हर्ष योग | हर्ष विपरीत राज योग | Harsh Vipreet Raj Yoga | Harsh Yoga | Harsh Yoga Result
विपरीत राज योग त्रिक भावों के स्वामियों के परस्पर स्थान परिवर्तन से बनता है. यह योग तीन प्रकार से बन सकता है. तीनों प्रकारों के नाम अलग अलग है. इन्हीं तीनों योगों में से एक योग है, हर्ष योग..
हर्ष योग कैसे बनता है. | How is Formed Harsh Vipareeta Raja Yoga
जब कुण्डली में छठे भाव में पाप ग्रह हो या पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो अथवा छठे भाव का स्वामी छठे, आंठवें या बारहवें भाव में हो तो हर्ष योग बनता है. इसे हर्ष विपरीत राज योग भी कहते है.
हर्ष योग फल । Harsh Yoga Result
इस योग में छठे भाव का संबन्ध आंठवें भाव या बारहवें भाव से बनता है. इसलिए यह योग व्यक्ति को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की क्षमता देता है. इस योग से युक्त व्यक्ति का शरीर सुडौळ होता है. उस व्यक्ति के पास धन -संपति होती है. वह समाज के गणमान्य व्यक्तियों की संगति में रहता है. इसके अतिरिक्त इस योग के व्यक्ति को जीवन साथी और संतान और मित्रों का सहयोग प्राप्त होता है.