Articles in Category jyotish

आर्यभट्ट का ज्योतिष के इतिहास में योगदान

ज्योतिष का वर्तमान में उपलब्ध इतिहास आर्यभट्ट प्रथम के द्वारा लिखे गए शास्त्र से मिलता है. आर्यभट्ट ज्योतिषी ने अपने समय से पूर्व के सभी ज्योतिषियों का वर्णन विस्तार से किया था. उस समय के द्वारा लिखे

छ: ग्रहों की युति का प्रभाव | Effect of Conjunction of six planets | Conjuction of Sun, Moon, Mars, Mercury, Jupiter, Venus and Saturn

जन्म के समय जातक कई प्रकार के अच्छे योग तथा कई बुरे योग लेकर उत्पन्न होता है. उन योगों तथा दशा के आधार पर ही जातक को अच्छे अथवा बुरे फल प्राप्त होते हैं. योगों में शामिल ग्रह की दशा या अन्तर्दशा आने

द्वादशी तिथि

द्वादशी तिथि अर्थात बारहवीं तिथि. इस तिथि के दौरान सूर्य से चन्द्र का अन्तर 133° से 144° तक होता है, तो यह शुक्ल पक्ष की द्वादशी होती है और 313° से 324° की समाप्ति तक कृष्ण द्वादशी तिथि होती है. इस

बालव करण फल- करण विचार | Balava Karana | Balava Karana Meaning in Hindi | Balava Karana Calculator

ज्योतिष शास्त्र में एक तिथि को जब दो भागों में बांटा जाता है, तो दो करण बनते है. इसे इस प्रकार भी कहा जा सकता है, कि दो करण मिलाकर एक तिथि बनती है. एक करण तिथि के पहले आधे भाग से तथा दूसरा करण तिथि

उत्तराभाद्रपद नक्षत्र विशेषताएं | Uttara Bhadrapad Nakshatra Importance | Saturn Nakshatra | How to find Uttara Bhadrapad Nakshatra

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र 27 नक्षत्रों में 26वां नक्षत्र है. अगर नक्षत्रों में अभिजीत नक्षत्र की भी गणना की जाती है, तो यह 27वां नक्षत्र होता है. राशिचक्र में उत्तराभाद्रपद नक्षत्र की स्थिति मीन राशि

जानिए गार्नेट रत्न के लाभ

गार्नेट जिसे रक्तमणि और तामडा़ नाम से भी जाना जाता है. एक बहुत ही प्रभावशाली रत्न है. आज के समय में हर व्यक्ति किसी ना किसी बात को लेकर परेशान रहता है. अपनी परेशानियों का हल खोजने के लिए वह कई बार

12th भाव क्या है. | Vyay Bhava Meaning | Dwadasha House in Horoscope | 12th House in Indian Astrology

द्वादश भाव मोक्ष स्थान है, इस भाव से व्यक्ति के व्यय देखे जाते है. यह भाव हानियां, व्यय, बायीं आंख, व्यर्थ के अपव्यय, मोक्ष, यौनानन्द, विदेश यात्रायें, गुप्त शत्रु, पाप, अपना स्थान छोडना, बैरियों से

पेरीडोट-पेरीडॉट

रत्नों के खनिज ओलीवीन को पेरीडोट कहा जाता है. इसमें लौह तत्व होने से इस उपरत्न का रंग गहरा हरा होता है. इसके अतिरिक्त यह हरे रंग के साथ सुनहरे पीले रंग की आभा लिए हुए भी होता है. जैतून के जैसे हरे

अधि-गुरुमंगल-गुरुचंडाल-लक्ष्मी-गौरी-श्रीकण्ठ योग | Adhi yoga | Guru Mangal Yoga | Guru Chandal Yoga | Lakshmi Yoga | Gauri Yoga | Shri Kanth Yoga

ज्योतिष में योग शब्द से अभिप्राय ग्रहों के संबन्ध से है, यह सम्बन्ध ग्रहों की युत्ति, दृ्ष्टि संबन्ध्, परिवर्तन तथा अन्य कई कारणों से बन सकता है. जिस प्रकार धर्म में बुद्धि और शरीर का योग, आयुर्वेद

पूर्वाषाढा नक्षत्र विशेषताएं | Characteristics of Purva Ashadha Nakshatra | Poorvashaha Nakshatra Career

पूर्वाषाढा नक्षत्र को जल नक्षत्र कहा जाता है. इस नक्षत्र के स्वामी शुक्र है. इसलिए इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति के स्वभाव और आचार-विचार पर शुक्र का प्रभाव देखने में आता है. इस नक्षत्र में

मालव्य योग - पांच महापुरुष योग | Malavya Yoga - Pancha Mahapurusha Yoga | How is Malavya Yoga Formed

पांच महापुरुष योगों को पंच-महापुरुष योग भी कहते है. यह योग पांच श्रेष्ठ योगों का समूह है. पांच महापुरुष योग में रुचक योग, हंस योग, मालव्य योग, भद्र योग व शश योग आते है. इन पांचों योगों को एक साथ पंच

तीसरा भाव क्या है | Prakrama Bhava Meaning | Third House in Horoscope | 3rd House in Indian Astrology

तृतीय भाव पराक्रम भाव भी कहलाता है. इस भाव के अन्य कुछ नाम अपिक्लिम भाव, उपचय भाव, त्रिषडय भाव है. तृ्तीय भाव से व्यक्ति की ताकत, साहस, दीर्घायु, छोटे भाई, दृ्ढता, छोटी यात्राएं, लेखन, सम्बन्ध,

विशाखा नक्षत्र | Vishakha Nakshatra Characteristics | Vishakha Nakshatra Business

विशाखा नक्षत्र ज्योतिष शास्त्र के 27 नक्षत्रों में से 16वां नक्षत्र है. इस नक्षत्र के स्वामी गुरु है. गुरु का स्वामित्व होने के कारण इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को ज्ञान अर्जन में विशेष

हस्त नक्षत्र विशेषताएं | Characteristics of Hast Nakshatra । How to Find Hast Nakshatra

हस्त नक्षत्र चन्द्र का नक्षत्र है. इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों के स्वभाव में चन्द्र के गुण स्वत: होते है. 27 नक्षत्रों में हस्त नक्षत्र 13वां नक्षत्र है. इस नक्षत्र का व्यक्ति स्वभाव से

मूलाधार । प्रथम चक्र । First Chakra | Base chakra | Base Chakra Location | First Chakra Issues | Muladhara Chakra | Chakras

शरीर में मौजूद प्रत्येक चक्र शरीर के अलग-अलग अंगों में स्थित हैं इसमें से एक चक्र है मूलाधार चक्र. मूलाधार को मूल आधार, अधार, प्रथम चक्र, बेस या रूट चक्र भी कहते हैं. यह हमारे शरीर का प्रथम चक्र तथा

सौरमण्डल | Solar System

सौरमण्डल के सन्दर्भ में कुछ आवश्यक बातों को आपके लिए समझना आवश्यक है. ग्रह और नक्षत्रों के विभाजन के विषय में आपने पिछले अध्यायों में जानकारी हासिल की है. इसके अतिरिक्त सौरमण्डल से जुडी़ कुछ बातों को

कन्या राशि का स्वामी कौन है | Virgo Sign Meaning | Virgo - An Introduction | Mercury is the Lord of Virgo

कन्या राशि, राशिभचक्र की छठवीं राशि है. यह राशि व्यापार कार्य करने वाले व्यक्तियों की राशि मानी जाती है. इसका कारण इस राशि के व्यक्तियों में सामान्य से अधिक बुद्धि का होना, और इस राशि के व्यक्तियों

डोलोमाईट उपरत्न | Dolomite Gemstone - Dolomite Meaning - Dolomite, Metaphysical Properties - Dolomite, Healing Crystals

इस उपरत्न की खोज 1791 में हुई थी. इस उपरत्न को फ्रेन्च खनिज-विज्ञानी डियोदैट-दे-डोलोमियू(Deodat de Dolomieu) ने आल्प्स(Alps) में भ्रमण करते हुए खोजा था. उन्हीं के नाम पर इस उपरत्न का नाम डोलोमाईट पड़

जानिए कुण्डली में धन योग कैसे बनता है

घर में बालक का जन्म् होने पर बालक की कुण्डली बनवाई जाती है. कुण्डली में ग्रहों की स्थिति से बन रहे योगों की जानकारी प्राप्त की जाती है. ( sematext ) तथा सभी शुभ – अशुभ योगों के अलावा कुण्डली

शकुनि करण

पंचांग का एक महत्वपूर्ण अंग करण है. करण 11 होते हैं और हर 1 तिथि में 2 करण आते हैं. प्रत्येक करण का अपना एक अलग प्रभाव होता है. व्यक्ति के जीवन और उसके कार्यों पर करणों का प्रभाव भी स्पष्ट होता है.