आधानादि नक्षत्र । Adhanadi Nakshatra Meaning | Janma Nakshatra | Karma Nakshatra | Vainashik Nakshatra

वैदिक ज्योतिष में 28 नक्षत्रों का उल्लेख मिलता है. सभी नक्षत्रों का अपना विशिष्ट महत्व है. 28 नक्षत्रों में से कोई भी नक्षत्र व्यक्ति विशेष के लिए शुभ तथा अशुभ हो सकता है. जो एक नक्षत्र किसी व्यक्ति के लिए अशुभ है वही नक्षत्र किसी अन्य समय में दूसरे व्यक्ति के लिए शुभ हो सकता है. एक निश्चित समय के लिए कोई भी नक्षत्र शुभ या अशुभ हो सकते हैं. इसी प्रकार मुहुर्त में नक्षत्रों को शुभता तथा अशुभता के आधार पर बाँटा गया है.

सभी व्यक्ति एक निश्चित नक्षत्र में जन्म लेते हैं. जन्म के समय के नक्षत्र को जन्म नक्षत्र कहा जाता है. इस प्रकार बाकी सभी नक्षत्रों का वर्गीकरण भी किया जाता है. नक्षत्रों को बहुत से वर्गों में विभाजित किया गया है. उन्ही विभाजनों में से एक विभाजन आधानादि नक्षत्रों का भी है. आधानादि नक्षत्रों के अन्तर्गत जन्म नक्षत्र, कर्म नक्षत्र, आधान नक्षत्र, वैनाशिक नक्षत्र, सामुदायिक नक्षत्र, सांघातिक नक्षत्र तथा मानस नक्षत्र आते हैं. इन सभी की गणना व्यक्ति के जन्म नक्षत्र के आधार पर होती हैं.

जन्म नक्षत्र | Janma Nakshatra

सभी व्यक्ति का जन्म एक निश्चित समय तथा नक्षत्र में होता है. जिस निश्चित नक्षत्र में उसका जन्म होता है, उसे जन्म नक्षत्र कहा जाता है. यह जन्म कालीन चन्द्रमा का नक्षत्र होता है अर्थात जन्म के समय चन्द्रम जिस राशि में स्थित होता है उसे जन्मकालीन चन्द्रमा कहते हैं. जन्म नक्षत्र यदि जन्म के समय अथवा गोचर में पीड़ित होता है तब जातक को मरणभय होता है अथवा उसे बहुत ही भयानक परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है.

कर्म नक्षत्र | Karma Nakshatra

जन्म नक्षत्र से गिनती करने पर दसवाँ नक्षत्र कर्म नक्षत्र कहलाता है. यह गिनती अभिजित नक्षत्र सहित करनी है.  यदि जातक का कर्म नक्षत्र गोचर में पीड़ित है तब उसे अपने व्यवसाय में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. उसे काम में कष्ट मिलता है.

आधान नक्षत्र | Adhan Nakshatra

जन्म नक्षत्र से 19वाँ नक्षत्र आधान नक्षत्र कहलाता है. यदि आधान नक्षत्र गोचर में पीड़ित हो रहा है तब जातक को प्रवास करना पड़ सकता है. जिस स्थान पर वह रह रहा है उसे किन्हीं कारणों से वह स्थन छोड़ना पड़ सकता है. 

वैनाशिक नक्षत्र | Vainashik Nakshatra

इस नक्षत्र की गणना करने में विद्वानों में मतभेद हैं. कई विद्वान इस नक्षत्र की गणना अभिजित सहित करते हैं और कई विद्वान इस नक्षत्र की गणना अभिजित रहित भी करते हैं, इसलिए यह जन्म नक्षत्र से 22वाँ या 23वाँ भी हो सकता है. गोचर के समय यदि इस नक्षत्र से पाप ग्रहों का विचरभ हो रहा हो तब जातक को शरीर में पीडा़ तथा कष्ट होता है. उसे अपने स्वजनों के विरोध का सामना भी करना पड़ता है.

सामुदायिक नक्षत्र | Samudayik Nakshatra

जन्म नक्षत्र से 18वाँ ऩक्षत्र सामुदायिक नक्षत्र कहलाता है. गोचर में इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर जातक को किसी अनिष्ट का सामना करना पड़ सकता है.

सांघातिक नक्षत्र | Sanghatik Nakshatra

जन्म नक्षत्र से 16वाँ नक्षत्र सांघातिक नक्षत्र कहलाता है. सांघातिक नक्षत्र में गोचर के पाप ग्रह विचरण करते हैं तो जातक को किसी बडी़ हानि का सामना करना पड़ता है.

मानस संज्ञक नक्षत्र | Manas Sangyak Nakshatra

जन्म नक्षत्र से 25वाँ नक्षत्र मानस संज्ञक कहलाता है. इस नक्षत्र के गोचर में पीड़ित होने पर जतक को किसी बात को लेकर मन:संताप हो सकता है.

पीड़ित नक्षत्र की पहचान | Identification Of Afflicted Nakshatra

किसी भी नक्षत्र को कुछ विशेष परिस्थितियों में पीड़ित समझा जाता है. वह परिस्थितियाँ हैं :-

* शनि तथा सूर्य जिस नक्षत्र में गोचर करें.

* जिस नक्षत्र में वक्री मंगल गोचर करता हो या मंगल उसका भेदन करता हो.

* जिस नक्षत्र में ग्रहण लगा हो वह भी पीड़ित होता है.

* गोचर में जिस नक्षत्र में उल्का से टक्कर हो रही हो वह पीड़ित होता है.

* गोचर में चन्द्रमा जिसका भेदन करता हो.

* जो नक्षत्र स्वाभाविक स्वरुप से भिन्न हो.

* जिस नक्षत्र में केतु का गोचर हो रहा हो.

उपरोक्त तथ्यों के अतिरिक्त जो नक्षत्र चण्डीशायुध, एकार्गल या लत्तादोष से युक्त हों वह सब पीड़ित नक्षत्र माने जाते हैं. 

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