पितामह सिद्धान्त | Pitahma Siddhanta - History of Astrology | Pitahma Siddhanta Description
सिद्धान्त, संहिता और होरा शास्त्र ज्योतिष के तीन स्कन्ध ज्योतिष की तीन भाग है. इसमें भी सिद्वान्त ज्योतिष सर्वोपरि है. सिद्वान्त ज्योतिष को बनाने में पौराणिक काल के उपरोक्त 18 ऋषियों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था. इन सभी ऋषियों के शास्त्रों के नाम इन ऋषियों के नाम पर रखे गए है. इन्हीं में से एक शास्त्र पितामह सिद्धान्त है. इसे बनाने वाले ऋषि पितामह थे.
पितामह सिद्धान्त ज्योतिष् के पौराणिक काल 8300 ईसा पूर्व से 3000 वर्ष ईसा के पूर्व तक माना जाता है. इस काल में ज्योतिष के क्षेत्र में अनेक ऋषियों ने विशेष कार्य किया. इन महान ऋषियों का नाम निम्न है.
सिद्धान्त ज्योतिष के 18 ऋषियों के नाम- Siddhanta Jyotish : Name of 18 Rishi
सूर्य: पितमहो व्यासो वशिष्ठोअत्रि पराशर: ।
कश्यपो नारदो गर्गो मरिचिमनु अंगिरा ।।
लोमश: पोलिशाशचैव च्यवनो यवनों मृगु: ।
शोनेको अष्टादशाश्चैते ज्योति: शास्त्र प्रवर्तका ।।
अर्थात वैदिक ज्योतिष को ऊंचाईयों पर ले जाने वाले ऋषियों में ऋषि सूर्य, ऋषि पितामह, ऋषि व्यास, ऋषि वशिष्ठ, ऋषि अत्रि, ऋषि पराशर, ऋषि कश्यप, ऋषि नारद, ऋषि गर्ग, ऋषि मरीचि, ऋषि मनु, ऋषि अंगीरश, ऋषि लोमश, ऋषि पोलिश, ऋषि चवन, ऋषि यवन, ऋषि भृ्गु, ऋषि शौनक आते हे.
पितामह सिद्वान्त वर्णन | Pitahma Siddhanta Description
पितामह सिद्वान्त को बनाने वाले ऋषि पितामह थे. पितामह सिद्धान्त एक खगोल संबन्धी शास्त्र है. इस शास्त्र में सूर्य की गति व चन्द्र संचार की गणनाओं का उल्लेख किया गया है. यह शास्त्र आज अधूरा ही उपलब्ध है.