सौरमण्डल | Solar System

सौरमण्डल के सन्दर्भ में कुछ आवश्यक बातों को आपके लिए समझना आवश्यक है. ग्रह और नक्षत्रों के विभाजन के विषय में आपने पिछले अध्यायों में जानकारी हासिल की है. इसके अतिरिक्त सौरमण्डल से जुडी़ कुछ बातों को आप और समझ लें जिनका ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत अधिक महत्व है. ज्योतिष में ग्रहों के विषय में वक्री, मार्गी, अतिचारी, मंदगामी, अस्त आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है. इनका अर्थ आपके लिए समझना जरुरी है. आइए इन शब्दों का अर्थ जानें. 

(1) वक्री ग्रह | Retrograde Planets

जब कोई ग्रह सूर्य से पाँचवें भाव से लेकर नवम भाव तक गोचर करता है वह वक्री अवस्था में रहता है. वक्री का अर्थ है - उलटा चलना. ग्रह वक्री अवस्था में उल्टे चलते प्रतीत होते हैं जबकि वास्तव में ऎसा नहीं है. ग्रह चलते तो सीधे हैं लेकिन सूर्य से एक विशेष दूरी पर आने पर वह विपरीत दिशा में चलते दिखाई देते हैं. जिस प्रकार एक रेलगाडी़ जब चलती है तभी उस रेलगाडी़ के साथ कोई दूसरी गाडी़ आकर आगे निकल जाती है और पहले वाली रेलगाडी़ पीछे जाती हुई दिखाई देती है जबकि वह आगे की ओर ही जा रही होती है. यही वक्री ग्रहों के साथ भी होता है. 

राहु/केतु सदैव वक्री अवस्था में भ्रमण करते हैं. 

(2) मार्गी ग्रह | Direct Planets

ग्रह जब सीधे-सीधे अपने मार्ग पर चलते हैं तो उन्हें मार्गी कहा जाता है. सूर्य तथा चन्द्रमा सदैव मार्गी रहते हैं. 

(3) अतिचारी ग्रह | Atichari Planets 

जब कोई ग्रह अपनी समान्य गति से अधिक तेजी से चलता है तब उस ग्रह को अतिचारी ग्रह कहा जाता है. बाहरी ग्रह सूर्य के साथ होने पर अतिचारी हो जाते हैं. 

(4) मंदगामी ग्रह | Slow Moving Planets

जब कोई ग्रह अपनी सामान्य गति से धीमी गति में चलता है तब उस ग्रह को मंदगामी अवस्था में माना जाता है. 

(5) स्तंभित अवस्था | Stambhit State

ग्रह जब सामान्य अवस्था गति से वक्री होने वाले होते हैं तब वह कुछ समय के लिए अपनी गति पर रुके हुए प्रतीत होते हैं. ग्रहों की इस अवस्था को स्तंभित अवस्था कहा जाता है. ग्रह मार्गी से वक्री और वक्री से मार्गी होते समय कुछ समय के लिए अपनी गति को स्थिर करते हैं. दोनों ही स्थितियों में उसे स्तंभित माना जाता है. कई विद्वान इसे भीत अवस्था भी कहते हैं. भीत का अर्थ है - डरा हुआ. 

(6) अस्त ग्रह | Combust Planets

जब ग्रह सूर्य के काफी निकट होते हैं तब वह अस्त हो जाते हैं. बाहरी ग्रह सूर्य से 17 अंश की दूरी पर भी अस्त माने जाते हैं. जब कोई ग्रह सूर्य के बिलकुल नजदीक होगा वह पूर्ण अस्त माना जाएगा. 

ग्रहों के अस्त अंश | Degree of Planets for being Combust

(1) चन्द्रमा, सूर्य से 12 अंश के भीतर रहने पर अस्त रहता है.

(2) मंगल, सूर्य से 17 अंश के अंदर रहने पर अस्त होता है.

(3) बुध, सूर्य से 13 अंश ( मतांतर से 14 अंश ) के भीतर रहने पर अस्त होता है. यदि वक्री है तो 12 अंश

(4) गुरु, सूर्य से 11 अंश के भीतर अस्त होता है

(5) शुक्र, सूर्य से 9 अंश के भीतर अस्त. मतांतर से 10 अंश. वक्री हो तो 8 अंश के भीतर अस्त.

(6) शनि, सूर्य से 15 अंश के भीतर अस्त होता है.

सूर्य की वर्ष भर की विभिन्न राशियों में अनुमानित स्थिति | Hypothetical Position of Sun in Various Signs

ज्योतिष में बारह राशियों का अध्ययन किया जाता है. यह बारह राशियाँ भचक्र पर 24 घण्टे में बारी-बारी से उदय होती हैं. सूर्य एक राशि में एक माह तक रहता है. इस प्रकार बारह माह में सूर्य पूरे भचक्र को पार करता है. सूर्य जिस राशि में होता है भचक्र पर सूर्योदय के समय वही राशि उदय होती है. 

  • 14 अप्रैल से 14 मई तक सूर्य मेष राशि में रहता है. 
  • 14 मई से 15 जून तक सूर्य वृष राशि में रहता है. 
  • 15 जून से 15 जुलाई तक सूर्य मिथुन राशि में होता है. 
  • 15 जुलाई से 16 अगस्त तक सूर्य कर्क राशि में होता है. 
  • 16 अगस्त से 16 सितम्बर तक सूर्य सिंह राशि में होता है. 
  • 16 सितम्बर से 17 अक्तूबर तक सूर्य कन्या राशि में स्थित होता है. 
  • 17 अक्तूबर से 15 नवम्बर तक सूर्य तुला राशि में स्थित होता है. 
  • 15 नवम्बर से 14 दिसम्बर तक सूर्य वृश्चिक राशि में स्थित होता है. 
  • 14 दिसम्बर से 14 जनवरी तक सूर्य धनु राशि में स्थित होता है. 
  • 14 जनवरी से 13 फरवरी तक सूर्य मकर राशि में स्थित होता है. 
  • 13 फरवरी से 15 मार्च तक सूर्य कुम्भ राशि में स्थित होता है. 
  • 15 मार्च से 14 अप्रैल तक सूर्य मीन राशि में स्थित रहता है. 

सौर मास | Solar Month

आशा है आपने सूर्य की विभिन्न राशियों में अनुमानत: स्थिति को समझ लिया होगा. सूर्य जब विभिन्न राशियों में होता है तब उस माह को नाम दिया गया है. इन माहों को सौर मास के नाम से जाना जाता है.  

  • सूर्य जब मेष राशि में होता है तब उस माह को बैसाख कहा जाता है. 
  • सूर्य की स्थिति वृष राशि में तब ज्येष्ठ माह होता है. 
  • सूर्य की स्थिति मिथुन राशि में तब आषाढ़ माह होता है. 
  • सूर्य की स्थिति कर्क राशि में तब श्रावण मास होता है. 
  • सूर्य की स्थिति सिंह राशि में तब भाद्रपद माह होता है. 
  • सूर्य की स्थिति कन्या राशि में तब आश्विन माह होता है. 
  • सूर्य की स्थिति तुला राशि में तब कार्तिक माह होता है. 
  • सूर्य की स्थिति वृश्चिक राशि में तब मार्गशीर्ष माह होता है. 
  • सूर्य की स्थिति धनु राशि में तब पौष माह होता है. 
  • सूर्य की स्थिति मकर राशि में तब माघ माह होता है. 
  • सूर्य की स्थिति कुम्भ राशि में तब फाल्गुन माह होता है. 
  • सूर्य की स्थिति मीन राशि में तब चैत्र माह होता है. 
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