ज्योतिष शास्त्र कहता है कि मंगल और शनि के योग को अच्छा संकेत नहीं माना जाता है. इन दोनों का संयोग हर किसी के जीवन में कष्ट और संघर्ष लेकर आता है. मंगल ग्रह और शनि योग क अप्रभाव व्यक्ति की कुंडली के साथ साथ विश्व को प्रभावित करता है, इतना

सिंह लग्न के लिए सभी ग्रहों की स्थिति कुछ शुभ और कुछ कठोर बनती है. ग्रह जिस भाव के स्वामी होते हैं और जैसी स्थिति में होते हैं उसी के अनुरुप अपना असर दिखाते हैं. सिंह लग्न महत्वाकांक्षी, साहसी, दृढ़ इच्छाशक्ति वाले, सकारात्मक, स्वतंत्र और

ज्योतिष में शुभता का प्रभाव योग के फलों के द्वारा समझा जा सकता है. किसी भी ग्रह की शुभता अकेले से ही निर्मित नही होती है अपितु उसके साथ कई अन्य फैक्टर भी काम करते हैं. इसी श्रेणी में वैदिक पराशर ज्योतिष से अलग जैमिनी ज्योतिष की बात करें तो

राहु के साथ चंद्रमा का प्रभाव विभिन्न फल प्रदान करने वाला होता है. इसका असर गहराई से पड़ता है. राहु एक पाप ग्रह है चंद्रमा एक शुभ ग्रह है. ग्रह के साथ का प्रभाव मिलकर कई तरह से अपना असर दिखाने वाला होता है. जन्म कुंडली में राहु-चंद्र का

चंद्रमा और शुक्र दो जलीय ग्रह है लेकिन मंगल अग्नि तत्व युक्त ग्रह है. चंद्र शुक्र स्त्रैण ऊर्जाएं हैं और मंगल पौरुष ऊर्जा है. यह तीनों जब एक साथ होते हैं तो असरदायक रुप से प्रभावित करते हैं. शक्तिशाली, उग्र और गर्म ग्रह मंगल का अन्य दो

ज्योतिष शास्त्र कहता है कि राज योग एक ऐसा योग है जो व्यक्ति को राजा जैसा भाग्य प्रदान करता है, इस कारण से ही इसे राजयोग कहा गया है. जिसकी कुंडली में यह योग होता है उस व्यक्ति को कई तरह के फल प्राप्त होते हैं. लेकिन इसमें कुछ बातें विशिष्ट

अष्टकवर्ग में त्रिकोण शोधन एक महत्वपूर्ण शोधन होता है. यह ग्रह की स्थिति एवं उसकी क्षमता को दर्शाता है. अष्टकवर्ग के सिद्धांतों का सही प्रकार से उपयोग करने के बाद कुण्डली की विवेचना करने में ओर उसके परिणाम समझने में सहायता मिलती है. इस के

कर्क लग्न को एक अत्यंत ही शुभ लग्न के रुप में जाना जाता है. यह चंद्रमा के स्वामित्व की राशि का लग्न होता है. इस पर चंद्रमा के गुणों के साथ राशि गुणों का भी गहरा असर देखने को मिलता है. कर्क लग्न में ग्रहों की दशाओं का प्रभाव सभी ग्रहों के

प्रश्न कुंडली में स्थित ग्रहों की स्थिति यह निर्धारित करती है कि व्यक्ति संतान सुख प्राप्त कर पाएगा या नहीं. कुंडली में बनने वाले योग कुछ वैदिक नियमों और सिद्धांतों पर आधारित होते हैं. इस लेख में हम कुछ उदाहरणों के माध्यम से इन सिद्धांतों

ज्योतिष शास्त्र में राशियों के द्वारा संबंधों की जटिलताओं को समझने में बहुत सहायता प्राप्त होती है. राशियों का उपयोग आपसी कम्पेटिबिलिटी को समझने के लिए किया जाता रहा है. राशि चक्र में प्रत्येक राशि के विशेष लक्षण और गुण होते हैं जो उनके

करियर ज्योतिष एक बेहद की उपयोगी और सहायक बन सकता है उन सभी के लिए जो अपने काम को लेकर कई तरह की दुविधाओं में फंसे होते हैं. ज्योतिष में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि एक अच्छा करियर पाने के लिए करियर ज्योतिष बेहतरीन विकल्प के रुप

विंशोत्तरी महादशा प्रणाली की गणना के अनुसार मनुष्य के जीवन में 9 ग्रह और 9 महादशाएं होती हैं. शनि महादशा की अवधि 20 वर्ष होती है. शनि की महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशाएं भी होती हैं, जो व्यक्ति पर मिश्रित प्रभाव डालती हैं. शनि के

नक्षत्रों की भूमिका को ज्योतिष में बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. यदि ज्योतिष में कृष्णमूर्ति पद्धिति की बत की जाए तो उसमें नक्षत्रों का ही बोलबाला रहा है. हर प्रकार की भविष्यवाणि में नक्षत्र की स्थिति अत्यंत विशेष स्थान रखती है. प्रत्येक

वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा का महत्व बहुत ही व्यापक रुप से माना गया है. यह मन, भावना, संवेदनशीलता को सबसे अधिक प्रभावित करने वाला ग्रह है. सूर्य के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण ग्रह चंद्रमा माना जाता है. यह दोनों कुंडली की महत्वपूर्ण शक्ति होते

ज्योतिष अनुसार एक शुभ योग किसी व्यक्ति के भविष्य निर्माण में जितना सहायक बनता है उतना उसके समस्त ग्रहों का लाभ होता है. हर व्यक्ति अपने जीवन में सुख-समृद्धि और खुशियों को पाने कि इच्छा रखता है. जीवन में भौतिक सुख संपदा का होना उसके लिए

करियर किसी भी क्षेत्र में हो उसमें सफलता की चाह ओर एक अच्छी प्रगत्ति को पाने का संघर्ष सभी के द्वारा जारी रहता है. ऎसे में कौन सा करियर विकल्प रुचियों के अनुरूप हो और उसमें सफलता का प्रयास भी सकारात्मक रुप से मिल पाए इसे ज्योतिष द्वारा समझ

वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति विस्तार का ग्रह है. यह उन लोगों के लिए बहुत अधिक महत्व रखता है जो परंपराओं एवं आध्यात्मिक क्षेत्र में विकास के लिए अग्रसर होते हैं. ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को एक अत्यंत ही शुभ ग्रह है. यह एक शक्तिशाली ग्रह

कुंडली में जब भविष्यफल का फल जानना हो तो उस समय पर जो भाव अधिक सक्रिय होता है उसके जीवन में वह समय अधिक संघर्ष या सफलता की स्थिति को दर्शाता है. ऎसे में कुंडली का विश्लेषण किसी व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को निर्धारित करने के लिए

वक्री ग्रहों का संबंध पूर्व जन्म की या कहें प्रारब्ध की अवधारणा के साथ बहुत अधिक जुड़ा हुआ माना गया है. ज्योतिषियों के लिए इस ग्रहों के लिए यह खगोलीय घटना का अर्थ है कि ग्रह का संबंध आपके पूर्व जन्म के साथ भी काफी गहराई से जुड़ा है. वक्री

ज्योतिष में जब पंचांग गणना में मुहूर्त की ओर ध्यान दिया जाता है तो योगों के चयन को लेकर विशेष रुप से सतर्क रहने की जरुरत होती है. ज्योतिष में कुछ योग अपने अपने क्रम अनुसार प्रमुख हैं जिनमें से सत्ताइस योगों का उल्लेख भी विस्तार पूर्वक