अष्टम भाव भाव क्या है, जानिए इसके रहस्य

ज्योतिष में जन्म कुण्डली का अष्टम भाव, आयु भाव है. इस भाव को त्रिक भाव, पणफर भाव और बाधक भाव के नाम से जाना जाता है. इस भाव से जिन विषयों का विचार किया जाता है. उन विषयों में व्यक्ति को मिलने वाला अपमान, पदच्युति, शोक, ऋण, और मृत्यु इसके कारण है. इसके अतिरिक्त शुभ रुप में यह रिसर्च के लिए अच्छा स्थान है, शोध कार्यों, उच्च शिक्षा इसी से देखी जाती है. इस भाव से व्यक्ति के जीवन में आने वाली रुकावटें देखी जाती हैं. आयु भाव होने के कारण इस भाव से व्यक्ति के दीर्घायु और अल्पायु का विचार भी किया जाता है.

व्यक्ति अपने जीवन में जो उपहार देता है, उन सभी की व्याख्या यह भाव करता है. इस भाव से व्यक्ति के द्वारा कमाई, गुप्त धन-सम्पति, जीवनवृत्ति, पराजय, मूत्र सम्बधित परेशानियां, सरकारी दण्ड, भय, गुप्त खजाना, धन की वर्षा, जैसे बीमा, लाटरी, दहेज, पैतृक सम्पति, पाप, विदेश यात्रा, रहस्यवाद, पति के सगे-सम्बन्धी, स्त्रियों के लिए मांगल्यस्थान, दुर्घटनाएं, देरी खिन्नता, निराशा, हानि, रुकावटें, तीव्र, मानसिक चिन्ता, दुष्टता, गूढ विज्ञान, किसी जीव को मारना, भटकना, साझेदारों और भाईयों को परेशानियां, गुप्त सम्बन्ध, रहस्य का भाव, चोट, धन उधार देना.

अष्टम भाव का कारक ग्रह कौन सा है

अष्टम भाव का कारक ग्रह शनि है. शनि के लिए अष्टम भाव की स्थिति उत्तम बताई गई है. ज्योतिष अनुसार आठवें भाव में यदि शनि स्थिति हो तो जातक को लम्बी आयु देने में सहायक बनता है. आयु के लिए इस भाव से शनि का विचार किया जाता है. इसी कारण से शनि का इस स्थान पर शुभ होना अपवाद स्वरुप भी देखा जाता है.

अष्टम भाव से स्थूल रुप में किस विषय का विचार किया जाता है

अष्टम भाव से मुख्य रुप में मृत्युमृत्यु का विचार किया जाता है. यह एक ऎसा स्थान है जिसकी को सीमा नहीं है. यह एक अनंतहीन स्थान है. ऎसे में कोई भी ग्रह इस स्थान पर आकर अपनी शक्तियों को अनुकूल फल देने में असफल भी होता है. यह रहस्य का स्थान है इस कारण किसी भी नतीजे पर पहुंचना आसान नहीं होता है.

अष्टम भाव सूक्ष्म रुप में क्या दर्शाता है

अष्टम भाव से जीवन के क्षेत्र की बाधाएं देखी जाती है. यह उलझावों को दर्शाता है. जीवन में भ्रम बना रहता है. एक स्पष्ट रुप हमे दिखाई नहीं दे पाता है. जन्म कुण्डली में जब किसी शुभ भाव का संबंध आठवें भाव से होता है तो शुभता में कमी आ जाती है. संतान भाव हो या विवाह भाव या फिर नौकरी भाव अगर जब इनका संबंध आठवें भाव से बनेगा तो ऎसी स्थिति में जातक के जीवन की यह सभी चीजें देरी और व्यवधानों से प्रभावित अवश्य होंगी.

अष्टम भाव अचानक आने वाली घटनाओं को दिखाता है. इसके साथ ही अष्टमेश जिस भाव से संबंध बनाए उस भाव के फल अचानक ही जीवन में आएंगे.

अष्टम भाव से कौन से संबन्धों का विश्लेषण किया जाता है

अष्टम भाव से गोद लिए बच्चे (दत्तक संतान ) का विचार किया जाता है. इस भाव से गुप्त प्रेम संबंधों के विषय में भी जानकारी मिलती है. किसी भी प्रकार के छुपे हुए रिश्तों की जानकारी भी हमे इस भाव से मिलती है. यह स्थान जातक को गूढ़ विधाओं एवं साधु संगत को भी दिखाता है.

अष्टम भाव से शरीर के कौन से अंगों का निरिक्षण किया जाता है.

अष्टम भाव से बाह्रा जननेद्रियां, वीर्य वाहिनियां देखी जाती है. द्रेष्कोण नियम के अनुसार इस भाव से बायां जबडा, बायां फेफडा, पैर की बायीं नली का विचार किया जाता है. इस भाव से गुप्त रोगों के विषय में भी जानकारी मिलती है. यौन संबंधी रोग भी इस भाव से देखे जाते हैं.

अष्टमेश अन्य ग्रहों के स्वामियों कौन से परिवर्तन योग बना सकता है.

अष्टमेश व नवमेश का परिवर्तन योग बन रहा हो, तो व्यक्ति पिता की पैतृक संपति प्राप्त करता है. यह योग व्यक्ति के पिता के स्वास्थय के पक्ष से अनुकुल नहीं है. इस योग के कारण व्यक्ति के पिता के स्वास्थय में कमी का सामना करना पड सकता है.

अष्टमेश व दशमेश आपस में परिवर्तन योग बना रहा हों, तो व्यक्ति व्यापार/ व्यवसाय में विध्न, साझेदार द्वारा धोखा प्राप्त कर सकता है. वह व्यवसाय में उचित और अनुचित्त तरीके प्रयोग कर सकता है.

अष्टमेश व एकादशेश परिवर्तन योग बनायें तो व्यक्ति का सौभाग्य पिडी़त होता है. उसे जीवन में उत्तार-चढाव का सामना करना पडता है. इसके अतिरिक्त इस व्यक्ति के बडे भाई-बहनों और मित्रों से प्रसन्नता के संबन्ध बने रहते है. व्यक्ति को पैतृक सम्पति मिलती है.