जानिए, बुधादित्य योग कैसे बदलता है आपका जीवन
कुण्डली में ग्रहों अपनी विशेष स्थिति में होने पर विशेष रुप से शुभ या अशुभ फल देने वाले हो जाते है. इस स्थिति को योग कहा जाता है. योग बनाने वाले ग्रहों की फल देने की क्षमता बढ जाती है. योग शुभ हो तो व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते है. इसके विपरीत योग अशुभ बन रहा हो तो व्यक्ति को योग के परिणाम अशुभ रुप में प्राप्त होते है.
बुधादित्य योग क्या है
जब कुण्डली में सूर्य और बुध किसी भी रशि में एक साथ हो तो बुद्धादित्य योग बनता है. बुद्धादित्य योग जिस व्यक्ति की कुण्डली में होता है, वह व्यक्ति बुद्धिमान, विद्वान, और तेजस्वी होता है. उसमें साहस भाव भी भरपूर पाया जाता है. तथा अपने बौद्धिक कार्यो से वह उन्नतिशील बनता है. इसके अतिरिक्त ऎसा व्यक्ति अपने सिद्धान्तों पर स्थिर रहकर जीवन व्यतीत करता है.
बुधादित्य योग कब देता है शुभ फल
बुध और सूर्य का योग बुध आदित्य योग को बनाता है, बुध ग्रह और सूर्य जिनका एक अन्य नाम आदित्य है. इन दोनों का संयोग व्यक्ति को शुभता और सकारात्मकता देने वाला होता है. बुद्धादित्य योग बहुत सी कुण्डलियों में प्राप्त होता है. पर यह योग कुछ मामलों में ही अपने फल को अधिक मजबूती के साथ सामने लाता है.
जब सूर्य और बुध इन राशियों में एक साथ स्थित होते हैं तो यह इस योग के शुभ फल देने में सहाय्क बनता है. इन राशियों में सूर्य और बुध की स्थिति अच्छी मजबूत होते हैं ऎसे में इनका शुभ फल मिलना संभव होता है. इसके विपरित स्थिति में सूर्य और बुध के बलहीन होने पर यह योग अपना शुभ फल देने में सक्षम नहीं हो पाता है. कमजोर बल होने के कारण शुभ फलों में बहुत अंतर आ सकता है. तुला एवं मीन राशि में स्थित सूर्य-बुध का योग बहुत अधिक फलदायी नही हो पाता है. तुला में सूर्य नीच का होता है और मीन में बुध नीच राशि का होता है.
बुधादित्य योग फल
जन्म कुंडली के प्र्त्येक भाव का अपना फल होता है ऎसे में जिस भाव में ये योग बनता है उस भाव के अनुरुप जातक को फल भी मिलते हैं. जिसे एक सामान्य नजरिये से इस प्रकार समजा जा सकता है.
जन्म कुण्डली के लग्न भाव पर सूर्य और बुध का योग होने पर बुधादित्य योग बनता है. इस भाव में यह योग जातक को परिवार में मुख्य सदस्य की भूमिका देता है. व्यक्ति अपने घर में घर के मुखिया का रोल निभाता है. समाज में सम्मान और सफलता पाता है. नेतृत्व करने की योग्यत अभी जातक में जन्मजात होती है.
जन्म कुण्डली के दूसरे भाव में बुधादित्य योग बनने पर व्यक्ति को आर्थिक क्षेत्र में सफलता मिलती है. परिवार का सुख मिलता है और पैतृक संपति का सुख भी पाता है. व्यक्ति बोलने में कुशल वक्ता बनता है ओर लोगों के मध्य एक बेहतरीन विचारक भी बनता है. शिक्षा के क्षेत्र में भी जातक को सफलता प्राप्त होती है.
जन्म कुण्डली के तीसरे भाव में यह योग व्यक्ति को मेहनती बनाता है और जातक अपनी बौद्धिकता से सफलता पाता है. व्यक्ति में रचनाशीलता भी अच्छी होती है और जातक के भीतर छुपी हुई प्रतिभा भी सभी के सामने आती है. इस प्रतिभा के बल पर वह प्रतिष्ठा भी पाता है. भागदोड़ करने वाला और परिश्रम में आगे रहने वाला होगा. व्यवसायिक सफलता तथा अन्य कई प्रकार के शुभ फल प्रदान कर सकता है.
जन्म कुण्डली के चौथे भाव में इस योग का निर्माण होने पर जातक को सुम्दर घर और वाहन की प्राप्ति होती है. लोगों का सहयोग मिलता है. सरकार की ओर से लाभ भी प्राप्त होता है. यह स्थिति जातक को बहुत अच्छी कुशलता देती है जिसके चलते जातक रचनात्मक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकता है. जातक को विदेश भ्रमण आदि का भी अवसर प्राप्त होता है.
पंचम भाव में बुधादित्य योग के बनने पर व्यक्ति मंत्र सिद्धि पाता है, शिक्षा के क्षेत्र में सफल होता है. अपने ज्ञान के द्वारा वह कई चीजों की खोज भी करता है. एक बेहतर अन्वेशी बन सकता है. इस योग के प्रभाव से जातक में कलात्मक ओर रचनाशील होता है. उसके विचारों में गहराई देखने को मिलती है. आध्यात्मिक स्तर पर जातक आगे बढ़ता है.
जन्म कुण्डली के छठे भाव में बुधादित्य योग का फल जातक को पराक्रमी और साहसी बनाता है. इस स्थान पर व्यक्ति अपने विरोधियों को परास्त कर पाने के लिए बौद्धिक रुप से योजनाओं को बनाने में निपुण होता है. व्यक्ति में वाक चातुर्य होता है. अपने कार्यक्षेत्र में वह शारिरीक परिश्रम से अधिक बौद्धिक परिश्रम अधिक करता है.
जन्म कुण्डली के सप्तम भाव में इस योग के बनने पर व्यक्ति जीवन साथी के साथ अपने विचारों का टकराव झेल सकता है. व्यक्ति अपने सहयोगियों के साथ मिलकर काम करता है और समाज में प्रतिष्ठा भी पाता है.
जन्म कुण्डली में आठवें भाव में बुधादित्य योग के बनने पर व्यक्ति धार्मिक क्षेत्र में आगे बढ़ सकता है. जातक को रहस्यों को जानने की जिज्ञासा भी बहुत होती है.पैतृक संपत्ति को भी पा सकता है. जातक कुछ गंभीर और कम बोलने वाला भी हो सकता है. वाद विवाद में निपुण भी होता है.
जन्म कुण्डली के नवम भाव में बुधादित्य योग बनने पर व्यक्ति भाग्य द्वारा लाभ पाता है. जातक को अपने पिता एवं वरिष्ठ लोगों का साथ और सहयोग मिलता है. व्यक्ति धार्मिक क्षेत्र में आगे बढ़ने वाला होता है. भाई बंधुओं की ओर से प्रेम की प्राप्ति होती है. जातक को सुखमय जीवन, ऐश्वर्य, वाहन सुख इत्यादि का सुख भी मिलता है.
जन्म कुण्डली के दसवें भाव में बुधादित्य योग के बनने पर व्यक्ति कार्यक्षेत्र में राज्य की ओर से लाभ प्राप्त कर सकता है. व्यापार में अच्छे लाभ मिलते हैं. काम को लेकर यात्राएं भी अधिक होती हैं. जातक को जीवन में अनेक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त हो सकती है. अपने काम में वह समान और उच्च पद भी पा सकता है.
जन्म कुण्डली के एकादश भाव में बुधादित्य योग बनने पर आर्थिक क्षेत्र में उन्नती मिलती है. जातक अपने भाई बंधुओं का साथ पाता है. लम्बी यात्राएं भी करता है. पुरस्कार एवं पद प्राप्ति करता है.
बुधादित्य योग जन्म कुण्डली के बारहवें भाव में बनने पर जातक कमाई खूब करता है और खर्च भी दिलखोल कर करता है. बाहरी लोगों से लाभ पाता है.
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