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बव करण फल
चन्द्रमा की एक कला तिथि कहलाती है. एक तिथि से दो नक्षत्र बनते है. इस प्रकार कृ्ष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों पक्षों की तिथियां मिलाकर 30 तिथियां बनती है. चरण एक तिथि में दो होते है. इस हिसाब से करण कुल 60 होने चाहिए. पर
किंस्तुघ्न करण
किंस्तुघ्न करण को कौस्तुभ करण के नाम से भी जाना जाता है. इस करण की महत्ता किसी भी शुभ योग का साथ पाकर और भी बढ़ जाती है. शुक्ल पक्ष की पहली तिथि प्रतिपदा को जब दिन के समय किंस्तुघ्न करण के साथ कोई शुभ योग आए जैसे की
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