Articles in Category vedic astrology

अष्टमी तिथि - हिन्दू कैलेण्डर तिथि | Ashtami Tithi - Hindu Calendar Tithi । Hindu Calendar Date । Ashtami Tithi Yoga

चन्द्र मास में सप्तमी तिथि के बाद आने वाली तिथि अष्टमी तिथि कहलाती है. चन्द्र के क्योंकि दो पक्ष होते है. इसलिए यह तिथि प्रत्येक माह में दो बार आती है. जो अष्टमी तिथि शुक्ल पक्ष में आती है, वह शुक्ल

एपेटाइट । Apatite | Apatite For Mercury | Apatite - Gemstone Of Acceptance

एपेटाइट उपरत्न का मुख्य रंग नीले रंग की आभा लिए हुए हरा रंग है. इसलिए इसे बुध ग्रह का उपरत्न माना गया है. इसके अतिरिक्त यह कई रंगों में उपलब्ध है. यह नीले, हरे, बैंगनी, रंगहीन, पीले तथा गुलाबी रंगों

कौलव करण

करण के फलों को जानने से पहले करण किसे कहते है, यह जानने का प्रयास करते है. तिथि के आधे भाग को करण कहते है. करणों की संख्या 11 है. इसमें बव, बालव, कौलव, तैंतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग

चर दशा में राशियों की दृष्टि | Aspect of Signs in Char Dasha

(1) 1,4,7,10 राशियाँ चर राशियाँ कहलाती हैं. (2) 2,5,8,11 रशियाँ स्थिर राशियाँ कहलाती हैं. (3) 3, 6,9,12 राशियाँ द्वि-स्वभाव कहलाती हैं. जैमिनी चर दशा में चर राशियाँ (1,4,7,10), स्थिर

बेरिलोनाईट उपरत्न | Beryllonite Gemstone - Beryllonite Gemstone Meaning - Beryllonite Crystal

इस उपरत्न की खोज प्रोफेसर जेम्स ड्वाईट डाना(James Dwight Dana) ने 1888 में की थी. इसमें बेरिलियम की मात्रा अधिक होने से इसका नाम बेरिलोनाईट रखा गया है. यह भंगुर उपरत्न है. इसे सावधानी से प्रयोग में

स्फेलेराइट उपरत्न | Sphalerite Gemstone Meaning | Metaphysical Properties Of Sphalerite | Healing Crystals Of sphalerite

यह एक असामान्य तथा दुर्लभ उपरत्न है. यह हीरे की तुलना में अधिक चमक रखता है. इस उपरत्न की खोज 1847 में ई.एफ. ग्लोकर(E.F.Glocker) ने की थी. इस उपरत्न का नाम ग्रीक शब्द के नाम पर रखा गया था. स्फेलेराइट

नक्षत्रों का मूलभूत स्वभाव । Basic Nature Of The Nakshatras | Dhruv Nakshatra | Char Nakshatra | Ugra nakshatra

बच्चे के जन्म के समय चन्द्रमा जिस नक्षत्र में होता है, वह उसका जन्म नक्षत्र कहलाता है. अभिजीत सहित कुल 28 नक्षत्रों का उल्लेख सभी ग्रंथों में किया गया है. जन्म नक्षत्र के आधार पर व्यक्ति का

वोशी योग - सूर्यादि योग

सूर्य से बनने वाला एक महत्वपूर्ण योग है. वोशी योग एक बहुत ही शुभ योग है. इस योग का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में शुभता और सकारात्मकता लाने वाला होता है. इस योग का प्रभाव होने से जातक को सूर्य से प्राप्त

अनफा योग - चन्द्रादि योग | Anapha Yoga - Chandradi Yoga | Anapha-Yoga Result | Sunapha Yoga Result | Durdhara Yoga Astrology

कुण्डली में ग्रहों की परस्पर स्थिति से कुछ विशेष योगों का निर्माण होता है. इस प्रकार बनने वाले योग व्यक्ति के धन, संपति उन्नति में बढोतरी करने वाले होते है. ये योग सूर्य, चन्द्र और लग्न से बनने वाले

युग या युग्ल-केदार-एकावली योग- नभस योग | Yug Yoga-Nabhasa Yoga। Kedar Yoga | Ekavali Yoga Results

ज्योतिष में योग का अर्थ दो ग्रहों की युति से है. इसके अतिरिक्त ग्रहों का योग आपसी दृ्ष्टि संबन्ध से बन सकता है. या फिर दो य दो से अधिक ग्रह आपस में भाव परिवर्तन कर रहे हों, तब भी योग बनता है. ज्योतिष

चतुष्पद करण

11 करणों में एक करण चतुष्पद नाम से है. चतुष्पद करण कठोर और असामान्य कार्यों के लिए उपयुक्त होता है. इस करण को भी एक कम शुभ करण की श्रेणी में ही रखा जाता है. ऎसा इस कारण से होता है क्योंकि अमावस तिथि

श्री साईं बाबा व्रत कथा और पूजन विधि

साईं बाबा एक महान संत व गुरु थे. भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में साईं के भक्तों की संख्या कई गुना है. साईं बाबा के भक्तों को उनकी भक्ति का अनुपम आशिर्वाद सदैव ही प्राप्त हुआ है. बृहस्पतिवार के दिन को

हकीक | अकीक | एजेट | Hakik | Akik | Agate | Substitute of Ruby | Substitute of Manikya

प्राचीन ग्रंथों में रत्नों के मुख्य रुप से 84 उपरत्न उपलब्ध हैं(In ancient scriptures, there are mainly 84 sub-stons of stones). इन उपरत्नों का महत्व भी रत्नों के महत्व के समान माना जाता है. सभी

खगोल और मानक रेखाएँ | Celestial and Standard Lines

वर्तमान समय में कुण्डली बनाना बहुत ही आसान कार्य है. किसी भी व्यक्ति के जन्म का विवरण आप कम्प्यूटर में डालकर क्षण भर में कुण्डली का निर्माण कर सकते हैं. लेकिन यदि आप स्वयं कुण्डली बनाने का अभ्यास

श्री वैभवलक्ष्मी व्रत कथा - Vaibhava Lakshmi Vratam Katha ( Vaibhav Lakshmi Fast Story) | Vaibhav Lakshmi Vrat Katha

एक समय की बात है कि एक शहर में एक शीला नाम की स्त्री अपने पति के साथ रहती थी. शीला स्वभाव से धार्मिक प्रवृ्ति की थी. और भगवान की कृ्पा से उसे जो भी प्राप्त हुआ था, वह उसी में संतोष करती थी. शहरी जीवन

आर्यभट्ट का ज्योतिष के इतिहास में योगदान

ज्योतिष का वर्तमान में उपलब्ध इतिहास आर्यभट्ट प्रथम के द्वारा लिखे गए शास्त्र से मिलता है. आर्यभट्ट ज्योतिषी ने अपने समय से पूर्व के सभी ज्योतिषियों का वर्णन विस्तार से किया था. उस समय के द्वारा लिखे

छ: ग्रहों की युति का प्रभाव | Effect of Conjunction of six planets | Conjuction of Sun, Moon, Mars, Mercury, Jupiter, Venus and Saturn

जन्म के समय जातक कई प्रकार के अच्छे योग तथा कई बुरे योग लेकर उत्पन्न होता है. उन योगों तथा दशा के आधार पर ही जातक को अच्छे अथवा बुरे फल प्राप्त होते हैं. योगों में शामिल ग्रह की दशा या अन्तर्दशा आने

द्वादशी तिथि

द्वादशी तिथि अर्थात बारहवीं तिथि. इस तिथि के दौरान सूर्य से चन्द्र का अन्तर 133° से 144° तक होता है, तो यह शुक्ल पक्ष की द्वादशी होती है और 313° से 324° की समाप्ति तक कृष्ण द्वादशी तिथि होती है. इस

बालव करण फल- करण विचार | Balava Karana | Balava Karana Meaning in Hindi | Balava Karana Calculator

ज्योतिष शास्त्र में एक तिथि को जब दो भागों में बांटा जाता है, तो दो करण बनते है. इसे इस प्रकार भी कहा जा सकता है, कि दो करण मिलाकर एक तिथि बनती है. एक करण तिथि के पहले आधे भाग से तथा दूसरा करण तिथि

उत्तराभाद्रपद नक्षत्र विशेषताएं | Uttara Bhadrapad Nakshatra Importance | Saturn Nakshatra | How to find Uttara Bhadrapad Nakshatra

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र 27 नक्षत्रों में 26वां नक्षत्र है. अगर नक्षत्रों में अभिजीत नक्षत्र की भी गणना की जाती है, तो यह 27वां नक्षत्र होता है. राशिचक्र में उत्तराभाद्रपद नक्षत्र की स्थिति मीन राशि