मण्डूक दशा की गणना | Calculation of Mandook Dasha

आपने पिछले अध्याय में पढा़ कि जब केन्द्र में राहु/केतु के अतिरिक्त चार या चार से अधिक ग्रह केन्द्र में स्थित हों तब मण्डूक दशा लगती है. इस दशा का क्रम निर्धारित करने के लिए यह देखा जाता है कि लग्न में कौन-सी राशि आ रही है. लग्न में यदि सम राशि आती है तब दशा का क्रम सप्तम भाव से आरम्भ होगा. दशा का क्रम अपसव्य होगा. सप्तम भाव में जो राशि होगी उस राशि की महादशा सबसे पहले शुरु होगी. 

यदि लग्न में विषम राशि आती है तब दशा का आरम्भ लग्न से ही होगा. दशाक्रम सव्य होगा. लग्न में जो राशि आएगी उस राशि की प्रथम महादशा होगी. 

उदाहरण कुण्डली एक में लग्न में विषम संख्या आ रही है. इस कारण दशा का क्रम लग्न से आरम्भ होगा. सबसे पहली दशा सिंह राशि की होगी और दशा क्रम सव्य होगा. सिंह राशि के बाद दूसरी दशा वृश्चिक राशि की होगी. फिर कुम्भ राशि की दशा होगी. उसके बाद अंतिम केन्द्र अर्थात वृष राशि की दशा होगी. 

चारों केन्द्रों की दशा खतम होने के बाद अगले केन्द्रों की दशा आरम्भ होगी. अब कन्या राशि की दशा आरम्भ होगी. कन्या के बाद धनु राशि की दशा होगी. उसके बाद मीन राशि की दशा शुरु होगी. सबसे अंत में मिथुन राशि की दशा आरम्भ होगी. 

सबसे अंत में अंतिम केन्द्रों की दशा आरम्भ होगी. अब तुला से दशा क्रम आरम्भ होगा. तुला के बाद मकर राशि की दशा होगी. मकर के बाद मेश राशि अंत में कर्क राशि की दशा होगी. इसे तालिका द्वारा समझा जा सकता है. 

सिंह लग्न - दशा क्रम सव्य | Leo sign - Dasha Sequence - Clockwise

सिंह राशि,वृश्चिक, कुम्भ, वृष, कन्या, धनु, मीन, मिथुन, तुला, मकर, मेष और कर्क राशि. 

उदाहरण कुण्डली दो में लग्न में सम राशि है तो दशा क्रम सप्तम भाव से आरम्भ होगा. दशा का क्रम अपसव्य होगा. इस दशा को तालिका द्वारा समझा जा सकता है. 

कर्क लग्न - दशा क्रम अपसव्य | Cancer ascendant - Dasha Sequence - Anti-clockwise

प्रथम दशा मकर राशि, तुला राशि, कर्क राशि, मेष राशि, धनु राशि, कन्या राशि, मिथुन राशि, मीन राशि, वृश्चिक राशि, सिंह राशि, वृष राशि और कुम्भ राशि. 

अन्तर्दशा क्रम | Antardasha Sequence

यदि महादशा क्रम सव्य है तो अन्तर्दशा क्रम भी सव्य होगा. यदि महादशा क्रम अपसव्य है तब अन्तर्दशा क्रम भी अपसव्य होगा.       

जैमिनी ज्योतिष की मण्डूक दशा | Mandook Dasha of Jaimini Jyotish

जैमिनी ज्योतिष में मण्डूक का अर्थ है - मेंढ़क. मेढ़क अपने स्थान से जब उछलता है तब चार गुना कूद लगाता है. वह उछल - उछलकर चलता है. जैमिनी की यह दशा जिस भाव से आरम्भ होती है वहाँ से चार भाव आगे से अगली महादशा आरम्भ होती है. इस दशा का आरम्भ हमेशा केन्द्र से होता है.  पहले चारों केन्द्रों की दशा होगी. उसके बाद उससे अगले चार केन्द्रों की दशा होगी. जैमिनी की मण्डूक दशा कुछ विशेष कुण्डलियों पर ही लगती हैं लेकिन बाकी सभी नियम जैसे जैमिनी कारक, पद, राशियों की दृष्टियाँ जैमिनी दशाओं में एक जैसे ही रहेगें. उन्ही के आधार पर फलित किया जाएगा. 

मण्डूक दशा के लिए कुछ विशेष नियम निर्धारित किए गए हैं. यह दशा सभी कुण्डलियों पर लागू नहीं होती है. यह दशा केवल उन कुण्डलियों पर लागू होती है जिन कुण्डलियों में केन्द्र में चार या चार से अधिक ग्रह स्थित हों. इन ग्रहों में राहु/केतु को शामिल नहीं किया गया है. समझाने के लिए हम एक उदाहरण कुण्डली लेगें. कुण्डली है :

उदाहरण कुण्डली - 1

जन्म तिथि - 7/9/1972

जन्म समय - 05:05 घण्टे

जन्म स्थान - दिल्ली 

इस कुण्डली में सिंह लग्न उदय हो रहा है. लग्न में ही चार ग्रह - सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध स्थित हैं और दशम भाव में शनि स्थित है. इस प्रकार मण्डूक दशा की पहली शर्त इस उदाहरण कुण्डली में पूरी हो रही है. इस कुण्डली में केन्द्र में ही चार से अधिक ग्रह स्थित हैं. 

उदाहरण कुण्डली - 2 

जन्म तिथि - 23/4/1976

जन्म समय - 13:20 घण्टे 

जन्म स्थान - दिल्ली

इस उदाहरण कुण्डली में कर्क लग्न उदय हो रहा है. लग्न में शनि स्थित है. दशम भाव में गुरु, बुध तथा सूर्य स्थित हैं. इस प्रकार लग्न से केन्द्र में चार ग्रह स्थित होने से इस कुण्डली में मण्डूक दशा का प्रयोग किया जा सकता है. इस उदाहरण कुण्डली में राहु/ केतु भी केन्द्र में स्थित हैं लेकिन नियमानुसार राहु/केतु को छोड़कर यदि अन्य चार ग्रह कुण्डली में स्थित हों तब मण्डूक दशा से फलित करना चाहिए. इस कुण्डली में राहु/केतु के अतिरिक्त चार ग्रह केन्द्रों में स्थित हैं. 

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