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सूर्य महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा का फल

सूर्य एक शक्तिशाली ग्रह है जो शक्ति और आत्मा के लिए कारक रुप में विराजमान है. इस महादशा में जीवन को गति मिलती है. व्यक्ति को ऊर्जा मिलती है जिसके द्वारा वह अपने कार्यों को करता है. सूर्य महादशा 6 साल

शनि और केतु की युति क्यों होती है खराब ?

ज्योतिष में शनि ओर केतु दोनों को ही पाप ग्रह की उपाधी प्राप्त है, ऎसे में जब दो पप ग्रह एक साथ होंगे तो इनका युति योग जातक के जीवन में कई तरह अपना असर डालेगा. शनि ग्रह को आदेश, कानून, अनुशासन, न्याय

लग्न अनुसार जाने कैसी रहेगी चंद्रमा की दशा परिणाम और प्रभाव

विंशोत्तरी महादशा प्रणाली की गणना के अनुसार मनुष्य के जीवन में 9 ग्रह और 9 महादशाएं होती हैं. वैदिक ज्योतिषीय गणना के अनुसार चंद्र महादशा का समय दस वर्ष का होता है. चंद्रमा की महादशा का पुर्ण

बारहवें भाव में शुक्र को क्यों माना जाता है शुभ ?

बारहवें भाव में शुक्र क्यों माना जाता है विशेष जन्म कुंडली में बारहवें भाव में शुक्र की स्थिति की कई मायनों में अनुकूल रुप से देखा जाता है. यह अत्यधिक कल्पनाशील शक्ति लाता है. व्यक्ति को चुलबुला,

कुम्भ राशि में शुक्र का प्रवेश और इसका प्रभाव

कुम्भ राशि शनि देव की राशि है, कुम्भ राशि में जब भी किसी ग्रह का संपर्क होता है तो वह एक महत्वपूर्ण समय होता है. मनुष्य के जीवन में धन, ऐश्वर्य और सुखों की प्राप्ति के कारक रुप में शुक्र ग्रह को

सूर्य शुक्र का युति योग क्यों प्रभावित करता है प्रेम संबंधों को ?

ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों ग्रहों का एक बेहतर स्थान है. सूर्य ग्रह क्रूर होकर भी शुभता को दर्शाते हैं वहीं शुक को भी शुभ ग्रह माना जाता है. पर जब बात आती है इन दोनों के एक साथ होने की तब इस शुभता

शनि क्या रोक सकता है दूसरे ग्रहों का शुभ प्रभाव ?

नव ग्रहों का ज्योतिष शास्त्र एवं जीवन पर असर देखा जा सकता है. शनि का प्रभाव इन सभी ग्रहों के प्रभाव को कम करने अथवा प्रभावित करने में सक्षम होता है. शनि ग्रह के रूप में, लोगों की नियति में सबसे

अपनी कुंडली में जाने मंगल का पहले भाव में होने का विशेष फल

मंगल का प्रभाव कुंडली के हर भाव में बहुत विशेष होता है. इस ग्रह की स्थिति जातक को काफी प्रभावित करने वाली होती है. मंगल जिस भी भाव में होता है वह अपने प्रभाव को अलग-अलग तरह से दिखाता है. मंगल का असर

राहु जब इनकम भाव पर डालता है अपना असर ?

ज्योतिष में सभी ग्रहों और राशियों का अपना महत्व होता है. वैदिक ज्योतिष में किसी भी अन्य भाव की तुलना में ग्यारहवें भाव का अधिक महत्व है. ग्यारहवां भाव स्थान राहु के लिए अच्छे परिणाम देने वाला होता

शनि आपकी कुंडली में इस भाव या राशि में देगा शुभ फल

ज्योतिष शास्त्र मे शनि का संबंध धीमी गति और लम्बे इंतजार से रहा है. शनि को एक पाप ग्रह के रुप में भी चिन्हित किया जाता रहा है. शनि को बुजुर्ग और अलगाववादी ग्रह कहा गया है. शनि मंद गति से चलने वाला

शुक्र के जन्म कुंडली में नीचस्थ होने का क्या कारण और इसका प्रभाव ?

अन्य ग्रहों की तरह शुक्र भी व्यक्ति के निजी जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह शुभ ग्रह प्रेम जीवन में सुख और आनंद प्रदान करने वाला है. शुक्र विवाह, प्रेम संबंधों और व्यभिचार का भी कारक है.

धनु संक्रांति 2024 : सूर्य के राशि प्रवेश का समय

धनु संक्रांति सूर्य का धनु राशि प्रवेश समय है. इस समय पर सूर्य वृश्चिक राशि से निकल कर धनु राशि में प्रवेश करते हैं और एक माह धनु राशि में गोचरस्थ होंगे. इस गोचरकाल के समय को खर मास के नाम से भी जाना

चंद्रमा और शनि की युति का शुभ और अशुभ प्रभाव

शनि और चंद्रमा जब भी एक साथ होते है तो इनका युति योग कुछ मामलों में नकारात्मक स्थिति को ही दिखाता है. यह बहुत अनुकूल योग नहीं माना जाता है किंतु इस योग भी अपना सकारात्मक पक्ष होता है. वैसे इन दोनों

वक्री और मार्गी शनि का आपके जीवन पर कैसा होगा असर

शनि एक सबसे धीमी गति के ग्रह हैं. यह कर्मों के अनुरुप व्यक्ति को उसका फल प्रदान करते हैं इसलिए इन्हें न्यायकर्ता और दण्डनायक भी कहा जाता है. शनि का जीवन पर प्रभाव व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक, आर्थिक

कुंडली में अमावस्या दोष? भाग्य पर क्यों लगाता है अंकुश

ज्योतिष में कई तरह के योग ऎसे हैं जो जीवन में भाग्य के निर्माण के लिए बाधा का कार्य करने वाले होते हैं इन्ही में से एक अमावस्या दोष के रुप में जाना जाता है. इस दोष का प्रभाव व्यक्ति के भविष्य निर्माण

कुंभ राशि के लिए शनि साढ़ेसाती का प्रभाव

साढ़े साती से तात्पर्य साढ़े सात साल की अवधि से है जिसमें शनि तीन राशियों, चंद्र राशि, और एक राशि चंद्रमा से पहले और एक उसके बाद में चलता है. साढ़े साती तब शुरू होती है जब शनि जन्म चंद्र राशि से

ग्रहों में दिशाओं की शक्ति और दिग्बल दिलाता है नई चेतना

जन्म कुंडली में ग्रह भाव और राशि का प्रभाव काफी महत्वपूर्ण होता है. ग्रहों के क्षेत्र में कारक तत्वों का आधार ही व्यक्ति के लिए विशेष परिणाम देने वाला होता है. ग्रहों में उनका दिशा बल भी बहुत कार्य

मंगल ग्रह का सभी लग्नों पर असर और इससे मिलने वाले फल

ज्योतिष में कर्म की अवधारणा काफी गहराई से समाहित है. यह एक कठिन अवधारणा है लेकिन जब कुंडली में इसे देखते हैं, तो पाते हैं की ये जातक के कर्म एवं उससे मिलने वाले परिणामों का विशेष संबंध दर्शाती है.

राहु की महादशा में कैसा रहता है ग्रहों की अंतर्दशाओं का फल

राहु की महादशा लोगों के जीवन को कई अलग-अलग तरह से प्रभावित कर सकती है. यह कुछ के लिए अच्छे तो बहुतों के लिए खराब हो सकती है. राहु दशा के फल शुभ होंगे या अशुभ, यह पूरी तरह से राहु के कुंडली में स्थिति

कुंडली मे मेडिकल लाइन से संबंधित शिक्षा और नौकरी कैसे देखें

अपने करियर में जब कोई व्यक्ति चिकित्सा से जुड़े कार्य को चुनता है तो ऎसा होना उसकी कुंडली के कुछ विशेष योगों के द्वारा ही संभव हो पाता है. आज के समय में चिकित्सा के क्षेत्र में इतनी अधिक शाखाएं हैं