडर हो सकता है अगर शुक्र सिंह राशि में है. 

पार्टनर के शुक्र के विभिन्न राशियों में होने के बारे में जानते हैं विस्तार से : 

मेष राशि में शुक्र

मेष राशि में शुक्र वाले लोग सीधे-सादे, सीधे और यहां तक ​​कि साहसी होकर फ़्लर्ट करते हैं. वे यह बताकर आपका दिल जीतने की कोशिश करते हैं कि वे कितने उद्यमी और स्वतंत्र हैं. प्यार का इजहार करने का उनका तरीका जुनून जैसा भी होता है. मेष राशि में शुक्र के मासूम आकर्षण से लोग उत्तेजित हो जाते हैं, मेष राशि में शुक्र वाले पुरुष और महिलाएं प्यार में बच्चों की तरह, मौज-मस्ती करने वाले तरीके से व्यवहार करते हैं. वे ऊर्जा और गतिविधि से उत्तेजित होते हैं. टर्न-ऑफ में एक ऐसा रिश्ता शामिल है जिसे उबाऊ या बहुत “परिपक्व” माना जाता है, अस्पष्टता और इधर-उधर की बातें करना. प्यार में, मेष राशि में शुक्र वाले लोग विजय के लिए पूरी तरह से आदी होते हैं. उनके लिए एक रिश्ते को ताज़ा और नया बनाए रखने के लिए, उन्हें बहुत अधिक उत्तेजना की आवश्यकता होती है.

वृषभ राशि में शुक्र

वृषभ राशि में शुक्र के लिए प्यार भौतिक दुनिया के सुख-सुविधाओं पर केंद्रित है, कामुक परिवेश में आनंद लेते हैं. ये लोग खुद को ठोस और सहज के रूप में पेश करते हैं. वास्तव में, उनके व्यवहार के बारे में कुछ ऐसा है जो वादा करता है कि वे प्रेमी और साथी को संतुष्ट करेंगे. उन्हें अपने रिश्तों में एक निश्चित मात्रा में पूर्वानुमान और भरोसेमंदता की आवश्यकता होती है, भले ही उनका सूर्य मेष या मिथुन जैसी अधिक सहज राशियों में हो.वृषभ राशि में शुक्र वाले पुरुष और महिलाएं प्यार में अधिकार जता सकते हैं, और रिश्तों और प्यार के संदर्भ में तेज़-तर्रार, उच्च-ऊर्जा स्थितियों से उन्हें खतरा हो सकता है. ये कामुक साथी हैं जिन्हें प्यार के बहुत सारे “हाथों से किए गए” भावों की आवश्यकता होती है. उनके प्रेमी शिकायत कर सकते हैं कि वृषभ राशि में शुक्र थोड़ा बहुत सहज और व्यवस्थित हो सकता है. यह सच है कि वे अपने रिश्तों में बदलाव का विरोध करते हैं, लेकिन जब वे किसी एक ही जगह पर अटके हुए लगते हैं, तब भी आप हमेशा यह याद करके खुद को आश्वस्त कर सकते हैं कि वे हमेशा आपके साथी हैं.

मिथुन राशि में शुक्र

मिथुन राशि में शुक्र वाले लोग अपने प्यार को बातचीत से जीतने की कोशिश करेंगे, यह दिखाते हुए कि वे कितना “जानते हैं”, और अपनी विविध रुचियों का प्रदर्शन करेंगे. चंचल होते हैं, इन्हें पहचान पाना मुश्किल है, और वे ऐसे रिश्तों का विरोध करते हैं जो बहुत सहज होने का वादा करते हैं. बाहरी व्यवहार से कुछ संयम और सावधानी का संकेत मिलता है, वे चाहेंगे कि उनके रिश्ते उत्तेजक हों और मिथुन राशि में शुक्र के साथ बातचीत से भरपूर हों. मिथुन राशि में शुक्र वाले पुरुष और महिलाएं अपने रिश्तों में बंधे या उलझे हुए नहीं रहना चाहते. वे प्यार में हल्के-फुल्केपन की सराहना करते हैं. 

कर्क राशि में शुक्र

कर्क राशि में शुक्र के लिए प्यार तब सबसे अच्छा होता है जब यह प्रतिबद्ध होता है. ये लोग प्यार में संवेदनशील होते हैं, भले ही उनकी सूर्य राशि मिथुन या सिंह की अधिक चंचल और मिलनसार राशि हो. आप यह भी कह सकते हैं कि जब प्यार की बात आती है तो उनका अहंकार थोड़ा कम विकसित होता है, लेकिन बदले में उनके पास देने के लिए बहुत कुछ होता है: यानी सुरक्षा, आराम और देखभाल. कर्क राशि में शुक्र वाले पुरुष और महिलाएं आपका ख्याल रखकर अपना प्यार दिखाते हैं. वे आपके शब्दों से ज़्यादा आपकी भावनाओं पर ध्यान देते हैं और आपको ध्यान से देखते हैं. वे एक सुरक्षित, ठोस रिश्ता चाहते हैं. वे प्यार में थोड़े मूडी हो सकते हैं और कुछ तो अपने साथी का ध्यान आकर्षित करने के लिए चुप रहने और नाराज़गी जताने तक चले जाते हैं. 

सिंह राशि में शुक्र

सिंह राशि में शुक्र वाले लोग प्यार में होते हैं, तो वे गर्वित होते हैं, यहा तक कि अभिमानी भी हो सकते हैं, शुक्र की यह स्थिति कुछ हद तक मांग करने वाले प्रेमी में बदल सकती है. सिंह राशि में शुक्र को निवेदन करना और किसी से प्रस्ताव पाना पसंद है, और उन्हें बहुत खास महसूस करने की ज़रूरत होती है. वे गर्मजोशी से भरे, उदार और विशेष भी होते हैं. अपने पार्टनर के प्रति बहुत वफ़ादार होते हैं, विपरीत लिंग से ध्यान आकर्षित करने पर जोश में होते हैं. सिंह राशि में शुक्र प्यार में अनुभव दिखना चाहता है, भले ही उनके पास बहुत कम या कोई अनुभव न हो.

कन्या राशि में शुक्र

कन्या राशि में शुक्र वाले लोग इश्कबाज़ी करने वाले नहीं होते. इसके बजाय, उनका आकर्षण उनके समर्पण, रिश्ते पर काम करने की उनकी इच्छा और रिश्ते को वास्तविक रूप से कामयाब बनाने में निहित है. सिंह राशि में शुक्र के विपरीत, वे आपको भव्य वादों से प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे.  कन्या राशि में शुक्र वाले आपके दिल में अपनी जगह बना लेते हैं. वे प्यार में काफी संवेदनशील होते हैं. अपने रिश्तों में सुरक्षित खेलना पसंद करते हैं, और उन्हें कोई कदम उठाने से पहले आश्वस्त होने की ज़रूरत होती है कि आप उन्हें पसंद करते हैं. वे बहुत अच्छे श्रोता होते हैं और वे आपकी सभी बातों को ध्यान से सुनना और समझना अपनी आदत बना लेते हैं.

तुला राशि में शुक्र

तुला राशि में शुक्र वाले लोग अपनी दयालुता, निष्पक्षता और आपके रिश्ते को कामयाब बनाने की इच्छा से आपको प्रभावित करने की कोशिश करेंगे. प्यार में उनका व्यवहार बहुत ही शिष्ट होता है, जो कभी-कभी उन्हें संदेह में खड़ा भी कर देता. वे कोमल प्रेमी होते हैं जिन्हें नाराज़ होना पसंद नहीं होता. उन्हें बुरे व्यवहार और भावनाओं की सीधी या कठोर अभिव्यक्ति से डर लगता है. वे न केवल बीच का रास्ता चुनना पसंद करते हैं, बल्कि वे अपने रिश्तों में बीच का रास्ता भी तलाशते हैं. आप उम्मीद कर सकते हैं कि आपके साथ उचित व्यवहार किया जाएगा, और आप तुला राशि में शुक्र के द्वारा आपको पूरी तरह से समायोजित करने और अपने जीवन को समायोजित करने की इच्छा से प्रभावित हो सकते हैं.

वृश्चिक राशि में शुक्र

वृश्चिक राशि में शुक्र वाले लोग दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करते हैंउनकी तीव्रता और प्रतिबद्ध होने की इच्छा. उनके पास एक मजबूत और केंद्रित तरीका है जो बताता है कि उनकी भावना गहरी हैं. प्यार में उनके कार्य गहरी प्रतिबद्धता और सुख का वादा करते हैं, भले ही वे आपको सीधे तौर पर यह न बता रहे हों. उनका आकर्षण आप पर उनके ध्यान और उनके समर्पण में निहित है. जब अंतरंगता की बात आती है तो वृश्चिक राशि में शुक्र निडर लगता है. प्रेमियों को यह महसूस होता है कि वृश्चिक राशि में शुक्र कभी नहीं भटकेगा, कि वे जिससे प्यार करते हैं उसके प्रति बेहद वफादार हैं. वे आपको अपने वश में कर लेते हैं, और किसी तरह से वश में होना आकर्षक लगता है.

धनु राशि में शुक्र

धनु राशि में शुक्र वाले लोग प्यार में होते हैं, तो उन्हें यह महसूस करने की ज़रूरत होती है कि वे अपने रिश्ते के ज़रिए आगे बढ़ सकते हैं और अपने क्षितिज का विस्तार कर सकते हैं. वे नई चीज़ें सीखना चाहते हैं, और साथ में सब कुछ अनुभव करना चाहते हैं. ये आदर्शवादी प्रेमी होते हैं जो चाहते हैं कि आप उनके विश्वासों, दृष्टिकोणों और आदर्शों की सराहना करें. वे हल्के-फुल्के और गंभीर का एक भ्रामक मिश्रण हो सकते हैं. वे घूमने-फिरने वाले और चाहने वाले होते हैं, और दूसरों की तरह अपने रिश्तों में आसानी से प्रतिबद्ध नहीं होते. अपनी बड़ी मुस्कान और हंसी, अपने चुटकुलों, अपनी भव्य योजनाओं, अपने सपनों और अपने दोस्ताना, चुलबुले व्यवहार से दूसरों को आकर्षित करते हैं. 

मकर राशि में शुक्र

मकर राशि में शुक्र वाले लोग आत्म-नियंत्रण, दिमाग की उपस्थिति और जिम्मेदार व्यवहार को दिखाकर दिल जीतने की कोशिश करेंगे. ये प्रेमी चाहते हैं कि आप जानें कि वे लक्ष्य-उन्मुख, समझदार और नियंत्रित हैं. कोई भी उनसे बेहतर नहीं हो सकता. वे चाहते हैं कि आप देखें कि वे कितने सक्षम हैं. वे अपने रिश्तों में कुछ हद तक पूर्वानुमान लगाना पसंद करते हैं क्योंकि वे प्यार में सतर्क रहते हैं. मकर राशि में शुक्र वाले पुरुष और महिला योग्यता की आभा प्रदर्शित करते हैं और उनका एकाकी व्यवहार आकर्षक हो सकता है, एक शांत तरीके से. वे प्यार के लिए पागल नहीं होते हैं, या कम से कम वे उतना व्यक्त नहीं करते हैं. 

कुंभ राशि में शुक्र

कुंभ राशि में शुक्र वाले लोग अपनी खुले विचारों वाली, भविष्य की सोच वाली भावना से आपको प्रभावित करने की कोशिश करते हैं. वे चाहते हैं कि आप उन्हें अलग रूप में देखें. जब वे थोड़े अलग व्यवहार करते हैं तो वे आकर्षक लगते हैं. वे चाहते हैं कि आप स्वीकार करें और उनकी सराहना करें कि वे दिल के मामलों में प्रचलित रास्ते पर नहीं चलते हैं. कुंभ राशि में शुक्र वाले पुरुष और महिलाएं असामान्य या अपरंपरागत संबंधों की ओर आकर्षित होते हैं. वे सभी नियमों का पालन नहीं करना चाहते हैं, वे अपने खुद के कुछ नियम बना सकते हैं. वे कभी-कभी काफी अलग-थलग दिखाई दे सकते हैं, और किसी भी तरह के प्रतिबंध से डर सकते हैं.

मीन राशि में शुक्र

मीन राशि में शुक्र वाले लोग खुद को सपनों में खोया हुआ, कोमल दिल वाला साथी मानते हैं. जिस तरह से वे फ़्लर्ट करते हैं, उससे हर चीज़ एक प्यारा समय बिताने का वादा करती है. उनका आकर्षण इमोशन से भरा होता है. चंचल, थोड़े मूडी और थोड़े अनियमित होते हैं. वे रोमांस और कविता की सराहना करते हैं, उनकी संवेदनशीलता कभी-कभी थोड़ी भ्रामक हो सकती है.  मीन राशि में शुक्र वाले पुरुष और महिला चाहते हैं कि आप यह जानें कि उनका प्यार बिना किसी शर्त के है. वे आपकी स्थिति से प्रभावित नहीं होते हैं, और आपके अंदर जो कुछ भी है, उसके लिए आपको प्यार और स्वीकार करते हैं.

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