Articles in Category jyotish

वृश्चिक राशि : शनि साढ़ेसाती प्रभाव और महत्व

ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह को न्यायाधीश की संज्ञा दी गई है. यह ग्रह व्यक्ति के कर्मों का फल देता है चाहे वह अच्छा हो या बुरा. जब शनि किसी राशि में प्रवेश करता है, तो वह वहां ढाई वर्ष तक रहता है.

केतु का सिंह राशि में गोचर: प्रभाव और महत्व

वैदिक ज्योतिष में ग्रहों के गोचर का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है. इनमें केतु एक छाया ग्रह है जो अदृश्य होते हुए भी गहन प्रभाव डालता है. जब केतु सिंह राशि में गोचर करता है, तो इसका प्रभाव जातकों के जीवन

मकर राशि में राहु का प्रभाव: उपलब्धियों के साथ चुनौतियों का समय

राहु ज्योतिष शास्त्र में एक छाया ग्रह के रूप में जाना जाता है. यह कोई भौतिक ग्रह नहीं है, बल्कि चंद्रमा और सूर्य के बीच ग्रहण के समय उत्पन्न होने वाला एक बिंदु है. यद्यपि यह दृश्य नहीं है, फिर भी

केतु का लग्न भाव में होना : विचार और व्यक्तित्व पर असर

केतु, जिसे अक्सर दक्षिणी राहु कहा जाता है, एक प्रमुख ग्रह है जो ज्योतिष शास्त्र में शनि के समान प्रभाव डालता है, लेकिन उसकी ऊर्जा और उसका प्रभाव कुछ भिन्न होते हैं. केतु का सम्बन्ध मोक्ष, अज्ञेयता,

मृगशिरा नक्षत्र में बृहस्पति का प्रभाव और महत्व

बृहस्पति को हिन्दू ज्योतिष में सबसे शुभ ग्रह माना जाता है। यह ग्रह ज्ञान, बुद्धि, धर्म, कानून, शिक्षा, और आचार्यत्व का प्रतीक है। बृहस्पति का संबंध समाज में उच्च स्थान प्राप्त करने, शिक्षा में सफलता,

कन्या राशि की साढ़ेसाती: एक खास विश्लेषण

कन्या राशि का स्वामी ग्रह बुध है, जो बुद्धि, वाणी और तर्कशीलता का प्रतीक है। कन्या राशि के लोग प्रायः व्यवस्थित, बुद्धिमान और मेहनती होते हैं। जब किसी भी राशि पर शनि की साढ़ेसाती आती है, तो वह

मंगल का पुष्य नक्षत्र में होना और इसका 12 राशि प्रभाव

मंगल का पुष्य नक्षत्र में होना एक विशेष खगोलीय घटना है, जो ज्योतिषशास्त्र में अत्यधिक महत्व रखता है। पुष्य नक्षत्र को भारतीय ज्योतिष में एक शुभ नक्षत्र माना जाता है, और मंगल ग्रह के इस नक्षत्र में

सिंह राशि के लिए साढ़ेसाती और इसका असर

साढ़ेसाती भारतीय ज्योतिषशास्त्र का एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद विषय है. यह ग्रहों की स्थिति पर आधारित एक कालखंड होता है, जो किसी व्यक्ति के जीवन में विशेष प्रभाव डालता है. साढ़ेसाती का काल किसी भी

कर्क राशि और शनिसाढ़े साती का प्रभाव

कर्क राशि और शनि साढ़े साती कर्क राशि चंद्रमा द्वारा शासित एक जल तत्व की राशि है, और इस राशि के लोग आमतौर पर भावनात्मक, देखभाल करने वाले, सहानुभूति रखने वाले और परिवार के प्रति बहुत स्नेहशील होते

नव संवत्सर 2082 (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) कैसा रहेगा प्रभाव

नव संवत्सर को सिद्धार्थ नामक संवत के नाम से जाना जाएगा. इस वर्ष संवत के राजा सूर्य होंगे और मंत्री सूर्य होंगे. वर्ष के राजा सूर्य होने से राष्ट्र में विरोधाभास की स्थिति बनी रहने वाली है. इस समय

लग्न में केतु का प्रभाव और विशेषताएं

केतु एक ग्रह के रूप में अपनी विशेषताओं और प्रभाव के लिए जाना जाता है। भारतीय ज्योतिष में केतु को छाया ग्रह कहा जाता है, जो सूर्य और चंद्रमा के साथ सम्बन्ध रखता है। यह ग्रह व्यक्ति के जीवन में रहस्यमय

वृषभ के लिए शनि का साढ़ेसाती और प्रभाव

शनि ग्रह भारतीय ज्योतिष में सबसे महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक है. शनि को न्याय का देवता कहा जाता है और यह हमारे कर्मों का फल देने वाला ग्रह माना जाता है. शनि का प्रभाव हमारे जीवन में बहुत गहरा और बहुत

बुध मीन राशि में अस्त : संभल कर लेने होते हैं फैसले

बुध मीन राशि में अस्त हो रहा है और इसका प्रभाव सभी राशियों पर होगा. बुध के मीन राशि में अस्त होने से प्रत्येक राशि पर क्या असर पड़ेगा. बुध को विचारों, तर्क, व्यापार, शिक्षा, यात्रा, और नियमित

मीन राशि में वक्री बुध का प्रभाव और सभी राशियों पर इसका असर

वक्री बुध मीन राशि में बुध का मीन राशि में वक्री होना ज्ञान ओर बुद्धि के वक्रत्व को दर्शाता है। बुध ग्रह जब भी मीन राशि में वक्री होता है तो यह घटना ज्योतिष के लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जाती है,

सूर्य अष्टम भाव में : आठवें भाव में सूर्य क्या खो देता है अपना बल

वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य एक बहुत ही प्रभाशाली ग्रह है और दूसरी ओर कुंडली का आठवां भाव सभी प्रभाव को कम देने वाला भाव है. अब इस स्थिति में आठवें भव में जब सूर्य बैठ जाता है तो क्या संभावनाएं ला

मेष राशि के लिए शनि साढे़साती प्रभाव

मेष राशि के लिए शनि साढे़साती प्रभाव शनि को राशि चक्र का एक चक्कर पूरा करने में लगभग तीस वर्ष लगते हैं. यह प्रत्येक राशि में लगभग ढ़ाई 2.5 वर्ष तक रहता है. शनि को एक ऐसा ग्रह माना जाता है जो अशुभ

बारहवें भाव में केतु: केतु का व्यय भाव में होना और राशि प्रभाव

वैदिक ज्योतिष में, जन्म कुंडली में केतु की स्थिति महत्वपूर्ण अर्थ रखती है, खासकर जब यह बातहवें भाव में स्थित हो. बारहवां भाव, व्यय का स्थान होता है, यह अवचेतन, आध्यात्मिकता और छिपे हुए क्षेत्रों के

वर्गोत्तम नवांश और उसका सभी भावों पर प्रभाव

वर्गोत्तम नवमांश ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण स्थिति मानी जाती है. इसे विशेष रूप से व्यक्ति की जन्मकुंडली में नवमांश कुंडली में देखा जाता है. यह व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अपना असर

बुध का नवांश कुंडली में असर और प्रभाव

बुध को भारतीय ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है. यह ग्रह बुद्धि, संवाद, शिक्षा, व्यापार, तकनीकी कौशल, लेखन, गणना और सोचने की क्षमता से संबंधित होता है. नवांश कुंडली में बुध का प्रभाव हमारे

नवांश कुंडली के 12 भावों में मंगल की स्थिति

वैदिक ज्योतिष नवांश कुंडली मंगल के बल को दर्शाती है. मंगल को नेतृत्व, शक्ति, महत्वाकांक्षा, दृढ़ संकल्प और शारीरिक कौशल जैसे गुणों से जोड़ा जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह किसी व्यक्ति की नई पहल