सूर्य का तीसरे भाव में फल
तीसरे भाव में सूर्य का होना प्रबलता का सूचक होता है यह सुखद स्थिति कहीं जा सकती है. एक नियम के रूप में, तीसरे भाव में सूर्य वाले लोग बहिर्मुखी होते हैं, लेकिन इनका अंतर्मन इतना प्रबल होता है की इनके भीतर को जान पाना मुश्किल होता है फिर चाहे ये बहिर्मुखी क्यों न दिखाई देते हों. सूर्य यहां बैठ कर कई तर से प्रभाव डालता है. इसके द्वारा उत्पन्न प्रभाव व्यक्ति के जीवन को बदल देने वाले भी होते हैं. सूर्य यहां बैठ कर संचार से ऊर्जा को उत्सर्जित करता है और अपनी ओर खींचता है. सूर्य व्यक्ति को प्र्यासशील बनाता है.
सूर्य के यहां होने के कारण व्यक्ति हमेशा जीवन की प्रगति के लिए प्रयास करते हैं, दूसरों से प्यार करते हैं और सामाजिक नेटवर्क का बहुत सक्रिय रूप से उपयोग करते हैं. यदि ऎसे में उसके सामने वाला भाव अर्थात नवम भाव भी प्रबल हो तो ऎसा व्यक्ति संपर्क बनाने में सफल होता है. सभी के साथ मेल जोल की स्थिति को पाएगा. विश्व उसके लिए घर के समान होगा. सूर्य के साथ को पर व्यक्ति सभी के साथ में संपर्क करने वाला होता है , सक्रिय रूप से लोगों के साथ व्यवहार करता है. यात्रा करने का इच्छुक होता है. सभी ओर दोस्त ढूंढ लेता है और जहां कोई पहुंच नहीं सकता है यह वहां भी पहुंच बना सकता है.
तीसरे भाव में सूर्य के ज्योतिषिय प्रभाव
तीसरे भाव में सूर्य की स्थिति व्यक्ति को स्वस्थ, धनवान और बुद्धिमान बनाती है. व्यक्ति प्रसिद्ध, दयालु, शांत, विनम्र और राजा के समान होता है. सूर्य यहां मौजूद होकर साहस और दृढ़ मन के कारण सफलता प्राप्ति को दर्शाता है. चतुराई से काम करते हुए साधन संपन्न बनने के लिए उत्साह देता है. कभी-कभी बातूनी, बेचैन, अधीर और चिंतित भी बनाता है. तीसरे भाव में सूर्य के होने के कारण व्यक्ति बहादुर और दानी भी होता है. व्यक्ति के पास वाहन, विलासिता की सुविधाएं होती हैं. तीसरे भाव में स्थित सूर्य सुखद परिणाम देता है और कुंडली की एक शक्तिशाली संपत्ति के रूप में माना जाता है, लेकिन फिर भी भाइयों से व्यक्ति को परेशानी भी देता है. तीसरे भाव में सूर्य के होने के परिणाम राशि के अनुसार बदल सकते हैं. इसके अलावा जिस पर ग्रह की दृष्टि है और यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि सूर्य लग्न के लिए कितना फायदेमंद होगा.
सकारात्मक सूर्य प्रभाव
तीसरे भाव में शुभ सूर्य यात्रा करने का शौक़ देता है और व्यक्ति अपने बारे में बात करना पसंद करता है. लोगों के साथ सामूह में रहते हैं और नेतृत्व भी मिलता है. एक ऐसा काम चुन सकते हैं जो शिक्षा और संचार, कलात्मक और नाटकीय क्षेत्रों जैसे प्रदर्शन कलाओं के प्रति प्रयासों या रुचियों को प्राथमिकता देता है. तेज़ दिमाग होता है और नेतृत्व की गुणवत्ता भी अच्छी होती है, जो दूसरों को आपकी बात सुनने के लिए झुका देती है. सूर्य यहां बैठ कर व्यक्ति को अपनी शक्ति और स्थिति का सर्वोत्तम उपयोग करने के लिए ज्ञान और साहस भी देता है. अपने भाई-बहनों और चचेरे भाई-बहनों के प्रति हमेशा दयालु और सहायक व्यक्तित्व प्रदान करता है.
नकारात्मक सूर्य प्रभाव
तीसरे भाव में एक नकारात्मक सूर्य भाई-बहनों के बीच अलगाव का कारण बनता है. परिवार में शत्रुता को उत्पन्न कर सकता है. चरित्र से कमजोर बना सकता है. गलत कार्यों में लिप्त करवा सकता है. पीड़ित अधिक होने पर व्यभिचार में भी डाल सकता है. धन और प्रतिष्ठा को खराब करने वाला होता है. परिवार में कमजोर बनाता है परिवार के सदस्यों द्वारा अपमान और शोषण का सामना करना पड़ सकता है. भावनात्मक और शारीरिक समस्याएं परेशानी देती हैं. यौन जीवन में असंतुष्ट बनाता है और बेवफाई भी दे सकता है.
सूर्य का जीवन के आरंभिक समय पर असर
सूर्य की स्थिति तीसरे भाव में होने पर जीवन का आरंभिक काल बेहद विशेष बन जाता है. अगर बच्चों की कुंडली में सूर्य तीसरे भाव में हो तो माता-पिता को लगातार इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनका बच्चा क्या कर रहा है. ऎसा इसलिए क्योंकि जिज्ञासा अधिक होती है और सभी से जुड़ने की ललक भी होती है. नई सूचनाओं से जुड़ने की ललक होती है ऎसे में उन पर निगरानी की भी सख्त जरूरत होती है. यदि अभी के समय को देखा जाए तो इंटरनेट पर सभी चीजों तक पहुंच आसान है ऎसे में बच्चा किसी चीज से सीमित नहीं रह पाताहै, और स्वाभाविक रूप से प्रभावशाली तरीके से हर चीज से जुड़ सकता है ओर सूर्य के तीसरे भाव में होने पर यह प्रबलता भी अपना असर डालती है. इन सभी बातों का उसके मनोविज्ञान पर असर भी पड़ेगा. उसके विकास को प्रभावित कर सकता है, ऎसे में जरूरी है की बच्चों की इन गतिविधियों पर नजर बराबर रखी जाए. बाल्यकाल में सूर्य क आसर बच्चे के माता-पिता को भी प्रभावित करता है. यहां पर पिता को पद प्राप्ति हो सकती है अथवा किसी नए स्थान पर जाने को मिल सकता है.
सूर्य देता है बेहतर गुण
सूर्य के तीसरे भाव में होने का असर व्यक्ति को गुणवान बनाता है. इन में अध्ययन करने की कला होती है.ये लोग लगातार काम करते रहने वाले होते हैं. यदि एक कारण से व्यवधान बने हुए हैं तो उन्हें दूर करने के लिए सदैव कोशिश में लगे रहते हैं. आलस्य या कठिन जीवन परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता इनमें होती है. लेकिन यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो वे जीवन में उचित स्थिति को नहीं पाते हैं. लेकिन तीसरा घर उन्हें सदैव आगे रखने में सहायक बनता है. तीसरे भाव में सूर्य के होने पर व्यक्ति आसानी से हार नहीं मानता है. समय-समय पर खुद को अच्छी तरह से व्यवस्थित करना जानते हैं .
जिन जन्म कुंडली में सूर्य तीसरे भाव में स्थित होता है, वहां बुध की स्थिति का आकलन करना भी महत्वपूर्ण होता है. यदि यह मिथुन या कन्या राशि में स्थित है तो व्यक्ति मानसिक कार्य करने वाला, विद्वान होता है. वह हर समय अध्ययन करता है, घटनाओं से जुड़े रहने की कोशिश करता है और अक्सर उसके पास असाधारण क्षमताएं होती हैं. वह तुरंत स्थिति का आकलन कर सकता है और एक कठिन परिस्थिति से बाहर निकलने का रास्ता खोज सकता है. कभी-कभी वे बस आश्चर्यजनक होते हैं कि वे जितना जानते हैं उससे अधिक उनके दिमाग में छुपा हुआ है.