सूर्य महादशा में क्या शनि दशा से होती है पीड़ा

सूर्य महादशा जीवन का एक ऎसा समय जो परिश्रम, उत्साह एवं जोश से भरा समय, जब व्यक्ति के भीतर बेहद तीव्र इच्छा शक्ति भी मौजूद होती है. यह समय व्यक्ति को कम समय के लिए मिलता है लेकिन इस समय पर यदि दशा शुभ हो तो इस समय का बेहद उत्तम समय प्राप्त होता है.  इस महादशा को राजा की दशा के रुप में भी  देखा जाता है. लेकिन इस दशा का असर यदि कुंडली में अच्छा होगा तो इसमें सुख वैभव की कमी नहीं रहेगी और विशेष रुप से सरकार का बेहद लाभ मिलेगा पद प्राप्ति होगी लेकिन अगर दशा कमजोर होगी तो उसका परिणाम व्यक्ति को अधिक भदौड़ एवं मेहनत की अधिकता देगा साथ में शरीर पर कई तरह के प्रभाव भी देखने को मिलेंगे जो रोग को प्रभावित करने वाले होंगे. 

सूर्य महादशा में शनि दशा का प्रभाव बेहद महत्वपूर्ण होता है और इसके कई दूरगामी परिणाम झेलने पड़ते हैं. शनि का गहरा असर व्यक्ति अपने जीवन के अनेक पहलूओं पर देख सकता है. इस समय के दौरान व्यक्ति कई बार अपने आप ओर दूसरों के साथ ज्यादा तालमेल नहीं बिठ अपाता है. सूर्य की ऊर्जा एवं उसके गुणों का प्रभाव भी व्यक्ति को अधिक देखने को मिलता है. कई बार वह जीवन में उन चीजों को भी इग्नोर कर देता है जो उसके जीवन के लिए बेहद जरुरी होती हैं. अब अगर इस समय शनि भी दशा में शामिल हो जाए तो उसके कारण व्यक्ति कई बार परेशानियों में उलझता सा चला जाता है. 

सूर्य महादशा में शनि अंतर्दशा का सामाजिक एवं व्यक्तिगत प्रभाव

सूर्य महादशा में व्यक्ति को सामाजिक क्षेत्र में काफी कुछ प्रभाव देखने को मिलते हैं. व्यक्ति अपने आस पास के लोगों के साथ उसका गहरा रिश्ता जुड़ता है वही कुछ मामलों में व्यक्ति अपने आप को प्रतिस्पर्धा में अच्छे स्थान पर देखता है. शनि कड़ी मेहनत, दीर्घायु, कर्म, अनुशासन, सीमा और महत्वाकांक्षा, देरी और धैर्य से जुड़ा होने के कारण ये सभी असर जीवन पर डालता है. 

सूर्य महादशा में जब शनि अंतरदशा का समय आता है तो अब समय होता चीजों के सुधार का. पुरानी गलतियों को न दोहराने का ओर बेहतर विकल्प की खोज का.  शनि का आगमन होने के साथ व्यक्ति सामाजिक रुप में कार्यकुशल बनता है. लोगों के साथ मेल जोल तो बढ़ता है लेकिन साथ ही मतभेद भी इस समय पर अधिक बढ़े हुए दिखाई देते हैं. 

यह उस अवधि में सबसे अधिक अवसर लाने के लिए जाता है. शनि सभी ग्रहों का न्यायाधीश है और अन्याय को बर्दाश्त नहीं करता है और सूर्य अपने सिद्धांतों को स्थापित करने के लिए व्यक्ति को ऊर्जा देता है. सूर्य में शनि दशा की पूरी अवधि के दौरान कैरियर और व्यक्तिगत जीवन में बहुत सारी चुनौतियां का समय आता है. 

परिवार एवं संबंधों पर इस दशा का प्रभाव 

यह अवधि आपके जीवनसाथी के साथ आपके संबंध को कुछ मायनों में बदल कर रख सकती है. बच्चे और परिवार की जिम्मेदारियों के चलते अन्य कामों में अटकाव झेलना पड़ता है. करियर में कई बाधाएं ला सकते हैं. आप अपने परिवार और भाई -बहनों के साथ कुछ मुद्दों का सामना कर सकते हैं. अपनों के साथ विवादों, ईर्ष्या से भी पीड़ित हो सकते हैं. गुस्से और आक्रामकता के कारण अपने दोस्तों और परिवार के साथ रिश्ते में तनाव की संभावना बढ़ जाती है. यह दशा यदि अशुभ प्रभाव में है तो जीवन में कई उतार -चढ़ाव ला सकती है. .

समाज में एक अच्छी छवि अर्जित कर सकते हैं लेकिन परिवार में बहुत अधिक सहयोग न मिल पाए. सूर्य के साथ शनि का संबंध नवम भाव से जुड़ रहा हो तो उसके कारण धर्मार्थ से जुड़े कार्य इस समय पर अधिक कर सकते हैं. कुशलता से सभी बाधाओं और चुनौतियों को संभाल सकते हैं. कुछ पदोन्नति प्राप्त कर सकते हैं इसके अलावा कैरियर और प्रगति के साथ खुद को बेहतर स्थान पर खड़ा पा सकते हैं. इस अवधि के दौरान दान और सामाजिक कार्य में लिप्त हो सकते हैं.

सूर्य में शनि दशा का पाप प्रभावित होना

बाधाएं मिल सकती हैं, और  लक्ष्यों को प्राप्त करने में देरी हो सकती है. अपने पिता के साथ कुछ तर्क और संघर्ष हो सकता है. अधिकार के साथ समस्याएं भी बढ़ती हैं. असुरक्षित महसूस कर सकते हैं. अपने परिवार के सदस्यों से झूठे आरोप प्रत्यारोप झेलने पड़ सकते है,  शत्रु जीवन में बाधाएं ला सकते हैं और नीचे खींचने की कोशिश कर सकते हैं. यह अवधि स्वास्थ्य के लिए कष्ट ला सकती है. मानसिक तनाव. आप सिरदर्द, बुखार और दिल से संबंधित समस्याओं जैसी स्वास्थ्य बीमारियों से पीड़ित हो सकते हैं. यह समय जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.   व्यक्तिगत और पेशेवर मोर्चे पर समस्याओं के कारण बेचैनी, उदासीनता, मानसिक तनाव और अवसाद का अनुभव कर सकते हैं.व्यक्ति केला और मानसिक रूप से कमजोर महसूस कर सकता है. इस अवधि में आपके दुश्मन भी बढ़ सकते हैं, और वे आपको परेशान करने की कोशिश में तेजी दिखाते है. धन के उतार -चढ़ाव का अनुभव भी कर सकते हैं. 

सूर्य में शनि अंतर्दशा शुभ होने का प्रभाव 

ज्ञान और आध्यात्मिकता से जुड़ाव होता है. नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं, साहस होता है और अपने दुश्मनों के खिलाफ लड़ने की शक्ति होती है. ज्ञान को विस्तार मिलता है. पारिवारिक जीवन में खुशी मिलती है. करियर को सही रास्ते पर पा सकते हैं और आध्यात्मिक गतिविधियों में खुद को शामिल पा सकते हैं.