शुक्र-शनि युति से बनता है युक्त योग
जब दो ग्रह एक ही राशि के अंतर्गत युति योग बनाते हैं, तो कुंडली में कई तरह के फलों का मिलाजुला फल मिलता है. यह सफलता और कठिनाई दोनों को दिखाने वाला भी हो सकता है. भाग्य पर इस तरह के शनि शुक्र योग का गहरा असर भी देखने को मिलता है. इन योग के जीवन में परिणाम अक्सर अप्रत्याशित और अनिश्चित से मिलते हैं. युक्त योग करियर, वित्त और सामाजिक एवं व्यक्तिगत जीवन से संबंधित अनुभव, पारस्परिक कौशल और प्रबंधन कौशल के आधार पर कई अवसर दिखाता है.जीवन में सफल होने के अवसर को निर्धारित भी होते हैं. यह क्षमताओं को बढ़ाता है और सफलता की ओर ले जाने वाला एक नया मार्ग बनाता है.
इस में शनि के साथ शुक्र का होना इस योग के कई प्रभाव हमारे सामने रख सकता है. व्यावहारिक, दृढ़निश्चयी और कूटनीतिक दृष्टिकोण इस शनि के साथ शुक्र के योग से प्राप्त होता है. शनि के साथ शुक्र की स्थिति शुक्र के आकर्षण, कूटनीति और व्यावहारिकता के साथ-साथ शनि के अनुशासन और दृढ़ संकल्प को दर्शाने वाली होती है. इस अद्वितीय परिवर्तन होने पर व्यावहारिकता का गुण दिखाई देता है. अच्छे सलाहकार के रुप में व्यक्ति आगे बढ़ने में सफल होता है. इसके द्वारा जीवन की प्रगति होती है. महान व्यावसायिक समझ और भाग्य इन दोनों के मेल से संभव हो पाता है. व्यवसायिक समझ अच्छी होती है. कड़ी मेहनत से भाग्य और धन उत्पन्न करने में मदद करने वाला योग बनता है. इन दोनों ग्रहों का योग चातुर्य और दृढ़ संकल्प के साथ, आर्थिक समृद्धि भी प्रदान करता है व्यक्ति अपने जीवन में किसी ऎसे से भी मिलता है जिसके साथ से वह सफलताओं को पाने में सक्षम होता है.
शनि और शुक्र विरोधाभास का योग
शुक्र प्रेम, संबंध, जीवन में आनंद, प्रेम करने की क्षमता और प्रसन्नता का ग्रह है. कामुक इच्छा के माध्यम से आनंद, लोगों की सेवा, सामान्य विनम्र स्वभाव और आपसी सम्मान. पुरुष की कुंडली में शुक्र प्रेमिका है, और शानदार वस्तुएं है वीर्य है. शुक्र पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक सामान्य संबंध ग्रह है. शुक्र कामुकता का प्रमुख ग्रह है और निम्न रूप में यह इन्द्रिय सुखों में अधिक लिप्त रहने की ओर दिशा दिखाता है, उच्च रूप में यह सभी की सेवा और प्रेम करना पसंद करता है और बिना किसी कारण के खुश रहना जानता है. वहीं दूसरी ओर शनि मर्यादाओं का ग्रह है, यह व्यक्ति को समय का बोध कराता है और शनि सभी को जीवन की सच्चाई दिखाता है. यह वास्तविकता के साथ जीना सिखाता है, शनि अनुशासित, व्यावहारिकता और जीवन में एक दीर्घकालिक लक्ष्य है. शनि जीवन में कठोरता देकर लोगों को विनम्र बनाता है. शनि ग्रह मन की स्थिरता, एकांत में रहने की शक्ति और ध्यान में अच्छा प्रभाव दिखाता है.
शुक्र और शनि की युति होती है तो इसे मित्र भाव का प्रभाव कहा जा सकता है. ज्योतिष में शनि और शुक्र अच्छे मित्र माने गए हैं. इन दोनों को का प्रभाव काफी विपरित होता है लेकिन फिर भी इनमें मित्रता भी विशेष होती है. किंतु गुणों की भिन्नता शुक्र के शनि के साथ होने पर शुक्र संतुष्ट नहीं हो पाता है. शनि एक वृद्ध बीमार व्यक्ति के अपने प्रिय मित्र शुक्र से मिलने आने जैसी स्थिति है. क्या होता है जब हमारा सबसे अच्छा दोस्त जो बीमार होता है हमसे मिलने आता है, हम भी बीमार हो जाते हैं नहीं अपितु हम उसके लिए सहायक भी होते हैं. शनि शुक्र में अपने सभी गुणों का संचार करता है. शनि उन सभी चीजों से संबंधित निराशा देता है जिनका प्रतिनिधित्व शुक्र करता है, किंतु शुक्र का प्रभाव भी व्यक्ति को नई दिशा को दिखा देने वाला होता है.
शनि भय का प्रतिनिधित्व करता है और शुक्र प्रेम का, इसलिए ये लोग अपनी प्रेम की भावनाओं को व्यक्त करने में भय महसूस कर सकते हैं. उन्हें लगता है कि उन्हें दूसरे लोगों द्वारा अस्वीकार किया जा सकता है. यह व्यक्ति किसी भी तरह के रिश्ते में पड़ने से डर सकता है. व्यक्ति प्रेम और संबंधों में निराश होता है और यह व्यक्ति को ऐसा साथी दिलाता है जो प्रेम और संबंधों में बहुत ठंडा और रूढ़िवादी हो सकता है. व्यक्ति स्वयं प्रेम और संबंधों को लेकर बहुत यथार्थवादी होता है. परिवार के प्रति कर्तव्य और उत्तरदायित्व द्वारा प्रदर्शित प्रेम की उनकी अभिव्यक्ति. आमतौर पर ये लोग हर तरह के रिश्तों में प्यार की कमी महसूस करते हैं, और ये अपनी भावनाओं को लेकर बहुत सुरक्षात्मक होते हैं और अपनी कमजोर भावनाओं को दूसरे लोगों को नहीं दिखाते हैं.
शनि और शुक्र युति का कब मिलता है लाभ
शनि परिपक्व और वृद्ध साथी या व्यक्ति को अपने से बड़ी उम्र के साथी का सहयोग दिलाने वाला होता है. यदि सप्तम भाव में इन का योग होता है तो व्यक्ति को अपने साथी चुनने में सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि उन्हें ऐसा साथी मिल सकता है जो अपमानजनक हो सकता है. वहीं इसका असर विवाह होने में देरी को दर्शाता है. शनि देरी के ग्रह और धैर्य के शिक्षक हैं ओर ऎसे में यदि जल्दी शादी होती है तो उसमें कई तरह के विवाद झेलने पड़ सकते हैं. व्यक्ति को अपने साथी के साथ अलगाव सहना पड़ सकता है और विवाह में लोगों को कष्ट हो सकता है. व्यक्ति का साथी बहुत मेहनती हो सकता है लेकिन उसमें रोमांस की कमी भी देखने को मिल सकती है. जीवन में यथार्थवादी दृष्टिकोण वाला अधिक देखने को मिल सकता है. ये लोग रिश्ते में समझौता करने को तैयार रहते हैं.
शुक्र रचनात्मकता का मुख्य ग्रह है, इसलिए यह युति लोगों को फोटोग्राफी, फैशन डिजाइनिंग, पेंटिंग, क्राफ्टिंग आदि जैसे कई रचनात्मक क्षेत्रों में हाथ आजमाने का गुण प्रदान करने वाली होति है. बहुत रचनात्मक और प्रतिभाशाली स्थिति भी प्राप्त हो सकती है. लोगों की व्यावसायिक समझ अच्छी होती है क्योंकि शुक्र कूटनीति का ग्रह है और शनि कठोर कर्म का, वित्त और कला के क्षेत्रों में अच्छा नाम कमाने का अवसर प्राप्त होता है. अगर इन दोनों ग्रहों की युति कुछ विशेष भाव स्थान जैसे दूसरे भाव, नवम भाव, एकादश भाव इत्यादि में होने पर इसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है. आर्थिक लाभ की प्राप्ति का अच्छा मौका भी प्राप्त होता है.