श्रापित योग का कुंडली के हर भाव पर क्या पड़ता है असर

ज्योतिष के कुछ खराब योगों में श्रापित दोष का विशेष महत्व होता है. श्रापित योग का असर किसी व्यक्ति के पिछले जन्मों का प्रभाव दिखाता है, इसे एक अच्छा संकेत नहीं माना जाता है. यह एक भाव में शनि और राहु के मिलन के साथ एक व्यक्ति की कुंडली में बनता होता है. साथ ही यह भी माना जाता है कि राहु पर शनि का अंशात्मक योग का प्रभाव विशेष होता है. व्यक्ति के पूर्व में गलत कार्यों से उत्पन्न इस दोष का कारण बन सकता है. श्रापित दोष का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि यह सकारात्मक और  शुभ योगों के अच्छे परिणामों को कमजोर कर सकता है.

श्रापित योग और पूर्व जन्मों का प्रभाव 

श्रापित का अर्थ है, जो पिछले जन्म में अपने गलत कामों के कारण शापित हो. श्रापित दोष तब बनता है जब शनि और राहु एक ही भाव में मिल जाते हैं. यह हानिकारक दोष है जो काम को जीवन के क्षेत्र में लगभग हर चीज को प्रभावित कर सकता है. घटनाओं का कोई स्पष्ट कारण नहीं मिल पाता है. महादशाओं के सकारात्मक प्रभावों को भी कमजोर करने की शक्ति रखता है.

शनि और राहु का संबंध होने पर यह योग बनता है, अब प्रश्न उठता है कि बनने वाले इस योग का क्या होता है, तो आइए बताते हैं अलग-अलग भावों में बनने वाले इस योग के फल:-

श्रापित कुंडली का पहले भाव पर प्रभाव 

लग्न में श्रापित योग की युति हो तो ऐसे व्यक्ति पर तांत्रिक क्रियाओं का प्रभाव अधिक होता है. जीवन में मनसिक रुप से व्यक्ति अधिक तनाव झेल सकता है. व्यक्ति हमेशा चिंतित रहता है और नकारात्मक विचार उसके मन में सबसे पहले आते हैं. स्वास्थ्य को लेकर चिंता रहती है. जीवन में कोई न कोई रोग लगातार बना रह सकता है.  

श्रापित कुंडली का दूसरे भाव पर प्रभाव 

दूसरे भाव में श्रापित योग की युति हो तो व्यक्ति के घर के लोग उसके शत्रु बने रहते हैं. अपने परिवार के साथ अधिक सहयोग नहीं मिल पाता है. कार्यों में बाधाओं का सामना करना पड़ता है.  वाणी में कुछ दोष भी उत्पन्न हो सकता है. धन के संचय में कठिनाई होती है. जुआ इत्यादि जैसे कार्यों से धन की हानि होती है. व्यक्ति मादक या तामसिक पदार्थ के सेवन से प्रभावित रहती है. 

श्रापित कुंडली का तीसरे भाव पर प्रभाव 

तीसरे भाव में श्रापित योग की युति हो तो व्यक्ति अपने काम को लेकर भ्रमित रह सकता है. अपने भाई बंधुओं के साथ उसका तनाव अधिक रह सकता है. छोटा भाई नहीं होता है या छोटी बहनों को किसी प्रकार की तकलीफ हो सकती है. जीवन में उतार-चढ़ाव अधिक रह सकते हैं. परिश्रम का उचित लाभ नहीं मिल पाता है. धार्मिक यात्राएं अधिक रहती हैं. 

श्रापित कुंडली का चतुर्थ भाव पर प्रभाव 

चतुर्थ भाव में श्रापित योग की युति सुख को खराब करने वाली होती है. चौथा भाव भूमि, मकान, माता और सुख का भाव होता है तो ऐसी स्थिति में यहां के लाभ मिल नहीं मिल पाता है. माता का सुख कमजोर मिलता है.  और उनके घर में नकारात्मकता आती है. वास्तु दोष भी प्रभवैत करने वाला होता है. लोगों को अपने घर का सुख मुश्किल से ही मिल पाता है. अपने घर से दूर जाने का योग भी अधिक बना रह सकता है. 

श्रापित कुंडली का पंचम भाव पर प्रभाव 

पंचम भाव में श्रापित योग की युति होने के कारण व्यक्ति के मन में नकारात्मक भाव अधिक रह सकते हैं. बुद्धि गलत चीजों की ओर अधिक आकर्षित होती है. विचार कम नहीं रहते हैं. शिक्षा भी कठिन परिस्थितियों से पूरी होती है. संतान के सुख को पाने में देरी एवं कष्ट अधिक रह सकता है. स्वास्थ्य को लेकर भी परेशानी अधिक रह सकती है. 

श्रापित कुंडली का छठे भाव पर प्रभाव 

छठे भाव में श्रापित योग की युति होने के कारण व्यक्ति शत्रुओं की अधिकता झेल सकता है. छठा भाव रोग, शत्रु और कर्ज का होता है. इस कारण से ये बातें जीवन पर असर डाल सकती हैं.  रोग इत्यादि से परेशानी अधिक लगी रह सकती है. जुए और सट्टे में अधिक मन भी लग सकता है. नशे इत्यादि के कारण धन अपव्यय अधिक रहता है. हृदय रोग, रक्त-जनित विकार, दुर्घटना और विवाद के कारण शरीर के किसी भी हिस्से में कमजोरी होने की संभावना होती है.  

श्रापित कुंडली का नवम भाव पर प्रभाव 

सप्तम भाव में श्रापित योग की युति होने पर वैवाहिक सुख कमजोर रहता है. जीवन में रिश्तों को लेकर अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. सप्तम भाव से रोजगार, जीवन साथी, दाम्पत्य जीवन, मित्र, साझेदारी आदि का योग होता है. इस दोष के कारण व्यक्ति को अपने मित्रों और साझेदारों से धोखा मिलने की संभावना बनती है. दांपत्य जीवन के मामलों में अस्थिरता बनी रहती है. 

श्रापित कुंडली का अष्टम भाव पर प्रभाव 

अष्टम भाव में इस दोष के बनने से व्यक्ति अपने जीवन का सुख भोग नहीं पाता है. पूर्व कर्मों के कारण चिंताएं अधिक देखने को मिलती है. आठवें घर से ससुराल पक्ष , आयु, मृत्यु, रहस्यमय कार्य, गूढ़ विद्या, जीवनसाथी के सुख का विचार किया जाता है. इस स्थिति में यदि अष्टम भाव में श्रापित योग की युति हो , तो वैवाहिक जीवन में कलह की स्थिति बनी रहती है. व्यक्तियों को जीवन में कई बार सर्जरी भी करानी पड़ सकती है. ऐसे व्यक्तियों को पेट और मूत्र संबंधी विकार भी होते हैं. 

श्रापित कुंडली का नवम भाव पर प्रभाव 

नवम भाव में इस दोष के कारण व्यक्ति धर्म के विपरीत आचरण करने वाला हो सकता है. भाग्य में निरंतर उतार-चढ़ाव बने रह सकते हैं. पिता या वरिष्ठ व्यक्ति से साथ किसी न किसी प्रकार की परेशानी हो सकती है. व्यक्ति को ठिन संघर्ष के बाद सफलता मिलती है.

श्रापित कुंडली का दशम भाव पर प्रभाव 

दशम भाव में श्रापित योग की युति के कारण व्यक्ति को अपने कार्य क्षेत्र में चुनौतियों. इस का असर गृहस्थ सुख में कुछ कमी दे सकता है. माता-पिता को कष्ट हो सकता है. व्यवसाय में निरंतर उतार-चढ़ाव बना रहता है. साथ ही धन प्राप्ति के अच्छे योग भी मिलने.

श्रापित कुंडली का एकादश भाव पर प्रभाव 

एकादश भाव को लाभ भाव भी कहा जाता है. यहां आर्थिक स्थिति को ये प्रभावित करने वाला योग होगा. महत्वाकांक्षाएं भी अच्छी होंगी. एकादश भाव में क्रूरतम ग्रह अच्छे परिणाम देते हैं जिसके कारण व्यक्ति के पास कुछ लाभ की प्राप्ति अचानक हो सकती है. संतान सुख को लेकर चिंता अधिक रह सकती है. 

श्रापित कुंडली का द्वादश भाव पर प्रभाव 

बारहवें भाव में श्रापित योग की युति हो तो व्यक्ति विदेश में रह सकता है. व्यक्ति के अनैतिक संबंध होने की संभावना अधिक होती है. व्यक्तियों के घर के सुख में कुछ कमी रहती है और ऐसे व्यक्ति धोखा खाते हैं जीवन में कई बार किसी न किसी असाध्य रोग से ग्रसित हो सकते हैं.  आर्थिक रुप से धन संचय की स्थिति कमजोर रह सकती है.