सूर्य ग्रह का लग्न में होना कैसे देता है परिणाम

सूर्य जब पहले भाव में होता है तो यह एक अत्यंत विशिष्ट स्थान और असर के लिए जाना जाता है. लग्न में सूर्य का होना व्यक्ति के लिए बेहद महत्वपूर्ण स्थिति होती है. लग्न एक ऎसा स्थान है जो जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से जुड़ा है. यह जीवन के हर अच्छे खराब फलों पर अपना असर डालता है. ज्योतिष में प्रथम भाव को लग्न कहा जाता है. यह शरीर और संपूर्ण अस्तित्व को देखा जाता है. व्यक्ति के जन्म के समय सूर्य उदय हो रहा होता है, यह बारह घरों में से एक ऎसा स्थान है जिसमें व्यक्ति की स्थिति पर पड़ने वाले असर के लिए विशेष होता है. यह जीवन की शुरुआत का घर है, इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है. व्यक्ति के जीवन पर एक बड़ा और स्थायी प्रभाव डाल सकता है. लग्न भाव अंदर और बाहर के जीवन का प्रतिनिधित्व करता है.  पहले घर पर मेष राशि का स्थान होता है जो कालचक्र कुंडली का पहला स्थान है और इसी कारण मंगल पहले घर का स्वामी है. यह बृहस्पति, सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध के लिए उत्तम भाव है. 

कुंडली का पहला भाव क्यों है इतना विशेष ? 

प्रथम भाव द्वारा दर्शाए गए महत्वपूर्ण कारक व्यक्तित्व, शारीरिक बनावट, चरित्र, स्वभाव, आत्म-पहचान, ताकत, कमजोरियां और स्वास्थ्य होता है. इस प्रकार, जब लग्न में स्थित ग्रहों को देखते हैं तो व्यक्ति के बारे में अधिकांश बातें जान सकते हैं. लग्न का भाग्य निर्धारण में बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव होता है. लग्न भाव व्यक्ति के व्यक्तित्व को प्रभावित करता है. इस प्रकार रूप, आकर्षण, शारीरिक विशेषताएं और ताकत जैसे कारक इस के द्वारा निर्धारित होते हैं.  उत्साह और ऊर्जा, स्वास्थ्य इसी भाव से निर्धारित होते हैं. ज्योतिष में पहला घर शरीर के अंगों के संदर्भ में सिर और चेहरे के ऊपरी हिस्से से जुड़ा होता है जिसे वह नियंत्रित करता है. इसके अलावा, मेदिनी अनुसार ज्योतिष में, यह भाव देश और उसमें रहने वाले लोगों की समग्र स्थिति को दर्शाता है. लग्न घर यह तय करता है कि व्यक्ति जीवन में कैसे आगे बढ़ता है और चीजों को कैसे देखते हैं 

लग्न में बैठे सूर्य का विशेष गुण 

यदि सूर्य लग्न भाव में है तो यह कई तरह से अपना रंग दिखाता है. सूर्य शुभ अशुभ नीच बली जैसे असर के चलते भी विशेष होता है. सूर्य अगर नीच, शत्रु या पाप ग्रहों के साथ हो तो प्रतिकूल परिणाम देता है. सूर्य अगर शुभ दृष्टि या युति में हो तो शुभ देता है. उच्च के सूर्य पर बली ग्रह की दृष्टि हो तो विद्वान बनाता है. आचार्यों द्वारा सूर्य यदि लग्न भाव में हो तो जातक हृष्ट-पुष्ट, छोटे बालों वाला, क्रोधी, नैतिक, कटु, आलसी, नेत्रविकारयुक्त तथा काम भावना से युक्त होता है. इसके अलावा सूर्य का असर व्यक्ति के शरीर एवं बाहरी गठन पर अपना असर डालता है. इसके प्रभाव से लम्बा शरीर, नैन-नक्श उत्तम, माथा बड़ा, लाल नेत्र, नीच लोगों का सेवक, बचपन में बीमार, स्त्री, बच्चों के सुख से कमजोर हो सकता है. घूमने-फिरने से व्यापार करने वाला हो सकता है. कभी लाभ न देने वाले, स्त्री द्वारा अपमानित, प्रारब्ध, वात और पित्त से पीड़ित, काम करने में आलसी, भाइयों के साथ विरोध, पराक्रम में तेज, द्वेष रहित, बुद्धिमान, साहसी, स्वाभिमानी, निर्दयी , क्रोधी, अस्थिर धन और केश का स्वामी रोगी होता है. 

तुला राशि में सूर्य हो तो रतौंधी और हृदय रोग हो सकता है. सूर्य उच्च का या स्वग्रही हो तो व्यक्ति नेत्र-स्वस्थ होता है, सुखी, यशस्वी, विनयशील लेकिन लोभी होता है. वृष राशि, कन्या राशि या मकर राशि का हो तो अभिमानी और अहंकारी हो सकता है. मिथुन राशि, तुला राशि या कुम्भ राशि का हो तो उदार, साधुप्रिय और न्यायप्रिय हो सकता है. धनु राशि का हो तो गृहस्थ प्रेमी हो सकता है. कर्क राशि, वृश्चिक राशि या मीन राशि का हो तो व्यसनों के प्रति आस्कत हो सकता है. है. सिंह राशि में शुभ ग्रहों की कृपा या दृष्टि होने पर व्यक्ति स्वस्थ और तेजस्वी होता है.

लग्न में सूर्य के खराब परिणाम 

लग्न में सूर्य का होना यदि पाप प्रभावित होता है तो सरकारी कार्य में बाधा को झेलता है. विद्रोह या स्वयं देशद्रोही होना. कालाबाजारी या तस्कर होना, टैक्स चोरी, नशे की लत, गर्म मिजाज, झूठ बोलना या वादों पर खरा उतरना, ब्लड प्रेशर का मरीज हो सकता है, नास्तिक होना, मुकदमे में हारना, मुफ्त का माल ढूढ़ना आंखों की बीमारी से परेशान होना, घर में घर होने के कारण दक्षिण दिशा, पितृ दोष या कुंडली में सूर्य से संबंधित किसी अन्य दोष के कारण. इन दोषों को कम करने के लिए सूर्य के इन उपायों का होना विशेष रुप से अपना असर दिखाता है. सूर्य कमजोर होने के  कारणों में बहुत से अलग असर देखने को मिल सकते हैं. सूर्य के अशुभ होने के अन्य कारणों के लिए जन्म कुंडली आवश्यक होती है.  

लग्न के सूर्य के शुभ फल 

सूर्य पहले भाव में होता है तो वह कमाई का कुछ हिस्सा धार्मिक कार्यों में लगाकर तरक्की करता है. व्यक्ति एक अच्छा रणनीतिकार होता है. इरादों में दृढ़ और मजबूत दिल वाला होता है. व्यक्ति चिंतनशील होता है. व्यक्ति मेहनती और मेधावी होता है. तेज और आक्रामक स्वभाव के कारण शत्रुओं को परास्त करने में सक्षम होता है. व्यक्ति आमतौर पर मीठे बोल बोलता है लेकिन उसका दिल कठोर हो सकता है. व्यक्ति अपनी मेहनत और परिश्रम से धनवान बनता है. शिक्षा से सम्बन्धित कार्यों से अपना जीवन यापन करने वाला भी होता है. सूर्य शुभ होने पर धार्मिक और परोपकारी होता है. ये लोग समाज में प्रसिद्ध होते हैं, समय-समय पर वह असहाय लोगों की सेवा करने वाला होता है. व्यक्ति का चरित्र अच्छा होता है, लेकिन दूसरों की बातों से आसानी से प्रभावित नहीं होता है. चेहरे पर रौनक रहती है. व्यक्ति तेज मिजाज और क्रोधी हो सकता है. सूर्य शुभ हो तो पराक्रम से संबंध हो तो लाभ पाता है.

लग्न में स्थित सूर्य का राशि प्रभाव 

मेष राशि लग्न में मेष राशि में बैठा सूर्य व्यक्ति को प्रबल बनाता है. जोखिम उठाने में सक्षम होता है. व्यक्ति साहसी होता है जो किसी भी चुनौती में सबसे पहले पार करने में सक्षम बनता है. अपनी चमक को बोल्ड रंगों, तेज संगीत, सहज रोमांच के द्वारा प्रकट करता है.

वृष राशि में सूर्य के होने पर यह गंभिर लेकिन आकर्षण युक्त बनाता है. किसी भी चीज़ से रोमांचित हो सकता है. अपने परिवेश से प्रेरित होता है भौतिक वस्तुओं को संचित करना पसंद करते हैं.

मिथुन राशि में सूर्य के होने पर व्यक्ति में उत्साह और जोश होता है. बौद्धिकता अच्छी होती है. अपनी रुचियों में सहज रहता है. सभी का नेतृत्व करने और सफल होने में सक्षम भी होता है. व्यक्ति जिज्ञासु, मिलनसार और चंचल होता है.   

कर्क राशि में सूर्य का होना व्यक्ति में प्रभावी क्षमता से भरपूर होता है. जीवन में अपने भौतिक लक्ष्यों को पूरा कर लेने में सक्षम होता है. रचनात्मकता नई परियोजनाओं को अर्जित करने में मदद कर सकती है जो  वित्तीय स्थिति को स्थिर कर सकती है. प्रेमी से आर्थिक मदद मिल सकती है और आपकी बुद्धिमता और रचनात्मकता मिलकर आपको अच्छा मुनाफ़ा दिला सकते हैं.

सिंह राशि में सूर्य के होने से शिक्षा के लिए अच्छी संभावनाएं प्राप्त हो सकती हैं. मान सम्मान और संपत्ति अर्जित कर सकते हैं. दूसरों पर विजय पाने में सक्षम होते हैं. किसी भी प्रकार के झगड़े में विजय होने में सक्षम होते हैं. दूसरों का नेतृत्व करने में भी अच्छी सफलता मिलती है. 

कन्या राशि में सूर्य के होने पर व्यक्ति दूसरों के प्रति अधिक संवेदनशील दिखाई देता है. विवादों से बचने के लिए सावधानी बरतने की जरुरत होती है. अपने प्रेमी के साथ या काम पर व्यवहार करते समय सहयोग कम मिल पाता है. स्वभाव से अंतरमुखी भी हो सकते हैं और इससे कठिन संघर्ष हो सकता है. चीजों को पाने के लिए संघर्ष ही बेहतर परिणाम दे पाता है. 

तुला राशि में सूर्य का होना व्यक्ति को कुछ शांति लेकिन कल्पनाशील बनाता है. दृढ़ इच्छाशक्ति होती है लेकिन कई बार धरातल पर यह उपयोग नहीं आ पाती है. कलात्मक अभिव्यक्ति में रुझान हो सकता है. अपनों के प्रति लगाव होता है लेकिन सहयोग की कमी प्राप्त होती है. वैवाहिक मुद्दों को लेकर अधिक संघर्ष करना पड़ सकता है. 

वृश्चिक राशि के लिए ये समय कई मायनों में बदलाव के साथ नवीन विचारधारा का समय होता है. व्यक्ति अपने शक्ति सामर्थ्य को पाता है. क्रोध एवं जिद अधिक रह सकती है. साथ में ये लोग किसी भी बाधा से गुजरने में सक्षम होते हैं. 

धनु राशि लग्न में धनु राशि में स्थित सूर्य का प्रभाव व्यक्ति को मजबूत एवं काफी दृढ़ बनाता है. व्यक्ति अपने साथ साथ दूसरों के लिए भी काफी कर्मठ होता है. सामाजिक रुप से मान सम्मान पाता है. नेतृत्व करने में वह कुशल रहता है. 

मकर राशि में स्थित सूर्य का प्रभाव व्यक्ति को गंभीर बना सकता है. संघर्ष के द्वारा सफलता मिल पाती है. अपनों के साथ रिश्तों में अधिक तनाव भी रह सकता है. दुर्घटना एवं चिंताएं अधिक परेशानी दे सकती हैं. 

कुंभ राशि लग्न में कुंभ राशि के होने पर सूर्य का यहां होना व्यक्ति को मनमर्जी वाला बना सकता है. पारिवारिक संबंधों को निभाने की क्षमता भी देता है. दूसरों के सामने एक बहुत ही योग्य पहचान देता है. जहां भी जाते हैं ये लोग निश्चित रूप से अपनी छाप छोड़ते हैं. मान समान को पाते हैं जीवन साथी को लेकर उठा-पटक लगी रह सकती है. 

मीन राशि के लग्न में होने और सूर्य की स्थिति का असर व्यक्ति को उदार प्रकृति का बनाता है. संपत्ति से भी लाभ प्राप्त कर सक पाते हैं. अपने व्यवहार के लिए अपने वरिष्ठों का सहयोग मिल पाता है. अध्यात्म की ओर आकर्षित हो सकते हैं, और अपने परिवार के साथ तीर्थ यात्रा पर जा सकते हैं. खर्च अधिक रहता है और संचय प्रभावित होता है.