कुंडली में उच्च और नीच ग्रह कैसे काम करते हैं
वैदिक ज्योतिष में ग्रहों की स्थिति बहुत असर दिखाती है. सभी ग्रह कुंडली में अपनी अपनी स्थिति के अनुसार परिणाम दिखाते हैं. कुछ ग्रह कुंडली में शुभ ग्रह दिखाते हैं तो कुछ ग्रह खराब फल देते हैं. वहीं कुछ ग्रह अपनी अवस्था के अनुसार उच्च या नीच का प्रभाव दिखाते हैं. ग्रह की अवस्था यदि शुभ होकर नीच हो तो उसके फलों में कमी मिलती है. इसके विपरित पाप ग्रह अगर उच्च का हो तो उसका असर अलग रुप में देखने को मिलता है.
जन्म कुंडली में किसी ग्रह के प्रभाव और क्षमता को निर्धारित करने में मदद करती हैं. प्रत्येक ग्रह एक राशि में उच्च का और दूसरे में नीच का होता है, जो व्यक्ति के जीवन पर उसकी अभिव्यक्ति और प्रभाव को प्रभावित करता है.
सूर्य का प्रभाव
सूर्य मेष राशि में उच्च का होता है, जो उसके अग्नि युक्त आधिकारिक गुणों को बढ़ाता है. सूर्य की स्थिति सबसे आगे रह कर काम करने की प्रवृत्ति देने वाला है. इसे ग्रह चक्र में राजा कहा जाता है. उच्च सूर्य वाले व्यक्ति में मजबूत नेतृत्व कौशल, जीवन शक्ति और आत्मविश्वासी व्यक्तित्व होने की संभावना होती है. सूर्य की प्रबलता के द्वारा कार्यों में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं जिनमें दृढ़ता और आत्म-अभिव्यक्ति की आवश्यकता होती है.
सूर्य के उच्च होने का एक प्रमुख परिणाम आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि है. व्यक्तियों को आत्म-आश्वासन में वृद्धि का अनुभव हो सकता है और परिस्थितियों पर नियंत्रण रखना आसान हो सकता है. दूसरों द्वारा उनका सम्मान और प्रशंसा किए जाने की संभावना अच्छी होती है. यह जीवन शक्ति को बढ़ा सकता है. लेकिन जब सूर्य तुला राशि में नीच का होता है, तो उसकी आत्म-अभिव्यक्ति और व्यक्तित्व के गुणों को चुनौती मिल सकती है.
चंद्रमा का प्रभाव
चंद्रमा वृषभ राशि में उच्च का होता है, जो उसके शुभ एवं भावनात्मक गुणों को बढ़ाता है. उच्च चंद्रमा वाले व्यक्ति अक्सर भावनात्मक रूप से स्थिर दिखाई देते हैं. इनके भीतर देखभाल करने और सुरक्षा की मजबूत भावना भी रहती है. आपसी सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाने और भावनात्मक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए आगे रहते हैं.
इसके विपरीत, चंद्रमा वृश्चिक राशि में नीच का होता है.इस दुर्बलता के परिणामस्वरूप भावनात्मक अस्थिरता, बढ़ी हुई संवेदनशीलता और ईर्ष्या या स्वामित्व की प्रवृत्ति अधिक असर डाल सकती है. चंद्रमा वृषभ राशि में उच्च का होता है, जो इसके सकारात्मक गुणों को बढ़ाता है और व्यक्ति के भावनात्मक रूप से ग्रहणशील स्वभाव को बढ़ाता है. जब चंद्रमा उच्च राशि में होता है, तो संवेदनशीलता, भावनात्मक स्थिरता और दूसरों के साथ गहरा जुड़ाव का अनुभव हो सकता है. नीच के चंद्रमा में असुरक्षा की भावना अधिक देखने को मिल सकती है.
मंगल का प्रभाव
मकर राशि में मंगल उच्च का होता है, मंगल की उच्चता का प्रभाव व्यक्ति को मुखर, महत्वाकांक्षी और अनुशासित स्वभाव वाला बनाता है. उच्च मंगल वाले व्यक्ति प्रेरित, केंद्रित और दृढ़ निश्चय से भरपूर दिखाई देते हैं. काम करने और बाधाओं पर काबू पाने में निपुण होते हैं. अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की उत्कृष्टता भी उच्च के मंगल के कारण देखने को मिल सकती है.
कर्क राशि में मंगल अवस्था का होता है, मंगल का कमजोर होना दिशा की कमी को प्रदर्शित कर सकता है. यह निष्क्रिय बनाता है आक्रामकता तथा अपनी ऊर्जा को प्रभावी ढंग से प्रसारित करने में कठिनाई देता है. मकर राशि में उच्च के मंगल वाले व्यक्ति अक्सर असाधारण नेतृत्व गुण, रणनीतिक सोच और बाधाओं को दूर करने की क्षमता प्रदर्शित करते हैं. इसके विपरीत, मंगल कर्क राशि में नीच का होने पर साहस की कमी को दिखा सकता है.
बुध का प्रभाव
बुध कन्या राशि में उच्च का होता है, बुध के मजबूत होने के कारण विश्लेषणात्मक गुण मौजूद होते हैं, संचार और बौद्धिक क्षमताओं को मजबूत बनाता है. उच्च बुध वाले व्यक्ति तीव्र बुद्धि, उत्कृष्ट समस्या के समाधान का कौशल रखने वाले होते हैं. विचारों को व्यक्त करने में स्पष्ट होते हैं. उन क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं जिनमें विस्तार, अनुसंधान और संचार की आवश्यकता होती है.
इसके विपरीत, बुध मीन राशि में नीच का होता है और इसके कमजोर होने के कारण भ्रम, फोकस की कमी और संचार में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. जब बुध कन्या राशि में उच्च का होता है, तो बौद्धिक क्षमता, कौशल और वाणी का अच्छा लाभ मिलता है. व्यक्ति को उत्कृष्ट संगठनात्मक कौशल और प्रभावी संचार के साथ सशक्त बनाता है, उसे लेखन, अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त होती है. बुध का नीच होना स्पष्ट सोच, निर्णय लेने को कमजोर करने वाला बना सकता है.
शुक्र का प्रभाव
शुक्र मीन राशि में उच्च का होता है, शुक्र के प्रबल होने से कलात्मक, रोमांटिक और सामंजस्यपूर्ण विशेषताओं को बढ़ावा मिलता है. उच्च शुक्र वाले व्यक्ति आमतौर पर आकर्षक, रचनात्मक और सौंदर्य बोध के जानकार होते हैं. उनके पास एक चुंबकीय व्यक्तित्व होता है. अपने परिवेश में सुंदरता और सद्भाव पैदा करने की क्षमता इनमें बेहतरीन होती है.
कन्या राशि में नीच होने पर, शुक्र को आत्मसम्मान, रिश्तों का अत्यधिक लगाव और स्नेह पाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है. मीन राशि में, शुक्र अपनी कलात्मक और प्रेमपूर्ण ऊर्जा भर देने का काम करता है, भावनात्मक संबंध और आध्यात्मिक गहराई को बढ़ावा भी मिलता है. कन्या राशि का विश्लेषणात्मक और व्यावहारिक स्वभाव शुक्र की सुख और भोग की इच्छा को चुनौती दे सकता है. यह स्थान शुक्र के गुणों की अभिव्यक्ति को कमजोर कर सकता है, जिससे रिश्ते में चुनौतियां पैदा हो सकती हैं
शनि ग्रह का प्रभाव
शनि तुला राशि में उच्च का होता है. शनि के प्रबल होने पर अनुशासित, संगठित और व्यावहारिक स्वभाव को मजबती प्राप्त होती है. उच्च शनि वाले व्यक्तियों में मजबूत कार्य नैतिकता, दृढ़ता और जिम्मेदारी की भावना होती है. व्यक्ति ऐसे करियर में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं जिनमें दीर्घकालिक योजना, संरचना और विस्तार पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है.
मेष राशि में नीच राशि में होने पर, शनि का प्रभाव आत्म-संदेह, आत्मविश्वास की कमी और वैराग्य की प्रवृत्ति के रूप में प्रकट हो सकता है. जब शनि तुला राशि में होता है, तो उसकी ऊर्जा अनुशासित और संतुलित मानी जाती है. इस स्थिति वाले व्यक्ति निष्पक्षता, कूटनीति और न्याय की मजबूत भावना जैसे गुणों का प्रदर्शन कर सकते हैं. शनि मेष राशि में नीच का है, जो कमज़ोर स्थिति का संकेत देता है.
बृहस्पति का प्रभाव
बृहस्पति कर्क राशि में उच्च का होता है, जिसके चलते विस्तार, परोपकारी और दार्शनिक गुणों को बढ़ावा मिलता है. उच्च बृहस्पति का प्रभाव व्यक्ति को अक्सर उदार, आशावादी और दृढ़ विश्वास वाला बना सकता है.
ज्ञान, आध्यात्मिकता और सामाजिक सद्भाव के प्रति उनका स्वाभाविक झुकाव होता है. दूसरी ओर, बृहस्पति मकर राशि में नीच का होता है. इस दुर्बलता के परिणामस्वरूप आत्मविश्वास की कमी, भौतिकवादी गतिविधियों पर अत्यधिक जोर और निराशावाद की प्रवृत्ति हो सकती है.