शुक्र और शनि की युति प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार शुक्र और शनि की युति सभी लाभ देती है और यह युति अनुकूल मानी जाती है. शुक्र और शनि की युति के मध्य में कुछ द्वंद भी देखने को मिल सकता है. यहां विचारों एवं इनकी ऊर्जाओं में यह स्थिति अधिक देखने को मिलती है. यह दोनों ग्रह के दूसरे से विपरित गुण धर्म के होते हैं. जहां शुक्र का कार्य भौतिकता से संबम्धित है वहीं शनि का संबंध कर्मठता एवं संघर्ष से होता है.यह योग जब कुंडली में बनता है तो जिस भाव पर इसका प्रभाव अधिक होता है उस भव से संबंधित परिणाम भी व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण बन जाते हैं. कुछ भाव स्थानों में जहां इन दोनों का युति योग बेहतर परिणाम दे सकता है वहीं खराब स्थानों पर इनका होना फलों को कमजोर कर देने वाला होता है.
जन्म कुडली के विभिन्न भाव स्थान पर शुक्र शनि का योग
ज्यादातर मामलों में, शनि-शुक्र की युति सकारात्मक परिणाम देती है. लेकिन कभी-कभी, यह मिलन नकारात्मक परिणाम भी देने वाली हो सकती है. शुक्र का शनि के साथ मित्र भाव रहा है. जिसके फलस्वरुप कुछ अनुकूल प्रभावों को देख पाना संभव होता है. शुक्र और शनि युति होने पर व्यक्ति यथार्थवादी होता है. जमीन से जुड़ा होने पर उसकी सोच में मजबूत धारणा का असर भी दिखाई देता है. चीजों को लेकर गहराई से प्रतिबद्ध होता है. शुक्र पर शनि का परिपक्व व्यवहार चीजों को उचित रुप से करने की विचारधारा देता है. यह योग व्यक्ति को आगे बढ़ने के अवसरों पर काम करने की योग्यता देता है.
शुक्र शुभ ग्रह और शनि अशुभ है. जिन लोगों की कुंडली में शुक्र और शनि एक साथ एक घर में होते हैं, वे अक्सर कलात्मक रूप से प्रवृत्त होते हैं. व्यक्ति को ललित कलाओं विशेषकर ड्राइंग या पेंटिंग में अच्छी निपुणता हासिल कर सकता है. शनि और शुक्र की युति भी व्यक्ति को बौद्धिक बनाती है. घूमने फिरने और दुनिया को एक्सप्लोर करने का शौक होता है. साहस अच्छा होता है और चुनौतियों से लड़ने के लिए व्यक्ति हमेशा तैयार रहता है. नकारात्मक रुप से यह योग कभी-कभी प्रियजनों से अलगाव का कारण भी बन सकता है. वैवाहिक जीवन शांतिपूर्ण नहीं हो पाता है. पार्टनर के साथ अक्सर अनबन और प्यार में शारीरिक संतुष्टि की कमी का अनुभव हो सकता है. व्यक्ति कई बार अपनी भावनाओं के कारण एकाकी अर्थहीन जीवन जीने को विवश हो सकता है.
शुक्र और शनि का योग पहले भाव में
जन्म कुंडली के पहले भाव में शुक्र और शनि की युति होना विशेष होता है. यहां व्यक्ति अपनी इच्छाओं हेतु संघर्ष करने के लिए आगे रहता है. परिश्रम द्वारा धीमी गति के पश्चात कुछ अनुकूल परिणाम व्यक्ति को प्राप्त होते हैं. स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन पर इसक अकुछ कमजोर पक्ष दिखाई दे सकता है. व्यक्ति बहुत परेशानियों से गुजरता है और मानसिक रुप से उसकी क्षमताएं सीमित रहती हैं. जीवन में वह स्वयं के प्रति काफी अधिक सोच विचार रखने वाला है ओर जीवन को बेहतर स्थिति पर ले जाने की इच्छा रखता है.
शुक्र और शनि का योग दूसरे भाव में
जन्म कुंडली के दूसरे घर में शुक्र और शनि की युति का होना व्यक्ति को काफी प्रबल स्म्चार दे सकता है. व्यवहार कुशलता का गुण भी प्राप्त होता है. व्यक्ति को प्रतिष्ठा भी प्राप्त होती है और उच्च पदों पर स्थापित होने का अवसर मिलता है. व्यक्ति परिवार में अपनी स्थिति को बेहतर करने में सक्षम होता है. वाहन और संपत्ति सभी सुख मिलते हैं अपने प्रयासों के द्वारा वह उन चीजों को पाने में सक्षम बनता है जो अन्य लोगों की पहुंच से दुर रहती हैं.यह योग आर्थिक दृष्टि से बहुत अच्छा माना जाता है.
.शुक्र और शनि का योग तीसरे भाव में
तीसरे भाव में शुक्र और शनि की युति होने से व्यक्ति अपने परिश्रम द्वारा ही धन कमाता है. उसे परिवार का सहयोग मिलता है. पैतृक संपत्ति से भी कुछ लाभ प्राप्त होता है. ससुराल पक्ष का सहयोग काम आता है. जीवन में अपने स्म्चार के द्वारा अच्छी आय को अर्जित कर पाता है.
शुक्र और शनि का योग चतुर्थ भाव में
चतुर्थ भाव में शुक्र और शनि की युति कुछ अच्छे और कुछ कमजोर पक्ष को दिखा सकती है. अच्छे भवन की प्राप्ति होती है लेकिन पुरातन चीजों की प्राप्ति भी होती है. व्यक्ति को अपने बड़ों की ओर से कठोर अनुशासन भी प्राप्त हो सकता है. काम काज को लेकर व्यक्ति बहुत अधिक कर्मठ भी होता है. व्यक्ति कारोबार में अच्छी स्थिति को पाने में सक्षम होता है.
शुक्र और शनि का योग पंचम भाव में
पंचम भाव में शुक्र के साथ शनि का योग शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे परिणाम देने वाला होता है. वह कला एवं रचनात्मक क्षेत्र में काफी अच्छे से आगे बढ़ सकता है. संतान सुख व्यक्ति का सामान्य रहता है. कई बर मनोकूल चीजों की प्राप्ति उचित रुप से नहीं हो पाती है. आर्थिक रुप से कर्मठ एवं काफी प्रगतिशील होता है.
शुक्र और शनि का योग छठे भाव में
शुक्र के साथ शनि का युति योग छठे भाव में होने पर प्रतिस्पर्धाओं में विजय की प्राप्ति को दर्शाता है. समृद्धि और सफलता के लिए किए जाने वाले प्रयासों का अनुकूल परिणाम मिल पाता है. . इस योग के प्रभाव स्वरुप विभिन्न स्रोतों से धन लाभ होने की संभावना होती है. पैतृक या पारिवारिक संपत्ति की प्राप्ति भी संभव है. नई व्यावसायिक संभावनाएं होंगी और इस समय आपकी वित्तीय स्थिति कुछ बेहतर होती है.
शुक्र और शनि का योग सप्तम भाव में
सप्तम भाव में शुक्र और शनि की युति हो तो वैवाहिक सुख का मिलाजुला असर देखने को मिलता है. विवाह जल्दी या फिर देर से होने के योग निर्मित होते हैं जीवन साथी के साथ विचारों में अलगाव की स्थिति भी रहती है. साथी के सहयोग में कमी रहसकती है या फिर उसके साथ व्यर्थ की दूरी परेशानी दे सकती है.
शुक्र शनि का योग नवम भाव में
शुक्र के साथ शनि की युति अनुकूल रह सकति है. नवम भाव में होने पर मेहनत का फल अपने कार्यस्थल पर मिलता है. नौकरी में प्रगति देख पाते हैं तथा उच्च पद प्राप्ति के प्रस्ताव देख पाते हैं. गे. साथ ही आपके सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी और आपको भाग्य का पूरा साथ मिलेगा. आप नई साइटों पर जाएंगे और सभी सुविधाओं का उपयोग करेंगे. अतिरिक्त निवेश की भी संभावनाएँ होंगी, और अब फर्म को आगे बढ़ाने का क्षण है.
शुक्र शनि का योग दशम भाव में
शुक्र के साथ शनि का योग दशम भाव में होने पर यह मेहनत से अपने जीवन के लक्ष्यों को पाने की प्रेरणा देने वाला होता है. शनि शारीरिक श्रम का प्रतिनिधित्व करता है और शुक्र कला का प्रतिनिधित्व करता है ऎसे में व्यक्ति डिजाइनिंग, पेंटिंग और कंप्यूटर एनीमेशन से लेकर अभिनय जैसी भौतिक कला तक एक कलात्मक शिल्पकला से अपनी आजिविका को प्राप्त कर सकता है.रचनात्मक रूप से अपने समय से आगे रह सकता है.
शुक्र शनि का योग एकादश भाव में
शुक्र के साथ शनि की युति एकादश भाव में होने पर लाभ के मौके मिलते हैं. इस स्थान को आय भाव कहा जाता है. ऐसे में खोया हुआ पैसा वापस मिलता और निवेश किया हुआ पैसा अच्छे लाभ उत्पन्न करने में सहायक बनता है. नौकरी में प्रमोशन या इंक्रीमेंट की संभावना है व्यक्ति के लिए खुली रहती है. व्यापार में मुनाफा हो सकता है. वहीं, शेयर बाजार, सट्टा या लॉटरी में पैसा लगाना बेहतर लाभ देने वाला होता है. यह युति आराम और समृद्धि को बढ़ाने का कम भी करती है.
शुक्र शनि का योग द्वादश भाव में
शुक्र के साथ शनि का योग बारहवें भाव में होने के कारण व्यक्ति को आध्यात्मिकता और भौतिकता के मध्य संघर्ष दे सकता है. कर्म के नियमों के माध्यम से सिखाने की शनि की प्रकृति के कारण व्यक्ति कई बार अपने प्रेम से भी अलग हो जाता है और देर से विवाह का कारण भी बन सकता है. इसी के साथ व्यक्ति आर्थिक खर्चों को लेकर भी काफी ध्यान पूर्वक काम करने वाला होता है.