द्वादश ज्योतिर्लिंग और बारह भाव राशियों का संबंध क्यों है विशेष
द्वादश ज्योतिर्लिंग और बारह भाव राशियों का संबंध विशेष रूप से, ज्योतिर्लिंग से जुड़ी 12 राशियाँ
ज्योतिष विज्ञान और आध्यात्मिक चेतना का समागम जीच आत्मा के विकास के लिए मूल सत्रोत है और इसी मूल स्त्रोत से जुड़े हैं ज्योतिर्लिंग. भगवान शिव के प्रति ज्योतिर्लिंग भारत और भारत के बाहर स्थापित हैं. शिवपुराण, और अन्य ग्रंथों में कहा जाता है कि जहां-जहां महादेव साक्षात प्रकट हुए, वहां-वहां 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित हुए. पुराणों में प्रत्येक ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व बताया गया है इसमें से शिवपुराण में इन ज्योतिर्लिंग का बेहद ही विशेष रुप से वर्णन मिलता है. ज्योतिर्लिंग का शाब्दिक अर्थ है प्रकाश जो भगवान शिव के दिव्य प्रकाश को दर्शाता है. भारत और भारत से बाहर 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग हैं जो भगवान शिव से संबंधित हैं.
इन 12 ज्योतिर्लिंग का संबंध हम ज्योतिष में बारह भावों और बारह राशियों से भी विशेष माना गया है. ज्योतिष में 12 ज्योतिर्लिंगों को जीवन के हर उस भाव से जोड़ा गया है जो जीवन के हर पक्ष को दर्शाते हैं और मोक्ष को प्रदान करते हैं. लग्न से द्वादश भाव की यात्रा ज्योतिर्लिंग के साथ संपन्न होती है. बारह ज्योतिर्लिंगों के नामों की बात करें तो वे इस प्रकार हैं
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग , मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग , महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग , ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग , केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग , भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग , विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, रामेश्वर ज्योतिर्लिंग , घुश्मेश्वर/घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग.
सभी 12 ज्योतिर्लिंग को कुंडली के प्रत्येक 12 भाव राशि द्वारा व्यक्त किया जाता है.
12 ज्योतिर्लिंग और ज्योतिष 12 भाव राशि संबंध
हिंदू धर्मग्रंथों में 12 ज्योतिर्लिंग हैं जो अपने आप में विशेष महत्व रखते हैं, जिन्हें "द्वादश ज्योतिर्लिंग" के नाम से जाना जाता है. प्रत्येक ज्योतिर्लिंग एक विशेष राशि से जुड़ा हुआ है, जो इस प्रकार है, मेष राशि सोमनाथ से जुड़ी है, वृषभ राशि मल्लिकार्जुन से जुड़ी है, मिथुन राशि महाकालेश्वर से जुड़ी है, कर्क राशि ओंकारेश्वर से जुड़ी है, सिंह राशि वैद्यनाथ से जुड़ी है, कन्या राशि भीमाशंकर से जुड़ी है, तुला राशि रामेश्वर से जुड़ी है, वृश्चिक राशि नागेश्वर से जुड़ी है, धनु राशि काशी विश्वनाथ से जुड़ी है, मकर राशि त्रयंबकेश्वर से जुड़ी है, कुंभ राशि केदारनाथ से जुड़ी है और मीन राशि घुश्मेश्वर से जुड़ी है. यह भगवान शिव और सृष्टि के बीच के दिव्य संबंध को दर्शाता है. आइए प्रत्येक ज्योतिर्लिंग और उसकी संबंधित राशि के बीच के संबंध को जानें:
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग को मेष राशि और पहले भाव से जोड़ा गया है. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मेष राशि से संबंधित है. सूर्यवंशी भगवान राम ने अपने वनवास काल के दौरान इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से मेष राशि के जीवन में सुख और स्थिरता बढ़ती है.
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग जो दूसरे भाव और वृषभ राशि से जुड़ा है. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग वृषभ राशि से संबंधित है. यह गुजरात के सोमनाथ जिले में स्थित है और इसे धरती का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव के प्रतिनिधि चंद्रमा ने अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद पाने और क्षय से मुक्ति पाने के लिए इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी.
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को तीसरे भाव मिथुन राशि से जोड़ा गया है. बुध के स्वामित्व की मिथुन राशि और तीसरा भाव नागेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ा है. गुजरात के द्वारका जिले में स्थित यह ज्योतिर्लिंग राहु का प्रतिनिधित्व करता है. मिथुन राशि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक विकास लाती है.
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को चतुर्थ भाव और कर्क राशि से जोड़ा गया है. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग कर्क राशि से संबंधित है. यह मध्य प्रदेश में स्थित है. कर्क राशि के जातकों को इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से लाभ मिलता है.
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को पंचम भाव ओर सिंह राशि से जोड़ा गया है. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग सिंह राशि से संबंधित है यह झारखंड के देवघर जिले में स्थित है. इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करके स्वास्थ्य, परिवार और राजनीतिक मुद्दों का समाधान पा सकते हैं.
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को छठे भाव और कन्या राशि से जोड़ा गया है. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग षष्ठ भाव कन्या राशि से संबंधित है. कन्या राशि में उच्च का बुध वाणी, व्यवसाय और शिक्षा का प्रतिनिधित्व करता है. आंध्र प्रदेश में श्रीशैल पर्वत शिखर पर स्थित इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से जीवन में वाणी, व्यवसाय और शिक्षा जैसे पहलुओं से संबंधित आशीर्वाद मिल सकता है.
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को सातवें भाव और तुला राशि से जोड़ा गया है. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का संबंध सप्तम भाव तुला राशि से संबंधित है. यह ज्योतिर्लिंग पवित्र शहर उज्जैन में स्थित है और शनि का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे दंडनायक भी कहा जाता है. माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से अच्छा स्वास्थ्य मिलता है और असामयिक मृत्यु से रक्षा होती है.
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग को अष्टम भाव और वृश्चिक राशि से संबंधित माना गया है. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग आठवें भाव वृश्चिक राशि से संबंधित है. मंगल और केतु द्वारा प्रभावित वृश्चिक राशि के लोग इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करके लाभ उठा सकते हैं. यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है. ऐसा माना जाता है कि यह मंगल और केतु के बुरे प्रभावों को दूर करता है.
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को नवम भाव और धनु राशि से जोड़ा गया है. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग नौवें भाव धनु राशि से संबंधित है. धनु राशि का स्वामी ग्रह बृहस्पति जीवन का प्रतिनिधित्व करता है और केतु मोक्ष का प्रतिनिधित्व करता है. यह ज्योतिर्लिंग मोक्ष प्राप्त करने की दिशा में व्यक्तियों की आध्यात्मिक यात्रा में मदद करता है. पवित्र शहर वाराणसी में स्थित, काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग धनु राशि के जातकों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है.
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को दशम भाव और मकर राशि से जोड़ा गया है. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग दशम भाव मकर राशि से संबंधित है. मकर राशि में मंगल उच्च का होता है और इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से उन व्यक्तियों को राहत मिल सकती है जिनकी जन्म कुंडली में मंगल कमजोर स्थिति में है. यह महाराष्ट्र के पुणे में सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में स्थित है.
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग को एकादश भाव और कुंभ राशि से जोड़ा गया है. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग लाभ भाव कुंभ राशि से संबंधित है. उत्तराखंड में स्थित यह मंदिर कुंभ राशि के जातकों की इच्छाओं को पूरा करने वाला माना जाता है. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग या उसके आस-पास के शिवलिंगों का ध्यान और पूजा करने से आध्यात्मिक विकास और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग को द्वादश भाव और मीन राशि से जोड़ा गया है. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग बारहवें भाव मीन राशि से संबंधित है. मीन राशि में उच्च का शुक्र विलासिता, आराम और सांसारिक सुखों का प्रतिनिधित्व करता है. माना जाता है कि यह ज्योतिर्लिंग जीवन के इन पहलुओं से संबंधित आशीर्वाद प्रदान करता है. मोक्ष की कना की पूर्ति के लिए यह स्थान उत्तम माना गया है.