सूर्य का पंचम भाव में होना बौद्धिकता एवं ज्ञान की अभिव्यक्ति

ज्योतिष में सूर्य सबसे शक्तिशाली ग्रह है, यह हमारे स्वयं को, हमारी समग्र ऊर्जा और हमारे व्यापक अस्तित्व को व्यक्त करने के तरीके को प्रभावित करता है. जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जाता है, तो यह सूर्य नहीं है जो शारीरिक रूप से गतिमान है, बल्कि इसके बारे में हमारा दृष्टिकोण है और इसलिए, पृथ्वी से इसकी ऊर्जाओं के साथ हमारा संबंध विशेष रहता है. पौराणिक कथाओं में सूर्य, रोमन पौराणिक कथाओं में, सूर्य अपोलो, ग्रीक पौराणिक कथाओं में, हेलियोस, प्रकाश के देवता या सूर्य देवता के साथ जुड़ा हुआ है. सूर्य सिंह राशि से जुड़ा है, जैसे सूर्य सौर मंडल का केंद्र है, वैसे ही लियो सिंह को सभी के ध्यान का केंद्र बनना पसंद है. 

ज्योतिष शास्त्र में, सिंह राशि के लोगों को आकर्षण और गर्मजोशी के साथ चकाचौंध करने के लिए जाना जाता है. सूर्य इन सभी विशेषताओं का भौतिक रूप है. सूर्य अभिव्यक्ति के पंचम भाव पर स्थित होता है. पांचवां घर रचनात्मकता और मस्ती को प्रोत्साहित करता है, यह घर, सूर्य और सिंह की तरह, नए अनुभवों के लिए खुला है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य एक ग्रह है और सभी ग्रहों का राजा माना जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि सौरमंडल के सभी ग्रह सूर्य के प्रकाश से चमकते हैं. इसलिए, यह ज्योतिष में एक आवश्यक भूमिका निभाता है और सबसे शक्तिशाली और आधिकारिक ग्रह है.

पंचम भाव का अन्य भावों से अंतर्संबंध

पंचम भाव के अन्य भावों को कुंडली के अन्य भावों से जोड़ा जा सकता है. इसका संबंध जीवन के उन क्षेत्रों से होता है जो जीवन की गति एवं उसके विकास में मुख्य भूमिका को निभाते हैं. पंचम भाव बच्चों के लिए विशेष स्थान होता है. यह कला, मीडिया, रचनात्मकता, मंच प्रदर्शन, सिनेमा, खुशी और मनोरंजन से संबंधित बातों को दर्शाता है. इस भाव स्थान को प्रेम एवं रोमांस के लिए भी देखा जाता है. अस्थायी आश्रय या आवास का प्रतिनिधित्व करता है. सीखने की प्रेरणा इसी पंचम भाव के द्वारा समझ आती है. पंचम भाव उन चीजों का प्रतिनिधित्व करता है जो आप इस जीवन में सीखते हैं. यह भाव गणित, विज्ञान, कला आदि का प्रतिनिधित्व करता है और इन पर विशिष्ट पकड़ देता है. कुंडली के पंचम भाव से शेयर बाजार, सट्टा लाभ, सिनेमा, धन लाभ या हानि देखी जाती है.

पंचम भाव राजनीति, मंत्रियों, अपने घर की जमीन, अचल संपत्ति, अपने परिवार की संपत्ति से कुछ कमाने की कोशिश का प्रतिनिधित्व करता है. परिवार के पास कितना धन है यह कुंडली के पांचवें भाव से देखा जाता है. पंचम भाव छोटे भाई-बहनों की बुद्धिमत्ता, अहंकार और संचार क्षमता, माता के धन और लाभ,  बच्चों के खर्च, साथी की इच्छा और लाभ,  जीवनसाथी के बड़े भाई-बहनों का प्रतिनिधित्व करता है. गुप्त हुए ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है. यह धर्म का उच्चतम स्थन भी माना जाता है. दर्शन, धार्मिक विश्वास, आध्यात्मिक विश्वास और गुरुओं से प्राप्त किया जाने वाला ज्ञान भी महत्वपूर्ण है. इस घर को कर्म और पुनर्जन्म का प्रतिनिधित्व करता है. नौकरी प्राप्त करने एवं नौकरियों में नए अवसर पाने की स्थिति को दर्शाता है. इच्छा का अंत, इच्छा को समाप्त करना, मुक्ति या मोक्ष पाने की कोशिश में बाधाएं या आध्यात्मिक प्रगति में बाधा.

वैदिक ज्योतिष में पांचवां घर आनंद के बारे में है. जो खुशी अक्सर आपके द्वारा किए जाने वाले कार्यों का परिणाम रुप ही होती है, इसलिए पंचम भाव आत्म-अभिव्यक्ति से संबंधित है जो आपको प्रसन्न करता है. यह मानसिक बुद्धिमत्ता, नया करने की क्षमता, नए विचारों को पुरानी अवधारणाओं में होने का प्रतीक है. कला और लेखन सहित रचनात्मक अभिव्यक्ति के सभी रूपों पर इस घर का अधिकार होता है. पिछले जन्मों में आपके द्वारा किए गए अच्छे कर्म और यह आपकी कलात्मक क्षमताओं के रूप में कैसे प्रकट होते हैं, इसे भी पंचम भाव से देखा जा सकता है. संतान होने की क्षमता, संतान की संभावनाएं, गर्भाधान, गर्भपात, बच्चों के साथ संबंध और उनका स्वास्थ्य सभी कुंडली में पंचम भाव से नियंत्रित होता है. पुत्र जन्म का भी संकेत देता है, इसलिए वैदिक ज्योतिष में इसे पुत्र भाव कहा गया है.

अब हम सूर्य और अन्य ग्रहों के बीच संबंध को जानते हैं, कि इन ग्रहों के साथ सूर्य की युति पंचम भाव में होने पर कैसा असर दिखाती है.

पंचम भाव में सूर्य का होना और उसका प्रभाव 

पंचम सूर्य का प्रभाव जीवन को एक अलग ही रंग रुप देने वाला होता है. इस भाव में सूर्य का प्रकाश भाव के गुणों को भी प्रकाशित कर देने वाला होता है. इस भाव में सूर्य की स्थिति आध्यात्मिक रुप से विशेष फल देने वाली होती है. सुर्य जो आत्मा एवं शक्ति का प्रतिक है पंचम भाव में सूर्य शैक्षणिक क्षेत्र में अच्छा देता है. बौद्धिक क्षमताओं के प्रति अत्यधिक अच्छे होते हैं. यह भाव व्यक्ति को नेता बनाने की दिशा में काम करता है. सूर्य पंचम भाव में सहज महसूस करता है, जो कि सूर्य की स्वाभाविक राशि सिंह है. जब सूर्य पंचम भाव में स्थित होता है, तो यह अहंकार, आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है, यह विचारों, राजनीति, रचनात्मकता, दर्शन, प्राचीन पाठ, और वह सब कुछ जो आपका अवचेतन अन्वेषण करने के लिए संपन्न हो रहा है, को प्रकाशित करता है. बौद्धिक क्षेत्र में उच्च स्तर का आत्मविश्वास देता है.  ज्ञान, व्यावसायिक क्षमता, रचनात्मकता को प्रतिष्ठित तरीके से व्यक्त करते हैं. 

सूर्य और चंद्रमा पंचम भाव में

पंचम में सूर्य और चंद्रमा एक साथ होने पर व्यक्ति दृढ़निश्चयी, केंद्रित और दृढ़ इच्छाशक्ति वाला हो सकता है. ऊर्जा से जीवन भरा होता है, जो कुछ भी चाहते हैं उसे पूरा करने के लिए अथक परिश्रम करने की कोशिश भी करते हैं.  

सूर्य और बुध पंचम भाव में

सूर्य और बुध पंचम भाव में होने पर अच्छा बुधादित्य योग बनता है. इस योग के द्वारा बुद्धि और ज्ञान प्राप्त होता है.  सीखने और समझने की क्षमता कई क्षेत्रों में प्रगति करने में मदद करने वाली होती है.

सूर्य और मंगल पंचम भाव में

सूर्य और मंगल का पंचम में होना अंगारक दोष बनता है. व्यक्ति क्रोधी स्वभाव को पाता है. अक्सर अपना आपा खो देते हैं लेकिन गुस्सा कुछ ही समय के लिए ही रहता है. आवेगी और अचानक लिए गए फैसले किसी दिन किसी समस्या का कारण बन सकते हैं.  

सूर्य और गुरु पंचम भाव में

पंचम में सूर्य और बृहस्पति अच्छा आध्यात्मिक प्रभाव देता है. बृहस्पति वैदिक ज्योतिष के अनुसार हमारे आंतरिक स्व का प्रतिनिधित्व करता है. इसलिए यह योग जातकों में धार्मिक गतिविधियों और आध्यात्मिकता के प्रति झुकाव देता है.

सूर्य और शुक्र पंचम भाव में

पंचम में सूर्य और शुक्र के होने से ऊर्जा का संचार होता है. सुख और वैभव पर अधिकार जताने की चाह एवं रिश्तों में अपना वर्चस्व पाने की इच्छा होती है. संतान सुख में थोड़ा देर भी हो सकती है. प्रेम संबंधों में कुछ असंतोष हो सकता है.  

सूर्य और शनि पंचम भाव में

सूर्य के पुत्र हैं शनि देव और उनके बीच संबंध अनुकूल नहीं हैं. अत: जब यह संयोग करता है तो श्रापित दोष बनता है. इसलिए व्यक्ति को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है. पिता और पुत्र के साथ संबंध मधुर नहीं रह सकते हैं.  

सूर्य और राहु पंचम भाव में

सूर्य के साथ छाया ग्रहों की युति शुभ नहीं मानी जाती है. यह ग्रहण दोष बनाता है. सूर्य पूर्वजों का प्रतिनिधित्व करता है और पंचम भाव भी कर्म से संबंधित होता है तो, सूर्य और राहु या केतु की युति भी पितृदोष बनाती है. सफलता और विकास का मार्ग बाधाओं से भरा है