आर्द्रा नक्षत्र | Ardra Nakshatra | Ardra Nakshatra Characteristics | Ardra Nakshatra Meaning
27 नक्षत्रों की श्रृंखला में आर्द्रा नक्षत्र का स्थान छठा है. आर्द्रा से पहले मृगशिरा नक्षत्र आता है और इसके बाद में पुनर्वसु नक्षत्र आता है. आर्द्रा नक्षत्र का स्वामी ग्रह राहु है. यह नक्षत्र मिथुन राशि में आता है. यह नक्षत्र एक ही तारे से बना है. इस नक्षत्र की गणना सर्वाधिक चमकीले बीस तारों में होती है. इस नक्षत्र का रंग लाल होता है. प्राचीन मान्यता के अनुसार इस लाल रंग के तारे में संहारकर्त्ता शिव का वास है.
आर्द्रा नक्षत्र की पहचान | Identification of Ardra Nakshatra
आर्द्रा नक्षत्र मिथुन राशि में 6 अंश 40 कला से 20 अंश तक रहता है. जून माह के तीसरे सप्ताह में प्रात:काल में आर्द्रा नक्षत्र का उदय होता है. फरवरी माह में रात्रि 9 बजे से 11 बजे के बीच यह नक्षत्र शिरोबिन्दु पर होता है. निरायन सूर्य 21 जून को आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करता है. यह कई तारों का समूह ना होकर केवल एक तारा है. यह आकाश में मणि के समान दिखता है. इसका आकार हीरे अथवा वज्र के रुप में भी समझा जा सकता है. कई विद्वान इसे चमकता हीरा तो कई इसे आँसू की बूंद समझते हैं.
आर्द्रा का अर्थ | Meaning Ardra
आर्द्रा का अर्थ होता है - नमी. भीषण गर्मी के बाद नमी के कारण बादल बरसने का समय, सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश से आरम्भ होता है. सूर्य का इस नक्षत्र पर गोचर ग्रीष्म ऋतु की समाप्ति तथा वर्षा ऋतु का आगमन दर्शाता है. वर्षा से चारों ओर हरियली छाती है. खेतों में भरपूर फसल होती है. इससे समाज में खुशहाली रहती है. कुछ विद्वानो ने आर्द्रा नक्षत्र का संबंध पसीने और आँसू की बूंद से जोडा़ है. उनके विचार से जून में ग्रीष्म ऋतु उग्र तथा प्रचण्ड होती है. एक ओर पसीना टपकता है तो दूसरी ओर अन्न व जल का अभाव साधारणजन को रुला देता है.
वास्तव में सभी प्रकार की नमी, ठण्डक तथा गीलापन आर्द्रता कहलाता है. जो बीत गया, उसे भूल जाओ. नए का स्वागत करो. यही संदेश आर्द्रा नक्षत्र में छिपा है. दृढ़ता, धैर्य, सहिष्णुता तथा सतत प्रयास का महत्व आर्द्रा नक्षत्र ही सिखाता है. किसी - किसी ग्रंथ में आर्द्रा नक्षत्र को "मनुष्य का सिर" भी कहा गया है
आर्द्रा नक्षत्र जातक की विशेषताएं | Characteristics of Ardra Nakshatra
आर्द्रा नक्षत्र के जातक का स्वभाव चंचल होता है. वह हँसमुख, अभिमानी तथा विनोदी स्वभाव का होता है. यह दु:ख पाने वाला भी होता है. यह बुरे विचारों वाले तथा व्यसनी भी होते है. आर्द्रा नक्षत्र वाले जातक को राहु की स्थिति अनुसार भी फल मिलता है. यह सदा स्वयं को सही मानते हैं. इनमें आक्रामकता अधिक होती है. स्त्री के प्रति दोयम दर्जे का व्यवहार रखते हैं. यह अन्य लोगों की अनुशासनहीनता देखकर चिन्तामग्न रहते हैं. दूसरों की चिन्ता में परेशान रहते हैं. इनका स्वर कड़क तथा विद्रोही होता है. इन्हें अत्यधिक क्रोध आता है.
नारद के मतानुसार आर्द्रा नक्षत्र के जातक क्रय-विक्रय में निपुण होते हैं. लेकिन अन्य कई मतानुसार यह व्यापार में अनाडी़ सिद्ध होते हैं. यह मंत्र-अनुष्ठान में विशेष कुशल होते हैं. इनमें काम वासना भी प्रबल होती है. इन जातको में एक राह पकड़कर चलने का अदम्य साहस होता है. इस नक्षत्र के जातको में अहसानो को भूलने की आदत होती है. यह व्यक्ति के चरित्र के आधार पर ही उसका मूल्याँकन करते हैं. जरा सी कमी मिलते ही यह दुखी होकर पीछे हट जाते हैं.
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