गुरु चांडाल योग योग का कुंडली के 12 भाव में प्रभाव

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, राहु या केतु जैसे पाप ग्रहों के साथ बृहस्पति की युति को चांडाल दोष कही जाती है.  इस दोष को गुरु चांडाल दोष के नाम से भी जाना जाता है. बृहस्पति ग्रह को गुरु के रूप में जाना जाता है और इस योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. केतु को म्लेच्छ के रुप में जाना जाता है इस कारण यह योग दोष का निर्माण करता है. यह ज्ञान का नीच संगति के साथ योग बनाने जैसा होता है, लेकिन इस योग के अपने अलग प्रभाव भी होते हैम जिसके चलते ये अपने अच्छे और खराब दोनों तरह के परिणाम दे सकता है. कुंडली के कुछ स्थानों पर इन दोनों का योग अच्छे परिणाम भी देता है. 

संस्कृत ग्रह में बृहस्पति को गुरु जाना जाता है और चांडाल का अर्थ राक्षस होता है. इसलिए इसे गुरु चांडाल दोष कहा जाता है. यह दोष कुंडली में बृहस्पति ग्रह के कारण बनता है. केतु के साथ बृहस्पति का मिलन शुभ माना जाता है और इसे "गणेश योग" के रूप में भी जाना जाता है.बृहस्पति के साथ पाप ग्रहों की युति व्यक्ति को बदनाम कर सकती है, गलत  कार्यों में शामिल कर सकती है. जातक संकोची स्वभाव का हो सकता है. उसे जीवन काल के दौरान विभिन्न चरणों में विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. यदि बृहस्पति जन्म कुंडली के कुछ शुभ भावों में होकर नकारात्मक होता है. करियर, विवाह, संतान, प्रेम संबंधों और अन्य अनेक मामले में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

विभिन्न घरों में गुरु चांडाल दोष के परिणाम

पहला भाव 

प्रथम भाव या लग्न में गुरु चांडाल योग की उपस्थिति व्यक्ति की छवि पर असर डालने वाली होती है. व्यक्ति चतुराई निपुण भी होता है. व्यक्तित्व पर एक प्रश्न चिन्ह भी लग सकता है. कठोरता एवं अधिक गंभीर विचार भी हो सकते हैं.  समृद्धि के मामले में भाग्यशाली होता है. स्वभाव से कंजूस और अहंकारी हो सकता है. परंपराओं से हटकर काम करने में रुचि हो सकती है.

दूसरा घर

दूसरे भाव में गुरु के साथ राहु का योग होने पर व्यक्ति शक्तिशाली और कठोर भाषी हो सकता है.  बृहस्पति जातक को अमीर, समृद्ध बना सकता है.  कमजोर या पीड़ित बृहस्पति परिवार के सदस्यों के बीच विवाद लाएगा और धन हानि और जीवन तनावपूर्ण दे सकता है. इस कारण परिवार से दूरी का योग बनता है. दोष का असर व्यक्ति को संघर्ष के प्रति सजग बनाता है. 

तीसरा घर

तीसरे भाव में गुरु चंडाल का योग व्यक्ति को धन और संपत्ति के साथ भाग्यशाली बना सकता है. व्यक्ति कुछ स्वार्थी और लालची हो सकता है. अध्यात्म में रुचि कम या दूसरे धर्मों के प्रति आकर्षण अधिक हो सकता है. यात्राओं का लाभ मिलता है. भ्रमण के बहुत अवसर प्राप्त होते हैं. 

चतुर्थ भाव 

जन्म कुण्डली में चतुर्थ भाव में गुरु चांडाल दोष के कारण घर और संपत्ति की प्राप्ति होती है लेकिन विवाद भी होते हैं. सुख की कमी और मानसिक अशांति अधिक रह सकती है. दोष के कारण स्वास्थ्य कमजोर रह सकता है. अपनों से दूरी अधिक रह सकती है. एक स्थान पर रुक पाना मुश्किल होता है.

पंचम भाव 

पंचम भाव में गुरु चांडाल दोष के बनने के कारण व्यक्ति को रिश्तों में धोखा झेलना पड़ सकता है. उसके जीवन में अपनों का सहयोग कम रहता है. शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्धियों को पाता है. रिसर्च से जुड़े कामों को करने में व्यक्ति आगे रहता है. 

छठा भाव 

छठे भाव में गुरु चंडाल योग का प्रभाव होने से व्यक्ति को जीवन में कई अच्छी सफलताएं मिल पाती हैं. यदि पंचम भाव में बृहस्पति ग्रह शक्तिशाली हो तो बुद्धिमानी पूर्वक फैसलों से सफल होता है. शत्रुओं को हरा देने में सक्षम होता है. संतान के सुख की प्राप्ति होती है. सेहत पर असर पड़ता है लेकिन स्वास्थ्य सुधार जल्द होता है. 

सातवां भाव 

गुरु चंडाल दोष के कारण सातवां भाव पीड़ित होने पर पारिवारिक जीवन में परेशानी आ सकती है. अपने धर्म से विमुख दिखाई दे सकता है. चतित्र की बदनामी होने की संभावना होती है. अमीर और समृद्ध बनता है लेकिन वैवाहिक जीवन में उतार-चढा़व बने रह सकते हैं. 

अष्टम भाव 

अष्टम भाव में गुरु चांडाल दोष हो तो यह जीवन को खतरनाक बना सकता है. यदि ग्रहों का कोई अन्य शुभ प्रभाव न हो तो वैवाहिक जीवन में परेशानी अधिक हो सकती है. जीवन में दुर्घटना, चोट और सर्जरी होने की संभावना बढ़ जाती है. व्यक्ति का भाग्य जन्म स्थान से दूर होकर चमकता है. 

नवम भाव 

नवम भाव में इस दोष के बनने से व्यक्ति को धार्मिक क्षेत्र में भ्रमण का मौका मिलता है. अपनी परंपराओं में बदलाव लाने की कोशिश भी व्यक्ति की बनी रहती है. आर्थिक क्षेत्र में स्थिति सामनय रहती है. संस्थाओं से जुड़ कर लोक कल्याण के कार्य भी करता है. 

दशम भाव 

यहां गुरु चांडाल दोष का प्रभाव कुछ अच्छे प्रभाव भी दे सकता है. संपत्ति, करियर और व्यवसाय में सफलता प्राप्त होती है. व्यक्ति के नैतिक मूल्य कम हो सकते हैं. व्यक्ति अपनों के प्रति उदासीन रह सकता है.

ग्यारहवां भाव 

एकादश भाव में भाव में गुरु चांडाल दोष शुभ माना जाता है. व्यक्ति के पास विभिन्न स्रोतों से धन आगमन हो सकता है. सामाजिक रुप से विख्यात होता है. व्यक्तिगत प्रयास से बल्कि विरासत से भी धन का सृजन कर पाता है.

बारहवां भाव 

जातक अपने धर्म और जाति के प्रति अत्यंत आलोचनात्मक हो सकता है. परिवार के सदस्यों के खिलाफ जाने की संभावना अधिक रहती है. अपने विचारों पर दृढ़ रह कर दूसरों के साथ मतवभेद झेल सकता है.